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अजीत डोभाल और तुलसी गबार्ड के बीच हुई अहम बैठक, कनाडाई और ब्रिटेन के एनएसए से भी हुई बात
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#usintelchieftulsigabbardinindiameetingnsaajitdoval

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड भारत आई हैं। तुलसी गबार्ड ने भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ अहम बैठक की। इसके अवाला उन्होंने अजीत डोभाल की अध्यक्षता में होने वाली एक महत्वपूर्ण सुरक्षा और खुफिया समिट में हिस्सा लिया। यह सम्मेलन आतंकवाद का मुकाबला करने और खुफिया जानकारी साझा करने में सहयोग बढ़ाने के लिए है।गबार्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद भारत आने वाली पहली उच्च-स्तरीय अधिकारी हैं। बता दें कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी अगले महीने भारत आ सकते हैं।

तुलसी गबार्ड तीन दिवसीय दौरे पर भारत आई हैं। तुलसी गैबर्ड रविवार को दिल्ली पहुंचीं।अजीत डोभाल ने अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के साथ रविवार को द्विपक्षीय वार्ता की और दुनिया भर के शीर्ष खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की। सम्मेलन में आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। ऐसा माना जा रहा है कि डोभाल और गबार्ड ने वार्ता के दौरान मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को मजबूत बनाने और भारत-अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के साथ सुरक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।

वैश्विक खुफिया सम्मेलन, बंद कमरे में चर्चा

इससे पहले डोभाल ने शीर्ष वैश्विक खुफिया अधिकारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस में आतंकवाद और उभरती तकनीक से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। सम्मेलन में कनाडाई खुफिया प्रमुख डैनियल रोजर्स और ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल भी शामिल थे। बंद कमरे में हुई इस वार्ता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। माना जा रहा है कि खुफिया और सुरक्षा विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करने व आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया है।

तुलसी गबार्ड का दौरा क्यों अहम?

तुलसी की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता, हमास-इजरायल युद्ध और पाकिस्तान में बलूच लड़ाकों के विद्रोह और आंतकी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार बनने के बाद उनकी टीम के किसी शीर्ष अधिकारी की यह भारत की पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। इसके बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस दौरे पर आ सकते हैं।तुलसी भारत के अलावा जापान, होनोलुलू, थाईलैंड और कुछ समय के लिए फ्रांस भी जाएंगी।डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में शामिल होने के बाद गबार्ड की यह दूसरी विदेश यात्रा है। इससे पहले वो जर्मनी गई थीं, जहां उन्होंने म्यूनिक सेक्युरिटी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था।

रायसीना डायलॉग में लेंगी हिस्सा

गबार्ड मंगलवार को रायसीना डायलॉग में भी हिस्सा लेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी गबार्ड को रायसीना डायलॉग में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। 18 मार्च को वो इसमें शिरकत करेंगी। इस सम्मेलन में गबार्ड भारत और अन्य देशों के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगी। बता दें, रायसीना डायलॉग ऐसा मंच है, जहां जियोपॉलिटिक्स, जियोइकोनॉमिक्स से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है।

पीएम मोदी से भी मुलाकात संभल

गबार्ड के अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी से भी मुलाकात करने की संभावना है।पीएम मोदी पिछले महीने अपनी वाशिंगटन यात्रा के दौरान गैबर्ड से मिले थे। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई थी।गैबर्ड की यह यात्रा दोनों देशों के बीच सुरक्षा और खुफिया सहयोग को और गहरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

चेंबर चुनाव 2025 : पुराने संविधान के तहत 10 चरण में होगा चुनाव, जानिए पूरा शेड्यूल
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रायपुर- सीसीसीआई (Chhattisgarh Chamber of Commerce & Industries) के चुनाव को लेकर आज चुनाव समिति की अहम बैठक हुई. जिसमें पुराने संविधान के अनुसार चेंबर चुनाव 2025 को संपन्न किए जाने का फैसला लिया गया है. रायपुर समेत 26 जिलों में 10 चरणों में चुनाव होगा. रायपुर में 8 उपाध्यक्ष और 8 मंत्री का चुनाव होगा. इसके अलावा अन्य जिलों में 1 उपाध्यक्ष और 1 मंत्री के पद का निर्वाचन होगा. अध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष के चुनाव में कुल 27,480 मतदाता मतदान करेंगे.

निर्वाचन अधिकारी प्रकाशचंद गोलछा ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के उप सचिव रेना जमील के हस्ताक्षरयुक्त आदेश के बाद निर्वाचन समिति ने निर्णय लिया की पुराने संविधान के अनुसार ही वर्तमान चेंबर चुनाव 2025 को संपन्न किया जाएगा. वर्तमान प्रक्रिया के तहत प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री एवं कोषाध्यक्ष के साथ रायपुर सहित 26 जिलों के लिए 10 चरण में निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न होगी जिसमें भिलाई और रायपुर जिले में दो दिवसीय मतदान प्रक्रिया संपन्न करवाई जाएगी.

रायपुर जिले के लिए 8 उपाध्यक्ष एवं 8 मंत्री तथा निम्न जिलों सरगुजा, सूरजपुर, मनेंद्रगढ़–चिरमिरी–भरतपुर, गौरेला–पेंड्रा–मारवाही, धमतरी, दंतेवाड़ा, कांकेर, रायगढ़, जशपुर, सारंगढ़–बिलाईगढ़, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, कबीरधाम, बालोद, बिलासपुर, सक्ति, कोरबा, जांजगीर–चांपा, मुंगेली, बेमेतरा महासमुंद, गरियाबंद, बलोदाबाजार–भाटापारा जिलों में 1 उपाध्यक्ष एवं 1 मंत्री के पद हेतु मतदान होगा साथ ही प्रदेश के तीन पद अध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष के लिए समस्त 27480 मतदाता मतदान करेंगे.

नाम निर्देशन पत्र 17, 18 और 19 मार्च को 11:00 बजे से 2:00 बजे तक दिए जाएंगे और जमा करने का समय दोपहर 3:00 से शाम 6:00 बजे तक रहेगा. नाम निर्देशन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 20 मार्च को सुबह 11:00 बजे से शाम 5:00 तक रहेगा, नाम निर्देशन पत्र शुल्क प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री और कोषाध्यक्ष पद के लिए 31,000, प्रदेश उपाध्यक्ष और मंत्री पद के प्रत्याशियों के लिए 15,000 सुनिश्चित किया गया है. साथ ही ये चुनाव की सभी प्रक्रिया चेंबर भवन में संपन्न की जाएगी.

