झारखंड में पेसा कानून लागू करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता: मंत्री दीपिका पांडेय सिंह

ऑड्रे हाउस (रांची): ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्रीमती दीपिका पांडेय सिंह ने मंगलवार को ऑड्रे हाउस में दो दिवसीय "नाची से बाची" जनजातीय स्वशासन महोत्सव का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार पेसा (PESA) कानून को लागू करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इससे संबंधित नियमावली को कैबिनेट को भेज दिया गया है।

प्रमुख घोषणाएं और उद्घाटन:

पंचायत पोर्टल व पत्रिका: मंत्री ने 'पंचायत पत्रिका' का लोकार्पण किया और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए 'पंचायत पोर्टल' का उद्घाटन किया।

पेसा कानून का मॉडल: उन्होंने कहा कि झारखंड ऐसा पेसा कानून पेश करेगा जो पूरे देश के लिए एक नजीर (उदाहरण) बनेगा।

दिशोम गुरु के सपनों को पंख: मंत्री ने कहा कि ग्राम सभाओं को सशक्त कर और स्वशासन व्यवस्था लागू कर हम दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सपनों का झारखंड बनाएंगे।

विद्वानों और विशेषज्ञों के विचार:

श्रीमती राजेश्वरी बी (निदेशक, पंचायती राज): उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय महोत्सव में तकनीकी सत्र होंगे जो पेसा कानून के जटिल पहलुओं को सुलझाने में मदद करेंगे।

गुंजन ईकिल मुंडा (शोधार्थी): डॉ. रामदयाल मुंडा के पुत्र गुंजन मुंडा ने कहा कि "नाची से बाची" का आधार स्वशासन और संवाद है। जो निर्णय आपसी चर्चा से लिए जाते हैं, वही वास्तविक प्रजातंत्र है।

महादेव टोप्पो (वरिष्ठ साहित्यकार): उन्होंने आदिवासी भाषा, संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के पीछे छिपे दर्शन को समझने पर जोर दिया।

प्रो. रामचंद्र उरांव (NLU): उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों की स्वशासन व्यवस्था के अनुरूप कानून बनाने की आवश्यकता जताई।

ग्राम सभा होगी और भी सशक्त

मंत्री श्रीमती दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि ग्राम सभाओं में अब समाज के हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार होगा। सरकार किसी व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि पूरे समूह और समुदाय को सुरक्षित करने की दिशा में कार्य कर रही है।

झारखंड कैबिनेट का बड़ा फैसला: पेसा नियमावली 2025 को मंजूरी, JSSC परीक्षा नियमों में संशोधन और नई नियुक्तियों का रास्ता साफ

रांची: मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार को झारखंड मंत्रालय में मंत्रिपरिषद की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में राज्य के विकास, रोजगार और सामाजिक न्याय से जुड़े कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। कैबिनेट ने पेसा (PESA) नियमावली 2025 के गठन को स्वीकृति देकर अनुसूचित क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है।

प्रमुख निर्णय और उनके प्रभाव:

1. नियुक्ति और रोजगार में तेजी: सरकार ने JSSC की मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तर की परीक्षा संचालन नियमावलियों में आवश्यक संशोधन किए हैं, जिससे लंबित नियुक्तियों में तेजी आएगी। साथ ही, सीधी नियुक्ति हेतु नई आयु सीमा का निर्धारण और परिवहन विभाग में 21 मोटरयान निरीक्षकों (MVI) के पदों के सृजन को मंजूरी दी गई है।

2. कस्तूरबा विद्यालयों का कायाकल्प: राज्य के 21 कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालयों में छात्रावास निर्माण के लिए ₹51.16 करोड़ की भारी-भरकम राशि स्वीकृत की गई है। इसके अतिरिक्त, आकांक्षा कार्यक्रम के शिक्षकों के मानदेय में भी वृद्धि की गई है।

3. सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर: दुमका और जमशेदपुर (बहरागोड़ा) में सड़कों के सुदृढ़ीकरण और चौड़ीकरण के लिए लगभग ₹73 करोड़ के प्रस्तावों को प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है। वहीं, सरकारी आवासों और कार्यालयों के पुनर्विकास के लिए NBCC के साथ MoU को हरी झंडी मिली है।

4. लापरवाह डॉक्टरों पर कार्रवाई: कर्तव्य से अनधिकृत रूप से गायब रहने के कारण साहेबगंज की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ० मिनी सिन्हा और ओरमांझी की दंत चिकित्सक डॉ० रीमा को सेवा से बर्खास्त करने का कड़ा फैसला लिया गया है।

5. किसानों और पशुपालकों के लिए पहल: राँची के काँके स्थित राजकीय बेकन फैक्ट्री को पुनर्जीवित करने के लिए हैदराबाद के राष्ट्रीय मांस अनुसंधान संस्थान के साथ समझौता किया गया है। साथ ही बागवानी विकास के लिए बेंगलुरु के संस्थान से परामर्शी सेवा लेने पर सहमति बनी है।

रांची जिला प्रशासन की बड़ी उपलब्धि: एक ही दिन में सैकड़ों जन-समस्याओं का 'ऑन द स्पॉट' समाधान

रांची: जिला प्रशासन द्वारा आम जनता को राहत देने के उद्देश्य से प्रत्येक मंगलवार को सभी अंचलों में 'जनता दरबार' का आयोजन किया जा रहा है। उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजन्त्री के दिशा-निर्देशों के तहत आज आयोजित जनता दरबार में सैकड़ों आवेदनों का त्वरित निष्पादन किया गया, जिससे ग्रामीणों को दफ्तरों के चक्कर काटने से मुक्ति मिली।

प्रमुख उपलब्धियां और अंचलवार रिपोर्ट:

जनता दरबार में राजस्व, पेंशन और प्रमाण पत्रों से जुड़े मामलों पर विशेष ध्यान दिया गया।

नामकुम अंचल: सर्वाधिक 181 मामलों का निष्पादन।

नगड़ी अंचल: 137 आवेदनों का समाधान।

चान्हो अंचल: कुल 131 आवेदनों का निष्पादन, जिनमें 110 जाति प्रमाण पत्र तुरंत निर्गत किए गए।

अनगड़ा अंचल: 122 आवेदनों का निपटारा (जाति, आय, आवासीय व दाखिल-खारिज)।

मुआवजा वितरण: सिल्ली और सोनाहातू अंचल में सड़क दुर्घटना, पानी में डूबने और वज्रपात जैसी आपदाओं के मृतकों के आश्रितों को मुआवजा राशि (₹4 लाख तक) प्रदान की गई।

अन्य अंचल: राहे (75), सिल्ली (85), अरगोड़ा (50) और मांडर (32) अंचलों में भी पेंशन और राजस्व कार्यों का त्वरित निष्पादन हुआ।

जनता दरबार का उद्देश्य:

अंचलाधिकारियों के अनुसार, इस पहल का लक्ष्य सरकारी सेवाओं को पारदर्शी बनाना और नागरिकों की शिकायतों का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करना है। अब लोगों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए बार-बार कार्यालय नहीं आना पड़ता।

झारखंड सरकार और बैंक ऑफ इंडिया के बीच ऐतिहासिक समझौता: राज्य कर्मियों को मिलेगा ₹1 करोड़ तक का मुफ्त दुर्घटना बीमा

रांची (झारखंड मंत्रालय): मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में आज राज्य सरकार और बैंक ऑफ इंडिया के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता राज्य के सेवारत पदाधिकारियों, कर्मचारियों, अनुबंध कर्मियों और पेंशनभोगियों के वेतन एवं पेंशन खाते से जुड़े विशेष लाभों के लिए किया गया है।

एमओयू की प्रमुख विशेषताएं (सैलरी पैकेज के लाभ):

दुर्घटना बीमा (Accidental Insurance): बैंक ऑफ इंडिया में सैलरी अकाउंट रखने वाले कर्मियों को ₹1 करोड़ तक का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा मिलेगा।

