लोकसभा में पेश हुआ एक देश एक चुनाव बिल, विपक्ष ने किया विरोध, जेपीसी में भेजेगी सरकार

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वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक आज लोकसभा में पेश हो गया है।केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मंगलवार को लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इसके बाद, विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा जा सकता है।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कुछ सदस्यों ने बिल के इंट्रोडक्शन पर आपत्ति की है जो ज्यादातर लेजिस्लेटिव पर ही है। एक विषय आया कि आर्टिकल 368 का ये उल्लंघन करता है। ये आर्टिकल संविधान में संशोधन की प्रक्रिया बताता है और संसद को शक्ति देता है। एक विषय आया अनुच्छेद 327 सदन को विधानमंडलों के संबंध में चुनाव के प्रावधान का अधिकार देता है। इसमें कहा गया है कि संविधान के प्रावधान के तहत विधानमंडल के किसी भी चुनाव के संबंध में प्रावधान कर सकती है। ये संवैधानिक है। सभी आवश्यक मामले इसमें शामिल हैं। अनुच्छेद 83 सदनों की अवधि और राज्यों के विधानमंडल के चुनाव की अवधि को पुनर्निधारित किया जा सकता है। संविधा के सातवें अनुच्छेद के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि ये केंद्र को शक्ति प्रदान करता है। ये संविधान सम्मत संशोधन है।

जेपीसी में जाएगा वन नेशन वन इलेक्शन बिल

वन नेशन,वन इलेक्शन बिल पर जारी विरोध के बीच विपक्ष ने मांग की कि बिल को जेपीसी में भेजा जाएगा। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल को जेपीसी को भेजा जाएगा। जेपीसी में सारी चर्चा होगी। जेपीसी के रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट फिर से चर्चा करेगी। अगर मंत्री जी(अर्जुन राम मेघवाल) ये बताते हैं तो इसे जेपीसी के पास भेजा जा सकता है। तब मेघवाल ने कहा कि रूल 74 के तहत सरकार जेपीसी का प्रस्ताव लाएगी। सरकार की तरफ से ये मंशा भी है।

टीडीपी ने की 'अटूट' समर्थन देने की घोषणा

चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी ने लोकसभा में पेश किए गए एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को ‘अटूट’ समर्थन देने की घोषणा की है। वहीं शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट ने भी इस बिल का समर्थन किया। वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक का कांग्रेस और सपा ने विरोध किया है। इसके अलावा टीएमसी और डीएमके ने भी बिल का विरोध किया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, शिवसेना यूबीटी, एआईएमआईएम, सीपीएम और एनसीपी शरद पवार ने बिल का विरोध किया है। टीडीपी ने बिल का समर्थन किया है।

सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास है- सुप्रिया सुले

एनसीपी (एसपी)सांसद सुप्रिया सुले ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने “वन नेशन, वन इलेक्शन” विधेयक का विरोध किया है और इसे संघवाद और संविधान की कीमत पर सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास बताया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इस विधेयक को तुरंत वापस ले या आगे के परामर्श के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दे।

असदुद्दीन ओवैसी ने जमकर किया वन नेशन वन इलेक्शन बिल का विरोध

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन बिल का मैं विरोध करता हूं। ये बिल लोकतांत्रिक स्वराज के अधिकारों का उल्लंघन करता है। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का नहीं होगा। ये अपने आप में संविधान का उल्लंघन है। संघवाद के प्रिसिंपल के खिलाफ है ये बिल।

लोकसभा में आज एक देश-एक चुनाव बिल आएगा, बीजेपी-कांग्रेस-शिवसेना ने व्हिप जारी किया

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लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए 'एक देश, एक चुनाव' का संविधान (129वां संशोधन) विधेयक मंगलवार को संसद में पेश होने वाला है। संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन आज सरकार लोकसभा में एक देश-एक चुनाव से जुड़े 2 बिल पेश करेगी। दोनों बिल को 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पहले एक देश-एक चुनाव के लिए 129वां संविधान संशोधन बिल पेश करेंगे। इसको लेकर बीजेपी, कांग्रेस और शिवसेना ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है।

सूत्रों के मुताबिक, ये भी कहा जा रहा है कि बिल पर सहमति के लिए इसे जेपीसी में भेजा जाएगा। एक शीर्ष सरकारी पदाधिकारी ने बताया कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विधेयक पेश करेंगे। इसके बाद वह लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति को संदर्भित करने का निवेदन करेंगे। समिति का गठन विभिन्न पार्टियों के सांसदों की संख्या के आधार पर आनुपातिक रूप से किया जाएगा।

बीजेपी और शिवसेना ने सभी सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। साथ ही सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है। बिल को एनडीए के सहयोगी दलों का भी साथ मिल चुका है। सहयोगी दल सरकार और बिल के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। विपक्ष वन नेशन, वन इलेक्शन बिल के विरोध में है। विपक्ष इसे गैरजरूरी और असल मुद्दों से भटकाने वाला बिल बता रहा है। वहीं, सभी कांग्रेस लोकसभा सांसदों को व्हिप जारी किया गया है, जिसमें आज की महत्वपूर्ण कार्यवाही के लिए सदन में उनकी उपस्थिति अनिवार्य की गई है।

विधेयक के जरिये संविधान में अनुच्छेद-82ए (लोकसभा एवं विधानसभाओं के एकसाथ चुनाव) को जोड़ा जाएगा। जबकि अनुच्छेद-83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद-172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि) और अनुच्छेद-327 (विधायिकाओं के चुनाव से जुड़े प्रविधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन किए जाएंगे।विधेयक में यह भी प्रविधान है कि इसके कानून बनने के बाद आम चुनाव के पश्चात लोकसभा की पहली बैठक की तिथि पर राष्ट्रपति की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी और अधिसूचना जारी करने की तिथि को नियत तिथि कहा जाएगा। लोकसभा का कार्यकाल उस तिथि से पांच वर्ष का होगा।

वहीं, राज्यसभा में संविधान पर विशेष चर्चा दूसरे दिन भी जारी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम को चर्चा पर जवाब दे सकते हैं। इससे पहले PM ने 14 दिसंबर को लोकसभा में संविधान पर विशेष चर्चा में भाग लिया था। चर्चा के दौरान उन्होंने कांग्रेस को संविधान का शिकार करने वाली पार्टी बताया था।

*বড়মার মন্দিরে এলেন দেব*

সোমবার নৈহাটি বড়মার মন্দিরে পুজো দিলেন অভিনেতা তথা তৃণমূল কংগ্রেসের সাংসদ দেব ।

 

