भारत ने ठुकराया अमेरिका का ऑफर, नाटो में शामिल होने से इनकार

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भारत ने अमेरिका के ऑफर को ठुकरा दिया है।भारत ने अमेरिका के नाटो में शामिल होने की पेशकश को मना कर दिया है। भारत ने साफ कर दिया है, कि पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने का उसका कोई इरादा नहीं है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है, कि नाटो सैन्य गठबंधन "भारत के लिए उपयुक्त नहीं है।

इससे पहले अमेरिका ‘नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) प्लस’ में भारत को शामिल करने की सिफारिश कर चुका है। भारत ने नाटो में शामिल होने से उस वक्त इनकार किया है, जब अमेरिकी कांग्रेस की एक शक्तिशाली कमेटी ने भारत को नाटो प्लस में शामिल करने की मजबूत सिफारिश की थी। अमेरिकी कांग्रेस की कमेटी ने कहा था कि एशिया में नाटो प्लस में भारत को शामिल करने की मजबूत कोशिश की जानी चाहिए। नाटो प्लस, नाटो का ही एक एक्सटेंशन है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इजरायल और दक्षिण कोरिया हैं और ये एक सुरक्षा व्यवस्था है, जिसे नाटो से टेक्नोलॉजिकल, खुफिया और हथियारों की मदद मिलती है। 

नाटो प्लस में भारत को शामिल करने से हिंद प्रशात क्षेत्र में सीसीपी की आक्रामकता को रोकने और वैश्विक सुरक्षा मजबूत करने में अमेरिका तथा भारत की करीबी साझेदारी बढ़ेगी।अमेरिकी समिति ने कहा, 'नाटो प्लस में भारत को शामिल करने से हिंद प्रशात क्षेत्र में सीसीपी की आक्रामकता को रोकने और वैश्विक सुरक्षा मजबूत करने में अमेरिका तथा भारत की करीबी साझेदारी बढ़ेगी।

दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य संगठन है नाटो

नाटो दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन संगठन है। नाटो की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल 1949 में की गई। विश्व युद्ध में दुनिया के बहुत सारे देशों को गहरा जान-माल का नुकसान झेलना पड़ा। ऐसे में सभी देश चिंतित थे कि ऐसी कोई घटना फिर कभी ना हो। इसी समस्या के हल के लिए युद्ध के समाप्त होने पर नाटो का निर्माण किया गया। जिसमें बहुत सारे देशों ने अपने सैन्य बल को साझा किया।नाटो उस समय और भी चर्चा में आया, जब रूस और उक्रेन के बीच युद्ध की बातें सामने आने लगीं। नाटो संगठन के अंतर्गत एक देश दूसरे देश में अपनी सेना भेजता है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनिंग भी दी जाती है। मुख्य रूप से नाटो का उद्देश्य विश्व में शांति को कायम रखना है।

नाटो में शामिल देश

अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के तहत उत्तर अटलांटिक संधि प्रस्ताव की पेशकश की, इस संधि पर दुनिया के 12 अलग अलग देशों ने हस्ताक्षर किये। संधि में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, बेल्जियम, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, फ्रांस, कनाडा और इटली जैसे कई देश शामिल थे। बाद में शीत युद्ध से कुछ समय पहले स्पेन, पश्चिम जर्मनी, टर्की और यूनान ने इसकी सदस्य्ता ली। शीत युद्ध खत्म होने के बाद हंगरी, पोलैंड और चेक गणराज्य देशों को भी नाटो में शामिल किया गया। इसके अलावा साल 2004 में 7 और देशों ने इसकी सदस्य्ता ली।

शरद पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को दी बड़ी जिम्मेदारी, दोनों बनाए गए कार्यकारी अध्यक्ष, अजीत के हाथ खाली

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महाराष्ट्र में विधानसभा और आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी में बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की बेटी व लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा पार्टी में कद्दावर नेता प्रफुल्ल पटेल का कद भी बढ़ा हैं, उन्हें भी कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। इसका ऐलान खुद शरद पवार की ओर से किया गया है।

क्या है पवार का प्लान?

