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पुतिन ने तालिबान को दी मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना, क्या भारत ले सकेगा ये फैसला?

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रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। ऐसा करने वाला वह पहला देश है।वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में उसकी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक अन्य किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। मगर अब रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

“साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा”

वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के साथ काबुल में बैठक की। एक्स पर बैठक का वीडियो पोस्ट करते हुए मुत्ताकी ने कहा, यह साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा। अब जब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो रूस सभी से आगे है। मुत्ताकी ने कहा, 'यह हमारे संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है।

2021 में लागू हुआ था तालिबानी शासन

तालिबान का शासन 2021 में अफगानिस्तान में लागू हुआ था। तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद से वह देश पर शासन कर रहा है। हालांकि, उसे अभी तक किसी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।

क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा?

पुतिन के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा? दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भारत का साथ दिया। बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का कांग्रेस पर बड़ा आरोप, रूसी खुफिया एजेंट थे 150 से अधिक कांग्रेसी सांसद

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और झारखंड के गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया है। निशिकांत दुबे ने सोमवार को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा 2011 में जारी एक दस्तावेज शेयर कर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि दिवंगत कांग्रेस नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व में 150 से अधिक कांग्रेस सांसदों को रूस से फंडिंग मिली थी। इन सांसदों ने रूस के एजेंट के तौर पर काम किया था।

निशिकांत दुबे ने एक्स पर पोस्ट किया, कांग्रेस, भ्रष्टाचार और गुलामी। यह अवर्गीकृत गुप्त दस्तावेज सीआईए द्वारा 2011 में जारी किया गया था। इसके अनुसार, दिवंगत कांग्रेस नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व में 150 से अधिक कांग्रेस सांसदों को सोवियत रूस द्वारा फंड किया गया था, जो रूस के एजेंट के रूप में काम कर रहे थे?

रूसी खुफिया एजेंसियों के 1100 लोग भारत में

बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि पत्रकारों का एक समूह उनका एजेंट था। रूस ने कुल 16,000 समाचार प्रकाशित कराए थे। इसका अमेरिकी खुफिया एजेंसी के दस्तावेज में जिक्र है। उस समय के आसपास रूसी खुफिया एजेंसियों के 1100 लोग भारत में थे, जो नौकरशाहों, व्यापारिक संगठनों, कम्युनिस्ट पार्टियों और राय निर्माताओं को अपनी जेब में रखकर भारत की नीतियों को आकार और सूचनाएं भी दे रहे थे।

Bollywood Film Producer & Actor Shantanu Bhamare Awarded as ‘Best Bollywood Film Producer’ In Bollywood Iconic Award - 2025 !

Bollywood Film Producer & Actor Shantanu Bhamare Awarded as ‘Best Bollywood Film Producer’ In Bollywood Iconic Award – 2025 Presented by Krishna Chouhan Foundation on Thursday 19th June 2025 at Mayor’s Hall, Andheri (West).

Chief Guest Dheeraj Kumar, Deepak Parashar, Pratima Kanan, Kannan Arunachalam, B N Tiwari, Singer Deepa Narayan Jha, Singer Rutu Pathak, ACP Sanjay Patil, Dilip Sen, Producer Actor CD Shete, Rekha Rao, Abhishek Khanna, Bright Outdoor Media representatives were presented.

Shantanu Bhamare with ACP Sanjay Patil

KCF presented this awards ceremony honoured celebrities who have established their distinct identity in the film world. Many celebrities were present in this award ceremony organized by Dr. Krishna Chauhan, among whom this name is notable. Chief guest idol Kanan, ACP Sanjay Patil, Deepak Parashar, Rekha Rao, Dilip Sen, Abhishek Khanna, Singer Sagar Acharya, Singer Naresh etc.

Shantanu Bhamare with Dheeraj Kumar, Kannan Arunachalam & B N Tiwari

On this occasion Bollywood Film Producer & Actor Shantanu Bhamare Awarded as ‘Best Bollywood Film Producer’ for his work done in Bollywood.

Shantanu Bhamare with Deepak Parashar

As a Bollywood Film Producer work done by Shantanu Bhamare :

Co – Producer Of Bollywood Film - Fire Of Love : RED. Starring Krushna Abhishek, Payal Ghosh Kamlesh Sawant, Shantanu Bhamare & Bharat Dabholkar.

Producer Of Teri Aashiqui Mein - Romantic song, he played Lead Male Role with Female Lead Elena Tuteja (Russian Actress), which got 1.2 Million Views in short period.

Producer Of Baby De Ek Chance – Romantic Pop Item Song he played Lead Male Role with Female Lead Abhilasha Suryawanshi (Miss Maharashtra), which got more than Half Million Views in short period.

Producer Of Mann Kyun Behka Ja Raha Hai - Seductive Romantic Song, he played Lead Male Role with Female Lead Anna Gavrichkova (another Russian Actress), which got 1.5 Million Views in short period.

Producer Of Tu Hi Meri Jaan – Romantic song, he played Lead Male Role with Female Lead Prachi Thorat, which got 200K+ Views in short period.

Producer Of Tere Bina Jeena Nahin – Romantic song, he played Lead Male Role with Female Lead Ruchita Aglawe.

Tags : Shantanu Bhamare, Shan Se Entertainment, Actor, Producer, Best Bollywood Film Producer, Bollywood Iconic Award

महबूबा की बेटी इल्तिजा ने पीएम मोदी को कियों दिलाई रूस में दिए बयान की याद?


#iltija_mufti_pm_modi_russia_statement

पाकिस्तान के साथ तनातनी के बीच भारत मॉक ड्रिल की तैयारियों में जुटा है। वहीं, दूसरी ओर जम्‍मू कश्‍मीर की इल्तिजा मुफ्ती ने भारत पाकिस्‍तान दोनों मुल्‍कों के बीच युद्ध न करने की अपील की है। महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती ने युद्ध के जम्मू-कश्मीर पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभावों पर चिंता जाहिर करते हुए पीएम नरेन्‍द्र मोदी को उनके रूस में दिए बयान की याद दिलाई है।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान उन्होंने जो भी हुआ, बहुत गलत हुआ और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। आतंकवादियों ने जो यहां पर किया, मैं इसकी पुरजोर तरीके से विरोध करती हूं। पहलगाम में जो हुआ, हम सभी का दिल टूटा है। जो तस्वीरें, वीडियो हमारे सामने आईं, उनसे बहुत दुख पहुंचा है। इस हमले में हम सभी ने देखा कि हमारे यहां टूरिस्टों को दिन-दहाड़े मारा गया। हिमांशी नरवाल, शान्या दुबे के लिए हम सभी लोगों को बुरा लगा। इस हमले के बाद हमसे लगातार पूछा जाता है कि क्या आपको बुरा लगा। हमें बुरा क्यों नहीं लगेगा? क्या हम इंसान नहीं हैं? एक कश्मीरी, हिन्दुस्तानी, मुस्लिम होने से पहले हम एक इंसान हैं और जो वहां पर टारगेट किलिंग हुई, सच मानिए दिल टूटा है।

