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सोनिया गांधी ने नई शिक्षा नीति पर केन्द्र को घेरा, बोलीं- शिक्षा व्यवस्था की हत्या बंद होनी चाहिए

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कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भारत की शिक्षा नीति को लेकर मोदी सरकार को घेरा है। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया है कि बीते एक दशक में सरकार ने केवल अपने एजेंडे को लागू करने की कोशिश की है। शिक्षा संस्थानों का निजीकरण और सांप्रदायीकरण किया गया है।

अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में लिखे लेख में सोनिया गांधी ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ‘3 सी’ एजेंडे को आगे बढ़ा रही है और इसके जरिए शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार कर रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा का केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकीकरण करती है। सोनिया ने केंद्र पर संघीय शिक्षा ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार राज्य सरकारों को महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों से बाहर रखकर शिक्षा के संघीय ढांचे को कमजोर कर रही है।

राज्य सरकारों पर दबाव बनाया जाना शर्मनाक

सोनिया गांधी ने कहा कि 2019 से शिक्षा पर केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की बैठक नहीं बुलाई गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े बड़े बदलावों को लेकर केंद्र सरकार ने राज्यों से एक बार भी बात नहीं की, जबकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पीएम श्री योजना के लिए राज्य सरकारों पर दबाव बनाया जाना और फंड रोकना शर्मनाक बात है।

शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किया गया

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष ने इस लेख में 89000 स्कूल के बंद होने, बीजेपी-आरएसएस से जुड़े लोगों की भर्ती जैसे मुद्दों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के बच्चों और युवाओं की शिक्षा के प्रति बेहद उदासीन है। इसमें शिक्षा प्रणाली को जनसेवा की भावना से वंचित रखा गया और शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि यूजीसी नियमों के नए मसौदे में राज्य सरकारों के विश्वविद्यालय में भी कुलपति की नियुक्ति से राज्यों को बाहर कर राज्यपाल के ज़रिए केंद्र सरकार को अधिकार दिया गया है जो संघवाद पर बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था की हत्या बंद होनी चाहिए।

“14 करोड़ लोगों को नहीं मिल रहा हक, जनगणना में पहली बार इतनी देरी” सोनिया ने संसद में उठाए सवाल
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कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने राज्यसभा के शून्यकाल के दौरान जाति जनगणना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा। सोनिया गांधी ने जल्द से जल्द जाति जनगणना कराने की मांग उठाई। सोनिया गंधी ने कहा कि देश में करीब 14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित हो रहे हैं। राज्यसभा में अपने पहले शून्यकाल संबोधन में सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थियों की पहचान 2011 की जनगणना के आधार पर की जा रही है, जबकि देश की जनसंख्या अब काफी बढ़ चुकी है। 

सोनिया गांधी ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में पहली बार दस-वर्षीय जनगणना चार साल से ज्यादा की देरी से हो रही है। इसे 2021 में किया जाना था लेकिन अभी तक सरकार ने कोई जानकारी नहीं दी है कि इसे कब पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बजट आवंटन को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस साल भी जनगणना नहीं होगी। इस वजह से लगभग 14 करोड़ योग्य भारतीय अपने अधिकारों से वंचित रह रहे हैं।

सोनिया गांधी ने बताया कि, यूपीए सरकार के दौरान इस कानून को लाया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को खाद्यान्न और पोषण मिल सके ये सुनिश्चित करना था। कांग्रेस सांसद ने बताया कि 2013 में यूपीए सरकार के ज़रिए शुरू किया गया यह कानून देश के 140 करोड़ लोगों को भोजन और पोषण सुरक्षा देने के लिए लाया गया था। कोरोना महामारी के दौरान इस कानून ने करोड़ों गरीब परिवारों को भुखमरी से बचाने में मदद की।

कांग्रेस नेता ने बताया कि गांवों में 75% और शहरों में 50% आबादी को सस्ते अनाज का लाभ देने वाला यह कानून 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है। उस समय, कुल लाभार्थियों की संख्या 81.35 करोड़ थी, लेकिन आज 14 करोड़ और लोग इसके हकदार हैं, जो लाभ से वंचित हो रहे हैं।  सोनिया ने आगे कहा कि इस योजना के तहत लाभार्थियों का कोटा अभी भी 2011 की जनगणना की बुनियाद पर तय किया जा रहा है, जबकि यह जनगणना अब 10 साल से भी पुरानी हो चुकी है।

उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द जनगणना पूरी करने और सभी पात्र लोगों को एनएफएसए के तहत उचित लाभ देने की अपील की। सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा, 'खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक मौलिक अधिकार है।' बता दें कि सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत 1 जनवरी 2024 से अगले 5 साल तक मुफ्त अनाज वितरण की योजना जारी रखेगी।
राष्ट्रपति को लेकर सोनिया के बयान पर बवाल, बीजेपी ने कहा-सर्वोच्च पद पर बैठी आदिवासी महिला का अपमान

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर सोनिया गांधी की टिप्पणी पर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। बजट सत्र पर राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर सोनिया ने द्रौपदी मुर्मू को Poor Lady कहा। अब इसे लेकर राजनीति गरमा गई है। सोनिया की इस टिप्पणी को लेकर ने बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है और माफी की मांग की है। बीजेपी ने कहा कि सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति का अपमान किया है। बता दें कि सोनिया गांधी ने संसद के बाहर राष्ट्रपति को पूअर कहा। वहीं, राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति के अभिभाषण को बोरिंग बताया।

राष्ट्रपति के लिए जानबूझकर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी के लिए सोनिया गांधी ने जिस वाक्य का इस्तेमाल किया, मैं और मेरे पार्टी के सभी कार्यकर्ता उसकी कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे शब्दों का जानबूझकर इस्तेमाल कांग्रेस पार्टी की गरीब-विरोधी और आदिवासी-विरोधी नेचर को दर्शाता है।नड्डा ने कहा कि संवैधानिक पद का अपमान करना कांग्रेस की पुरानी आदत है। मेरी मांग है कि कांग्रेस पार्टी राष्ट्रपति और भारत के आदिवासी समुदायों से बिना शर्त माफी मांगे। कांग्रेस आदिवासी समुदाय से भी माफी मांगे।

सोनिया और राहुल से क्या उम्मीद की जा सकती है- धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति का अपमान किया है। कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी और उनके बेटे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के खिलाफ जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया, मैं उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता। उनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है?

सोनिया गांधी ने क्या कहा?

दरअसल, राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण पर जब पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रतिक्रिया लेने की कोशिश मीडिया ने की, तो उन्होंने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया। इस दौरान वह अपने बेटे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी से बातचीत करती दिखीं। इस दौरान उन्होंने अभिभाषण को बोरिंग बताते हुए राष्ट्रपति के लिए पूअर लेडी शब्द का प्रयोग किया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाषण के अंत तक राष्ट्रपति काफी थक गई थीं।

“वो मेरे दोस्त और मार्गदर्शक थे, उनका जाना मेरी व्यक्तिगत क्षति” मनमोहन सिंह के निधन पर सोनिया गांधी का शोक संदेश

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। वे 92 साल के थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उनके आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि दी गई और शोक प्रस्ताव पारित किया गया।केंद्रीय सरकार ने उनके सम्मान में एक जनवरी 2025 तक सात दिनों के लिए राजकीय शोक घोषित किया है। इधर, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि देने के लिए शुक्रवार को शाम को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित किया और पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी गई। कांग्रेस की संसदीय पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने डॉ मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी। 

