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अब गैर-अमेरिकी फिल्मों पर चला ट्रंप का “चाबुक”, लगाया 100 प्रतिशत टैरिफ

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ को लेकर दुनियाभर में हाहाकार मचा है। तमाम देश ट्रंप के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका से बाहर बनने वाली फिल्मों पर 100% का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री तेजी से खत्म हो रही है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और कहा कि हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर दी। अपने पोस्ट में, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को इस तरह के टैरिफ को तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत किया है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा, यह अन्य देशों द्वारा एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। बाकी सब चीज़ों के अलावा, यह मैसेंजिंग और प्रोपेगेंडा भी है!

अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही-ट्रंप

ट्रंप ने लिखा अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही है। अन्य देश हमारे फिल्म प्रोड्यूसर्स और स्टूडियो को अमेरिका से दूर खींचने के लिए हर तरह का प्रोत्साहन दे रहे हैं। हॉलीवुड और यूएसए के कई अन्य क्षेत्र तबाह हो रहे हैं। यह अन्य राष्ट्रों का एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह, बाकी सब चीजों के अलावा, मैसेंजिंग और प्रोपेगैंडा है! इसलिए, मैं डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को हमारे देश में आने वाली किसी भी और विदेशी भूमि में निर्मित सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं। हम दोबारा अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी पोस्ट में आगे 100 प्रतिशत टैरिफ का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, मैं वाणिज्य विभाग और संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को तुरंत हमारे देश में आने वाली सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं, जो विदेशी भूमि में बनाई गई हैं। हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

ट्रंप ने दो अप्रैल को लगाया था जवाबी टैरिफ

बता दें कि ट्रंप ने इससे पहले 2 अप्रैल को भारत और चीन सहित दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया था, जिसके बाद से दुनिया भर की स्टॉक मार्केट पर भी इसका असर देखने को मिला था। हालांकि, इसके बाद नौ अप्रैल को ट्रंप चीन और हॉन्गकॉन्ग को छोड़कर नौ जुलाई तक टैरिफ को 90 दिनों के लिए निलंबित करने की घोषणा की थी। क्योंकि लगभग 75 देशों ने व्यापार सौदों के लिए अमेरिका से संपर्क किया था। हालांकि इन देशों पर लगाया गया 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ अभी भी प्रभावी है। इसके अलावा स्टील, एल्युमीनियम और ऑटो कलपुर्जों पर 25 प्रतिशत शुल्क भी लागू है। ट्रंप के टैरिफ से सबसे ज्यादा चीन प्रभावित हुआ है।

भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर में लंबा तनाव…,पहलगाम हमले पर बोले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत को दुनियाभर के देशों का समर्थन मिल रहा है। अमेरिका और रूस जैसे ताकतवर देश आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की बात कर रहे हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर बयान दिया है। कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए उन्होंने इसे 'बुरा हमला' कहा। उन्होंने माना कि कश्मीर में आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है।

ट्रंप ने यह बात उस समय कही जब वे रोम जाने के लिए एयर फोर्स वन विमान में सवार थे। साथ ही पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी पहली टिप्पणी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को बुरा बताया। एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच तनाव लंबे समय से चल रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों पक्ष इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।

भारत और पाकिस्तान के बहुत करीब-ट्रंप

कश्मीर में हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने जवाब दिया, मैं भारत के बहुत करीब हूं और पाकिस्तान के भी बहुत करीब हूं, जैसा कि आप जानते हैं। और कश्मीर में वे एक हजार साल से लड़ रहे हैं। कश्मीर एक हजार साल से चल रहा है, शायद उससे भी अधिक समय से। कल का (आतंकवादी हमला) बहुत बुरा था, वह बहुत बुरा था, जिसमें 30 लोग मारे गए।

दोनों नेता खुद सुलझा लेंगे तनाव-ट्रंप

साथ ही ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद पर कहा कि भारत पाकिस्तान के बीच सीमा पर 1,500 सालों से तनाव रहा है। यह नया नहीं है। लेकिन मुझे भरोसा है कि भारत और पाकिस्तान इसे किसी तरह से सुलझा लेंगे। मैं दोनों नेताओं को जानता हूं। वे इसे किसी न किसी तरह से खुद ही सुलझा लेंगे।

पहले भी कर चुके हैं आतंकी हमले की कड़ी निंदा

जब ट्रंप ने पूछा गया कि क्या वे दोनों नेताओं से संपर्क करेंगे, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करके आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने इस जघन्य हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने में भारत को पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया था। प्रधानमंत्री मोदी से बात करने से पहले ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में हमले को लेकर गहरी चिंता जताई थी। उन्होंने लिखा, कश्मीर से बेहद परेशान करने वाली खबर आई है। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

अब फार्मा सेक्टर पर भी टैरिफ लगाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, जानें भारत पर क्या असर?

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हर तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा है। दुनियाभर के 180 से अधिक देशों पर 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप अभी रूकने के मूड मे नहीं दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब एलान किया है कि जल्द ही दवाओं के आयात पर शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर बड़े टैरिफ की घोषणा करेगा।

विदेश में दवा बना रही कंपनियों को वापस लाना है-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा। अब उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।

टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। हालांकि, ट्रंप दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।

भारतीय फार्मा कंपनियों पर असर

अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारत अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारतीय फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। Sun Pharma, Lupin, Dr. Reddy's, Aurobindo Pharma और Gland Pharma जैसी कंपनियां अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं और उनके शेयर बुधवार को दबाव में नजर आए.

अभी फार्मा पर कितना टैरिफ है?

आपको बता दें कि फिलहाल भारत देश अमेरिका से आयात होने वाले फार्मा पर करीब 10 फ़ीसदी का टैरिफ चार्ज वसूलता है जबकि अमेरिका देश भारत से आने वाले फार्मा आयात पर किसी भी प्रकार का टैरिफ नहीं वसूलता है. आने वाले समय में अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो इससे भारतीय फार्मा कंपनियों के बिजनेस पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.

टैरिफ को लेकर व्हाइट हाउस में मतभेद, आपस में भिड़े मस्क और ट्रंप के सलाहकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की हर तरफ आलोचना हो रही है। अब टैरिफ नीति को लेकर ट्रंप के अपने ही सलाहकार आपस में भिड़ गए हैं। व्हाइट हाउस के दो बड़े आर्थिक सलाहकार-पीटर नवारो और एलन मस्क एक दूसरे के आमने-सामने आ गए। पीटर नवारो का आरोप है कि एलन मस्क अमेरिका के बड़े व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाने का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे उनकी कंपनियों को नुकसान हो सकता है। वहीं, एलन मस्क ने नवारो की शिक्षा और उनके आर्थिक सोच पर सवाल उठा दिए हैं।

यह विवाद तब और गहरा गया जब पीटर नवारो ने फॉक्स न्यूज संडे के साथ एक इंटरव्यू में एलन मस्क की टैरिफ विरोधी टिप्पणियों की आलोचना की। नवारो ने स्वीकार किया कि मस्क जो सरकारी दक्षता विभाग में भी भूमिका निभा रहे हैं, उस पद पर अच्छा काम कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि मस्क का टैरिफ का विरोध उनकी कंपनियों के व्यावसायिक हितों से प्रेरित है।