युद्ध कभी भी इसका समाधान नहीं- इल्तिजा

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक के बीच तनाव है। क्या दोनों देशों के बीच युद्ध होना चाहिए? इस सवाल के जवाब में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती ने कहा कि जब भी युद्ध की बात होती है, तो जम्मू-कश्मीर के लोगों को बहुत तकलीफ़ होती है, क्योंकि हम एक सीमावर्ती राज्य हैं। हम ही हैं जो इसका खामियाज़ा भुगतेंगे और नुकसान भी उठाएंगे। उन्होंने कहा कि युद्ध कभी भी इसका समाधान नहीं है। पिछले साल जब प्रधानमंत्री मोदी रूस गए थे, तो उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि युद्ध का युग खत्म हो चुका है। मेरा मानना है कि अब उन शब्दों को याद करने का समय आ गया है।

पीएम मोदी सिर्फ हिंदू के ही प्रधानमंत्री नहीं-इल्तिजा

पीएम मोदी पर भरोसा के सवालपर उन्होंने एक कश्मीरी के तौर पर मैं काफी निराश हूं। हमें जिस प्रकार से शक की नजर से देखा जाता है। पिछले 10 दिनों में दिल्ली में कश्मीरी छात्रों, बिजनेसमैन को तंग किया जा रहा है। पीएम मोदी हमेशा एक चीज कहते हैं कि दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी। अगर आपको दिल्ली की दूरी कम करनी होगी तो आपके यहां के लोगों से बात करनी ही पड़ेगी। लेकिन, कश्मीर के लोगों से आपने बातचीत करना बंद ही कर दिया है। 2019 में जो हमारे साथ बुरा हुआ, उसके बाद मुसलमान के साथ जो हो रहा है, आपका दिल तो टूटता ही है। पीएम मोदी सिर्फ हिंदू के ही प्रधानमंत्री नहीं, सभी के प्रधानमंत्री हैं। कश्मीर में जो छह साल से चल रहा है, मैं यकीनन काफी निराश हूं।

रूस नहीं जाएंगे पीएम मोदी, पाकिस्तान से तनाव के बीच रद्द किया दौरा, विक्ट्री डे परेड में नहीं होंगे शामिल

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पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान खौफ में है कि भारत की तरफ से हमले किए जा सकते हैं। इधर, दिल्ली में पीएम मोदी लगातार बैठकें कर रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत आतंकवाद पर बड़े एक्शन की तैयारी में है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा रद्द हो गया है। पीएम मोदी को 9 मई को मॉस्को में आयोजित विजय दिवस समारोह में शामिल होना था। लेकिन अब वे विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने ये जानकारी दी है।

अब कौन करेगा भारत का प्रतिनिधित्व?

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने मॉस्को में आयोजित होने वाले विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी भले ही उपस्थित नहीं होंगे, लेकिन भारत का प्रतिनिधित्व एक अलग राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के जरिए किया जाएगा।

हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की जगह कौन इस समारोह में शामिल होंगे। वहीं, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 9 मई के कार्यक्रम में पीएम मोदी की जगह भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

भारत-पाक तनाव के बीच बड़ा फैसला

पहलगाम अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव चरम पर है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को उनके आवास पर हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति यानी सीसीएस की बैठक हुई। यह महत्वपूर्ण बैठक 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा स्थिति और भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्णय लेने वाली शीर्ष समिति की बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर दूसरी बार बुलाई गई थी। इससे पहले 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक हुई थी, जिसमें आतंकी हमले की निंदा की गई थी।

जर्मनी पर विजय का जश्न

बता दें कि रूस नौ मई को द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर विजय का जश्न मनाता है और इस वर्ष उसने 80वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लेने के लिए चुनिंदा मित्र देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। पुतिन ने इस खास मौके के लिए अपने मित्र नरेन्द्र मोदी को भी न्योता भेजा था। उस समय रूस के उपविदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने बताया था कि इस जश्न के लिए पीएम मोदी को निमंत्रण भेजा जा चुका है। हालांकि, अब जानकारी मिल रही कि पीएम मोदी मॉस्को में होने वाले विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे।

यूक्रेन में भारतीय कंपनी पर हमला, कीव के अटैक के दावों से रूस का इनकार

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रूस-यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इस बीच कीव स्थित एक भारतीय दवा कंपनी के गोदाम पर मिसाइल अटैक हुआ है। यूक्रेन ने दावा किया कि यह हमला रूस की ओर से किया गया था। यूक्रेन ने आरोप लगाया था कि 12 अप्रैल को रूस की सशस्त्र सेनाओं ने कीएव स्थित इस वेयरहाउस पर ड्रोन से हमला किया था। इस मामले में रूस की प्रतिक्रिया सामने आई है। रूस ने यूक्रेन के कीव में भारतीय दवा कंपनी के गोदाम पर हुए हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है।

कीव के दावों पर रूस ने दी सफाई

भारत स्थित रूस के दूतावास ने इस संबंध में गुरुवार को एक बयान जारी कर यूक्रेन के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है। रूस ने कहा कि उसकी सेना ने इस भारतीय स्वामित्व वाले सिविलियन ढांचे को न तो निशाना बनाया और न ही उसकी ऐसी कोई योजना थी।

रूसी दूतावास के अनुसार, उस दिन रूसी सैन्य कार्रवाई के कुछ टार्गेट थे। इनमें यूक्रेनी सैन्य उद्योग परिसर का विमान संयंत्र, सैन्य हवाई अड्डे का ढांचा और बख्तरबंद वाहन मरम्मत केंद्र और ड्रोन असेंबली वर्कशॉप शामिल थे।

दूतावास ने बयान में कहा कि संभावना है कि यूक्रेनी वायु रक्षा प्रणाली की कोई मिसाइल लक्ष्य भेदने में विफल रही और आबादी वाले इलाके़ में जा गिरी। इससे कुसुम हेल्थकेयर के वेयरहाउस में आग लग गई। ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।