संविधान या मनुस्मृति, राहुल गांधी ने सरकार से पूछा- आप किसे मानते हैं?
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* लोकसभा में संविधान पर चर्चा चल रही है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी संविधा दिवस पर चल रही चर्चा में भाग लेते हुए अपनी बात रखी। राहुल गांधी ने कहा कि संविधान हमारी आवाज है। हमारा संविधान जीवन का दर्शन है। संविधान नए भारत का दस्तावेज है। जब हम संविधान को देखते हैं तो हम देख सकते हैं कि संविधान में महात्मा गांधी, डॉ. आंबेडकर, पंडित नेहरू के विचार दिखते हैं, लेकिन ये विचार कहां से आए। ये विचार भगवान शिव, गुरु नानक, भगवान बासवन्ना, कबीर आदि से आए। हमारा संविधान बिना हमारी प्राचीन विरासत के बिना नहीं बन सकता था। *वीर सावरकर का नाम कर बीजेपी को घेरा* संविधान पर राहुल गांधी ने बोलते हुए एक बार फिर वीर सावरकर पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने सदन में मनु स्मृति की प्रतियों को दिखाते हुए सरकार पर हमला बोला। राहुल ने कहा कि मैं अपने भाषण की शुरुआत न सिर्फ बीजेपी बल्कि आरएसएस के आधुनिक विचारों की व्याख्या करने वाले उनके सबसे बड़े नेता ने भारत के संविधान को लेकर क्या कहा था और भारत को कैसे चलना चाहिए, उसके बारे में वह क्या सोचते हैं, उनके कोट से करूंगा। उन्होंने कहा था कि संविधान के बारे में सबसे खराब बात ये है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है। मनुस्मृति एक ऐसा धर्मग्रंथ है जो वेद, पुराण के बाद सबसे ज्यादा पूजनीय है, ये प्राचीन काल से हमारी संस्कृति, हमारे विचार, परंपराओं का आधार रही है। ये किताब सदियों से हमारे देश की अध्यात्मिक और दैवीय यात्रा को परिलक्षित करती रही है। ये शब्द हैं सावरकर के। सावरकर अपनी लेखनी में साफ-साफ कह रहे हैं कि हमारे संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है। वह कह रहे हैं कि भारत को संविधान नहीं, बल्कि मनुस्मृति से चलना चाहिए। आप संविधान की बात कर रहे हैं तो बताइए क्या आप अपने नेता की बात से सहमत हैं? *राहुल गांधी ने किया एकलव्य का जिक्र* राहुल गांधी ने अपने भाषण में द्रोणाचार्य और एकलव्य का जिक्र किया। राहुल गांधी ने कहा कि जैसे पहले हिंदुस्तान चलाया जाता था, वैसे ही आप आज भी चलाना चाहते हैं। पहले जब मैं जब छोटा था, तब दिल्ली के आसपास, एम्स के पास ही जंगल था। वैसे ही जंगल में हजारों साल पहले एक बच्चा सुबह उठकर तपस्या करता था। हर रोज सुबह वो धनुष उठाकर तीर कमान चलाता था और घंटे उसने तपस्या की और वर्षों तक तपस्या की। उसका नाम एकलव्य था। जब वह द्रोणाचार्य के पास पहुंचा तो गुरु द्रोणाचार्य ने उसे सिखाने से मना कर दिया कि आप स्वर्ण जाति से नहीं है तो मैं आपको नहीं सिखा सकता। *आप हिंदुस्तान के युवाओं का अंगूठा काट रहे-राहुल गांधी* राहुल गांधी ने कहा कि जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा, वैसे ही आप हिंदुस्तान के युवाओं का अंगूठा काट रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि जब आप अडानी को धारावी का बिजनेस देते हैं तो आप धारावी के छोटे व्यापारियों का अंगूठा काटते हैं। जब आप बंदरगाह, एयरपोर्ट अडानी को देते हैं तो जो लोग ईमानदारी से व्यापार करते हैं आप उनका अंगूठा काटते हैं। लेटेरल एंट्री देकर देश के युवाओं का अंगूठा काटते हैं। देश के युवा प्रतिस्पर्धी परीक्षा की तैयारी करते हैं। तो पेपर लीक कराकर आप उनका अंगूठा काटते हैं। देश के हजारों युवा सेना में जाने के लिए मेहनत करते थे, तो आपने अग्निवीर लाकर उनका अंगूठा काटा। किसान आपसे एमएसपी मांगते हैं, मगर आप अदाणी-अंबानी को फायदा पहुंचाते हो तो आप किसानों का अंगूठा काटने का काम करते हैं। संविधान में कहीं नहीं लिखा कि एकाधिकार होना चाहिए, अग्निवीर होना चाहिए। संविधान में ये नहीं लिखा कि देश के युवाओं का अंगूठा काटना चाहिए। *बीजेपी के लोग संविधान पर हमला करते हैं- राहुल गांधी* अपने भाषण में राहुल गांधी ने हाथरस का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोपी बाहर घूम रहे हैं और पीड़ित परिवार घर में बंद हैं। पीड़ित परिवार को बेटी का अंतिम संस्कार करने नहीं दिया। मैं हाथरस के पीड़ित परिवार से मिला। सीएम ने हाथरस की घटना पर झूठ बोला। आरोपी पीड़ित परिवार को धमकाते हैं। क्या यूपी में संविधान नहीं, मनुस्मृति लागू है? राहुल ने कहा बीजेपी के लोग संविधान पर हमला करते हैं। उन्होंने संभल का भी मुद्दा भी उठाया। राहुल ने कहा कि संभल में पांच लोगों की हत्या कर दी गई। ये कहां लिखा है संविधान में। बीजेपी के लोग एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाते हैं। ये कहां लिखा है संविधान में। हमारी और इंडिया गठबंधन की विचारधारा देश में संविधान स्थापित करने की है।
एक देश-एक चुनाव' बिल सोमवार को लोकसभा में होगा पेश, जानें किन पार्टियों का है समर्थन, पास होने में क्या परेशानी?
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* केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार 16 दिसंबर को लेकसभा में एक देश एक चुनाव बिल 2024 पेश करेंगे। इस बिल को चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजा जाएगा। लोकसभा के चुनाव एकसाथ कराने के लिए पहला संशोधन विधेयक लाया जाएगा। दूसरा विधेयक दिल्ली और जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए लाया जाएगा। विधेयक में 2034 के बाद एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है। इस बिल की कॉपी सांसदों को सर्कुलेट कर दी गई है। विपक्ष लगातार एक देश एक चुनाव का विरोध करती आई है। ऐसे में लोकसभा में सोमवार को कार्यवाही हंगामेदार रहने वाली है। सरकार इस बिल को पेश करने के बाद ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी यानी जेपीसी को भी भेजना चाहती है। अगर जेपीसी ने क्लियरेंस दे दी और संसद के दोनों सदनों से ये बिल पास हो गया, तो इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के साइन करते ही ये बिल कानून बन जाएगा। अगर ऐसा हो गया तो देशभर में 2034 तक एक साथ चुनाव होंगे बिल के जरिए संविधान में 129वां संशोधन और दिल्ली व जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश के कानून में बदलाव किया जाएगा। सरकार इससे जुड़े बिल को संसद में पेश करके संविधान के चार अनुच्छेद में संशोधन का प्रस्ताव करेगी। ये चार अनुच्छेद हैं 82A, 83, 172, 327। संविधान संशोधन विधेयक में एक नया अनुच्छेद 82ए (लोकसभा और सभी विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव) सम्मिलित करने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) और अनुच्छेद 327 (में संशोधन करने का प्रस्ताव है। सरकार ने एक साथ चुनाव के लिए केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम और एनसीटी सरकार की धारा 5 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 17 में भी संशोधन किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक देश, एक चुनाव' को लेकर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से एक देश एक चुनाव के समर्थक रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर एक देश एक चुनाव का मुद्दा उठाया था। पीएम मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। तब से अब तक कई मौकों पर भाजपा की ओर एक देश एक चुनाव की बात की जाती रही है। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा था। भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों।
लोकसभा में प्रियंका गांधी का पहला भाषण, सत्ता पक्ष पर भड़कीं, जानें क्या कहा

