जिले तक पहुंचा महिला आरक्षण बिल मामला, सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर लगा रहे गंभीर आरोप
औरंगाबाद : संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल लाए जाने के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष में तलवारें खिंच गई है। दोनों ही एक-दूसरे को महिला आरक्षण का विरोधी करार दे रहे है। इसके लिए पुराने बयानों का भी सहारा लिया जा रहा है।
विधेयक को लेकर पक्ष-विपक्ष में खिंची तलवार सिर्फ देश-प्रदेश की राजधानी तक ही सीमित नही है बल्कि यह तलवार जिलों तक भी खिंच गई है। बिहार के औरंगाबाद में भी इसे लेकर पक्ष-विपक्ष में इसी तरह तलवारें खिंची दिखी।
महिला आरक्षण बिल पर भाजपा की नीयत पर सवाल उठाते हुए जदयू ने कहा कि यें नौ साल पहले कहां थे। आज जब लोकसभा चुनाव की बारी आई तो उन्हे महिला आरक्षण याद आ रहा है। अब यें महिला आरक्षण का लॉलीपॉप दिखा रहे है। आजतक इन्होने लॉलीपॉप दिखाने का ही काम किया है।
कहा कि मोदी सरकार ने पहले एक करोड़ रोजगार देने का लॉलीपॉप दिखाया लेकिन रोजगार नही दिया। विदेशों में जमा काला धन वापस लाकर हर भारतीय के खाते में 15-15 लाख भेजने का वादा किया। यह वादा भी पूरा नही हुआ और भी ढ़ेर सारे वादे पूरे नही हुए। नौ साल तक भाजपा को महिला आरक्षण की याद नही आई और अब याद आ रही है।
कहा कि 11वीं लोकसभा में चुनाव जीतकर गए थे। मैं लोकसभा में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण की मांग करने वाला पहला सांसद था। मेरी मांग के बाद ही देवगौड़ा सरकार ने आरक्षण बिल पेश किया था। हमारे नेता नीतीश कुमार महिला आरक्षण के पक्षधर है। उन्होने बिहार की पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। पुलिस में भी महिलाओं को आरक्षण दिया। हम भी चाहते है कि महिलाओं को उनका हक मिले। उन्हे 33 प्रतिशत आरक्षण मिले। लेकिन इस मामले में मोदी सरकार की नीयत साफ नही है।
वही भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता पीयूष शर्मा ने आरोप लगाया कि यूपीए और महागठबंधन महिला आरक्षण विरोधी है। जदयू को तो महिला आरक्षण पर कुछ भी बोलने का अधिकार नही है। शरद यादव के बयान को याद कर लीजिए। उन्होने ही कहा था कि महिला आरक्षण बिल पास हो जाएंगा तो वें जहर खा लेंगे।
कहा कि जदयू, राजद, समाजवादी पार्टी सभी महिला आरक्षण के विरोधी है। कहा कि 1998 में भाजपा महिला आरक्षण बिल पास कराना चाहती थी। उस वक्त राजद के ही सांसद सुरेंद्र यादव ने लोकसभा में लालकृष्ण आडवाणी के हाथों से महिला आरक्षण बिल को लेकर फाड़ने का काम किया था। ये सब उदाहरण उन्हे महिला आरक्षण विरोधी साबित कसने के लिए काफी है।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Sep 21 2023, 16:31