एनसीपी की 25 वीं सालगिरह के मौके पर शरद पवार ने दो बड़े ऐलान किए।शरद पवार ने अपनी सांसद बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को एनसीपी का वर्किंग प्रेसिडेंट बनाने का ऐलान कर दिया।उन्हें महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा की जिम्मेदारी दी गई है।यही नहीं, शरद पवार ने प्रफुल्ल पटेल के हाथ मध्यप्रदेश, गुजरात, गोवा, राजस्थान और झारखंड की कमान दी है।जबकि अजित के लिए ऐसा कोई एलान नहीं किया गया है।एनसीपी में शरद पवार के भतीजे अजित पवार को यह अहम पद न देना अपने आप में कई सियासी संकेत देता है।शरद पवार के ऐलान से साफ हो गया कि राज्य की कमान भी धीरे-धीरे पूरी तरह से सुप्रिया सुले को देने का उनका प्लान है।

अजीत पवार के लिए बड़ा झटका

शरद पवार की ओर से यह फैसला उनके ही भतीजे और एनसीपी के कद्दावर नेता अजीत पवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल, शरद पवार के बाद अजीत पवार को पार्टी का सबसे बड़ा नेता माना जाता था। एनसीपी अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदारों में उनका नाम सबसे आगे था। हालांकि, अब राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार ने इस फैसले से सभी को हैरान कर दिया है। 

पार्टी हाईकमान की ओर से यह फैसला शरद पवार के इस्तीफे के कुछ दिन बाद किया गया है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर चौंका दिया था। हालांकि, कार्यकर्ताओं की नाराजगी और मनाने के बाद उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया था। हालांकि, अब उन्होंने अपने बेटी को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सभी को चौंका दिया है।

महाराष्ट्र में टीपू सुल्तान के अवैध स्मारक पर चला बुलडोजर, हिंदू संगठनों के शिकायत के बाद कार्रवाई

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महाराष्ट्र में औरंगजेब और टीपू सुल्तान पर सियासी विवाद और तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। टीपू सुल्तान को लेकर शुरू हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है। धुले शहर में शुक्रवार को टीपू सुल्तान के नाम पर बन रहा एक अवैध चबूतरा तोड़ दिया गया है।स्थानीय हिंदू संगठनों की ओर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के पदाधिकारियों ने शिकायत की थी कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के स्थानीय विधायक फारूक अनवर शाह ने धुले चौक में बीच सड़क पर टीपू सुल्तान का अवैध रूप से स्मारक बनवा दिया था। इस शिकायत के बाद स्मारक पर बुलडोजर चला दिया गया है।

धुले के एसपी संजय बारकुंड के मुताबिक, टीपू सुल्तान का स्मारक मुख्य सड़क पर ही बना था, जबकि इसकी कोई मंजूरी नहीं थी। हमें खबर मिली थी कि यह अवैध स्मारक है। हमने इसे हटवाने के लिए बैठक की। इस घटना के सामने आने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के विधायक फारुख शाह खुद विवाद वाले स्थल पर पहुंचे और टीपू सुल्तान का स्मारक हटवाया। 

भारतीय जनता युवा मोर्चा ने इस स्मारक को हटाने की मांग करते हुए गृहमंत्री और राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा गया था। इसी के साथ एसपी और नगर निगम धुले के आयुक्त को भी पत्र लिखा था। शिकायत के बाद अधिकारियों ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे। कार्रवाई के बाद शहर में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। स्मारक के तोड़े जाने के बाद शहर में कोई बवाल ना मचे इसको देखते हुए कलेक्टर जलज शर्मा और पुलिस अधीक्षक संजय बरकुंड ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

दरअसल, सड़क के बीच में बनवाए गए इस अवैध स्मारक को लेकर कुछ हिंदू संगठनों ने विरोध जताया था। उन्हीं की शिकायत के बाद प्रशासन ने इस पर दो दिन पहले अपनी कार्रवाई की। वैसे, राज्य में टीपू को लेकर यह इस तरह का पहला मामला नहीं है। पिछले दो-तीन महीनों में टीपू और औरंगजेब को लेकर सूबे में काफी जगह तनाव की स्थिति देखने को मिली और इसी कड़ी में यह ताजा मामला था

उत्तराखंड के देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी से भारतीय सेना को मिली 331 युवा अफसरों टोली, कड़ा प्रशिक्षण लेकर देश सेवा में होंगे तैनात