हवाई दुर्घटना: हवाई यात्रा के दौरान दुर्घटना होने पर यह राशि ₹2 करोड़ होगी।

मुफ्त बैंकिंग सेवाएं: विभिन्न बैंकिंग सुविधाएं बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उपलब्ध कराई जाएंगी।

पेंशनभोगी और अनुबंध कर्मी: यह लाभ केवल नियमित कर्मचारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि अनुबंध कर्मियों और पेंशनभोगियों को भी इसका लाभ मिलेगा।

तत्काल राहत का उदाहरण: ₹50 लाख का चेक सौंपा

मुख्यमंत्री ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए कार्यक्रम के दौरान ही एक मृत कर्मी (JBVNL) प्रमोद लकड़ा की पत्नी, श्रीमती मंजू लकड़ा को गवर्नमेंट सैलरी पैकेज के तहत ₹50 लाख की सहायता राशि का चेक प्रदान किया।

मुख्यमंत्री का संबोधन: मुख्य अंश

संवेदनशील सरकार: "हमारी सरकार राज्य की सेवा करने वाले हर कर्मी को बेहतर कार्य वातावरण और आर्थिक सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है।"

बैंकों की भूमिका: मुख्यमंत्री ने राज्य के सर्वांगीण विकास में बैंकों को अहम भागीदार बताया और उनसे समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचने का आह्वान किया।

अनन्या पहल: उन्होंने कहा कि यह एमओयू स्वास्थ्य सुरक्षा और आकस्मिक वित्तीय सहायता की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

अमर कुमार बाउरी का हेमंत सरकार पर बड़ा हमला: "दलित विरोधी है यह सरकार, योजनाओं से SC वर्ग गायब"

रांची: झारखंड में होने वाले नगर निकाय चुनाव और नई शिक्षा योजनाओं को लेकर सियासत तेज हो गई है। भाजपा नेता अमर कुमार बाउरी ने मीडिया को संबोधित करते हुए राज्य सरकार पर अनुसूचित जाति (SC) की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल एक खास वर्ग को खुश करने के लिए 50 लाख दलितों के हक की अनदेखी कर रही है।

प्रमुख आरोप और आपत्तियां:

शिक्षा योजनाओं में भेदभाव: बाउरी ने 'दिशोम गुरु शिबू सोरेन कोचिंग संस्थान' का जिक्र करते हुए कहा कि इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए सरकार का ध्यान केवल एक वर्ग पर है। उन्होंने मांग की कि दलित समाज के बच्चों को भी समान रूप से नि:शुल्क कोचिंग और विदेश में शिक्षा के अवसर मिलने चाहिए।

नगर निकाय चुनाव में आरक्षण का मुद्दा: उन्होंने रांची नगर निगम का उदाहरण देते हुए कहा कि 53 वार्डों में से मात्र 2 वार्डों में ही एससी को आरक्षण दिया गया है। बाउरी ने इसे राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर दलितों की राजनीतिक भागीदारी को दबा रही है।

वित्त मंत्री के पत्र का समर्थन: उन्होंने कैबिनेट मंत्री राधाकृष्ण किशोर द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्रों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जब सरकार के खुद के मंत्री एससी वर्ग की दयनीय स्थिति को लेकर चिंतित हैं और पत्र लिख रहे हैं, तो यह स्पष्ट है कि धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है।

अस्पष्ट चुनावी नियम: बाउरी ने आरोप लगाया कि न्यायालय के दबाव में सरकार आनन-फानन में बिना पारदर्शिता के चुनाव की तैयारी कर रही है। अलग-अलग निकायों के लिए अलग-अलग नियम बनाए जा रहे हैं।

आंदोलन की चेतावनी

अमर कुमार बाउरी ने दो टूक शब्दों में कहा कि दलितों ने अब तक संगठनात्मक ताकत नहीं दिखाई, इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें नजरअंदाज किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अपनी नीतियों में सुधार नहीं किया और पारदर्शिता नहीं लाई, तो दलित समाज बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के दिखाए संवैधानिक रास्ते पर चलकर सड़क पर उतरने और आंदोलन करने को मजबूर होगा।