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लोकसभा में संविधान पर चर्चा जारी है। संविधान पर बहस के दौरान लोकसभा में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहला भाषण दिया। लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान पहली बार बोलते हुए प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान प्रियंका गांधी 32 मिनट तक बोलीं। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना, अदाणी मुद्दे, देश की एकता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिक्र करके भी सत्ता पक्ष को घेरा। संसद में दिए अपने पहले ही भाषण में वाड्रा महफिल लूट ली गईं। विपक्षी सदस्यों ने भाषण के दौरान बार-बार मेजें थपथपाई।

संविधान केवल दस्तावेज नहीं...-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि भारत हजारों साल पुरानी संवाद और चर्चा की परंपरा वाला देश है। हमारी संस्कृति में वाद-विवाद और संवाद की गहरी जड़ें हैं, जो अलग-अलग धर्मों और समाजों में भी दिखाई देती हैं। इसी परंपरा से प्रेरित होकर हमारा स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था। यह आंदोलन लोकतांत्रिक था, जिसमें हर वर्ग ने हिस्सा लिया। इसी संघर्ष से उभरी एक सामूहिक आवाज, जिसने हमारे संविधान का रूप लिया। यह संविधान केवल दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह न्याय, अभिव्यक्ति और आकांक्षाओं का दीपक है।

उन्नाव, हाथरस की घटनाओं का किया उल्लेख

प्रियंका गांधी ने कहा कि इस संविधान ने हर नागरिक को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। संविधान की जोत ने हर नागरिक को यह विश्वास दिया कि देश बनाने में उसकी भी भागीदारी है। उन्नाव में मैं एक रेप पीड़िता के घर गई, उसे जलाकर मार डाला गया। हम सब के बच्चे हैं, हम सोच सकते हैं कि उस पर क्या बीती होगी। पीड़िता ने अकेले अपनी लड़ाई लड़ी। ये लड़ने की क्षमता और ये हिम्मत उस पीड़िता को और करोड़ों महिलाओं को ये ताकत हमारे संविधान दी। मैं हाथरस गई, वहां अरुण बाल्मिकी एक पुलिस स्टेशन में साफ-सफाई का काम करता था, उसे चोरी के आरोप में पीटा गया, उसकी मौत हुई। उसके परिवार ने कहा हमें न्याय चाहिए और ये ताकत उन्हें हमारे संविधान ने दी।

संविधान रूपी सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया गया-प्रियंका गांधी

लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान हमारे देशवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच है। यह न्याय, एकता, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण करता है। लेकिन सत्ताधारी दल ने पिछले 10 वर्षों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। अगर चुनाव के नतीजे कुछ अलग होते, तो शायद संविधान बदलने का काम भी शुरू हो जाता। लेकिन जनता ने इसे रोक दिया।

पंडित नेहरू का नाम लेकर सत्ता पक्ष को घेरा

प्रियंका गांधी ने कहा कि 'आज जनता की मांग है कि जाति जनगणना हो। सत्ता पक्ष ने भी इसका जिक्र इसलिए किया ताकि आम चुनाव के ऐसे नतीजे आए। जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जातीय जनगणना की आवाज उठाई तो सत्ता पक्ष ने गंभीरता नहीं दिखाई। संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली। भूमि सुधार किया, जिनका नाम लेने से आप झिझकते हैं, उन्होंने (पंडित नेहरू) ही एचएएल, ओएनजीसी, आईआईटी तमाम पीएसयू बनाए। उनका नाम पुस्तकों , भाषणों से मिटाया जा सकता है, लेकिन देश निर्माण में उनकी जो भूमिका रही, उसे कभी नहीं मिटाया जा सकता।

अडानी के नाम पर सरकार को घेरा

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रिंका गांधी ने कहा कि पहले संसद चलती थी कि लोगों की उम्मीद होती थी कि संसद मुद्दों पर चर्चा करेगी, कोई आर्थिक नीति बनेगी तो उनकी भलाई होगी। आज संसद में बैठे सत्ता पक्ष के लोग अतीत की बात करते हैं, वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए आपकी क्या जिम्मेदारी है, आप क्या कर रहे हैं। देश का किसान आज परेशान है। छोटे किसान रो रहे हैं, क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सबकुछ बदला जा रहा है। अडानी को सारे कोल्ड स्टोरेज इस सरकार में दिए गए। देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ जनता को नकारा जा रहा है। सारे बिजनेस, सारे संसाधन और सारे मौके एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। सारे बंदरगाह, खदाने, एयरपोर्ट्स एक व्यक्ति को दिए जा रहे हैं। जनता के मन में एक विश्वास होता था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान उनकी रक्षा करेगा, लेकिन आज देश में गैर बराबरी बढ़ रही है। अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब, ज्यादा गरीब हो रहा है।

ईडी-सीबीआई और आईटी की जिक्र

सरकार पर निशाना साधते हुए प्रियंका ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए देश की एकता को भी ताक पर रखा जा रहा। इनका कहना है कि देश के अलग-अलग हिस्से हैं, लेकिन संविधान कहता है कि देश एक है और एक ही रहेगा। जहां खुला संवाद और अभिव्यक्ति का कवच होता था, वहां इन्होंने भय का माहौल पैदा किया। इस देश की जनता ने निडर होकर देश की सत्ता को ललकारा, उन्हें चेतावनी दी, उनसे जवाब मांगा। इस देश के घर-घर, गली-मोहल्ले और न्यायपालिका में चर्चाएं कभी बंद नहीं हुईं, लेकिन आज जनता को सच बोलने से डराया-धमकाया जाता है। सभी का मुंह बंद कराया जाता है, किसी पर ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग पर फर्जी मुकदमे लगाए जाते हैं।

देश भय से नहीं चल सकता-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि यह देश भय से नहीं, साहस और संघर्ष से बना है। इसे बनाने वाले किसान, मजदूर और करोड़ों जनता है। ये देश भय से नहीं चल सकता। भय की भी एक सीमा है, जब उसे इतना दबाया जाता है और उसके पास उठ खड़े होने के सिवाय कोई चारा नहीं होता। ये देश कायरों के हाथों में ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता। ये देश लड़ेगा, सत्य मांगेगा।

लोकसभा में आज संविधान पर चर्चा, प्रियंका गांधी विपक्षी खेमे से करेंगी बहस की शुरुआत, संसद में होगा पहला भाषण

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देश में संविधान को अपनाए जाने के 75वें वर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में शुक्रवार को लोकसभा में संविधान पर दो दिवसीय बहस शुरू होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहस की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बहस का जवाब देंगे। गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में 16 दिसंबर को बहस की शुरुआत करेंगे। 17 को पीएम मोदी राज्यसभा में बहस का जवाब देंगे। लोकसभा के एजेंडे के अनुसार, संविधान पर विशेष चर्चा प्रश्नकाल के बाद शुरू होगी। विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी चर्चा की शुरुआत कर सकती हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे बहस शुरू करेंगे।