नवारो ने कहा, जब एलन मस्क ऊर्जा विभाग से जुड़े काम करते हैं, तो वे अच्छा काम करते हैं, लेकिन हमें पता है कि असल में क्या हो रहा है। एलन कार बेचते हैं और वे सिर्फ अपने फायदे की बात कर रहे हैं। नवारो ने बताया कि मस्क की कंपनी टेस्ला को टैरिफ से सीधा नुकसान हो सकता है क्योंकि टेस्ला चीन, मैक्सिको, जापान, ताइवान और कई देशों से बड़ी मात्रा में ऑटोमोबाइल पार्ट्स मंगाती है। नवारो का कहना है कि मस्क टैरिफ का विरोध इसलिए कर रहे हैं ताकि उनकी कंपनी का मुनाफा बना रहे।

एलन मस्क ने दी तीखी प्रतिक्रिया

एलन मस्क ने पीटर नवारो के आरोपों को खारिज किया है। मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मस्क ने न केवल नवारो के बयान को गलत बताया बल्कि उनके शैक्षणिक और व्यावसायिक अनुभव पर भी सवाल उठा दिए।

मस्क ने एक पोस्ट में लिखा, इकोनॉमिक्स में हार्वर्ड से पीएचडी होना कोई काबिलियत की बात नहीं, बल्कि यह नुकसानदायक भी हो सकता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इतनी ज्यादा पढ़ाई ने नवारो को असली दुनिया की आर्थिक हकीकतों से दूर कर दिया है। एक दूसरे पोस्ट में मस्क ने लिखा, यह सब उनके घमंड और सीमित सोच की समस्या है।

ट्रंप की नीतियों के विरोध की वजह है नुकसान?

बता दें कि एलन मस्क पहले राष्ट्रपति ट्रंप के एक मुखर समर्थक रहे हैं और उन्हें शीर्ष सलाहकार के रूप में भी जाना जाता था। हालांकि ट्रंप की हालिया “लिबरेशन डे” टैरिफ घोषणा के बाद से मस्क काफी शांत रहे हैं। अकेले टेस्ला के सीईओ को बाजार में गिरावट के कारण 30 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि मस्क का ट्रंप की नीतियों का विरोध करना उनके इस निजी नुकसान की वजह से हो सकता है।

टैरिफ की मार से दुनियाभर के बाजार में हाहाकार, ट्रंप बोले- यह एक तरह की दवा है, कड़वे घूंट पीने पड़ते हैं

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विभिन्न देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी। इसके बाद से दुनियाङर के बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है। यहां तक की अमेरिकी शेयर बाजार पर भी इसका खासा असर देखा जा रहा है। अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई है। ट्रंप के फैसले के का विरोध भी शुरू हो गया है। शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कारोबारी एलन मस्क के खिलाफ अमेरिकी नागरिकों ने पूरे देश में रैलियां निकाली। इस बीच ट्रंप ने अपने टैरिफ लगाने के फैसले को वापस लेने से साफ मना कर दिया है। कहा है कि कभी कभी चीजों को सही करने के लिए दवाई देने की जरूरत पड़ती है।

हम व्यापार घाटा नहीं सहेंगे-ट्रंप

अपने आधिकारिक विमान एयरफोर्स वन में मीडिया के साथ बातचीत में ट्रंप ने कहा कि वह नहीं चाहते कि दुनियाभर के बाजारों में गिरावट आए, लेकिन मैं इसे लेकर चिंतित नहीं हूं। कई बार आपको चीजों को सही करने के लिए दवाई लेनी पड़ती है। ट्रंप ने कहा कि मैंने यूरोपीय, एशियाई, पूरी दुनिया के कई नेताओं से बात की है, वे हमारे साथ समझौता करना चाहते हैं, लेकिन अब हम व्यापार घाटा नहीं सहेंगे और हमने ये बात उन्हें साफ बता दी है।

टैरिफ को 'खूबसूरत चीज़' बताया

वहीं दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट 'ट्रूथ' पर एक पोस्ट में टैरिफ को 'खूबसूरत चीज़' बताया। उन्होंने कहा, चीन, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ हमारा बड़ा व्यापार घाटा है। इसका हल सिर्फ टैरिफ है। इससे अमेरिका को अब अरबों डॉलर मिल रहे हैं। ये पहले से ही असर दिखा रहे हैं और देखने में भी सुंदर लगते हैं। ट्रंप ने ये भी कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में इन देशों के साथ व्यापार घाटा और बढ़ा है, लेकिन अब वह इसे सुधारेंगे। उन्होंने कहा कि किसी दिन लोगों को एहसास होगा कि टैरिफ संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक बहुत ही सुंदर चीज है।

दुनियाभर के शेयर मार्केट धड़ाम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नई टैरिफ पॉलिसी लागू किए जाने के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजार में कोहराम मचा हुआ है। ऑस्ट्रेलिया स्टॉक मार्केट में 6 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं साउथ कोरिया के बाजार में 5 प्रतिशत, जापान में 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी गई है। चीन का मार्केट 10 प्रतिशत डाउन है तो वहीं हांगकांग का मार्केट 10 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया है।

अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट की माने तो बाजार में अभी 15-20% प्रतिशत की और गिरावट देखने को मिल सकती है। एक्सपर्ट की इस भविष्यवाणी के बाद लोगों की टेंशन बढ़ गई है।

मंदी का खतरा मंडराया

अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 26% टैरिफ लगाया और अन्य देशों पर 10% आयात शुल्क लगाया। चीन ने पलटवार करते हुए 34 प्रतिशत टैरिफ लगाया तो वही कनाडा ने अमेरिकी वाहनों पर 25% टैरिफ लगा दिया है। इसके कारण लोगों में टेंशन का माहौल है। आयात किए गए सामानों पर लगाए गए 10% के नए टैरिफ और दर्जनों देशों पर लगाए गए जवाबी टैरिफ से व्यापारी घबरा गए हैं। यही कारण है बड़ी मात्रा में बाजार से पैसा बाहर निकाला जा रहा है, जिससे भारी गिरावट देखने को मिल रही है।

ट्रंप के टैरिफ फैसले से वैश्विक बाजारों में महंगाई की आशंका बढ़ी है, जिससे मंदी का खतरा गहराता दिख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ के कारण आयातित सामानों की कीमतें बढ़ेंगी।

कुछ दिन पहले ही लगाया है टैरिफ

डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले ही भारत समेत दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। ट्रंप ने भारत पर भी 26 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। भारत के अलावा और जिन देशों पर टैरिफ लगाया गया उनमें चीन, मलेशिया, कनाडा, पाकिस्तान, वियतनाम जैसे देश शामिल हैं।

ट्रंप के टैरिफ का भारत पर कितना होगा असर, दवा से लेकर स्टील और ज्वैलरी तक पर सीधा पड़ेगा प्रभाव

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अमेरिका ने 'डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ़' का ऐलान कर दिया है। 100 से ज्यादा देशों पर लगाए गए जवाबी टैरिफ वाले देशों की सूची में भारत का नाम भी है। भारत पर 26% टैरिफ़ लगाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के एलान के बाद से एशियाई देशों पर खासा असर पड़ा है। भारत अमेरिकी वस्तुओं पर सबसे ज़्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल है।

ट्रंप ने चीन पर 34 फीसदी, वियतनाम पर 46 फीसदी और कंबोडिया पर 49 फीसदी टैरिफ लगाया है। लेकिन इन देशों की तुलना में भारत की स्थिति काफी बेहतर है। एशिया डिकोडेड की प्रियंका किशोर के मुताबिक, भारत के लिए 26 फ़ीसदी टैरिफ काफी ज़्यादा है और इससे भारत के कामगार बुरी तरह से प्रभावित होंगे।

