अप्रवासियों की संख्या में कटौती करने जा रहा है कनाडा, ट्रूडो के फैसले से कैसे प्रभावित होंगे भारतीय?

#canadajustintrudeaugovtcuttingimmigrationby_20-percent

पिछले कुछ समय से भारत और कनाडा के बीच के संबंधों में खटास आई है। इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री का जस्टिन ट्रूडो ने एक नई घोषणा कर दी है। जो कनाडा में रह रहे अप्रवासी भारतीय लोगों की खासी परेशानी का सबब बन गया है। दरअसल, कनाडा ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में अहम बदलाव का ऐलान किया है। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के फैसले से अगले तीन वर्षों में (2027 तक) स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या कम हो जाएगी। इसका भारतीयों पर खासतौर से असर होने जा रहा है, जो कनाडा की अप्रवासी और छात्र आबादी का बड़ा हिस्सा हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि हम कनाडा में विदेशी कामगारों की संख्या में कमी करने वाले हैं। जिसने भारतीय अप्रवासियों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। ट्रूडो ने पोस्ट में आगे लिखा कि, “हम कंपनियों के लिए सख्त नियम लेकर आ रहे हैं, जिससे कि वो यह साबित कर सकें कि वे पहले क्यों पहले कनाडा के कर्मचारियों को नियुक्त नहीं कर सकते।”

कई वर्षों में पहली बार अप्रवासियों में की जा रही भारी कमी

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार ने कई वर्षों के बाद पहली बार देश में आने वाले अप्रवासियों की संख्या में भारी घटाव करने जा रही है। सीबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो ने 2025 में नए स्थायी निवासियों को घटाकर 3,95,000 करने का फैसला लिया है। वहीं, 2025 में अस्थायी प्रवासियों की संख्या 30,000 घटकर करीब तीन लाख रह जाएगी।

हालांकि, कनाडा के आव्रजन मंत्रालय ने पहले 2025 और 2026 में 500,000 नए स्थायी निवासियों को देश में बसने देने की योजना बनाई थी, लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इसमें संशोधन किया गया है। अब अगले साल के लिए ये संख्या 395,000 और 2026 के लिए 380,000 कर दिया गया है। वहीं, 2027 के लिए यह संख्या 365,000 निर्धारित की गई है।

पहले ही लिया स्टडी परमिट सीमित करने का फैसला

कनाडा के सीएम का यह एलान ऐसे समय में हुआ है जब वहां पहले से ही स्टडी वीजा पर आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित कर दिया गया है। सरकार इस साल 35 फीसदी कम इंटरनेशनल स्टूडेंट परमिट देगी और उन्होंने आव्रजन प्रणाली का गलत उपयोग करने वाले लोगों पर नकेल कसने की भी बात कही है। ट्रूडो ने यह भी कहा कि 2025 में इंटरनेशनल स्टडी परमिट की तादाद में अतिरिक्त 10 फीसदी की कमी की जाएगी।सरकार के मुताबिक, कनाडा 2025 में 437,000 स्टजी परमिट जारी करने का प्लान बना रहा है, जो 2024 में जारी किए गए 485,000 परमिट से 10 फीसदी कम है।

इस फैसले के पीछे वजह क्या है?

आप्रवासन में कटौती करने का कनाडा का निर्णय बुनियादी ढांचे के दबाव के चलते लिया गया है। कनाडाई जनता की राय उच्च आप्रवासन स्तर के खिलाफ बदल रही है क्योंकि घरों की कमी बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार के अनुसार, आप्रवासन में कटौती से 2027 तक कनाडा के आवास आपूर्ति अंतर को 6,70,000 यूनिट तक कम किया जा सकता है।बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में अर्थशास्त्र के निदेशक रॉबर्ट कैवसिक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि नई आप्रवासन योजना अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे से तनाव कम करेगी जो हाल के वर्षों में कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि आप्रवासन श्रम अंतराल को भरने के लिए जरूरी है लेकिन इसकी मौजूदा रफ्तार कनाडा के बुनियादी ढांचे से आगे निकल सकती है।

भारतीयों पर क्या होगा असर?

भारत के लोग कनाडा की आप्रवासी और अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे में इमिग्रेशन में कटौती के नतीजे के तौर पर भारतीयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बदलाव का कनाडा में पढ़ाई और नौकरी के इच्छुक भारतीय छात्रों पर सबसे ज्यादा होगा। कनाडा के अस्थायी विदेशी कामगार कार्यक्रम (टीएफडब्ल्यूपी) के तहत वर्क परमिट में भारी कटौती और स्टडी परमिट पर सीमा तय होने से नौकरी और नागरिकता की उम्मीद कर रहे भारतीयों के लिए अवसर सीमित हो जाएंगे। ये कटौती आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भी भारतीयों को प्रभावित करेगी।

कनाडा के वॉलमार्ट ओवन में मिला सिख युवती का मृत शरीर,जांच अभी तक जारी

#sikhteenfounddeadincanadianwalmartoveninvestigationgoingon

Walmart Canada

कनाडा के हैलिफ़ैक्स शहर में वॉलमार्ट स्टोर के बेकरी विभाग के वॉक-इन ओवन के अंदर एक 19 वर्षीय सिख महिला मृत पाई गई। हैलिफ़ैक्स क्षेत्रीय पुलिस (एचआरपी) ने कहा कि उन्हें शनिवार रात करीब साढ़े नौ बजे 6990 ममफोर्ड रोड पर वॉलमार्ट में अचानक मौत की सूचना मिली।

पुलिस के अनुसार, महिला, जिसकी पहचान नहीं हो पाई है, स्टोर में कार्यरत थी। पुलिस ने कहा, उसका शव वॉक-इन ओवन में पाया गया। मैरीटाइम सिख सोसाइटी ने सीटीवी न्यूज से पुष्टि की कि वह उनके समुदाय की सदस्य थी। मैरीटाइम सिख सोसाइटी के अनमोलप्रीत सिंह ने कहा, "यह हमारे लिए, उसके परिवार के लिए भी बहुत दुखद है, क्योंकि वह बेहतर भविष्य के लिए आई थी और उसने अपनी जान गंवा दी।"

जांच में कठिनाइयां

एचआरपी कांस्टेबल मार्टिन क्रॉमवेल ने कहा कि पुलिस को महिला की मौत के कारण के बारे में हो रहे ऑनलाइन अटकलों की जानकारी है । क्रॉमवेल ने कहा, "जांच जटिल है।"

द ग्लोब एंड मेल अखबार ने कहा कि वह हाल ही में भारत से कनाडा गई थी। दुकान शनिवार रात से बंद है जबकि जांच जारी है। "हम समझते हैं कि जनता इसमें शामिल है, और हम बस जनता को हमारी जांच में धैर्य रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते थे और ध्यान रखना चाहते हैं क्योंकि इसमें परिवार के सदस्य और सहकर्मी भी शामिल हैं।" क्रॉमवेल ने कहा कि हैलिफ़ैक्स पुलिस जांच में मदद के लिए उपयुक्त एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है।

एचआरपी ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "हम जनता से सोशल मीडिया पर काल्पनिक जानकारी साझा करने से सावधान रहने का आग्रह करते हैं।" प्रांत के श्रम विभाग के एक आलोचक ने कहा कि वॉलमार्ट स्टोर में बेकरी और "उपकरण के एक टुकड़े" के लिए काम रोकने का आदेश जारी किया गया है। एचआरपी ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जांच अभी तक उस बिंदु तक नहीं पहुंची है जहां मौत के कारण और तरीके की पुष्टि की गई हो।"

नोवा स्कोटिया के मेडिकल परीक्षक मौत का कारण निर्धारित करने के लिए काम कर रहे हैं, और प्रांत का स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग जांच में भाग ले रहा है।

वॉक-इन ओवन, जिन्हें कैबिनेट या बैच ओवन भी कहा जाता है, पहिएदार रैक या कार्ट का उपयोग करके बैचों में , सुखाने या बेकिंग की अनुमति देते हैं। वे अक्सर सुपरमार्केट जैसी जगहों पर बड़ी मात्रा में बेकरी में पाए जाते हैं।

वॉलमार्ट कनाडा ने एक बयान में कहा कि कंपनी दुखी है और उनकी संवेदनाएं महिला के परिवार के साथ हैं।

कनाडा के साथ विवाद पर एस जयशंकर का बड़ा बयान, बोले-भारत के राजनयिकों से करता है सौतेला व्यवहार
#s_jaishankar_on_india_canada_dispute