 देश के भावी सैन्य अफसर सरहद की निगाहबानी को तैयार हैं। भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में आज होने वाली पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय सेना को 331 युवा अफसरों की टोली मिल गई है। इसके अलावा सात मित्र देशों के 42 कैडेट भी आइएमए से कड़ा प्रशिक्षण लेकर अपनी-अपनी सेना का हिस्सा बने हैं। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बतौर निरीक्षण अधिकारी परेड की सलामी ली।

भारतीय सैन्य अकादमी के एतिहासिक चेटवुड भवन के सामने ड्रिल स्क्वायर पर सुबह परेड हुई। 6 बजकर 47 मिनट एडवास कॉल के साथ ही छाती ताने देश के भावी कर्णधार असीम हिम्मत और हौसले के साथ कदम बढ़ाते परेड के लिए पहुंचे। परेड कमांडर मेहर बनर्जी ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली।

कैडेट्स ने शानदार मार्चपास्ट से दर्शक दीर्घा में बैठे हर शख्स को मंत्रमुग्ध किया। इधर, युवा सैन्य अधिकारी अंतिम पग भर रहे थे, तो आसमान से हेलीकाप्टरों के जरिए उन पर पुष्प वर्षा हो रही थी। परेड के बाद आयोजित होने वाली पीपिंग व ओथ सेरेमनी के बाद पासिंग आउट बैच के 373 जेंटलमैन कैडेट देश-विदेश की सेना में बतौर अफसर शामिल हो गए। इनमें 331 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिले।

भूटान के 19, तजाकिस्तान के 17, श्रीलंका के दो और मालदीव, सुडान, सेशेल्स व वियतमान का एक-एक कैडेट भी पासआउट हुए। कुल मिलाकर शनिवार को सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 64 हजार 862 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया इनमें मित्र देशों को 2885 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं। पासिंग आउट परेड के मद्देनजर अकादमी के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई थी।

इन्हें मिला अवार्ड

स्वार्ड आफ आनर- मेहर बनर्जी

स्वर्ण पदक – अभिमन्यु सिंह

रजत पदक- मेहर बनर्जी

रजत पदक टीजी – सूर्यभान सिंह

कांस्य पदक – कमलप्रीत सिंह

चीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर-कैसिनो कंपनी

सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट- किंगा लहेंडूप भूटान

किस राज्य से कितने कैडेट

उत्तर प्रदेश- 63

बिहार- 33

हरियाणा -32

महाराष्ट्र-26

उत्तराखंड -25

पंजाब-23

हिमाचल प्रदेश-17

राजस्थान -19

मध्यप्रदेश-19

दिल्ली-12

कर्नाटक-11

झारखंड-08

तमिलनाडु-08

जम्मू-कश्मीर-06

छत्तीसगढ़-05

केरल-05

तेलंगाना-03

पश्चिम बंगाल-03

गुजरात-02

नेपाली मूल के भारतीय कैडेट -02 (त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, असम, चंडीगढ़, गोवा, मणिपुर, ओडिशा व पांडिचेरी से एक-एक कैडेट हैं)

पासिंग आउट परेड से घोड़ा-बग्घी की विदाई

भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में अब घोड़ा-बग्घी नहीं दिखाई देगी। बता दें, अभी तक निरीक्षण अधिकारी चार घोड़ों वाली बग्घी (पटियाला कोच) में परेड मैदान में पहुंचते थे। पटियाला के पूर्व महाराज ने यह बग्घी 1969 में आइएमए को भेंट की थी।

पटियाला कोच (घोड़ा-बग्गी) के अलावा आइएमए में जयपुर के पूर्व महाराज की ओर से उपहार स्वरूप दी गई जयपुर कोच, विक्टोरिया कोच व कमान्डेंट्स फ्लैग कोच भी चलन में रही है।

दरअसल, भारतीय सेना ने औपनिवेशिक या पुरानी प्रथाओं जैसे बग्घी, पाइप बैैंड आदि को समाप्त कर दिया है। रक्षा मंत्रालय के आदेश के तहत इस बार आइएमए पासिंग आउट परेड से भी घोड़ा-बग्घी की विदाई हो गई है।

पीएम को लिखे खड़गे के पत्र का भाजपा सांसदों ने दिया जवाब, भड़के चिदंबरम ने कहा- असहिष्णुता का उदाहरण