दवाओं की कीमतों में उछाल

भारत अमेरिका को हर साल करीब 12.7 अरब डॉलर की जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है। रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने से इन दवाओं पर शुल्क बढ़ सकता है, जिससे दवा कंपनियों की लागत बढ़ेगी। इसका असर भारत में भी दवाओं की कीमतों पर पड़ सकता है, जिससे आपकी मेडिकल खर्च की योजना प्रभावित होगी।

खाद्य तेल और कृषि उत्पाद होंगे महंगे

खाद्य तेल जैसे नारियल और सरसों तेल पर 10.67% टैरिफ अंतर की संभावना है। इससे इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जो आपकी रसोई के बजट को सीधे प्रभावित करेगा। साथ ही, निर्यात में कमी से किसानों की आय पर भी असर पड़ेगा।

प्रसंस्कृत खाद्य, अनाज, सब्जियां, फल मसाले होंगे महंगे

प्रसंस्कृत खाद्य, चीनी और कोको निर्यात पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि इसमें टैरिफ अंतर 24.99 प्रतिशत है। पिछले साल इसका निर्यात 1.03 अरब डॉलर था। इसी तरह, अनाज, सब्जियां, फल और मसाले के क्षेत्र में टैरिफ अंतर 5.72 प्रतिशत है। एक निर्यातक ने कहा, टैरिफ अंतर जितना अधिक होगा, संबंधित क्षेत्र उतना ही अधिक प्रभावित हो सकता है।

डेयरी उत्पादों की लागत में इजाफा

डेयरी सेक्टर में 38.23% टैरिफ अंतर की बात है। घी, मक्खन और दूध पाउडर जैसे उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। निर्यात प्रभावित होने से भारत में इनकी कीमतें सस्ती हो सकती हैं, लेकिन किसानों की कमाई घटने से अप्रत्यक्ष रूप से आपकी जेब पर बोझ बढ़ेगा।

आभूषणों पर दोहरा प्रभाव

भारत अमेरिका को 11.88 अरब डॉलर के सोने, चांदी और हीरे निर्यात करता है। 13.32% टैरिफ से ये अमेरिका में महंगे होंगे, लेकिन भारत में सस्ते हो सकते हैं। इससे आपके आभूषण खरीदने के फैसले पर असर पड़ सकता है।

कपड़े और टेक्सटाइल होंगे महंगे

भारत का टेक्सटाइल निर्यात अमेरिका के लिए अहम है। टैरिफ बढ़ने से कपड़े और वस्त्रों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे आपके वार्डरोब का खर्च बढ़ सकता है

ट्रंप के टैरिफ का ऐलानः दोस्त मोदी पर दिखाई ‘मेहरबानी’, भारत पर लगाया 26% टैरिफ

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा कर दी है। उन्होंने 185 देशों से आने वाले सामान पर टैरिफ लगाया है। यह अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा टैरिफ है। ट्रंप ने इंटरनेशनल व्यापार नीति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। ट्रंप ने इसे डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ नाम दिया है। बुधवार (2 अप्रैल) को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में 'मुक्ति दिवस' की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि मेरे साथी अमेरिकियों, यह मुक्ति दिवस है, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। 2 अप्रैल 2025 को वह दिन माना जाएगा जब अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ, अमेरिका की किस्मत बदली और हमने अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाना शुरू किया है।

ट्रंप के दैरिफ नीति के ऐलान के बाद भारत को अब अमेरिका में अपने सामान भेजने पर 26% टैक्स देना होगा। दूसरे देशों पर भी इसी तरह के टैक्स लगाए जाएंगे। चीन पर 34 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। यह पहले लगाए गए 20 फीसदी के अतिरिक्त है। इस तरह चीन को 54 फीसदी टैरिफ देना होगा। चीन अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।

पीएम मोदी को बताया अच्छा दोस्त

राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि कुछ देश गलत तरीके से व्यापार कर रहे हैं, इसलिए ये टैरिफ लगाए गए हैं। जिन देशों में अमेरिका से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगता है, उन पर ये टैरिफ लगेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने रोज गार्डन में "मेक अमेरिकन वेल्दी अगेन" कार्यक्रम में कहा, 'भारत बहुत, बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री अभी गए हैं और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे हमसे 52% चार्ज करते हैं और हम उनसे लगभग कुछ भी नहीं लेगे।

भारत भी टैक्स कम करने को तैयार!

2024 में भारत और अमेरिका के बीच 124 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 81 अरब डॉलर का सामान बेचा, जबकि अमेरिका से 44 अरब डॉलर का सामान खरीदा। इस तरह, भारत को 37 अरब डॉलर का फायदा हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अमेरिका से आने वाले 23 अरब डॉलर के सामान पर टैक्स कम करने को तैयार है। ये बहुत बड़ी छूट होगी।

इन देशों पर लगाया इतना टैरिफ

कंबोडिया पर सबसे ज्यादा 49 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। वियतनाम को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि उसे 46% टैक्स देना होगा। स्विटजरलैंड पर 31, ताइवान पर 32, जापान पर 24, ब्रिटेन पर 10, ब्राजील पर 10, इंडोनेशिया पर 32, सिंगापुर पर 10, दक्षिण अफ्रीका पर 30 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। उन्होंने विदेश से ऑटोमोबाइल के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है, जबकि ऑटो पार्ट पर भी इतना ही टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ऑटोमोबाइल पर नया टैरिफ 3 अप्रैल से और ऑटो पार्ट 3 मई से प्रभावी होगा।

10 फीसदी टैरिफ वाले देश

यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, सिंगापुर, चिली, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, कोलंबिया, पेरू, न्यूजीलैंड, यूएई, डोमिकन गणराज्य, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास, मिस्र, सऊदी अरब, अल सल्वाडोर, मोरक्को, त्रिनिदाद और टोबैगो

तीसरी बार भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे ट्रंप, बोले-संविधान बदलने की सोच रहा हूं

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए देश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत भी दिया। ट्रंप ने कहा है कि वे तीसरे कार्यकाल के लिए विचार कर रहे हैं और इसके लिए संविधान को बदलने के बारे में सोच रहे हैं। अमेरिका का संविधान किसी भी व्यक्ति को केवल दो बार चुने जाने की अनुमति देता है। हालांकि, रविवार को एनबीसी को एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि वह तीसरी बार भी इस पद पर सेवाएं देना चाहते हैं।

एनबीसी न्यूज चैनल को रविवार को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि वे तीसरे कार्यकाल के लिए विचार कर रहे हैं और इसके लिए संविधान को बदलने के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि मजाक नहीं कर रहे हैं। ऐसे तरीके हैं जिनसे आप ऐसा कर सकते हैं। हालांकि इसके बारे में विचार करना अभी काफी जल्दबाजी होगी। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका की जनता उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें तीसरा कार्यकाल देने के लिए तैयार हो जाएगी।

ट्रंप नवंबर में दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए हैं। इससे पहले वह 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं। अगर ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की कोशिश करते हैं तो इसके लिए उन्हें संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए अमेरिकी संसद और राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी।

किस रणनीति पर काम कर रहे ट्रंप?

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या उनके पास कोई रणनीति है जिससे वे तीसरी बार चुनाव लड़ सकें, तो ट्रम्प ने जवाब दिया, हां, कुछ तरीके हैं। जब उनसे एक संभावित योजना के बारे में पूछा गया कि क्या उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस 2028 में चुनाव लड़ सकते हैं और फिर ट्रम्प को सत्ता सौंप सकते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, हां, यह एक तरीका हो सकता है, लेकिन और भी तरीके हैं। हालांकि, ट्रंप ने इन तरीकों का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

क्या कहता है अमेरिकी संविधान?