भारत और कनाडा के बीच तनाव अपने चरम पर है।निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य राजनयिकों की संलिप्पता का आरोप लगाये जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आई है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा के साथ जारी तनाव पर अपनी बात रखी। नई दिल्ली और ओटावा के बीच बिगड़े संबंधों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कनाडा पर दोहरे मानदंड अपनाने के लिए निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कनाडा को भारत के राजनयिकों से दिक्कत है। हमारे राजनयिकों को कनाडा पसंद नहीं कर रहा है। *कनाडा का मुद्दा एक सामान्य पश्चिमी मुद्दा-जयशंकर* एनडीटीवी से बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि कनाडा दूसरे देशों के राजनयिकों के साथ जैसा व्यवहार करता है, उससे अलग व्यवहार भारतीय राजनयिकों के साथ कर रहा है। कनाडा खुद भारत में अपने राजनयिकों को मनमानी करने देता है, लेकिन भारतीय राजनयिकों पर बंदिशें लगाता है। उन्होंने कहा, कनाडा का मुद्दा एक सामान्य पश्चिमी मुद्दा और कनाडा विशिष्ट मुद्दा है, दुनिया के समीकरण बदल रहे हैं। दुनियाभर में पावर बैलेंस बदल रहा है। ऐसे में पश्चिम के देश इसे पचा नहीं पा रहे। *दोहरे मानदंड इसके लिए बहुत हल्का शब्द है-जयशंकर* एस जयशंकर ने इस बात का जिक्र किया कि कनाडा अन्य राजनयिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है और भारत में रहते हुए उसके राजनयिक विशेषाधिकार का उपयोग करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि दोहरे मानदंड इसके लिए बहुत हल्का शब्द है। निज्जर की हत्या के मामले में पिछले हफ्ते कनाडा ने भारत सरकार की संलिप्तता के नए आरोप लगाये थे, जिसके बाद भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। भारत ने अपने उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को भी वापस बुला लिया था। ये सभी राजनयिक भारत वापस आ रहे हैं. कनाडा सरकार ने कहा था कि भारतीय राजनयिकों को देश से निकाल दिया गया है। *कनाडा में लोगों तो टारगेट करना बंद होना चाहिए- जयशंकर* एस जयशंकर ने कहा कि ऐसा लगता है कि कनाडा में अगर भारतीय राजनयिक यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि उनके कल्याण और सुरक्षा से संबंधित मामलों पर क्या हो रहा है तो उन्हें समस्या होती है। वहीं, अगर आप भारत में देखें तो कनाडाई राजनयिकों को बाहर जाने और हमारी सेना, पुलिस, लोगों की प्रोफाइलिंग करने में कोई समस्या नहीं है। कनाडा में लोगों तो टारगेट करना बंद होना चाहिए। *अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धमकाने का आरोप* विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कनाडा वाले भारत में जो लाइसेंस खुद को देते हैं वह उस तरह के प्रतिबंधों से बिल्कुल अलग है जो वे कनाडा में राजनयिकों पर लगाते हैं। जब हम उन्हें बताते हैं कि आपके पास वे लोग हैं जो भारत के नेताओं को, भारत के राजनयिकों को खुलेआम धमकी देते हैं तो वे इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताते हैं। जब भारतीय पत्रकार सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हैं, यदि आप भारतीय उच्चायुक्त को धमकी देते हैं, तो वह इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानते हैं। लेकिन अगर कोई भारतीय पत्रकार कहता है कि कनाडाई उच्चायुक्त बहुत गुस्सा होकर साउथ ब्लॉक से बाहर चले गए, तो यह विदेशी हस्तक्षेप है। बता दें कि निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा द्वारा भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य राजनयिकों की संलिप्पता का आरोप लगाये जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आई है। भारत ने निज्जर की हत्या से संबंधित मामले में कनाडा द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। निज्जर, भारत में एक नामित आतंकवादी है।
कनाडा की खुफिया एजेंसी के लिए काम करते हैं खालिस्तान समर्थक', राजदूत संजय कुमार वर्मा का गंभीर आरोप

#canada_highcommissioner_sanjay_verma_big_allegation_on_trudeau_govt

भारत और कनाडा के तनाव भरे रिश्ते के बीच कनाडा में वापस बुलाए गए भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा नएमे गंभीर आरोप लगाया है। कनाडा में भारतीय हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा ने देश लौटने से पहले दावा किया है कि खालिस्तानी चरमपंथी और आतंकवादी कनाडा सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) की बड़ी संपत्ति हैं।

कनाडा के सीटीवी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में संजय वर्मा ने कनाडाई सरकार पर खालिस्तानी चरमपंथियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। संजय वर्मा ने कहा कि खालिस्तानी चरमपंथियों को हर समय प्रोत्साहित किया जा रहा है।

भारतीय राजदूत ने कहा, खालिस्तानी चरमपंथियों को हर समय प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह मेरा आरोप है, मैं यह भी जानता हूं कि इनमें से कुछ खालिस्तानी चरमपंथी और आतंकवादी सीएसआईएस के जासूस हैं, मैं फिर से कोई सबूत नहीं दे रहा हूं। संजय कुमार वर्मा ने आगे कहा कि कनाडा सरकार को हमारी मुख्य चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा, हम केवल इतना चाहते हैं कि वर्तमान कनाडाई शासन, वर्तमान सरकार हमारी मुख्य चिंताओं को ईमानदारी से समझे, न कि उन लोगों के साथ मिलकर काम करे जो भारतीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। भारत में क्या होता है, यह भारतीय नागरिकों की तरफ से तय किया जाएगा।

वहीं, राजदूत ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में ओटावा द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से भी इनकार किया।ट्रुडो सरकार के आरोपों पर संजय वर्मा ने कहा, कोई सबूत पेश नहीं किया गया। ये राजनीति से प्रेरित है। मुझे देखने दीजिए कि वह (विदेश मंत्री मेलानी जॉय) किस ठोस सबूत के बारे में बात कर रही हैं। जहां तक ​​मुझे चिंता है, वह राजनीतिक तौर पर बात कर रही हैं। भारत के उच्चायुक्त के तौर पर मैंने कभी इस तरह का कुछ नहीं किया। कनाडा में खालिस्तानी समर्थक तत्वों की निगरानी करना राष्ट्रीय हित का मामला है और उनकी टीम खुले सोर्सेज के माध्यम से जानकारी इकट्ठा करती है।

बता दें कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल आरोप लगाया था कि खालिस्तानी अलगाववादी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे. भारत ने आरोप को बेतुका और प्रेरित बताया था। भारत ने कनाडा सरकार पर अपने आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत देने को कहा था, लेकिन ट्रूडो ऐसा नहीं कर पाए। इसके बाद पिछले सप्ताह, कनाडाई पीएम ट्रूडो ने भारत सरकार पर कई और गंभीर आरोप लगाए। कनाडा सरकार ने निज्जर हत्या मामले की जांच में वरिष्ठ राजनयिकों को पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट बताया था, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए। भारत ने अपने राजदूत वापस बुला लिए। वहीं पिछले हफ्ते ही एक भाषण में ट्रूडो ने कहा कि कनाडा सरकार के दावे खुफिया जानकारी पर आधारित थे, न कि ठोस सबूतों पर।

कनाडा के साथ तनाव के बीच स्ट्राइकर खरीदने की योजना “खटाई” में! जानें भारत के लिए कितना बड़ा झटका

#canada_india_conflict_stryker_armoured_vehicles_deal_stuck

कनाडा के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। इंडियन आर्मी का स्ट्राइकर आर्मर्ड गाड़ियां खरीदने का प्लान खटाई में पड़ता दिख रहा है। दरअसल, ये गाड़ियां कनाडा में बनती हैं। पिछले साल नवंबर में भारत और अमेरिका के बीच हुई 2+2 वार्ता के दौरान अमेरिका ने 'स्ट्राइकर' के सह-उत्पादन पर जोर दिया था। अमेरिका ने भारत को इसके एयर डिफेंस सिस्टम वेरिएंट की पेशकश की थी, लेकिन भारत-कनाडा विवाद के चलते 'स्ट्राइकर' बख्तरबंद वाहनों की खरीदी डील अधर में दिखाई पड़ रही है।

इसी साल जून से ‘स्ट्राइकर’ को लेकर भारत-अमेरिका के बीच बातचीत शुरुआती चरण में थी और इसकी क्षमताओं का प्रदर्शन भारतीय सेना के सामने किया जाना था। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल भारत ने ‘स्ट्राइकर’ की खरीद को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है।कनाडा से रिश्ते बिगड़ने के बाद अब इस डील पर संशय के बादल छा गए हैं। सूत्रों का कहना है कि अब इस मामले में आगे कोई बात नहीं हुई है और न ही गाड़ियां खरीदने को लेकर कोई फैसला लिया गया है।

पिछले एक साल से कनाडा की इन गाड़ियों को भारत को बेचने की पुरजोर कोशिशें हो रही थीं। इस प्रोजेक्ट को 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का हिस्सा बताया जा रहा था। शुरुआती प्लान के मुताबिक, पहले तो कनाडा से सीधे कुछ गाड़ियां खरीदी जातीं और फिर बाद में कनाडा की कंपनी जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स के साथ मिलकर भारत में ही इनका निर्माण किया जाता।

हालांकि, भारत की अपनी रक्षा कंपनियों को यह बात रास नहीं आ रही थी। उनका कहना था कि उन्होंने इसी तरह की गाड़ियां बनाने में अपनी पूंजी और मेहनत लगाई है और अब विदेशी कंपनी को मौका देना सही नहीं होगा। भारतीय कंपनियों ने सरकार से अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि हमारे पास ऐसी गाड़ियां बनाने की पूरी तकनीक और क्षमता है, तो फिर स्ट्राइकर गाड़ियों के लिए कनाडा के साथ समझौता करने का क्या मतलब?