Motorola Edge 60 Fusion जल्द होगा भारत में लॉन्च, टीजर वीडियो में सामने आई स्मार्टफोन की झलक!
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डेस्क:–Motorola का नया स्मार्टफोन जल्द ही भारत में लॉन्च होने वाला है। कंपनी ने इसके टीजर को फ्लिपकार्ट पर लाइव कर दिया है, जिससे इसके लॉन्च को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नया स्मार्टफोन Motorola Edge 60 हो सकता है, हालांकि इसके नाम का अभी तक आधिकारिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है। लीक रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यह Motorola Edge 60 Fusion हो सकता है।

Motorola का नया फोन फ्लिपकार्ट पर होगा उपलब्ध
फ्लिपकार्ट मोबाइल ऐप पर एक नए मोटोरोला स्मार्टफोन का टीजर वीडियो अपलोड किया गया है। इस वीडियो में #MotoEdgeLegacy का जिक्र किया गया है, जो कि मोटोरोला के एज लाइनअप को दर्शाता है। कंपनी इसे "गेम चेंजिंग फोन" के तौर पर पेश कर रही है। टीजर वीडियो में हालांकि फोन की लॉन्च टाइमलाइन और पूरी जानकारी का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन यह साफ है कि यह स्मार्टफोन फ्लिपकार्ट के जरिए बिक्री के लिए उपलब्ध होगा, जैसे बाकी मोटोरोला एज मॉडल्स होते हैं।

*Motorola Edge 60 Fusion के संभावित स्पेसिफिकेशन्स*

लीक रिपोर्ट्स के अनुसार, Motorola Edge 60 Fusion को तीन स्टोरेज वेरिएंट्स में पेश किया जा सकता है:
8GB रैम और 128GB स्टोरेज
8GB रैम और 256GB स्टोरेज
12GB रैम और 256GB स्टोरेज
इसमें ब्लू, पिंक, बैंगनी और लैवेंडर जैसे कलर ऑप्शन्स मिल सकते हैं। फोन में एक पंच-होल कैमरा कटआउट होगा, जो सेल्फी के लिए है, और इसमें कर्व्ड डिस्प्ले भी देखने को मिलेगा।

*कैमरा और अन्य फीचर्स*

Motorola Edge 60 Fusion के रियर में एक चौकोर कैमरा मॉड्यूल हो सकता है, जिसमें ट्रिपल कैमरा सेटअप और एक एलईडी फ्लैश लाइट होगी। इसके अलावा, फोन में 50MP Sony LYT OIS सेंसर कैमरा लेंस भी हो सकता है, जो बेहतर फोटोग्राफी के लिए मददगार होगा।

*Motorola Edge 60 Fusion की संभावित कीमत*

Motorola Edge 60 Fusion की कीमत 33,000 रुपए के आस-पास हो सकती है। इसके 8GB रैम और 256GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत करीब 33,100 रुपए हो सकती है। वहीं, Motorola Edge 50 Fusion के 8GB रैम और 128GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत भारत में लगभग 22,999 रुपए और 12GB रैम व 256GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत 24,999 रुपए हो सकती है। बताया जा रहा है कि यह स्मार्टफोन मोटोरोला के फैन्स के लिए एक आकर्षक ऑप्शन साबित हो सकता है, और इसकी लॉन्चिंग का इंतजार अब और भी बढ़ गया है।
*Vision 2028 resumes with U-19, U-15 girls’ camp*
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Sports

Khabar kolkata sports Desk: The third phase of Vision 2028 got underway today at the JU 2nd Campus Ground, Salt Lake, with the Bengal Under-19 girls attending the first session of the camp that ends on March 24.

While Bengal’s Manoj Tiwary will be the batting coach, the bowling department will be guided by former India pacer Venkatesh Prasad along with Bengal’s Ashok Dinda and spin bowling will be taken care of by Narendra Hirwani. Former India and Bengal women's cricketer Purnima Chowdhury will also guide the girls.

The third phase of the camp is divided into two sessions every day. The first half will be attended by the U19 girls and the second by the U15 girls.

The opening day’s session began with Prasad, Hirwari and Tiwary delivering inspirational and motivation words to the young girls. The trio told the girls to use the camp as a learning experience.

After a brief introduced by the girls, the batters took their stance at the crease and the bowlers prepared for their run-up, by practicing their bowling action. The coaches looked at the proceedings and watched the girls’ practice with hawk eyes. As the session went on, the coaches talked to the talents individually.

The short-term goal of Vision 2028 will be to get the various age group squads ready for the domestic season by improving their skills while the long-term goals will be to nurture the future talents and make them fit for various Bengal age group squads.

20 U19 girls and 23 U15 girls are attending the camp.

Pic Courtesy by: CAB

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप
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#bangladeshambassadorharunalrashidallegationsagainstmuhammadyunus 

शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

भारत पर ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका भी होगा परेशान, महंगी हो जाएंगी दवाएं
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#trump_tariffs_impact_on_india_us_medicine_prices

दुनिया में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी से हड़कंप मचा हुआ है। अमेरिका ने भारत पर भी जवाबी शुल्‍क यानी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।ट्रंप ने घोषणा की है कि 2 अप्रैल से भारत से आयात पर भारी शुल्क लगाया जाएगा। इसका असर सिर्फ भारत पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि ट्रंप का टैरिफ अमेरिकियों के लिए गले की फांस बन सकता है। इससे अमेरिका में लाखों मरीजों को महंगी दवाओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि भारत का दवा उद्योग भी संकट में आ सकता है।

अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग आधी जेनेरिक दवाएं अकेले भारत से आती हैं। ये दवाएं ब्रांड नाम वाली दवाओं के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं। अमेरिका में डॉक्टर मरीजों को जिन 10 दवाओं को लेने की सलाह देते हैं, उनमें से नौ दवाएं भारत जैसे देशों से आयात की जाती हैं। इससे वाशिंगटन को स्वास्थ्य सेवा लागत में अरबों की बचत होती है।

अमेरिका में उच्च रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य की 60% से अधिक दवाएँ भारत से आती हैं। मिसाल के तौर पर सबसे ज्यादा सलाह दी गई दवा एंटी-डिप्रेसेंट सेरट्रालाइन की आपूर्ति में भारत की बड़ी भूमिका है, और ये दवाएं गैर-भारतीय कंपनियों की तुलना में आधी कीमत पर मिलती हैं।

उपभोक्ता हितों के लिए काम करने वाली संस्था पब्लिक सिटिजंस के वकील पीटर मेबार्डक ने बीबीसी से कहा कि अमेरिका में हर चार में से एक मरीज पहले ही दवाओं की ऊंची कीमतों के कारण उन्हें लेने में असमर्थ है। ट्रंप के टैरिफ़ से यह संकट और गहरा सकता है। अमेरिकी अस्पताल और जेनेरिक दवा निर्माता पहले से ही ट्रंप के चीन से आयात पर बढ़ाए गए टैरिफ़ से दबाव में हैं। दवाओं के लिए कच्चे माल का 87% हिस्सा अमेरिका के बाहर से आता है, जिसमें से 40% वैश्विक आपूर्ति चीन से होती है। ट्रंप के कार्यकाल में चीनी आयात पर टैरिफ़ 20% बढ़ने से कच्चे माल की लागत पहले ही बढ़ चुकी है।