कांग्रेस ने सोशल साइट एक्स पर सोनिय गांधी का शोक संदेश जारी किया। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा, डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से हमने एक ऐसा नेता खो दिया है जो ज्ञान, बड़प्पन और विनम्रता का प्रतीक था। उन्होंने पूरे दिल से देश की सेवा की। उनकी करुणा और दूरदर्शिता ने लाखों भारतीयों का जीवन बदल दिया। मेरे लिए डॉ. मनमोहन सिंह का निधन एक गहरी व्यक्तिगत क्षति है। वह मेरे मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक थे। वे बहुत ही विनम्र स्वभाव के थे और अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ थे।

उन्होंने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह के निधन से हमने एक ऐसे नेता को खो दिया है जो बुद्धिमता, कुलीनता और विनम्रता के प्रतीक थे, जिन्होंने पूरे दिल और दिमाग से हमारे देश की सेवा की। कांग्रेस पार्टी के लिए एक उज्ज्वल और प्रिय मार्गदर्शक, उनकी करुणा और दूरदर्शिता ने लाखों भारतीयों के जीवन को बदल दिया और उन्हें सशक्त बनाया। सोनिया गांधी ने कहा कि भारत के लोग उन्हें उनके शुद्ध हृदय और उत्तम बुद्धि के लिए प्यार करते थे। उनकी सलाह, बुद्धिमानीपूर्ण सलाह और विचारों को हमारे देश के राजनीतिक स्पेक्ट्रम में उत्सुकता से मांगा जाता था और उनका बहुत सम्मान किया जाता था।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी वाद्रा समेत अन्य नेताओं ने मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठक के लिए कांग्रेस मुख्यालय में मुलाकात की। इस बीच, कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी मीटिंग रद्द कर दी गई। कांग्रेस स्थापना दिवस से जुड़े आयोजन भी कैंसिल हो गए हैं। पार्टी के इवेंट 3 जनवरी के बाद शुरू होंगे।

जानें किस संस्था से जुड़ी हैं सोनिया गांधी, भारत विरोधी कर रहे फंडिंग, जानें क्या है पूरी विवाद?

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भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पर बड़ा आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है कि सोनिया गांधी जिस संस्था से जुड़ी हैं उसे जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन ने वित्तीय मदद की है। बीजेपी का कहना है कि सोनिया और जॉर्ज सोरोस का यह जुड़ाव भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी संस्थाओं के प्रभाव को दिखाता है। साथ ही दोनों का यह जुड़ाव भारत के विकास को रोकने और बाधित करने के संयुक्त उद्देश्य को भी दिखाता है। इसके अलावा भाजपा ने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) को लेकर राहुल गांधी को भी घेरा है।

भाजपा ने दावा किया कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सह-अध्यक्ष के तौर पर फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक (एफडीएल-एपी) फाउंडेशन से जुड़ी हैं। यह ऐसा संगठन है जो अलग कश्मीर का समर्थन करता है। यही नहीं, इसे हंगरी मूल के अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस के फाउंडेशन से पैसा मिलता है। बीजेपी के एक्स पर ये भी आरोप लगाए गए हैं कि इस संगठन को जॉर्ज सोरोस की संस्था से फंडिंग मिलती है और सोनिया गांधी इस संस्था की सह-अध्यक्ष हैं।

भाजपा की तरफ से रविवार को एक के बाद एक कई सोशल मीडिया पोस्ट जारी करके कहा गया सोनिया गांधी और कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानने के विचार का समर्थन करने वाले संगठन के बीच यह संबंध भारत के आंतरिक मामलों पर विदेशी संस्थाओं के प्रभाव को दर्शाता है। पार्टी के मुताबिक, सोनिया के राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्षता के कारण जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ साझेदारी हुई, जो भारतीय संगठनों पर विदेशी वित्तपोषण के प्रभाव को दर्शाता है।

भाजपा ने कहा, सोनिया गांधी और कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानने के विचार का समर्थन करने वाले संगठन के बीच यह संबंध भारत के आंतरिक मामलों पर विदेशी संस्थाओं के प्रभाव के अलावा ऐसे संबंधों के राजनीतिक प्रभाव को जाहिर करता है। बीजेपी की ओर से आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी की राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्षता के दौरान जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ पार्टनरशिप हुई थी। सोरोस द्वारा वित्त पोषित ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष सलिल शेट्टी ने राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भाग लिया था।

भाजपा ने यह भी कहा कि अडानी पर राहुल गांधी के हमलों का जॉर्ज सोरोस की फंडिंग से चलने वाले खोजी पत्रकारों के कथित मीडिया पोर्टल ओसीसीआरपी पर सीधा प्रसारण किया गया, जबकि अडानी की आलोचना के लिए राहुल भी इसका (ओसीसीआरपी) इस्तेमाल स्रोत के तौर पर करते हैं। यह सब भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने के उनके प्रयासों को उजागर करता है। पार्टी ने यह भी कहा कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर पूर्व में सार्वजनिक तौर पर जॉर्ज सोरोस को अपना पुराना मित्र बता चुके हैं।

अमेरिका ने आरोपों को किया खारिज

भाजपा ने यह आरोप ऐसे समय लगाए हैं जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने इन आरोपों को खारिज किया था कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से वित्तपोषित संगठन और वाशिंगटन की सरकारी संस्थाओं से जुड़े तत्व भारत को अस्थिर करने के प्रयासों में शामिल हैं। अमेरिका के बयान के बाद शशि थरूर ने कहा कि भाजपा न तो लोकतंत्र को समझती है और न ही कूटनीति को। वे तुच्छ राजनीति में इतने अंधे हो गए हैं कि वे लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस और जीवंत स्वतंत्र नागरिक समाज संगठनों के महत्व को भूल जाते हैं। यह हमलावर व्यवहार भारत के लिए शर्म की बात है।

क्या है ओएसएफ

क्या है Open Society Foundations Open Society Foundations (ओएसएफ) की बात करें तो इस संस्था का पहले Open Society Institute नाम था। यह अमेरीकी संस्था है जिसे बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस ने स्थापित किया। यह संस्था दुनियाभर के सिविल सोसाइटी ग्रुप की वित्तीय मदद करती है। संस्था न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वतंत्र मीडिया के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए दुनियाभर की सोसाइटीज की वित्तीय मदद करती है।

कौन हैं जॉर्ज सोरोस

वहीं ओएसएफ के फाउंडर जॉर्ज सोरोस की बात करें तो वह कश्मीर और गौतम अडानी को लेकर दिए गए बयान की वजह से पहले भी चर्चा में रह चुके हैं। जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त 1930 को बुडापेस्ट हंगरी में हुआ उनका मूल नाम जॉर्ज श्वार्ट्ज था, लेकिन उनके परिवार ने यहूदी विरोधी माहौल से बचने के लिए अपना नाम बदलकर "सोरोस" रख लिया। जॉर्ज का बचपन नाजी जर्मनी के अत्याचारों के बीच गुजरा। उनके परिवार ने नाजियों से बचने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और विभिन्न स्थानों पर छिपकर जीवन यापन किया। जॉर्ज सोरोस ने अपना करियर वित्तीय संस्थानों में शुरू किया। 1973 में उन्होंने सोरोस फंड मैनेजमेंट नामक अपनी हेज फंड कंपनी की स्थापना की। उनकी कंपनी ने असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे वे दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में से एक बने। ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापन जॉर्ज सोरोस ने 1979 में ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापना की। यह संगठन मानवाधिकारों, लोकतंत्र, शिक्षा, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है। सोरोस ने इस फाउंडेशन को अब तक 32 बिलियन डॉलर से अधिक दान दिए हैं।