प्रियंका गांधी का लोकसभा में पहला भाषण

वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा आज यानी 13 दिसंबर को पहली बार संसद में बोलेंगी और विपक्षी खेमे से बहस की शुरुआत करेंगी। प्रियंका गांधी का यह लोकसभा में पहला भाषण होगा। इस दौरान संभावना है कि वो संविधान को लेकर हो रही चर्चा में कई अहम मुद्दे उठाएंगी। प्रियंका गांधी से पहले संभावना थी कि विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी विपक्ष के नेता के रूप में लोकसभा में संविधान पर चर्चा शुरू करेंगे, लेकिन कुछ नेताओं ने रणनीति में बदलाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा विपक्षी खेमे के लिए बहस की शुरुआत कर सकती हैं। प्रियंका गांधी ने भी वायनाड के उपचुनाव में कई बार संविधान का मुद्दा उठाया है, इसी के बाद आज पहली बार होगा जब वो लोकसभा में संविधान को लेकर बात करेंगी।

प्रधानमंत्री ने की रणनीतिक बैठक

दो दिवसीय बहस से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रणनीतिक बैठक की। इसमें अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। शाह ने इससे पूर्व संसद स्थित अपने कार्यालय में नड्डा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की।

भाजपा व कांग्रेस ने जारी किया तीन लाइन का व्हिप

वहीं, भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी लोकसभा सांसदों के लिए ‘तीन लाइन व्हिप’ नोटिस जारी किया है। इसमें उनसे 13 व 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा के दौरान लोकसभा में मौजूद रहने को कहा है। भाजपा ने सभी सदस्यों से सदन में उपस्थित रहकर सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा है।

एनडीए के ये सांसद चर्चा में लेंगे हिस्‍सा

भारतीय जनता पार्टी की ओर से 12 सांसदों के संविधान पर चर्चा में भाग लेने की खबर सामने आ रही है। वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों में जेडीएस से एचडी कुमारस्वामी, शिवसेना से श्रीकांत शिंदे, एलजेपी से शांभवी चौधरी, आरएलडी से राजकुमार सांगवान, एचएएम से जीतन राम मांझी, अपना दल से अनुप्रिया पटेल और जेडीयू से राजीव रंजन सिंह चर्चा में हिस्‍सा ले सकते हैं।

विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद

कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद बहस में शामिल हो सकते हैं। इनमें कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा मनीष तिवारी और शशि थरूर हो सकते हैं। डीएमके की ओर से टीआर बालू और ए राजा, टीएमसी से कल्याण बनर्जी और मोहुआ मोइत्रा बहस में भाग ले सकती हैं।

संसद में पहले भी मिल चुकी है नोटों की गड्डी, कभी 1 करोड़ कैश लेकर सदन में पहुंचे थे तीन सांसद

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राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान ये गड्डी बरामद हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया। साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है।फिलहाल नोटों की गड्डी मिलने की जांच की मांग की जा रही है। संदन में पैसे से जुड़ा ये कोई पहला विवाद नहीं है। पहले भी इस पैसे जुड़े अलग-अलग मामले आते रहे हैं। कभी सांसदों पर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा तो कभी पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा। कभी खुद सांसदों ने ही सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं तो कभी पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का आरोप किसी विधायक पर लगा।

22 जुलाई 2008 का वो दिन जब एक करोड़ कैश लेकर पहुंचे तीन सांसद

राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। ऐसा ही एक वाक्या है 22 जुलाई 2008 का, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था। 2008 में अमेरिका के साथ मनमोहन सिंह की सरकार ने न्यूक्लियर डील किया। इस समझौते के खिलाफ सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव पर खूब बहस हुई, लेकिन जब बारी वोटिंग की आई तो बीजेपी के 3 सांसदों ने नोट लहरा दिए। यह नोट तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के टेबल पर लहराए गए।

बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें। ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई। बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा। सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसे विपक्ष की साजिश बताया।

संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने भी मामले की जांच की। भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई। 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी। केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला।

जब शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर लगे रिश्वत लेने के आरोप

इससे पहले 1991 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। चुनाव के करीब दो साल बाद जुलाई 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को अविश्वास मत का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 14 वोटों से गिर गया जब पक्ष में 251 वोट और विरोध में 265 वोट पड़े।

996 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सूरज मंडल ने एक खुलासा किया। मंडल के मुताबिक 1993 में पैसे बंटने की वजह से राव की सरकार बच पाई। मंडल का कहना था कि सरकार बचाने के लिए एक-एक सांसदों को 40 लाख रुपए दिए गए थे। शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अल्पमत में रही नरसिम्हा राव सरकार उनके समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव से बच गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए कुछ सांसदों को रिश्वत दी गई थी।आगे चलकर यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया, लेकिन केस में सभी आरोपी बरी हो गए

