पाकिस्तानी महिला ने लगाई पीएम मोदी से मदद की गुहार, जानिए पूरा मामला

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एक पाकिस्तानी महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने पति को वापस कराची भेजने की अपील की है। कराची की रहने वाली महिला निकिता नागदेव का आरोप है कि उसके पति विक्रम नागदेव ने उसे कराची में छोड़ दिया है और दिल्ली में चुपके से दूसरी शादी करने की तैयारी कर रहा है। महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय की मांग करते हुए एक वीडियो अपील जारी की है।

निकिता, जो कराची की रहने वाली हैं, उनका आरोप है कि उन्होंने 26 जनवरी 2020 को कराची में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विक्रम नागदेव से शादी की थी। विक्रम एक पाकिस्तानी मूल के व्यक्ति हैं, जो इंदौर में लंबे समय के वीजा पर रह रहे थे। शादी के एक महीने बाद, 26 फरवरी को विक्रम उन्हें भारत लेकर आए। लेकिन, कुछ ही महीनों में, निकिता के अनुसार, उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई।

जबरदस्ती पाकिस्तान वापस भेजने का आरोप

निकिता ने बताया कि 9 जुलाई 2020 को उन्हें वीजा तकनीकी समस्या का बहाना बनाकर अटारी बॉर्डर पर छोड़ दिया गया और जबरदस्ती पाकिस्तान वापस भेज दिया गया। जबरदस्ती पाकिस्तान भेजने के बाद पति ने कभी दोबारा उन्हें भारत वापस लाने की कोशिश नहीं की। अपने भावुक वीडियो मैसेज में उन्होंने कहा, मैं लगातार उनसे मुझे भारत बुलाने की गुजारिश करती रही, लेकिन उन्होंने हर बार मना कर दिया। 

निकिता की भावुक अपील

अपने वीडियो मैसेज में न्याय की मांग करते हुए निकिता ने कहा कि मैं यहां कराची में अपने माता-पिता के घर पर हूं और वहां विक्रम दूसरी शादी करने की तैयारी में हैं। अगर मुझे इंसाफ नहीं मिलता है तो महिलाओं का न्याय पर से विश्वास उठ जाएगा। कई लड़कियां अपनी ससुराल में शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलती हैं। मैं सभी से आग्रह करती हूं कि मेरे साथ खड़े हों।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई 100% पाकिस्तानी एजेंट…”, असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा आरोप

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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बार फिर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई पर गंभीर आरोप लगाया है। सरमा ने शनिवार को कहा कि 'गौरव गोगोई सौ प्रतिशत पाकिस्तान का एजेंट है। उसे बाहरी शक्तियों द्वारा देश में प्लांट किया गया है। सरमा ने कहा, जिस दिन मैं सबूत दिखाऊंगा, हर कोई मान जाएगा कि वह सौ प्रतिशत पाकिस्तानी एजेंट हैं। बता दें कि सरमा गोगोई के उनकी ब्रिटिश पत्नी के माध्यम से पाकिस्तानी संबंधों का आरोप लगाते रहे हैं।

सरमा ने गोगोई को चुनौती दी

मीडिया से बातचीत में सरमा ने कहा, गौरव गोगोई पाकिस्तानी एजेंट हैं। वह पूरी तरह से पाकिस्तानी एजेंट हैं। अगर उनमें हिम्मत है, तो मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करें। मेरे पास सबूत हैं — वह 100 प्रतिशत पाकिस्तानी एजेंट हैं। उन्हें हमारे देश में किसी विदेशी शक्ति द्वारा भेजा गया है। वह एक ‘प्लांटेड’ व्यक्ति हैं। मैं यह तथ्य के साथ कह रहा हूं। एक मुख्यमंत्री के रूप में मैं कह रहा हूं कि वह पूरी तरह पाकिस्तानी एजेंट हैं।

गोगोई की पत्नी पर भी लगा चुके हैं आरोप

असम सीएम ने इससे पहले आरोप लगाया था कि कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की पत्नी भारत में रहते हुए पाकिस्तान स्थित एक एनजीओ से वेतन लेती हैं। उनकी पत्नी और बच्चे भारतीय नागरिक नहीं हैं। साथ ही गोगोई से सवाल किया था कि क्या आप 15 दिनों के लिए पाकिस्तान गए थे।

अमेरिका ने टीआरएफ को घोषित किया आतंकी संगठन, पहलगाम हमले की ली थी जिम्मेदारी

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अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिका ने 22 अप्रैल के पहलगाम अटैक के लिए उस आतंकी संगठन को जिम्मेदार माना है। बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई थी। आतंकियों ने धर्म पूछ-पूछकर पुरूषों को अपना निशाना बनाया था। पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली थी।

लश्कर-ए-तैयबा का ‘प्रॉक्सी’ है टीआरएफ

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को यह जानकारी दी। मार्क रूबियो ने कहा कि टीआरएफ एक पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का ‘प्रॉक्सी’ है, जो यूएन द्वारा पहले से आतंकी संगठन घोषित है। टीआरएफ और इससे जुड़े सभी नाम अब एलईटी की आतंकी सूची में शामिल कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने एलईटी की आतंकी संगठन के रूप में पहले से मौजूद पहचान को भी बरकरार रखा है।

आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका ने दिखाई प्रतिबद्धता

अमेरिकी विदेशश मंत्री ने कहा कि यह कार्रवाई राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से पहलगाम आतंकी हमले के लिए न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दिखाती है। अमेरिकी विदेश मंत्री मर्को रुबियो ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला था। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, और भारत के साथ सहयोग का प्रमाण है।

भारत की बड़ी जीत है

अमेरिका के इस कदम से साफ है कि भारत की कोशिश रंग लाई है। ऑपरेशन सिंदूर का डेलिगेशन जब अमेरिका गया था, तब सबूत के साथ भारत ने अमरिका समेत पूरी दुनिया को बताया था कि पहलगाम अटैक में कैसे टीआरएफ का हाथ है और उसे पाकिस्तानी हुकूमत और लश्कर का संरक्षण प्राप्त है।

22 अप्रैल को क्या हुआ था पहलगाम में

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में टीआरएफ के आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया था। 22 अप्रैल को हुए इस कायराना आतंकी हमले में 26 बेगुनाहों की मौत हुई थी। इसके जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत छह-सात मई की दरम्यानी रात नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।

कौन है यह टीआरएफ?