जानकारी के मुताबिक इन वाहनों को सेना बॉर्डर के आगे के क्षेत्रों में उपयोग के लिए भेजा जाना था, खासकर लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर भारत इनकी तैनाती करना चाहता था, लेकिन भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों ने इस योजना पर संदेह पैदा कर दिए हैं।

भारत-कनाडा विवादःजानें क्या है कनाडा के इन दोस्तों का रूख

#canada_india_row_five_eyes_allies_reaction 

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। कनाडा ने एक बार फिर आरोप लगाया है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के अधिकारियों का हाथ है। इन आरोपों के बाद कनाडा और भारत के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों ने एकदूसरे के कई टॉप राजनयिकों को निकाल दिया है। 

भारत के साथ बढ़ते विवाद के बीच ट्रूडो ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें कहा कि निज्जर हत्याकांड में भारतीय एजेंट्स की संलिप्तता को लेकर कनाडा ने अपने फाइव आईज के सभी सहयोगियों के साथ जानकारी साझा की है।फाइव आईज अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का खुफिया संगठन है।

अमेरिका ने क्या कहा?

इस बीच,अमेरिका ने भारत और कनाडा के बीच विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।अमेरिका ने कहा है कि भारत को निज्जर हत्याकांड के मामले में कनाडा की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मंगलवार को कहा कि भारत पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं।मिलर ने कहा, हम चाहते हैं कि भारत सरकार कनाडा के साथ जांच में मदद करे। निश्चित तौर पर उन्होंने ऐसा नहीं किया है। उन्होंने वैकल्पिक रास्ता चुना है।

भारत और कनाडा दोनों अमेरिका के अहम सहयोगी देश हैं। लेकिन इस मामले में फिलहाल अमेरिका कनाडा का साथ देता नज़र आ रहा है। पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो ने अपने देश की संसद में भारत के 'एजेंटों' पर निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे। उस समय भी अमेरिका ने भारत से इसकी जांच में सहयोग करने की अपील की थी।

न्यूजीलैंड ने बरती सतर्कता

फाइव आईज सहयोगी न्यूजीलैंड ने भारत-कनाडा राजनयिक तनाव के बीच कनाडा का समर्थन किया है लेकिन भारत के खिलाफ टिप्पणी नहीं की है। न्यूजीलैंड के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा है कि अगर आरोप सिद्ध हो जाए तो बहुत चिंताजनक होगा।हालांकि, मंत्री ने अपने बयान में भारत का नाम नहीं लिया है और बड़ी ही सतर्कता से न्यूजीलैंड का पक्ष रखा है।

विंस्टन पीटर्स ने एक्स पर लिखा, 'कनाडा ने न्यूजीलैंड को अपने दक्षिण एशियाई समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा और उन्हें मिल रही धमकियों के संबंध में चल रही आपराधिक जांच के बारे में हमें जानकारी दी है। कनाडा के आरोप अगर सिद्ध होते हैं बहुत चिंताजनक होगा।साथ ही, हम न्यूजीलैंड या विदेश में चल रही आपराधिक जांच पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन हम कहना चाहेंगे कि यह महत्वपूर्ण है कि कानून के शासन और न्यायिक प्रक्रियाओं का सम्मान किया जाए और उनका पालन किया जाए।

ब्रिटेन ने क्या कहा?

जस्टिन ट्रूडो ने इस मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए सोमवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर को फोन किया था। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक़ इस बातचीत के दौरान स्टार्मर ने 'रूल ऑफ लॉ’ को अहमियत देने की बात की। हालांकि ब्रिटेन की ओर से जारी इस बयान में भारत का सीधा संदर्भ नहीं दिया गया था लेकिन इसमें भारत पर लगाए गए आरोपों की कनाडा में चल रही जांच का ज़िक्र है। दोनों ने निज्जर हत्याकांड की जांच का निष्कर्ष सामने आने तक एक दूसरे के संपर्क में रहने का वादा किया।

ऑस्ट्रेलिया ने साफ किया अपना रुख़

ऑस्ट्रेलिया ने भी इस मामले में अपना रुख़ साफ कर दिया है। फाइव आइज़ अलायंस के सदस्य देशों में शामिल ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने हालांकि मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारत-कनाडा के बीच विवाद सवालों के जवाब नहीं दिए। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के विदेश मामले और व्यापार मंत्रालय ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया कनाडा में चल रही जांच से जुड़े आरोपों की जांच और वहां की न्यायिक प्रक्रिया पर अपना नजरिया बता दिया है। मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, "हमारा सिद्धांत ये है कि सभी देशों की संप्रभुता कानून के नियमों का सम्मान होना चाहिए।''

कनाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बैन करने की उठी मांग, जानें क्या है वजह

#canada_ndp_leader_jagmeet_singh_demands_rss_ban

भारत और कनाडा के बीच तनाव फिर से बढ़ गया है। खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कनाडा सरकार ने भारत के उच्चायुक्त के शामिल होने का आरोप लगाया है। भारत सरकार ने इसके बाद अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया है। दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच कनाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेटवर्क पर बैन लगाने की मांग उठी है।

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह ने कनाडा में आरएसएस के नेटवर्क पर बैन लगाने की मांग की है। सिंह ने यह बयान भारतीय राजनयिकों के निष्कासन और आपराधिक जांच के संदर्भ में जारी किया।

जगमीत सिंह ने कहा, "आरसीएमपी कमिश्नर द्वारा जारी की गई जानकारी को लेकर न्यू डेमोक्रेट्स चिंतित है। सिंह का आरोप है कि भारतीय अधिकारियों के हाथों कनाडाई, विशेष रूप से कनाडा के सिख समुदाय, डर, धमकी, उत्पीड़न और हिंसा का शिकार हो रहे हैं। उनके मुताबिक सिखों संग जबरन वसूली की जा रही है।

बयान में मारे गए आतंकवादी निज्जर का भी जिक्र है। दावा किया गया है कि कनाडा के पास भारत के खिलाफ कनाडाई हरदीप सिंह निज्जर (भारत द्वारा घोषित आतंकवादी) के मर्डर से संबंधित पुख्ता सबूत हैं। उन्होंने आगे कहा, सितंबर 2023 में ही आरसीएमपी ने 13 लोगों को जान का खतरा बताते हुए चेतावनी जारी की थी। सिंह के मुताबिक, खतरे की चेतावनी के बावजूद कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की। हमारी प्राथमिकता कनाडाई नागरिकों के लिए सुरक्षित माहौल मुहैया कराने की है ताकि वो जबरन वसूली, हिंसा और चुनावी हस्तक्षेप से मुक्त रहें। कनाडा और हमारे नागरिकों की सुरक्षा के हित में मैं सभी नेताओं से आग्रह करता हूं कि वह अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करें और भारत सरकार की जवाबदेही तय करें।

जगमीत सिंह ने कनाडाई सरकार से भारतीय राजनयिकों के निष्कासन के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि हम एक बार फिर से कनाडा सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वह भारत के खिलाफ राजनयिक प्रतिबंध लगाए। आरएसएस पर कनाडा में बैन लगाएं और किसी भी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई का वचन दें जो कनाडाई मिट्टी पर संगठित आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाया जाए।

एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने ये मांग उस वक्त उठाई है जब भारत और कनाडा के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी देखी जा रही है। दरअसल, खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा ने एक बार फिर भारत विरोधी बयान दिया है। जिसके बाद भारत ने सख्त एक्शन लेते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। वहीं, कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनायिकों को वापस बुला लिया है।

भारत ने फिर कनाडा को फटकारा, भारतीय उच्चायुक्त-राजनयिकों को लेकर ट्रूडो सरकार के दावे पर लताड़ा*

#india_mea_attacks_canada_justin_trudeau

खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में भारत ने एक बार फिर कनाडा को सख्त संदेश दिया है। भारत ने कनाडा से कहा है कि ट्रूडो इस तरह भारत पर आरोप नहीं लगा सकते। उन्हें निज्जर मामले में पुख्ता सबूत पेश करने होंगे। भारत ने कहा कि ट्रूडो राजनीतिक लाभ के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इसे ट्रूडो का राजनीतिक हथकंडा बताया है।दरअसल, कनाडा सरकार ने एक जांच के मामले में भारतीय उच्चायुक्त और भारतीय राजनयिकों को जांच के दायरे में माना है। इस संदर्भ में भारत सरकार को कनाडा सरकार ने पत्र लिखा है। इसी पत्र के जवाब में भारत सरकार ने कनाडा को फटकारा और उसके आरोप को खारिज किया।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक रविवार को कनाडा की ओर से एक राजनयिक संदेश मिला, जिसमें कनाडा में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त और राजनयिकों को निज्जर हत्यकांड में ‘पर्सन ऑफ इंट्रस्ट’ बताया गया है।भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।

भारत सरकार ने आगे कहा, ‘चूंकि प्रधान मंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे। हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद कनाडाई सरकार ने भारत सरकार के साथ सबूत का एक टुकड़ा भी साझा नहीं किया है। यह नवीनतम कदम उन बातचीतों के बाद उठाया गया है जिनमें एक बार फिर बिना किसी तथ्य के दावे सामने आए हैं। इससे इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत पर कीचड़ उछालने की एक सोची-समझी रणनीति है।

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी एजेंडा पहले ही बेनकाब हो चुका है। विदेश मंत्रालय ने 2018 में ट्रूडो के भारत दौरे को वोट बैंक राजनीति को साधने की कोशिश का हिस्सा बताया और कहा कि तब ट्रूडो का यह दांव उल्टा पड़ गया था। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में ट्रूडो के दखल ने दिखाया है कि वह राजनीतिक हितों को साधने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं। सरकार ने कहा कि ट्रूडो कैबिनेट में कई ऐसे लोग शामिल हैं जो सीधे तौर पर भारत विरोधी कट्टरवाद और अलगाववाद से प्रेरित हैं।

बता दें कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर हत्या में भारतीय एजेंट के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद से भारत-कनाडा संबंधों में खटास आ गई। भारत ने कनाडा सरकार के उस आरोप को भी खारिज किया था और कहा था कि आरोपों को साबित करने के लिए सबूत दें।

क्या जाएगी कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी? खालिस्तान समर्थक एनडीपी ने सरकार से वापस लिया समर्थन

#canada_justin_trudeau_govt_in_turmoil_as_ndp_announce_to_withdraw_its_support

कनाडा की ट्रूडो सरकार अब मुश्किलों में है।खालिस्तानियों के हमदर्द कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी खतरे में आ गई है।ट्रूडो सरकार में शामिल न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और कनाडा में खालिस्तानियों के समर्थक जगमीत सिंह ने समर्थन वापस लेने की घोषणा की है। सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा कि वह दोनों लोग के बीच 2022 में हुए समझौते को तोड़ रहे हैं। उन्होंने विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी का सही ढंग से मुकाबला न कर पाने के लिए ट्रूडो की आलोचना की।

जगमीत सिंह ने एक वीडियो में कहा कि लिबरल बहुत कमजोर हैं, बहुत स्वार्थी हैं और लोगों के लिए लड़ने के लिए कॉर्पोरेट हितों के प्रति समर्पित हैं। वो बदलाव नहीं ला सकते- वो उम्मीदों पर खड़े नहीं उतर सकते। उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने लोगों को निराश किया है। वे कॉर्पोरेट लालच पर अंकुश लगाने में विफल रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि उनका संगठन ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो अगले चुनाव में पियरे पोइलीवर की कंजर्वेटिव पार्टी की जीत की कोशिश को नाकाम कर सकती है।

ट्रूडो सरकार गिरने का जोखिम

जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने सप्लाई-एंड-कॉन्फिडेंस डील से खुद को अलग कर लिया।जगमीत सिंह की एनडीपी जस्टिन ट्रूडो की अल्पमत वाली लिबरल सरकार को सत्ता में बनाए रखने में मदद कर रही थी। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि ट्रूडो के सामने तुरंत पद छोड़ने और नए सिरे से चुनाव कराने का खतरा है। लेकिन सरकार गिरने का जोखिम बना हुआ है। सप्लाई और कॉन्फिडेंस डील गठबंधन सरकारों से अलग होती हैं, जहां कई पार्टियां संयुक्त रूप से कैबिनेट में काम करती हैं और साथ मिलकर सरकार चलाती हैं। जस्टिन ट्रूडो को अब हाउस ऑफ कॉमन्स चैंबर में अन्य विपक्षी सांसदों का समर्थन हासिल करना होगा। तभी वो बजट पास करा पाएंगे और विश्वास मत जीत सकेंगे।

एनडीपी ने साल 2022 में जस्टिन ट्रूडो के साथ हाथ मिलाया था, जिसमें 2025 के मध्य तक उनकी सरकार का समर्थन करने का वादा किया गया था। ट्रूडो और जगमीत के बीच हुए इस समझौते को सप्लाई एंड कॉन्फिडेंस के नाम से जाना जाता है। इसके तहत ट्रूडो की पार्टी लिबरल को पार्टियां विश्वास मत के लिए समर्थन देती है। बदले में एनडीपी को सामाजिक कार्यक्रमों के लिए बढ़ी हुई धनराशि हासिल की थी।

जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी और ट्रूडो की पार्टी के बीच समझौते की कुछ शर्तें तय की गई थीं। ये समझौता संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की सूरत में सरकार को बचाने के लिए किया गया था। उस दौरान यह तय किया गया था कि इसके बदले में लिबरल पार्टी संसद में एनडीपी की प्रमुख प्राथमिकताओं का समर्थन करेगी। इन प्राथमिकताओं में कम आय वाले परिवारों के लिए लाभ, नेशनल फार्माकेयर प्रोग्राम और हड़ताल के दौरान दूसरे वर्कर्स के इस्तेमाल को रोकने वाले कानून की बात थी। पिछले महीने कनाडा में दो सबसे बड़े रेलवे ने अपना काम बंद कर दिया। इसके बाद ट्रूडो की कैबिनेट ने इंडस्ट्रियल बोल्ट को बाध्यकारी मध्यस्थता लागू करने का निर्देश दिया। इस वजह से ही एनडीपी ने अपनी प्राथमिकताओं पर नए सिरे से विचार करना शुरू कर दिया।

Khomane Agro: Revolutionizing FMCG and Agro Industries with Tradition and Innovation

Pune, Maharashtra[DATE] – Khomane Agro, a rising star in the Indian FMCG and Agro industries, is making waves with its unique blend of tradition and innovation. Founded in 2022, the company is committed to delivering premium products while empowering farmers and bolstering India's agricultural economy.

Championing Sustainable Practices and Farmer Partnerships

Khomane Agro stands out for its dedication to quality, sustainability, and collaboration. They have forged partnerships with over 10,000 farmers across India, championing organic and fresh ingredient sourcing. The company actively works with visionary farmers who share their passion for innovation and experimentation in crop management practices. This approach ensures not only the highest quality ingredients but also supports sustainable farming methods.

A Fusion of Tradition and Modernity

Khomane Agro isn't just about revolutionizing agricultural practices; they're also redefining the way consumers experience traditional Indian flavors. Their product range offers a delightful fusion of time-tested recipes and modern convenience:

  • Chutneys
  • Masalas
  • Snacks
  • Jaggery
  • Pre-Mixes
  • Cold-Pressed Oils
  • Spices

Spreading the Taste of India

Khomane Agro's success story isn't limited to India. They have established a presence in Canada through their partner Flint Food, making their authentic Indian flavors accessible to a wider audience. With over 200 distributors across Maharashtra alone, Khomane Agro is a leading player in the regional market, and their reach continues to expand.