रूस पर जानबूझकर भारतीय कारोबारियों को निशाना बनाने का आरोप

यूक्रेन ने राजधानी कीव में कुसुम ग्रुप की यूनिट ‘ग्लैडफार्म’ पर ड्रोन से हमले का दावा किया था। यूक्रेन में भारत के लिए राजदूत ओलेक्ज़ेंडर पोलिशचुक ने बुधवार को दावा किया कि यह हमला जानबूझकर किया गया था, क्योंकि कुसुम ग्रुप ने युद्ध के दौरान यूक्रेन को जरूरी मानवीय सहायता दी थी। इस हमले में कंपनी को लगभग 25 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।

यूक्रेन का आरोप है कि रूस अब फार्मास्युटिकल यूनिट्स और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट कर रहा है। रात के वक्त ईरान निर्मित ‘शहीद’ ड्रोन से हमले इसलिए किए जा रहे हैं ताकि दिन में इंटरसेप्ट होने से बचा जा सके।

ट्रंप के टैरिफ से रूस को रियायत, जानें पुतिन पर मेहरबानी की वजह,

#trumpdidnotimposetariffsonrussia

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 100 से भी ज्यादा कई देशों पर नए ‘रिसीप्रोकल टैरिफ’ लगाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सभी आयातों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया, जबकि जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा ज्यादा है, उन पर इससे भी ऊंचे टैरिफ लगाए गए। इस लिस्ट में चीन, भारत, जापान और यूरोपियन यूनियन जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार शामिल हैं। लेकिन रूस का नाम इस लिस्ट में नहीं था।

रूस को क्यों मिली राहत?

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लीविट ने बताया कि रूस को इस सूची में इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि यूक्रेन युद्ध के कारण उस पर पहले से ही इतने कड़े प्रतिबंध लगे हैं कि अमेरिका और रूस के बीच व्यापार शून्य हो चुका है। इसके ठीक उलट युद्धग्रस्त यूक्रेन पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। ट्रंप की इस नीति के तहत कई पूर्व सोवियत देशों को भी टैरिफ झेलना होगा, लेकिन रूस को छूट मिलने से कई विशेषज्ञ हैरान हैं।

अमेरिका और रूस के बीच कई देशों से ज्यादा व्यापार

रूस को टैरिफ से छूट मिलने के बावजूद, अमेरिका और रूस के बीच व्यापार अभी भी कुछ छोटे देशों जैसे मॉरीशस और ब्रुनेई से ज्यादा है। खास बात यह है कि मॉरीशस और ब्रुनेई को ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में शामिल किया गया, लेकिन रूस को नहीं। इस फैसले ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है और इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं।

रूसी तेल पर भारी टैरिफ की दी थी धमकी

बीते दिनों ट्रंप ने कहा था कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म नहीं करता, तो अमेरिका रूसी तेल पर भारी टैरिफ लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा, उसे अमेरिका के साथ व्यापार करने में दिक्कत होगी। लेकिन जब ट्रंप ने अपने टैरिफ की लिस्ट जारी की, तो उसमें रूस का नाम नहीं था।

मैक्सिको-कनाडा पर भी मेहरबानी

ट्रंप ने केवल रूस पर ही दरियादिली नहीं दिखाई है। डोनाल्ड ट्रंप जिन देशों को पानी पी-पीकर कोसते थे, जिन्हें बार-बार आंख दिखाते थे, उन लोगों को भी टैरिफ की लिस्ट से गायब कर दिया है। यहां बात हो रही है कनाडा और मैक्सिको की। जी हां, डोनाल्ड ट्रंप मैक्सिको और कनाडा पर ही सबसे अधिक टैरिफ को लेकर भड़ते रहे हैं। मगर अमेरिका की टैरिफ लिस्ट में न तो कनाडा था और न ही मैक्सिको। जबकि दुनियाभर के कई गरीब देशों पर भी भारी-भरकम टैरिफ लगा है।

रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर का ऐलान, एनर्जी सेक्टर पर भी नहीं करेंगे हमले

#america_on_russia_ukraine_ceasefire

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कई सालों से युद्ध चल रहा था। इसमें दोनों पक्षों को व्‍यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। खासकर यूक्रेन में व्‍यापक पैमाने पर तबाही मची है। इस बीच भारत समेत कई देशों ने युद्ध विराम की वकालत की है। अब अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की पहल पर दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान हुआ है।रूस-यूक्रेन युद्ध विराम को लेकर अमेरिका की मध्यस्थता में वार्ता हो रही। अब व्‍हाइट हाउस ने रूस और यूक्रेन के बीच पहला सीजफायर होने का ऐलान किया है। रूस और यूक्रेन के बीच ब्लैक-सी में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही और सैन्य हमले रोकने पर सहमति बन गई है। इसके साथ दोनों देश एक दूसरे के ऊर्जा ठिकानों पर हमला रोकने का उपाय डेवलप करेंगे।

व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा- दोनों देश ब्लैक-सी के इलाके में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही तय करने, बल प्रयोग को रोकने और सैन्य मकसद लिए कॉमर्शियल जहाजों का इस्तेमाल रोकने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिका युद्धबंदियों की अदला-बदली, नागरिकों की रिहाई और निर्वासित यूक्रेनी बच्चों की वापसी में मदद करेगा।

अमेरिका ने इसे लेकर यूक्रेन और रूस से अलग-अलग समझौते किए हैं। अगर ये समझौते लागू होते हैं तो रूस और यूक्रेन में व्यापर युद्धविराम की दिशा में अब तक की सबसे स्पष्ट प्रगति होगी। अमेरिका ने इसे यूक्रेन और रूस के तीन साल पुराने युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति वार्ता की दिशा में बहुत बड़ा कदम बताया है।

दोनों देशों ने कहा कि वे समझौतों को लागू करने के लिए वाशिंगटन पर निर्भर रहेंगे। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि ब्लैक-सी और ऊर्जा ठिकानों पर हमला न करने का सीजफायर तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। अगर रूस ने इस समझौते को तोड़ा तो वो राष्ट्रपति ट्रम्प से रूस पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे।

अमेरिका से पहले रूस के राष्ट्रपति ऑफिस क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा था कि सीजफायर को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। अभी कई दौर की बैठकें और होंगी। उन्होंने कहा कि रियाद में अमेरिकी अधिकारियों से हुई बैठक को जो भी नतीजा निकला उसे दोनों देशों के राष्ट्रपतियों तक पहुंचा दिया गया है। अब दोनों देश इस पर सोच-विचार करेंगे।

ये समझौते सऊदी अरब में अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच अलग-अलग बातचीत के बाद हुए हैं। सोमवार को अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब के रियाद में 12 घंटे से ज्यादा बैठक हुई थी।

सऊदी में 12 घंटे अमेरिकी और रूसी अधिकारियों का मंथन,यूक्रेन युद्ध रोकने पर कहां तक बनी बात?