चीन के साथ कैसे सुधरे संबंध? एस जयशंकर ने लोकसभा में बताई कूटनीतिक कामयाबी की कहानी*
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भारत-चीन के संबंध में हाल के दिनों में बेहतर हुए हैं। गलवां घाटी झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। हालांकि, कई दौर के बातचीत के बाद संबंध पटरी पर लौटे हैं। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा हालात की जानकारी दी और बताया कि अब हालात बेहतर हैं।जयशंकर ने साफ किया कि पूर्वी लद्दाख के इलाकों में डिसइंगेजमेंट पूरी तरह पूरा हो चुका है। अब दोनों देश आगे तनाव न हो इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन एलएसी पर सीमा विवाद खत्म करने के लिए दशकों से बात कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमलोग आपसी सहमति से विवाद हल करने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने बताया कि मई-जून 2020 में चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की थी जिसके बाद भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग में दिक्कत आई थी। गलवां में हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच तनातनी काफी बढ़ गई थी। इसके बाद भारत ने भी एलएसी पर बड़ी संख्या में हथियार और सैनिकों की तैनाती की थी। जयशंकर ने आगे कहा कि यह सदन जानता है कि चीन ने 1962 के युद्ध और उससे पहले की घटनाओं में अक्साई चिन के 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया था। इसके अलावा पाकिस्तान ने 1963 में चीन को 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र अवैध रूप से सौंप दिया था। भारत और चीन ने सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दशकों से बातचीत की है। एस जयशंकर ने कहा, हम एक निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य सीमा समाधान के लिए बायलेट्रल बातचीत के माध्यम से चीन के साथ जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। *कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा- विदेश मंत्री* विदेश मंत्री ने आगे कहा कि, सीमा पर हालात सुधारने के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि, कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा और सहमति से ही सभी मसलों का समाधान किया जाएगा। चीन से बातचीत के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, सीमा पर हालात सामान्य होने के बाद ही चीन से बातचीत की गई है। *एलएसी पर बहाली के लिए सेना को श्रेय- विदेश मंत्री* विदेश मंत्री ने कहा कि, एलएसी पर बहाली का पूरा श्रेय सेना को जाता है। उन्होंने आगे कहा कि, कूटनीतिक पहल से सीमा पर हालात सामान्य हुए हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहमति बनी है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं किया जाएगा और साथ ही दोनों देशों के बीच पुराने समझौतों का पालन किया जाएगा। सीमा पर शांति के बिना भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं रह सकते। *विवादित जगह से हटीं दोनों देशों की सेनाएं* बता दें कि बीते 21 अक्तूबर को भारत और चीन की सेनाओं ने विवादित पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से अपने-अपने सामान समेटने शुरू किए थे और नवंबर महीने से पहले ही इसे पूरा कर लिया गया था। भारत और चीन के संबंध 2020 के जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के बाद काफी बिगड़ गए थे। यह झड़प दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष थी।
लोकसभा में सिटिंग प्लानःगडकरी के बैठने की जगह बदली, जानें अब बैठेंगी प्रियंका? ऐसा है नया सीटिंग अरेंजमेंट*
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देश की सबसे बड़ी पंचायत में सीटों की व्यवस्था तय कर दी गई है। 18वीं लोकसभा में सीटों में बैठने के क्रम में थोड़ा बदलाव किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकसभा में सीट नंबर एक आवंटित की गई है, जबकि अगली पंक्ति के दूसरी तरफ उनके सामने वाली सीट विपक्ष के नेता राहुल गांधी के लिए निर्धारित की गई है। लोकसभा सचिवालय की ओर जारी लेटर के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पहले दूसरे कॉलम में डिवीजन नंबर 58 आवंटित किया गया था, लेकिन अब उन्हें गृह मंत्री अमित शाह के बगल वाली सीट संख्या चार दी गई है। वहीं पहली बार लोकसभा पहुंचीं प्रियंका गांधी की सीट भी निर्धारित कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें पार्टियों से मिले इनपुट के आधार पर लोकसभा स्पीकर ने सीटों का आवंटन किया हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के पास ट्रेजरी बेंच में पहली तीन सीटें होंगी। पीएम मोदी की सीट नंबर 1 है। पीएम के बाद पहली पंक्ति में राजनाथ सिंह, अमित शाह बैठेंगे। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अगली पंक्ति में सीटें आवंटित की गई हैं। भारी उद्योग मंत्री और जनता दल (सेक्युलर) नेता एचडी कुमारस्वामी, मत्स्य पालन मंत्री और जदयू के नेता राजीव रंजन सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता राममोहन नायडू, एमएसएमई मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी को एनडीए के कोटे से अग्रिम पंक्ति की सीटें मिली है। हाल ही में वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतने वाली कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को सीट नंबर 517 आवंटित की गई है, जो चौथी लाइन में है। विपक्ष की ओर से पहली कतार में पहली सीट पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी बैठेंगे। उनकी सीट का नंबर 498 है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव विपक्षी दीर्घा की आगे की पंक्ति में सीट संख्या 355 पर बैठेंगे।अखिलेश यादव तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता सुदीप बंदोपाध्याय के बगल में बैठेंगे। टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी, कल्याण बनर्जी और सौगत रॉय को दूसरी पंक्ति में क्रमशः 280, 281 और 284 नंबर की सीटें आवंटित की गई हैं। द्रमुक नेता टी आर बालू और ए राजा को भी आगे की पंक्ति में सीटें आवंटित की गई हैं।
लोकसभा में पेश हुआ एक देश एक चुनाव बिल, विपक्ष ने किया विरोध, जेपीसी में भेजेगी सरकार

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वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक आज लोकसभा में पेश हो गया है।केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मंगलवार को लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इसके बाद, विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा जा सकता है।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कुछ सदस्यों ने बिल के इंट्रोडक्शन पर आपत्ति की है जो ज्यादातर लेजिस्लेटिव पर ही है। एक विषय आया कि आर्टिकल 368 का ये उल्लंघन करता है। ये आर्टिकल संविधान में संशोधन की प्रक्रिया बताता है और संसद को शक्ति देता है। एक विषय आया अनुच्छेद 327 सदन को विधानमंडलों के संबंध में चुनाव के प्रावधान का अधिकार देता है। इसमें कहा गया है कि संविधान के प्रावधान के तहत विधानमंडल के किसी भी चुनाव के संबंध में प्रावधान कर सकती है। ये संवैधानिक है। सभी आवश्यक मामले इसमें शामिल हैं। अनुच्छेद 83 सदनों की अवधि और राज्यों के विधानमंडल के चुनाव की अवधि को पुनर्निधारित किया जा सकता है। संविधा के सातवें अनुच्छेद के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि ये केंद्र को शक्ति प्रदान करता है। ये संविधान सम्मत संशोधन है।

जेपीसी में जाएगा वन नेशन वन इलेक्शन बिल

वन नेशन,वन इलेक्शन बिल पर जारी विरोध के बीच विपक्ष ने मांग की कि बिल को जेपीसी में भेजा जाएगा। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल को जेपीसी को भेजा जाएगा। जेपीसी में सारी चर्चा होगी। जेपीसी के रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट फिर से चर्चा करेगी। अगर मंत्री जी(अर्जुन राम मेघवाल) ये बताते हैं तो इसे जेपीसी के पास भेजा जा सकता है। तब मेघवाल ने कहा कि रूल 74 के तहत सरकार जेपीसी का प्रस्ताव लाएगी। सरकार की तरफ से ये मंशा भी है।

टीडीपी ने की 'अटूट' समर्थन देने की घोषणा

चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी ने लोकसभा में पेश किए गए एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को ‘अटूट’ समर्थन देने की घोषणा की है। वहीं शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट ने भी इस बिल का समर्थन किया। वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक का कांग्रेस और सपा ने विरोध किया है। इसके अलावा टीएमसी और डीएमके ने भी बिल का विरोध किया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, शिवसेना यूबीटी, एआईएमआईएम, सीपीएम और एनसीपी शरद पवार ने बिल का विरोध किया है। टीडीपी ने बिल का समर्थन किया है।

सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास है- सुप्रिया सुले

एनसीपी (एसपी)सांसद सुप्रिया सुले ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने “वन नेशन, वन इलेक्शन” विधेयक का विरोध किया है और इसे संघवाद और संविधान की कीमत पर सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास बताया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इस विधेयक को तुरंत वापस ले या आगे के परामर्श के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दे।

असदुद्दीन ओवैसी ने जमकर किया वन नेशन वन इलेक्शन बिल का विरोध

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन बिल का मैं विरोध करता हूं। ये बिल लोकतांत्रिक स्वराज के अधिकारों का उल्लंघन करता है। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का नहीं होगा। ये अपने आप में संविधान का उल्लंघन है। संघवाद के प्रिसिंपल के खिलाफ है ये बिल।

लोकसभा में आज एक देश-एक चुनाव बिल आएगा, बीजेपी-कांग्रेस-शिवसेना ने व्हिप जारी किया

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लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए 'एक देश, एक चुनाव' का संविधान (129वां संशोधन) विधेयक मंगलवार को संसद में पेश होने वाला है। संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन आज सरकार लोकसभा में एक देश-एक चुनाव से जुड़े 2 बिल पेश करेगी। दोनों बिल को 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पहले एक देश-एक चुनाव के लिए 129वां संविधान संशोधन बिल पेश करेंगे। इसको लेकर बीजेपी, कांग्रेस और शिवसेना ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है।

सूत्रों के मुताबिक, ये भी कहा जा रहा है कि बिल पर सहमति के लिए इसे जेपीसी में भेजा जाएगा। एक शीर्ष सरकारी पदाधिकारी ने बताया कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विधेयक पेश करेंगे। इसके बाद वह लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति को संदर्भित करने का निवेदन करेंगे। समिति का गठन विभिन्न पार्टियों के सांसदों की संख्या के आधार पर आनुपातिक रूप से किया जाएगा।

