बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा-घर सपना, कभी ना टूटे...

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर अहम फैसला सुनाया है। अपराधियों और अवैध निर्माण को लेकर ‘बुलडोजर’ एक्शन काफी पॉपुलर है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बाद देश की कई राज्यों ने क्रिमिनल्स के खिलाफ नकेल कसने के लिए ‘बुलडोजर’ एक्शन को अपनाया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि कानून का शासन यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को यह पता हो कि उनकी संपत्ति को बिना किसी उचित कारण के नहीं छीना जा सकता।. जस्टिस बी.आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया।

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सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए

कोर्ट ने कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी या आरोपी है। हमारा आदेश है कि ऐसे में प्राधिकार कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर एक्शन जैसी कार्रवाई नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा है कि मौलिक अधिकारों को आगे बढ़ाने और वैधानिक अधिकारों को साकार करने के लिए कार्यपालिका को निर्देश जारी किए जा सकते हैं। फैसला पढ़ते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है।सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

सिर्फ आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं हो सकता है

जस्टिस बीआर गवई बुलडोजर एक्शन पर फैसला पढ़ते हुए कहा कि, घर होना एक ऐसी लालसा है जो कभी खत्म नहीं होती। हर परिवार का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो। एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका को दंड के रूप में आश्रय छीनने की अनुमति दी जानी चाहिए? हमें विधि के शासन के सिद्धांत पर विचार करने की आवश्यकता है जो भारतीय संविधान का आधार है।सिर्फ आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं हो सकता है।

अवैध तरीके से घर तोड़ा तो मुआवजा दें

बिना मुकदमे के घर तोड़कर सजा नहीं दी जा सकती है। हमारे पास आए मामलों में यह स्पष्ट है कि प्राधिकारों ने कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर एक्शन किया। गाइडलाइन्स पर हमने विचार किया है। अवैध तरीके से घर तोड़ा तो मुआवजा दें। मनमानी करने वाले अधिकारियों पर एक्शन की सख्त जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था अंतरिम आदेश

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया था, जिसमें अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि जब तक कोर्ट से अगला आदेश न मिले, तब तक वे किसी भी तरह के विध्वंस अभियान को रोंके। हालांकि, यह आदेश अवैध निर्माणों खासतौर पर सड़क और फुटपाथ पर बने धार्मिक ढांचों पर लागू नहीं था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और किसी भी धार्मिक संरचना को सड़कों के बीच में नहीं बनना चाहिए, क्योंकि यह सार्वजनिक मार्गों में रुकावट डालता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर गौर किया था कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप लगने या उसे दोषी ठहराए जाने के आधार पर उसके घरों और दुकानों को बुलडोजर से तोड़ने का कोई आधार नहीं है। जस्टिस बी.आर. गवाई ने कहा था, हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं, जो भी हम तय करते हैं, वह सभी नागरिकों के लिए करते हैं। किसी एक धर्म के लिए अलग कानून नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा था कि किसी भी समुदाय के सदस्य के अवैध निर्माण को हटाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म या विश्वास का हो।