भारतीय दवा कंपनियां बड़े पैमाने पर जेनेरिक दवाएं बेचती हैं। वे पहले से ही कम मार्जिन पर काम करती हैं और वे भारी कर का खर्च वहन नहीं कर पाएंगी। वे प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में बहुत कम कीमतों पर बेचती हैं। यही वजह है कि ये दुनिया के सबसे बड़े फार्मा बाजार में हृदय, मानसिक स्वास्थ्य, त्वचाविज्ञान और महिलाओं के स्वास्थ्य की दवाओं में लगातार प्रभुत्व हासिल कर रही हैं।

माना जा रहा है कि न तो अमेरिका और न ही भारत फार्मा आपूर्ति श्रृंखला में टूट का जोखिम उठा सकते हैं। इससे बचने के लिए भारत और अमेरिका एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसका लक्ष्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना है। पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए अमेरिका की एक अनिर्धारित यात्रा की थी। इस यात्रा का उद्देश्य व्यापार समझौते पर सहमति बनाना था।

डॉ. सुरेंद्र पाल यादव को "इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025" में चयनित होने पर हार्दिक बधाई
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आयुष एवं वेलनेस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले डॉ. सुरेंद्र पाल यादव को " इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025 " में " आयुष प्रतिभा अवार्ड " से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान आयुष चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा, योग और वेलनेस क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है।

डॉ. सुरेंद्र पाल यादव Numinous Products Pvt. Ltd. के संस्थापक हैं , जो पिछले 12 वर्षों से विश्व स्तरीय गुणवत्ता वाले आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही है। उनकी कंपनी आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार कर रही है, जिससे लाखों लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है।

"इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025 " एक भव्य कार्यक्रम है, जिसका आयोजन Civic Services द्वारा किया जा रहा है. यह आयोजन 4 से 6 अप्रैल 2025 के बीच आगरा, उत्तर प्रदेश में होगा, जहां देश-विदेश के प्रतिष्ठित आयुष विशेषज्ञ, चिकित्सक और वेलनेस कोच शामिल होंगे।

डॉ. सुरेंद्र पाल यादव की यह उपलब्धि आयुष क्षेत्र में उनके समर्पण और निरंतर प्रयासों का परिणाम है। उनका योगदान समाज के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहा है।

डॉ. सुरेंद्र पाल यादव को इस सम्मान के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।

आयोजन स्थल: आगरा, उत्तर प्रदेश

तारीख: 4-6 अप्रैल 2025

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 9697982099

वेबसाइट: ayushevent.civicservices.co.in

डॉ. मनीषा वर्मा को "इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025" में चयनित होने पर हार्दिक बधाई
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आयुष एवं वेलनेस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाली डॉ. मनीषा वर्मा को "इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025" में "आयुष प्रतिभा अवार्ड" से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान आयुष चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा, योग और वेलनेस क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है।

"International Ayush Conclave 2025" एक भव्य कार्यक्रम है, जिसका आयोजन Civic Services द्वारा किया जा रहा है. यह आयोजन 4 से 6 अप्रैल 2025 के बीच आगरा, उत्तर प्रदेश में होगा, जहां देश-विदेश के प्रतिष्ठित आयुष विशेषज्ञ, चिकित्सक और वेलनेस कोच शामिल होंगे।

डॉ. मनीषा वर्मा की यह उपलब्धि आयुष क्षेत्र में उनके समर्पण और निरंतर प्रयासों का परिणाम है। उनका योगदान समाज के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहा है।

डॉ. मनीषा वर्मा को इस सम्मान के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।

आयोजन स्थल: आगरा, उत्तर प्रदेश

तारीख: 4-6 अप्रैल 2025

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 9697982099

वेबसाइट: ayushevent.civicservices.co.in

पाकिस्तान से क्यों अलग होना चाहते हैं बलूच? आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर
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#whybaluchistananxioustobefreefrom_pakistan

बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैकिंग कांड ने बलूचियों और पाकिस्तानियों के बीच के पुराने संघर्ष को उजागर कर दिया है। अपने खोए अस्‍तित्‍व वापस पाने के लिए बलूचिस्‍तान लिब्रेशन आर्मी (बीएलए) ने एक बार फिर पाकिस्‍तानी सेना के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। बलूचों ने ठान लिया है कि वो आजादी हासिल करके रहेंगे। जबरन पाकिस्‍तान मिलाने का दर्द उस वक्‍त बलूचियों के लिए नासूर बना गया, जब पाकिस्‍तान ने उनकी प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू कर दिया।

पाकिस्तान का सबसे संपन्न लेकिन पिछड़ा राज्य

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है और 44 फीसदी हिस्सा कवर करता है। जर्मनी के आकार का होने का बावजूद यहां की आबादी सिर्फ डेढ़ करोड़ है, जर्मनी से 7 करोड़ कम। बलूचिस्तान तेल, सोना, तांबा और अन्य खदानों से सम्पन्न है। इन संसाधनों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान अपनी जरूरतें पूरी करता है। इसके बाद भी ये इलाका सबसे पिछड़ा है। यही वजह है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ नफरत बढ़ रही है।

आधुनिक बलूचिस्तान की कहानी

बलूचिस्तान कभी भी पाकिस्तान का अंग नहीं बनना चाहता था। जबरन पाकिस्‍तान मिलाने का दर्द बलूचियों के लिए नासूर बना गया है। अब बलूचों की आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है। आधुनिक बलूचिस्तान की कहानी 1876 से शुरू होती है। तब बलूचिस्तान पर कलात रियासत का शासन था। भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश हुकूमत शासन कर रही थी। इसी साल ब्रिटिश सरकार और कलात के बीच संधि हुई।

संधि के मुताबिक अंग्रेजों ने कलात को सिक्किम और भूटान की तरह प्रोटेक्टोरेट स्टेट का दर्जा दिया। यानी भूटान और सिक्किम की तरह कलात के आंतरिक मामलों में ब्रिटिश सरकार का दखल नहीं था, लेकिन विदेश और रक्षा मामलों पर उसका नियंत्रण था

भारत-पाक की तरह कलात में भी आजादी की मांग

1947 में भारतीय उपमहाद्वीप में आजादी की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। भारत और पाकिस्तान की तरह कलात में भी आजादी की मांग तेज हो गई। जब 1946 में ये तय हो गया कि अंग्रेज भारत छोड़ रहे हैं, तब कलात के खान यानी शासक मीर अहमद खान ने अंग्रेजों के सामने अपना पक्ष रखने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को सरकारी वकील बनाया। बलूचिस्तान नाम से एक नया देश बनाने के लिए 4 अगस्त 1947 को दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई। इसमें मीर अहमद खान के साथ जिन्ना और जवाहर लाल नेहरू भी शामिल हुए। बैठक में जिन्ना ने कलात की आजादी की वकालत की।