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ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे का जख्म अभी भरा नहीं है, ना ही इस हादसे के बाद से जारी सियासत कम हुई है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसी क्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कई सवाल उठाए थे। जिसका जवाब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पत्र का जवाब प्रधानमंत्री के बजाए चार बीजेपी सांसदों ने दिया। जिसको लेकर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने एक ट्वीट कर पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने पीएम मोदी पर लोकतांत्रिक और सहिष्णु नहीं होने का आरोप लगाया है।

पी चिदंबरम ने कहा, माननीय प्रधानमंत्री को कांग्रेस अध्यक्ष श्री खरगे के पत्र पर बीजेपी के चार सांसदों की प्रतिक्रिया किसी भी आलोचना के प्रति बीजेपीई असहिष्णुता का एक और उदाहरण है। उन्होंने कहा, मल्लिकार्जुन खरगे राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं और इस नेता उनको पीएम मोदी को पत्र लिखने का अधिकार है। उन्होंने कहा, हम एक लोकतंत्र में ऐसे सवालों के जवाब में माननीय प्रधानमंत्री से पत्र के उत्तर की अपेक्षा करते हैं।

चिदंबरम ने कहा, खड़गे राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी हैं। उन्हें प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का अधिकार है। एक कार्यशील लोकतंत्र में लोग प्रधानमंत्री से पत्र के उत्तर की अपेक्षा करते हैं। लेकिन हमारा लोकतंत्र ऐसा है कि प्रधानमंत्री इसे जवाब देने के लायक नहीं समझेंगे। इसके बजाय, बीजेपी के चार सांसद खुद जवाब भेजने की जिम्मेदारी लेते हैं, जो तथ्यों पर सतही और तर्को पर खोखला होता है। दिसंबर 2022 में प्रस्तुत दो कैग रिपोर्ट खड़गे की तर्कपूर्ण आलोचना को पूरी तरह से सही साबित करती हैं।

पीएम मोदी की जगह बीजेपी सांसदों के मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखे जाने पर चिदंबरम ने हैरानी जताई। उन्होंने कहा, बीजेपी के चार सांसद पीएम को लिखे गये पत्र का खुद जवाब भेजने की जिम्मेदारी ले लेते हैं, जो तथ्यों के आधार पर सतही और खोखला है। अपनी बात को रखने के लिए चिदंबरम ने आगे कहा, दिसंबर 2022 में रेलवे सुरक्षा को लेकर जारी की गई कैग की रिपोर्ट मल्लिकार्जु खरगे के तर्कपूर्ण रवैये की आलोचना को पूरी तरह से सही साबित करती है।

बता दें कि तेजस्वी सूर्य सहित चार भाजपा सांसदों ने मोदी को खड़गे के पत्र पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से प्राप्त तथ्यों के आधार पर पीएम को पत्र लिखना आपके कद के नेता को शोभा नहीं देता है। खड़गे को लिखे चार पन्नों के पत्र में, भाजपा सांसदों ने कहा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आपके हालिया पत्र के जवाब में हमें यह कहना है कि पत्र में सिर्फ बयानबाजी थी और उसमें तथ्यों की कमी थी।रोजगार को लेकर खड़गे के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में रेलवे ने 4.58 लाख नई नियुक्तियां की हैं और वर्तमान में लगभग 1.52 लाख उम्मीदवारों को नियुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है।सांसदों ने कहा, इस प्रकार, हमारे 10 वर्षों में, हम 6.1 लाख से अधिक युवाओं को नियुक्त करेंगे, जो यूपीए के 10 वर्षों के दौरान नियुक्त किए गए 4.11 लाख उम्मीदवारों से लगभग 50 प्रतिशत अधिक है।

इन बीजेपी सांसदों ने लिखा था पत्र

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा और तेजस्वी सूर्य सहित कर्नाटक के चार भाजपा सांसदों ने शुक्रवार को बालासोर ट्रेन दुर्घटना के सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र लिखा था। भाजपा सांसदों ने तर्क दिया कि खरगे का पत्र बयानबाजी ज्यादा और कम तथ्यों पर आधारित है। पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आपके द्वारा लिखे गए पत्र के जवाब में हमें यह कहना है कि आपके पत्र में राजनीतिक बयानबाजी ज्यादा है, आपने जो सवाल उठाए हैं उसमें तथ्यों की कमी है। एक पूर्व रेल मंत्री होने के नाते आपसे गहराई और समझ को दिखाने की आशा की जाती है, फिर भी हमारे साथ आपका हाल ही में किया गया पत्र-व्यवहार तथ्यपरक सुझाव नहीं देते हैं। इसलिए, हम आपके लिए वास्तविकता के साथ आपके अनुमानों के तथ्यात्मक जवाब दे रहे हैं। बता दें, पत्र लिखने वाले भाजपा सांसदों में तेजस्वी सूर्या, पीसी मोहन, एस मुनिस्वामी और सदानंद गौड़ा शामिल हैं।