तालिबान ने मुंबई में नियुक्त किया अपना “राजदूत”, मान्यता नहीं...फिर कैसे हो रही नियुक्ति?
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#taliban_appointment_of_afghan_citizen_in_mumbai_consulate
* तालिबान सरकार ने इकरामुद्दीन कामिल को मुंबई में अफगान मिशन में कार्यवाहक काउंसल के रूप में नियुक्त किया है। अफगान मीडिया के अनुसार, यह भारत में किसी अफगान मिशन के लिए तालिबान द्वारा की गई पहली ऐसी नियुक्ति है।तालिबान के कंट्रोल वाली अफगान न्यूज एजेंसी बख्तर न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इकरामुद्दीन कामिल नाम के एक शख्स की मुंबई काउंसुलेट में नियुक्ति की है। इस नियुक्ति की खबर तब आ रही है जब बीते हफ्ते काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब से भारतीय अधिकारियों की मुलाकात की थी। रिपोर्ट के अनुसार, कामिल वर्तमान में मुंबई में हैं और इस्लामी अमीरात का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कामिल का अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय में महत्वपूर्ण अनुभव रहा है, जहां उन्होंने सुरक्षा सहयोग और सीमा मामलों के विभाग में उप निदेशक के रूप में कार्य किया है। अंतरराष्ट्रीय कानून में पीएचडी धारक कामिल से अब मुंबई में अफगान नागरिकों के लिए काउंसलर सेवाएं सुगम बनाने और भारत में अफगानिस्तान के हितों का प्रतिनिधित्व करने की अपेक्षा की जा रही है। भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी है। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि विदेश मंत्रालय (एमईए) की स्‍कॉलरशिप पर भारत में सात साल तक अध्ययन करने वाले कामिल ने वाणिज्य दूतावास में “राजनयिक” के रूप में काम करने पर सहमति जताई है। हालांकि उनका स्‍टेटस फिलहाल भारत में अफगानों के लिए काम करने वाले एक अफगान नागरिक का ही है। कामिल की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब भारत और तालिबान सरकार के बीच संवाद का दौर जारी है। हाल ही में भारत के विदेश मंत्रालय के अफगानिस्तान मामलों के प्रमुख ने काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की थी। तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भी कामिल की नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, जिससे दोनों देशों के बीच बढ़ते संपर्क की झलक मिलती है। काबुल का यह कदम भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को मजबूत करने और अपनी उपस्थिति बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है। इकरामुद्दीन कामिल की नियुक्ति भारत और तालिबान के बीच एक नया संपर्क स्थापित करने का प्रयास हो सकती है। तालिबान सरकार के साथ भारत की यह बढ़ती निकटता भारत की विदेश नीति में एक बदलाव का संकेत देती है। तालिबान के इस फैसले से भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को मिर्ची लग सकती है, क्योंकि उसके तालिबानी सरकार और भारत के साथ रिश्ते सामान्य नहीं है। इसके अलावा पाकिस्तान हमेशा तालिबान पर आतंक फैलाने का आरोप लगाता रहता है।
तालिबान ने मुंबई में नियुक्त किया अपना “राजदूत”, मान्यता नहीं...फिर कैसे हो रही नियुक्ति?

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तालिबान सरकार ने इकरामुद्दीन कामिल को मुंबई में अफगान मिशन में कार्यवाहक काउंसल के रूप में नियुक्त किया है। अफगान मीडिया के अनुसार, यह भारत में किसी अफगान मिशन के लिए तालिबान द्वारा की गई पहली ऐसी नियुक्ति है।तालिबान के कंट्रोल वाली अफगान न्यूज एजेंसी बख्तर न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इकरामुद्दीन कामिल नाम के एक शख्स की मुंबई काउंसुलेट में नियुक्ति की है। इस नियुक्ति की खबर तब आ रही है जब बीते हफ्ते काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब से भारतीय अधिकारियों की मुलाकात की थी।

रिपोर्ट के अनुसार, कामिल वर्तमान में मुंबई में हैं और इस्लामी अमीरात का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कामिल का अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय में महत्वपूर्ण अनुभव रहा है, जहां उन्होंने सुरक्षा सहयोग और सीमा मामलों के विभाग में उप निदेशक के रूप में कार्य किया है। अंतरराष्ट्रीय कानून में पीएचडी धारक कामिल से अब मुंबई में अफगान नागरिकों के लिए काउंसलर सेवाएं सुगम बनाने और भारत में अफगानिस्तान के हितों का प्रतिनिधित्व करने की अपेक्षा की जा रही है।

भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी है। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि विदेश मंत्रालय (एमईए) की स्‍कॉलरशिप पर भारत में सात साल तक अध्ययन करने वाले कामिल ने वाणिज्य दूतावास में “राजनयिक” के रूप में काम करने पर सहमति जताई है। हालांकि उनका स्‍टेटस फिलहाल भारत में अफगानों के लिए काम करने वाले एक अफगान नागरिक का ही है।