#us_and_russian_officials_meeting_held_in_riyadh 

यूक्रेन जंग रोकने को लेकर सऊदी अरब के रियाद में अमेरिका और रूस के अधिकारियों ने मंथन किया। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच यह महत्वपूर्ण बैठक 12 घंटों से ज्यादा लंबी चली, जिसमें दोनों पक्षों ने युद्धविराम की कोशिशों पर प्रगति की। वहीं, रूसी मीडिया के मुताबिक, इस बैठक को लेकर अमेरिका और रूस मंगलवार यानी 25 मार्च को एक संयुक्त बयान जारी करेंगे।

अमेरिका के साथ बैठक के बाद रूसी विदेश मंत्रालय ने एक छोटा सा वीडियो जारी किया। इस वीडियो में रूसी अधिकारियों को वार्ता के खत्म होने के बाद बाहर निकलते हुए देखा जा सकता है। हालांकि, मंत्रालय की ओर से इस वीडियो पोस्ट पर कोई अन्य जानकारी नहीं दी गई। केवल लिखा गया, “रूसी-अमेरिकी बैठक खत्म हो गई है।

रूस के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और सीनियर डिप्लोमेट ग्रिगोरी करासिन ने रियाद में हुई वार्ता को ‘रचनात्मक’ के साथ-साथ ‘तकनीकि’ भी बताया है। करासिन ने बातचीत में ब्रेक के दौरान मीडिया से कहा, “सभी बैठकों में हाई-प्रोफाइल दस्तावेज या समझौते नहीं होते हैं, बैठक में महत्वपूर्ण उद्देश्य है कि संबंधित पक्षों के बीच संवाद को बनाकर रखा जाए और एक-दूसरे की स्थिति को गहनता से समझा जाए और इस संबंध में हम सफल हो रहे हैं।

हालांकि एक तरफ तो सीजफायर को लेकर बैठक चल रही थी वहीं दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन बॉर्डर पर दोनों तरफ से हमले जारी हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि जब अमेरिका और यूक्रेन के बीच रियाद के एक लक्जरी होटल में बैठक हो रही थी, तब उत्तरपूर्वी यूक्रेन के सुमी पर सोमवार को एक रूसी मिसाइल हमले में 17 बच्चों सहित लगभग 90 लोग घायल हो गए।

इससे पहले पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बातचीत की थी। इस दौरान ट्रम्प ने दोनों नेताओं से एक-दूसरे के ऊर्जा ठिकानों पर हमले न करने के लिए कहा था।

हालांकि, इस बातचीत में स्पष्टता की कमी की वजह से यह समझौता लागू नहीं हो पाया। इस दौरान दोनों देशों ने एक-दूसरे के ऊर्जा ठिकानों पर हमले भी किए।

अमेरिका यूक्रेन को पहले ही प्रस्ताव दे चुका है कि वह पावर प्लांट्स (ऊर्जा ठिकानों) की सुरक्षा के लिए उन्हें अमेरिका को सौंप दे। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने टीवी पर दिए एक बयान में बताया कि बातचीत काफी उपयोगी रही। यूक्रेन के रक्षामंत्री रुसतेम उमेरोव के मुताबिक इस बातचीत का मकसद जल्द शांति और सुरक्षा को मजबूत करना है। रविवार को इस सब पर तकनीकी बातचीत हुई। वहीं जेलेंस्की ने अपने सहयोगी देशों, खासतौर से अमेरिका से पुतिन को हमले रोकने के लिए आदेश देने के लिए कहा

रूस ने दो ब्रिटिश राजनयिकों को ‘जासूसी’ के लिए निष्कासित किया; ब्रिटेन ने आरोप को ‘निराधार’ बताया

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AP

रूस ने सोमवार को मास्को स्थित अपने दूतावास से दो ब्रिटिश राजनयिकों को जासूसी गतिविधियों में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में निष्कासित कर दिया, जिससे उसकी सुरक्षा को खतरा था। ब्रिटेन ने आरोपों को “दुर्भावनापूर्ण और निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया। सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने रूस की संघीय सुरक्षा सेवा (FSB) के बयान का हवाला देते हुए दो ब्रिटिश राजनयिकों पर देश में प्रवेश की अनुमति मांगते समय गलत व्यक्तिगत डेटा प्रदान करने और “रूस की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली कथित खुफिया और विध्वंसक गतिविधियों” में शामिल होने का आरोप लगाया।

रूस के विदेश मंत्रालय ने एक अलग बयान में कहा कि उसने ब्रिटिश दूतावास के एक अधिकारी को तलब किया है। उसने कहा, “मास्को रूसी क्षेत्र में अघोषित ब्रिटिश खुफिया अधिकारियों की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।” लंदन स्थित विदेश कार्यालय ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब रूस ने हमारे कर्मचारियों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोप लगाए हैं।” रूस ने दोनों राजनयिकों को दो सप्ताह के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा है, लेकिन ब्रिटेन ने यह नहीं बताया है कि क्या वह जवाबी कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।

हाल ही में निष्कासन रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने के बाद से राजनयिकों का आपसी निष्कासन आम बात हो गई है। रूसी समाचार आउटलेट, आरबीसी के अनुसार, 2022 की शुरुआत और अक्टूबर 2023 के बीच पश्चिमी देशों और जापान से 670 रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया गया। मॉस्को ने 346 पश्चिमी राजनयिकों को निष्कासित करके जवाब दिया। ये संख्या पिछले 20 वर्षों की संयुक्त संख्या से भी अधिक है। 

पिछले साल रूस ने सात ब्रिटिश राजनयिकों पर जासूसी करने का आरोप लगाया था, जिसे ब्रिटेन ने "निराधार" करार दिया था। सितंबर में छह निष्कासन की घोषणा की गई थी, और नवंबर में एक और निष्कासन की घोषणा की गई थी। यूक्रेन युद्ध पर ब्रिटेन के रुख और रूसी दूतावास में एक अटैची की साख को रद्द करने के उसके फैसले के कारण दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध बढ़े। इसने ब्रिटेन में मास्को की राजनयिक गतिविधियों को भी सीमित कर दिया। नवंबर निष्कासन के प्रतिशोध के रूप में पिछले महीने एक रूसी राजनयिक को ब्रिटेन छोड़ने के लिए कहा गया था। मई 2024 में, ब्रिटिश सरकार ने एक रूसी राजनयिक को निष्कासित कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि वह एक अघोषित खुफिया अधिकारी था। रूसी दूतावास से जुड़ी कई संपत्तियों को भी जासूसी में उनके कथित उपयोग के लिए बंद कर दिया गया था। कुछ दिनों बाद, रूस ने एक ब्रिटिश रक्षा अताशे को निष्कासित करके जवाबी कार्रवाई की।

पुतिन ने तालिबान को दी मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना, क्या भारत ले सकेगा ये फैसला?