*बिहार में विपक्ष का महाजुटान, नीतीश के “निमंत्रण” को इन्होंने किया “ना”*

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लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दल एकजुट होने के प्रयास में लगे हैं। इसी क्रम में बिहार की राजधानी पटना में नीतीश कुमार की अगुआई में विपक्षी दलों का जमावड़ा लगने वाला है। इस बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया जाएगा। पार्टियों की आगे की रणनीति को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 जून को पटना में बैठक बुलाई है। विपक्षी दलों की मीटिंग में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चीफ शरद पवार सहित कई नेता शामिल होंगे। हालांकि, इस बैठक से बीआरएस, बीएसपी, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, शिअद, सुभासपा, बीजद, एआईएमआईएम, जेडीएस, एलजेपी, टीडीपी दूरी बनाएगी।

बीआरएस ने कहा- देश में तीसरा या चौथा मोर्चा काम नहीं करने वाला

विपक्षी एकता की कवायद में लगे नीतीश कुमार को केसीआर का समर्थन नहीं मिलेगा। केसीआर की पार्टी ने इससे दूरी बना ली है। बीआरएस की तरफ से बयान आया है- किसी एक व्यक्ति या किसी एक पार्टी को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष को एक करने की नीति से वह सहमत नहीं हैं। केसीआर की पार्टी बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने कहा कि केवल नरेंद्र मोदी को हटाने का एजेंडा नहीं होना चाहिए। हमारी पार्टी साकारात्मक राजनीति में भरोसा करती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश में तीसरा या चौथा मोर्चा काम नहीं करने वाला है क्योंकि देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक परिस्थितियां है।

नीतीश को नवीन पहले ही कर चुके हैं ना

इससे पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार को नवीन पटनायक ने भी ना कह दिया था। पटनायक ने विपक्षी एकता के मंच पर आने से इंकार करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी 2024 में अकेले चुनाव लड़ेगी यह उनकी हमेशा से योजना रही है। नवीन पटनायक ने नीतीश कुमार से मुलाकात को निजी मुलाकात बताया था और किसी तरह की राजनीतिक बात से इंकार कर दिया था जबकि इस मुलाकात से कुछ दिन पहले तक नीतीश कुमार उन्हें बीजेपी के खिलाफ साथ लाने की बात कह रहे थे।

नीतीश ने इन दिग्गज नेताओं से की मुलाकात

बता दें कि हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ समान विचारधारा वाले दलों को 'एकजुट' करने के लिए दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और कर्नाटक समेत कई राज्यों का दौरा किया था। नीतीश ने पहली बार 12 अप्रैल को कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की थी, जिसके बाद राहुल गांधी ने उनसे मुलाकात को विपक्षी एकता की दिशा में एक 'ऐतिहासिक कदम' बताया था। उन्होंने लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी और डी राजा से भी मुलाकात की थी। नीतीश ने अप्रैल में अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक से भी मुलाकात की थी। 31 अप्रैल को तेलंगाना के सीएम केसीआर से मुलाकात हुई थी। नीतीश ने मई में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और सेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से संपर्क किया था। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता मौलाना बदरुद्दीन अजमल समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात हुई है।

मीटिंग 23 जून को क्यों हो रही है?