विवादों से नाता

सोरोस का कई विवादों से भी नाता रहा है। उनपर आरोप है कि वह सत्ता परिवर्तन और राजनीति को धनबल से प्रभावित करते हैं। उन्हें बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने के लिए जाना जाता है। उनपर आरोप है कि ब्रिटिश मुद्रा पाउंड को शॉर्ट करके उन्होंने 1 बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया। 29 जून 2023 को सोरोस की कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर थी। सोरोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक रहे हैं। उन्होंने 2020 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार राष्ट्रपवाद को आगे बढ़ा रही है, यह भारत के लिए सबसे बड़ा झटका है।

*ক্যান্সারের সচেতনতা ও মহিলাদের সুরক্ষা বিশেষ উদ্যোগ বারাসাত পুলিশ জেলার*

নিজস্ব প্রতিনিধি: বারাসাত পুলিশের উদ্যোগে "নারী কবজ" নামে মহিলাদের জন্য স্বাস্থ্য সচেতন অভিনব উদ্যোগ নেওয়া হল উত্তর ২৪ পরগনার দোলতলা পুলিশ লাইনে।বিশেষ করে মহিলাদের ক্যান্সার নিয়ে এই অনুষ্ঠানে আলোচনা করা হয়।এদিন বিশেষ অতিথি হিসাবে উপস্থিত ছিলেন Dr.Sonia mathai.(MD

consultant Fellowship(Gynaecological Oncology) Tata medical center,kolkata)।এইদিন চিকিৎসক সোনিয়া জানান,মহিলাদের সবচেয়ে বেশি বেস্ট ক্যান্সার হয়ে থাকে,এছাড়াও সারভাইকাল ক্যান্সার সহ অনেকধরণের ক্যান্সার হয়ে থাকে।তবে বেশি বেস্ট ক্যান্সার হয়।মহিলারা চিকিৎসকের কাছে তখনি যায়,যখন ক্যান্সার শরীরে ভালোভাবে ছড়িয়ে গেছে।মহিলারা বাড়িতেই বেস্ট ক্যান্সার রুখতে পারে,তার জন্য কি কি করতে হবে সেই বিষয়ে সকললে অবগত করে,প্রয়োজনে চিকিৎসকের পরামর্শ নিতে হবে,কি খাওয়া উচিত কি খাওয়া উচিৎ নয়,সেই সব বিষয়ে সচেতন করা হয়,এবং সকলে সচেতন হলেই,রোখা যেতে পারে এই মারণ রোগ।কোন বয়সে এসে মহিলারা প্রতিবছর শারীরিক পরিক্ষা করবে তাও এদিন তুলে ধরা হয়।

বারাসাত পুলিশ জেলার উদ্যোগ এই কর্মসূচি নেওয়া হয়।এদিনের এই অনুষ্ঠানে উপস্থিত ছিলেন বারাসাত জেলা পুলিশ সুপার প্রতীক্ষা ঝারখারিয়া,অতিরিক্ত পুলিশ সুপার স্পর্শ নিলাঙ্গী, এসডিপিও,সহ অন্যান্য পুলিশ আধিকারিকরা।এইদিন মহিলা ক্যান্সার বিশেষজ্ঞ চিকিৎসক সোনিয়া মাথাই এই ক্যান্সার রুখতে যে ভ্যাকসিন আসতে চলেছে সেই বিষয়ে এদিন সচেতন করে।কাদের ভ্যাক্সিন নেওয়ার প্রয়োজন তার জন্য বিশেষ পরিক্ষা করতে হবে,প্রতি তিনবছর থেকে পাঁচবছর অন্তর( স্ক্রিনিং টেস্ট)পরিক্ষা করানো উচিৎ। স্ক্রিনিং টেস্ট সহ ভ্যাক্সিন খরচ সাপেক্ষ,এইমুহুর্তে শুধুমাত্র মহিলা পুলিশ কর্মীদের জন্য বিনামূল্যে করা হচ্ছে,পরবর্তীতে এই বিষয়টি সোসাইটিতে কি ভাবে করানো যায় বা সকল সাধারণ মানুষকে সচেতন করা যায় সেই ব্যাপারে পুলিশ সুপার জেলাশাসক সহ প্রাশাসনিক আধিকারিকদের কথা বলবেন বলে জানালেন পুলিশ সুপার প্রতীক্ষা ঝারখারিয়া।।

मैडम अभी बिजी हैं...',सोनिया गांधी को लेकर नजमा हेपतुल्ला का बड़ा खुलासा, बताया जब करना पड़ा था एक घंटे इंतजार

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देश सियासत का पारा चढ़ने वाला है। कभी कांग्रेस नेता रहीं राज्यसभा की पूर्व उप सभापति हेपतुल्ला ने सोनिया गांधी को लेकर बड़ा खुलासा किया गया है। हेपतुल्ला ने हाल में आई अपनी आत्मकथा 'इन परस्यूट ऑफ डेमोक्रेसी: बियॉन्ड पार्टी लाइन्स' में सोनिया गांधी से जुड़ी एक घटना का उल्लेख किया है।हेपतुल्ला ने किताब में कहा है कि सोनिया गांधी ने फोन पर उन्हें 1 घंटे तक इंतजार कराया था। 1999 की बात है जब नजमा हेपतुल्ला बताती हैं कि उन्हें फोन कॉल पर सोनिया गांधी से बात करने के लिए एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा था।

नजमा ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि मैं साल 1999 में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) का अध्यक्ष चुनी गई थी। इसके बाद मैंने ने बर्लिन से कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह समाचार देने के लिए फोन किया था, लेकिन एक कर्मचारी ने उनका कॉल यह कह कर एक घंटे तक 'होल्ड' पर रखा कि 'मैडम बिजी हैं।'

पहले अटल बिहारी को किया था कॉल

हेपतुल्ला ने कहा कि आईपीयू का अध्यक्ष बनना मेरे लिए “एक ऐतिहासिक क्षण और बहुत ही सम्मान की बात थी, जो भारतीय संसद से वैश्विक संसदीय मंच तक पहुंचने की मेरी यात्रा का शिखर था।” आत्मकथा में कहा गया है कि सबसे पहले उन्होंने बर्लिन से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन किया, जिन्होंने तुरंत उनसे बात की। हेपतुल्ला ने लिखा, “जब उन्होंने यह समाचार सुना तो वह बहुत खुश हुए, एक तो इसलिए कि यह भारत के लिए सम्मान की बात थी और दूसरा इसलिए कि यह सम्मान एक भारतीय मुस्लिम महिला को मिला था। उन्होंने कहा कि आप वापस आइए, हम जश्न मनाएंगे।”

एक घंटे लाइन पर रहने के बाद भी नहीं हो सकी बात

हेपतुल्ला ने लिखा कि हालांकि, जब उन्होंने ‘‘कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष एवं अपनी नेता सोनिया गांधी को फोन किया तो उनके एक कर्मचारी ने कहा कि ‘मैडम व्यस्त हैं।' जब उन्होंने (हेपतुल्ला ने) कहा कि वह बर्लिन यानी विदेश से बात कर रही हैं तो कर्मचारी ने कहा, ‘कृपया लाइन पर रहें।' मैंने एक घंटे तक प्रतीक्षा की, लेकिन सोनिया (गांधी) ने मुझसे बात नहीं की।”

हेपतुल्ला ने कहा कि उन्हें बहुत निराशा हुई। उन्होंने लिखा, “उस कॉल के बाद मैंने उनसे कुछ नहीं कहा। आईपीयू अध्यक्ष पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ाए जाने से पहले, मैंने उनसे अनुमति ली थी और उस समय उन्होंने मुझे शुभकामना भी दी थी।”

आईपीयू अध्यक्ष बनने के बाद वाजपेयी सरकार में बढ़ा कद

आईपीयू अध्यक्ष बनने के बाद वाजपेयी सरकार ने उनके पद का दर्जा राज्य मंत्री से बढ़ाकर कैबिनेट मंत्री के बराबर कर दिया था। रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है कि अटलजी ने आईपीयू अध्यक्ष की उन देशों की यात्रा के लिए बजट में एक करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसका भुगतान आईपीयू परिषद द्वारा नहीं किया जाता था। वसुंधरा राजे ने आईपीयू अध्यक्ष के रूप में मेरे चुने जाने का जश्न मनाने के लिए मुझे और अन्य सांसदों को आमंत्रित किया था।'

BS Energy Vehicle Limited: A Rising Multibagger Stock

New Delhi, India – BS Energy Vehicle Limited, a promising player in the automotive industry, is all set to launch its Initial Public Offering (IPO) in the financial year 2025. This exciting development marks a significant milestone for the company, which has been gaining tremendous momentum in recent months. The stock is being closely watched by investors, as its value has soared from just INR 70 per share to INR 350-400 in only 15 days, reflecting its impressive growth trajectory.