टीआरएफ यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट एक आतंकी संगठन है। यह 2019 में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद उभरा। यह लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी संगठन है। भारत ने इसे 2023 में UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। टीआरएफ नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यकों, और सुरक्षा बलों पर हमले करता है, जैसे 2025 का पहलगाम हमला। इसे पाकिस्तान का पूरा संरक्षण प्राप्त है।

भारत ने पाकिस्तान पर दागीं थीं 15 ब्रह्मोस, पड़ोसी देश के 13 में से 11 एयरबेसों को उड़ गए थे “चिथड़े”

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भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया हुए सैन्य संघर्ष पर एक नई जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस को टारगेट करने के लिए 15 ब्रह्मोस मिसाइलें दाग़ी थीं। भारतीय वायुसेना की इस कार्रवाई से असीम मुनीर की पाकिस्तानी सेना में हड़कंप मच गया। क्योंकि, इस हमले में पाकिस्तान के 13 में से 11 प्रमुख एयरबेस तबाह हो गए। दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित कुछ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। जिसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात को भारत में कई सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने की कोशिश की थी। इसी के जवाब में भारत ने यह कार्रवाई की।

पहली बार भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग किया

सूत्रों ने बताया कि इन हमलों में भारत ने अपनी सबसे शक्तिशाली ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया। भारतीय वायुसेना ने करीब 15 ब्रह्मोस मिसाइलें पाकिस्तानी एयरबेस पर दागीं। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों और राफेल लड़ाकू विमानों से छोड़ी गई स्कैल्प मिसाइलों ने पाकिस्तान में खूब तबाही मचाई। इन मिसाइलों ने उसकी विमान संचालन नेटवर्क और अन्य क्षमताओं को ध्वस्त कर दिया। अचानक हुए इन हमलों से पाकिस्तान थर्रा गया। ऐसा पहली बार हुआ कि भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग किसी सक्रिय संघर्ष में किया। भारत ने अपनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की ताकत दिखाई।

डमी एयरक्राफ्ट के जरिए कैसे जाल में फंसा पाक

ये भी बताया जा रहा है ब्रह्मोस मिसाइल दागने से पहले वायु सेना ने पाकिस्तानी एयरबेस की टोह लेने के लिए डमी एयरक्राफ्ट भेजे थे। इनमें कोई पायलट नहीं था। बताया जा रहा है कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी रडारों और एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय करने के लिए पहला बिना पायलट वाले विमानों का इस्तेमाल किया। एक बार जब पाकिस्तानी रडार और एयर डिफेंस एक्टिव हो गए, तो भारत ने उन्हें हारोप कामिकेज ड्रोन का इस्तेमाल करके पूरे सिस्टम को डीएक्टिवेट करके तबाह कर दिया। इस कदम के साथ ही ब्रह्मोस और स्कैल्प क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल करके आगे के मिसाइल हमलों का रास्ता साफ हो गया।

और नुकसान से बचने के लिए हटाए थे अपने विमानों

इन मिसाइलों को ले जाने वाले फाइटर जेट्स ने भारत के पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी वायु कमान के विभिन्न ठिकानों से उड़ान भरी। इन हमलों में भारत ने पाकिस्तान के सिंध में एक हैंगर समेत महत्वपूर्ण ठिकानों को टारगेट किया। बताया जा रहा है कि इन सटीक हमलों में पाकिस्तान ने अपने कई UAV और एक एयर सर्विलांस प्लेन के अलावा कई महत्वपूर्ण उपकरण खो दिए। भारत की ओर से ये हमले इतने जोरदार थे कि पाकिस्तानी वायु सेना को नुकसान के कारण अपने विमानों को पीछे के ठिकानों पर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पाकिस्तान ने भारत के 15 सैन्य ठिकानों पर की हमले की कोशिश नाकाम की, S-400 ने हवा में ही किया नाकाम

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पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों को निशाने बनाने की कोशिश की। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों हमले की कोशिश की। भारतीय सेना ने समय रहते पाकिस्तान के सारे हमलों को फेल कर दिया है। भारतीय सेना ने रूस की एस-400 की मदद से उनके सभी मिसाइलों को नष्ट कर दिया। भारतीय सेना की मुश्तैदी से पाकिस्तान को इसमें भी हार का सामना करना पड़ा।

भारत में कहा-कहां हमले की कोशिश?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। बौखलाहट में पाकिस्तान ने बुधवार रात को भारत पर नाकाम हमले किए। पाकिस्तान की नापाक हरकत की जानकारी सरकार ने बयान जारी कर दी। रक्षा मंत्रालय ने दोपहर 2:30 बजे इसकी जानकारी दी। रक्षा मंत्रालय ने बताया, '7 मई की रात पाकिस्तान ने उत्तरी और पश्चिमी भारत के शहरों को निशाना बनाया। इसमें अवंतिपोरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नाल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज में ड्रोन्स और मिसाइलें दागी थीं।

एस-400 का पहली बार इस्तेमाल

भारत ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों का करारा जवाब दिया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, भारतीय वायुसेना ने आज सुबह पाकिस्तान में कई एयर डिफेंस रडार और सिस्टम को निशाना बनाकर एक निर्णायक कार्रवाई की। भारत ने पहली बार एस-400 का इस्तेमाल किया है। भारत ने पाकिस्तान की मिसाइलों को मार गिराई है। भारतीय वायुसेना की एस-400 सुदर्शन चक्र वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली को कल रात भारत की ओर बढ़ रहे लक्ष्यों पर दागा गया। कई डोमेन विशेषज्ञों ने बताया कि अभियान में लक्ष्यों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया।

रूस से आया “सुदर्शन चक्र”

आपको बता दें कि एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम वास्तव में भारत ने रूस से खरीदा था। भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए खरीदा था। भारत ने इसे “सुदर्शन चक्र” नाम दिया है जो इसकी शक्तिशाली और अभेद्य प्रकृति को दर्शाता है। आधिकारिक तौर पर यह रूस का एस-400 ट्रायम्फ ही है। यह सिस्टम रूस की अल्माज़ सेंट्रल डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा 1990 के दशक में विकसित किया गया था। 2007 से रूसी सेना में तैनात है।

पाकिस्तान के खिलाफ भारत का एक और कड़ा एक्शन, 17 पाकिस्तानी यू-ट्यूब चैनल को किया बैन