बीजेपी और शिवसेना ने सभी सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। साथ ही सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है। बिल को एनडीए के सहयोगी दलों का भी साथ मिल चुका है। सहयोगी दल सरकार और बिल के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। विपक्ष वन नेशन, वन इलेक्शन बिल के विरोध में है। विपक्ष इसे गैरजरूरी और असल मुद्दों से भटकाने वाला बिल बता रहा है। वहीं, सभी कांग्रेस लोकसभा सांसदों को व्हिप जारी किया गया है, जिसमें आज की महत्वपूर्ण कार्यवाही के लिए सदन में उनकी उपस्थिति अनिवार्य की गई है।

विधेयक के जरिये संविधान में अनुच्छेद-82ए (लोकसभा एवं विधानसभाओं के एकसाथ चुनाव) को जोड़ा जाएगा। जबकि अनुच्छेद-83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद-172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि) और अनुच्छेद-327 (विधायिकाओं के चुनाव से जुड़े प्रविधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन किए जाएंगे।विधेयक में यह भी प्रविधान है कि इसके कानून बनने के बाद आम चुनाव के पश्चात लोकसभा की पहली बैठक की तिथि पर राष्ट्रपति की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी और अधिसूचना जारी करने की तिथि को नियत तिथि कहा जाएगा। लोकसभा का कार्यकाल उस तिथि से पांच वर्ष का होगा।

वहीं, राज्यसभा में संविधान पर विशेष चर्चा दूसरे दिन भी जारी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम को चर्चा पर जवाब दे सकते हैं। इससे पहले PM ने 14 दिसंबर को लोकसभा में संविधान पर विशेष चर्चा में भाग लिया था। चर्चा के दौरान उन्होंने कांग्रेस को संविधान का शिकार करने वाली पार्टी बताया था।

*বড়মার মন্দিরে এলেন দেব*

সোমবার নৈহাটি বড়মার মন্দিরে পুজো দিলেন অভিনেতা তথা তৃণমূল কংগ্রেসের সাংসদ দেব ।

 

संविधान या मनुस्मृति, राहुल गांधी ने सरकार से पूछा- आप किसे मानते हैं?
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* लोकसभा में संविधान पर चर्चा चल रही है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी संविधा दिवस पर चल रही चर्चा में भाग लेते हुए अपनी बात रखी। राहुल गांधी ने कहा कि संविधान हमारी आवाज है। हमारा संविधान जीवन का दर्शन है। संविधान नए भारत का दस्तावेज है। जब हम संविधान को देखते हैं तो हम देख सकते हैं कि संविधान में महात्मा गांधी, डॉ. आंबेडकर, पंडित नेहरू के विचार दिखते हैं, लेकिन ये विचार कहां से आए। ये विचार भगवान शिव, गुरु नानक, भगवान बासवन्ना, कबीर आदि से आए। हमारा संविधान बिना हमारी प्राचीन विरासत के बिना नहीं बन सकता था। *वीर सावरकर का नाम कर बीजेपी को घेरा* संविधान पर राहुल गांधी ने बोलते हुए एक बार फिर वीर सावरकर पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने सदन में मनु स्मृति की प्रतियों को दिखाते हुए सरकार पर हमला बोला। राहुल ने कहा कि मैं अपने भाषण की शुरुआत न सिर्फ बीजेपी बल्कि आरएसएस के आधुनिक विचारों की व्याख्या करने वाले उनके सबसे बड़े नेता ने भारत के संविधान को लेकर क्या कहा था और भारत को कैसे चलना चाहिए, उसके बारे में वह क्या सोचते हैं, उनके कोट से करूंगा। उन्होंने कहा था कि संविधान के बारे में सबसे खराब बात ये है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है। मनुस्मृति एक ऐसा धर्मग्रंथ है जो वेद, पुराण के बाद सबसे ज्यादा पूजनीय है, ये प्राचीन काल से हमारी संस्कृति, हमारे विचार, परंपराओं का आधार रही है। ये किताब सदियों से हमारे देश की अध्यात्मिक और दैवीय यात्रा को परिलक्षित करती रही है। ये शब्द हैं सावरकर के। सावरकर अपनी लेखनी में साफ-साफ कह रहे हैं कि हमारे संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है। वह कह रहे हैं कि भारत को संविधान नहीं, बल्कि मनुस्मृति से चलना चाहिए। आप संविधान की बात कर रहे हैं तो बताइए क्या आप अपने नेता की बात से सहमत हैं? *राहुल गांधी ने किया एकलव्य का जिक्र* राहुल गांधी ने अपने भाषण में द्रोणाचार्य और एकलव्य का जिक्र किया। राहुल गांधी ने कहा कि जैसे पहले हिंदुस्तान चलाया जाता था, वैसे ही आप आज भी चलाना चाहते हैं। पहले जब मैं जब छोटा था, तब दिल्ली के आसपास, एम्स के पास ही जंगल था। वैसे ही जंगल में हजारों साल पहले एक बच्चा सुबह उठकर तपस्या करता था। हर रोज सुबह वो धनुष उठाकर तीर कमान चलाता था और घंटे उसने तपस्या की और वर्षों तक तपस्या की। उसका नाम एकलव्य था। जब वह द्रोणाचार्य के पास पहुंचा तो गुरु द्रोणाचार्य ने उसे सिखाने से मना कर दिया कि आप स्वर्ण जाति से नहीं है तो मैं आपको नहीं सिखा सकता। *आप हिंदुस्तान के युवाओं का अंगूठा काट रहे-राहुल गांधी* राहुल गांधी ने कहा कि जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा, वैसे ही आप हिंदुस्तान के युवाओं का अंगूठा काट रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि जब आप अडानी को धारावी का बिजनेस देते हैं तो आप धारावी के छोटे व्यापारियों का अंगूठा काटते हैं। जब आप बंदरगाह, एयरपोर्ट अडानी को देते हैं तो जो लोग ईमानदारी से व्यापार करते हैं आप उनका अंगूठा काटते हैं। लेटेरल एंट्री देकर देश के युवाओं का अंगूठा काटते हैं। देश के युवा प्रतिस्पर्धी परीक्षा की तैयारी करते हैं। तो पेपर लीक कराकर आप उनका अंगूठा काटते हैं। देश के हजारों युवा सेना में जाने के लिए मेहनत करते थे, तो आपने अग्निवीर लाकर उनका अंगूठा काटा। किसान आपसे एमएसपी मांगते हैं, मगर आप अदाणी-अंबानी को फायदा पहुंचाते हो तो आप किसानों का अंगूठा काटने का काम करते हैं। संविधान में कहीं नहीं लिखा कि एकाधिकार होना चाहिए, अग्निवीर होना चाहिए। संविधान में ये नहीं लिखा कि देश के युवाओं का अंगूठा काटना चाहिए। *बीजेपी के लोग संविधान पर हमला करते हैं- राहुल गांधी* अपने भाषण में राहुल गांधी ने हाथरस का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोपी बाहर घूम रहे हैं और पीड़ित परिवार घर में बंद हैं। पीड़ित परिवार को बेटी का अंतिम संस्कार करने नहीं दिया। मैं हाथरस के पीड़ित परिवार से मिला। सीएम ने हाथरस की घटना पर झूठ बोला। आरोपी पीड़ित परिवार को धमकाते हैं। क्या यूपी में संविधान नहीं, मनुस्मृति लागू है? राहुल ने कहा बीजेपी के लोग संविधान पर हमला करते हैं। उन्होंने संभल का भी मुद्दा भी उठाया। राहुल ने कहा कि संभल में पांच लोगों की हत्या कर दी गई। ये कहां लिखा है संविधान में। बीजेपी के लोग एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाते हैं। ये कहां लिखा है संविधान में। हमारी और इंडिया गठबंधन की विचारधारा देश में संविधान स्थापित करने की है।
एक देश-एक चुनाव' बिल सोमवार को लोकसभा में होगा पेश, जानें किन पार्टियों का है समर्थन, पास होने में क्या परेशानी?
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* केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार 16 दिसंबर को लेकसभा में एक देश एक चुनाव बिल 2024 पेश करेंगे। इस बिल को चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजा जाएगा। लोकसभा के चुनाव एकसाथ कराने के लिए पहला संशोधन विधेयक लाया जाएगा। दूसरा विधेयक दिल्ली और जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए लाया जाएगा। विधेयक में 2034 के बाद एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है। इस बिल की कॉपी सांसदों को सर्कुलेट कर दी गई है। विपक्ष लगातार एक देश एक चुनाव का विरोध करती आई है। ऐसे में लोकसभा में सोमवार को कार्यवाही हंगामेदार रहने वाली है। सरकार इस बिल को पेश करने के बाद ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी यानी जेपीसी को भी भेजना चाहती है। अगर जेपीसी ने क्लियरेंस दे दी और संसद के दोनों सदनों से ये बिल पास हो गया, तो इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के साइन करते ही ये बिल कानून बन जाएगा। अगर ऐसा हो गया तो देशभर में 2034 तक एक साथ चुनाव होंगे बिल के जरिए संविधान में 129वां संशोधन और दिल्ली व जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश के कानून में बदलाव किया जाएगा। सरकार इससे जुड़े बिल को संसद में पेश करके संविधान के चार अनुच्छेद में संशोधन का प्रस्ताव करेगी। ये चार अनुच्छेद हैं 82A, 83, 172, 327। संविधान संशोधन विधेयक में एक नया अनुच्छेद 82ए (लोकसभा और सभी विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव) सम्मिलित करने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) और अनुच्छेद 327 (में संशोधन करने का प्रस्ताव है। सरकार ने एक साथ चुनाव के लिए केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम और एनसीटी सरकार की धारा 5 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 17 में भी संशोधन किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक देश, एक चुनाव' को लेकर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से एक देश एक चुनाव के समर्थक रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर एक देश एक चुनाव का मुद्दा उठाया था। पीएम मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। तब से अब तक कई मौकों पर भाजपा की ओर एक देश एक चुनाव की बात की जाती रही है। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा था। भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों।
लोकसभा में प्रियंका गांधी का पहला भाषण, सत्ता पक्ष पर भड़कीं, जानें क्या कहा