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रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। ऐसा करने वाला वह पहला देश है।वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में उसकी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक अन्य किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। मगर अब रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

“साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा”

वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के साथ काबुल में बैठक की। एक्स पर बैठक का वीडियो पोस्ट करते हुए मुत्ताकी ने कहा, यह साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा। अब जब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो रूस सभी से आगे है। मुत्ताकी ने कहा, 'यह हमारे संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है।

2021 में लागू हुआ था तालिबानी शासन

तालिबान का शासन 2021 में अफगानिस्तान में लागू हुआ था। तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद से वह देश पर शासन कर रहा है। हालांकि, उसे अभी तक किसी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।

क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा?

पुतिन के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा? दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भारत का साथ दिया। बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का कांग्रेस पर बड़ा आरोप, रूसी खुफिया एजेंट थे 150 से अधिक कांग्रेसी सांसद

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और झारखंड के गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया है। निशिकांत दुबे ने सोमवार को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा 2011 में जारी एक दस्तावेज शेयर कर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि दिवंगत कांग्रेस नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व में 150 से अधिक कांग्रेस सांसदों को रूस से फंडिंग मिली थी। इन सांसदों ने रूस के एजेंट के तौर पर काम किया था।

निशिकांत दुबे ने एक्स पर पोस्ट किया, कांग्रेस, भ्रष्टाचार और गुलामी। यह अवर्गीकृत गुप्त दस्तावेज सीआईए द्वारा 2011 में जारी किया गया था। इसके अनुसार, दिवंगत कांग्रेस नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व में 150 से अधिक कांग्रेस सांसदों को सोवियत रूस द्वारा फंड किया गया था, जो रूस के एजेंट के रूप में काम कर रहे थे?

रूसी खुफिया एजेंसियों के 1100 लोग भारत में

बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि पत्रकारों का एक समूह उनका एजेंट था। रूस ने कुल 16,000 समाचार प्रकाशित कराए थे। इसका अमेरिकी खुफिया एजेंसी के दस्तावेज में जिक्र है। उस समय के आसपास रूसी खुफिया एजेंसियों के 1100 लोग भारत में थे, जो नौकरशाहों, व्यापारिक संगठनों, कम्युनिस्ट पार्टियों और राय निर्माताओं को अपनी जेब में रखकर भारत की नीतियों को आकार और सूचनाएं भी दे रहे थे।

Bollywood Film Producer & Actor Shantanu Bhamare Awarded as ‘Best Bollywood Film Producer’ In Bollywood Iconic Award - 2025 !

Bollywood Film Producer & Actor Shantanu Bhamare Awarded as ‘Best Bollywood Film Producer’ In Bollywood Iconic Award – 2025 Presented by Krishna Chouhan Foundation on Thursday 19th June 2025 at Mayor’s Hall, Andheri (West).

Chief Guest Dheeraj Kumar, Deepak Parashar, Pratima Kanan, Kannan Arunachalam, B N Tiwari, Singer Deepa Narayan Jha, Singer Rutu Pathak, ACP Sanjay Patil, Dilip Sen, Producer Actor CD Shete, Rekha Rao, Abhishek Khanna, Bright Outdoor Media representatives were presented.

Shantanu Bhamare with ACP Sanjay Patil

KCF presented this awards ceremony honoured celebrities who have established their distinct identity in the film world. Many celebrities were present in this award ceremony organized by Dr. Krishna Chauhan, among whom this name is notable. Chief guest idol Kanan, ACP Sanjay Patil, Deepak Parashar, Rekha Rao, Dilip Sen, Abhishek Khanna, Singer Sagar Acharya, Singer Naresh etc.

Shantanu Bhamare with Dheeraj Kumar, Kannan Arunachalam & B N Tiwari

On this occasion Bollywood Film Producer & Actor Shantanu Bhamare Awarded as ‘Best Bollywood Film Producer’ for his work done in Bollywood.

Shantanu Bhamare with Deepak Parashar

As a Bollywood Film Producer work done by Shantanu Bhamare :

Co – Producer Of Bollywood Film - Fire Of Love : RED. Starring Krushna Abhishek, Payal Ghosh Kamlesh Sawant, Shantanu Bhamare & Bharat Dabholkar.

Producer Of Teri Aashiqui Mein - Romantic song, he played Lead Male Role with Female Lead Elena Tuteja (Russian Actress), which got 1.2 Million Views in short period.

Producer Of Baby De Ek Chance – Romantic Pop Item Song he played Lead Male Role with Female Lead Abhilasha Suryawanshi (Miss Maharashtra), which got more than Half Million Views in short period.

Producer Of Mann Kyun Behka Ja Raha Hai - Seductive Romantic Song, he played Lead Male Role with Female Lead Anna Gavrichkova (another Russian Actress), which got 1.5 Million Views in short period.

Producer Of Tu Hi Meri Jaan – Romantic song, he played Lead Male Role with Female Lead Prachi Thorat, which got 200K+ Views in short period.

Producer Of Tere Bina Jeena Nahin – Romantic song, he played Lead Male Role with Female Lead Ruchita Aglawe.

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महबूबा की बेटी इल्तिजा ने पीएम मोदी को कियों दिलाई रूस में दिए बयान की याद?


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पाकिस्तान के साथ तनातनी के बीच भारत मॉक ड्रिल की तैयारियों में जुटा है। वहीं, दूसरी ओर जम्‍मू कश्‍मीर की इल्तिजा मुफ्ती ने भारत पाकिस्‍तान दोनों मुल्‍कों के बीच युद्ध न करने की अपील की है। महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती ने युद्ध के जम्मू-कश्मीर पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभावों पर चिंता जाहिर करते हुए पीएम नरेन्‍द्र मोदी को उनके रूस में दिए बयान की याद दिलाई है।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान उन्होंने जो भी हुआ, बहुत गलत हुआ और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। आतंकवादियों ने जो यहां पर किया, मैं इसकी पुरजोर तरीके से विरोध करती हूं। पहलगाम में जो हुआ, हम सभी का दिल टूटा है। जो तस्वीरें, वीडियो हमारे सामने आईं, उनसे बहुत दुख पहुंचा है। इस हमले में हम सभी ने देखा कि हमारे यहां टूरिस्टों को दिन-दहाड़े मारा गया। हिमांशी नरवाल, शान्या दुबे के लिए हम सभी लोगों को बुरा लगा। इस हमले के बाद हमसे लगातार पूछा जाता है कि क्या आपको बुरा लगा। हमें बुरा क्यों नहीं लगेगा? क्या हम इंसान नहीं हैं? एक कश्मीरी, हिन्दुस्तानी, मुस्लिम होने से पहले हम एक इंसान हैं और जो वहां पर टारगेट किलिंग हुई, सच मानिए दिल टूटा है।