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पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तान प्रोपेगैंडा वॉर पर उतर आया है। दुनिया को अपना दामन पाक साफ बताने और भारत में माहौल खराब करने के लिए उसके नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पाकिस्तानी न्यूज चैनल और यूट्यूबर्स इसका हिस्सा बन गए हैं। भारत ने पाकिस्तान की इस नापाक साजिश पर पलटवार किया है। भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में लगे उसके कई न्यूज और यूट्यूब चैनलों की बोलती बंद कर दी गई है। भारत में उन पर बैन लगा दिया गया है।

इन चैनलों की “बोलती बंद”

पहलगाम आतंकी हमल के बाद उकसाने वाली और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री फैलाने के आरोप में भारत सरकार ने 17 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक कर दिया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन चैनलों के कुल 6.3 करोड़ सब्सक्राइबर थे। ब्लॉक किए गए चैनलों में पाकिस्तानी समाचार चैनल Dawn, Samaa TV, ARY News, Bol News, Raftar, Geo News और Suno News शामिल हैं। साथ ही पत्रकारों इर्शाद भट्टी, असमा शिराज़ी, उमर चीमा और मुनीब फारूक के यूट्यूब चैनल भी प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। इसके अलावा The Pakistan Reference, Samaa Sports, Uzair Cricket और Razi Naama जैसे अन्य प्लेटफॉर्म भी इस सूची में हैं।

बीबीसी को भी चेतावनी

पहलगाम अटैक की रिपोर्टिंग को लेकर भारत ने सोमवार को 17 पाकिस्तानी यू-ट्यूब चैनल्स पर बैन लगा दिया है। इनमें क्रिकेटर शोएब अख्तर, डॉन न्यूज, समा टीवी और जिओ न्यूज शामिल हैं। सरकार का कहना है कि ये चैनल्स भारत और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ झूठी और भ्रामक खबरें चला रहे हैं।

बीबीसी को भी चेतावनी दी गई है। पहलगाम हमले की रिपोर्टिंग के दौरान बीबीसी आतंकवादियों को उग्रवादी बता रहा था। सरकार ने यह कार्रवाई गृह मंत्रालय की रिकमंडेशन के बाद की है।

पहले भी पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत ने सिंधु जल संधि और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं भी निलंबित कर दी हैं। इसके जवाब में पाकिस्तान ने कहा है कि वह भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों, जिसमें शिमला समझौता भी शामिल है, को निलंबित करने का अधिकार रखता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस हमले में शामिल लोगों और उनके सरपरस्तों को ऐसी सजा दी जाएगी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। उन्होंने देशवासियों से वादा किया कि हर आतंकी और उनके मददगारों को खोजा जाएगा, पकड़ा जाएगा और दंडित किया जाएगा।

पहलगाम हमले का जश्न मनाने की थी तैयारी? पाकिस्तान उच्चायोग में केक ले जाता दिखा कर्मचारी

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पूरी दुनिया पाकिस्तान के आतंक प्रेम को जानती है। पहलगाम में दहशतगर्दों ने जिस तरह नरसंहार किया उससे पूरा देश गमगीन है। भारत ही नहीं दुनियाभर के देश इस हमले की निंदा कर रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक हैरान कर देने वाले वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें पाकिस्तान उच्चायोग का एक कर्मचारी केक अंदर लेकर जा रहा है। जिसे मीडियो वालों ने घेर लिया और सवाल पूछने लगे। इस पर शख्स ने चुप्पी साध रखी थी कुछ नहीं बोला।

पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने कड़े फैसले लेते हुए पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया है। उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है। सरकार के फैसले के बाद गुरुवार सुबह पुलिस नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर से बैरिकेड्स हटाने पहुंची थी। इस दौरान उच्चायोग का एक कर्मचारी केक ले जाते नजर आया।

मीडिया ने जब कर्मचारी से केक ले जाने को लेकर सवाल किए तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। कर्मचारी से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान उच्चायोग में हमले का जश्न मन रहा है तो वह नीचे सिर करके केक लेकर उच्चायोग के अंदर चला गया।

पाकिस्तान दूतावास में केक लेकर जाने को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान खुश है। सच्चाई क्या है ये तो कोई नहीं जानता, लेकिन पाकिस्तान कर्मचारी का जवाब न देना कई सवाल खड़े करता है।

बता दें कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार शाम को कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की एक आपात बैठक बुलाई गई थी। सीसीएस की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े फैसले लिए गए है। इसी के तहत नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को 'अवांछित व्यक्ति' घोषित किया गया है। उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ना होगा। इसी तरह भारत भी इस्लामाबाद में स्थित अपने सैन्य सलाहकारों और पांच सहायक कर्मचारियों को वापस बुलाएगा। दोनों देशों के उच्चायोगों की कुल कर्मचारि‍यों की संख्या को 55 से घटाकर 30 किया जाएगा, जो 1 मई तक प्रभावी किया जाएगा।

भारत में वक्फ संशोधन कानून पर मचा बवाल, जानें पाकिस्तान की क्या है राय

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हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित किया। जिसके बाद केन्द्र की मोदी सरकार ने इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। इस बिल पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके बाद यह कानून बन चुका है। संसद से पास होने के पहले और बाद में इस विधेयक को लेकर खूब चर्चा हुई। वक्फ बिल को लेकर बहस सिर्फ भारत में ही नहीं चली, बल्कि पड़ोसी पाकिस्तान भी इससे अछूता नहीं है।

पाकिस्तान मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में भारत के वक्फ बिल को लकेर खूब चर्चा है। पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने एक लेख में लिखा कि मोदी सरकार ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए नया विधेयक पास किया है।इस बार सरकार की नजरें मुस्लिम वक्फ बोर्ड्स के पारंपरिक स्वामित्व और प्रबंध वाली जमीन पर है। वैसे इस विधेयक को पास किए जाने का मकसद वक्फ की संपत्तियों में प्रशासन और प्रबंधन की दक्षता को बढ़ाना बताया गया है। जबकि, विपक्ष का कहना है कि यह जमीन हड़पने का तरीका है। लेख के अनुसार, मोदी सरकार शुरुआत से ही भारत में अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है।. इनमें सबसे बड़ा समुदाय मुस्लिम है। अखबार ने लिखा है कि सिख, ईसाई और दलितों के मामले में ये पक्षपात एक जैसा लगता है, लेकिन मुसलमानों को निशाना बनाने के मामले में यह ज़्यादा रणनीतिक नजर आ रहा है। ऐसा लगता है कि सरकार खुद सीधे तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाने में शामिल हो गई है।