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लोकसभा में संविधान पर चर्चा जारी है। संविधान पर बहस के दौरान लोकसभा में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहला भाषण दिया। लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान पहली बार बोलते हुए प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान प्रियंका गांधी 32 मिनट तक बोलीं। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना, अदाणी मुद्दे, देश की एकता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिक्र करके भी सत्ता पक्ष को घेरा। संसद में दिए अपने पहले ही भाषण में वाड्रा महफिल लूट ली गईं। विपक्षी सदस्यों ने भाषण के दौरान बार-बार मेजें थपथपाई।

संविधान केवल दस्तावेज नहीं...-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि भारत हजारों साल पुरानी संवाद और चर्चा की परंपरा वाला देश है। हमारी संस्कृति में वाद-विवाद और संवाद की गहरी जड़ें हैं, जो अलग-अलग धर्मों और समाजों में भी दिखाई देती हैं। इसी परंपरा से प्रेरित होकर हमारा स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था। यह आंदोलन लोकतांत्रिक था, जिसमें हर वर्ग ने हिस्सा लिया। इसी संघर्ष से उभरी एक सामूहिक आवाज, जिसने हमारे संविधान का रूप लिया। यह संविधान केवल दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह न्याय, अभिव्यक्ति और आकांक्षाओं का दीपक है।

उन्नाव, हाथरस की घटनाओं का किया उल्लेख

प्रियंका गांधी ने कहा कि इस संविधान ने हर नागरिक को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। संविधान की जोत ने हर नागरिक को यह विश्वास दिया कि देश बनाने में उसकी भी भागीदारी है। उन्नाव में मैं एक रेप पीड़िता के घर गई, उसे जलाकर मार डाला गया। हम सब के बच्चे हैं, हम सोच सकते हैं कि उस पर क्या बीती होगी। पीड़िता ने अकेले अपनी लड़ाई लड़ी। ये लड़ने की क्षमता और ये हिम्मत उस पीड़िता को और करोड़ों महिलाओं को ये ताकत हमारे संविधान दी। मैं हाथरस गई, वहां अरुण बाल्मिकी एक पुलिस स्टेशन में साफ-सफाई का काम करता था, उसे चोरी के आरोप में पीटा गया, उसकी मौत हुई। उसके परिवार ने कहा हमें न्याय चाहिए और ये ताकत उन्हें हमारे संविधान ने दी।

संविधान रूपी सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया गया-प्रियंका गांधी

लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान हमारे देशवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच है। यह न्याय, एकता, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण करता है। लेकिन सत्ताधारी दल ने पिछले 10 वर्षों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। अगर चुनाव के नतीजे कुछ अलग होते, तो शायद संविधान बदलने का काम भी शुरू हो जाता। लेकिन जनता ने इसे रोक दिया।

पंडित नेहरू का नाम लेकर सत्ता पक्ष को घेरा

प्रियंका गांधी ने कहा कि 'आज जनता की मांग है कि जाति जनगणना हो। सत्ता पक्ष ने भी इसका जिक्र इसलिए किया ताकि आम चुनाव के ऐसे नतीजे आए। जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जातीय जनगणना की आवाज उठाई तो सत्ता पक्ष ने गंभीरता नहीं दिखाई। संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली। भूमि सुधार किया, जिनका नाम लेने से आप झिझकते हैं, उन्होंने (पंडित नेहरू) ही एचएएल, ओएनजीसी, आईआईटी तमाम पीएसयू बनाए। उनका नाम पुस्तकों , भाषणों से मिटाया जा सकता है, लेकिन देश निर्माण में उनकी जो भूमिका रही, उसे कभी नहीं मिटाया जा सकता।

अडानी के नाम पर सरकार को घेरा

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रिंका गांधी ने कहा कि पहले संसद चलती थी कि लोगों की उम्मीद होती थी कि संसद मुद्दों पर चर्चा करेगी, कोई आर्थिक नीति बनेगी तो उनकी भलाई होगी। आज संसद में बैठे सत्ता पक्ष के लोग अतीत की बात करते हैं, वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए आपकी क्या जिम्मेदारी है, आप क्या कर रहे हैं। देश का किसान आज परेशान है। छोटे किसान रो रहे हैं, क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सबकुछ बदला जा रहा है। अडानी को सारे कोल्ड स्टोरेज इस सरकार में दिए गए। देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ जनता को नकारा जा रहा है। सारे बिजनेस, सारे संसाधन और सारे मौके एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। सारे बंदरगाह, खदाने, एयरपोर्ट्स एक व्यक्ति को दिए जा रहे हैं। जनता के मन में एक विश्वास होता था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान उनकी रक्षा करेगा, लेकिन आज देश में गैर बराबरी बढ़ रही है। अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब, ज्यादा गरीब हो रहा है।