कामिल की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब भारत और तालिबान सरकार के बीच संवाद का दौर जारी है। हाल ही में भारत के विदेश मंत्रालय के अफगानिस्तान मामलों के प्रमुख ने काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की थी। तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भी कामिल की नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, जिससे दोनों देशों के बीच बढ़ते संपर्क की झलक मिलती है।

काबुल का यह कदम भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को मजबूत करने और अपनी उपस्थिति बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है। इकरामुद्दीन कामिल की नियुक्ति भारत और तालिबान के बीच एक नया संपर्क स्थापित करने का प्रयास हो सकती है। तालिबान सरकार के साथ भारत की यह बढ़ती निकटता भारत की विदेश नीति में एक बदलाव का संकेत देती है। तालिबान के इस फैसले से भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को मिर्ची लग सकती है, क्योंकि उसके तालिबानी सरकार और भारत के साथ रिश्ते सामान्य नहीं है। इसके अलावा पाकिस्तान हमेशा तालिबान पर आतंक फैलाने का आरोप लगाता रहता है।

कश्मीर में बर्फबारी से बदला दिल्ली-एनसीआर का मौसम, हर तरफ छाया कोहरा, जल्द होगी कंपकपाती की ठंड की शुरुआत*
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मॉनसून की विदाई के बाद से लोगों को ठंड का इंतजार है। आधा नवंबर बीतने को है पर लोगों के घरों में पंखे चल रहे हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर की घाटी में सफेद चादर ने मैदानी इलाकों के लोगों के चहरे की खुशी बिखेर दी है। ऊपरी इलाकों, गुलमर्ग और सोनमर्ग में इस मौसम की बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश ने मौसम बदल दिया है।दिल्ली एनसीआर समेत देश के ज्यादातर राज्यों में गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी है। कश्मीर में हुई बर्फबारी की वजह से वादियों ने सफेद चादर ओढ़ ली है। जानकारी के मुताबिक बर्फबारी की वजह से तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के मैदानी इलाकों में सुबह और शाम के वक्त हल्का कोहरा छाया रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के पूर्वानुमान के मुताबिक 13 नवंबर से 16 नवंबर के बीच कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में बारिश और बर्फबारी हो सकती है। इधर मौसम विभाग (आईएमडी) ने मैदानी इलाकों के लिए भी भविष्यवाणी कर दी है। मैदानी इलाकों में जल्द भी जल्द ही मौसम बदलने वाला है। आईएमडी ने बताया कि इस महीने के 15 तारीख के बाद से ठंड की शुरुआत हो जाएगी। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सहित दिल्ली-एनसीआर में सुबह-शाम हल्की ठंड महसूस होने लगी है। वहीं, दक्षिण भारत में चेन्नई, तिरुवनंतपुरम और गोवा में बारिश का दौर जारी है। वहीं, उत्तर प्रदेश-बिहार सहित कई राज्यों में घने कोहरे छाए रहने की संभावना है। वहीं, मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में तापमान अभी बढ़ा हुआ है। दिन का तापमान 30 °C बना हुआ है। वहीं, रात का तापमान 16 से 18 °C बना हुआ है। अधिकतम तापमान 4 से 5 °C और न्यूनतम तापमान 2 से 3 °C अधिक बना हुआ है। वहीं, रात में हवा 10 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही है। इसके अलावा सुबह धुंध बने रहने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार 13 नवंबर को अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। हालांकि दिल्ली अभी भी गैस चैंबर बनी हुई है। हवा की गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे से काम चल रही है, जिस वजह से दिल्ली का औसत एकक्यूआई बुधवार की सुबह 6:00 बजे 349 दर्ज किया गया।
कश्मीर में बर्फबारी से बदला दिल्ली-एनसीआर का मौसम, हर तरफ छाया कोहरा, जल्द होगी कंपकपाती की ठंड की शुरुआत*
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मॉनसून की विदाई के बाद से लोगों को ठंड का इंतजार है। आधा नवंबर बीतने को है पर लोगों के घरों में पंखे चल रहे हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर की घाटी में सफेद चादर ने मैदानी इलाकों के लोगों के चहरे की खुशी बिखेर दी है। ऊपरी इलाकों, गुलमर्ग और सोनमर्ग में इस मौसम की बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश ने मौसम बदल दिया है।दिल्ली एनसीआर समेत देश के ज्यादातर राज्यों में गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी है। कश्मीर में हुई बर्फबारी की वजह से वादियों ने सफेद चादर ओढ़ ली है। जानकारी के मुताबिक बर्फबारी की वजह से तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के मैदानी इलाकों में सुबह और शाम के वक्त हल्का कोहरा छाया रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के पूर्वानुमान के मुताबिक 13 नवंबर से 16 नवंबर के बीच कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में बारिश और बर्फबारी हो सकती है। इधर मौसम विभाग (आईएमडी) ने मैदानी इलाकों के लिए भी भविष्यवाणी कर दी है। मैदानी इलाकों में जल्द भी जल्द ही मौसम बदलने वाला है। आईएमडी ने बताया कि इस महीने के 15 तारीख के बाद से ठंड की शुरुआत हो जाएगी। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सहित दिल्ली-एनसीआर में सुबह-शाम हल्की ठंड महसूस होने लगी है। वहीं, दक्षिण भारत में चेन्नई, तिरुवनंतपुरम और गोवा में बारिश का दौर जारी है। वहीं, उत्तर प्रदेश-बिहार सहित कई राज्यों में घने कोहरे छाए रहने की संभावना है। वहीं, मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में तापमान अभी बढ़ा हुआ है। दिन का तापमान 30 °C बना हुआ है। वहीं, रात का तापमान 16 से 18 °C बना हुआ है। अधिकतम तापमान 4 से 5 °C और न्यूनतम तापमान 2 से 3 °C अधिक बना हुआ है। वहीं, रात में हवा 10 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही है। इसके अलावा सुबह धुंध बने रहने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार 13 नवंबर को अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। हालांकि दिल्ली अभी भी गैस चैंबर बनी हुई है। हवा की गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे से काम चल रही है, जिस वजह से दिल्ली का औसत एकक्यूआई बुधवार की सुबह 6:00 बजे 349 दर्ज किया गया।
कश्मीर में बर्फबारी से बदला दिल्ली-एनसीआर का मौसम, हर तरफ छाया कोहरा, जल्द होगी कंपकपाती की ठंड की शुरुआत