IPO Details and Valuation

BS Energy Vehicle Limited, which was incorporated on July 28, 2020, has emerged as a strong contender in the automotive sector. The company, engaged in the manufacture of motor vehicles, is now preparing to offer its shares to the public at a price of INR 1400 per share through its IPO. Despite the IPO price being set at INR 1400, the current stock price remains a bargain at INR 350-400, which means investors still have time to make profitable returns before the public listing.

Strategic Partnership and Buyout

In a strategic move to expand its market presence, BS Energy Vehicle is witnessing keen interest from two of India's largest companies. These industry giants are eager to acquire a 50% stake in the company, with one already finalizing the deal. This partnership further enhances BS Energy Vehicle’s potential and positions it for exponential growth in the years to come.

Company Background

BS Energy Vehicle Private Limited is classified as a private company and is registered with the Registrar of Companies, Delhi. The company, with an authorized share capital of INR 1.5 million, has quickly made a name for itself in the motor vehicle manufacturing sector. Despite its young age, the company has attracted significant attention for its innovation and growth potential.

The company’s directors, Vishal Abrol and Sonia Abrol, bring years of experience in the automotive and business sectors, guiding the company towards success. As of the last filing, the company’s balance sheet was submitted on March 31, 2023, showing strong financial performance.

Why Invest in BS Energy Vehicle Limited?

BS Energy Vehicle has emerged as a multibagger stock, meaning its value has the potential to multiply many times over. With a dynamic leadership team, strategic industry partnerships, and a clear focus on expanding its operations, the company is poised for long-term success. The recent surge in stock price, from INR 70 to INR 350-400 in just 15 days, indicates investor confidence and market demand.

Investors looking for high-profit opportunities may find this an ideal time to invest, as the stock price could rise even further before the IPO is launched. With a valuation set at INR 1400 per share, those who act early stand to benefit from significant returns.

Future Outlook

Looking ahead, BS Energy Vehicle Limited is on a solid growth trajectory. The upcoming IPO and strategic partnerships with major Indian companies will not only fuel the company's expansion but also enhance its position as a leader in the automotive manufacturing sector. With the company’s impressive stock performance, upcoming IPO, and buyout talks, BS Energy Vehicle Limited represents an exciting opportunity for investors.

About BS Energy Vehicle Limited:

BS Energy Vehicle Limited, founded on July 28, 2020, is a leading manufacturer of motor vehicles in India. The company is classified as a non-government private entity and has made significant strides in the automotive industry, attracting key industry players and investors alike.

हरियाणा चुनाव: वोटिंग से दो दिन पहले सोनिया गांधी से मिलने पहुंची कुमारी सैलजा, क्या है मुलाकात की वजह
#haryana_assembly_elections_kumari_selja_reached_to_meet_sonia_gandhi
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। इससे पहले आज गुरुवार शाम को विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार थम जाएगा। प्रचार थमने से पहले सांसद कुमारी सैलजा ने सोनिया गांधी से मुलाकात की है। दरअसल, कुमारी सैलजा सोनिया गांधी से मिलने के लिए 10 जनपथ पहुंचीं और दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। मतदान से पहले कुमारी सैलजा का सोनिया गांधी से मिलना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सोनिया गांधी से मुकालात करने के बाद कुमारी सैलजा ने किसी से बात नहीं की। वो मीडिया से बात किए बगैर कार में वहां से निकल गईं। दोनों नेताओं की मुलाकात ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी है। सैलजा और सोनिया की मुलाकात ऐसे समय हुई जब प्रदेश कांग्रेस में खटपट मची हुई है। प् हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी किसी से छिपी हुई नहीं है। कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। ऐसे में गुटबाजी से ही बचने के लिए कांग्रेस ने राज्य में किसी को सीएम का चेहरा नहीं बनाया।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक रैली में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा का अपने हाथों से हाथ मिलवाया। इस दौरान राहुल गांधी हरियाणा की जनता को संदेश देना चाहते थे कि हरियाणा कांग्रेस में किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है और कांग्रेस के सभी नेता मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि कुमारी सैलजा टिकट बंटवारे के बाद से पार्टी से नाराज चल रही थी। क्योंकि उनके गुट की टिकट बंटवारे में नहीं चली। सैलजा ने जिन नामों का ऐलान पब्लिक में किया था, उसे भी टिकट नहीं मिला। सैलजा बाबरिया के उन बयानों से नाराज थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सांसद विधायकी का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। सैलजा का कहना था कि हाईकमान को ही फैसला करने का हक है। सैलजा हुड्डा गुट के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई उनपर टिप्पणियों से भी नाराज थी।
हरियाणा चुनाव: वोटिंग से दो दिन पहले सोनिया गांधी से मिलने पहुंची कुमारी सैलजा, क्या है मुलाकात की वजह

#haryana_assembly_elections_kumari_selja_reached_to_meet_sonia_gandhi

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। इससे पहले आज गुरुवार शाम को विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार थम जाएगा। प्रचार थमने से पहले सांसद कुमारी सैलजा ने सोनिया गांधी से मुलाकात की है। दरअसल, कुमारी सैलजा सोनिया गांधी से मिलने के लिए 10 जनपथ पहुंचीं और दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। मतदान से पहले कुमारी सैलजा का सोनिया गांधी से मिलना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सोनिया गांधी से मुकालात करने के बाद कुमारी सैलजा ने किसी से बात नहीं की। वो मीडिया से बात किए बगैर कार में वहां से निकल गईं। दोनों नेताओं की मुलाकात ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी है। सैलजा और सोनिया की मुलाकात ऐसे समय हुई जब प्रदेश कांग्रेस में खटपट मची हुई है। प्

हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी किसी से छिपी हुई नहीं है। कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। ऐसे में गुटबाजी से ही बचने के लिए कांग्रेस ने राज्य में किसी को सीएम का चेहरा नहीं बनाया।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक रैली में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा का अपने हाथों से हाथ मिलवाया। इस दौरान राहुल गांधी हरियाणा की जनता को संदेश देना चाहते थे कि हरियाणा कांग्रेस में किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है और कांग्रेस के सभी नेता मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

बता दें कि कुमारी सैलजा टिकट बंटवारे के बाद से पार्टी से नाराज चल रही थी। क्योंकि उनके गुट की टिकट बंटवारे में नहीं चली। सैलजा ने जिन नामों का ऐलान पब्लिक में किया था, उसे भी टिकट नहीं मिला। सैलजा बाबरिया के उन बयानों से नाराज थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सांसद विधायकी का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। सैलजा का कहना था कि हाईकमान को ही फैसला करने का हक है। सैलजा हुड्डा गुट के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई उनपर टिप्पणियों से भी नाराज थी।

सोनिया गांधी ने नई शिक्षा नीति पर केन्द्र को घेरा, बोलीं- शिक्षा व्यवस्था की हत्या बंद होनी चाहिए