विपक्षी दलों की मीटिंग पहले पटना में 12 जून को होनी थी लेकिन कांग्रेस और द्रविड मुनेत्र कषगम (डीएमके) सहित कुछ दलों ने तारीख में बदलाव का अनुरोध किया था। कांग्रेस ने इसके पीछे कारण पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रेसिडेंट खरगे की अनुपलब्धता बताया था।न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हम चाहते थे कि बैठक में पार्टियों के नेता शामिल हो ना कि प्रतिनिधि ताकि निर्णय निकल सके।

महाराष्ट्र में सरस्वती वैद्य हत्याकांड में नया खुलासा, आरोपित मनोज रमेश साने ने कहा, देरी से आने पर करती थी शक, काफी पजेसिव नेचर की थी

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में हुई सरस्वती वैद्य नामक महिला की कथित हत्या के मामले में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। मनोज रमेश साने पर सरस्वती की हत्या करने का आरोप लगा है। हालांकि, उसका दावा है कि सरस्वती ने जहर खाकर सुसाइड किया था, जिससे डरकर उसने उसके शरीर के कई टुकड़े कर दिए। मनोज साने ने पुलिस को अब बताया है कि वह उसकी 10वीं कक्षा की पढ़ाई में मदद कर रहा था क्योंकि वह स्कूल ड्रॉपआउट थी और पढ़ना चाहती थी। पुलिस अधिकारी ने कहा, ''वह (सरस्वती) कक्षा 10 की परीक्षा देने की योजना बना रही थी और साने उसे गणित पढ़ा रहा था। यह दावा सही लग रहा था क्योंकि हमें फ्लैट की एक दीवार पर एक टीचिंग बोर्ड मिला, जिस पर गणित के सवाल लिखे हुए थे।''

'पजेसिव थी सरस्वती, करती थी शक'

'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि साने ने दावा किया कि सरस्वती उसको लेकर काफी पजेसिव थी। साने ने आरोप लगाया कि जब वह काम से देर से घर आता था, तो उसे शक होता था कि वह उसके साथ बेवफाई कर रहा है और इस वजह से उनके बीच अक्सर झगड़े होते थे। उसने निजी मुद्दों पर उसके साथ अक्सर झगड़े होने की बात भी स्वीकार की। हालांकि, मनोज साने के पड़ोसियों ने कहा कि उन्होंने फ्लैट 704 से कभी कोई चीख या बहस नहीं सुनी। साने ने पुलिस को यह भी बताया कि सरस्वती हमेशा चाहती थी कि वह उसकी सराहना करे, लेकिन उसकी आलोचना नहीं करे।

बता दें कि मनोज साने ने पुलिस के सामने दावा किया कि वह 3 जून को आत्महत्या करके मर गई और इस डर से कि उसकी आत्महत्या के लिए पुलिस द्वारा उस पर मामला दर्ज किया जाएगा, उसने उसके शरीर के टुकड़े किए और फिर उन्हें ठिकाने लगाने की योजना बनाई। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिन्होंने बुधवार रात घटनास्थल का दौरा किया और साने से पूछताछ की, ने साने से पूछताछ के विवरण की पुष्टि करते हुए कहा कि इन सभी दावों को अब सत्यापित किया जा रहा है।

'साने और वैद्य ने की थी शादी, दोनों ने यह बात छिपाई'

अपनी 'लिवइन पार्टनर' सरस्वती वैद्य की कथित तौर पर हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार मनोज साने (56) ने उससे शादी की थी, लेकिन दोनों ने यह बात छिपाई थी। 

एक अधिकारी ने कहा कि मुंबई के बाहरी क्षेत्र मीरा रोड (पूर्व) इलाके से बृहस्पतिवार को गिरफ्तार साने ने जांचकर्ताओं को यह भी बताया कि वह एचआईवी-संक्रमित है और उसके 36 वर्षीय वैद्य से कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे। मीरा-भयंदर वसई विरार आयुक्तालय के पुलिस उपायुक्त जयंत बजबले ने वैद्य की तीन बहनों के बयानों का हवाला देते हुए कहा,''दंपति ने अपनी शादी को पंजीकृत नहीं कराया था, लेकिन उन्होंने एक मंदिर में रीति-रिवाज के साथ शादी की थी।'' उन्होंने कहा कि वैद्य ने अपनी बहनों को शादी के बारे में बताया था, लेकिन उनके बीच उम्र का काफी फासला था, इसलिए युगल ने इसे सार्वजनिक नहीं किया।

17 जून को पटना में होगी गृह मंत्रालय पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि रहेंगे, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी हो सकते हैं शामिल