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मॉनसून की विदाई के बाद से लोगों को ठंड का इंतजार है। आधा नवंबर बीतने को है पर लोगों के घरों में पंखे चल रहे हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर की घाटी में सफेद चादर ने मैदानी इलाकों के लोगों के चहरे की खुशी बिखेर दी है। ऊपरी इलाकों, गुलमर्ग और सोनमर्ग में इस मौसम की बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश ने मौसम बदल दिया है।दिल्ली एनसीआर समेत देश के ज्यादातर राज्यों में गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी है।

कश्मीर में हुई बर्फबारी की वजह से वादियों ने सफेद चादर ओढ़ ली है। जानकारी के मुताबिक बर्फबारी की वजह से तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के मैदानी इलाकों में सुबह और शाम के वक्त हल्का कोहरा छाया रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के पूर्वानुमान के मुताबिक 13 नवंबर से 16 नवंबर के बीच कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में बारिश और बर्फबारी हो सकती है।

इधर मौसम विभाग (आईएमडी) ने मैदानी इलाकों के लिए भी भविष्यवाणी कर दी है। मैदानी इलाकों में जल्द भी जल्द ही मौसम बदलने वाला है। आईएमडी ने बताया कि इस महीने के 15 तारीख के बाद से ठंड की शुरुआत हो जाएगी। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सहित दिल्ली-एनसीआर में सुबह-शाम हल्की ठंड महसूस होने लगी है। वहीं, दक्षिण भारत में चेन्नई, तिरुवनंतपुरम और गोवा में बारिश का दौर जारी है। वहीं, उत्तर प्रदेश-बिहार सहित कई राज्यों में घने कोहरे छाए रहने की संभावना है।

वहीं, मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में तापमान अभी बढ़ा हुआ है। दिन का तापमान 30 °C बना हुआ है। वहीं, रात का तापमान 16 से 18 °C बना हुआ है। अधिकतम तापमान 4 से 5 °C और न्यूनतम तापमान 2 से 3 °C अधिक बना हुआ है। वहीं, रात में हवा 10 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही है। इसके अलावा सुबह धुंध बने रहने की संभावना है।

मौसम विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार 13 नवंबर को अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। हालांकि दिल्ली अभी भी गैस चैंबर बनी हुई है। हवा की गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे से काम चल रही है, जिस वजह से दिल्ली का औसत एकक्यूआई बुधवार की सुबह 6:00 बजे 349 दर्ज किया गया।

सीआईएसएफ को मिलेगी ऑल वुमेन बटालियन, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
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केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में महिला सैनिकों की भागीदारी बढ़ेगी। सीआईएसएफ में पहली बार महिला बटालियन बनाई जा रही है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने एक हजार से अधिक कर्मियों वाली पहली पूर्ण महिला रिजर्व बटालियन तैयार करने को मंजूरी दी है। सीनियर कमांडेंट रैंक के अफसर इस फोर्स का नेतृत्व करेंगे।इस बटालियन की तैनाती देशभर के एयरपोर्ट्स पर की जाएगी।

*बटालियन में 1025 महिला जवान*
गृह मंत्रालय ने 1 हजार से अधिक कर्मियों वाली पहली ऑल वुमेन बटालियन तैयार करने को मंजूरी दी है। यह फैसला एयरपोर्ट और अन्य अहम संस्थानों में सीआईएसएफ जवानों की ड्यूटी की बढ़ती जरूरत के मद्देनजर लिया गया है। जानकारी के मुताबिक, इस बटालियन को पहले से स्वीकृत 2 लाख कर्मियों के बल से तैयार किया जाएगा। रिजर्व बटालियन में 1025 महिला जवान होंगी। इस बटालियन का नेतृत्व वरिष्ठ कमांडेंट लेवल का अधिकारी करेगा।

*हो चुकी हैं तैयारियां शुरू*
सीआईएसएफ मुख्यालय ने नई बटालियन के मुख्यालय के लिए जल्द भर्ती, ट्रेनिंग और स्थान के चयन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रशिक्षण विशेष रूप से एक उत्कृष्ट बटालियन बनाने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है जो वीआईपी सुरक्षा में कमांडो के रूप में बहुविध भूमिका निभाने में सक्षम हो और साथ ही हवाई अड्डों, दिल्ली मेट्रो रेल ड्यूटी की सुरक्षा भी कर सके। 53वें सीआईएसएफ दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री के निर्देश के अनुसरण में बल में सभी महिला बटालियनों के निर्माण का प्रस्ताव शुरू किया गया था।