Contact Information:

Website (India): www.khomaneagro.com 

Website (Canada): http://flintfood.ca/ 

Mobile: 8767306068 

Email:

अप्रवासियों की संख्या में कटौती करने जा रहा है कनाडा, ट्रूडो के फैसले से कैसे प्रभावित होंगे भारतीय?

#canadajustintrudeaugovtcuttingimmigrationby_20-percent

पिछले कुछ समय से भारत और कनाडा के बीच के संबंधों में खटास आई है। इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री का जस्टिन ट्रूडो ने एक नई घोषणा कर दी है। जो कनाडा में रह रहे अप्रवासी भारतीय लोगों की खासी परेशानी का सबब बन गया है। दरअसल, कनाडा ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में अहम बदलाव का ऐलान किया है। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के फैसले से अगले तीन वर्षों में (2027 तक) स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या कम हो जाएगी। इसका भारतीयों पर खासतौर से असर होने जा रहा है, जो कनाडा की अप्रवासी और छात्र आबादी का बड़ा हिस्सा हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि हम कनाडा में विदेशी कामगारों की संख्या में कमी करने वाले हैं। जिसने भारतीय अप्रवासियों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। ट्रूडो ने पोस्ट में आगे लिखा कि, “हम कंपनियों के लिए सख्त नियम लेकर आ रहे हैं, जिससे कि वो यह साबित कर सकें कि वे पहले क्यों पहले कनाडा के कर्मचारियों को नियुक्त नहीं कर सकते।”

कई वर्षों में पहली बार अप्रवासियों में की जा रही भारी कमी

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार ने कई वर्षों के बाद पहली बार देश में आने वाले अप्रवासियों की संख्या में भारी घटाव करने जा रही है। सीबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो ने 2025 में नए स्थायी निवासियों को घटाकर 3,95,000 करने का फैसला लिया है। वहीं, 2025 में अस्थायी प्रवासियों की संख्या 30,000 घटकर करीब तीन लाख रह जाएगी।

हालांकि, कनाडा के आव्रजन मंत्रालय ने पहले 2025 और 2026 में 500,000 नए स्थायी निवासियों को देश में बसने देने की योजना बनाई थी, लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इसमें संशोधन किया गया है। अब अगले साल के लिए ये संख्या 395,000 और 2026 के लिए 380,000 कर दिया गया है। वहीं, 2027 के लिए यह संख्या 365,000 निर्धारित की गई है।

पहले ही लिया स्टडी परमिट सीमित करने का फैसला

कनाडा के सीएम का यह एलान ऐसे समय में हुआ है जब वहां पहले से ही स्टडी वीजा पर आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित कर दिया गया है। सरकार इस साल 35 फीसदी कम इंटरनेशनल स्टूडेंट परमिट देगी और उन्होंने आव्रजन प्रणाली का गलत उपयोग करने वाले लोगों पर नकेल कसने की भी बात कही है। ट्रूडो ने यह भी कहा कि 2025 में इंटरनेशनल स्टडी परमिट की तादाद में अतिरिक्त 10 फीसदी की कमी की जाएगी।सरकार के मुताबिक, कनाडा 2025 में 437,000 स्टजी परमिट जारी करने का प्लान बना रहा है, जो 2024 में जारी किए गए 485,000 परमिट से 10 फीसदी कम है।

इस फैसले के पीछे वजह क्या है?

आप्रवासन में कटौती करने का कनाडा का निर्णय बुनियादी ढांचे के दबाव के चलते लिया गया है। कनाडाई जनता की राय उच्च आप्रवासन स्तर के खिलाफ बदल रही है क्योंकि घरों की कमी बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार के अनुसार, आप्रवासन में कटौती से 2027 तक कनाडा के आवास आपूर्ति अंतर को 6,70,000 यूनिट तक कम किया जा सकता है।बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में अर्थशास्त्र के निदेशक रॉबर्ट कैवसिक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि नई आप्रवासन योजना अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे से तनाव कम करेगी जो हाल के वर्षों में कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि आप्रवासन श्रम अंतराल को भरने के लिए जरूरी है लेकिन इसकी मौजूदा रफ्तार कनाडा के बुनियादी ढांचे से आगे निकल सकती है।

भारतीयों पर क्या होगा असर?

भारत के लोग कनाडा की आप्रवासी और अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे में इमिग्रेशन में कटौती के नतीजे के तौर पर भारतीयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बदलाव का कनाडा में पढ़ाई और नौकरी के इच्छुक भारतीय छात्रों पर सबसे ज्यादा होगा। कनाडा के अस्थायी विदेशी कामगार कार्यक्रम (टीएफडब्ल्यूपी) के तहत वर्क परमिट में भारी कटौती और स्टडी परमिट पर सीमा तय होने से नौकरी और नागरिकता की उम्मीद कर रहे भारतीयों के लिए अवसर सीमित हो जाएंगे। ये कटौती आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भी भारतीयों को प्रभावित करेगी।

कनाडा के वॉलमार्ट ओवन में मिला सिख युवती का मृत शरीर,जांच अभी तक जारी

#sikhteenfounddeadincanadianwalmartoveninvestigationgoingon

Walmart Canada

कनाडा के हैलिफ़ैक्स शहर में वॉलमार्ट स्टोर के बेकरी विभाग के वॉक-इन ओवन के अंदर एक 19 वर्षीय सिख महिला मृत पाई गई। हैलिफ़ैक्स क्षेत्रीय पुलिस (एचआरपी) ने कहा कि उन्हें शनिवार रात करीब साढ़े नौ बजे 6990 ममफोर्ड रोड पर वॉलमार्ट में अचानक मौत की सूचना मिली।

पुलिस के अनुसार, महिला, जिसकी पहचान नहीं हो पाई है, स्टोर में कार्यरत थी। पुलिस ने कहा, उसका शव वॉक-इन ओवन में पाया गया। मैरीटाइम सिख सोसाइटी ने सीटीवी न्यूज से पुष्टि की कि वह उनके समुदाय की सदस्य थी। मैरीटाइम सिख सोसाइटी के अनमोलप्रीत सिंह ने कहा, "यह हमारे लिए, उसके परिवार के लिए भी बहुत दुखद है, क्योंकि वह बेहतर भविष्य के लिए आई थी और उसने अपनी जान गंवा दी।"

जांच में कठिनाइयां

एचआरपी कांस्टेबल मार्टिन क्रॉमवेल ने कहा कि पुलिस को महिला की मौत के कारण के बारे में हो रहे ऑनलाइन अटकलों की जानकारी है । क्रॉमवेल ने कहा, "जांच जटिल है।"

द ग्लोब एंड मेल अखबार ने कहा कि वह हाल ही में भारत से कनाडा गई थी। दुकान शनिवार रात से बंद है जबकि जांच जारी है। "हम समझते हैं कि जनता इसमें शामिल है, और हम बस जनता को हमारी जांच में धैर्य रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते थे और ध्यान रखना चाहते हैं क्योंकि इसमें परिवार के सदस्य और सहकर्मी भी शामिल हैं।" क्रॉमवेल ने कहा कि हैलिफ़ैक्स पुलिस जांच में मदद के लिए उपयुक्त एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है।

एचआरपी ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "हम जनता से सोशल मीडिया पर काल्पनिक जानकारी साझा करने से सावधान रहने का आग्रह करते हैं।" प्रांत के श्रम विभाग के एक आलोचक ने कहा कि वॉलमार्ट स्टोर में बेकरी और "उपकरण के एक टुकड़े" के लिए काम रोकने का आदेश जारी किया गया है। एचआरपी ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जांच अभी तक उस बिंदु तक नहीं पहुंची है जहां मौत के कारण और तरीके की पुष्टि की गई हो।"

नोवा स्कोटिया के मेडिकल परीक्षक मौत का कारण निर्धारित करने के लिए काम कर रहे हैं, और प्रांत का स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग जांच में भाग ले रहा है।

वॉक-इन ओवन, जिन्हें कैबिनेट या बैच ओवन भी कहा जाता है, पहिएदार रैक या कार्ट का उपयोग करके बैचों में , सुखाने या बेकिंग की अनुमति देते हैं। वे अक्सर सुपरमार्केट जैसी जगहों पर बड़ी मात्रा में बेकरी में पाए जाते हैं।

वॉलमार्ट कनाडा ने एक बयान में कहा कि कंपनी दुखी है और उनकी संवेदनाएं महिला के परिवार के साथ हैं।

कनाडा के साथ विवाद पर एस जयशंकर का बड़ा बयान, बोले-भारत के राजनयिकों से करता है सौतेला व्यवहार
#s_jaishankar_on_india_canada_dispute