संविधान का 22वां संशोधन 1951 में राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट के लगातार चार बार निर्वाचित होने के बाद जोड़ा गया था। इसमें कहा गया है कि 'कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर दो बार से अधिक नहीं चुना जाएगा।

क्या ट्रंप संविधान बदल सकते हैं?

ट्रंप को तीसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के लिए उतरना है तो उन्हें अमेरिकी संविधान में बदलाव करना होगा, जो इतना आसान नहीं है। ट्रंप को इसके लिए अमेरिकी सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव दोनों में दो-तिहाई बहुमत से एक बिल पास कराना होगा। ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के पास दोनों सदनों में इतने सदस्य नहीं हैं।

सीनेट में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के पास 100 में से 52 सीनेटर है। वहीं, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 435 में से 220 सदस्य हैं। ये संविधान संशोधन के लिए आवश्यक दो तिहाई यानी 67% बहुमत से काफी कम है।

अगर ट्रंप ये बहुमत हासिल कर लेते हैं तब भी उनके लिए संविधान में संशोधन करना इतना आसान नहीं होगा। अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इस संशोधन के लिए राज्यों से मंजूरी लेनी होती है।

इसके लिए तीन चौथाई राज्यों का बहुमत मिलन के बाद ही संविधान में संशोधन हो सकता है। यानी 50 अमेरिकी राज्यों में से अगर 38 संविधान में बदलाव के लिए राजी हो जाए तो ही नियम बदल सकते हैं।

क्या अमेरिका भी रूस-चीन की राह पर?

रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन में शी जिनपिंग पहले ही संवैधानिक बदलाव कराकर अपनी सत्ता को लंबा खींच चुके हैं। पुतिन ने रूसी संविधान में संशोधन कर 2036 तक सत्ता में बने रहने का मार्ग प्रशस्त कर लिया, जबकि जिनपिंग ने चीन में राष्ट्रपति पद की समय सीमा को ही खत्म कर दिया। सवाल यह है कि क्या ट्रंप भी इसी राह पर चल रहे हैं?

ट्रंप के करीबी सहयोगी और पूर्व व्हाइट हाउस रणनीतिकार स्टीव बैनन ने हाल ही में दावा किया कि ट्रंप 2028 में फिर से चुनाव लड़ सकते हैं। बैनन के अनुसार, हम इस पर काम कर रहे हैं, और कुछ विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन संविधान की भाषा और व्याख्या को लेकर कानूनी विकल्प खोजे जा रहे हैं।

हमारे दोस्त मोदी बुद्धिमान और महान प्रधानमंत्री हैं”, भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर ट्रंप आश्वस्त

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है और उन्हें 'घनिष्ठ मित्र' और 'बहुत स्मार्ट शख्स' बताया है। साथ ही ट्रंप ने भरोसा जताया कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत के उच्च टैरिफ की उनकी लंबे समय से चली आ रही आलोचनाओं के बावजूद, अमेरिका और भारत के बीच चल रही व्यापार वार्ता सकारात्मक समाधान पर पहुंचेगी।

शुक्रवार को वॉइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने उम्मीद जताई कि भारत के साथ चल रही टैरिफ वार्ता बहुत अच्छी तरह से काम करेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पत्रकारों से कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में यहां आए थे और हम हमेशा से बहुत अच्छे दोस्त रहे हैं। पीएम मोदी को लेकर ट्रंप ने आगे कहा, वे बहुत स्मार्ट व्यक्ति हैं और मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं। हमारी बातचीत बहुत अच्छी रही। मुझे लगता है कि भारत और हमारे देश के बीच सब कुछ बहुत अच्छा होने वाला है। उन्होंने आगे कहा, मैं कहना चाहता हूं कि आपके पास एक महान प्रधानमंत्री है।

ट्रंप का इशारा अमेरिका और भारत के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार समझौता वार्ता की ओर था। यह वार्ता 26 मार्च, 2025 से नई दिल्ली में शुरू हुई, जिसमें अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक टीम भारत आई है। यह टीम 29 मार्च तक भारत में रहकर चर्चा करेगी। अब अमेरिकी राष्‍ट्रपति के प्रधानमंत्री मोदी को दोस्‍त बताने और ‘बातचीत अच्‍छी चलने’ की जानकारी देने से कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर बात बन गई है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी कह चुके हैं कि वार्ता अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है और द्विपक्षीय समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।

ट्रंप का ताजा बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका 2 अप्रैल से भारत समेत कई देशों पर पारस्परिक टैरिफ लागू करने की तैयारी कर रहा है। अगर द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो गया तो भारत अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल लगाए जाने वाले ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ से बच जाएगा। अगर समझौता होता है, तो भारत-अमेरिका व्यापार को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। नहीं तो टैरिफ वॉर का खतरा बना रहेगा। ट्रंप ने लगातार भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने भारत को टैरिफ किंग कहा है और इसके आयात शुल्क को बहुत अनुचित बताया है।

डोनाल्ड ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका, कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स के सेना में शामिल होने पर लगी रोक हटाई

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डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका राष्ट्रपति पद की शपथ ली एक के बाद एक कई बड़े फैसले लिए। उनमें कुछ पर विवाद भी हुआ। इसी क्रम में डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर साइन करके अमेरिकी की मिलिट्री में शामिल ट्रांसजेंडर समुदाय पर बैन लगा दिया था। अब एक फेडरल जज ने समानता के सिद्धांत का हवाला देते हुए ट्रंप प्रशासन के इस बैन को ही सस्पेंड कर दिया है।

वाशिंगटन डीसी में न्यायाधीश एना रेयेस ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रंप का ट्रांसजेंडर सैनिकों को सैन्य सेवा से बाहर करने का आदेश संभवत: उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने प्रशासन को अपील करने के लिए समय देते हुए अपने आदेश को तीन दिन के लिए टाल दिया।

दरअसल,सेना में सेवा दे रहे छह ट्रांसजेंडर्स और सेना में शामिल होने के इच्छुक दो ट्रांसजेंडर्स ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिस पर संघीय जज ने यह प्रारंभिक निषेधाज्ञा जारी की है।

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद 27 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया है कि ट्रांसजेंडर सैन्यकर्मियों की यौन पहचान सैनिकों की सम्मानजनक, सत्यनिष्ठ और अनुशासित जीवनशैली के प्रति प्रतिबद्धता के साथ टकराव करती है। जिसके तहत ट्रांसजेंडर्स लोगों के सेना में भर्ती होने पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश के जवाब में रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने जेंडर डिस्फोरिया वाले लोगों को सैन्य सेवाओं के लिए अयोग्य घोषित करने की नीति जारी की।

जेंडर डिस्फोरिया वह अवस्था है, जिसमें किसी व्यक्ति का निर्धारित लिंग और उसकी लिंग पहचान मेल नहीं खाते। चिकित्सा स्थिति में इसे अवसाद और आत्महत्या के विचारों से जोड़ा जाता है। अदालत में जब इस आदेश को चुनौती दी गई तो दावा किया गया कि यह अमेरिकी संविधान के पांचवें संशोधन के तहत ट्रांसजेंडर्स को मिले अधिकारों का उल्लंघन है। अमेरिकी सेना में हजारों की संख्या में ट्रांसजेंडर्स सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन ये कुल सैनिकों की संख्या का एक प्रतिशत से भी कम है

अब गैर-अमेरिकी फिल्मों पर चला ट्रंप का “चाबुक”, लगाया 100 प्रतिशत टैरिफ

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ को लेकर दुनियाभर में हाहाकार मचा है। तमाम देश ट्रंप के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका से बाहर बनने वाली फिल्मों पर 100% का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री तेजी से खत्म हो रही है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और कहा कि हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर दी। अपने पोस्ट में, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को इस तरह के टैरिफ को तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत किया है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा, यह अन्य देशों द्वारा एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। बाकी सब चीज़ों के अलावा, यह मैसेंजिंग और प्रोपेगेंडा भी है!

अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही-ट्रंप

ट्रंप ने लिखा अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही है। अन्य देश हमारे फिल्म प्रोड्यूसर्स और स्टूडियो को अमेरिका से दूर खींचने के लिए हर तरह का प्रोत्साहन दे रहे हैं। हॉलीवुड और यूएसए के कई अन्य क्षेत्र तबाह हो रहे हैं। यह अन्य राष्ट्रों का एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह, बाकी सब चीजों के अलावा, मैसेंजिंग और प्रोपेगैंडा है! इसलिए, मैं डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को हमारे देश में आने वाली किसी भी और विदेशी भूमि में निर्मित सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं। हम दोबारा अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी पोस्ट में आगे 100 प्रतिशत टैरिफ का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, मैं वाणिज्य विभाग और संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को तुरंत हमारे देश में आने वाली सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं, जो विदेशी भूमि में बनाई गई हैं। हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

ट्रंप ने दो अप्रैल को लगाया था जवाबी टैरिफ

बता दें कि ट्रंप ने इससे पहले 2 अप्रैल को भारत और चीन सहित दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया था, जिसके बाद से दुनिया भर की स्टॉक मार्केट पर भी इसका असर देखने को मिला था। हालांकि, इसके बाद नौ अप्रैल को ट्रंप चीन और हॉन्गकॉन्ग को छोड़कर नौ जुलाई तक टैरिफ को 90 दिनों के लिए निलंबित करने की घोषणा की थी। क्योंकि लगभग 75 देशों ने व्यापार सौदों के लिए अमेरिका से संपर्क किया था। हालांकि इन देशों पर लगाया गया 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ अभी भी प्रभावी है। इसके अलावा स्टील, एल्युमीनियम और ऑटो कलपुर्जों पर 25 प्रतिशत शुल्क भी लागू है। ट्रंप के टैरिफ से सबसे ज्यादा चीन प्रभावित हुआ है।

भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर में लंबा तनाव…,पहलगाम हमले पर बोले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत को दुनियाभर के देशों का समर्थन मिल रहा है। अमेरिका और रूस जैसे ताकतवर देश आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की बात कर रहे हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर बयान दिया है। कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए उन्होंने इसे 'बुरा हमला' कहा। उन्होंने माना कि कश्मीर में आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है।

ट्रंप ने यह बात उस समय कही जब वे रोम जाने के लिए एयर फोर्स वन विमान में सवार थे। साथ ही पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी पहली टिप्पणी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को बुरा बताया। एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच तनाव लंबे समय से चल रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों पक्ष इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।

भारत और पाकिस्तान के बहुत करीब-ट्रंप

कश्मीर में हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने जवाब दिया, मैं भारत के बहुत करीब हूं और पाकिस्तान के भी बहुत करीब हूं, जैसा कि आप जानते हैं। और कश्मीर में वे एक हजार साल से लड़ रहे हैं। कश्मीर एक हजार साल से चल रहा है, शायद उससे भी अधिक समय से। कल का (आतंकवादी हमला) बहुत बुरा था, वह बहुत बुरा था, जिसमें 30 लोग मारे गए।

दोनों नेता खुद सुलझा लेंगे तनाव-ट्रंप

साथ ही ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद पर कहा कि भारत पाकिस्तान के बीच सीमा पर 1,500 सालों से तनाव रहा है। यह नया नहीं है। लेकिन मुझे भरोसा है कि भारत और पाकिस्तान इसे किसी तरह से सुलझा लेंगे। मैं दोनों नेताओं को जानता हूं। वे इसे किसी न किसी तरह से खुद ही सुलझा लेंगे।

पहले भी कर चुके हैं आतंकी हमले की कड़ी निंदा

जब ट्रंप ने पूछा गया कि क्या वे दोनों नेताओं से संपर्क करेंगे, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करके आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने इस जघन्य हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने में भारत को पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया था। प्रधानमंत्री मोदी से बात करने से पहले ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में हमले को लेकर गहरी चिंता जताई थी। उन्होंने लिखा, कश्मीर से बेहद परेशान करने वाली खबर आई है। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

अब फार्मा सेक्टर पर भी टैरिफ लगाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, जानें भारत पर क्या असर?

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हर तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा है। दुनियाभर के 180 से अधिक देशों पर 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप अभी रूकने के मूड मे नहीं दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब एलान किया है कि जल्द ही दवाओं के आयात पर शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर बड़े टैरिफ की घोषणा करेगा।

विदेश में दवा बना रही कंपनियों को वापस लाना है-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा। अब उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।

टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। हालांकि, ट्रंप दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।

भारतीय फार्मा कंपनियों पर असर

अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारत अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारतीय फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। Sun Pharma, Lupin, Dr. Reddy's, Aurobindo Pharma और Gland Pharma जैसी कंपनियां अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं और उनके शेयर बुधवार को दबाव में नजर आए.

अभी फार्मा पर कितना टैरिफ है?

आपको बता दें कि फिलहाल भारत देश अमेरिका से आयात होने वाले फार्मा पर करीब 10 फ़ीसदी का टैरिफ चार्ज वसूलता है जबकि अमेरिका देश भारत से आने वाले फार्मा आयात पर किसी भी प्रकार का टैरिफ नहीं वसूलता है. आने वाले समय में अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो इससे भारतीय फार्मा कंपनियों के बिजनेस पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.

टैरिफ को लेकर व्हाइट हाउस में मतभेद, आपस में भिड़े मस्क और ट्रंप के सलाहकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की हर तरफ आलोचना हो रही है। अब टैरिफ नीति को लेकर ट्रंप के अपने ही सलाहकार आपस में भिड़ गए हैं। व्हाइट हाउस के दो बड़े आर्थिक सलाहकार-पीटर नवारो और एलन मस्क एक दूसरे के आमने-सामने आ गए। पीटर नवारो का आरोप है कि एलन मस्क अमेरिका के बड़े व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाने का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे उनकी कंपनियों को नुकसान हो सकता है। वहीं, एलन मस्क ने नवारो की शिक्षा और उनके आर्थिक सोच पर सवाल उठा दिए हैं।

यह विवाद तब और गहरा गया जब पीटर नवारो ने फॉक्स न्यूज संडे के साथ एक इंटरव्यू में एलन मस्क की टैरिफ विरोधी टिप्पणियों की आलोचना की। नवारो ने स्वीकार किया कि मस्क जो सरकारी दक्षता विभाग में भी भूमिका निभा रहे हैं, उस पद पर अच्छा काम कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि मस्क का टैरिफ का विरोध उनकी कंपनियों के व्यावसायिक हितों से प्रेरित है।

