अग्नि देने के हक पर भी दूसरों का कब्जा, डोम-धरकार एकता समिति भोगांव का भूख हड़ताल जारी
मीरजापुर। चिता की आग पर भी प्रशासनिक दखल होने और जिला पंचायत द्वारा डोम-धरकार समाज के लोगों का हक छिनकर दूसरी जाति के लोगों को इसका ठेका दे दिए जाने से धरकार समाज के लोगों में गहरा आक्रोश है। जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन के बाद भी समाधान न होने से आक्रोशित होकर समाज के लोगों ने 2 सितंबर से भोगांव गंगा घाट पर आमरण अनशन शुरू कर दिया है जो बुधवार को तीसरे दिन भी अनवरत जारी रहा है। इस दौरान भूख हड़ताल पर बैठे धरकार समाज के लोगों ने कहा कि डोम-धरकार समाज के लोग हिंदू धर्म में प्राचीन परंपरा के अनुसार मृतको के शवों की अग्नि देने तथा जलाने का कार्य करतें आएं हैं और कर रहें हैं।
यही कार्य उनकी आजीविका का भी साधन है। इस काम से ही उनके समस्त समाज के लोग अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करतें हैं, और इसी काम से उनके बच्चों की पढ़ाई लिखाई दवाई और शादी विवाह इत्यादि कार्य होते हैं। जैसा कि डोम-धरकार समाज का जिक्र प्राचीन हिन्दू ग्रंथों तथा कथाओं में भी हुआ है, राजा हरिश्चंद्र और कल्लू डोम की कहानी जग जाहिर हैं। समाज की परंपरा और अपनी सामाजिक व्यवस्था है, जो आपसी सहमति से चलती हैं। देश के संविधान में हमारे समाज को अनुसूचित जाति में रखा गया है।
जैसा कि आज भी हमारा समाज बदहाली का जीवन जी रहा है और सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक हर रुप से पिछड़ा हुआ है फिर भी हम सरकार से कुछ नहीं मांगते, लेकिन आज जिस तरह से जिला पंचायत मीरजापुर ने श्मशान घाट का ठेका कर दिया है यह भारतीय इतिहास की पहली घटना हैं, इसके पहले किसी भी सरकार द्वारा कभी भी ऐसा कार्य नहीं किया गया, अंग्रेजी हुकूमत में भी हमारे उपर कर नहीं लगा था। विदित हो कि सन 2019 के चुनावों में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्व. जगदीश चौधरी को चुनाव में प्रस्तावक बनाकर डोम -धरकार समाज को सम्मान देने का कार्य किया था, बाद में उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री दिया हैं। वहीं दूसरी तरफ मीरजापुर के जिला पंचायत ने, न सिर्फ हमारी बल्कि पूरे हिंदू धर्म की परंपरा को समाप्त करने का काम श्मशान घाट का ठेका देकर किया है।
सहमति के नाम पर हमें गुमराह किया गया और पूरी बात नहीं बताई गई, जैसा कि भोगांव को पुराणों में छोटी काशी का दर्जा मिला हुआ हैं, जैसे काशी में मरने और शव का अंतिम संस्कार करने पर स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं, वैसे ही भोगांव में भी लोगों में अपनी आस्था है और इसी कामना को लेकर न सिर्फ मीरजापुर बल्कि भदोही, जौनपुर, आजमगढ़ सहित अन्य जगहों से लोग अपने परिजनों की अंतिम इच्छा पूरी करने आते हैं। शव लेकर आने वाले लोगों में गरीब अमीर सब तरह के लोग होते हैं, सबसे अलग-अलग कर लिया जाता है, कोई पांच सौ तो कोई सौ रुपए भी देता है, कोई अनाज तो कोई गृहस्थी का सामाना हम सभी लोगों ने बार-बार अधिकारियों के यहां गुहार लगाई लेकिन बजाय हमारी सुनने के हमारे साथ दुर्व्यवहार किया जाता रहा।
आमरण अनशन पर बैठे धरकार समाज के लोगों ने छ: सूत्रीय मांगों को रखते हुए कहा कि श्मशान घाट का ठेका तत्काल निरस्त किया जाएं तथा भविष्य में भी न किया जाए, डोम -पैकार समाज की सामाजिक व्यवस्था में हस्तक्षेप न किया जाए, शवदाह के नाम पर कोई भी शुल्क किसी भी प्रकार से न लिया जाए। नवनिर्मित शवदाह गृह के संचालन की जिम्मेदारी 'डोम थैंकार समिति' को दिया जाएं।समाज के लोगों को सरकारी योजनाओं जैसे आवास, पेंशन, राशनकार्ड, आदि सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं से जोड़ा जाएं, श्मशान घाट के संबंध में कोई भी निर्णय लेने से पहले समाज के बीच में खुली बैठक आयोजित कर सहमति ली जाएं। इस मौके पर हरिश्चंद्र केवट, राजन, जागरनाल, सत्त लाल गुनम, लाली धईकार, लल्लन धरकार, गोवर्धन मौजूद रहे हैं।
Sep 06 2024, 15:20
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