बैठक में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भी माना कि कलात को भारत या पाकिस्तान का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं है। तब जिन्ना ने ही ये सुझाव दिया कि चार जिलों- कलात, खरान, लास बेला और मकरान को मिलाकर एक आजाद बलूचिस्तान बनाया जाए

आजादी की घोषणा के एक महीने बाद बदले हालात

11 अगस्त 1947 को कलात और मुस्लिम लीग के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके साथ ही बलूचिस्तान एक अलग देश बन गया। हालांकि, इसमें एक पेंच ये था कि बलूचिस्तान की सुरक्षा पाकिस्तान के हवाले थी। आखिरकार कलात के खान ने 12 अगस्त को बलूचिस्तान को एक आजाद देश घोषित कर दिया। बलूचिस्तान में मस्जिद से कलात का पारंपरिक झंडा फहराया गया। कलात के शासक मीर अहमद खान के नाम पर खुतबा पढ़ा गया।

लेकिन, आजादी घोषित करने के ठीक एक महीने बाद 12 सितंबर को ब्रिटेन ने एक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि बलूचिस्तान एक अलग देश बनने की हालत में नहीं है। वह अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां नहीं उठा सकता।

बलूचिस्तान जबरन पाकिस्‍तान में मिला दिया

कलात के खान ने अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान का दौरा किया। उन्हें उम्मीद थी कि जिन्ना उनकी मदद करेंगे। जब खान कराची पहुंचे तो वहां मौजूद हजारों बलूच लोगों ने उनका स्वागत बलूचिस्तान के राजा की तरह किया, लेकिन उनका स्वागत करने पाकिस्तान का कोई बड़ा अधिकारी नहीं पहुंचा।पाकिस्तान के इरादे में बदलाव का यह बड़ा संकेत था। बलूचिस्तान जबरन पाकिस्‍तान में मिला दिया गया। इसी के साथ पाकिस्‍तान ने उनकी प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू कर दिया। बदले में बलूचिस्‍तान को ना ही विकास मिला और ना ही उनके प्राकृतिक संपदा के दोहन से होने वाले फायदे में कोई हिस्‍सा। देखते ही देखते, बलूचिस्‍तान की प्राकृतिक संपदा पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ बन चुकी थी, लेकिन बलूचिस्‍तान कंगाली की गर्त में जा गिरा था।

1948 से जारी है विद्रोह

बलूचिस्‍तान की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा शुरू से ही स्वतंत्रता और स्वायत्तता की मांग करता रहा है। उन्होंने 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ पहला विद्रोह शुरू किया। पाकिस्तान ने 1948 के विद्रोह को कुचल दिया। विद्रोह को तब भले ही दबा दिया गया, लेकिन ये कभी खत्म नहीं हुआ। बलूचिस्तान की आजादी के लिए शुरू हुए इस विद्रोह को नए नेता मिलते रहे। 1950, 1960 और 1970 के दशक में वे पाकिस्तान सरकार के लिए चुनौती बनते रहे। 2000 तक पाकिस्तान के खिलाफ चार बलूच विद्रोह हुए।

छत्तीसगढ़ में रेलवे परियोजनाओं को लेकर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने संसद में पूछा महत्वपूर्ण सवाल
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नई दिल्ली/रायपुर-  छत्तीसगढ़ में रेलवे की 2,731 किलोमीटर लंबाई की 25 परियोजनाओं पर 37,018 करोड़ रुपये का कार्य योजना व निर्माण प्रक्रिया में है, जिनमें से 882 किलोमीटर कार्य पूरा किया जा चुका है। यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल के छत्तीसगढ़ में रेलवे के विकास कार्यों को लेकर किए गए प्रश्न के जवाब में दी। बृजमोहन अग्रवाल ने रेल मंत्री से पिछले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ में स्वीकृत रेलवे परियोजनाओं, उनके कार्यान्वयन की स्थिति, लंबित परियोजनाओं के कारणों और नई रेलगाड़ियों की संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी मांगी।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि, वर्ष 2009-14 की तुलना में 2014-24 के दौरान नई रेल पटरियों की कमीशनिंग 15 गुना बढ़ी है। वर्ष 2009-14 में सिर्फ 32 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई गई थी, जबकि 2014-24 में 999 किलोमीटर रेल लाइन चालू की गई। रेलवे बजट आवंटन भी वर्ष 2009-14 में 311 करोड़ रुपये प्रति वर्ष से 2024-25 में बढ़कर 6922 करोड़ रुपये हो गया है, जो 22 गुना वृद्धि दर्शाता है।

लंबित परियोजनाओं के कारण और समाधान:

सांसद बृजमोहन अग्रवाल के सवाल पर मंत्री ने बताया कि रेलवे परियोजनाओं की प्रगति भूमि अधिग्रहण, वन स्वीकृतियों, राज्य सरकार की लागत भागीदारी, जनोपयोगी सेवाओं के स्थानांतरण, कानूनी और जलवायु परिस्थितियों जैसी कई बाधाओं पर निर्भर करती है। रेलवे मंत्रालय द्वारा परियोजनाओं की प्राथमिकता तय करने, बजट आवंटन बढ़ाने, निगरानी तेज करने और राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित करने जैसे कदम उठाए गए हैं, जिससे रेलवे विकास की गति को तेज किया जा सके।

नई रेलगाड़ियों की मांग और जवाब:

श्री अग्रवाल ने रायपुर से जबलपुर, इंदौर, हैदराबाद और जयपुर के लिए नई रेलगाड़ियों की मांग की है। जिसपर रेल मंत्री ने बताया कि नई रेलगाड़ियों का संचालन यात्रियों की मांग, परिचालन व्यवहार्यता और नेटवर्क की जरूरतों के आधार पर किया जाता है। उन्होंने जानकारी दी कि पिछले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ से 08 नई गाड़ियों शुरू की गईं और 08 सेवाओं का विस्तार किया गया। रेलवे द्वारा यात्री आवश्यकताओं और परिचालन संभावनाओं को देखते हुए लगातार नई रेल सेवाओं की समीक्षा की जाती है।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर कहा, "छत्तीसगढ़ की जनता के लिए बेहतर रेल सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। मैं लगातार राज्य के विकास से जुड़ी हर परियोजना की मॉनिटरिंग कर रहा हूं और आवश्यक सुविधाओं के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करता रहूंगा। छत्तीसगढ़ के लोगों को जल्द ही और अधिक रेल सेवाओं का लाभ मिलेगा।"