वहीं, दूसरी ओर आमतौर पर भारतीय नीतियों की आलोचना करने वाले पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक और सुरक्षा मामलों के जानकार कमर चीमा ने इस कानून की सार्वजनिक रूप से सराहना की। उन्होंने कहा कि वक्फ को लेकर भारत का फैसला सही है। कमर चीमा ने आगे कहा कि उदाहरण के तौर पर दरगाह पर लोग अवैध कब्जा करके रखते हैं, इसलिए इस तरह की चीजों पर कंट्रोल करना जरूरी है। ऐसी स्थिति पाकिस्तान में भी है, जहां लोग मस्जिदों पर कब्जा कर लेते हैं। मुझे लगता है कि दरगाह वाले सोचते हैं कि हम अपने मन-मुताबिक काम करें। दरगाह के लोग पाकिस्तान में रहकर करप्शन करते हैं।

मोदी सरकार जो कर रही है वह गलत नहीं-कमर चीमा

कमर चीमा ने कहा कि मोदी सरकार जो कर रही है वह गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण एक आवश्यक और सकारात्मक कदम है। अवैध अतिक्रमण रोकने के लिए जो प्रावधान लाए गए हैं, वो जरूरी हैं। मस्जिदों और दरगाहों के संचालन में पारदर्शिता जरूरी है ताकि उनका गलत इस्तेमाल रोका जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को खुद आगे आकर इन सुधारों का समर्थन करना चाहिए क्योंकि यह समाज के दीर्घकालिक हित में है। उन्होंने कहा कि सभी को रिफॉर्म पर ध्यान देना चाहिए। मेरा सवाल है अगर वक्फ वाले इतने दिन से सुधार नहीं कर पाए तो गलती किसकी है। इसलिए रिफॉर्म जरूरी है।

अपने देश पाकिस्तान का दिया उदाहरण

चीमा ने पाकिस्तान का उदाहरण दिया और बताया कि बहुत सारे मुस्लिम धार्मिक संस्थान सरकार के अंदर जाने से बचाने के लिए सारी जुगत लगाते हैं। इससे यहां आने वाले पैसे पर उनका कंट्रोल बना रहता है और लूट चलती रहती है। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या मुसलमानों को धार्मिक संस्थाओं में भ्रष्टाचार करना सही बात है? वक्फ के नाम पर बहुत सारे फर्जी दावे कर दिए जाते हैं। ये कहां तक सही है? उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पास बहुमत है और वे जो करना चाहेंगे, करेंगे। ये हर सरकार का हक है। आप कुछ नहीं कर सकते।

किसी को 'मियां-तियां' या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी


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सुप्रीम कोर्ट ने 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहने के आरोपी को राहत दी है। कोर्ट ने धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में दर्ज केस निरस्त कर दिया है। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने इस तरह की बात कहने को असभ्यता कहा है, लेकिन उसके चलते मुकदमा चलाने को सही नहीं माना।

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से शब्द आदि बोलना) के तहत आरोप से एक व्यक्ति को मुक्त कर दिया।कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पर उसे 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। अदालत ने कहा कि निस्संदेह, दिए गए कथन गलत है। हालाँकि, इससे याचिकाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुचती है।

जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच झारखंड उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता को आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। मामला उप-विभागीय कार्यालय, चास में एक उर्दू अनुवादक और कार्यवाहक क्लर्क (सूचना का अधिकार) की तरफ से दर्ज एफआईआर से जुड़ा था।

यह मामला उस समय शुरू हुआ जब एक सरकारी कर्मचारी, जो कि उर्दू अनुवादक और सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कार्यरत था, ने एक आदेश के तहत हरी नंदन सिंह को कुछ दस्तावेज सौंपे। आरोप के मुताबिक सिंह ने दस्तावेज स्वीकार करने में अनिच्छा दिखाई और इसके बाद कर्मचारी के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया। यह भी कहा गया कि उन्होंने सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहकर संबोधित किया और उसे डराने का प्रयास किया।

इस घटना के बाद सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। हरी नंदन सिंह ने इस मामले में पहले सेशन कोर्ट और फिर राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन दोनों अदालतों ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया। आखिर में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतिश चंद्र शर्मा की बेंच ने फैसला सुनाया कि इस मामले में धारा 298 लागू नहीं होती क्योंकि आरोपी की टिप्पणियां भले ही अनुचित थीं, लेकिन वे किसी विशेष धर्म के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से नहीं कही गई थीं।

पाक‍िस्‍तान के 16 परमाणु वैज्ञान‍िकों का अपहरण! TTP ने वीडियो जारी क‍र ली जिम्मेदारी

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पाकिस्तान के 16 परमाणु वैज्ञानिकों के अपहरण कर लिया गया है। पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग के 16 वैज्ञानिक पाकिस्तानी तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के कब्जे में हैं। टीटीपी ने खुद पाकिस्तान के 16 वैज्ञानिकों को अगवा कर लेने का दावा किया है। टीटीपी ने इन वैज्ञानिकों का एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में ये टीटीपी की मांगों को मानकर अपनी रिहाई की अपील पाकिस्तान की सरकार से करते हुए नजर आ रहे हैं।

सोशल मीडिया में यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, ज‍िसमें दावा क‍िया जा रहा है क‍ि टीटीपी ने डेरा इस्‍माइल खान में पाक‍िस्‍तान ऊर्जा आयोग के इंजीनियरों को पकड़ ल‍िया है। लोग कह रहे क‍ि साइंटिस्‍ट की यह दशा पाक‍िस्‍तान की बिगड़ती सुरक्षा और सेना की बेबसी का नमूना है। वहीं, कुछ रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार ने अपहृत लोगों को वैज्ञानिक नहीं बल्कि आम नागरिक बताया है।

दावा किया जा रहा है कि 16 से 18 कर्मचारियों का अपहरण किया गया है, जो लक्की मरवत में काबुल खेल एटॉमिक एनर्जी खनन परियोजना में काम कर रहे थे। इस दौरान हथियारबंद लोगों ने कंपनी के कर्मचारियों के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। टीटीपी लड़ाकों के यूरेन‍ियम लूटने का भी दावा किया गया है। हालांकि टीटीपी ने अपने बयान में कहा है कि हमने सिर्फ कुछ लोगों को कब्जे में लिया है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सरकार से हमारी कुछ मांगे हैं। सरकार को हमारी मांगें माननी चाहिए।