पलामू के सरकारी स्कूलों ने पेश की मिसाल: प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं और अनुशासन, बदल रही है शिक्षा की सूरत

पलामू: जिले के सरकारी विद्यालयों में अब प्राइवेट स्कूलों जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। कभी संसाधनों की कमी के लिए जाने जाने वाले ये स्कूल अब स्मार्ट क्लासरूम, कंप्यूटर लैब और अनुशासित वातावरण के कारण चर्चा में हैं। पांकी और हरिहरगंज प्रखंड के स्कूलों ने यह साबित कर दिया है कि बेहतर शिक्षा के लिए केवल बड़ी बिल्डिंग नहीं, बल्कि शिक्षकों की प्रतिबद्धता जरूरी है।

प्रमुख विद्यालय और उनकी विशेषताएं:

1. उत्क्रमित मध्य विद्यालय, हरैया (पांकी)

छात्र संख्या: 283 नामांकित, जिसमें 231 से अधिक की नियमित उपस्थिति।

खासियत: सुरक्षित चहारदीवारी और फूलों से सजा हरा-भरा कैंपस। यहाँ के बच्चे पूर्ण यूनिफॉर्म और कड़े अनुशासन का पालन करते हैं।

उपलब्धि: बड़ी संख्या में बच्चों का नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में शामिल होना। यहाँ कंप्यूटर क्लास और डेमो क्लास के जरिए आधुनिक शिक्षा दी जा रही है।

टीम: मोहम्मद फारुक अहमद, नरेंद्र सिंह, मिथलेश कुमार दुबे और मो. आशिक अंसारी।

2. नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, पिरोजी (हरिहरगंज)

संस्कार और शिक्षा: स्कूल में सरस्वती माता की प्रतिमा और औषधीय पौधों से सुसज्जित परिसर बच्चों को प्रकृति और संस्कृति से जोड़ता है।

आधुनिक संसाधन: टीवी और खेल सामग्री के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर।

नेतृत्व: प्रधानाध्यापक नीरज कुमार पाठक के नेतृत्व में नियमित असेंबली और स्वच्छता अभियान ने स्कूल की सूरत बदल दी है।

बदलाव की मुख्य वजह:

इन स्कूलों की सफलता के पीछे कोई विशेष बजट नहीं, बल्कि शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन की मजबूत इच्छाशक्ति है। बिजली, पानी, स्मार्ट क्लास और रैंप जैसी सुविधाओं ने अभिभावकों का भरोसा सरकारी तंत्र पर फिर से बहाल किया है।

झारखंड के युवाओं के सपनों को नई उड़ान: रांची में 'दिशोम गुरु शिबू सोरेन JEE-NEET कोचिंग संस्थान' का उद्घाटन

रांची (हिंदपीढ़ी): मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आज राज्य के होनहार विद्यार्थियों को बड़ी सौगात देते हुए नि:शुल्क कोचिंग संस्थान का विधिवत उद्घाटन किया। अब राज्य के SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को उच्चस्तरीय कोचिंग के लिए कोटा या दिल्ली जैसे शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री के संबोधन की प्रमुख बातें:

राज्य में ही मिलेगी उच्च शिक्षा: मुख्यमंत्री ने कहा कि रांची अब उच्चस्तरीय कोचिंग का हब बनेगा। छात्रों को अब राज्य से बाहर जाने की मजबूरी नहीं होगी।

पुनः अवसर का प्रावधान: एबिलिटी टेस्ट में थोड़े अंतर से पीछे रह गए योग्य अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री ने दोबारा मौका देने का निर्देश दिया है, ताकि कोई भी प्रतिभा पीछे न छूटे।

शिक्षा के साथ खेल भी: संस्थान में केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि खेल-कूद की व्यवस्था भी सुदृढ़ की जाएगी ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास हो सके।

सांस्कृतिक एकता का केंद्र: यह संस्थान झारखंड की विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के मेल-जोल का प्रतीक बनेगा।