*68 एयरपोर्ट और स्मारकों के लिए महिला जवानों की जरूरत*
अधिकारियों के मुताबिक सीआईएसएफ के पास देश के 68 एयरपोर्ट समेत दिल्ली मेट्रो, लाल किला और ताजमहल की सुरक्षा का जिम्मा है। यहां पर बड़ी संख्या में महिला जवानों की जरूरत है। इसके लिए सरकार को पूर्ण महिला रिजर्व बटालियन के गठन का प्रस्ताव दिया गया था। इसके अलावा सीआईएसएफ परमाणु और एयरोस्पेस से जुड़े संस्थानों समेत निजी क्षेत्र के संस्थानों को आतंकवाद विरोधी सुरक्षा देता है। इसमें इन्फोसिस का बंगलूरू और पुणे कार्यालय, जामनगर में रिलायंस की रिफाइनरी शामिल है।
महाराष्ट्र चुनाव से पहले अजित पवार ने बदली “पटरी”, बीजेपी और शिवसेना पर कितना होगा असर?
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#mahayuti_politics_in_maharashtra_what_impact_ajit_pawar_statements
महाराष्ट्र चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन महायुति की दो प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना हिंदुत्व की पिच पर खुलकर बैटिंग कर रही हैं। महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव इस बार पहला ऐसा चुनाव है जिस चुनाव में बीजेपी और उसके फायरब्रैंड ने खुलकर हिंदुत्व का कार्ड खेल रही हैं। इसकी शुरुआत योगी आदित्यनाथ की। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा दिया। बीजेपी के साथ ही शिवसेना ने भी इस नारे का समर्थन किया है। वहीं महायुति के ही एक घटक अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इसके विरोध में खुलकर उतर आई है। अजित पवार ने साफ कह दिया है कि इसका समर्थन नहीं करता हूं। ये यूपी या झारखंड में चलता होगा, महाराष्ट्र में नहीं चलता।

योगी ने यूपी में दिए अपने नारे को महाराष्ट्र में भी आजमाया जिसके बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया। बयान को लेकर इस कदर सियासत हुई कि महायुति में शामिल एनसीपी के मुखिया अजित पवार ने अपना गियर बदल दिया। अजीत पवार ने यहां तक कहा डाला कि मैं शिवाजी से प्रेरणा लेकर बार-बार कहता हूं कि जब-जब बंटेंगे, तब-तब कटेंगे। अगर एक रहेंगे तो नेक और सेफ रहेंगे।

यही नहीं, अजित पवार ने साफ कर दिया है कि जहां जहां महायुति की ओर से उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है वहां पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की जरूरत नहीं है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे इस प्रकार के हिंदुत्व वाले विचारों के समर्थक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास पर चलते हैं।

सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी के सहयोगी दल एनसीपी को इससे क्या दिक्कत हो रही है? माना जा रहा है कि अजित पवार को अपने वोटबैंक और उम्मीदवारों की चिंता है इसलिए उन्होंने सीएम योगी के नारे से खुद को किनारा कर लिया।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार ने इसलिए सीएम योगी के बयान का समर्थन नहीं किया क्योंकि इससे मुस्लिम वोटरों के खिसकने का डर है। इसके साथ-साथ एनसीपी अजित पवार गुट ने नवाब मलिक को चुनाव मैदान में उतारा है जो मुस्लिम समुदाय से हैं। ऐसे में अगर अजित पवार योगी के नारे का समर्थन करते हैं तो पार्टी में भी मतभेद की भी स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए अजित पवार को कहना पड़ा कि महाराष्ट्र में ये सब नहीं चलेगा।

