एड्स को छुपाएं नहीं, हेल्प लाइन नंबर 1097 पर घर बैठे पाएं जानकारी
सीके सिंह(रूपम)
सीतापुर- बुखार, थकान, सूखी खांसी, वजन कम होना, त्वचा, मुंह, आंख या नाक के पास धब्बे पड़ना और शरीर में दर्द की शिकायत, यह एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम) के लक्षण हैं। एड्स एचआईवी ( ह्यूमन इमयूनोडेफ़िशिएंसी वायरस) की एक अवस्था है , जिसमें जिसमें मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कमजोर करता है। यह वायरस मनुष्य के शरीर में पाया जाता है। एड्स को छुपाना नहीं चाहिए बल्कि किसी स्वास्थ्य केंद्र पर इसकी जांच करानी चाहिए। लेकिन अधिकांश लोग शर्म और संकोच के चलते अपनी जांच नहीं कराते हैं। ऐसे में वह जानकारी के अभाव में गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति घर बैठे हेल्प लाइन नंबर 1097 पर फोन करके एड्स से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकता है।
इस टोल फ्री नंबर पर कोई भी व्यक्ति एड्स के कारण, लक्षण की जानकारी प्राप्त करने के साथ ही कहां और कैसे जांच करा सकता है, दवाएं कहां से और कैसे प्राप्त होंगी। एड्स के साथ ही यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के संबंध में भी जानकारी इसी टोल फ्री नंबर से प्राप्त की जा सकती है।
सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह बताते हैं कि जिले में सदर अस्पताल, महिला चिकित्सालय सहित सिधौली व तंबौर सीएचसी पर एड्स की जांच की जाती है। किसी भी ऑपरेशन अथवा रक्तदान से पूर्व संबंधित की जांच की जाती है। इसके अलावा सभी गर्भवती की भी एचआईवी जांच की जाती है। अगर किसी गर्भवती में एचआईवी वायरस पाया जाता है, तो उसके होने वाले बच्चे के एड्स संक्रमित होने की 20 प्रतिशत तक की संभावनाएं होती हैं। लेकिन समय पर महिला के इलाज से बच्चे का यह संक्रमण 10 फीसदी कम किया जा सकता है। वह बताते हैं कि एचआईवी वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद कम से कम तीन माह बाद बीमारी के हल्के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। जिले में एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त लोगों को चिन्हित करने का कार्य वर्ष 2002 से शुरू हुआ। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नॉको) के सहयोग से यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (यूपी सैक्स) के निर्देश पर जिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी यह कार्य कर रही है।
यह है जिले की तस्वीर
एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र के परामर्शदाता उदय प्रताप सिंह बताते हैं कि इस साल अप्रैल से नवबंर के मध्य 38 नए मरीज चिन्हित हुए हैं। जिसके बाद कुल चिन्हित एड्स रोगियों की संख्या 235 हो गई है। इनमें अधिकांश वे लोग हैं जो यूपी अथवा दूसरे प्रांतों के महानगरों में काम करते हैं, सेक्स वर्कर हैं अथवा इंजेक्शन से नशा लेने के आदी हैं। जिले में करीब 300 लोग ऐसे हैं, जोकि इंजेक्शन के माध्यम से नशा करते हैं। इनमें से 10 लोग एड्स पीड़ित भी हैं। इसके अलावा पांच सौ महिला सेक्स वर्कर में से दस और तीन सौ पुरुष सेक्स वर्कर में से चार लोग एड्स पीड़ित हैं। इनमें अधिकतर प्रवासी हैं। यह लोग अपने काम-धंधे के सिलसिले में लंबे समय तक घरों से बाहर रहते हैं और संक्रमित महिला से संबंध स्थापित कर वायरस ले लेते हैं। जब तक उन्हें इसका पता लगता है तब तक वह कई लोगों को बीमारी का वायरस परोस चुके होते हैं।
इस तरह करें बचाव
जिला क्षय रोग अधिकारी व कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. मनोज देशमणि बताते हैं कि असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से, संक्रमित रक्त चढ़ने से, संक्रमित मां से नवजात में, संक्रमित ब्लेड के प्रयोग से और संक्रमित निडिल के प्रयोग से एड्स का संक्रमण फैलता है। एड्स को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी लोगों में इस बीमारी को लेकर भ्रांतियां है और वह इसकी जांच कराने नहीं आते हैं। वह बताते हैं कि जिला चिकित्सालय में स्थित एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र पर अाने वाले मरीज की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति नि:संकोच आकर अपनी जांच करा सकता है। वह यह भी बताते है कि इन केंद्रों पर यह भी बताया कि जाता है कि कोई भी व्यक्ति एचआईवी के वायरस किस तरह से संक्रमित होता है, साथ ही इससे बचने के लिए सुरक्षित सेक्स व सुरक्षित नशा करने का रास्ता अपनाने की सलाह भी दी जाती है।
Dec 01 2023, 18:52