बिहार की राजधानी पटना में 17 जून को पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक होने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसमें शामिल हो सकते हैं। आमतौर पर इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं। लेकिन गृह विभाग के अधिकारियों को अब तक अमित शाह के आगमन की आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। हालांकि बैठक की तैयारियां शुरू कर दी गई है। इसके लिए नीतीश सरकार ने बिहार प्रशासनिक सेवा के 20 अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की है। बैठक में बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसमें बिहार के प्रतिनिधि के तौर पर सीएम नीतीश कुमार शामिल होंगे या नहीं, इस पर भी अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है। पिछली बार पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में नीतीश ने अपनी जगह डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भेजा था। तब बीजेपी ने सीएम को इस मुद्दे पर जमकर घेरा था।

पटना में प्रस्तावित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों के सहयोग को लेकर बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को प्रतिनियुक्त किया गया है। ये अधिकारी 15 से लेकर 18 जून तक गृह (कारा) विभाग में प्रतिनियुक्त रहेंगे। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई। बिहार प्रशासनिक सेवा के जिन अधिकारियों को प्रतिनियुक्त किया गया है, उनमें हीरामुनी प्रभाकर, सुशील कुमार मिश्र, रविश किशोर, अजीत कुमार, शैलेश कुमार, अनिल कुमार पांडेय, अजय कुमार मिश्रा, उपेन्द्र प्रसाद सिंह, अजीत कुमार सिंह, राजेश कुमार, सुमन प्रसाद साह, गौतम कुमार, ब्रज किशोर चौधरी, गोपाल प्रसाद, ज्ञानेन्द्र कुमार, आलोक कुमार, विशाल आनंद, विकास कुमार, अभिषेक आनंद, राहुल सिन्हा शामिल हैं। प्रतिनियुक्त अधिकारी आंगुतक पदाधिकारियों के साथ सम्पर्क अधिकारी के रूप में काम करेंगे। इन अधिकारियों को 13 जून को होने वाले प्रशिक्षण शिविर में हर हाल में शामिल होने को कहा गया है।

केंद्र के कार्यक्रमों से नीतीश का किनारा

पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की दिसंबर 2022 में हुई बैठक से सीएम नीतीश कुमार ने किनारा किया था। नीतीश ने अपनी जगह तेजस्वी को कोलकाता भेजा था। कहा जा रहा है कि एनडीए छोड़ने के बाद से नीतीश केंद्र सरकार के कार्यक्रमों से दूरी बना रहे हैं। पिछले महीने नीति आयोग की दिल्ली में हुई बैठक में भी नीतीश कुमार नहीं पहुंचे थे। हालांकि, 17 जून पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक पटना में ही प्रस्तावित है, ऐसे में नीतीश के इस बैठक में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं।

सरस्वती वैद्य हत्याकांड, दरिंदे मनोज से सरस्वती ने कर ली थी शादी, उम्र में काफी अंतर होने के कारण कपल ने इस बात को छिपा कर रखा था


मुंबई के सरस्वती वैद्य हत्याकांड में पुलिस ने अहम खुलासा किया है। पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि हत्या के आरोपी मनोज साने और पीड़िता सरस्वती वैद्य पति-पत्नी थे। डीसीपी जयंत बाजबाले ने बताया कि दोनों ने कुछ वक्त पहले शादी कर ली थी और इस बारे में सरस्वती की बहन को जानकारी भी दी थी। उन्होंने कहा कि कपल ने अपनी शादी की बात को इसलिए छिपा रखा था क्योंकि इनके बीच बड़ा अंतर था। दोनों अपने बीच उम्र के अंतर को लेकर शरमाते थे और इसके चलते बाहर किसी को भी नहीं बता रखा था। 

दोनों के पड़ोसी उन्हें कपल ही मानते थे, लेकिन जिस अनाथालय में सरस्वती रहती थी, वहां उसने बता रखा था कि वह अपने अंकल के साथ रहती है। इसके अलावा मनोज साने भी अपने कुछ परिचितों से यही कहता था कि वह सरस्वती को बेटी की तरह मानता है। दोनों की एक राशन दुकान पर 10 साल पहले मुलाकात हुई थी। जल्दी ही दोनों की मुलाकात प्यार में बदल गई। 8 साल पहले से वह साथ रहने लगे थे और फिर चुपचाप ही कुछ वक्त पहले शादी कर ली थी। पुलिस का कहना है कि दोनों के बीच शायद आर्थिक संकट को लेकर भी झगड़ा होता था। अंत में मनोज ने सरस्वती का कत्ल ही कर दिया।