झारखंड सरकार की शिक्षा क्षेत्र में अन्य बड़ी उपलब्धियां:

गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना: ₹15 लाख तक का शिक्षा ऋण, भुगतान नौकरी लगने के बाद।

मरांग गोमके छात्रवृत्ति: विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए पूर्ण सरकारी सहायता।

सावित्रीबाई फुले योजना: किशोरियों की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए आर्थिक मदद।

उत्कृष्ट विद्यालय (SOE): 80 स्कूलों में निजी विद्यालयों जैसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।

रिम्स में विशेष कोचिंग: मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए 30 छात्रों को विशेषज्ञ मार्गदर्शन।

मुख्यमंत्री का संकल्प: "हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, हर युवा तक अवसर की पहुँच।"

जमशेदपुर में सजेगा ओल चिकी लिपि शताब्दी समारोह का मंच: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मिला आमंत्रण

रांची: मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से आज कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में "ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन" एवं "जाहेरथान कमेटी" के एक प्रतिनिधिमंडल ने शिष्टाचार भेंट की। इस भेंट का मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री को संथाली भाषा और लिपि के गौरवशाली आयोजनों में आमंत्रित करना था।

मुख्य आकर्षण: 22वां 'पारसी माहा' और शताब्दी समारोह

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को आगामी 29 दिसंबर 2025 को जमशेदपुर के दिशोम जाहेर (करनडीह) में आयोजित होने वाले निम्नलिखित ऐतिहासिक कार्यक्रमों के लिए सादर आमंत्रित किया है:

22वां संथाली "पारसी माहा" (भाषा दिवस): संथाली भाषा की मान्यता और सम्मान का उत्सव।

ओल चिकी लिपि शताब्दी समारोह का समापन: ओल चिकी लिपि के 100 गौरवशाली वर्षों के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष कार्यक्रम।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल गणमान्य

भेंट के दौरान "ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन" और "जाहेरथान कमेटी" के प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:

श्री रविंद्र नाथ मुर्मू (महासचिव, ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन)

श्री मानसिंह मांझी (सहायक महासचिव)

श्री सागेन हंसदा (कार्यकारी सदस्य, जाहेरथान कमेटी)

श्री शंकर हेंब्रम (कार्यकारी सदस्य, जाहेरथान कमेटी)

भोगनाडीह में सियासी घमासान: चंपाई सोरेन की सरकार को खुली चुनौती

साहिबगंज जिला प्रशासन की "कठिन शर्तों" के विरोध में शहीद वीर सिदो-कान्हू हूल फाउंडेशन ने 22 दिसंबर का कार्यक्रम रद्द कर दिया है। इस पर भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने राज्य सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया है।

1. प्रशासन की वो शर्तें जिन पर मचा बवाल

चंपाई सोरेन ने जिला प्रशासन द्वारा लगाई गई शर्तों को "तानाशाही" करार दिया है। उनके अनुसार प्रशासन ने निम्नलिखित मांगें रखी थीं:

वॉलेंटियर्स का डेटा: 30 वॉलेंटियर्स की सूची आधार कार्ड के साथ थाने में जमा करना।

सजावट पर रोक: स्टेडियम के बाहर एक गेट तक लगाने की अनुमति न देना।

प्रशासनिक जिम्मेदारी का बोझ: ट्रैफिक प्रबंधन और नशा मुक्ति की पूरी जिम्मेदारी आयोजकों पर डालना।

भारी सुरक्षा: खेल के मैदान से लेकर आयोजक के घर तक मजिस्ट्रेट की तैनाती।

2. चंपाई सोरेन का 'ओपन चैलेंज'

पूर्व सीएम ने इस स्थिति की तुलना नगड़ी आंदोलन (रिम्स-2) से करते हुए सरकार को सीधी चुनौती दी है:

30 जून 2026 का संकल्प: उन्होंने कहा कि आगामी हूल दिवस पर झारखंड, बंगाल, बिहार और ओडिशा से लाखों आदिवासी रथों के साथ भोगनाडीह पहुंचेंगे।

जेल भरो का संकेत: उन्होंने कहा कि अगर सरकार लाठी और एफआईआर की भाषा समझती है, तो आदिवासी समाज भी पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने पूछा कि "इनके जेलों में कितनी जगह है?"