#soniagandhitargetscenterforeducationsystem

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भारत की शिक्षा नीति को लेकर मोदी सरकार को घेरा है। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया है कि बीते एक दशक में सरकार ने केवल अपने एजेंडे को लागू करने की कोशिश की है। शिक्षा संस्थानों का निजीकरण और सांप्रदायीकरण किया गया है।

अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में लिखे लेख में सोनिया गांधी ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ‘3 सी’ एजेंडे को आगे बढ़ा रही है और इसके जरिए शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार कर रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा का केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकीकरण करती है। सोनिया ने केंद्र पर संघीय शिक्षा ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार राज्य सरकारों को महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों से बाहर रखकर शिक्षा के संघीय ढांचे को कमजोर कर रही है।

राज्य सरकारों पर दबाव बनाया जाना शर्मनाक

सोनिया गांधी ने कहा कि 2019 से शिक्षा पर केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की बैठक नहीं बुलाई गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े बड़े बदलावों को लेकर केंद्र सरकार ने राज्यों से एक बार भी बात नहीं की, जबकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पीएम श्री योजना के लिए राज्य सरकारों पर दबाव बनाया जाना और फंड रोकना शर्मनाक बात है।

शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किया गया

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष ने इस लेख में 89000 स्कूल के बंद होने, बीजेपी-आरएसएस से जुड़े लोगों की भर्ती जैसे मुद्दों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के बच्चों और युवाओं की शिक्षा के प्रति बेहद उदासीन है। इसमें शिक्षा प्रणाली को जनसेवा की भावना से वंचित रखा गया और शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि यूजीसी नियमों के नए मसौदे में राज्य सरकारों के विश्वविद्यालय में भी कुलपति की नियुक्ति से राज्यों को बाहर कर राज्यपाल के ज़रिए केंद्र सरकार को अधिकार दिया गया है जो संघवाद पर बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था की हत्या बंद होनी चाहिए।

“14 करोड़ लोगों को नहीं मिल रहा हक, जनगणना में पहली बार इतनी देरी” सोनिया ने संसद में उठाए सवाल
#sonia_gandhi_demands_govt_to_conduct_population_census_at_earliest

कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने राज्यसभा के शून्यकाल के दौरान जाति जनगणना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा। सोनिया गांधी ने जल्द से जल्द जाति जनगणना कराने की मांग उठाई। सोनिया गंधी ने कहा कि देश में करीब 14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित हो रहे हैं। राज्यसभा में अपने पहले शून्यकाल संबोधन में सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थियों की पहचान 2011 की जनगणना के आधार पर की जा रही है, जबकि देश की जनसंख्या अब काफी बढ़ चुकी है। 

सोनिया गांधी ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में पहली बार दस-वर्षीय जनगणना चार साल से ज्यादा की देरी से हो रही है। इसे 2021 में किया जाना था लेकिन अभी तक सरकार ने कोई जानकारी नहीं दी है कि इसे कब पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बजट आवंटन को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस साल भी जनगणना नहीं होगी। इस वजह से लगभग 14 करोड़ योग्य भारतीय अपने अधिकारों से वंचित रह रहे हैं।

सोनिया गांधी ने बताया कि, यूपीए सरकार के दौरान इस कानून को लाया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को खाद्यान्न और पोषण मिल सके ये सुनिश्चित करना था। कांग्रेस सांसद ने बताया कि 2013 में यूपीए सरकार के ज़रिए शुरू किया गया यह कानून देश के 140 करोड़ लोगों को भोजन और पोषण सुरक्षा देने के लिए लाया गया था। कोरोना महामारी के दौरान इस कानून ने करोड़ों गरीब परिवारों को भुखमरी से बचाने में मदद की।

कांग्रेस नेता ने बताया कि गांवों में 75% और शहरों में 50% आबादी को सस्ते अनाज का लाभ देने वाला यह कानून 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है। उस समय, कुल लाभार्थियों की संख्या 81.35 करोड़ थी, लेकिन आज 14 करोड़ और लोग इसके हकदार हैं, जो लाभ से वंचित हो रहे हैं।  सोनिया ने आगे कहा कि इस योजना के तहत लाभार्थियों का कोटा अभी भी 2011 की जनगणना की बुनियाद पर तय किया जा रहा है, जबकि यह जनगणना अब 10 साल से भी पुरानी हो चुकी है।

उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द जनगणना पूरी करने और सभी पात्र लोगों को एनएफएसए के तहत उचित लाभ देने की अपील की। सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा, 'खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक मौलिक अधिकार है।' बता दें कि सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत 1 जनवरी 2024 से अगले 5 साल तक मुफ्त अनाज वितरण की योजना जारी रखेगी।
राष्ट्रपति को लेकर सोनिया के बयान पर बवाल, बीजेपी ने कहा-सर्वोच्च पद पर बैठी आदिवासी महिला का अपमान

#bjpreactssoniagandhipoorladyremarksonpresidentdroupadimurmu

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर सोनिया गांधी की टिप्पणी पर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। बजट सत्र पर राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर सोनिया ने द्रौपदी मुर्मू को Poor Lady कहा। अब इसे लेकर राजनीति गरमा गई है। सोनिया की इस टिप्पणी को लेकर ने बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है और माफी की मांग की है। बीजेपी ने कहा कि सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति का अपमान किया है। बता दें कि सोनिया गांधी ने संसद के बाहर राष्ट्रपति को पूअर कहा। वहीं, राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति के अभिभाषण को बोरिंग बताया।

राष्ट्रपति के लिए जानबूझकर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी के लिए सोनिया गांधी ने जिस वाक्य का इस्तेमाल किया, मैं और मेरे पार्टी के सभी कार्यकर्ता उसकी कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे शब्दों का जानबूझकर इस्तेमाल कांग्रेस पार्टी की गरीब-विरोधी और आदिवासी-विरोधी नेचर को दर्शाता है।नड्डा ने कहा कि संवैधानिक पद का अपमान करना कांग्रेस की पुरानी आदत है। मेरी मांग है कि कांग्रेस पार्टी राष्ट्रपति और भारत के आदिवासी समुदायों से बिना शर्त माफी मांगे। कांग्रेस आदिवासी समुदाय से भी माफी मांगे।

सोनिया और राहुल से क्या उम्मीद की जा सकती है- धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति का अपमान किया है। कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी और उनके बेटे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के खिलाफ जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया, मैं उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता। उनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है?

सोनिया गांधी ने क्या कहा?

दरअसल, राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण पर जब पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रतिक्रिया लेने की कोशिश मीडिया ने की, तो उन्होंने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया। इस दौरान वह अपने बेटे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी से बातचीत करती दिखीं। इस दौरान उन्होंने अभिभाषण को बोरिंग बताते हुए राष्ट्रपति के लिए पूअर लेडी शब्द का प्रयोग किया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाषण के अंत तक राष्ट्रपति काफी थक गई थीं।

“वो मेरे दोस्त और मार्गदर्शक थे, उनका जाना मेरी व्यक्तिगत क्षति” मनमोहन सिंह के निधन पर सोनिया गांधी का शोक संदेश

#sonia_gandhi_condolence_on_former_pm_dr_manmohan_singh 

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। वे 92 साल के थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उनके आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि दी गई और शोक प्रस्ताव पारित किया गया।केंद्रीय सरकार ने उनके सम्मान में एक जनवरी 2025 तक सात दिनों के लिए राजकीय शोक घोषित किया है। इधर, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि देने के लिए शुक्रवार को शाम को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित किया और पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी गई। कांग्रेस की संसदीय पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने डॉ मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी। 