अजीत डोभाल और तुलसी गबार्ड के बीच हुई अहम बैठक, कनाडाई और ब्रिटेन के एनएसए से भी हुई बात
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#usintelchieftulsigabbardinindiameetingnsaajitdoval

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड भारत आई हैं। तुलसी गबार्ड ने भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ अहम बैठक की। इसके अवाला उन्होंने अजीत डोभाल की अध्यक्षता में होने वाली एक महत्वपूर्ण सुरक्षा और खुफिया समिट में हिस्सा लिया। यह सम्मेलन आतंकवाद का मुकाबला करने और खुफिया जानकारी साझा करने में सहयोग बढ़ाने के लिए है।गबार्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद भारत आने वाली पहली उच्च-स्तरीय अधिकारी हैं। बता दें कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी अगले महीने भारत आ सकते हैं।

तुलसी गबार्ड तीन दिवसीय दौरे पर भारत आई हैं। तुलसी गैबर्ड रविवार को दिल्ली पहुंचीं।अजीत डोभाल ने अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के साथ रविवार को द्विपक्षीय वार्ता की और दुनिया भर के शीर्ष खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की। सम्मेलन में आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। ऐसा माना जा रहा है कि डोभाल और गबार्ड ने वार्ता के दौरान मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को मजबूत बनाने और भारत-अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के साथ सुरक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।

वैश्विक खुफिया सम्मेलन, बंद कमरे में चर्चा

इससे पहले डोभाल ने शीर्ष वैश्विक खुफिया अधिकारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस में आतंकवाद और उभरती तकनीक से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। सम्मेलन में कनाडाई खुफिया प्रमुख डैनियल रोजर्स और ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल भी शामिल थे। बंद कमरे में हुई इस वार्ता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। माना जा रहा है कि खुफिया और सुरक्षा विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करने व आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया है।

तुलसी गबार्ड का दौरा क्यों अहम?

तुलसी की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता, हमास-इजरायल युद्ध और पाकिस्तान में बलूच लड़ाकों के विद्रोह और आंतकी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार बनने के बाद उनकी टीम के किसी शीर्ष अधिकारी की यह भारत की पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। इसके बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस दौरे पर आ सकते हैं।तुलसी भारत के अलावा जापान, होनोलुलू, थाईलैंड और कुछ समय के लिए फ्रांस भी जाएंगी।डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में शामिल होने के बाद गबार्ड की यह दूसरी विदेश यात्रा है। इससे पहले वो जर्मनी गई थीं, जहां उन्होंने म्यूनिक सेक्युरिटी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था।

रायसीना डायलॉग में लेंगी हिस्सा

गबार्ड मंगलवार को रायसीना डायलॉग में भी हिस्सा लेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी गबार्ड को रायसीना डायलॉग में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। 18 मार्च को वो इसमें शिरकत करेंगी। इस सम्मेलन में गबार्ड भारत और अन्य देशों के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगी। बता दें, रायसीना डायलॉग ऐसा मंच है, जहां जियोपॉलिटिक्स, जियोइकोनॉमिक्स से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है।

पीएम मोदी से भी मुलाकात संभल

गबार्ड के अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी से भी मुलाकात करने की संभावना है।पीएम मोदी पिछले महीने अपनी वाशिंगटन यात्रा के दौरान गैबर्ड से मिले थे। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई थी।गैबर्ड की यह यात्रा दोनों देशों के बीच सुरक्षा और खुफिया सहयोग को और गहरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

चेंबर चुनाव 2025 : पुराने संविधान के तहत 10 चरण में होगा चुनाव, जानिए पूरा शेड्यूल
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रायपुर- सीसीसीआई (Chhattisgarh Chamber of Commerce & Industries) के चुनाव को लेकर आज चुनाव समिति की अहम बैठक हुई. जिसमें पुराने संविधान के अनुसार चेंबर चुनाव 2025 को संपन्न किए जाने का फैसला लिया गया है. रायपुर समेत 26 जिलों में 10 चरणों में चुनाव होगा. रायपुर में 8 उपाध्यक्ष और 8 मंत्री का चुनाव होगा. इसके अलावा अन्य जिलों में 1 उपाध्यक्ष और 1 मंत्री के पद का निर्वाचन होगा. अध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष के चुनाव में कुल 27,480 मतदाता मतदान करेंगे.

निर्वाचन अधिकारी प्रकाशचंद गोलछा ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के उप सचिव रेना जमील के हस्ताक्षरयुक्त आदेश के बाद निर्वाचन समिति ने निर्णय लिया की पुराने संविधान के अनुसार ही वर्तमान चेंबर चुनाव 2025 को संपन्न किया जाएगा. वर्तमान प्रक्रिया के तहत प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री एवं कोषाध्यक्ष के साथ रायपुर सहित 26 जिलों के लिए 10 चरण में निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न होगी जिसमें भिलाई और रायपुर जिले में दो दिवसीय मतदान प्रक्रिया संपन्न करवाई जाएगी.

रायपुर जिले के लिए 8 उपाध्यक्ष एवं 8 मंत्री तथा निम्न जिलों सरगुजा, सूरजपुर, मनेंद्रगढ़–चिरमिरी–भरतपुर, गौरेला–पेंड्रा–मारवाही, धमतरी, दंतेवाड़ा, कांकेर, रायगढ़, जशपुर, सारंगढ़–बिलाईगढ़, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, कबीरधाम, बालोद, बिलासपुर, सक्ति, कोरबा, जांजगीर–चांपा, मुंगेली, बेमेतरा महासमुंद, गरियाबंद, बलोदाबाजार–भाटापारा जिलों में 1 उपाध्यक्ष एवं 1 मंत्री के पद हेतु मतदान होगा साथ ही प्रदेश के तीन पद अध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष के लिए समस्त 27480 मतदाता मतदान करेंगे.

नाम निर्देशन पत्र 17, 18 और 19 मार्च को 11:00 बजे से 2:00 बजे तक दिए जाएंगे और जमा करने का समय दोपहर 3:00 से शाम 6:00 बजे तक रहेगा. नाम निर्देशन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 20 मार्च को सुबह 11:00 बजे से शाम 5:00 तक रहेगा, नाम निर्देशन पत्र शुल्क प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री और कोषाध्यक्ष पद के लिए 31,000, प्रदेश उपाध्यक्ष और मंत्री पद के प्रत्याशियों के लिए 15,000 सुनिश्चित किया गया है. साथ ही ये चुनाव की सभी प्रक्रिया चेंबर भवन में संपन्न की जाएगी.