युद्ध कभी भी इसका समाधान नहीं- इल्तिजा

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक के बीच तनाव है। क्या दोनों देशों के बीच युद्ध होना चाहिए? इस सवाल के जवाब में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती ने कहा कि जब भी युद्ध की बात होती है, तो जम्मू-कश्मीर के लोगों को बहुत तकलीफ़ होती है, क्योंकि हम एक सीमावर्ती राज्य हैं। हम ही हैं जो इसका खामियाज़ा भुगतेंगे और नुकसान भी उठाएंगे। उन्होंने कहा कि युद्ध कभी भी इसका समाधान नहीं है। पिछले साल जब प्रधानमंत्री मोदी रूस गए थे, तो उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि युद्ध का युग खत्म हो चुका है। मेरा मानना है कि अब उन शब्दों को याद करने का समय आ गया है।

पीएम मोदी सिर्फ हिंदू के ही प्रधानमंत्री नहीं-इल्तिजा

पीएम मोदी पर भरोसा के सवालपर उन्होंने एक कश्मीरी के तौर पर मैं काफी निराश हूं। हमें जिस प्रकार से शक की नजर से देखा जाता है। पिछले 10 दिनों में दिल्ली में कश्मीरी छात्रों, बिजनेसमैन को तंग किया जा रहा है। पीएम मोदी हमेशा एक चीज कहते हैं कि दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी। अगर आपको दिल्ली की दूरी कम करनी होगी तो आपके यहां के लोगों से बात करनी ही पड़ेगी। लेकिन, कश्मीर के लोगों से आपने बातचीत करना बंद ही कर दिया है। 2019 में जो हमारे साथ बुरा हुआ, उसके बाद मुसलमान के साथ जो हो रहा है, आपका दिल तो टूटता ही है। पीएम मोदी सिर्फ हिंदू के ही प्रधानमंत्री नहीं, सभी के प्रधानमंत्री हैं। कश्मीर में जो छह साल से चल रहा है, मैं यकीनन काफी निराश हूं।

रूस नहीं जाएंगे पीएम मोदी, पाकिस्तान से तनाव के बीच रद्द किया दौरा, विक्ट्री डे परेड में नहीं होंगे शामिल

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पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान खौफ में है कि भारत की तरफ से हमले किए जा सकते हैं। इधर, दिल्ली में पीएम मोदी लगातार बैठकें कर रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत आतंकवाद पर बड़े एक्शन की तैयारी में है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा रद्द हो गया है। पीएम मोदी को 9 मई को मॉस्को में आयोजित विजय दिवस समारोह में शामिल होना था। लेकिन अब वे विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने ये जानकारी दी है।

अब कौन करेगा भारत का प्रतिनिधित्व?

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने मॉस्को में आयोजित होने वाले विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी भले ही उपस्थित नहीं होंगे, लेकिन भारत का प्रतिनिधित्व एक अलग राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के जरिए किया जाएगा।

हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की जगह कौन इस समारोह में शामिल होंगे। वहीं, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 9 मई के कार्यक्रम में पीएम मोदी की जगह भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

भारत-पाक तनाव के बीच बड़ा फैसला

पहलगाम अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव चरम पर है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को उनके आवास पर हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति यानी सीसीएस की बैठक हुई। यह महत्वपूर्ण बैठक 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा स्थिति और भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्णय लेने वाली शीर्ष समिति की बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर दूसरी बार बुलाई गई थी। इससे पहले 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक हुई थी, जिसमें आतंकी हमले की निंदा की गई थी।

जर्मनी पर विजय का जश्न

बता दें कि रूस नौ मई को द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर विजय का जश्न मनाता है और इस वर्ष उसने 80वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लेने के लिए चुनिंदा मित्र देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। पुतिन ने इस खास मौके के लिए अपने मित्र नरेन्द्र मोदी को भी न्योता भेजा था। उस समय रूस के उपविदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने बताया था कि इस जश्न के लिए पीएम मोदी को निमंत्रण भेजा जा चुका है। हालांकि, अब जानकारी मिल रही कि पीएम मोदी मॉस्को में होने वाले विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे।

यूक्रेन में भारतीय कंपनी पर हमला, कीव के अटैक के दावों से रूस का इनकार

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रूस-यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इस बीच कीव स्थित एक भारतीय दवा कंपनी के गोदाम पर मिसाइल अटैक हुआ है। यूक्रेन ने दावा किया कि यह हमला रूस की ओर से किया गया था। यूक्रेन ने आरोप लगाया था कि 12 अप्रैल को रूस की सशस्त्र सेनाओं ने कीएव स्थित इस वेयरहाउस पर ड्रोन से हमला किया था। इस मामले में रूस की प्रतिक्रिया सामने आई है। रूस ने यूक्रेन के कीव में भारतीय दवा कंपनी के गोदाम पर हुए हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है।

कीव के दावों पर रूस ने दी सफाई

भारत स्थित रूस के दूतावास ने इस संबंध में गुरुवार को एक बयान जारी कर यूक्रेन के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है। रूस ने कहा कि उसकी सेना ने इस भारतीय स्वामित्व वाले सिविलियन ढांचे को न तो निशाना बनाया और न ही उसकी ऐसी कोई योजना थी।

रूसी दूतावास के अनुसार, उस दिन रूसी सैन्य कार्रवाई के कुछ टार्गेट थे। इनमें यूक्रेनी सैन्य उद्योग परिसर का विमान संयंत्र, सैन्य हवाई अड्डे का ढांचा और बख्तरबंद वाहन मरम्मत केंद्र और ड्रोन असेंबली वर्कशॉप शामिल थे।

दूतावास ने बयान में कहा कि संभावना है कि यूक्रेनी वायु रक्षा प्रणाली की कोई मिसाइल लक्ष्य भेदने में विफल रही और आबादी वाले इलाके़ में जा गिरी। इससे कुसुम हेल्थकेयर के वेयरहाउस में आग लग गई। ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।