कांग्रेस ने सोशल साइट एक्स पर सोनिय गांधी का शोक संदेश जारी किया। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा, डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से हमने एक ऐसा नेता खो दिया है जो ज्ञान, बड़प्पन और विनम्रता का प्रतीक था। उन्होंने पूरे दिल से देश की सेवा की। उनकी करुणा और दूरदर्शिता ने लाखों भारतीयों का जीवन बदल दिया। मेरे लिए डॉ. मनमोहन सिंह का निधन एक गहरी व्यक्तिगत क्षति है। वह मेरे मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक थे। वे बहुत ही विनम्र स्वभाव के थे और अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ थे।

उन्होंने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह के निधन से हमने एक ऐसे नेता को खो दिया है जो बुद्धिमता, कुलीनता और विनम्रता के प्रतीक थे, जिन्होंने पूरे दिल और दिमाग से हमारे देश की सेवा की। कांग्रेस पार्टी के लिए एक उज्ज्वल और प्रिय मार्गदर्शक, उनकी करुणा और दूरदर्शिता ने लाखों भारतीयों के जीवन को बदल दिया और उन्हें सशक्त बनाया। सोनिया गांधी ने कहा कि भारत के लोग उन्हें उनके शुद्ध हृदय और उत्तम बुद्धि के लिए प्यार करते थे। उनकी सलाह, बुद्धिमानीपूर्ण सलाह और विचारों को हमारे देश के राजनीतिक स्पेक्ट्रम में उत्सुकता से मांगा जाता था और उनका बहुत सम्मान किया जाता था।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी वाद्रा समेत अन्य नेताओं ने मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठक के लिए कांग्रेस मुख्यालय में मुलाकात की। इस बीच, कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी मीटिंग रद्द कर दी गई। कांग्रेस स्थापना दिवस से जुड़े आयोजन भी कैंसिल हो गए हैं। पार्टी के इवेंट 3 जनवरी के बाद शुरू होंगे।

जानें किस संस्था से जुड़ी हैं सोनिया गांधी, भारत विरोधी कर रहे फंडिंग, जानें क्या है पूरी विवाद?

#soniaassociatedwithanorganisationdemandinganindependentkashmir

भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पर बड़ा आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है कि सोनिया गांधी जिस संस्था से जुड़ी हैं उसे जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन ने वित्तीय मदद की है। बीजेपी का कहना है कि सोनिया और जॉर्ज सोरोस का यह जुड़ाव भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी संस्थाओं के प्रभाव को दिखाता है। साथ ही दोनों का यह जुड़ाव भारत के विकास को रोकने और बाधित करने के संयुक्त उद्देश्य को भी दिखाता है। इसके अलावा भाजपा ने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) को लेकर राहुल गांधी को भी घेरा है।

भाजपा ने दावा किया कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सह-अध्यक्ष के तौर पर फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक (एफडीएल-एपी) फाउंडेशन से जुड़ी हैं। यह ऐसा संगठन है जो अलग कश्मीर का समर्थन करता है। यही नहीं, इसे हंगरी मूल के अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस के फाउंडेशन से पैसा मिलता है। बीजेपी के एक्स पर ये भी आरोप लगाए गए हैं कि इस संगठन को जॉर्ज सोरोस की संस्था से फंडिंग मिलती है और सोनिया गांधी इस संस्था की सह-अध्यक्ष हैं।

भाजपा की तरफ से रविवार को एक के बाद एक कई सोशल मीडिया पोस्ट जारी करके कहा गया सोनिया गांधी और कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानने के विचार का समर्थन करने वाले संगठन के बीच यह संबंध भारत के आंतरिक मामलों पर विदेशी संस्थाओं के प्रभाव को दर्शाता है। पार्टी के मुताबिक, सोनिया के राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्षता के कारण जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ साझेदारी हुई, जो भारतीय संगठनों पर विदेशी वित्तपोषण के प्रभाव को दर्शाता है।

भाजपा ने कहा, सोनिया गांधी और कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानने के विचार का समर्थन करने वाले संगठन के बीच यह संबंध भारत के आंतरिक मामलों पर विदेशी संस्थाओं के प्रभाव के अलावा ऐसे संबंधों के राजनीतिक प्रभाव को जाहिर करता है। बीजेपी की ओर से आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी की राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्षता के दौरान जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ पार्टनरशिप हुई थी। सोरोस द्वारा वित्त पोषित ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष सलिल शेट्टी ने राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भाग लिया था।

भाजपा ने यह भी कहा कि अडानी पर राहुल गांधी के हमलों का जॉर्ज सोरोस की फंडिंग से चलने वाले खोजी पत्रकारों के कथित मीडिया पोर्टल ओसीसीआरपी पर सीधा प्रसारण किया गया, जबकि अडानी की आलोचना के लिए राहुल भी इसका (ओसीसीआरपी) इस्तेमाल स्रोत के तौर पर करते हैं। यह सब भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने के उनके प्रयासों को उजागर करता है। पार्टी ने यह भी कहा कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर पूर्व में सार्वजनिक तौर पर जॉर्ज सोरोस को अपना पुराना मित्र बता चुके हैं।

अमेरिका ने आरोपों को किया खारिज

भाजपा ने यह आरोप ऐसे समय लगाए हैं जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने इन आरोपों को खारिज किया था कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से वित्तपोषित संगठन और वाशिंगटन की सरकारी संस्थाओं से जुड़े तत्व भारत को अस्थिर करने के प्रयासों में शामिल हैं। अमेरिका के बयान के बाद शशि थरूर ने कहा कि भाजपा न तो लोकतंत्र को समझती है और न ही कूटनीति को। वे तुच्छ राजनीति में इतने अंधे हो गए हैं कि वे लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस और जीवंत स्वतंत्र नागरिक समाज संगठनों के महत्व को भूल जाते हैं। यह हमलावर व्यवहार भारत के लिए शर्म की बात है।

क्या है ओएसएफ

क्या है Open Society Foundations Open Society Foundations (ओएसएफ) की बात करें तो इस संस्था का पहले Open Society Institute नाम था। यह अमेरीकी संस्था है जिसे बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस ने स्थापित किया। यह संस्था दुनियाभर के सिविल सोसाइटी ग्रुप की वित्तीय मदद करती है। संस्था न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वतंत्र मीडिया के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए दुनियाभर की सोसाइटीज की वित्तीय मदद करती है।

कौन हैं जॉर्ज सोरोस

वहीं ओएसएफ के फाउंडर जॉर्ज सोरोस की बात करें तो वह कश्मीर और गौतम अडानी को लेकर दिए गए बयान की वजह से पहले भी चर्चा में रह चुके हैं। जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त 1930 को बुडापेस्ट हंगरी में हुआ उनका मूल नाम जॉर्ज श्वार्ट्ज था, लेकिन उनके परिवार ने यहूदी विरोधी माहौल से बचने के लिए अपना नाम बदलकर "सोरोस" रख लिया। जॉर्ज का बचपन नाजी जर्मनी के अत्याचारों के बीच गुजरा। उनके परिवार ने नाजियों से बचने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और विभिन्न स्थानों पर छिपकर जीवन यापन किया। जॉर्ज सोरोस ने अपना करियर वित्तीय संस्थानों में शुरू किया। 1973 में उन्होंने सोरोस फंड मैनेजमेंट नामक अपनी हेज फंड कंपनी की स्थापना की। उनकी कंपनी ने असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे वे दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में से एक बने। ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापन जॉर्ज सोरोस ने 1979 में ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापना की। यह संगठन मानवाधिकारों, लोकतंत्र, शिक्षा, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है। सोरोस ने इस फाउंडेशन को अब तक 32 बिलियन डॉलर से अधिक दान दिए हैं।