Motorola Edge 60 Fusion जल्द होगा भारत में लॉन्च, टीजर वीडियो में सामने आई स्मार्टफोन की झलक!
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डेस्क:–Motorola का नया स्मार्टफोन जल्द ही भारत में लॉन्च होने वाला है। कंपनी ने इसके टीजर को फ्लिपकार्ट पर लाइव कर दिया है, जिससे इसके लॉन्च को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नया स्मार्टफोन Motorola Edge 60 हो सकता है, हालांकि इसके नाम का अभी तक आधिकारिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है। लीक रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यह Motorola Edge 60 Fusion हो सकता है।

Motorola का नया फोन फ्लिपकार्ट पर होगा उपलब्ध
फ्लिपकार्ट मोबाइल ऐप पर एक नए मोटोरोला स्मार्टफोन का टीजर वीडियो अपलोड किया गया है। इस वीडियो में #MotoEdgeLegacy का जिक्र किया गया है, जो कि मोटोरोला के एज लाइनअप को दर्शाता है। कंपनी इसे "गेम चेंजिंग फोन" के तौर पर पेश कर रही है। टीजर वीडियो में हालांकि फोन की लॉन्च टाइमलाइन और पूरी जानकारी का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन यह साफ है कि यह स्मार्टफोन फ्लिपकार्ट के जरिए बिक्री के लिए उपलब्ध होगा, जैसे बाकी मोटोरोला एज मॉडल्स होते हैं।

*Motorola Edge 60 Fusion के संभावित स्पेसिफिकेशन्स*

लीक रिपोर्ट्स के अनुसार, Motorola Edge 60 Fusion को तीन स्टोरेज वेरिएंट्स में पेश किया जा सकता है:
8GB रैम और 128GB स्टोरेज
8GB रैम और 256GB स्टोरेज
12GB रैम और 256GB स्टोरेज
इसमें ब्लू, पिंक, बैंगनी और लैवेंडर जैसे कलर ऑप्शन्स मिल सकते हैं। फोन में एक पंच-होल कैमरा कटआउट होगा, जो सेल्फी के लिए है, और इसमें कर्व्ड डिस्प्ले भी देखने को मिलेगा।

*कैमरा और अन्य फीचर्स*

Motorola Edge 60 Fusion के रियर में एक चौकोर कैमरा मॉड्यूल हो सकता है, जिसमें ट्रिपल कैमरा सेटअप और एक एलईडी फ्लैश लाइट होगी। इसके अलावा, फोन में 50MP Sony LYT OIS सेंसर कैमरा लेंस भी हो सकता है, जो बेहतर फोटोग्राफी के लिए मददगार होगा।

*Motorola Edge 60 Fusion की संभावित कीमत*

Motorola Edge 60 Fusion की कीमत 33,000 रुपए के आस-पास हो सकती है। इसके 8GB रैम और 256GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत करीब 33,100 रुपए हो सकती है। वहीं, Motorola Edge 50 Fusion के 8GB रैम और 128GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत भारत में लगभग 22,999 रुपए और 12GB रैम व 256GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत 24,999 रुपए हो सकती है। बताया जा रहा है कि यह स्मार्टफोन मोटोरोला के फैन्स के लिए एक आकर्षक ऑप्शन साबित हो सकता है, और इसकी लॉन्चिंग का इंतजार अब और भी बढ़ गया है।
*Vision 2028 resumes with U-19, U-15 girls’ camp*
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Sports

Khabar kolkata sports Desk: The third phase of Vision 2028 got underway today at the JU 2nd Campus Ground, Salt Lake, with the Bengal Under-19 girls attending the first session of the camp that ends on March 24.

While Bengal’s Manoj Tiwary will be the batting coach, the bowling department will be guided by former India pacer Venkatesh Prasad along with Bengal’s Ashok Dinda and spin bowling will be taken care of by Narendra Hirwani. Former India and Bengal women's cricketer Purnima Chowdhury will also guide the girls.

The third phase of the camp is divided into two sessions every day. The first half will be attended by the U19 girls and the second by the U15 girls.

The opening day’s session began with Prasad, Hirwari and Tiwary delivering inspirational and motivation words to the young girls. The trio told the girls to use the camp as a learning experience.

After a brief introduced by the girls, the batters took their stance at the crease and the bowlers prepared for their run-up, by practicing their bowling action. The coaches looked at the proceedings and watched the girls’ practice with hawk eyes. As the session went on, the coaches talked to the talents individually.

The short-term goal of Vision 2028 will be to get the various age group squads ready for the domestic season by improving their skills while the long-term goals will be to nurture the future talents and make them fit for various Bengal age group squads.

20 U19 girls and 23 U15 girls are attending the camp.

Pic Courtesy by: CAB

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप
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#bangladeshambassadorharunalrashidallegationsagainstmuhammadyunus 

शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

भारत पर ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका भी होगा परेशान, महंगी हो जाएंगी दवाएं
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#trump_tariffs_impact_on_india_us_medicine_prices

दुनिया में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी से हड़कंप मचा हुआ है। अमेरिका ने भारत पर भी जवाबी शुल्‍क यानी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।ट्रंप ने घोषणा की है कि 2 अप्रैल से भारत से आयात पर भारी शुल्क लगाया जाएगा। इसका असर सिर्फ भारत पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि ट्रंप का टैरिफ अमेरिकियों के लिए गले की फांस बन सकता है। इससे अमेरिका में लाखों मरीजों को महंगी दवाओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि भारत का दवा उद्योग भी संकट में आ सकता है।

अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग आधी जेनेरिक दवाएं अकेले भारत से आती हैं। ये दवाएं ब्रांड नाम वाली दवाओं के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं। अमेरिका में डॉक्टर मरीजों को जिन 10 दवाओं को लेने की सलाह देते हैं, उनमें से नौ दवाएं भारत जैसे देशों से आयात की जाती हैं। इससे वाशिंगटन को स्वास्थ्य सेवा लागत में अरबों की बचत होती है।

अमेरिका में उच्च रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य की 60% से अधिक दवाएँ भारत से आती हैं। मिसाल के तौर पर सबसे ज्यादा सलाह दी गई दवा एंटी-डिप्रेसेंट सेरट्रालाइन की आपूर्ति में भारत की बड़ी भूमिका है, और ये दवाएं गैर-भारतीय कंपनियों की तुलना में आधी कीमत पर मिलती हैं।

उपभोक्ता हितों के लिए काम करने वाली संस्था पब्लिक सिटिजंस के वकील पीटर मेबार्डक ने बीबीसी से कहा कि अमेरिका में हर चार में से एक मरीज पहले ही दवाओं की ऊंची कीमतों के कारण उन्हें लेने में असमर्थ है। ट्रंप के टैरिफ़ से यह संकट और गहरा सकता है। अमेरिकी अस्पताल और जेनेरिक दवा निर्माता पहले से ही ट्रंप के चीन से आयात पर बढ़ाए गए टैरिफ़ से दबाव में हैं। दवाओं के लिए कच्चे माल का 87% हिस्सा अमेरिका के बाहर से आता है, जिसमें से 40% वैश्विक आपूर्ति चीन से होती है। ट्रंप के कार्यकाल में चीनी आयात पर टैरिफ़ 20% बढ़ने से कच्चे माल की लागत पहले ही बढ़ चुकी है।

भारतीय दवा कंपनियां बड़े पैमाने पर जेनेरिक दवाएं बेचती हैं। वे पहले से ही कम मार्जिन पर काम करती हैं और वे भारी कर का खर्च वहन नहीं कर पाएंगी। वे प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में बहुत कम कीमतों पर बेचती हैं। यही वजह है कि ये दुनिया के सबसे बड़े फार्मा बाजार में हृदय, मानसिक स्वास्थ्य, त्वचाविज्ञान और महिलाओं के स्वास्थ्य की दवाओं में लगातार प्रभुत्व हासिल कर रही हैं।

माना जा रहा है कि न तो अमेरिका और न ही भारत फार्मा आपूर्ति श्रृंखला में टूट का जोखिम उठा सकते हैं। इससे बचने के लिए भारत और अमेरिका एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसका लक्ष्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना है। पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए अमेरिका की एक अनिर्धारित यात्रा की थी। इस यात्रा का उद्देश्य व्यापार समझौते पर सहमति बनाना था।

डॉ. सुरेंद्र पाल यादव को "इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025" में चयनित होने पर हार्दिक बधाई
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आयुष एवं वेलनेस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले डॉ. सुरेंद्र पाल यादव को " इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025 " में " आयुष प्रतिभा अवार्ड " से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान आयुष चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा, योग और वेलनेस क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है।

डॉ. सुरेंद्र पाल यादव Numinous Products Pvt. Ltd. के संस्थापक हैं , जो पिछले 12 वर्षों से विश्व स्तरीय गुणवत्ता वाले आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही है। उनकी कंपनी आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार कर रही है, जिससे लाखों लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है।

"इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025 " एक भव्य कार्यक्रम है, जिसका आयोजन Civic Services द्वारा किया जा रहा है. यह आयोजन 4 से 6 अप्रैल 2025 के बीच आगरा, उत्तर प्रदेश में होगा, जहां देश-विदेश के प्रतिष्ठित आयुष विशेषज्ञ, चिकित्सक और वेलनेस कोच शामिल होंगे।

डॉ. सुरेंद्र पाल यादव की यह उपलब्धि आयुष क्षेत्र में उनके समर्पण और निरंतर प्रयासों का परिणाम है। उनका योगदान समाज के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहा है।

डॉ. सुरेंद्र पाल यादव को इस सम्मान के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।

आयोजन स्थल: आगरा, उत्तर प्रदेश

तारीख: 4-6 अप्रैल 2025

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 9697982099

वेबसाइट: ayushevent.civicservices.co.in

डॉ. मनीषा वर्मा को "इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025" में चयनित होने पर हार्दिक बधाई
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आयुष एवं वेलनेस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाली डॉ. मनीषा वर्मा को "इंटरनेशनल आयुष कॉन्क्लेव 2025" में "आयुष प्रतिभा अवार्ड" से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान आयुष चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा, योग और वेलनेस क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है।

"International Ayush Conclave 2025" एक भव्य कार्यक्रम है, जिसका आयोजन Civic Services द्वारा किया जा रहा है. यह आयोजन 4 से 6 अप्रैल 2025 के बीच आगरा, उत्तर प्रदेश में होगा, जहां देश-विदेश के प्रतिष्ठित आयुष विशेषज्ञ, चिकित्सक और वेलनेस कोच शामिल होंगे।

डॉ. मनीषा वर्मा की यह उपलब्धि आयुष क्षेत्र में उनके समर्पण और निरंतर प्रयासों का परिणाम है। उनका योगदान समाज के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहा है।

डॉ. मनीषा वर्मा को इस सम्मान के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।

आयोजन स्थल: आगरा, उत्तर प्रदेश

तारीख: 4-6 अप्रैल 2025

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 9697982099

वेबसाइट: ayushevent.civicservices.co.in

पाकिस्तान से क्यों अलग होना चाहते हैं बलूच? आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर
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#whybaluchistananxioustobefreefrom_pakistan

बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैकिंग कांड ने बलूचियों और पाकिस्तानियों के बीच के पुराने संघर्ष को उजागर कर दिया है। अपने खोए अस्‍तित्‍व वापस पाने के लिए बलूचिस्‍तान लिब्रेशन आर्मी (बीएलए) ने एक बार फिर पाकिस्‍तानी सेना के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। बलूचों ने ठान लिया है कि वो आजादी हासिल करके रहेंगे। जबरन पाकिस्‍तान मिलाने का दर्द उस वक्‍त बलूचियों के लिए नासूर बना गया, जब पाकिस्‍तान ने उनकी प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू कर दिया।

पाकिस्तान का सबसे संपन्न लेकिन पिछड़ा राज्य

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है और 44 फीसदी हिस्सा कवर करता है। जर्मनी के आकार का होने का बावजूद यहां की आबादी सिर्फ डेढ़ करोड़ है, जर्मनी से 7 करोड़ कम। बलूचिस्तान तेल, सोना, तांबा और अन्य खदानों से सम्पन्न है। इन संसाधनों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान अपनी जरूरतें पूरी करता है। इसके बाद भी ये इलाका सबसे पिछड़ा है। यही वजह है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ नफरत बढ़ रही है।

आधुनिक बलूचिस्तान की कहानी

बलूचिस्तान कभी भी पाकिस्तान का अंग नहीं बनना चाहता था। जबरन पाकिस्‍तान मिलाने का दर्द बलूचियों के लिए नासूर बना गया है। अब बलूचों की आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है। आधुनिक बलूचिस्तान की कहानी 1876 से शुरू होती है। तब बलूचिस्तान पर कलात रियासत का शासन था। भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश हुकूमत शासन कर रही थी। इसी साल ब्रिटिश सरकार और कलात के बीच संधि हुई।

संधि के मुताबिक अंग्रेजों ने कलात को सिक्किम और भूटान की तरह प्रोटेक्टोरेट स्टेट का दर्जा दिया। यानी भूटान और सिक्किम की तरह कलात के आंतरिक मामलों में ब्रिटिश सरकार का दखल नहीं था, लेकिन विदेश और रक्षा मामलों पर उसका नियंत्रण था

भारत-पाक की तरह कलात में भी आजादी की मांग

1947 में भारतीय उपमहाद्वीप में आजादी की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। भारत और पाकिस्तान की तरह कलात में भी आजादी की मांग तेज हो गई। जब 1946 में ये तय हो गया कि अंग्रेज भारत छोड़ रहे हैं, तब कलात के खान यानी शासक मीर अहमद खान ने अंग्रेजों के सामने अपना पक्ष रखने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को सरकारी वकील बनाया। बलूचिस्तान नाम से एक नया देश बनाने के लिए 4 अगस्त 1947 को दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई। इसमें मीर अहमद खान के साथ जिन्ना और जवाहर लाल नेहरू भी शामिल हुए। बैठक में जिन्ना ने कलात की आजादी की वकालत की।

बैठक में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भी माना कि कलात को भारत या पाकिस्तान का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं है। तब जिन्ना ने ही ये सुझाव दिया कि चार जिलों- कलात, खरान, लास बेला और मकरान को मिलाकर एक आजाद बलूचिस्तान बनाया जाए

आजादी की घोषणा के एक महीने बाद बदले हालात

11 अगस्त 1947 को कलात और मुस्लिम लीग के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके साथ ही बलूचिस्तान एक अलग देश बन गया। हालांकि, इसमें एक पेंच ये था कि बलूचिस्तान की सुरक्षा पाकिस्तान के हवाले थी। आखिरकार कलात के खान ने 12 अगस्त को बलूचिस्तान को एक आजाद देश घोषित कर दिया। बलूचिस्तान में मस्जिद से कलात का पारंपरिक झंडा फहराया गया। कलात के शासक मीर अहमद खान के नाम पर खुतबा पढ़ा गया।

लेकिन, आजादी घोषित करने के ठीक एक महीने बाद 12 सितंबर को ब्रिटेन ने एक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि बलूचिस्तान एक अलग देश बनने की हालत में नहीं है। वह अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां नहीं उठा सकता।

बलूचिस्तान जबरन पाकिस्‍तान में मिला दिया

कलात के खान ने अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान का दौरा किया। उन्हें उम्मीद थी कि जिन्ना उनकी मदद करेंगे। जब खान कराची पहुंचे तो वहां मौजूद हजारों बलूच लोगों ने उनका स्वागत बलूचिस्तान के राजा की तरह किया, लेकिन उनका स्वागत करने पाकिस्तान का कोई बड़ा अधिकारी नहीं पहुंचा।पाकिस्तान के इरादे में बदलाव का यह बड़ा संकेत था। बलूचिस्तान जबरन पाकिस्‍तान में मिला दिया गया। इसी के साथ पाकिस्‍तान ने उनकी प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू कर दिया। बदले में बलूचिस्‍तान को ना ही विकास मिला और ना ही उनके प्राकृतिक संपदा के दोहन से होने वाले फायदे में कोई हिस्‍सा। देखते ही देखते, बलूचिस्‍तान की प्राकृतिक संपदा पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ बन चुकी थी, लेकिन बलूचिस्‍तान कंगाली की गर्त में जा गिरा था।

1948 से जारी है विद्रोह

बलूचिस्‍तान की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा शुरू से ही स्वतंत्रता और स्वायत्तता की मांग करता रहा है। उन्होंने 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ पहला विद्रोह शुरू किया। पाकिस्तान ने 1948 के विद्रोह को कुचल दिया। विद्रोह को तब भले ही दबा दिया गया, लेकिन ये कभी खत्म नहीं हुआ। बलूचिस्तान की आजादी के लिए शुरू हुए इस विद्रोह को नए नेता मिलते रहे। 1950, 1960 और 1970 के दशक में वे पाकिस्तान सरकार के लिए चुनौती बनते रहे। 2000 तक पाकिस्तान के खिलाफ चार बलूच विद्रोह हुए।

छत्तीसगढ़ में रेलवे परियोजनाओं को लेकर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने संसद में पूछा महत्वपूर्ण सवाल
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नई दिल्ली/रायपुर-  छत्तीसगढ़ में रेलवे की 2,731 किलोमीटर लंबाई की 25 परियोजनाओं पर 37,018 करोड़ रुपये का कार्य योजना व निर्माण प्रक्रिया में है, जिनमें से 882 किलोमीटर कार्य पूरा किया जा चुका है। यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल के छत्तीसगढ़ में रेलवे के विकास कार्यों को लेकर किए गए प्रश्न के जवाब में दी। बृजमोहन अग्रवाल ने रेल मंत्री से पिछले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ में स्वीकृत रेलवे परियोजनाओं, उनके कार्यान्वयन की स्थिति, लंबित परियोजनाओं के कारणों और नई रेलगाड़ियों की संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी मांगी।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि, वर्ष 2009-14 की तुलना में 2014-24 के दौरान नई रेल पटरियों की कमीशनिंग 15 गुना बढ़ी है। वर्ष 2009-14 में सिर्फ 32 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई गई थी, जबकि 2014-24 में 999 किलोमीटर रेल लाइन चालू की गई। रेलवे बजट आवंटन भी वर्ष 2009-14 में 311 करोड़ रुपये प्रति वर्ष से 2024-25 में बढ़कर 6922 करोड़ रुपये हो गया है, जो 22 गुना वृद्धि दर्शाता है।

लंबित परियोजनाओं के कारण और समाधान:

सांसद बृजमोहन अग्रवाल के सवाल पर मंत्री ने बताया कि रेलवे परियोजनाओं की प्रगति भूमि अधिग्रहण, वन स्वीकृतियों, राज्य सरकार की लागत भागीदारी, जनोपयोगी सेवाओं के स्थानांतरण, कानूनी और जलवायु परिस्थितियों जैसी कई बाधाओं पर निर्भर करती है। रेलवे मंत्रालय द्वारा परियोजनाओं की प्राथमिकता तय करने, बजट आवंटन बढ़ाने, निगरानी तेज करने और राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित करने जैसे कदम उठाए गए हैं, जिससे रेलवे विकास की गति को तेज किया जा सके।

नई रेलगाड़ियों की मांग और जवाब:

श्री अग्रवाल ने रायपुर से जबलपुर, इंदौर, हैदराबाद और जयपुर के लिए नई रेलगाड़ियों की मांग की है। जिसपर रेल मंत्री ने बताया कि नई रेलगाड़ियों का संचालन यात्रियों की मांग, परिचालन व्यवहार्यता और नेटवर्क की जरूरतों के आधार पर किया जाता है। उन्होंने जानकारी दी कि पिछले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ से 08 नई गाड़ियों शुरू की गईं और 08 सेवाओं का विस्तार किया गया। रेलवे द्वारा यात्री आवश्यकताओं और परिचालन संभावनाओं को देखते हुए लगातार नई रेल सेवाओं की समीक्षा की जाती है।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर कहा, "छत्तीसगढ़ की जनता के लिए बेहतर रेल सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। मैं लगातार राज्य के विकास से जुड़ी हर परियोजना की मॉनिटरिंग कर रहा हूं और आवश्यक सुविधाओं के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करता रहूंगा। छत्तीसगढ़ के लोगों को जल्द ही और अधिक रेल सेवाओं का लाभ मिलेगा।"