वहीं, अजित के स्टैंड के बाद कयास महायुति में दरार के भी लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि अजित पवार ने इन बातों से चुनाव बाद बदलते समीकरण की ओर इशारा किया है।जानकारों का मानना है कि चुनाव बाद परिणामों पर नजर के बाद अजित पवार आगे की रणनीति पर काम कर सकते हैं। यह अलग बात है कि इस बार उनके चाचा शरद पवार किसी भी हालत में उनकी वापसी को मंजूर करने के मूड में दिख नहीं रहे हैं।
क्या भारतीयों के लिए मुश्किल खड़ी करेंगे ट्रंप? अमेरिका जाकर काम करने वालों की नजरें नए राष्ट्रपति की पॉलिसी पर*
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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। हाल ही में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में भारतीय मूल की कमला हैरिस को हराकर बड़ी जीत हासिल की है। ट्रंप जीत के साथ ही उनकी विदेश नीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप का 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' नारे के साथ वापस सत्ता में आए हैं। इससे स्पष्ट है कि उनकी नीतियां इसी नारे के इर्द-गिर्द रहेंगी। चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रंप का प्रवासियों को लेकर सख्त रुख सबको टेंशन में डाल रहा है। यह सवाल सबको टेंशन दे रहा है कि क्या अमेरिका का ग्रीन कार्ड हासिल करना भारतीयों के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा? डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद भारत की नजर उनकी वीजा पॉलिसी पर है। उनकी नीतियां प्रवासियों के लिए काफी मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। वह पूरे चुनाव के दौरान इस मुद्दे पर काफी मुखर रहे हैं। यही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप का बतौर राष्ट्रपति पहले कार्यकाल में H-1B पर काफी सख्त रुख रहा। ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी नौकरियां दूसरे देशों के नागरिकों को मिल रही हैं। उन्होंने H-1B वीजा के लिए योग्यता के पैमाने को सख्त कर दिया था। वीजा मिलने में लगाने वाला समय भी बढ़ गया था। साथ ही, वीजा एप्लिकेशन रिजेक्ट होने की दर भी बढ़ी थी। *भारतीयों के अमेरिका में नौकरियों पर होगा असर* ट्रंप की उस पॉलिसी का भारतीय पेशेवरों और टेक्नोलॉजी कंपनियों पर काफी असर दिखा था। अगर ट्रंप अपनी पुरानी पॉलिसी पर अड़े रहे तो भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरियों के अवसर कम हो सकते है। *H-1B वीजाधारकों में सबसे ज्यादा भारतीय* बता दें कि बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिका के टेक्नोलॉजी सेक्टर में काम करते हैं और वे वहां H-1B वीजा पर जाते हैं। अमेरिकी कंपनियों की डिमांड चलते भारत के आईटी प्रोफेशनल को सबसे अधिक H-1B वीजा मिलता है। अमेरिकी सरकार का डेटा भी बताता है कि पिछले कुछ साल में H-1B वीजाधारकों में सबसे ज्यादा भारतीय हैं। वित्त वर्ष 2023 में कुल (3.86 लाख) H-1B स्वीकृत हुए। इसमें से 72.3 फीसदी यानी 2.79 लाख भारतीयों के पास थीं। चीनी कर्मचारी दूसरे स्थान पर थे, जिन्हें कुल H-1B वीजा का 11.7 फीसदी मिला था। *अमेरिका में ग्रीन कार्ड आवेदकों पर भी होगा असर* हालांकि, राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने RAISE (मजबूत रोजगार के लिए अमेरिकी आप्रवासन में सुधार) अधिनियम, 2017 का समर्थन किया था, जिसका मकसद कानूनी आव्रजन को आधा करना था। इसका मतलब यह होगा कि ग्रीन कार्ड की संख्या 10 लाख से घटाकर लगभग 5 लाख सालाना करने का प्रावधान है। अगर ये कानून ट्रंप लागू करते हैं तो भारतीय कामगारों पर इसका बड़ा असर होगा, क्योंकि अमेरिका में ग्रीन कार्ड आवेदकों और कुशल विदेशी कामगारों में बड़ा हिस्सा भारतीय हैं। *विदेशी स्नातकों के लिए ऑटोमेटिक ग्रीन कार्ड* यह नीति अमेरिका में डिग्री हासिल करने वाले भारतीय छात्रों को स्नातक होने के बाद ग्रीन कार्ड के लिए ऑटोमेटिक रास्ता देती है। कई भारतीय छात्र हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका जाते हैं और काम करने के लिए अमेरिका में ही रहने की उम्मीद करते हैं। ऐसे में ऑटोमेटिक ग्रीन कार्ड एच-1बी जैसी लंबी और अनिश्चित वीजा