विवादों से नाता

सोरोस का कई विवादों से भी नाता रहा है। उनपर आरोप है कि वह सत्ता परिवर्तन और राजनीति को धनबल से प्रभावित करते हैं। उन्हें बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने के लिए जाना जाता है। उनपर आरोप है कि ब्रिटिश मुद्रा पाउंड को शॉर्ट करके उन्होंने 1 बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया। 29 जून 2023 को सोरोस की कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर थी। सोरोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक रहे हैं। उन्होंने 2020 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार राष्ट्रपवाद को आगे बढ़ा रही है, यह भारत के लिए सबसे बड़ा झटका है।

*ক্যান্সারের সচেতনতা ও মহিলাদের সুরক্ষা বিশেষ উদ্যোগ বারাসাত পুলিশ জেলার*

নিজস্ব প্রতিনিধি: বারাসাত পুলিশের উদ্যোগে "নারী কবজ" নামে মহিলাদের জন্য স্বাস্থ্য সচেতন অভিনব উদ্যোগ নেওয়া হল উত্তর ২৪ পরগনার দোলতলা পুলিশ লাইনে।বিশেষ করে মহিলাদের ক্যান্সার নিয়ে এই অনুষ্ঠানে আলোচনা করা হয়।এদিন বিশেষ অতিথি হিসাবে উপস্থিত ছিলেন Dr.Sonia mathai.(MD

consultant Fellowship(Gynaecological Oncology) Tata medical center,kolkata)।এইদিন চিকিৎসক সোনিয়া জানান,মহিলাদের সবচেয়ে বেশি বেস্ট ক্যান্সার হয়ে থাকে,এছাড়াও সারভাইকাল ক্যান্সার সহ অনেকধরণের ক্যান্সার হয়ে থাকে।তবে বেশি বেস্ট ক্যান্সার হয়।মহিলারা চিকিৎসকের কাছে তখনি যায়,যখন ক্যান্সার শরীরে ভালোভাবে ছড়িয়ে গেছে।মহিলারা বাড়িতেই বেস্ট ক্যান্সার রুখতে পারে,তার জন্য কি কি করতে হবে সেই বিষয়ে সকললে অবগত করে,প্রয়োজনে চিকিৎসকের পরামর্শ নিতে হবে,কি খাওয়া উচিত কি খাওয়া উচিৎ নয়,সেই সব বিষয়ে সচেতন করা হয়,এবং সকলে সচেতন হলেই,রোখা যেতে পারে এই মারণ রোগ।কোন বয়সে এসে মহিলারা প্রতিবছর শারীরিক পরিক্ষা করবে তাও এদিন তুলে ধরা হয়।

বারাসাত পুলিশ জেলার উদ্যোগ এই কর্মসূচি নেওয়া হয়।এদিনের এই অনুষ্ঠানে উপস্থিত ছিলেন বারাসাত জেলা পুলিশ সুপার প্রতীক্ষা ঝারখারিয়া,অতিরিক্ত পুলিশ সুপার স্পর্শ নিলাঙ্গী, এসডিপিও,সহ অন্যান্য পুলিশ আধিকারিকরা।এইদিন মহিলা ক্যান্সার বিশেষজ্ঞ চিকিৎসক সোনিয়া মাথাই এই ক্যান্সার রুখতে যে ভ্যাকসিন আসতে চলেছে সেই বিষয়ে এদিন সচেতন করে।কাদের ভ্যাক্সিন নেওয়ার প্রয়োজন তার জন্য বিশেষ পরিক্ষা করতে হবে,প্রতি তিনবছর থেকে পাঁচবছর অন্তর( স্ক্রিনিং টেস্ট)পরিক্ষা করানো উচিৎ। স্ক্রিনিং টেস্ট সহ ভ্যাক্সিন খরচ সাপেক্ষ,এইমুহুর্তে শুধুমাত্র মহিলা পুলিশ কর্মীদের জন্য বিনামূল্যে করা হচ্ছে,পরবর্তীতে এই বিষয়টি সোসাইটিতে কি ভাবে করানো যায় বা সকল সাধারণ মানুষকে সচেতন করা যায় সেই ব্যাপারে পুলিশ সুপার জেলাশাসক সহ প্রাশাসনিক আধিকারিকদের কথা বলবেন বলে জানালেন পুলিশ সুপার প্রতীক্ষা ঝারখারিয়া।।

मैडम अभी बिजी हैं...',सोनिया गांधी को लेकर नजमा हेपतुल्ला का बड़ा खुलासा, बताया जब करना पड़ा था एक घंटे इंतजार

#najmaheptullashareexperiencewithcongressleader_sonia

देश सियासत का पारा चढ़ने वाला है। कभी कांग्रेस नेता रहीं राज्यसभा की पूर्व उप सभापति हेपतुल्ला ने सोनिया गांधी को लेकर बड़ा खुलासा किया गया है। हेपतुल्ला ने हाल में आई अपनी आत्मकथा 'इन परस्यूट ऑफ डेमोक्रेसी: बियॉन्ड पार्टी लाइन्स' में सोनिया गांधी से जुड़ी एक घटना का उल्लेख किया है।हेपतुल्ला ने किताब में कहा है कि सोनिया गांधी ने फोन पर उन्हें 1 घंटे तक इंतजार कराया था। 1999 की बात है जब नजमा हेपतुल्ला बताती हैं कि उन्हें फोन कॉल पर सोनिया गांधी से बात करने के लिए एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा था।

नजमा ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि मैं साल 1999 में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) का अध्यक्ष चुनी गई थी। इसके बाद मैंने ने बर्लिन से कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह समाचार देने के लिए फोन किया था, लेकिन एक कर्मचारी ने उनका कॉल यह कह कर एक घंटे तक 'होल्ड' पर रखा कि 'मैडम बिजी हैं।'

पहले अटल बिहारी को किया था कॉल

हेपतुल्ला ने कहा कि आईपीयू का अध्यक्ष बनना मेरे लिए “एक ऐतिहासिक क्षण और बहुत ही सम्मान की बात थी, जो भारतीय संसद से वैश्विक संसदीय मंच तक पहुंचने की मेरी यात्रा का शिखर था।” आत्मकथा में कहा गया है कि सबसे पहले उन्होंने बर्लिन से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन किया, जिन्होंने तुरंत उनसे बात की। हेपतुल्ला ने लिखा, “जब उन्होंने यह समाचार सुना तो वह बहुत खुश हुए, एक तो इसलिए कि यह भारत के लिए सम्मान की बात थी और दूसरा इसलिए कि यह सम्मान एक भारतीय मुस्लिम महिला को मिला था। उन्होंने कहा कि आप वापस आइए, हम जश्न मनाएंगे।”

एक घंटे लाइन पर रहने के बाद भी नहीं हो सकी बात

हेपतुल्ला ने लिखा कि हालांकि, जब उन्होंने ‘‘कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष एवं अपनी नेता सोनिया गांधी को फोन किया तो उनके एक कर्मचारी ने कहा कि ‘मैडम व्यस्त हैं।' जब उन्होंने (हेपतुल्ला ने) कहा कि वह बर्लिन यानी विदेश से बात कर रही हैं तो कर्मचारी ने कहा, ‘कृपया लाइन पर रहें।' मैंने एक घंटे तक प्रतीक्षा की, लेकिन सोनिया (गांधी) ने मुझसे बात नहीं की।”

हेपतुल्ला ने कहा कि उन्हें बहुत निराशा हुई। उन्होंने लिखा, “उस कॉल के बाद मैंने उनसे कुछ नहीं कहा। आईपीयू अध्यक्ष पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ाए जाने से पहले, मैंने उनसे अनुमति ली थी और उस समय उन्होंने मुझे शुभकामना भी दी थी।”

आईपीयू अध्यक्ष बनने के बाद वाजपेयी सरकार में बढ़ा कद

आईपीयू अध्यक्ष बनने के बाद वाजपेयी सरकार ने उनके पद का दर्जा राज्य मंत्री से बढ़ाकर कैबिनेट मंत्री के बराबर कर दिया था। रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है कि अटलजी ने आईपीयू अध्यक्ष की उन देशों की यात्रा के लिए बजट में एक करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसका भुगतान आईपीयू परिषद द्वारा नहीं किया जाता था। वसुंधरा राजे ने आईपीयू अध्यक्ष के रूप में मेरे चुने जाने का जश्न मनाने के लिए मुझे और अन्य सांसदों को आमंत्रित किया था।'

BS Energy Vehicle Limited: A Rising Multibagger Stock

New Delhi, India – BS Energy Vehicle Limited, a promising player in the automotive industry, is all set to launch its Initial Public Offering (IPO) in the financial year 2025. This exciting development marks a significant milestone for the company, which has been gaining tremendous momentum in recent months. The stock is being closely watched by investors, as its value has soared from just INR 70 per share to INR 350-400 in only 15 days, reflecting its impressive growth trajectory.