रूस पर जानबूझकर भारतीय कारोबारियों को निशाना बनाने का आरोप

यूक्रेन ने राजधानी कीव में कुसुम ग्रुप की यूनिट ‘ग्लैडफार्म’ पर ड्रोन से हमले का दावा किया था। यूक्रेन में भारत के लिए राजदूत ओलेक्ज़ेंडर पोलिशचुक ने बुधवार को दावा किया कि यह हमला जानबूझकर किया गया था, क्योंकि कुसुम ग्रुप ने युद्ध के दौरान यूक्रेन को जरूरी मानवीय सहायता दी थी। इस हमले में कंपनी को लगभग 25 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।

यूक्रेन का आरोप है कि रूस अब फार्मास्युटिकल यूनिट्स और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट कर रहा है। रात के वक्त ईरान निर्मित ‘शहीद’ ड्रोन से हमले इसलिए किए जा रहे हैं ताकि दिन में इंटरसेप्ट होने से बचा जा सके।

ट्रंप के टैरिफ से रूस को रियायत, जानें पुतिन पर मेहरबानी की वजह,

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 100 से भी ज्यादा कई देशों पर नए ‘रिसीप्रोकल टैरिफ’ लगाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सभी आयातों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया, जबकि जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा ज्यादा है, उन पर इससे भी ऊंचे टैरिफ लगाए गए। इस लिस्ट में चीन, भारत, जापान और यूरोपियन यूनियन जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार शामिल हैं। लेकिन रूस का नाम इस लिस्ट में नहीं था।

रूस को क्यों मिली राहत?

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लीविट ने बताया कि रूस को इस सूची में इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि यूक्रेन युद्ध के कारण उस पर पहले से ही इतने कड़े प्रतिबंध लगे हैं कि अमेरिका और रूस के बीच व्यापार शून्य हो चुका है। इसके ठीक उलट युद्धग्रस्त यूक्रेन पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। ट्रंप की इस नीति के तहत कई पूर्व सोवियत देशों को भी टैरिफ झेलना होगा, लेकिन रूस को छूट मिलने से कई विशेषज्ञ हैरान हैं।

अमेरिका और रूस के बीच कई देशों से ज्यादा व्यापार

रूस को टैरिफ से छूट मिलने के बावजूद, अमेरिका और रूस के बीच व्यापार अभी भी कुछ छोटे देशों जैसे मॉरीशस और ब्रुनेई से ज्यादा है। खास बात यह है कि मॉरीशस और ब्रुनेई को ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में शामिल किया गया, लेकिन रूस को नहीं। इस फैसले ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है और इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं।

रूसी तेल पर भारी टैरिफ की दी थी धमकी

बीते दिनों ट्रंप ने कहा था कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म नहीं करता, तो अमेरिका रूसी तेल पर भारी टैरिफ लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा, उसे अमेरिका के साथ व्यापार करने में दिक्कत होगी। लेकिन जब ट्रंप ने अपने टैरिफ की लिस्ट जारी की, तो उसमें रूस का नाम नहीं था।

मैक्सिको-कनाडा पर भी मेहरबानी

ट्रंप ने केवल रूस पर ही दरियादिली नहीं दिखाई है। डोनाल्ड ट्रंप जिन देशों को पानी पी-पीकर कोसते थे, जिन्हें बार-बार आंख दिखाते थे, उन लोगों को भी टैरिफ की लिस्ट से गायब कर दिया है। यहां बात हो रही है कनाडा और मैक्सिको की। जी हां, डोनाल्ड ट्रंप मैक्सिको और कनाडा पर ही सबसे अधिक टैरिफ को लेकर भड़ते रहे हैं। मगर अमेरिका की टैरिफ लिस्ट में न तो कनाडा था और न ही मैक्सिको। जबकि दुनियाभर के कई गरीब देशों पर भी भारी-भरकम टैरिफ लगा है।

रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर का ऐलान, एनर्जी सेक्टर पर भी नहीं करेंगे हमले

#america_on_russia_ukraine_ceasefire

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कई सालों से युद्ध चल रहा था। इसमें दोनों पक्षों को व्‍यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। खासकर यूक्रेन में व्‍यापक पैमाने पर तबाही मची है। इस बीच भारत समेत कई देशों ने युद्ध विराम की वकालत की है। अब अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की पहल पर दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान हुआ है।रूस-यूक्रेन युद्ध विराम को लेकर अमेरिका की मध्यस्थता में वार्ता हो रही। अब व्‍हाइट हाउस ने रूस और यूक्रेन के बीच पहला सीजफायर होने का ऐलान किया है। रूस और यूक्रेन के बीच ब्लैक-सी में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही और सैन्य हमले रोकने पर सहमति बन गई है। इसके साथ दोनों देश एक दूसरे के ऊर्जा ठिकानों पर हमला रोकने का उपाय डेवलप करेंगे।

व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा- दोनों देश ब्लैक-सी के इलाके में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही तय करने, बल प्रयोग को रोकने और सैन्य मकसद लिए कॉमर्शियल जहाजों का इस्तेमाल रोकने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिका युद्धबंदियों की अदला-बदली, नागरिकों की रिहाई और निर्वासित यूक्रेनी बच्चों की वापसी में मदद करेगा।

अमेरिका ने इसे लेकर यूक्रेन और रूस से अलग-अलग समझौते किए हैं। अगर ये समझौते लागू होते हैं तो रूस और यूक्रेन में व्यापर युद्धविराम की दिशा में अब तक की सबसे स्पष्ट प्रगति होगी। अमेरिका ने इसे यूक्रेन और रूस के तीन साल पुराने युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति वार्ता की दिशा में बहुत बड़ा कदम बताया है।

दोनों देशों ने कहा कि वे समझौतों को लागू करने के लिए वाशिंगटन पर निर्भर रहेंगे। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि ब्लैक-सी और ऊर्जा ठिकानों पर हमला न करने का सीजफायर तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। अगर रूस ने इस समझौते को तोड़ा तो वो राष्ट्रपति ट्रम्प से रूस पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे।

अमेरिका से पहले रूस के राष्ट्रपति ऑफिस क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा था कि सीजफायर को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। अभी कई दौर की बैठकें और होंगी। उन्होंने कहा कि रियाद में अमेरिकी अधिकारियों से हुई बैठक को जो भी नतीजा निकला उसे दोनों देशों के राष्ट्रपतियों तक पहुंचा दिया गया है। अब दोनों देश इस पर सोच-विचार करेंगे।

ये समझौते सऊदी अरब में अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच अलग-अलग बातचीत के बाद हुए हैं। सोमवार को अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब के रियाद में 12 घंटे से ज्यादा बैठक हुई थी।

सऊदी में 12 घंटे अमेरिकी और रूसी अधिकारियों का मंथन,यूक्रेन युद्ध रोकने पर कहां तक बनी बात?