पाकिस्तानी महिला ने लगाई पीएम मोदी से मदद की गुहार, जानिए पूरा मामला

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एक पाकिस्तानी महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने पति को वापस कराची भेजने की अपील की है। कराची की रहने वाली महिला निकिता नागदेव का आरोप है कि उसके पति विक्रम नागदेव ने उसे कराची में छोड़ दिया है और दिल्ली में चुपके से दूसरी शादी करने की तैयारी कर रहा है। महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय की मांग करते हुए एक वीडियो अपील जारी की है।

निकिता, जो कराची की रहने वाली हैं, उनका आरोप है कि उन्होंने 26 जनवरी 2020 को कराची में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विक्रम नागदेव से शादी की थी। विक्रम एक पाकिस्तानी मूल के व्यक्ति हैं, जो इंदौर में लंबे समय के वीजा पर रह रहे थे। शादी के एक महीने बाद, 26 फरवरी को विक्रम उन्हें भारत लेकर आए। लेकिन, कुछ ही महीनों में, निकिता के अनुसार, उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई।

जबरदस्ती पाकिस्तान वापस भेजने का आरोप

निकिता ने बताया कि 9 जुलाई 2020 को उन्हें वीजा तकनीकी समस्या का बहाना बनाकर अटारी बॉर्डर पर छोड़ दिया गया और जबरदस्ती पाकिस्तान वापस भेज दिया गया। जबरदस्ती पाकिस्तान भेजने के बाद पति ने कभी दोबारा उन्हें भारत वापस लाने की कोशिश नहीं की। अपने भावुक वीडियो मैसेज में उन्होंने कहा, मैं लगातार उनसे मुझे भारत बुलाने की गुजारिश करती रही, लेकिन उन्होंने हर बार मना कर दिया। 

निकिता की भावुक अपील

अपने वीडियो मैसेज में न्याय की मांग करते हुए निकिता ने कहा कि मैं यहां कराची में अपने माता-पिता के घर पर हूं और वहां विक्रम दूसरी शादी करने की तैयारी में हैं। अगर मुझे इंसाफ नहीं मिलता है तो महिलाओं का न्याय पर से विश्वास उठ जाएगा। कई लड़कियां अपनी ससुराल में शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलती हैं। मैं सभी से आग्रह करती हूं कि मेरे साथ खड़े हों।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई 100% पाकिस्तानी एजेंट…”, असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा आरोप

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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बार फिर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई पर गंभीर आरोप लगाया है। सरमा ने शनिवार को कहा कि 'गौरव गोगोई सौ प्रतिशत पाकिस्तान का एजेंट है। उसे बाहरी शक्तियों द्वारा देश में प्लांट किया गया है। सरमा ने कहा, जिस दिन मैं सबूत दिखाऊंगा, हर कोई मान जाएगा कि वह सौ प्रतिशत पाकिस्तानी एजेंट हैं। बता दें कि सरमा गोगोई के उनकी ब्रिटिश पत्नी के माध्यम से पाकिस्तानी संबंधों का आरोप लगाते रहे हैं।

सरमा ने गोगोई को चुनौती दी

मीडिया से बातचीत में सरमा ने कहा, गौरव गोगोई पाकिस्तानी एजेंट हैं। वह पूरी तरह से पाकिस्तानी एजेंट हैं। अगर उनमें हिम्मत है, तो मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करें। मेरे पास सबूत हैं — वह 100 प्रतिशत पाकिस्तानी एजेंट हैं। उन्हें हमारे देश में किसी विदेशी शक्ति द्वारा भेजा गया है। वह एक ‘प्लांटेड’ व्यक्ति हैं। मैं यह तथ्य के साथ कह रहा हूं। एक मुख्यमंत्री के रूप में मैं कह रहा हूं कि वह पूरी तरह पाकिस्तानी एजेंट हैं।

गोगोई की पत्नी पर भी लगा चुके हैं आरोप

असम सीएम ने इससे पहले आरोप लगाया था कि कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की पत्नी भारत में रहते हुए पाकिस्तान स्थित एक एनजीओ से वेतन लेती हैं। उनकी पत्नी और बच्चे भारतीय नागरिक नहीं हैं। साथ ही गोगोई से सवाल किया था कि क्या आप 15 दिनों के लिए पाकिस्तान गए थे।

अमेरिका ने टीआरएफ को घोषित किया आतंकी संगठन, पहलगाम हमले की ली थी जिम्मेदारी

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अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिका ने 22 अप्रैल के पहलगाम अटैक के लिए उस आतंकी संगठन को जिम्मेदार माना है। बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई थी। आतंकियों ने धर्म पूछ-पूछकर पुरूषों को अपना निशाना बनाया था। पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली थी।

लश्कर-ए-तैयबा का ‘प्रॉक्सी’ है टीआरएफ

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को यह जानकारी दी। मार्क रूबियो ने कहा कि टीआरएफ एक पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का ‘प्रॉक्सी’ है, जो यूएन द्वारा पहले से आतंकी संगठन घोषित है। टीआरएफ और इससे जुड़े सभी नाम अब एलईटी की आतंकी सूची में शामिल कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने एलईटी की आतंकी संगठन के रूप में पहले से मौजूद पहचान को भी बरकरार रखा है।

आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका ने दिखाई प्रतिबद्धता

अमेरिकी विदेशश मंत्री ने कहा कि यह कार्रवाई राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से पहलगाम आतंकी हमले के लिए न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दिखाती है। अमेरिकी विदेश मंत्री मर्को रुबियो ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला था। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, और भारत के साथ सहयोग का प्रमाण है।

भारत की बड़ी जीत है

अमेरिका के इस कदम से साफ है कि भारत की कोशिश रंग लाई है। ऑपरेशन सिंदूर का डेलिगेशन जब अमेरिका गया था, तब सबूत के साथ भारत ने अमरिका समेत पूरी दुनिया को बताया था कि पहलगाम अटैक में कैसे टीआरएफ का हाथ है और उसे पाकिस्तानी हुकूमत और लश्कर का संरक्षण प्राप्त है।

22 अप्रैल को क्या हुआ था पहलगाम में

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में टीआरएफ के आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया था। 22 अप्रैल को हुए इस कायराना आतंकी हमले में 26 बेगुनाहों की मौत हुई थी। इसके जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत छह-सात मई की दरम्यानी रात नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।

कौन है यह टीआरएफ?

टीआरएफ यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट एक आतंकी संगठन है। यह 2019 में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद उभरा। यह लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी संगठन है। भारत ने इसे 2023 में UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। टीआरएफ नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यकों, और सुरक्षा बलों पर हमले करता है, जैसे 2025 का पहलगाम हमला। इसे पाकिस्तान का पूरा संरक्षण प्राप्त है।

भारत ने पाकिस्तान पर दागीं थीं 15 ब्रह्मोस, पड़ोसी देश के 13 में से 11 एयरबेसों को उड़ गए थे “चिथड़े”

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भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया हुए सैन्य संघर्ष पर एक नई जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस को टारगेट करने के लिए 15 ब्रह्मोस मिसाइलें दाग़ी थीं। भारतीय वायुसेना की इस कार्रवाई से असीम मुनीर की पाकिस्तानी सेना में हड़कंप मच गया। क्योंकि, इस हमले में पाकिस्तान के 13 में से 11 प्रमुख एयरबेस तबाह हो गए। दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित कुछ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। जिसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात को भारत में कई सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने की कोशिश की थी। इसी के जवाब में भारत ने यह कार्रवाई की।

पहली बार भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग किया

सूत्रों ने बताया कि इन हमलों में भारत ने अपनी सबसे शक्तिशाली ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया। भारतीय वायुसेना ने करीब 15 ब्रह्मोस मिसाइलें पाकिस्तानी एयरबेस पर दागीं। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों और राफेल लड़ाकू विमानों से छोड़ी गई स्कैल्प मिसाइलों ने पाकिस्तान में खूब तबाही मचाई। इन मिसाइलों ने उसकी विमान संचालन नेटवर्क और अन्य क्षमताओं को ध्वस्त कर दिया। अचानक हुए इन हमलों से पाकिस्तान थर्रा गया। ऐसा पहली बार हुआ कि भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग किसी सक्रिय संघर्ष में किया। भारत ने अपनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की ताकत दिखाई।

डमी एयरक्राफ्ट के जरिए कैसे जाल में फंसा पाक

ये भी बताया जा रहा है ब्रह्मोस मिसाइल दागने से पहले वायु सेना ने पाकिस्तानी एयरबेस की टोह लेने के लिए डमी एयरक्राफ्ट भेजे थे। इनमें कोई पायलट नहीं था। बताया जा रहा है कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी रडारों और एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय करने के लिए पहला बिना पायलट वाले विमानों का इस्तेमाल किया। एक बार जब पाकिस्तानी रडार और एयर डिफेंस एक्टिव हो गए, तो भारत ने उन्हें हारोप कामिकेज ड्रोन का इस्तेमाल करके पूरे सिस्टम को डीएक्टिवेट करके तबाह कर दिया। इस कदम के साथ ही ब्रह्मोस और स्कैल्प क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल करके आगे के मिसाइल हमलों का रास्ता साफ हो गया।

और नुकसान से बचने के लिए हटाए थे अपने विमानों

इन मिसाइलों को ले जाने वाले फाइटर जेट्स ने भारत के पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी वायु कमान के विभिन्न ठिकानों से उड़ान भरी। इन हमलों में भारत ने पाकिस्तान के सिंध में एक हैंगर समेत महत्वपूर्ण ठिकानों को टारगेट किया। बताया जा रहा है कि इन सटीक हमलों में पाकिस्तान ने अपने कई UAV और एक एयर सर्विलांस प्लेन के अलावा कई महत्वपूर्ण उपकरण खो दिए। भारत की ओर से ये हमले इतने जोरदार थे कि पाकिस्तानी वायु सेना को नुकसान के कारण अपने विमानों को पीछे के ठिकानों पर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पाकिस्तान ने भारत के 15 सैन्य ठिकानों पर की हमले की कोशिश नाकाम की, S-400 ने हवा में ही किया नाकाम

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पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों को निशाने बनाने की कोशिश की। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों हमले की कोशिश की। भारतीय सेना ने समय रहते पाकिस्तान के सारे हमलों को फेल कर दिया है। भारतीय सेना ने रूस की एस-400 की मदद से उनके सभी मिसाइलों को नष्ट कर दिया। भारतीय सेना की मुश्तैदी से पाकिस्तान को इसमें भी हार का सामना करना पड़ा।

भारत में कहा-कहां हमले की कोशिश?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। बौखलाहट में पाकिस्तान ने बुधवार रात को भारत पर नाकाम हमले किए। पाकिस्तान की नापाक हरकत की जानकारी सरकार ने बयान जारी कर दी। रक्षा मंत्रालय ने दोपहर 2:30 बजे इसकी जानकारी दी। रक्षा मंत्रालय ने बताया, '7 मई की रात पाकिस्तान ने उत्तरी और पश्चिमी भारत के शहरों को निशाना बनाया। इसमें अवंतिपोरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नाल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज में ड्रोन्स और मिसाइलें दागी थीं।

एस-400 का पहली बार इस्तेमाल

भारत ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों का करारा जवाब दिया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, भारतीय वायुसेना ने आज सुबह पाकिस्तान में कई एयर डिफेंस रडार और सिस्टम को निशाना बनाकर एक निर्णायक कार्रवाई की। भारत ने पहली बार एस-400 का इस्तेमाल किया है। भारत ने पाकिस्तान की मिसाइलों को मार गिराई है। भारतीय वायुसेना की एस-400 सुदर्शन चक्र वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली को कल रात भारत की ओर बढ़ रहे लक्ष्यों पर दागा गया। कई डोमेन विशेषज्ञों ने बताया कि अभियान में लक्ष्यों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया।

रूस से आया “सुदर्शन चक्र”

आपको बता दें कि एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम वास्तव में भारत ने रूस से खरीदा था। भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए खरीदा था। भारत ने इसे “सुदर्शन चक्र” नाम दिया है जो इसकी शक्तिशाली और अभेद्य प्रकृति को दर्शाता है। आधिकारिक तौर पर यह रूस का एस-400 ट्रायम्फ ही है। यह सिस्टम रूस की अल्माज़ सेंट्रल डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा 1990 के दशक में विकसित किया गया था। 2007 से रूसी सेना में तैनात है।

पाकिस्तान के खिलाफ भारत का एक और कड़ा एक्शन, 17 पाकिस्तानी यू-ट्यूब चैनल को किया बैन