नवारो ने कहा, जब एलन मस्क ऊर्जा विभाग से जुड़े काम करते हैं, तो वे अच्छा काम करते हैं, लेकिन हमें पता है कि असल में क्या हो रहा है। एलन कार बेचते हैं और वे सिर्फ अपने फायदे की बात कर रहे हैं। नवारो ने बताया कि मस्क की कंपनी टेस्ला को टैरिफ से सीधा नुकसान हो सकता है क्योंकि टेस्ला चीन, मैक्सिको, जापान, ताइवान और कई देशों से बड़ी मात्रा में ऑटोमोबाइल पार्ट्स मंगाती है। नवारो का कहना है कि मस्क टैरिफ का विरोध इसलिए कर रहे हैं ताकि उनकी कंपनी का मुनाफा बना रहे।

एलन मस्क ने दी तीखी प्रतिक्रिया

एलन मस्क ने पीटर नवारो के आरोपों को खारिज किया है। मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मस्क ने न केवल नवारो के बयान को गलत बताया बल्कि उनके शैक्षणिक और व्यावसायिक अनुभव पर भी सवाल उठा दिए।

मस्क ने एक पोस्ट में लिखा, इकोनॉमिक्स में हार्वर्ड से पीएचडी होना कोई काबिलियत की बात नहीं, बल्कि यह नुकसानदायक भी हो सकता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इतनी ज्यादा पढ़ाई ने नवारो को असली दुनिया की आर्थिक हकीकतों से दूर कर दिया है। एक दूसरे पोस्ट में मस्क ने लिखा, यह सब उनके घमंड और सीमित सोच की समस्या है।

ट्रंप की नीतियों के विरोध की वजह है नुकसान?

बता दें कि एलन मस्क पहले राष्ट्रपति ट्रंप के एक मुखर समर्थक रहे हैं और उन्हें शीर्ष सलाहकार के रूप में भी जाना जाता था। हालांकि ट्रंप की हालिया “लिबरेशन डे” टैरिफ घोषणा के बाद से मस्क काफी शांत रहे हैं। अकेले टेस्ला के सीईओ को बाजार में गिरावट के कारण 30 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि मस्क का ट्रंप की नीतियों का विरोध करना उनके इस निजी नुकसान की वजह से हो सकता है।

टैरिफ की मार से दुनियाभर के बाजार में हाहाकार, ट्रंप बोले- यह एक तरह की दवा है, कड़वे घूंट पीने पड़ते हैं

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विभिन्न देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी। इसके बाद से दुनियाङर के बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है। यहां तक की अमेरिकी शेयर बाजार पर भी इसका खासा असर देखा जा रहा है। अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई है। ट्रंप के फैसले के का विरोध भी शुरू हो गया है। शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कारोबारी एलन मस्क के खिलाफ अमेरिकी नागरिकों ने पूरे देश में रैलियां निकाली। इस बीच ट्रंप ने अपने टैरिफ लगाने के फैसले को वापस लेने से साफ मना कर दिया है। कहा है कि कभी कभी चीजों को सही करने के लिए दवाई देने की जरूरत पड़ती है।

हम व्यापार घाटा नहीं सहेंगे-ट्रंप

अपने आधिकारिक विमान एयरफोर्स वन में मीडिया के साथ बातचीत में ट्रंप ने कहा कि वह नहीं चाहते कि दुनियाभर के बाजारों में गिरावट आए, लेकिन मैं इसे लेकर चिंतित नहीं हूं। कई बार आपको चीजों को सही करने के लिए दवाई लेनी पड़ती है। ट्रंप ने कहा कि मैंने यूरोपीय, एशियाई, पूरी दुनिया के कई नेताओं से बात की है, वे हमारे साथ समझौता करना चाहते हैं, लेकिन अब हम व्यापार घाटा नहीं सहेंगे और हमने ये बात उन्हें साफ बता दी है।

टैरिफ को 'खूबसूरत चीज़' बताया

वहीं दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट 'ट्रूथ' पर एक पोस्ट में टैरिफ को 'खूबसूरत चीज़' बताया। उन्होंने कहा, चीन, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ हमारा बड़ा व्यापार घाटा है। इसका हल सिर्फ टैरिफ है। इससे अमेरिका को अब अरबों डॉलर मिल रहे हैं। ये पहले से ही असर दिखा रहे हैं और देखने में भी सुंदर लगते हैं। ट्रंप ने ये भी कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में इन देशों के साथ व्यापार घाटा और बढ़ा है, लेकिन अब वह इसे सुधारेंगे। उन्होंने कहा कि किसी दिन लोगों को एहसास होगा कि टैरिफ संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक बहुत ही सुंदर चीज है।

दुनियाभर के शेयर मार्केट धड़ाम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नई टैरिफ पॉलिसी लागू किए जाने के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजार में कोहराम मचा हुआ है। ऑस्ट्रेलिया स्टॉक मार्केट में 6 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं साउथ कोरिया के बाजार में 5 प्रतिशत, जापान में 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी गई है। चीन का मार्केट 10 प्रतिशत डाउन है तो वहीं हांगकांग का मार्केट 10 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया है।

अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट की माने तो बाजार में अभी 15-20% प्रतिशत की और गिरावट देखने को मिल सकती है। एक्सपर्ट की इस भविष्यवाणी के बाद लोगों की टेंशन बढ़ गई है।

मंदी का खतरा मंडराया

अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 26% टैरिफ लगाया और अन्य देशों पर 10% आयात शुल्क लगाया। चीन ने पलटवार करते हुए 34 प्रतिशत टैरिफ लगाया तो वही कनाडा ने अमेरिकी वाहनों पर 25% टैरिफ लगा दिया है। इसके कारण लोगों में टेंशन का माहौल है। आयात किए गए सामानों पर लगाए गए 10% के नए टैरिफ और दर्जनों देशों पर लगाए गए जवाबी टैरिफ से व्यापारी घबरा गए हैं। यही कारण है बड़ी मात्रा में बाजार से पैसा बाहर निकाला जा रहा है, जिससे भारी गिरावट देखने को मिल रही है।

ट्रंप के टैरिफ फैसले से वैश्विक बाजारों में महंगाई की आशंका बढ़ी है, जिससे मंदी का खतरा गहराता दिख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ के कारण आयातित सामानों की कीमतें बढ़ेंगी।

कुछ दिन पहले ही लगाया है टैरिफ

डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले ही भारत समेत दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। ट्रंप ने भारत पर भी 26 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। भारत के अलावा और जिन देशों पर टैरिफ लगाया गया उनमें चीन, मलेशिया, कनाडा, पाकिस्तान, वियतनाम जैसे देश शामिल हैं।

ट्रंप के टैरिफ का भारत पर कितना होगा असर, दवा से लेकर स्टील और ज्वैलरी तक पर सीधा पड़ेगा प्रभाव

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अमेरिका ने 'डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ़' का ऐलान कर दिया है। 100 से ज्यादा देशों पर लगाए गए जवाबी टैरिफ वाले देशों की सूची में भारत का नाम भी है। भारत पर 26% टैरिफ़ लगाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के एलान के बाद से एशियाई देशों पर खासा असर पड़ा है। भारत अमेरिकी वस्तुओं पर सबसे ज़्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल है।

ट्रंप ने चीन पर 34 फीसदी, वियतनाम पर 46 फीसदी और कंबोडिया पर 49 फीसदी टैरिफ लगाया है। लेकिन इन देशों की तुलना में भारत की स्थिति काफी बेहतर है। एशिया डिकोडेड की प्रियंका किशोर के मुताबिक, भारत के लिए 26 फ़ीसदी टैरिफ काफी ज़्यादा है और इससे भारत के कामगार बुरी तरह से प्रभावित होंगे।