IPO Details and Valuation

BS Energy Vehicle Limited, which was incorporated on July 28, 2020, has emerged as a strong contender in the automotive sector. The company, engaged in the manufacture of motor vehicles, is now preparing to offer its shares to the public at a price of INR 1400 per share through its IPO. Despite the IPO price being set at INR 1400, the current stock price remains a bargain at INR 350-400, which means investors still have time to make profitable returns before the public listing.

Strategic Partnership and Buyout

In a strategic move to expand its market presence, BS Energy Vehicle is witnessing keen interest from two of India's largest companies. These industry giants are eager to acquire a 50% stake in the company, with one already finalizing the deal. This partnership further enhances BS Energy Vehicle’s potential and positions it for exponential growth in the years to come.

Company Background

BS Energy Vehicle Private Limited is classified as a private company and is registered with the Registrar of Companies, Delhi. The company, with an authorized share capital of INR 1.5 million, has quickly made a name for itself in the motor vehicle manufacturing sector. Despite its young age, the company has attracted significant attention for its innovation and growth potential.

The company’s directors, Vishal Abrol and Sonia Abrol, bring years of experience in the automotive and business sectors, guiding the company towards success. As of the last filing, the company’s balance sheet was submitted on March 31, 2023, showing strong financial performance.

Why Invest in BS Energy Vehicle Limited?

BS Energy Vehicle has emerged as a multibagger stock, meaning its value has the potential to multiply many times over. With a dynamic leadership team, strategic industry partnerships, and a clear focus on expanding its operations, the company is poised for long-term success. The recent surge in stock price, from INR 70 to INR 350-400 in just 15 days, indicates investor confidence and market demand.

Investors looking for high-profit opportunities may find this an ideal time to invest, as the stock price could rise even further before the IPO is launched. With a valuation set at INR 1400 per share, those who act early stand to benefit from significant returns.

Future Outlook

Looking ahead, BS Energy Vehicle Limited is on a solid growth trajectory. The upcoming IPO and strategic partnerships with major Indian companies will not only fuel the company's expansion but also enhance its position as a leader in the automotive manufacturing sector. With the company’s impressive stock performance, upcoming IPO, and buyout talks, BS Energy Vehicle Limited represents an exciting opportunity for investors.

About BS Energy Vehicle Limited:

BS Energy Vehicle Limited, founded on July 28, 2020, is a leading manufacturer of motor vehicles in India. The company is classified as a non-government private entity and has made significant strides in the automotive industry, attracting key industry players and investors alike.

हरियाणा चुनाव: वोटिंग से दो दिन पहले सोनिया गांधी से मिलने पहुंची कुमारी सैलजा, क्या है मुलाकात की वजह
#haryana_assembly_elections_kumari_selja_reached_to_meet_sonia_gandhi
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। इससे पहले आज गुरुवार शाम को विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार थम जाएगा। प्रचार थमने से पहले सांसद कुमारी सैलजा ने सोनिया गांधी से मुलाकात की है। दरअसल, कुमारी सैलजा सोनिया गांधी से मिलने के लिए 10 जनपथ पहुंचीं और दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। मतदान से पहले कुमारी सैलजा का सोनिया गांधी से मिलना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सोनिया गांधी से मुकालात करने के बाद कुमारी सैलजा ने किसी से बात नहीं की। वो मीडिया से बात किए बगैर कार में वहां से निकल गईं। दोनों नेताओं की मुलाकात ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी है। सैलजा और सोनिया की मुलाकात ऐसे समय हुई जब प्रदेश कांग्रेस में खटपट मची हुई है। प् हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी किसी से छिपी हुई नहीं है। कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। ऐसे में गुटबाजी से ही बचने के लिए कांग्रेस ने राज्य में किसी को सीएम का चेहरा नहीं बनाया।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक रैली में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा का अपने हाथों से हाथ मिलवाया। इस दौरान राहुल गांधी हरियाणा की जनता को संदेश देना चाहते थे कि हरियाणा कांग्रेस में किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है और कांग्रेस के सभी नेता मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि कुमारी सैलजा टिकट बंटवारे के बाद से पार्टी से नाराज चल रही थी। क्योंकि उनके गुट की टिकट बंटवारे में नहीं चली। सैलजा ने जिन नामों का ऐलान पब्लिक में किया था, उसे भी टिकट नहीं मिला। सैलजा बाबरिया के उन बयानों से नाराज थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सांसद विधायकी का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। सैलजा का कहना था कि हाईकमान को ही फैसला करने का हक है। सैलजा हुड्डा गुट के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई उनपर टिप्पणियों से भी नाराज थी।
हरियाणा चुनाव: वोटिंग से दो दिन पहले सोनिया गांधी से मिलने पहुंची कुमारी सैलजा, क्या है मुलाकात की वजह

#haryana_assembly_elections_kumari_selja_reached_to_meet_sonia_gandhi

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। इससे पहले आज गुरुवार शाम को विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार थम जाएगा। प्रचार थमने से पहले सांसद कुमारी सैलजा ने सोनिया गांधी से मुलाकात की है। दरअसल, कुमारी सैलजा सोनिया गांधी से मिलने के लिए 10 जनपथ पहुंचीं और दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। मतदान से पहले कुमारी सैलजा का सोनिया गांधी से मिलना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सोनिया गांधी से मुकालात करने के बाद कुमारी सैलजा ने किसी से बात नहीं की। वो मीडिया से बात किए बगैर कार में वहां से निकल गईं। दोनों नेताओं की मुलाकात ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी है। सैलजा और सोनिया की मुलाकात ऐसे समय हुई जब प्रदेश कांग्रेस में खटपट मची हुई है। प्

हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी किसी से छिपी हुई नहीं है। कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। ऐसे में गुटबाजी से ही बचने के लिए कांग्रेस ने राज्य में किसी को सीएम का चेहरा नहीं बनाया।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक रैली में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा का अपने हाथों से हाथ मिलवाया। इस दौरान राहुल गांधी हरियाणा की जनता को संदेश देना चाहते थे कि हरियाणा कांग्रेस में किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है और कांग्रेस के सभी नेता मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

बता दें कि कुमारी सैलजा टिकट बंटवारे के बाद से पार्टी से नाराज चल रही थी। क्योंकि उनके गुट की टिकट बंटवारे में नहीं चली। सैलजा ने जिन नामों का ऐलान पब्लिक में किया था, उसे भी टिकट नहीं मिला। सैलजा बाबरिया के उन बयानों से नाराज थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सांसद विधायकी का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। सैलजा का कहना था कि हाईकमान को ही फैसला करने का हक है। सैलजा हुड्डा गुट के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई उनपर टिप्पणियों से भी नाराज थी।