गम्भीर हालत में प्रयागराज ले जाते वक्त मरीज की मौत अस्पताल को बदनाम करने पर जुटे प्राइवेट नर्सिंग होम
विश्वनाथ प्रताप सिंह,कोरांव प्रयागराज नगर पंचायत कोरांव में सुकृत अस्पताल के सर्जन के रूप में सेवा देने वाले डॉ आर के कुशवाहा को बदनाम करने के पीछे एक रैकेट परी तरह सक्रिय हो गया क्योंकि सर्जन की वजह से उनकी दुकान बंद पड़ गयी थीं। घटना दिनांक 11 तारीख की
कि दिव॔गत श्री राजेश्वरी शुक्ला निवासी ग्राम डाडिया, गजाधरपुर के रहने वाले थें।
परिवार के कई लोगों का इलाज हम लोगों के यहां कर चुके थें। जाहिर सी बात है कि वह एवं उनके परिवार वाले इलाज से संतुष्ट रहते थें।
तबियत खराब होने पर परिजन 11 मार्च, 2024 को 4 बजे के आस-पास सुकृत अस्पताल में दिखाने आए थें.
यहां आने के पूर्व वह एक-दो जगह दिखा चुके थे एवं तकलीफ बढ़ने पर हम लोगों के यहां आए थें। इमरजेंसी पर्चा बनवाकर हम लोगों को दिखाया।
अर्थात परिजन इस बात से वाकिफ थें कि मरीज की स्थिति गंभीर है।
दिवंगत राजेश्वरी जी ने दवाओं का सेवन काफी दिनों से बंद कर दिया था। इस वजह से उनका ब्लड प्रेशर खतरनाक रूप बढा हुआ था। हालत बेहद गंभीर थी। सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। सीने में दर्द भी था।
तत्काल प्राथमिक एवं इमरजेन्सी उपचार कर उन्हें शहर के लिए रेफर कर दिया गया था।
दवा देने के बाद मरीज का ब्लड प्रेशर चेक किया गया। ब्लड प्रेशर में पहले से सुधार था। पेट के दर्द, जलन सीने के दर्द हर तकलीफ में फायदा हुआ था।
जमीन पर गीर पड़ने सांस तेज चलने की बातें बिल्कुल झूठी हैं, संभवतः बिचौलियों के द्वारा जोड़ी गई हैं।
कोई डॉक्टर किसी गंभीर मरीज को बचाने की गारंटी नहीं ले सकता है चाहे वह कोई भी अस्पताल हो अथवा कोई भी डॉक्टर हो। एक डॉक्टर सिर्फ कर्म कर सकता है।
उन्हें पूरा मेडिकल सपोर्ट दिया गया।
यहां तक कि डॉक्टर साहब खुद गाड़ी तक गए, एवं पुनः दवा खिलाने का प्रयास किया जो कि मरीज ने वापस थूक दिया। आखिरी समय तक प्रयास किया गया। लेकिन गंभीर बीमारी के कारण रास्ते में ही उनका देहांत हो गया।
हजारों ऐसे ऑपरेशन हम लोगों ने कोरांव में किए हैं जिसके लिए पहले लोगों को प्रयागराज अथवा महंगी अस्पतालों में जाना पड़ता था।
14 वर्षों में हजारों लोगों का जीवन हम लोगों ने बचाया है। कोरोना काल में सारे खतरे लेकर हम लोगों ने मरीजों की भरपूर सेवा की है।
इतने वर्षों में पहली बार हम लोगों के ऊपर इस तरह का दोषारोपण हो रहा है। यह दूषित मानसिकता वाले चंद लोगों का मात्र एक कुत्सित प्रयास है।
कुछ फर्जी अस्पताल वाले जो कि खुद डिग्री धारक नहीं हैं एवं जिनका सुकृत अस्पताल की वजह से आर्थिक नुकसान हो रहा है, वो लोग भी दुष्प्रचार में लगे हैं। उदाहरण के रूप में नेवढ़िया 42 में प्रेक्टिस करने वाला एक झोलाछाप डॉक्टर डॉक्टर सम्मिलित है।
कोई भी चिकित्सक किसी भी मरीज का जानबूझकर नुकसान नहीं करता है। बल्कि वह बचाने की ही कोशिश करता है. परंतु मृत्यु अटल है उसका समय निश्चित है।
हॉस्पिटल प्रबंधन आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है। दुख की इस घड़ी में भगवान शोकाकुल परिजनों को शक्ति प्रदान करें।
Mar 24 2024, 17:29