दवाओं की कीमतों में उछाल

भारत अमेरिका को हर साल करीब 12.7 अरब डॉलर की जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है। रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने से इन दवाओं पर शुल्क बढ़ सकता है, जिससे दवा कंपनियों की लागत बढ़ेगी। इसका असर भारत में भी दवाओं की कीमतों पर पड़ सकता है, जिससे आपकी मेडिकल खर्च की योजना प्रभावित होगी।

खाद्य तेल और कृषि उत्पाद होंगे महंगे

खाद्य तेल जैसे नारियल और सरसों तेल पर 10.67% टैरिफ अंतर की संभावना है। इससे इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जो आपकी रसोई के बजट को सीधे प्रभावित करेगा। साथ ही, निर्यात में कमी से किसानों की आय पर भी असर पड़ेगा।

प्रसंस्कृत खाद्य, अनाज, सब्जियां, फल मसाले होंगे महंगे

प्रसंस्कृत खाद्य, चीनी और कोको निर्यात पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि इसमें टैरिफ अंतर 24.99 प्रतिशत है। पिछले साल इसका निर्यात 1.03 अरब डॉलर था। इसी तरह, अनाज, सब्जियां, फल और मसाले के क्षेत्र में टैरिफ अंतर 5.72 प्रतिशत है। एक निर्यातक ने कहा, टैरिफ अंतर जितना अधिक होगा, संबंधित क्षेत्र उतना ही अधिक प्रभावित हो सकता है।

डेयरी उत्पादों की लागत में इजाफा

डेयरी सेक्टर में 38.23% टैरिफ अंतर की बात है। घी, मक्खन और दूध पाउडर जैसे उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। निर्यात प्रभावित होने से भारत में इनकी कीमतें सस्ती हो सकती हैं, लेकिन किसानों की कमाई घटने से अप्रत्यक्ष रूप से आपकी जेब पर बोझ बढ़ेगा।

आभूषणों पर दोहरा प्रभाव

भारत अमेरिका को 11.88 अरब डॉलर के सोने, चांदी और हीरे निर्यात करता है। 13.32% टैरिफ से ये अमेरिका में महंगे होंगे, लेकिन भारत में सस्ते हो सकते हैं। इससे आपके आभूषण खरीदने के फैसले पर असर पड़ सकता है।

कपड़े और टेक्सटाइल होंगे महंगे

भारत का टेक्सटाइल निर्यात अमेरिका के लिए अहम है। टैरिफ बढ़ने से कपड़े और वस्त्रों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे आपके वार्डरोब का खर्च बढ़ सकता है

ट्रंप के टैरिफ का ऐलानः दोस्त मोदी पर दिखाई ‘मेहरबानी’, भारत पर लगाया 26% टैरिफ

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा कर दी है। उन्होंने 185 देशों से आने वाले सामान पर टैरिफ लगाया है। यह अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा टैरिफ है। ट्रंप ने इंटरनेशनल व्यापार नीति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। ट्रंप ने इसे डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ नाम दिया है। बुधवार (2 अप्रैल) को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में 'मुक्ति दिवस' की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि मेरे साथी अमेरिकियों, यह मुक्ति दिवस है, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। 2 अप्रैल 2025 को वह दिन माना जाएगा जब अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ, अमेरिका की किस्मत बदली और हमने अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाना शुरू किया है।

ट्रंप के दैरिफ नीति के ऐलान के बाद भारत को अब अमेरिका में अपने सामान भेजने पर 26% टैक्स देना होगा। दूसरे देशों पर भी इसी तरह के टैक्स लगाए जाएंगे। चीन पर 34 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। यह पहले लगाए गए 20 फीसदी के अतिरिक्त है। इस तरह चीन को 54 फीसदी टैरिफ देना होगा। चीन अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।

पीएम मोदी को बताया अच्छा दोस्त

राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि कुछ देश गलत तरीके से व्यापार कर रहे हैं, इसलिए ये टैरिफ लगाए गए हैं। जिन देशों में अमेरिका से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगता है, उन पर ये टैरिफ लगेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने रोज गार्डन में "मेक अमेरिकन वेल्दी अगेन" कार्यक्रम में कहा, 'भारत बहुत, बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री अभी गए हैं और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे हमसे 52% चार्ज करते हैं और हम उनसे लगभग कुछ भी नहीं लेगे।

भारत भी टैक्स कम करने को तैयार!

2024 में भारत और अमेरिका के बीच 124 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 81 अरब डॉलर का सामान बेचा, जबकि अमेरिका से 44 अरब डॉलर का सामान खरीदा। इस तरह, भारत को 37 अरब डॉलर का फायदा हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अमेरिका से आने वाले 23 अरब डॉलर के सामान पर टैक्स कम करने को तैयार है। ये बहुत बड़ी छूट होगी।

इन देशों पर लगाया इतना टैरिफ

कंबोडिया पर सबसे ज्यादा 49 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। वियतनाम को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि उसे 46% टैक्स देना होगा। स्विटजरलैंड पर 31, ताइवान पर 32, जापान पर 24, ब्रिटेन पर 10, ब्राजील पर 10, इंडोनेशिया पर 32, सिंगापुर पर 10, दक्षिण अफ्रीका पर 30 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। उन्होंने विदेश से ऑटोमोबाइल के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है, जबकि ऑटो पार्ट पर भी इतना ही टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ऑटोमोबाइल पर नया टैरिफ 3 अप्रैल से और ऑटो पार्ट 3 मई से प्रभावी होगा।

10 फीसदी टैरिफ वाले देश

यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, सिंगापुर, चिली, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, कोलंबिया, पेरू, न्यूजीलैंड, यूएई, डोमिकन गणराज्य, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास, मिस्र, सऊदी अरब, अल सल्वाडोर, मोरक्को, त्रिनिदाद और टोबैगो

तीसरी बार भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे ट्रंप, बोले-संविधान बदलने की सोच रहा हूं

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए देश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत भी दिया। ट्रंप ने कहा है कि वे तीसरे कार्यकाल के लिए विचार कर रहे हैं और इसके लिए संविधान को बदलने के बारे में सोच रहे हैं। अमेरिका का संविधान किसी भी व्यक्ति को केवल दो बार चुने जाने की अनुमति देता है। हालांकि, रविवार को एनबीसी को एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि वह तीसरी बार भी इस पद पर सेवाएं देना चाहते हैं।

एनबीसी न्यूज चैनल को रविवार को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि वे तीसरे कार्यकाल के लिए विचार कर रहे हैं और इसके लिए संविधान को बदलने के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि मजाक नहीं कर रहे हैं। ऐसे तरीके हैं जिनसे आप ऐसा कर सकते हैं। हालांकि इसके बारे में विचार करना अभी काफी जल्दबाजी होगी। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका की जनता उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें तीसरा कार्यकाल देने के लिए तैयार हो जाएगी।

ट्रंप नवंबर में दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए हैं। इससे पहले वह 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं। अगर ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की कोशिश करते हैं तो इसके लिए उन्हें संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए अमेरिकी संसद और राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी।

किस रणनीति पर काम कर रहे ट्रंप?

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या उनके पास कोई रणनीति है जिससे वे तीसरी बार चुनाव लड़ सकें, तो ट्रम्प ने जवाब दिया, हां, कुछ तरीके हैं। जब उनसे एक संभावित योजना के बारे में पूछा गया कि क्या उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस 2028 में चुनाव लड़ सकते हैं और फिर ट्रम्प को सत्ता सौंप सकते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, हां, यह एक तरीका हो सकता है, लेकिन और भी तरीके हैं। हालांकि, ट्रंप ने इन तरीकों का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

क्या कहता है अमेरिकी संविधान?