भारत और कनाडा के बीच तनाव अपने चरम पर है।निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य राजनयिकों की संलिप्पता का आरोप लगाये जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आई है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा के साथ जारी तनाव पर अपनी बात रखी। नई दिल्ली और ओटावा के बीच बिगड़े संबंधों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कनाडा पर दोहरे मानदंड अपनाने के लिए निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कनाडा को भारत के राजनयिकों से दिक्कत है। हमारे राजनयिकों को कनाडा पसंद नहीं कर रहा है। *कनाडा का मुद्दा एक सामान्य पश्चिमी मुद्दा-जयशंकर* एनडीटीवी से बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि कनाडा दूसरे देशों के राजनयिकों के साथ जैसा व्यवहार करता है, उससे अलग व्यवहार भारतीय राजनयिकों के साथ कर रहा है। कनाडा खुद भारत में अपने राजनयिकों को मनमानी करने देता है, लेकिन भारतीय राजनयिकों पर बंदिशें लगाता है। उन्होंने कहा, कनाडा का मुद्दा एक सामान्य पश्चिमी मुद्दा और कनाडा विशिष्ट मुद्दा है, दुनिया के समीकरण बदल रहे हैं। दुनियाभर में पावर बैलेंस बदल रहा है। ऐसे में पश्चिम के देश इसे पचा नहीं पा रहे। *दोहरे मानदंड इसके लिए बहुत हल्का शब्द है-जयशंकर* एस जयशंकर ने इस बात का जिक्र किया कि कनाडा अन्य राजनयिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है और भारत में रहते हुए उसके राजनयिक विशेषाधिकार का उपयोग करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि दोहरे मानदंड इसके लिए बहुत हल्का शब्द है। निज्जर की हत्या के मामले में पिछले हफ्ते कनाडा ने भारत सरकार की संलिप्तता के नए आरोप लगाये थे, जिसके बाद भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। भारत ने अपने उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को भी वापस बुला लिया था। ये सभी राजनयिक भारत वापस आ रहे हैं. कनाडा सरकार ने कहा था कि भारतीय राजनयिकों को देश से निकाल दिया गया है। *कनाडा में लोगों तो टारगेट करना बंद होना चाहिए- जयशंकर* एस जयशंकर ने कहा कि ऐसा लगता है कि कनाडा में अगर भारतीय राजनयिक यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि उनके कल्याण और सुरक्षा से संबंधित मामलों पर क्या हो रहा है तो उन्हें समस्या होती है। वहीं, अगर आप भारत में देखें तो कनाडाई राजनयिकों को बाहर जाने और हमारी सेना, पुलिस, लोगों की प्रोफाइलिंग करने में कोई समस्या नहीं है। कनाडा में लोगों तो टारगेट करना बंद होना चाहिए। *अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धमकाने का आरोप* विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कनाडा वाले भारत में जो लाइसेंस खुद को देते हैं वह उस तरह के प्रतिबंधों से बिल्कुल अलग है जो वे कनाडा में राजनयिकों पर लगाते हैं। जब हम उन्हें बताते हैं कि आपके पास वे लोग हैं जो भारत के नेताओं को, भारत के राजनयिकों को खुलेआम धमकी देते हैं तो वे इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताते हैं। जब भारतीय पत्रकार सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हैं, यदि आप भारतीय उच्चायुक्त को धमकी देते हैं, तो वह इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानते हैं। लेकिन अगर कोई भारतीय पत्रकार कहता है कि कनाडाई उच्चायुक्त बहुत गुस्सा होकर साउथ ब्लॉक से बाहर चले गए, तो यह विदेशी हस्तक्षेप है। बता दें कि निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा द्वारा भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य राजनयिकों की संलिप्पता का आरोप लगाये जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आई है। भारत ने निज्जर की हत्या से संबंधित मामले में कनाडा द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। निज्जर, भारत में एक नामित आतंकवादी है।
कनाडा की खुफिया एजेंसी के लिए काम करते हैं खालिस्तान समर्थक', राजदूत संजय कुमार वर्मा का गंभीर आरोप

#canada_highcommissioner_sanjay_verma_big_allegation_on_trudeau_govt

भारत और कनाडा के तनाव भरे रिश्ते के बीच कनाडा में वापस बुलाए गए भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा नएमे गंभीर आरोप लगाया है। कनाडा में भारतीय हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा ने देश लौटने से पहले दावा किया है कि खालिस्तानी चरमपंथी और आतंकवादी कनाडा सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) की बड़ी संपत्ति हैं।

कनाडा के सीटीवी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में संजय वर्मा ने कनाडाई सरकार पर खालिस्तानी चरमपंथियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। संजय वर्मा ने कहा कि खालिस्तानी चरमपंथियों को हर समय प्रोत्साहित किया जा रहा है।

भारतीय राजदूत ने कहा, खालिस्तानी चरमपंथियों को हर समय प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह मेरा आरोप है, मैं यह भी जानता हूं कि इनमें से कुछ खालिस्तानी चरमपंथी और आतंकवादी सीएसआईएस के जासूस हैं, मैं फिर से कोई सबूत नहीं दे रहा हूं। संजय कुमार वर्मा ने आगे कहा कि कनाडा सरकार को हमारी मुख्य चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा, हम केवल इतना चाहते हैं कि वर्तमान कनाडाई शासन, वर्तमान सरकार हमारी मुख्य चिंताओं को ईमानदारी से समझे, न कि उन लोगों के साथ मिलकर काम करे जो भारतीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। भारत में क्या होता है, यह भारतीय नागरिकों की तरफ से तय किया जाएगा।

वहीं, राजदूत ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में ओटावा द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से भी इनकार किया।ट्रुडो सरकार के आरोपों पर संजय वर्मा ने कहा, कोई सबूत पेश नहीं किया गया। ये राजनीति से प्रेरित है। मुझे देखने दीजिए कि वह (विदेश मंत्री मेलानी जॉय) किस ठोस सबूत के बारे में बात कर रही हैं। जहां तक ​​मुझे चिंता है, वह राजनीतिक तौर पर बात कर रही हैं। भारत के उच्चायुक्त के तौर पर मैंने कभी इस तरह का कुछ नहीं किया। कनाडा में खालिस्तानी समर्थक तत्वों की निगरानी करना राष्ट्रीय हित का मामला है और उनकी टीम खुले सोर्सेज के माध्यम से जानकारी इकट्ठा करती है।

बता दें कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल आरोप लगाया था कि खालिस्तानी अलगाववादी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे. भारत ने आरोप को बेतुका और प्रेरित बताया था। भारत ने कनाडा सरकार पर अपने आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत देने को कहा था, लेकिन ट्रूडो ऐसा नहीं कर पाए। इसके बाद पिछले सप्ताह, कनाडाई पीएम ट्रूडो ने भारत सरकार पर कई और गंभीर आरोप लगाए। कनाडा सरकार ने निज्जर हत्या मामले की जांच में वरिष्ठ राजनयिकों को पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट बताया था, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए। भारत ने अपने राजदूत वापस बुला लिए। वहीं पिछले हफ्ते ही एक भाषण में ट्रूडो ने कहा कि कनाडा सरकार के दावे खुफिया जानकारी पर आधारित थे, न कि ठोस सबूतों पर।

कनाडा के साथ तनाव के बीच स्ट्राइकर खरीदने की योजना “खटाई” में! जानें भारत के लिए कितना बड़ा झटका

#canada_india_conflict_stryker_armoured_vehicles_deal_stuck

कनाडा के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। इंडियन आर्मी का स्ट्राइकर आर्मर्ड गाड़ियां खरीदने का प्लान खटाई में पड़ता दिख रहा है। दरअसल, ये गाड़ियां कनाडा में बनती हैं। पिछले साल नवंबर में भारत और अमेरिका के बीच हुई 2+2 वार्ता के दौरान अमेरिका ने 'स्ट्राइकर' के सह-उत्पादन पर जोर दिया था। अमेरिका ने भारत को इसके एयर डिफेंस सिस्टम वेरिएंट की पेशकश की थी, लेकिन भारत-कनाडा विवाद के चलते 'स्ट्राइकर' बख्तरबंद वाहनों की खरीदी डील अधर में दिखाई पड़ रही है।

इसी साल जून से ‘स्ट्राइकर’ को लेकर भारत-अमेरिका के बीच बातचीत शुरुआती चरण में थी और इसकी क्षमताओं का प्रदर्शन भारतीय सेना के सामने किया जाना था। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल भारत ने ‘स्ट्राइकर’ की खरीद को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है।कनाडा से रिश्ते बिगड़ने के बाद अब इस डील पर संशय के बादल छा गए हैं। सूत्रों का कहना है कि अब इस मामले में आगे कोई बात नहीं हुई है और न ही गाड़ियां खरीदने को लेकर कोई फैसला लिया गया है।

पिछले एक साल से कनाडा की इन गाड़ियों को भारत को बेचने की पुरजोर कोशिशें हो रही थीं। इस प्रोजेक्ट को 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का हिस्सा बताया जा रहा था। शुरुआती प्लान के मुताबिक, पहले तो कनाडा से सीधे कुछ गाड़ियां खरीदी जातीं और फिर बाद में कनाडा की कंपनी जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स के साथ मिलकर भारत में ही इनका निर्माण किया जाता।

हालांकि, भारत की अपनी रक्षा कंपनियों को यह बात रास नहीं आ रही थी। उनका कहना था कि उन्होंने इसी तरह की गाड़ियां बनाने में अपनी पूंजी और मेहनत लगाई है और अब विदेशी कंपनी को मौका देना सही नहीं होगा। भारतीय कंपनियों ने सरकार से अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि हमारे पास ऐसी गाड़ियां बनाने की पूरी तकनीक और क्षमता है, तो फिर स्ट्राइकर गाड़ियों के लिए कनाडा के साथ समझौता करने का क्या मतलब?