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पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तान प्रोपेगैंडा वॉर पर उतर आया है। दुनिया को अपना दामन पाक साफ बताने और भारत में माहौल खराब करने के लिए उसके नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पाकिस्तानी न्यूज चैनल और यूट्यूबर्स इसका हिस्सा बन गए हैं। भारत ने पाकिस्तान की इस नापाक साजिश पर पलटवार किया है। भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में लगे उसके कई न्यूज और यूट्यूब चैनलों की बोलती बंद कर दी गई है। भारत में उन पर बैन लगा दिया गया है।

इन चैनलों की “बोलती बंद”

पहलगाम आतंकी हमल के बाद उकसाने वाली और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री फैलाने के आरोप में भारत सरकार ने 17 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक कर दिया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन चैनलों के कुल 6.3 करोड़ सब्सक्राइबर थे। ब्लॉक किए गए चैनलों में पाकिस्तानी समाचार चैनल Dawn, Samaa TV, ARY News, Bol News, Raftar, Geo News और Suno News शामिल हैं। साथ ही पत्रकारों इर्शाद भट्टी, असमा शिराज़ी, उमर चीमा और मुनीब फारूक के यूट्यूब चैनल भी प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। इसके अलावा The Pakistan Reference, Samaa Sports, Uzair Cricket और Razi Naama जैसे अन्य प्लेटफॉर्म भी इस सूची में हैं।

बीबीसी को भी चेतावनी

पहलगाम अटैक की रिपोर्टिंग को लेकर भारत ने सोमवार को 17 पाकिस्तानी यू-ट्यूब चैनल्स पर बैन लगा दिया है। इनमें क्रिकेटर शोएब अख्तर, डॉन न्यूज, समा टीवी और जिओ न्यूज शामिल हैं। सरकार का कहना है कि ये चैनल्स भारत और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ झूठी और भ्रामक खबरें चला रहे हैं।

बीबीसी को भी चेतावनी दी गई है। पहलगाम हमले की रिपोर्टिंग के दौरान बीबीसी आतंकवादियों को उग्रवादी बता रहा था। सरकार ने यह कार्रवाई गृह मंत्रालय की रिकमंडेशन के बाद की है।

पहले भी पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत ने सिंधु जल संधि और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं भी निलंबित कर दी हैं। इसके जवाब में पाकिस्तान ने कहा है कि वह भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों, जिसमें शिमला समझौता भी शामिल है, को निलंबित करने का अधिकार रखता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस हमले में शामिल लोगों और उनके सरपरस्तों को ऐसी सजा दी जाएगी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। उन्होंने देशवासियों से वादा किया कि हर आतंकी और उनके मददगारों को खोजा जाएगा, पकड़ा जाएगा और दंडित किया जाएगा।

पहलगाम हमले का जश्न मनाने की थी तैयारी? पाकिस्तान उच्चायोग में केक ले जाता दिखा कर्मचारी

#pakistani_high_commission_staff_seen_with_cake_after_pahalgam_attack

पूरी दुनिया पाकिस्तान के आतंक प्रेम को जानती है। पहलगाम में दहशतगर्दों ने जिस तरह नरसंहार किया उससे पूरा देश गमगीन है। भारत ही नहीं दुनियाभर के देश इस हमले की निंदा कर रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक हैरान कर देने वाले वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें पाकिस्तान उच्चायोग का एक कर्मचारी केक अंदर लेकर जा रहा है। जिसे मीडियो वालों ने घेर लिया और सवाल पूछने लगे। इस पर शख्स ने चुप्पी साध रखी थी कुछ नहीं बोला।

पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने कड़े फैसले लेते हुए पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया है। उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है। सरकार के फैसले के बाद गुरुवार सुबह पुलिस नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर से बैरिकेड्स हटाने पहुंची थी। इस दौरान उच्चायोग का एक कर्मचारी केक ले जाते नजर आया।

मीडिया ने जब कर्मचारी से केक ले जाने को लेकर सवाल किए तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। कर्मचारी से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान उच्चायोग में हमले का जश्न मन रहा है तो वह नीचे सिर करके केक लेकर उच्चायोग के अंदर चला गया।

पाकिस्तान दूतावास में केक लेकर जाने को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान खुश है। सच्चाई क्या है ये तो कोई नहीं जानता, लेकिन पाकिस्तान कर्मचारी का जवाब न देना कई सवाल खड़े करता है।

बता दें कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार शाम को कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की एक आपात बैठक बुलाई गई थी। सीसीएस की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े फैसले लिए गए है। इसी के तहत नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को 'अवांछित व्यक्ति' घोषित किया गया है। उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ना होगा। इसी तरह भारत भी इस्लामाबाद में स्थित अपने सैन्य सलाहकारों और पांच सहायक कर्मचारियों को वापस बुलाएगा। दोनों देशों के उच्चायोगों की कुल कर्मचारि‍यों की संख्या को 55 से घटाकर 30 किया जाएगा, जो 1 मई तक प्रभावी किया जाएगा।

भारत में वक्फ संशोधन कानून पर मचा बवाल, जानें पाकिस्तान की क्या है राय

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हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित किया। जिसके बाद केन्द्र की मोदी सरकार ने इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। इस बिल पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके बाद यह कानून बन चुका है। संसद से पास होने के पहले और बाद में इस विधेयक को लेकर खूब चर्चा हुई। वक्फ बिल को लेकर बहस सिर्फ भारत में ही नहीं चली, बल्कि पड़ोसी पाकिस्तान भी इससे अछूता नहीं है।

पाकिस्तान मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में भारत के वक्फ बिल को लकेर खूब चर्चा है। पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने एक लेख में लिखा कि मोदी सरकार ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए नया विधेयक पास किया है।इस बार सरकार की नजरें मुस्लिम वक्फ बोर्ड्स के पारंपरिक स्वामित्व और प्रबंध वाली जमीन पर है। वैसे इस विधेयक को पास किए जाने का मकसद वक्फ की संपत्तियों में प्रशासन और प्रबंधन की दक्षता को बढ़ाना बताया गया है। जबकि, विपक्ष का कहना है कि यह जमीन हड़पने का तरीका है। लेख के अनुसार, मोदी सरकार शुरुआत से ही भारत में अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है।. इनमें सबसे बड़ा समुदाय मुस्लिम है। अखबार ने लिखा है कि सिख, ईसाई और दलितों के मामले में ये पक्षपात एक जैसा लगता है, लेकिन मुसलमानों को निशाना बनाने के मामले में यह ज़्यादा रणनीतिक नजर आ रहा है। ऐसा लगता है कि सरकार खुद सीधे तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाने में शामिल हो गई है।