3. 'साहिबगंज में अघोषित प्रतिबंध' का आरोप

चंपाई सोरेन ने सवाल उठाया कि जब उन्हें रांची, जामताड़ा या पाकुड़ जैसे जिलों में कोई दिक्कत नहीं होती, तो साहिबगंज में ही प्रशासन इतना सख्त क्यों हो जाता है? उन्होंने इसे खुद को एक विशेष क्षेत्र में रोकने की साजिश बताया है।

4. शहीद के वंशजों की नाराजगी

शहीद सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू ने भी प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, शर्तों को इस तरह तैयार किया गया था कि आयोजक किसी न किसी कानूनी विवाद या रंजिश में फंस जाएं, जिसके कारण अंततः कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा।

झारखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: रिम्स की जमीन पर अवैध निर्माण मामले में ACB जांच के आदेश

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स की 9.65 एकड़ अधिग्रहित भूमि पर अवैध कब्जे और बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को गंभीरता से लेते हुए बड़ा आदेश सुनाया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के इस खेल में निर्दोष खरीदारों को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।

फैसले के मुख्य बिंदु:

ACB जांच और FIR: अदालत ने पूरे घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को सौंप दी है। दोषी अधिकारियों और बिल्डरों पर प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, भविष्य में CBI जांच के विकल्प को भी खुला रखा गया है।

दोषी अफसरों से वसूली: कोर्ट ने एक अभूतपूर्व मिसाल पेश करते हुए कहा कि फ्लैट खरीदारों के मुआवजे की राशि सरकारी कोष से नहीं, बल्कि दोषी अधिकारियों (सेवानिवृत्त या कार्यरत) और बिल्डरों की संपत्ति से वसूली जाएगी।

प्रशासनिक मिलीभगत पर प्रहार: 1964-65 में अधिग्रहित जमीन पर नक्शा पास करने, रजिस्ट्री करने, म्यूटेशन करने और RERA की मंजूरी देने वाले अधिकारियों की भूमिका की जांच होगी।

अतिक्रमण हटाओ अभियान: 3 दिसंबर के आदेश के बाद प्रशासन ने DIG ग्राउंड के पास बुलडोजर चलाकर अवैध इमारतों को गिराना शुरू कर दिया है। कोर्ट ने इस अभियान की धीमी रफ्तार पर नाराजगी जाहिर की और तेजी लाने का निर्देश दिया।

मामले की पृष्ठभूमि:

रांची के मोरहाबादी और कोकर मौजा में रिम्स की विस्तार के लिए रखी गई करीब 9.65 एकड़ जमीन को मिलीभगत से निजी बताकर बेच दिया गया था। इस पर अपार्टमेंट, मंदिर और बाजार बन गए थे। अब हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इन अवैध ढांचों को गिराया जा रहा है।

अदालत की टिप्पणी: "यदि अधिकारी शुरू से सतर्क रहते, तो न सरकारी जमीन बिकती और न ही आम लोगों के घर उजड़ने की नौबत आती।"

प्रमुख जानकारी (Summarized Table)

विवरण जानकारी

संबंधित संस्थान रिम्स (RIMS), रांची

भूमि का विवरण 9.65 एकड़ (मोरहाबादी और कोकर मौजा)

अधिग्रहण वर्ष 1964-65

माननीय न्यायाधीश चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण

जांच एजेंसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB)

अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2026

प्रभावित खरीदारों के लिए क्या है खास?

उनका आर्थिक नुकसान सुरक्षित करने के लिए मुआवजा सुनिश्चित किया गया है।

न्याय के लिए दोषी बिल्डरों और अफसरों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है।

यह आदेश अन्य सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वाले भू-माफियाओं के लिए एक बड़ी चेतावनी है।