मनोज साने एक राशन की दुकान पर ही काम करता था, जहां उसे मामूली सैलरी ही मिलती थी। कुछ महीनों से उसकी वह नौकरी भी चली गई थी और वह अपने एक मकान से आने वाले 35 हजार रुपये किराये के ही भरोसे थे। सरस्वती कोई काम नहीं करती थी और मनोज साने की कमाई नहीं थी। ऐसे में दोनों के बीच लड़ाई होती रहती थी। यही लड़ाई 3 जून को इतनी बढ़ गई कि गुस्से में मनोज साने ने पत्नी को चाकू मार दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। मनोज साने ने बताया कि सरस्वती की हत्या का राज छिपाने के लिए कटर से उसके शव के टुकड़े कर डाले। फिर उन्हें उबालकर कुत्तों को खिला रहा था।

पुलिस ने सरस्वती की बहनों से की पूछताछ

बता दें कि इस मामले ने दिल्ली के श्रद्धा मर्डर केस की यादें ताजा कर दी है। आफताब पूनावाला ने भी श्रद्धा का कत्ल कर उसके शव के 30 से ज्यादा टुकड़े कर डाले थे। शुरुआत में यही जानकारी सामने आई थी कि मनोज साने और सरस्वती लिव इन रिलेशनशिप में रहते थे। लेकिन अब जाकर यह खुलासा हुआ है कि दोनों ने कुछ वक्त पहले शादी भी कर ली थी। पुलिस ने सरस्वती की बहनों से पूछताछ भी कर ली है।

*महाराष्ट्र में फिर "सियासी तूफान”, क्या टूटने वाला है बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ?जानें क्या है कारण*

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महाराष्ट्र की राजनीति गलियारों में आए दिन "तूफान” खड़ा हो जाता है। यहां फिर से सियासी खेल शुरू हो गया है। राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा में दरार आने के संकेत मिले हैं।

दरअसल, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद के बेटे व लोकसभा सांसद श्रीकांत शिंदे ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है। उन्होंने भाजपा के कुछ नेताओं पर स्वार्थ की राजनीति के लिए गठबंधन को कमजोर करने का आरोप लगाया है। श्रीकांत शिंदे ने कहा है कि अगर उनके काम से कोई नाराज होता है तो वह अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं।

श्रीकांत शिंदे का यह बयान हाल ही में कल्याण लोकसभा सीट को लेकर भाजपा के स्थानीय नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद आया है। इस बैठक में प्रस्ताव पास किया गया था कि इस सीट पर भाजपा अपने सहयोगी दल शिवसेना का समर्थन नहीं करेगी। इसके बाद से भाजपा और शिवसेना के गठबंधन के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने की चर्चा है।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक श्रीकांत शिंदे ने कहा, ‘डोंबिवली के कुछ नेता अपनी स्वार्थी राजनीति के लिए गठबंधन (भाजपा-शिंदे गुट) गठबंधन के लिए बाधाएं पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे किसी पद की लालसा नहीं है। भाजपा-शिवसेना का वरिष्ठ नेतृत्व जो भी उम्मीदवार तय करेगा, मैं उसका समर्थन करूंगा. हमारा लक्ष्य फिर से भाजपा-शिवसेना गठबंधन बनाना है और केंद्र में भाजपा के साथ सरकार बनाना है। हम इस दिशा में जो काम कर रहे हैं, अगर कोई इसका विरोध करता है, अगर कोई नाराज है और गठबंधन में कोई गड़बड़ी होती है, तो मैं अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं।

यह है पूरा मामला

दरअसल, एक महिला से छेड़छाड़ के मामले में भाजपा के पदाधिकारी नंदू जोशी पर एफआईआर दर्ज की गई है। इसको लेकर नंदू जोशी और कई कार्यकर्ताओं का आरोप है कि डोंबिवली मानपाडा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने के पीछे शिवसेना का हाथ है। वहीं, बुधवार को डोंबिवली में राज्य के मंत्री रविंद्र चौहान के नेतृत्व में भाजपा पदाधिकारियों की बैठक हुई। इस दौरान, शिवसेना को अलग करने का फैसला लिया गया।