प्रक्रियाओं की जरूरतों को दूर कर सकता है और भारतीय स्नातकों को फौरन नौकरी और बसने की मंजूरी मिल सकती है। *परिवार के सदस्यों को लाने की उम्मीद करने वालों पर असर* हालांकि, ग्रीन कार्ड के लिए परिवार के सदस्यों को अमेरिका लाने की उम्मीद पाले बैठे भारतीयों को कुछ बंदिशों का सामना करना पड़ सकता हैं। कई भारतीय माता-पिता, भाई-बहन या वयस्क बच्चों को अमेरिका लाने के लिए परिवार आधारित कैटेगरी का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, RAISE अधिनियम मॉडल के तहत पति-पत्नी और नाबालिग बच्चों तक सीमित हो जाएंगे, जिससे परिवार के पुनर्मिलन पर असर पड़ेगा।
जयराम रमेश ने भाजपा द्वारा चुनाव आयोग में की गई शिकायत के बाद राहुल गांधी का किया बचाव
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* कांग्रेस ने मंगलवार को पार्टी नेता और विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी का बचाव किया, जब भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में निवेश को गुजरात में स्थानांतरित करने के बारे में उनकी टिप्पणी को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया। भाजपा ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी राज्यों के बीच दुश्मनी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मंगलवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एएनआई से कहा कि महाराष्ट्र के लिए कई परियोजनाएं और निवेश गुजरात में स्थानांतरित कर दिए गए हैं। “वे किस बारे में शिकायत कर रहे हैं? राहुल गांधी ने क्या कहा है? सभी ने यही कहा है। अखबारों में छपा है कि महाराष्ट्र में आने वाली कई परियोजनाएं और निवेश प्रधानमंत्री ने गुजरात में स्थानांतरित कर दिए हैं। यही हमने कहा है, कि आपने महाराष्ट्र के साथ भेदभाव किया है,” रमेश ने समाचार एजेंसी से कहा। उन्होंने आगे कहा: “आप (भाजपा) सबका साथ, सबका विकास की बात करते हैं। इसलिए, सभी राज्यों में विकास लाएं।” कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी तथा राज्यसभा सांसद ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में निवेश करने के इच्छुक लोगों को गुजरात जाने के लिए धमकाया नहीं जाना चाहिए, क्योंकि महाराष्ट्र में पहले से ही बुनियादी ढांचा मौजूद है। "जो लोग महाराष्ट्र में निवेश करना चाहते हैं, आप उन्हें धमकाकर गुजरात जाने के लिए नहीं कह सकते। अगर गुजरात को परियोजनाओं के लिए निवेश मिलता है तो हम उसका स्वागत करेंगे, लेकिन महाराष्ट्र में निवेश करने के इच्छुक लोगों को न रोकें, जहां बुनियादी ढांचा मौजूद है। यही बात राहुल गांधी ने कही है और इस पर डेटा भी उपलब्ध है।" रमेश ने महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने का भरोसा भी जताया और कहा कि पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगियों को स्पष्ट जनादेश मिलेगा। रमेश ने समाचार एजेंसी से कहा, "हमें पूरा भरोसा है कि जनता हमारा समर्थन करेगी। भाजपा के नकारात्मक राजनीतिक प्रचार, खासकर प्रधानमंत्री, अमित शाह, यूपी के सीएम और असम के सीएम जो सांप्रदायिक जहर फैलाने में व्यस्त हैं, उन्हें जनता नकार देगी।" *भाजपा ने चुनाव आयोग से क्या कहा ?* सोमवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र में 6 नवंबर को राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणियों को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। मेघवाल ने कहा, "राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए एक बार फिर झूठ बोलने की कोशिश की, उन्होंने राज्यों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने का प्रयास किया, उन्होंने संविधान को हवा दी और फिर से झूठ बोला कि भाजपा संविधान को नष्ट करने वाली है। यह झूठ है। हमने कहा कि इसे रोका जाना चाहिए।" मेघवाल ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव संचालन निकाय को आगे बताया कि कांग्रेस नेता "ऐसा करने के आदी हैं और चेतावनी और नोटिस के बावजूद ऐसा करने से बाज नहीं आ रहे हैं।" उन्होंने कहा कि भाजपा ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 353 के तहत राहुल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।