वहीं, दूसरी ओर आमतौर पर भारतीय नीतियों की आलोचना करने वाले पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक और सुरक्षा मामलों के जानकार कमर चीमा ने इस कानून की सार्वजनिक रूप से सराहना की। उन्होंने कहा कि वक्फ को लेकर भारत का फैसला सही है। कमर चीमा ने आगे कहा कि उदाहरण के तौर पर दरगाह पर लोग अवैध कब्जा करके रखते हैं, इसलिए इस तरह की चीजों पर कंट्रोल करना जरूरी है। ऐसी स्थिति पाकिस्तान में भी है, जहां लोग मस्जिदों पर कब्जा कर लेते हैं। मुझे लगता है कि दरगाह वाले सोचते हैं कि हम अपने मन-मुताबिक काम करें। दरगाह के लोग पाकिस्तान में रहकर करप्शन करते हैं।

मोदी सरकार जो कर रही है वह गलत नहीं-कमर चीमा

कमर चीमा ने कहा कि मोदी सरकार जो कर रही है वह गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण एक आवश्यक और सकारात्मक कदम है। अवैध अतिक्रमण रोकने के लिए जो प्रावधान लाए गए हैं, वो जरूरी हैं। मस्जिदों और दरगाहों के संचालन में पारदर्शिता जरूरी है ताकि उनका गलत इस्तेमाल रोका जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को खुद आगे आकर इन सुधारों का समर्थन करना चाहिए क्योंकि यह समाज के दीर्घकालिक हित में है। उन्होंने कहा कि सभी को रिफॉर्म पर ध्यान देना चाहिए। मेरा सवाल है अगर वक्फ वाले इतने दिन से सुधार नहीं कर पाए तो गलती किसकी है। इसलिए रिफॉर्म जरूरी है।

अपने देश पाकिस्तान का दिया उदाहरण

चीमा ने पाकिस्तान का उदाहरण दिया और बताया कि बहुत सारे मुस्लिम धार्मिक संस्थान सरकार के अंदर जाने से बचाने के लिए सारी जुगत लगाते हैं। इससे यहां आने वाले पैसे पर उनका कंट्रोल बना रहता है और लूट चलती रहती है। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या मुसलमानों को धार्मिक संस्थाओं में भ्रष्टाचार करना सही बात है? वक्फ के नाम पर बहुत सारे फर्जी दावे कर दिए जाते हैं। ये कहां तक सही है? उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पास बहुमत है और वे जो करना चाहेंगे, करेंगे। ये हर सरकार का हक है। आप कुछ नहीं कर सकते।

किसी को 'मियां-तियां' या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी


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सुप्रीम कोर्ट ने 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहने के आरोपी को राहत दी है। कोर्ट ने धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में दर्ज केस निरस्त कर दिया है। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने इस तरह की बात कहने को असभ्यता कहा है, लेकिन उसके चलते मुकदमा चलाने को सही नहीं माना।

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से शब्द आदि बोलना) के तहत आरोप से एक व्यक्ति को मुक्त कर दिया।कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पर उसे 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। अदालत ने कहा कि निस्संदेह, दिए गए कथन गलत है। हालाँकि, इससे याचिकाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुचती है।

जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच झारखंड उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता को आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। मामला उप-विभागीय कार्यालय, चास में एक उर्दू अनुवादक और कार्यवाहक क्लर्क (सूचना का अधिकार) की तरफ से दर्ज एफआईआर से जुड़ा था।

यह मामला उस समय शुरू हुआ जब एक सरकारी कर्मचारी, जो कि उर्दू अनुवादक और सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कार्यरत था, ने एक आदेश के तहत हरी नंदन सिंह को कुछ दस्तावेज सौंपे। आरोप के मुताबिक सिंह ने दस्तावेज स्वीकार करने में अनिच्छा दिखाई और इसके बाद कर्मचारी के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया। यह भी कहा गया कि उन्होंने सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहकर संबोधित किया और उसे डराने का प्रयास किया।

इस घटना के बाद सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। हरी नंदन सिंह ने इस मामले में पहले सेशन कोर्ट और फिर राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन दोनों अदालतों ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया। आखिर में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतिश चंद्र शर्मा की बेंच ने फैसला सुनाया कि इस मामले में धारा 298 लागू नहीं होती क्योंकि आरोपी की टिप्पणियां भले ही अनुचित थीं, लेकिन वे किसी विशेष धर्म के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से नहीं कही गई थीं।

पाक‍िस्‍तान के 16 परमाणु वैज्ञान‍िकों का अपहरण! TTP ने वीडियो जारी क‍र ली जिम्मेदारी

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पाकिस्तान के 16 परमाणु वैज्ञानिकों के अपहरण कर लिया गया है। पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग के 16 वैज्ञानिक पाकिस्तानी तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के कब्जे में हैं। टीटीपी ने खुद पाकिस्तान के 16 वैज्ञानिकों को अगवा कर लेने का दावा किया है। टीटीपी ने इन वैज्ञानिकों का एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में ये टीटीपी की मांगों को मानकर अपनी रिहाई की अपील पाकिस्तान की सरकार से करते हुए नजर आ रहे हैं।

सोशल मीडिया में यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, ज‍िसमें दावा क‍िया जा रहा है क‍ि टीटीपी ने डेरा इस्‍माइल खान में पाक‍िस्‍तान ऊर्जा आयोग के इंजीनियरों को पकड़ ल‍िया है। लोग कह रहे क‍ि साइंटिस्‍ट की यह दशा पाक‍िस्‍तान की बिगड़ती सुरक्षा और सेना की बेबसी का नमूना है। वहीं, कुछ रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार ने अपहृत लोगों को वैज्ञानिक नहीं बल्कि आम नागरिक बताया है।

दावा किया जा रहा है कि 16 से 18 कर्मचारियों का अपहरण किया गया है, जो लक्की मरवत में काबुल खेल एटॉमिक एनर्जी खनन परियोजना में काम कर रहे थे। इस दौरान हथियारबंद लोगों ने कंपनी के कर्मचारियों के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। टीटीपी लड़ाकों के यूरेन‍ियम लूटने का भी दावा किया गया है। हालांकि टीटीपी ने अपने बयान में कहा है कि हमने सिर्फ कुछ लोगों को कब्जे में लिया है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सरकार से हमारी कुछ मांगे हैं। सरकार को हमारी मांगें माननी चाहिए।