जानकारी के मुताबिक इन वाहनों को सेना बॉर्डर के आगे के क्षेत्रों में उपयोग के लिए भेजा जाना था, खासकर लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर भारत इनकी तैनाती करना चाहता था, लेकिन भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों ने इस योजना पर संदेह पैदा कर दिए हैं।

भारत-कनाडा विवादःजानें क्या है कनाडा के इन दोस्तों का रूख

#canada_india_row_five_eyes_allies_reaction 

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। कनाडा ने एक बार फिर आरोप लगाया है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के अधिकारियों का हाथ है। इन आरोपों के बाद कनाडा और भारत के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों ने एकदूसरे के कई टॉप राजनयिकों को निकाल दिया है। 

भारत के साथ बढ़ते विवाद के बीच ट्रूडो ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें कहा कि निज्जर हत्याकांड में भारतीय एजेंट्स की संलिप्तता को लेकर कनाडा ने अपने फाइव आईज के सभी सहयोगियों के साथ जानकारी साझा की है।फाइव आईज अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का खुफिया संगठन है।

अमेरिका ने क्या कहा?

इस बीच,अमेरिका ने भारत और कनाडा के बीच विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।अमेरिका ने कहा है कि भारत को निज्जर हत्याकांड के मामले में कनाडा की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मंगलवार को कहा कि भारत पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं।मिलर ने कहा, हम चाहते हैं कि भारत सरकार कनाडा के साथ जांच में मदद करे। निश्चित तौर पर उन्होंने ऐसा नहीं किया है। उन्होंने वैकल्पिक रास्ता चुना है।

भारत और कनाडा दोनों अमेरिका के अहम सहयोगी देश हैं। लेकिन इस मामले में फिलहाल अमेरिका कनाडा का साथ देता नज़र आ रहा है। पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो ने अपने देश की संसद में भारत के 'एजेंटों' पर निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे। उस समय भी अमेरिका ने भारत से इसकी जांच में सहयोग करने की अपील की थी।

न्यूजीलैंड ने बरती सतर्कता

फाइव आईज सहयोगी न्यूजीलैंड ने भारत-कनाडा राजनयिक तनाव के बीच कनाडा का समर्थन किया है लेकिन भारत के खिलाफ टिप्पणी नहीं की है। न्यूजीलैंड के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा है कि अगर आरोप सिद्ध हो जाए तो बहुत चिंताजनक होगा।हालांकि, मंत्री ने अपने बयान में भारत का नाम नहीं लिया है और बड़ी ही सतर्कता से न्यूजीलैंड का पक्ष रखा है।

विंस्टन पीटर्स ने एक्स पर लिखा, 'कनाडा ने न्यूजीलैंड को अपने दक्षिण एशियाई समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा और उन्हें मिल रही धमकियों के संबंध में चल रही आपराधिक जांच के बारे में हमें जानकारी दी है। कनाडा के आरोप अगर सिद्ध होते हैं बहुत चिंताजनक होगा।साथ ही, हम न्यूजीलैंड या विदेश में चल रही आपराधिक जांच पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन हम कहना चाहेंगे कि यह महत्वपूर्ण है कि कानून के शासन और न्यायिक प्रक्रियाओं का सम्मान किया जाए और उनका पालन किया जाए।

ब्रिटेन ने क्या कहा?

जस्टिन ट्रूडो ने इस मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए सोमवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर को फोन किया था। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक़ इस बातचीत के दौरान स्टार्मर ने 'रूल ऑफ लॉ’ को अहमियत देने की बात की। हालांकि ब्रिटेन की ओर से जारी इस बयान में भारत का सीधा संदर्भ नहीं दिया गया था लेकिन इसमें भारत पर लगाए गए आरोपों की कनाडा में चल रही जांच का ज़िक्र है। दोनों ने निज्जर हत्याकांड की जांच का निष्कर्ष सामने आने तक एक दूसरे के संपर्क में रहने का वादा किया।

ऑस्ट्रेलिया ने साफ किया अपना रुख़

ऑस्ट्रेलिया ने भी इस मामले में अपना रुख़ साफ कर दिया है। फाइव आइज़ अलायंस के सदस्य देशों में शामिल ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने हालांकि मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारत-कनाडा के बीच विवाद सवालों के जवाब नहीं दिए। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के विदेश मामले और व्यापार मंत्रालय ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया कनाडा में चल रही जांच से जुड़े आरोपों की जांच और वहां की न्यायिक प्रक्रिया पर अपना नजरिया बता दिया है। मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, "हमारा सिद्धांत ये है कि सभी देशों की संप्रभुता कानून के नियमों का सम्मान होना चाहिए।''

कनाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बैन करने की उठी मांग, जानें क्या है वजह

#canada_ndp_leader_jagmeet_singh_demands_rss_ban

भारत और कनाडा के बीच तनाव फिर से बढ़ गया है। खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कनाडा सरकार ने भारत के उच्चायुक्त के शामिल होने का आरोप लगाया है। भारत सरकार ने इसके बाद अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया है। दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच कनाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेटवर्क पर बैन लगाने की मांग उठी है।

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह ने कनाडा में आरएसएस के नेटवर्क पर बैन लगाने की मांग की है। सिंह ने यह बयान भारतीय राजनयिकों के निष्कासन और आपराधिक जांच के संदर्भ में जारी किया।

जगमीत सिंह ने कहा, "आरसीएमपी कमिश्नर द्वारा जारी की गई जानकारी को लेकर न्यू डेमोक्रेट्स चिंतित है। सिंह का आरोप है कि भारतीय अधिकारियों के हाथों कनाडाई, विशेष रूप से कनाडा के सिख समुदाय, डर, धमकी, उत्पीड़न और हिंसा का शिकार हो रहे हैं। उनके मुताबिक सिखों संग जबरन वसूली की जा रही है।

बयान में मारे गए आतंकवादी निज्जर का भी जिक्र है। दावा किया गया है कि कनाडा के पास भारत के खिलाफ कनाडाई हरदीप सिंह निज्जर (भारत द्वारा घोषित आतंकवादी) के मर्डर से संबंधित पुख्ता सबूत हैं। उन्होंने आगे कहा, सितंबर 2023 में ही आरसीएमपी ने 13 लोगों को जान का खतरा बताते हुए चेतावनी जारी की थी। सिंह के मुताबिक, खतरे की चेतावनी के बावजूद कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की। हमारी प्राथमिकता कनाडाई नागरिकों के लिए सुरक्षित माहौल मुहैया कराने की है ताकि वो जबरन वसूली, हिंसा और चुनावी हस्तक्षेप से मुक्त रहें। कनाडा और हमारे नागरिकों की सुरक्षा के हित में मैं सभी नेताओं से आग्रह करता हूं कि वह अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करें और भारत सरकार की जवाबदेही तय करें।

जगमीत सिंह ने कनाडाई सरकार से भारतीय राजनयिकों के निष्कासन के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि हम एक बार फिर से कनाडा सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वह भारत के खिलाफ राजनयिक प्रतिबंध लगाए। आरएसएस पर कनाडा में बैन लगाएं और किसी भी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई का वचन दें जो कनाडाई मिट्टी पर संगठित आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाया जाए।

एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने ये मांग उस वक्त उठाई है जब भारत और कनाडा के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी देखी जा रही है। दरअसल, खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा ने एक बार फिर भारत विरोधी बयान दिया है। जिसके बाद भारत ने सख्त एक्शन लेते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। वहीं, कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनायिकों को वापस बुला लिया है।

भारत ने फिर कनाडा को फटकारा, भारतीय उच्चायुक्त-राजनयिकों को लेकर ट्रूडो सरकार के दावे पर लताड़ा*

#india_mea_attacks_canada_justin_trudeau

खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में भारत ने एक बार फिर कनाडा को सख्त संदेश दिया है। भारत ने कनाडा से कहा है कि ट्रूडो इस तरह भारत पर आरोप नहीं लगा सकते। उन्हें निज्जर मामले में पुख्ता सबूत पेश करने होंगे। भारत ने कहा कि ट्रूडो राजनीतिक लाभ के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इसे ट्रूडो का राजनीतिक हथकंडा बताया है।दरअसल, कनाडा सरकार ने एक जांच के मामले में भारतीय उच्चायुक्त और भारतीय राजनयिकों को जांच के दायरे में माना है। इस संदर्भ में भारत सरकार को कनाडा सरकार ने पत्र लिखा है। इसी पत्र के जवाब में भारत सरकार ने कनाडा को फटकारा और उसके आरोप को खारिज किया।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक रविवार को कनाडा की ओर से एक राजनयिक संदेश मिला, जिसमें कनाडा में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त और राजनयिकों को निज्जर हत्यकांड में ‘पर्सन ऑफ इंट्रस्ट’ बताया गया है।भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।

भारत सरकार ने आगे कहा, ‘चूंकि प्रधान मंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे। हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद कनाडाई सरकार ने भारत सरकार के साथ सबूत का एक टुकड़ा भी साझा नहीं किया है। यह नवीनतम कदम उन बातचीतों के बाद उठाया गया है जिनमें एक बार फिर बिना किसी तथ्य के दावे सामने आए हैं। इससे इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत पर कीचड़ उछालने की एक सोची-समझी रणनीति है।

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी एजेंडा पहले ही बेनकाब हो चुका है। विदेश मंत्रालय ने 2018 में ट्रूडो के भारत दौरे को वोट बैंक राजनीति को साधने की कोशिश का हिस्सा बताया और कहा कि तब ट्रूडो का यह दांव उल्टा पड़ गया था। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में ट्रूडो के दखल ने दिखाया है कि वह राजनीतिक हितों को साधने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं। सरकार ने कहा कि ट्रूडो कैबिनेट में कई ऐसे लोग शामिल हैं जो सीधे तौर पर भारत विरोधी कट्टरवाद और अलगाववाद से प्रेरित हैं।

बता दें कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर हत्या में भारतीय एजेंट के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद से भारत-कनाडा संबंधों में खटास आ गई। भारत ने कनाडा सरकार के उस आरोप को भी खारिज किया था और कहा था कि आरोपों को साबित करने के लिए सबूत दें।

क्या जाएगी कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी? खालिस्तान समर्थक एनडीपी ने सरकार से वापस लिया समर्थन

#canada_justin_trudeau_govt_in_turmoil_as_ndp_announce_to_withdraw_its_support

कनाडा की ट्रूडो सरकार अब मुश्किलों में है।खालिस्तानियों के हमदर्द कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी खतरे में आ गई है।ट्रूडो सरकार में शामिल न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और कनाडा में खालिस्तानियों के समर्थक जगमीत सिंह ने समर्थन वापस लेने की घोषणा की है। सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा कि वह दोनों लोग के बीच 2022 में हुए समझौते को तोड़ रहे हैं। उन्होंने विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी का सही ढंग से मुकाबला न कर पाने के लिए ट्रूडो की आलोचना की।

जगमीत सिंह ने एक वीडियो में कहा कि लिबरल बहुत कमजोर हैं, बहुत स्वार्थी हैं और लोगों के लिए लड़ने के लिए कॉर्पोरेट हितों के प्रति समर्पित हैं। वो बदलाव नहीं ला सकते- वो उम्मीदों पर खड़े नहीं उतर सकते। उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने लोगों को निराश किया है। वे कॉर्पोरेट लालच पर अंकुश लगाने में विफल रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि उनका संगठन ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो अगले चुनाव में पियरे पोइलीवर की कंजर्वेटिव पार्टी की जीत की कोशिश को नाकाम कर सकती है।

ट्रूडो सरकार गिरने का जोखिम

जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने सप्लाई-एंड-कॉन्फिडेंस डील से खुद को अलग कर लिया।जगमीत सिंह की एनडीपी जस्टिन ट्रूडो की अल्पमत वाली लिबरल सरकार को सत्ता में बनाए रखने में मदद कर रही थी। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि ट्रूडो के सामने तुरंत पद छोड़ने और नए सिरे से चुनाव कराने का खतरा है। लेकिन सरकार गिरने का जोखिम बना हुआ है। सप्लाई और कॉन्फिडेंस डील गठबंधन सरकारों से अलग होती हैं, जहां कई पार्टियां संयुक्त रूप से कैबिनेट में काम करती हैं और साथ मिलकर सरकार चलाती हैं। जस्टिन ट्रूडो को अब हाउस ऑफ कॉमन्स चैंबर में अन्य विपक्षी सांसदों का समर्थन हासिल करना होगा। तभी वो बजट पास करा पाएंगे और विश्वास मत जीत सकेंगे।

एनडीपी ने साल 2022 में जस्टिन ट्रूडो के साथ हाथ मिलाया था, जिसमें 2025 के मध्य तक उनकी सरकार का समर्थन करने का वादा किया गया था। ट्रूडो और जगमीत के बीच हुए इस समझौते को सप्लाई एंड कॉन्फिडेंस के नाम से जाना जाता है। इसके तहत ट्रूडो की पार्टी लिबरल को पार्टियां विश्वास मत के लिए समर्थन देती है। बदले में एनडीपी को सामाजिक कार्यक्रमों के लिए बढ़ी हुई धनराशि हासिल की थी।

जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी और ट्रूडो की पार्टी के बीच समझौते की कुछ शर्तें तय की गई थीं। ये समझौता संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की सूरत में सरकार को बचाने के लिए किया गया था। उस दौरान यह तय किया गया था कि इसके बदले में लिबरल पार्टी संसद में एनडीपी की प्रमुख प्राथमिकताओं का समर्थन करेगी। इन प्राथमिकताओं में कम आय वाले परिवारों के लिए लाभ, नेशनल फार्माकेयर प्रोग्राम और हड़ताल के दौरान दूसरे वर्कर्स के इस्तेमाल को रोकने वाले कानून की बात थी। पिछले महीने कनाडा में दो सबसे बड़े रेलवे ने अपना काम बंद कर दिया। इसके बाद ट्रूडो की कैबिनेट ने इंडस्ट्रियल बोल्ट को बाध्यकारी मध्यस्थता लागू करने का निर्देश दिया। इस वजह से ही एनडीपी ने अपनी प्राथमिकताओं पर नए सिरे से विचार करना शुरू कर दिया।

Khomane Agro: Revolutionizing FMCG and Agro Industries with Tradition and Innovation

Pune, Maharashtra[DATE] – Khomane Agro, a rising star in the Indian FMCG and Agro industries, is making waves with its unique blend of tradition and innovation. Founded in 2022, the company is committed to delivering premium products while empowering farmers and bolstering India's agricultural economy.

Championing Sustainable Practices and Farmer Partnerships

Khomane Agro stands out for its dedication to quality, sustainability, and collaboration. They have forged partnerships with over 10,000 farmers across India, championing organic and fresh ingredient sourcing. The company actively works with visionary farmers who share their passion for innovation and experimentation in crop management practices. This approach ensures not only the highest quality ingredients but also supports sustainable farming methods.

A Fusion of Tradition and Modernity

Khomane Agro isn't just about revolutionizing agricultural practices; they're also redefining the way consumers experience traditional Indian flavors. Their product range offers a delightful fusion of time-tested recipes and modern convenience:

  • Chutneys
  • Masalas
  • Snacks
  • Jaggery
  • Pre-Mixes
  • Cold-Pressed Oils
  • Spices

Spreading the Taste of India

Khomane Agro's success story isn't limited to India. They have established a presence in Canada through their partner Flint Food, making their authentic Indian flavors accessible to a wider audience. With over 200 distributors across Maharashtra alone, Khomane Agro is a leading player in the regional market, and their reach continues to expand.

Contact Information:

Website (India): www.khomaneagro.com 

Website (Canada): http://flintfood.ca/ 

Mobile: 8767306068 

Email: