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अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स चलना-फिरना भूलीं, मस्क पर टिकी ट्रंप की उम्मीद

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भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर पिछले 8 महीनों से अंतरिक्ष में फंसे हैं। उनके बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी समस्याएं आने के बाद दोनों स्पेस में ही अटक गए। हालांकि, उन्हें लाने की कई बार कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। इस बीच सुनीता विलियम्स के एक बयान ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। अंतरिक्ष में 237 दिनों से फंसी भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने कहा कि वह याद करने की कोशिश कर रही हैं कि चलना कैसा होता है।

एक मैगजीन को दिए गये इंटरव्यू में सुनीता विलियम्स ने कहा है, कि वो काफी बेसब्री से धरती पर लौटने का इंतजार कर रही हैं। इस दौरान उन्होंने कहा, कि वो अब चलना तक भूल गईं हैं। उन्होंने कहा, कि वो याद कर रही हैं, कैसे चलती थीं। उन्होंने कहा, मैं स्पेस स्टेशन में काफी समय से हूं और मैं यह याद करने की कोशिश कर रही हूं, कि चलना कैसा होता है। मैं नहीं चली हूं। मैं नहीं बैठी हूं। मैं नहीं लेटी हूं। आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है। आप बस अपनी आंखें बंद कर सकते हैं और जहां आप हैं, वहीं तैर सकते हैं।

मस्क ने कहा वापसी का काम शुरू

इस हालात में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मशहूर कारोबारी और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में मदद मांगी है। एलन मस्क ने कहा है कि उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के लिए काम शुरू कर दिया है। एलन मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ने से पर फंसे 2 अंतरिक्ष यात्रियों को जल्द से जल्द घर लाने के लिए कहा है। हम ऐसा करेंगे।"

ट्रंप ने क्या कहा?

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा, कि स्पेसएक्स "जल्द ही" दोनों अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए एक मिशन शुरू करेगा, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर महीनों से फंसे हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर कहा कि "एलन जल्द ही कोशिश शुरू करेंगे और उम्मीद हैं, कि सभी सुरक्षित होंगे। शुभकामनाएं एलन!!!"

अंतरिक्ष में कैसे फंसी सुनीता विलियम्स?

बता दें, कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पिछले साल 5 जून को बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गये थे, लेकिन बोइंग स्पेसक्राफ्ट में टेक्निकल दिक्कतें आ गईं और दोनों अंतरिक्षयात्री वहीं फंस गये। सुनीता विलियम्स को सिर्फ 10 दिनों तक ही स्पेस स्टेशन में रहना था, लेकिन पिछले 8 महीनों से वो वहीं फंसी हुई हैं। नासा और बोइंग ने स्पेसक्राफ्ट को ठीक करने की काफी कोशिश की, लेकिन आखिरकार फैसला लिया गया, कि स्पेसक्राफ्ट को वैज्ञानिकों के साथ धरती पर लाना काफी जोखिम भरा कदम होगा।

पीएम मोदी नहीं इजरायल के पीएम नेतन्याहू बनेंगे नई ट्रंप सरकार में पहले मेहमान, 4 फरवरी को अमेरिका दौरा

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अमेरिका और इजराइल की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है। अमेरिका की जो बाइडन सरकार के बाद ट्रंप की सरकार में भी दोनों देशों के बीच रिश्ते नई ऊंचाइयों को छुएंगे। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अमेरिका आने का न्योता दिया है। इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के न्योते पर यूएस का दौरा करने वाले हैं। डोनाल्ड ट्रंप 4 फरवरी को व्हाइट में नेतन्याहू की मेजबानी करेंगे। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में किसी विदेशी राजनेता की यह पहली आधिकारिक यात्रा होगी।

इस खबर की व्हाइट हाउस और नेतन्याहू के ऑफिस ने पुष्टि की है। व्हाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया है कि ट्रंप इस बारे में चर्चा करने का इंतजार कर रहा हूं कि हम इजराइल और उसके पड़ोसियों के लिए शांति स्थापित और हमारे साझा विरोधियों से निपटने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं। ट्रंप के साथ ये मुलाकात इजराइली पीएम के लिए एक मौका होगी, क्योंकि वह इजराइल की राजनीति में दबाव का सामना कर रहे हैं। वह अमेरिका से बड़ा समर्थन लेकर देश में ये साबित कर सकते हैं कि उनके ट्रंप से रिश्ते अच्छे हैं और वह ज्यादा मदद इजराइल के लिए ला सकते हैं।

इजराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी किए गए बयान में नेतन्याहू ने कहा,उन्हें इजराइल और उसके पड़ोसियों के बीच शांति लाने और दुश्मनों का मिलकर मुकाबला करने के लिए ट्रंप से बातचीत का इंतजार है। इससे पहले पिछले साल ट्रंप और नेतन्याहू के बीच चार साल बाद मुलाकात हुई थी।

इस मीटिंग के तहत युद्धविराम समझौते के दूसरे फेज को अपना फोकस बनाएंगे। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका लगातार इजराइल और हमास पर सीजफायर जारी रखने को लेकर दबाव बनाए हुए है। इस लिहाज से ट्रम्प और नेतन्याहू के बीच होने वाली बैठक बेहद खास है। 19 जनवरी को इजराइल और हमास के बीच 15 महीने की जंग के बाद सीजफायर शुरू हुआ है। इस दौरान बंधकों की अदलाबदली की जा रही है। 3 फरवरी से सीजफायर के अगले चरण पर चर्चा होनी है। इसका मकसद जंग को स्थायी तौर पर खत्म करना है।

दूसरी तरफ नेतन्याहू, अमेरिकी राष्ट्रपति से हथियारों की सप्लाई पर भी बात कर सकते हैं। बाइडेन ने अपने कार्यकाल में इजराइल पर दबाव बनाने के लिए भारी बमों की सप्लाई रोक दी थी।

ट्रंप ने भारत-चीन को बताया अमेरिका को नुकसान पहुंचाने वाला देश, टैरिफ लगाने की दी धमकी
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोन पर बात हुई है। खुद ट्रंप और पीएम मोदी ने इसकी जानकारी दी है। ट्रंप की मानें तो भारत के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। हालांकि, दूसरे ही पल उन्होंने भारत को अमेरिका को ‘नुकसान’ पहुंचाने वाला देश बताया और हाई टैरिफ लगाने की धमकी दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को फ्लोरिडा में एक कार्यक्रम में भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर हाई टैरिफ लगाने की बात कही है।

फ्लोरिडा में हाउस रिपब्लिकन्स के एक रिट्रीट के दौरान ट्रंप ने 'अमेरिका फर्स्ट' आर्थिक एजेंडे पर जोर दिया।  ट्रंप ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि अमेरिका वापस उस सिस्टम को अपनाए जिसने उसे धनी और ताकतवर बनाया है। ट्रंप ने कहा- हम उन देशों और बाहरी लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं जो हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। देखिए दूसरे देश क्या करते हैं। चीन बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। भारत, ब्राजील और बाकी देश भी ऐसा ही करते हैं। हम ऐसा अब और नहीं होने देंगे क्योंकि हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे। ट्रंप ने कहा कि ये तीनों देश (ब्राजील, चीन, भारत) अपने हितों के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन इससे अमेरिका को नुकसान पहुंच रहा है। अमेरिका एक ईमानदार सिस्टम तैयार करेगा, जिससे हमारे खजाने में पैसा आएगा और अमेरिका फिर से बहुत अमीर हो जाएगा। यह सब कुछ बहुत जल्द होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरे देशों को अमीर बनाने के लिए अपने लोगों पर टैक्स लगाने की जगह हम अपने लोगों को अमीर बनाने के लिए दूसरे देशों पर टैक्स लगाएंगे। विदेशी कंपनियां हाई टैरिफ से बचना चाहती हैं, तो उन्हें अमेरिका में ही अपना प्लांट लगाना होगा।

ट्रंप ने एक बहुत निष्पक्ष प्रणाली स्थापित करने की योजना की बात कही। उन्होंने कहा कि इससे पैसा अमेरिका के खजाने में आएगा और देश फिर से अमीर बन जाएगा। ट्रंप ने कहा कि यह बहुत जल्दी होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने विदेशी कंपनियों से ऊंचे टैरिफ से बचने के लिए अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने का भी आग्रह किया।
टिकटॉक को खरीद सकती है माइक्रोसॉफ्ट, ट्रंप में छेड़ी ‘बिडिंग वॉर
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’* माइक्रोसॉफ्ट अमेरिका में टिकटॉक को खरीदने की तैयारी कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को बताया कि माइक्रोसॉफ्टर, चाइनीज एप टिकटॉक के अमेरिकी व्यापार को खरीद सकती है। ट्रंप ने बताया कि दोनों पक्षों में फिलहाल बात हो रही है। ट्रंप ने ये भी कहा कि वह चाहते हैं कि अन्य कंपनियां भी टिकटॉक के लिए बोली लगाएं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने कहा कि टिकटॉक को खरीदने के लिए कई दावेदार रुचि दिखा रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वह चाहते हैं कि इस जॉइंट वेंचर में अमेरिका की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी हो। ट्रंप ने टिकटॉक पर एक वीडियो में कहा कि टिकटॉक के लिए बहुत सारी बोलियां आ रही हैं। देखते हैं क्या होता है। बहुत लोग इस पर बोली लगाएंगे, और अगर हम डेटा और नौकरियों को बचा सकें और इसमें चीन को शामिल न करें, तो यह अच्छा होगा। हम चीन को इसमें शामिल नहीं करना चाहते। देखते हैं आगे क्या होता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, मुझे बिडिंग वॉर पसंद हैं, क्योंकि इसमें सबसे अच्छी डील करने का मौका मिलता है। अगर बिडिंग वॉर हो रही है, तो यह एक सकारात्मक बात है। 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद, ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर साइन किए, जिसमें टिकटॉक को फेडरल कानून का पालन करने के लिए 75 दिन का समय दिया गया. फेडरल कानून के तहत कंपनी को अपने चीनी पैरेंट बाइटडांस से संबंध खत्म करने या अमेरिका में प्रतिबंध का सामना करने बात कही गई थी। ट्रंप ने कभी खुद चीनी ऐप के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए पहली बार एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी। हालांकि, तब से रिपब्लिकन नेता ने ऐप के लिए एक ‘वार्म स्पॉट’ डेवलप किया है, क्योंकि इसने उन्हें 2024 के अमेरिकी चुनावों के दौरान युवा मतदाताओं से जुड़ने में मदद की थी।
पीएम मोदी को आया व्हाइट हाउस से बुलावा, ट्रंप के न्योता पर फरवरी में जा सकते हैं अमेरिका
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी में अमेरिका का दौरा कर सकते हैं। सोमवार को अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी से फोन पर बात की। जिसके बाद ये खबर सामने आ रही है।खुद ट्रंप का इस बात खुलासा किया। व्हाइट हाउस ने बातचीत की डिटेल जारी की है। जिसमें बताया गया है कि दोनों नेताओं के बीच आखिर क्या बातचीत हुई है। इसके अलावा इस बातचीत को लेकर पीएम मोदी सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट भी किया है। अगर ऐसा होता है तो डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी दुनिया के पहले नेताओं में होंगे, जो वाशिंगटन जाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को फ्लोरिडा से ‘ज्वाइंट बेस एंड्रयूज’ लौटते समय एयर फोर्स वन विमान में पत्रकारों से कहा, ‘आज सुबह मेरी उनसे लंबी बातचीत हुई। अगले महीने वे व्हाइट हाउस आ रहे हैं। शायद फरवरी में। भारत के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं।’ डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ सोमवार को फोन पर हुई बातचीत के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मोदी के साथ फोन पर बातचीत के दौरान सभी विषयों पर चर्चा हुई।’ *व्हाइट हाउस ने जारी किया बयान* इससे पहले व्हाइट हाउस ने कहा है कि दोनों नेताओं ने अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी और हिंद-प्रशांत क्वाड साझेदारी को आगे बढ़ाने पर प्रतिबद्धता जताई है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा की योजनाओं पर चर्चा की गई। व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। दोनों नेताओं ने सहयोग को बढ़ाने और रिश्ते को गहरा करने पर चर्चा की। उन्होंने हिंद-प्रशांत, मध्य पूर्व और यूरोप में सुरक्षा सहित कई क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत द्वारा बनाए गए अमेरिका निर्मित सुरक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाने और द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। *दोस्ती और रणनीतिक संबंध मजबूत होंगे* व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस की यात्रा की योजनाओं पर चर्चा की। इससे हमारे देशों के बीच दोस्ती और रणनीतिक संबंध मजबूत होंगे। व्हाइट हाउस ने अपने बयान में यह भी कहा कि भारत इस साल के अंत में पहली बार क्वाड नेताओं की मेजबानी करेगा। *पीएम मोदी ने क्या कहा?* इधर, प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा कि अपने प्रिय मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात करके बहुत खुशी हुई। उनके ऐतिहासिक दूसरे कार्यकाल के लिए उन्हें बधाई दी। हम परस्पर लाभकारी और विश्वसनीय साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अपने लोगों के कल्याण तथा वैश्विक शांति, समृद्धि एवं सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।
बांग्लादेश को ट्रंप ने दिया बड़ा झटका, आर्थिक मदद पर लगाई रोक, फिर भी क्यों खुश हो रहें यूनुस

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश की यूनुस सरकार को बड़ा झटका दिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली अमेरिकी मदद पर तत्काल रोक लगा दी है। सत्ता संभालने के बाद ट्रंप ने कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है। इससे पहले उन्होंने यूक्रेन की विदेशी सहायता निलंबित की थी।

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी ने बांग्लादेश में अपनी सभी सहायता और प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस फैसले को बांग्लादेश की यूनुस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।हालांकि, अमेरिका ने रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए दी जाने वाली सहायता राश‍ि को जारी रखा है। अमेरिका के रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए जारी सहायता रखने से मोहम्‍मद यूनुस सरकार थोड़ा खुश है।

अमेरिका बांग्‍लादेश को जलवायु संकट, रोहिंग्‍या शरणार्थी, हेल्‍थ, मानवाधिकारों से लेकर शिक्षा तक के लिए पैसा देता था। ट्रंप प्रशासन का रोहिंग्याओं से जुड़ी समस्‍या के प्रति फोकस है। अमेरिका रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए मानवीय सहायता देने वाले देशों में अग्रणी है। साल 2017 में जब से रोहिंग्‍या संकट शुरू हुआ है तब से लेकर अब तक 2.4 अरब डॉलर की सहायता उसने दी है। यही नजह है कि दुनिया भर के देशों का हुक्‍का पानी बंद करने के बावजूद ट्रंप ने रोहिंग्‍याओं के लिए दी जा रही आर्थिक मदद को आगे भी जारी रखा है। ऐसे में मोहम्‍मद यूनुस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को धन्‍यवाद कहा है।

शेख हसीना के जाने के बाद से ही बांग्‍लादेश आर्थिक संकटों के दौर से गुजर रहा है। दुनियाभर की कंपनियों ने अपने ऑर्डर रद कर दिए हैं। यही नहीं बिजली का भी देश में संकट चल रहा है। अब ट्रंप के इस आदेश ने बांग्‍लादेश की मुश्किलें काफी बढ़ा दी हैं।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को एक व्यापक आदेश में केवल इजरायल और मिस्र को छोड़कर, यूक्रेन सहित सभी विदेशी सहायता पर रोक लगा दी है। इस आदेश से सामान्य सहायता से लेकर सैन्य सहायता तक सब कुछ प्रभावित करेगा। इसमें केवल आपातकालीन खाद्य सहायता और इजरायल, मिस्र के लिए सैन्य मदद को छूट दी गई है।

ट्रंप ने यूक्रेन को दिया बड़ा झटका, अमेरिकी मदद पर रोक, इजराइल-मिस्र की जारी रहेगी मदद

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डोनाल्ड ट्रंप एक्शन मोड में हैं। शपथ लेने के बाद वह लगातार सबको झटका दे रहे हैं। पहले कनाडा और मैक्सिको को चोट दी। अब अमेरिका ने अपने दोस्त यूक्रेन को ही घाव दे दिया है। उन्होंने कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है। इसी कड़ी में उन्होंने यूक्रेन को दी जाने वाली मदद को भी रोकने का ऐलान किया है। ट्रंप का ये फैसला यूक्रेन के लिए तगड़ा झटका है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अमेरिकी प्रशासन लगातार नए आदेश जारी कर रहा है। शुक्रवार को अमेरिका के विदेश विभाग ने लगभग सभी विदेशी वित्तपोषण पर रोक लगा दी है और अपवाद के तौर पर सिर्फ मानवीय खाद्य कार्यक्रमों और इस्राइल और मिस्त्र को मदद जारी रखी जाएगी। इसके साथ ही अमेरिका दुनियाभर में स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास, नौकरी प्रशिक्षण की जो भी मदद देता है, उन पर तत्काल प्रभाव से रोक लग जाएगी।

बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि सभी सहायता कार्यक्रम अमेरिका के हित में नहीं हैं। इस संबंध में सभी अमेरिकी दूतावास को यह आदेश जारी कर दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि नई सरकार वैश्विक आर्थिक सहायता के मद में कोई खर्च नहीं करेगी और दूतावास के पास ही जो फंड बचा है, उसके खत्म होने तक वे सहायता कार्यक्रम चला सकते हैं।

अमेरिका के इस फैसले से सबसे बड़ा झटका यूक्रेन को लगेगा, जो रूस के साथ युद्ध में उलझा हुआ है। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन पहले ही बड़ी मात्रा में यूक्रेन के लिए फंडिंग की मंजूरी दे गए हैं, लेकिन अमेरिकी विदेश विभाग के फैसले से नई फंडिंग पर रोक लग गई है। ऐसे में यूक्रेन के सामने भारी चुनौती आने वाली है।

यही नहीं अमेरिका अन्य देशों को भी जो मदद देता है, उसको भी ट्रंप प्रशासन ने रोकने का निर्णय लिया है.हालांकि, इसमें इजराइल, इजिप्ट को शामिल नहीं किया गया, यानी इन देशों को अमेरिका की मदद मिलती रहेगी. यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के अनुरूप है, जिसमें विदेशों में सहायता को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है। इस आदेश से डेवलपमेंट से लेकर मिलिट्री सहायत तक काफी कुछ प्रभावित होने की उम्मीद है. जो बाइडेन के कार्यकाल में रूस का सामना करने के लिए यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार मिले थे। अमेरिकी मदद की वजह से यूक्रेन इनतें दिनों तक युद्ध में डटा रहा. अमेरिका ने 2023 में यूक्रेन को 64 बिलियन डॉलर से अधिक की मदद दी थी. पिछले साल कितनी की मदद दी गई, रिपोर्ट में इसकी जानकारी नहीं दी है

डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी कोर्ट से बड़ा झटका, बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म करने के ऑर्डर पर लगाई रोक

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अमेरिका में स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर देश की एक संघीय अदालत ने रोक लगा दी है। अदालत के फैसले ने अमेरिका में रहने वाला हजारों आप्रवासियों को बड़ी राहत दी है। जज ने अपने फैसले में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश को 'साफ तौर पर असंवैधानिक' कहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद पहले ही दिन एक कार्यकारी आदेश के जरिए स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को खत्म कर दिया था।

सीऐटल में एक फेडरल जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है, जिसका मकसद जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करना है। जज ने इस कदम को स्पष्ट रूप से असंवैधानिक करार दिया है। अमेरिकी जिला न्यायाधीश जॉन कॉफनर ने गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। जज जॉन कफेनोर ने कहा कि यह आदेश संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई, जब एरिजोना, इलिनोइस, ओरेगन और वाशिंगटन सहित कई राज्यों ने ट्रंप के आदेश को चुनौती दी है। उनका तर्क है कि ट्रंप का जन्मसिद्ध नागरिकता वाला कार्यकारी आदेश गैरकानूनी है।

जस्टिस कॉफनर ने कहा, मैं 4 दशकों से बेंच पर हूं। मुझे कोई दूसरा मामला याद नहीं है जिसमें दिए गए सवाल इतना साफ हो। उन्होंने पूछा कि जब इस आदेश पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया गया था, तब वकील कहां थे। साथ ही कहा कि यह उनके दिमाग को चकित कर रहा था कि बार का एक सदस्य आदेश को संवैधानिक होने का दावा करेगा।

सिएटल में दायर चार राज्यों के मुकदमे के अनुसार, 2022 में, अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाली माताओं से लगभग 255,000 बच्चों का जन्म हुआ। जबकि, 153,000 बच्चे ऐसे पैदा हुए, जिनके माता-पिता दोनों अवैध रूप से रह रहे थे। जिनकी नागरिकता पर बादल छाए हुए हैं।इस आदेश के तहत नागरिकता से वंचित किए गए बच्चों को नकारात्मक प्रभावों का सामना करना पड़ेगा।

अमेरिका के संविधान का 14वां संशोधन अमेरिकी धरती पर पैदा हुए सभी बच्चों को नागरिकता की गारंटी देता है। इसमें अप्रवासियों के बच्चों को भी नागरिकता का अधिकार मिलता है।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद पहले ही दिन एक कार्यकारी आदेश के जरिए स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को खत्म कर दिया था।इसे 19 फरवरी से लागू किया जाना था।

ट्रंप की धमकी का रूस ने दिया जवाब, कहा- बयानों में कुछ भी नया नहीं

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डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि वो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कभी भी मिलने को तैयार हैं। इतना कहते हुए ट्रंप ने टर्म एंड कंडीशन भी लगाई। उन्होंने कहा, अगर रूस, यूक्रेन के मुद्दे पर बातचीत के लिए आगे नहीं आता है तो उस पर प्रतिबंध भी लग सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पण पर रूस का जवाब आया है।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव से जब पत्रकारों ने पुतिन की टिप्पणियों को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा, हमें इसमें कुछ नया नहीं दिखाई देता है। ट्रंप की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में साफ हो गया है कि उन्हें प्रतिबंध लगाने पसंद हैं। पेसकोव ने जोर दिया कि रूस अमेरिका के साथ समान और परस्पर सम्मानपूर्ण बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि मास्को, ट्रंप प्रशासन के बयानों को बारीकी से देख रहा है।

इससे पहले ट्रंप ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह बहुत जल्द पुतिन से बात करेंगे और ऐसी संभावना है कि अगर रूस बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ तो वे उसपर अतिरिक्त प्रतिबंध लगा देंगे।

वहीं, बुधवार को अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, मैं रूस और राष्ट्रपति पुतिन पर बहुत बड़ा अहसान करने जा रहा हूं। अब समझौता करो, और इस बेतुके युद्ध को रोको। अगर हम जल्द ही कोई सौदा नहीं करते हैं, तो मेरे पास रूस से आने वाले सामान पर भारी आयात शुल्क लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा, आइये इस युद्ध को ख़त्म करें। अगर मैं राष्ट्रपति होता तो ये शुरू ही नहीं होता। हम इस युद्ध का अंत आसान या कठिन तरीके से कर सकते हैं। आसान तरीका हमेशा बेहतर होता है। अब समझौता करने का समय आ गया है।

बता दें कि पुतिन ने भी बार-बार कहा है कि वह जंग रोकने के लिए बातचीत करने को तैयार हैं लेकिन यूक्रेन को अपनी ज़मीन का वो 20 फीसदी हिस्सा छोड़ना होगा जो अब रूसी कब्जे में है। इसके अलावा पुतिन ये भी नहीं चाहते कि यूक्रेन नेटो में शामिल हो। लेकिन यूक्रेन एक इंच जमीन छोड़ने को तैयार नहीं है। हालांकि राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ये कह चुके हैं कि उन्हें अपनी कुछ जमीन फ़िलहाल के लिए छोड़नी पड़ सकती है।

क्या है अमेरिका की बर्थराइट पॉलिसी जिसे खत्म करने जा रही ट्रंप सरकार, क्या भारत पर भी होगा असर?

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डोनाल्‍ड ट्रंप ने सोमवार को अमेरिका के 47वें राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में कई बड़े ऐलान किये और इसके बाद कई एग्‍जीक्‍यूटिव आदेशों पर हस्‍ताक्षर किए। दुनिया के कई देशों के लिए यह आदेश मुसीबत लेकर आए हैं तो खुद उनके ही देश में ऐसे आदेशों ने बहुत से लोगों की परेशान बढ़ा दी है। नागरिकता को लेकर डोनाल्‍ड ट्रंप के एक एग्‍जीक्‍यूटिव आदेश ने अमेरिका में रहने वाले कई देशों के लोगों के साथ लाखों भारतीयों के लिए भी परेशानी खड़ी कर दी है। इस आदेश के मुताबिक, यदि किसी बच्‍चे के माता-पिता अमेरिका के नागरिक नहीं हैं और बच्‍चे का अमेरिका में जन्‍म होता है तो भी उसे नागरिकता नहीं दी जाएगी।

अमेरिका के कानून के मुताबिक अब तक वहां जन्म लेने वाला हर शख्स अमेरिकी नागरिक होता है। अमेरिका में यदि किसी बच्‍चे का जन्‍म होता है तो उसे स्‍वत: ही अमेरिका का नागरिक मान लिया जाता है। फिर चाहे बच्‍चे के माता-पिता अमेरिका के हों या नहीं। साथ ही यदि बच्‍चे के माता-पिता अवैध रूप से यहां पर आए हैं और बच्‍चे का जन्‍म अमेरिका में होता है तो भी उसे अमेरिकी नागरिक माना जाएगा। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

क्या है अमेरिका की बर्थराइट पॉलिसी

यह जानने से पहले की ट्रंप ने बर्थराइट पॉलिसी में किन चीजों को बदलने की मांग की है यह जानना जरूरी है कि देश की बर्थराइट पॉलिसी क्या है? अमेरिका के संविधान के 14वें संशोधन जोकि 1868 में किया गया, उसके मुताबिक, देश में पैदा हुए सभी बच्चों को जन्मजात नागरिकता दी जाती है। इस संशोधन का मकसद पूर्व में देश में गुलाम बनाए गए व्यक्तियों को नागरिकता और समान अधिकार देना था।

संविधान के मुताबिक, अमेरिका में जिन सभी बच्चों का जन्म हुआ उनके अधिकार क्षेत्र के अधीन वो अमेरिका और जिस भी राज्य में पैदा हुए वहां के नागरिक बन जाते हैं।

इस बर्थराइट पॉलिसी में विदेशी राजनयिकों के बच्चों को छोड़ कर, अमेरिका में पैदा हुए लगभग सभी व्यक्तियों को शामिल किया गया है। हालांकि, जहां संविधान देश में पैदा हुए सभी बच्चों को जन्मजात नागरिकता देने की बात करता है, वहीं अब ट्रंप के प्रशासन का मकसद इस खंड को फिर से परिभाषित करना है। ट्रंप के आदेश में कहा गया है कि जन्मजात नागरिकता में गैर-दस्तावेजी आप्रवासियों के बच्चों को बाहर रखा जाना चाहिए और उन्हें जन्मजात नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए।

क्‍या है ट्रंप का आदेश?

अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा है कि उनकी सरकार अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले लोगों के अमेरिका में बच्‍चों को नागरिक नहीं मानेगी। ट्रंप ने फेडरल एजेंसी को आदेश दिया है कि वह 30 दिनों के बाद ऐसे बच्‍चों को नागरिकता दस्‍तावेज जारी न करे। ट्रंप काफी वक्‍त से यह मुद्दा उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि वैध स्थिति के बिना आप्रवासियों के बच्चों को अमेरिका की नागरिकता प्रदान करना उन्हें स्‍वीकार्य नहीं है।

किन पर ज्यादा असर

अमेरिका के इमिग्रेशन नियमों में इस बड़े बदलाव का असर एच-1बी, एच-4 या एफ-1 वीजा पर रह रहे माता-पिता के बच्चों पर पड़ेगा। ये नियम उन बच्चों पर लागू होगा जिनके माता-पिता ग्रीन कार्ड होल्डर या अमेरिकी नागरिक नहीं हैं। इस फैसले से रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे दस लाख से अधिक भारतीयों पर सीधा असर पड़ेगा। इनमें से कई लोग तो पिछले कई दशकों से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।

भारत पर असर

अमेरिका के जनसंख्‍या ब्‍यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की संख्‍या करीब 50 लाख है जो कि वहां की जनसंख्या का करीब 1.47 फीसदी है। इनमें से महज 34 फीसदी लोग ही ऐसे हैं जो कि अमेरिका में पैदा हुए हैं। शेष दो तिहाई आप्रवासी हैं। अमेरिका में काम कर रहे अधिकतर भारतीय वहां एच1-बी विजा के आधार पर काम कर रहे हैं। इस दौरान वहां पैदा होने वाले भारतीय मूल के बच्चों को अब स्वत: अमेरिका की नागरिकता नहीं मिल पाएगी। ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे 10 लाख से ज्‍यादा भारतीय भी इस फैसले से प्रभावित होंगे।

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स चलना-फिरना भूलीं, मस्क पर टिकी ट्रंप की उम्मीद

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भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर पिछले 8 महीनों से अंतरिक्ष में फंसे हैं। उनके बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी समस्याएं आने के बाद दोनों स्पेस में ही अटक गए। हालांकि, उन्हें लाने की कई बार कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। इस बीच सुनीता विलियम्स के एक बयान ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। अंतरिक्ष में 237 दिनों से फंसी भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने कहा कि वह याद करने की कोशिश कर रही हैं कि चलना कैसा होता है।

एक मैगजीन को दिए गये इंटरव्यू में सुनीता विलियम्स ने कहा है, कि वो काफी बेसब्री से धरती पर लौटने का इंतजार कर रही हैं। इस दौरान उन्होंने कहा, कि वो अब चलना तक भूल गईं हैं। उन्होंने कहा, कि वो याद कर रही हैं, कैसे चलती थीं। उन्होंने कहा, मैं स्पेस स्टेशन में काफी समय से हूं और मैं यह याद करने की कोशिश कर रही हूं, कि चलना कैसा होता है। मैं नहीं चली हूं। मैं नहीं बैठी हूं। मैं नहीं लेटी हूं। आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है। आप बस अपनी आंखें बंद कर सकते हैं और जहां आप हैं, वहीं तैर सकते हैं।

मस्क ने कहा वापसी का काम शुरू

इस हालात में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मशहूर कारोबारी और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में मदद मांगी है। एलन मस्क ने कहा है कि उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के लिए काम शुरू कर दिया है। एलन मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ने से पर फंसे 2 अंतरिक्ष यात्रियों को जल्द से जल्द घर लाने के लिए कहा है। हम ऐसा करेंगे।"

ट्रंप ने क्या कहा?

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा, कि स्पेसएक्स "जल्द ही" दोनों अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए एक मिशन शुरू करेगा, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर महीनों से फंसे हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर कहा कि "एलन जल्द ही कोशिश शुरू करेंगे और उम्मीद हैं, कि सभी सुरक्षित होंगे। शुभकामनाएं एलन!!!"

अंतरिक्ष में कैसे फंसी सुनीता विलियम्स?

बता दें, कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पिछले साल 5 जून को बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गये थे, लेकिन बोइंग स्पेसक्राफ्ट में टेक्निकल दिक्कतें आ गईं और दोनों अंतरिक्षयात्री वहीं फंस गये। सुनीता विलियम्स को सिर्फ 10 दिनों तक ही स्पेस स्टेशन में रहना था, लेकिन पिछले 8 महीनों से वो वहीं फंसी हुई हैं। नासा और बोइंग ने स्पेसक्राफ्ट को ठीक करने की काफी कोशिश की, लेकिन आखिरकार फैसला लिया गया, कि स्पेसक्राफ्ट को वैज्ञानिकों के साथ धरती पर लाना काफी जोखिम भरा कदम होगा।

पीएम मोदी नहीं इजरायल के पीएम नेतन्याहू बनेंगे नई ट्रंप सरकार में पहले मेहमान, 4 फरवरी को अमेरिका दौरा

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अमेरिका और इजराइल की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है। अमेरिका की जो बाइडन सरकार के बाद ट्रंप की सरकार में भी दोनों देशों के बीच रिश्ते नई ऊंचाइयों को छुएंगे। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अमेरिका आने का न्योता दिया है। इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के न्योते पर यूएस का दौरा करने वाले हैं। डोनाल्ड ट्रंप 4 फरवरी को व्हाइट में नेतन्याहू की मेजबानी करेंगे। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में किसी विदेशी राजनेता की यह पहली आधिकारिक यात्रा होगी।

इस खबर की व्हाइट हाउस और नेतन्याहू के ऑफिस ने पुष्टि की है। व्हाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया है कि ट्रंप इस बारे में चर्चा करने का इंतजार कर रहा हूं कि हम इजराइल और उसके पड़ोसियों के लिए शांति स्थापित और हमारे साझा विरोधियों से निपटने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं। ट्रंप के साथ ये मुलाकात इजराइली पीएम के लिए एक मौका होगी, क्योंकि वह इजराइल की राजनीति में दबाव का सामना कर रहे हैं। वह अमेरिका से बड़ा समर्थन लेकर देश में ये साबित कर सकते हैं कि उनके ट्रंप से रिश्ते अच्छे हैं और वह ज्यादा मदद इजराइल के लिए ला सकते हैं।

इजराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी किए गए बयान में नेतन्याहू ने कहा,उन्हें इजराइल और उसके पड़ोसियों के बीच शांति लाने और दुश्मनों का मिलकर मुकाबला करने के लिए ट्रंप से बातचीत का इंतजार है। इससे पहले पिछले साल ट्रंप और नेतन्याहू के बीच चार साल बाद मुलाकात हुई थी।

इस मीटिंग के तहत युद्धविराम समझौते के दूसरे फेज को अपना फोकस बनाएंगे। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका लगातार इजराइल और हमास पर सीजफायर जारी रखने को लेकर दबाव बनाए हुए है। इस लिहाज से ट्रम्प और नेतन्याहू के बीच होने वाली बैठक बेहद खास है। 19 जनवरी को इजराइल और हमास के बीच 15 महीने की जंग के बाद सीजफायर शुरू हुआ है। इस दौरान बंधकों की अदलाबदली की जा रही है। 3 फरवरी से सीजफायर के अगले चरण पर चर्चा होनी है। इसका मकसद जंग को स्थायी तौर पर खत्म करना है।

दूसरी तरफ नेतन्याहू, अमेरिकी राष्ट्रपति से हथियारों की सप्लाई पर भी बात कर सकते हैं। बाइडेन ने अपने कार्यकाल में इजराइल पर दबाव बनाने के लिए भारी बमों की सप्लाई रोक दी थी।

ट्रंप ने भारत-चीन को बताया अमेरिका को नुकसान पहुंचाने वाला देश, टैरिफ लगाने की दी धमकी
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोन पर बात हुई है। खुद ट्रंप और पीएम मोदी ने इसकी जानकारी दी है। ट्रंप की मानें तो भारत के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। हालांकि, दूसरे ही पल उन्होंने भारत को अमेरिका को ‘नुकसान’ पहुंचाने वाला देश बताया और हाई टैरिफ लगाने की धमकी दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को फ्लोरिडा में एक कार्यक्रम में भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर हाई टैरिफ लगाने की बात कही है।

फ्लोरिडा में हाउस रिपब्लिकन्स के एक रिट्रीट के दौरान ट्रंप ने 'अमेरिका फर्स्ट' आर्थिक एजेंडे पर जोर दिया।  ट्रंप ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि अमेरिका वापस उस सिस्टम को अपनाए जिसने उसे धनी और ताकतवर बनाया है। ट्रंप ने कहा- हम उन देशों और बाहरी लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं जो हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। देखिए दूसरे देश क्या करते हैं। चीन बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। भारत, ब्राजील और बाकी देश भी ऐसा ही करते हैं। हम ऐसा अब और नहीं होने देंगे क्योंकि हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे। ट्रंप ने कहा कि ये तीनों देश (ब्राजील, चीन, भारत) अपने हितों के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन इससे अमेरिका को नुकसान पहुंच रहा है। अमेरिका एक ईमानदार सिस्टम तैयार करेगा, जिससे हमारे खजाने में पैसा आएगा और अमेरिका फिर से बहुत अमीर हो जाएगा। यह सब कुछ बहुत जल्द होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरे देशों को अमीर बनाने के लिए अपने लोगों पर टैक्स लगाने की जगह हम अपने लोगों को अमीर बनाने के लिए दूसरे देशों पर टैक्स लगाएंगे। विदेशी कंपनियां हाई टैरिफ से बचना चाहती हैं, तो उन्हें अमेरिका में ही अपना प्लांट लगाना होगा।

ट्रंप ने एक बहुत निष्पक्ष प्रणाली स्थापित करने की योजना की बात कही। उन्होंने कहा कि इससे पैसा अमेरिका के खजाने में आएगा और देश फिर से अमीर बन जाएगा। ट्रंप ने कहा कि यह बहुत जल्दी होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने विदेशी कंपनियों से ऊंचे टैरिफ से बचने के लिए अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने का भी आग्रह किया।
टिकटॉक को खरीद सकती है माइक्रोसॉफ्ट, ट्रंप में छेड़ी ‘बिडिंग वॉर
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’* माइक्रोसॉफ्ट अमेरिका में टिकटॉक को खरीदने की तैयारी कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को बताया कि माइक्रोसॉफ्टर, चाइनीज एप टिकटॉक के अमेरिकी व्यापार को खरीद सकती है। ट्रंप ने बताया कि दोनों पक्षों में फिलहाल बात हो रही है। ट्रंप ने ये भी कहा कि वह चाहते हैं कि अन्य कंपनियां भी टिकटॉक के लिए बोली लगाएं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने कहा कि टिकटॉक को खरीदने के लिए कई दावेदार रुचि दिखा रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वह चाहते हैं कि इस जॉइंट वेंचर में अमेरिका की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी हो। ट्रंप ने टिकटॉक पर एक वीडियो में कहा कि टिकटॉक के लिए बहुत सारी बोलियां आ रही हैं। देखते हैं क्या होता है। बहुत लोग इस पर बोली लगाएंगे, और अगर हम डेटा और नौकरियों को बचा सकें और इसमें चीन को शामिल न करें, तो यह अच्छा होगा। हम चीन को इसमें शामिल नहीं करना चाहते। देखते हैं आगे क्या होता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, मुझे बिडिंग वॉर पसंद हैं, क्योंकि इसमें सबसे अच्छी डील करने का मौका मिलता है। अगर बिडिंग वॉर हो रही है, तो यह एक सकारात्मक बात है। 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद, ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर साइन किए, जिसमें टिकटॉक को फेडरल कानून का पालन करने के लिए 75 दिन का समय दिया गया. फेडरल कानून के तहत कंपनी को अपने चीनी पैरेंट बाइटडांस से संबंध खत्म करने या अमेरिका में प्रतिबंध का सामना करने बात कही गई थी। ट्रंप ने कभी खुद चीनी ऐप के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए पहली बार एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी। हालांकि, तब से रिपब्लिकन नेता ने ऐप के लिए एक ‘वार्म स्पॉट’ डेवलप किया है, क्योंकि इसने उन्हें 2024 के अमेरिकी चुनावों के दौरान युवा मतदाताओं से जुड़ने में मदद की थी।
पीएम मोदी को आया व्हाइट हाउस से बुलावा, ट्रंप के न्योता पर फरवरी में जा सकते हैं अमेरिका
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी में अमेरिका का दौरा कर सकते हैं। सोमवार को अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी से फोन पर बात की। जिसके बाद ये खबर सामने आ रही है।खुद ट्रंप का इस बात खुलासा किया। व्हाइट हाउस ने बातचीत की डिटेल जारी की है। जिसमें बताया गया है कि दोनों नेताओं के बीच आखिर क्या बातचीत हुई है। इसके अलावा इस बातचीत को लेकर पीएम मोदी सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट भी किया है। अगर ऐसा होता है तो डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी दुनिया के पहले नेताओं में होंगे, जो वाशिंगटन जाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को फ्लोरिडा से ‘ज्वाइंट बेस एंड्रयूज’ लौटते समय एयर फोर्स वन विमान में पत्रकारों से कहा, ‘आज सुबह मेरी उनसे लंबी बातचीत हुई। अगले महीने वे व्हाइट हाउस आ रहे हैं। शायद फरवरी में। भारत के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं।’ डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ सोमवार को फोन पर हुई बातचीत के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मोदी के साथ फोन पर बातचीत के दौरान सभी विषयों पर चर्चा हुई।’ *व्हाइट हाउस ने जारी किया बयान* इससे पहले व्हाइट हाउस ने कहा है कि दोनों नेताओं ने अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी और हिंद-प्रशांत क्वाड साझेदारी को आगे बढ़ाने पर प्रतिबद्धता जताई है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा की योजनाओं पर चर्चा की गई। व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। दोनों नेताओं ने सहयोग को बढ़ाने और रिश्ते को गहरा करने पर चर्चा की। उन्होंने हिंद-प्रशांत, मध्य पूर्व और यूरोप में सुरक्षा सहित कई क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत द्वारा बनाए गए अमेरिका निर्मित सुरक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाने और द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। *दोस्ती और रणनीतिक संबंध मजबूत होंगे* व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस की यात्रा की योजनाओं पर चर्चा की। इससे हमारे देशों के बीच दोस्ती और रणनीतिक संबंध मजबूत होंगे। व्हाइट हाउस ने अपने बयान में यह भी कहा कि भारत इस साल के अंत में पहली बार क्वाड नेताओं की मेजबानी करेगा। *पीएम मोदी ने क्या कहा?* इधर, प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा कि अपने प्रिय मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात करके बहुत खुशी हुई। उनके ऐतिहासिक दूसरे कार्यकाल के लिए उन्हें बधाई दी। हम परस्पर लाभकारी और विश्वसनीय साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अपने लोगों के कल्याण तथा वैश्विक शांति, समृद्धि एवं सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।
बांग्लादेश को ट्रंप ने दिया बड़ा झटका, आर्थिक मदद पर लगाई रोक, फिर भी क्यों खुश हो रहें यूनुस

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश की यूनुस सरकार को बड़ा झटका दिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली अमेरिकी मदद पर तत्काल रोक लगा दी है। सत्ता संभालने के बाद ट्रंप ने कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है। इससे पहले उन्होंने यूक्रेन की विदेशी सहायता निलंबित की थी।

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी ने बांग्लादेश में अपनी सभी सहायता और प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस फैसले को बांग्लादेश की यूनुस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।हालांकि, अमेरिका ने रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए दी जाने वाली सहायता राश‍ि को जारी रखा है। अमेरिका के रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए जारी सहायता रखने से मोहम्‍मद यूनुस सरकार थोड़ा खुश है।

अमेरिका बांग्‍लादेश को जलवायु संकट, रोहिंग्‍या शरणार्थी, हेल्‍थ, मानवाधिकारों से लेकर शिक्षा तक के लिए पैसा देता था। ट्रंप प्रशासन का रोहिंग्याओं से जुड़ी समस्‍या के प्रति फोकस है। अमेरिका रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए मानवीय सहायता देने वाले देशों में अग्रणी है। साल 2017 में जब से रोहिंग्‍या संकट शुरू हुआ है तब से लेकर अब तक 2.4 अरब डॉलर की सहायता उसने दी है। यही नजह है कि दुनिया भर के देशों का हुक्‍का पानी बंद करने के बावजूद ट्रंप ने रोहिंग्‍याओं के लिए दी जा रही आर्थिक मदद को आगे भी जारी रखा है। ऐसे में मोहम्‍मद यूनुस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को धन्‍यवाद कहा है।

शेख हसीना के जाने के बाद से ही बांग्‍लादेश आर्थिक संकटों के दौर से गुजर रहा है। दुनियाभर की कंपनियों ने अपने ऑर्डर रद कर दिए हैं। यही नहीं बिजली का भी देश में संकट चल रहा है। अब ट्रंप के इस आदेश ने बांग्‍लादेश की मुश्किलें काफी बढ़ा दी हैं।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को एक व्यापक आदेश में केवल इजरायल और मिस्र को छोड़कर, यूक्रेन सहित सभी विदेशी सहायता पर रोक लगा दी है। इस आदेश से सामान्य सहायता से लेकर सैन्य सहायता तक सब कुछ प्रभावित करेगा। इसमें केवल आपातकालीन खाद्य सहायता और इजरायल, मिस्र के लिए सैन्य मदद को छूट दी गई है।

ट्रंप ने यूक्रेन को दिया बड़ा झटका, अमेरिकी मदद पर रोक, इजराइल-मिस्र की जारी रहेगी मदद

#donald_trump_admin_freezes_foreign_aid_us_including_ukraine

डोनाल्ड ट्रंप एक्शन मोड में हैं। शपथ लेने के बाद वह लगातार सबको झटका दे रहे हैं। पहले कनाडा और मैक्सिको को चोट दी। अब अमेरिका ने अपने दोस्त यूक्रेन को ही घाव दे दिया है। उन्होंने कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है। इसी कड़ी में उन्होंने यूक्रेन को दी जाने वाली मदद को भी रोकने का ऐलान किया है। ट्रंप का ये फैसला यूक्रेन के लिए तगड़ा झटका है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अमेरिकी प्रशासन लगातार नए आदेश जारी कर रहा है। शुक्रवार को अमेरिका के विदेश विभाग ने लगभग सभी विदेशी वित्तपोषण पर रोक लगा दी है और अपवाद के तौर पर सिर्फ मानवीय खाद्य कार्यक्रमों और इस्राइल और मिस्त्र को मदद जारी रखी जाएगी। इसके साथ ही अमेरिका दुनियाभर में स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास, नौकरी प्रशिक्षण की जो भी मदद देता है, उन पर तत्काल प्रभाव से रोक लग जाएगी।

बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि सभी सहायता कार्यक्रम अमेरिका के हित में नहीं हैं। इस संबंध में सभी अमेरिकी दूतावास को यह आदेश जारी कर दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि नई सरकार वैश्विक आर्थिक सहायता के मद में कोई खर्च नहीं करेगी और दूतावास के पास ही जो फंड बचा है, उसके खत्म होने तक वे सहायता कार्यक्रम चला सकते हैं।

अमेरिका के इस फैसले से सबसे बड़ा झटका यूक्रेन को लगेगा, जो रूस के साथ युद्ध में उलझा हुआ है। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन पहले ही बड़ी मात्रा में यूक्रेन के लिए फंडिंग की मंजूरी दे गए हैं, लेकिन अमेरिकी विदेश विभाग के फैसले से नई फंडिंग पर रोक लग गई है। ऐसे में यूक्रेन के सामने भारी चुनौती आने वाली है।

यही नहीं अमेरिका अन्य देशों को भी जो मदद देता है, उसको भी ट्रंप प्रशासन ने रोकने का निर्णय लिया है.हालांकि, इसमें इजराइल, इजिप्ट को शामिल नहीं किया गया, यानी इन देशों को अमेरिका की मदद मिलती रहेगी. यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के अनुरूप है, जिसमें विदेशों में सहायता को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है। इस आदेश से डेवलपमेंट से लेकर मिलिट्री सहायत तक काफी कुछ प्रभावित होने की उम्मीद है. जो बाइडेन के कार्यकाल में रूस का सामना करने के लिए यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार मिले थे। अमेरिकी मदद की वजह से यूक्रेन इनतें दिनों तक युद्ध में डटा रहा. अमेरिका ने 2023 में यूक्रेन को 64 बिलियन डॉलर से अधिक की मदद दी थी. पिछले साल कितनी की मदद दी गई, रिपोर्ट में इसकी जानकारी नहीं दी है

डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी कोर्ट से बड़ा झटका, बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म करने के ऑर्डर पर लगाई रोक

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अमेरिका में स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर देश की एक संघीय अदालत ने रोक लगा दी है। अदालत के फैसले ने अमेरिका में रहने वाला हजारों आप्रवासियों को बड़ी राहत दी है। जज ने अपने फैसले में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश को 'साफ तौर पर असंवैधानिक' कहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद पहले ही दिन एक कार्यकारी आदेश के जरिए स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को खत्म कर दिया था।

सीऐटल में एक फेडरल जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है, जिसका मकसद जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करना है। जज ने इस कदम को स्पष्ट रूप से असंवैधानिक करार दिया है। अमेरिकी जिला न्यायाधीश जॉन कॉफनर ने गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। जज जॉन कफेनोर ने कहा कि यह आदेश संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई, जब एरिजोना, इलिनोइस, ओरेगन और वाशिंगटन सहित कई राज्यों ने ट्रंप के आदेश को चुनौती दी है। उनका तर्क है कि ट्रंप का जन्मसिद्ध नागरिकता वाला कार्यकारी आदेश गैरकानूनी है।

जस्टिस कॉफनर ने कहा, मैं 4 दशकों से बेंच पर हूं। मुझे कोई दूसरा मामला याद नहीं है जिसमें दिए गए सवाल इतना साफ हो। उन्होंने पूछा कि जब इस आदेश पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया गया था, तब वकील कहां थे। साथ ही कहा कि यह उनके दिमाग को चकित कर रहा था कि बार का एक सदस्य आदेश को संवैधानिक होने का दावा करेगा।

सिएटल में दायर चार राज्यों के मुकदमे के अनुसार, 2022 में, अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाली माताओं से लगभग 255,000 बच्चों का जन्म हुआ। जबकि, 153,000 बच्चे ऐसे पैदा हुए, जिनके माता-पिता दोनों अवैध रूप से रह रहे थे। जिनकी नागरिकता पर बादल छाए हुए हैं।इस आदेश के तहत नागरिकता से वंचित किए गए बच्चों को नकारात्मक प्रभावों का सामना करना पड़ेगा।

अमेरिका के संविधान का 14वां संशोधन अमेरिकी धरती पर पैदा हुए सभी बच्चों को नागरिकता की गारंटी देता है। इसमें अप्रवासियों के बच्चों को भी नागरिकता का अधिकार मिलता है।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद पहले ही दिन एक कार्यकारी आदेश के जरिए स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को खत्म कर दिया था।इसे 19 फरवरी से लागू किया जाना था।

ट्रंप की धमकी का रूस ने दिया जवाब, कहा- बयानों में कुछ भी नया नहीं

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डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि वो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कभी भी मिलने को तैयार हैं। इतना कहते हुए ट्रंप ने टर्म एंड कंडीशन भी लगाई। उन्होंने कहा, अगर रूस, यूक्रेन के मुद्दे पर बातचीत के लिए आगे नहीं आता है तो उस पर प्रतिबंध भी लग सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पण पर रूस का जवाब आया है।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव से जब पत्रकारों ने पुतिन की टिप्पणियों को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा, हमें इसमें कुछ नया नहीं दिखाई देता है। ट्रंप की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में साफ हो गया है कि उन्हें प्रतिबंध लगाने पसंद हैं। पेसकोव ने जोर दिया कि रूस अमेरिका के साथ समान और परस्पर सम्मानपूर्ण बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि मास्को, ट्रंप प्रशासन के बयानों को बारीकी से देख रहा है।

इससे पहले ट्रंप ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह बहुत जल्द पुतिन से बात करेंगे और ऐसी संभावना है कि अगर रूस बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ तो वे उसपर अतिरिक्त प्रतिबंध लगा देंगे।

वहीं, बुधवार को अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, मैं रूस और राष्ट्रपति पुतिन पर बहुत बड़ा अहसान करने जा रहा हूं। अब समझौता करो, और इस बेतुके युद्ध को रोको। अगर हम जल्द ही कोई सौदा नहीं करते हैं, तो मेरे पास रूस से आने वाले सामान पर भारी आयात शुल्क लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा, आइये इस युद्ध को ख़त्म करें। अगर मैं राष्ट्रपति होता तो ये शुरू ही नहीं होता। हम इस युद्ध का अंत आसान या कठिन तरीके से कर सकते हैं। आसान तरीका हमेशा बेहतर होता है। अब समझौता करने का समय आ गया है।

बता दें कि पुतिन ने भी बार-बार कहा है कि वह जंग रोकने के लिए बातचीत करने को तैयार हैं लेकिन यूक्रेन को अपनी ज़मीन का वो 20 फीसदी हिस्सा छोड़ना होगा जो अब रूसी कब्जे में है। इसके अलावा पुतिन ये भी नहीं चाहते कि यूक्रेन नेटो में शामिल हो। लेकिन यूक्रेन एक इंच जमीन छोड़ने को तैयार नहीं है। हालांकि राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ये कह चुके हैं कि उन्हें अपनी कुछ जमीन फ़िलहाल के लिए छोड़नी पड़ सकती है।

क्या है अमेरिका की बर्थराइट पॉलिसी जिसे खत्म करने जा रही ट्रंप सरकार, क्या भारत पर भी होगा असर?

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डोनाल्‍ड ट्रंप ने सोमवार को अमेरिका के 47वें राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में कई बड़े ऐलान किये और इसके बाद कई एग्‍जीक्‍यूटिव आदेशों पर हस्‍ताक्षर किए। दुनिया के कई देशों के लिए यह आदेश मुसीबत लेकर आए हैं तो खुद उनके ही देश में ऐसे आदेशों ने बहुत से लोगों की परेशान बढ़ा दी है। नागरिकता को लेकर डोनाल्‍ड ट्रंप के एक एग्‍जीक्‍यूटिव आदेश ने अमेरिका में रहने वाले कई देशों के लोगों के साथ लाखों भारतीयों के लिए भी परेशानी खड़ी कर दी है। इस आदेश के मुताबिक, यदि किसी बच्‍चे के माता-पिता अमेरिका के नागरिक नहीं हैं और बच्‍चे का अमेरिका में जन्‍म होता है तो भी उसे नागरिकता नहीं दी जाएगी।

अमेरिका के कानून के मुताबिक अब तक वहां जन्म लेने वाला हर शख्स अमेरिकी नागरिक होता है। अमेरिका में यदि किसी बच्‍चे का जन्‍म होता है तो उसे स्‍वत: ही अमेरिका का नागरिक मान लिया जाता है। फिर चाहे बच्‍चे के माता-पिता अमेरिका के हों या नहीं। साथ ही यदि बच्‍चे के माता-पिता अवैध रूप से यहां पर आए हैं और बच्‍चे का जन्‍म अमेरिका में होता है तो भी उसे अमेरिकी नागरिक माना जाएगा। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

क्या है अमेरिका की बर्थराइट पॉलिसी

यह जानने से पहले की ट्रंप ने बर्थराइट पॉलिसी में किन चीजों को बदलने की मांग की है यह जानना जरूरी है कि देश की बर्थराइट पॉलिसी क्या है? अमेरिका के संविधान के 14वें संशोधन जोकि 1868 में किया गया, उसके मुताबिक, देश में पैदा हुए सभी बच्चों को जन्मजात नागरिकता दी जाती है। इस संशोधन का मकसद पूर्व में देश में गुलाम बनाए गए व्यक्तियों को नागरिकता और समान अधिकार देना था।

संविधान के मुताबिक, अमेरिका में जिन सभी बच्चों का जन्म हुआ उनके अधिकार क्षेत्र के अधीन वो अमेरिका और जिस भी राज्य में पैदा हुए वहां के नागरिक बन जाते हैं।

इस बर्थराइट पॉलिसी में विदेशी राजनयिकों के बच्चों को छोड़ कर, अमेरिका में पैदा हुए लगभग सभी व्यक्तियों को शामिल किया गया है। हालांकि, जहां संविधान देश में पैदा हुए सभी बच्चों को जन्मजात नागरिकता देने की बात करता है, वहीं अब ट्रंप के प्रशासन का मकसद इस खंड को फिर से परिभाषित करना है। ट्रंप के आदेश में कहा गया है कि जन्मजात नागरिकता में गैर-दस्तावेजी आप्रवासियों के बच्चों को बाहर रखा जाना चाहिए और उन्हें जन्मजात नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए।

क्‍या है ट्रंप का आदेश?

अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा है कि उनकी सरकार अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले लोगों के अमेरिका में बच्‍चों को नागरिक नहीं मानेगी। ट्रंप ने फेडरल एजेंसी को आदेश दिया है कि वह 30 दिनों के बाद ऐसे बच्‍चों को नागरिकता दस्‍तावेज जारी न करे। ट्रंप काफी वक्‍त से यह मुद्दा उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि वैध स्थिति के बिना आप्रवासियों के बच्चों को अमेरिका की नागरिकता प्रदान करना उन्हें स्‍वीकार्य नहीं है।

किन पर ज्यादा असर

अमेरिका के इमिग्रेशन नियमों में इस बड़े बदलाव का असर एच-1बी, एच-4 या एफ-1 वीजा पर रह रहे माता-पिता के बच्चों पर पड़ेगा। ये नियम उन बच्चों पर लागू होगा जिनके माता-पिता ग्रीन कार्ड होल्डर या अमेरिकी नागरिक नहीं हैं। इस फैसले से रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे दस लाख से अधिक भारतीयों पर सीधा असर पड़ेगा। इनमें से कई लोग तो पिछले कई दशकों से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।

भारत पर असर

अमेरिका के जनसंख्‍या ब्‍यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की संख्‍या करीब 50 लाख है जो कि वहां की जनसंख्या का करीब 1.47 फीसदी है। इनमें से महज 34 फीसदी लोग ही ऐसे हैं जो कि अमेरिका में पैदा हुए हैं। शेष दो तिहाई आप्रवासी हैं। अमेरिका में काम कर रहे अधिकतर भारतीय वहां एच1-बी विजा के आधार पर काम कर रहे हैं। इस दौरान वहां पैदा होने वाले भारतीय मूल के बच्चों को अब स्वत: अमेरिका की नागरिकता नहीं मिल पाएगी। ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे 10 लाख से ज्‍यादा भारतीय भी इस फैसले से प्रभावित होंगे।