संविधान का 22वां संशोधन 1951 में राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट के लगातार चार बार निर्वाचित होने के बाद जोड़ा गया था। इसमें कहा गया है कि 'कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर दो बार से अधिक नहीं चुना जाएगा।

क्या ट्रंप संविधान बदल सकते हैं?

ट्रंप को तीसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के लिए उतरना है तो उन्हें अमेरिकी संविधान में बदलाव करना होगा, जो इतना आसान नहीं है। ट्रंप को इसके लिए अमेरिकी सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव दोनों में दो-तिहाई बहुमत से एक बिल पास कराना होगा। ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के पास दोनों सदनों में इतने सदस्य नहीं हैं।

सीनेट में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के पास 100 में से 52 सीनेटर है। वहीं, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 435 में से 220 सदस्य हैं। ये संविधान संशोधन के लिए आवश्यक दो तिहाई यानी 67% बहुमत से काफी कम है।

अगर ट्रंप ये बहुमत हासिल कर लेते हैं तब भी उनके लिए संविधान में संशोधन करना इतना आसान नहीं होगा। अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इस संशोधन के लिए राज्यों से मंजूरी लेनी होती है।

इसके लिए तीन चौथाई राज्यों का बहुमत मिलन के बाद ही संविधान में संशोधन हो सकता है। यानी 50 अमेरिकी राज्यों में से अगर 38 संविधान में बदलाव के लिए राजी हो जाए तो ही नियम बदल सकते हैं।

क्या अमेरिका भी रूस-चीन की राह पर?

रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन में शी जिनपिंग पहले ही संवैधानिक बदलाव कराकर अपनी सत्ता को लंबा खींच चुके हैं। पुतिन ने रूसी संविधान में संशोधन कर 2036 तक सत्ता में बने रहने का मार्ग प्रशस्त कर लिया, जबकि जिनपिंग ने चीन में राष्ट्रपति पद की समय सीमा को ही खत्म कर दिया। सवाल यह है कि क्या ट्रंप भी इसी राह पर चल रहे हैं?

ट्रंप के करीबी सहयोगी और पूर्व व्हाइट हाउस रणनीतिकार स्टीव बैनन ने हाल ही में दावा किया कि ट्रंप 2028 में फिर से चुनाव लड़ सकते हैं। बैनन के अनुसार, हम इस पर काम कर रहे हैं, और कुछ विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन संविधान की भाषा और व्याख्या को लेकर कानूनी विकल्प खोजे जा रहे हैं।

हमारे दोस्त मोदी बुद्धिमान और महान प्रधानमंत्री हैं”, भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर ट्रंप आश्वस्त

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है और उन्हें 'घनिष्ठ मित्र' और 'बहुत स्मार्ट शख्स' बताया है। साथ ही ट्रंप ने भरोसा जताया कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत के उच्च टैरिफ की उनकी लंबे समय से चली आ रही आलोचनाओं के बावजूद, अमेरिका और भारत के बीच चल रही व्यापार वार्ता सकारात्मक समाधान पर पहुंचेगी।

शुक्रवार को वॉइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने उम्मीद जताई कि भारत के साथ चल रही टैरिफ वार्ता बहुत अच्छी तरह से काम करेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पत्रकारों से कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में यहां आए थे और हम हमेशा से बहुत अच्छे दोस्त रहे हैं। पीएम मोदी को लेकर ट्रंप ने आगे कहा, वे बहुत स्मार्ट व्यक्ति हैं और मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं। हमारी बातचीत बहुत अच्छी रही। मुझे लगता है कि भारत और हमारे देश के बीच सब कुछ बहुत अच्छा होने वाला है। उन्होंने आगे कहा, मैं कहना चाहता हूं कि आपके पास एक महान प्रधानमंत्री है।

ट्रंप का इशारा अमेरिका और भारत के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार समझौता वार्ता की ओर था। यह वार्ता 26 मार्च, 2025 से नई दिल्ली में शुरू हुई, जिसमें अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक टीम भारत आई है। यह टीम 29 मार्च तक भारत में रहकर चर्चा करेगी। अब अमेरिकी राष्‍ट्रपति के प्रधानमंत्री मोदी को दोस्‍त बताने और ‘बातचीत अच्‍छी चलने’ की जानकारी देने से कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर बात बन गई है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी कह चुके हैं कि वार्ता अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है और द्विपक्षीय समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।

ट्रंप का ताजा बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका 2 अप्रैल से भारत समेत कई देशों पर पारस्परिक टैरिफ लागू करने की तैयारी कर रहा है। अगर द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो गया तो भारत अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल लगाए जाने वाले ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ से बच जाएगा। अगर समझौता होता है, तो भारत-अमेरिका व्यापार को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। नहीं तो टैरिफ वॉर का खतरा बना रहेगा। ट्रंप ने लगातार भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने भारत को टैरिफ किंग कहा है और इसके आयात शुल्क को बहुत अनुचित बताया है।

डोनाल्ड ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका, कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स के सेना में शामिल होने पर लगी रोक हटाई

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डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका राष्ट्रपति पद की शपथ ली एक के बाद एक कई बड़े फैसले लिए। उनमें कुछ पर विवाद भी हुआ। इसी क्रम में डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर साइन करके अमेरिकी की मिलिट्री में शामिल ट्रांसजेंडर समुदाय पर बैन लगा दिया था। अब एक फेडरल जज ने समानता के सिद्धांत का हवाला देते हुए ट्रंप प्रशासन के इस बैन को ही सस्पेंड कर दिया है।

वाशिंगटन डीसी में न्यायाधीश एना रेयेस ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रंप का ट्रांसजेंडर सैनिकों को सैन्य सेवा से बाहर करने का आदेश संभवत: उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने प्रशासन को अपील करने के लिए समय देते हुए अपने आदेश को तीन दिन के लिए टाल दिया।

दरअसल,सेना में सेवा दे रहे छह ट्रांसजेंडर्स और सेना में शामिल होने के इच्छुक दो ट्रांसजेंडर्स ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिस पर संघीय जज ने यह प्रारंभिक निषेधाज्ञा जारी की है।

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद 27 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया है कि ट्रांसजेंडर सैन्यकर्मियों की यौन पहचान सैनिकों की सम्मानजनक, सत्यनिष्ठ और अनुशासित जीवनशैली के प्रति प्रतिबद्धता के साथ टकराव करती है। जिसके तहत ट्रांसजेंडर्स लोगों के सेना में भर्ती होने पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश के जवाब में रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने जेंडर डिस्फोरिया वाले लोगों को सैन्य सेवाओं के लिए अयोग्य घोषित करने की नीति जारी की।

जेंडर डिस्फोरिया वह अवस्था है, जिसमें किसी व्यक्ति का निर्धारित लिंग और उसकी लिंग पहचान मेल नहीं खाते। चिकित्सा स्थिति में इसे अवसाद और आत्महत्या के विचारों से जोड़ा जाता है। अदालत में जब इस आदेश को चुनौती दी गई तो दावा किया गया कि यह अमेरिकी संविधान के पांचवें संशोधन के तहत ट्रांसजेंडर्स को मिले अधिकारों का उल्लंघन है। अमेरिकी सेना में हजारों की संख्या में ट्रांसजेंडर्स सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन ये कुल सैनिकों की संख्या का एक प्रतिशत से भी कम है