#us_and_russian_officials_meeting_held_in_riyadh 

यूक्रेन जंग रोकने को लेकर सऊदी अरब के रियाद में अमेरिका और रूस के अधिकारियों ने मंथन किया। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच यह महत्वपूर्ण बैठक 12 घंटों से ज्यादा लंबी चली, जिसमें दोनों पक्षों ने युद्धविराम की कोशिशों पर प्रगति की। वहीं, रूसी मीडिया के मुताबिक, इस बैठक को लेकर अमेरिका और रूस मंगलवार यानी 25 मार्च को एक संयुक्त बयान जारी करेंगे।

अमेरिका के साथ बैठक के बाद रूसी विदेश मंत्रालय ने एक छोटा सा वीडियो जारी किया। इस वीडियो में रूसी अधिकारियों को वार्ता के खत्म होने के बाद बाहर निकलते हुए देखा जा सकता है। हालांकि, मंत्रालय की ओर से इस वीडियो पोस्ट पर कोई अन्य जानकारी नहीं दी गई। केवल लिखा गया, “रूसी-अमेरिकी बैठक खत्म हो गई है।

रूस के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और सीनियर डिप्लोमेट ग्रिगोरी करासिन ने रियाद में हुई वार्ता को ‘रचनात्मक’ के साथ-साथ ‘तकनीकि’ भी बताया है। करासिन ने बातचीत में ब्रेक के दौरान मीडिया से कहा, “सभी बैठकों में हाई-प्रोफाइल दस्तावेज या समझौते नहीं होते हैं, बैठक में महत्वपूर्ण उद्देश्य है कि संबंधित पक्षों के बीच संवाद को बनाकर रखा जाए और एक-दूसरे की स्थिति को गहनता से समझा जाए और इस संबंध में हम सफल हो रहे हैं।

हालांकि एक तरफ तो सीजफायर को लेकर बैठक चल रही थी वहीं दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन बॉर्डर पर दोनों तरफ से हमले जारी हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि जब अमेरिका और यूक्रेन के बीच रियाद के एक लक्जरी होटल में बैठक हो रही थी, तब उत्तरपूर्वी यूक्रेन के सुमी पर सोमवार को एक रूसी मिसाइल हमले में 17 बच्चों सहित लगभग 90 लोग घायल हो गए।

इससे पहले पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बातचीत की थी। इस दौरान ट्रम्प ने दोनों नेताओं से एक-दूसरे के ऊर्जा ठिकानों पर हमले न करने के लिए कहा था।

हालांकि, इस बातचीत में स्पष्टता की कमी की वजह से यह समझौता लागू नहीं हो पाया। इस दौरान दोनों देशों ने एक-दूसरे के ऊर्जा ठिकानों पर हमले भी किए।

अमेरिका यूक्रेन को पहले ही प्रस्ताव दे चुका है कि वह पावर प्लांट्स (ऊर्जा ठिकानों) की सुरक्षा के लिए उन्हें अमेरिका को सौंप दे। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने टीवी पर दिए एक बयान में बताया कि बातचीत काफी उपयोगी रही। यूक्रेन के रक्षामंत्री रुसतेम उमेरोव के मुताबिक इस बातचीत का मकसद जल्द शांति और सुरक्षा को मजबूत करना है। रविवार को इस सब पर तकनीकी बातचीत हुई। वहीं जेलेंस्की ने अपने सहयोगी देशों, खासतौर से अमेरिका से पुतिन को हमले रोकने के लिए आदेश देने के लिए कहा

रूस ने दो ब्रिटिश राजनयिकों को ‘जासूसी’ के लिए निष्कासित किया; ब्रिटेन ने आरोप को ‘निराधार’ बताया

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AP

रूस ने सोमवार को मास्को स्थित अपने दूतावास से दो ब्रिटिश राजनयिकों को जासूसी गतिविधियों में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में निष्कासित कर दिया, जिससे उसकी सुरक्षा को खतरा था। ब्रिटेन ने आरोपों को “दुर्भावनापूर्ण और निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया। सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने रूस की संघीय सुरक्षा सेवा (FSB) के बयान का हवाला देते हुए दो ब्रिटिश राजनयिकों पर देश में प्रवेश की अनुमति मांगते समय गलत व्यक्तिगत डेटा प्रदान करने और “रूस की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली कथित खुफिया और विध्वंसक गतिविधियों” में शामिल होने का आरोप लगाया।

रूस के विदेश मंत्रालय ने एक अलग बयान में कहा कि उसने ब्रिटिश दूतावास के एक अधिकारी को तलब किया है। उसने कहा, “मास्को रूसी क्षेत्र में अघोषित ब्रिटिश खुफिया अधिकारियों की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।” लंदन स्थित विदेश कार्यालय ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब रूस ने हमारे कर्मचारियों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोप लगाए हैं।” रूस ने दोनों राजनयिकों को दो सप्ताह के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा है, लेकिन ब्रिटेन ने यह नहीं बताया है कि क्या वह जवाबी कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।

हाल ही में निष्कासन रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने के बाद से राजनयिकों का आपसी निष्कासन आम बात हो गई है। रूसी समाचार आउटलेट, आरबीसी के अनुसार, 2022 की शुरुआत और अक्टूबर 2023 के बीच पश्चिमी देशों और जापान से 670 रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया गया। मॉस्को ने 346 पश्चिमी राजनयिकों को निष्कासित करके जवाब दिया। ये संख्या पिछले 20 वर्षों की संयुक्त संख्या से भी अधिक है। 

पिछले साल रूस ने सात ब्रिटिश राजनयिकों पर जासूसी करने का आरोप लगाया था, जिसे ब्रिटेन ने "निराधार" करार दिया था। सितंबर में छह निष्कासन की घोषणा की गई थी, और नवंबर में एक और निष्कासन की घोषणा की गई थी। यूक्रेन युद्ध पर ब्रिटेन के रुख और रूसी दूतावास में एक अटैची की साख को रद्द करने के उसके फैसले के कारण दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध बढ़े। इसने ब्रिटेन में मास्को की राजनयिक गतिविधियों को भी सीमित कर दिया। नवंबर निष्कासन के प्रतिशोध के रूप में पिछले महीने एक रूसी राजनयिक को ब्रिटेन छोड़ने के लिए कहा गया था। मई 2024 में, ब्रिटिश सरकार ने एक रूसी राजनयिक को निष्कासित कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि वह एक अघोषित खुफिया अधिकारी था। रूसी दूतावास से जुड़ी कई संपत्तियों को भी जासूसी में उनके कथित उपयोग के लिए बंद कर दिया गया था। कुछ दिनों बाद, रूस ने एक ब्रिटिश रक्षा अताशे को निष्कासित करके जवाबी कार्रवाई की।