औरंगाबाद में नहीं है एनेस्थीसिया डॉक्टर:पिछले 6 महीने में नहीं हुए एक भी ऑपरेशन, 9 साल पहले मॉडल अस्पताल का मिल चुका है दर्जा
औरंगाबाद सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा 9 साल पहले ही प्राप्त हो चुका है। लेकिन आज भी अस्पताल में मरीजों को वह सारी सुविधा नहीं मिल पा रही, जो कि एक मॉडल अस्पताल में होनी चाहिए। अस्पताल प्रबंधन ने अभी हाल में ही पुरुष नसबंदी एवं महिला बंध्याकरण को लेकर जागरूकता पखवाड़ा चलाया था। लेकिन पिछले 6 महीने से सदर अस्पताल में एक ही सिजेरियन नहीं हुआ है। सिजेरियन ना होने का कारण एनेस्थीसिया के चिकित्सक का ना होना बताया जा रहा है। सदर अस्पताल में मामूली ऑपरेशन के लिए आए मरीज को निजी क्लीनिक का सहारा लेना पड़ता है।
ऐसे में उन्हें छोटे-छोटे ऑपरेशन के लिए 40 से 50 हजार तक बेवजह खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन इसकी फिक्र ना तो सरकार को है और ना ही अस्पताल प्रबंधन को। स्थिति यह हो गई है कि यहां का ऑपरेशन थिएटर में एक भी मरीज का ऑपरेशन नहीं हुआ है। प्रतिदिन यहां ग्रामीण क्षेत्र के मरीज ऑपरेशन की आस को लेकर आते हैं। लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। हालांकि सदर अस्पताल में ऑपरेशन की व्यवस्था बहाल करने के लिए पूर्व में राज्य सरकार के द्वारा एक वर्ष पूर्व तीन एनेस्थीसिया चिकित्सक भेजे गए। लेकिन उनमें से दो ने योगदान दिया लेकिन एक दिन भी ऑपरेशन के कार्य में शामिल नहीं हुए और नौकरी छोड़कर चले गए।
उस वक्त गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉक्टर कुमार महेंद्र थे और उन्होंने एनेस्थीसिया की ट्रेनिंग ले रखी थी। जिसके कारण सदर अस्पताल में ऑपरेशन हुए। परंतु उनका पदस्थापन जमुई सीएस के रूप में हो गया और वे यहां से चले गए। उनके जाने के बाद अस्पताल में ऑपरेशन का कार्य बंद हो गया।
जानकारी के अनुसार जिले के तीन अस्पतालों में सिजेरियन की व्यवस्था की गई है। जिसमें सदर अस्पताल, रेफरल अस्पताल कुटुंबा और अनुमंडल अस्पताल दाउदनगर शामिल है। लेकिन कहीं भी एनेस्थीसिया के डॉक्टर नहीं होने के कारण ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। सदर अस्पताल में एक महीना में 50 ऑपरेशन का लक्ष्य है। लेकिन अभी तक वह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है। यानी की 6 महीना में एक भी जरूरतमंद का ऑपरेशन सदर अस्पताल में नहीं हुआ है।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर रवि भूषण श्रीवास्तव ने बताया कि सदर अस्पताल में एनेस्थीसिया के चिकित्सक के न होने के कारण यहां ऑपरेशन का कार्य पिछले 6 माह से बंद है। उन्होंने बताया कि चिकित्सक चाहे तो ऑपरेशन कर सकते हैं लेकिन चिकित्सीय एथिक्स के अनुसार वह सही नहीं है। ऐसी स्थिति में कोई चिकित्सक रिस्क नहीं लेना चाहता। क्योंकि कभी कोई केस खराब हो जायेगा तो परेशानी उत्पन्न हो सकती है।
जानकारी मिली है कि सदर अस्पताल के अलावा कुछ पीएचसी और सीएचसी में चिकित्सक अपने रिस्क पर जरूरतमंद लोगों का ऑपरेशन कर रहे हैं। जिससे उन अस्पतालों का टारगेट तो पूरा नहीं हो पा रहा है। लेकिन स्थिति शून्य नही है।सिविल सर्जन ने बताया कि एनेस्थीसिया चिकित्सक के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है और उम्मीद है कि शीघ्र ही सदर अस्पताल सहित अन्य अस्पताल को एनेस्थीसिया के चिकित्सक प्राप्त होंगे।जिससे ऑपरेशन का कार्य संपादित किया जा सकेगा।
Sep 21 2023, 17:26