ईडी-सीबीआई और आईटी की जिक्र

सरकार पर निशाना साधते हुए प्रियंका ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए देश की एकता को भी ताक पर रखा जा रहा। इनका कहना है कि देश के अलग-अलग हिस्से हैं, लेकिन संविधान कहता है कि देश एक है और एक ही रहेगा। जहां खुला संवाद और अभिव्यक्ति का कवच होता था, वहां इन्होंने भय का माहौल पैदा किया। इस देश की जनता ने निडर होकर देश की सत्ता को ललकारा, उन्हें चेतावनी दी, उनसे जवाब मांगा। इस देश के घर-घर, गली-मोहल्ले और न्यायपालिका में चर्चाएं कभी बंद नहीं हुईं, लेकिन आज जनता को सच बोलने से डराया-धमकाया जाता है। सभी का मुंह बंद कराया जाता है, किसी पर ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग पर फर्जी मुकदमे लगाए जाते हैं।

देश भय से नहीं चल सकता-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि यह देश भय से नहीं, साहस और संघर्ष से बना है। इसे बनाने वाले किसान, मजदूर और करोड़ों जनता है। ये देश भय से नहीं चल सकता। भय की भी एक सीमा है, जब उसे इतना दबाया जाता है और उसके पास उठ खड़े होने के सिवाय कोई चारा नहीं होता। ये देश कायरों के हाथों में ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता। ये देश लड़ेगा, सत्य मांगेगा।

लोकसभा में आज संविधान पर चर्चा, प्रियंका गांधी विपक्षी खेमे से करेंगी बहस की शुरुआत, संसद में होगा पहला भाषण

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देश में संविधान को अपनाए जाने के 75वें वर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में शुक्रवार को लोकसभा में संविधान पर दो दिवसीय बहस शुरू होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहस की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बहस का जवाब देंगे। गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में 16 दिसंबर को बहस की शुरुआत करेंगे। 17 को पीएम मोदी राज्यसभा में बहस का जवाब देंगे। लोकसभा के एजेंडे के अनुसार, संविधान पर विशेष चर्चा प्रश्नकाल के बाद शुरू होगी। विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी चर्चा की शुरुआत कर सकती हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे बहस शुरू करेंगे।

प्रियंका गांधी का लोकसभा में पहला भाषण

वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा आज यानी 13 दिसंबर को पहली बार संसद में बोलेंगी और विपक्षी खेमे से बहस की शुरुआत करेंगी। प्रियंका गांधी का यह लोकसभा में पहला भाषण होगा। इस दौरान संभावना है कि वो संविधान को लेकर हो रही चर्चा में कई अहम मुद्दे उठाएंगी। प्रियंका गांधी से पहले संभावना थी कि विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी विपक्ष के नेता के रूप में लोकसभा में संविधान पर चर्चा शुरू करेंगे, लेकिन कुछ नेताओं ने रणनीति में बदलाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा विपक्षी खेमे के लिए बहस की शुरुआत कर सकती हैं। प्रियंका गांधी ने भी वायनाड के उपचुनाव में कई बार संविधान का मुद्दा उठाया है, इसी के बाद आज पहली बार होगा जब वो लोकसभा में संविधान को लेकर बात करेंगी।

प्रधानमंत्री ने की रणनीतिक बैठक

दो दिवसीय बहस से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रणनीतिक बैठक की। इसमें अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। शाह ने इससे पूर्व संसद स्थित अपने कार्यालय में नड्डा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की।

भाजपा व कांग्रेस ने जारी किया तीन लाइन का व्हिप

वहीं, भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी लोकसभा सांसदों के लिए ‘तीन लाइन व्हिप’ नोटिस जारी किया है। इसमें उनसे 13 व 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा के दौरान लोकसभा में मौजूद रहने को कहा है। भाजपा ने सभी सदस्यों से सदन में उपस्थित रहकर सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा है।

एनडीए के ये सांसद चर्चा में लेंगे हिस्‍सा

भारतीय जनता पार्टी की ओर से 12 सांसदों के संविधान पर चर्चा में भाग लेने की खबर सामने आ रही है। वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों में जेडीएस से एचडी कुमारस्वामी, शिवसेना से श्रीकांत शिंदे, एलजेपी से शांभवी चौधरी, आरएलडी से राजकुमार सांगवान, एचएएम से जीतन राम मांझी, अपना दल से अनुप्रिया पटेल और जेडीयू से राजीव रंजन सिंह चर्चा में हिस्‍सा ले सकते हैं।

विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद

कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों से 7 से 9 सांसद बहस में शामिल हो सकते हैं। इनमें कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा मनीष तिवारी और शशि थरूर हो सकते हैं। डीएमके की ओर से टीआर बालू और ए राजा, टीएमसी से कल्याण बनर्जी और मोहुआ मोइत्रा बहस में भाग ले सकती हैं।

संसद में पहले भी मिल चुकी है नोटों की गड्डी, कभी 1 करोड़ कैश लेकर सदन में पहुंचे थे तीन सांसद

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राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान ये गड्डी बरामद हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया। साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है।फिलहाल नोटों की गड्डी मिलने की जांच की मांग की जा रही है। संदन में पैसे से जुड़ा ये कोई पहला विवाद नहीं है। पहले भी इस पैसे जुड़े अलग-अलग मामले आते रहे हैं। कभी सांसदों पर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा तो कभी पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा। कभी खुद सांसदों ने ही सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं तो कभी पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का आरोप किसी विधायक पर लगा।

22 जुलाई 2008 का वो दिन जब एक करोड़ कैश लेकर पहुंचे तीन सांसद

राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। ऐसा ही एक वाक्या है 22 जुलाई 2008 का, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था। 2008 में अमेरिका के साथ मनमोहन सिंह की सरकार ने न्यूक्लियर डील किया। इस समझौते के खिलाफ सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव पर खूब बहस हुई, लेकिन जब बारी वोटिंग की आई तो बीजेपी के 3 सांसदों ने नोट लहरा दिए। यह नोट तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के टेबल पर लहराए गए।

बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें। ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई। बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा। सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसे विपक्ष की साजिश बताया।

संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने भी मामले की जांच की। भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई। 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी। केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला।

जब शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर लगे रिश्वत लेने के आरोप

इससे पहले 1991 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। चुनाव के करीब दो साल बाद जुलाई 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को अविश्वास मत का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 14 वोटों से गिर गया जब पक्ष में 251 वोट और विरोध में 265 वोट पड़े।

996 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सूरज मंडल ने एक खुलासा किया। मंडल के मुताबिक 1993 में पैसे बंटने की वजह से राव की सरकार बच पाई। मंडल का कहना था कि सरकार बचाने के लिए एक-एक सांसदों को 40 लाख रुपए दिए गए थे। शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अल्पमत में रही नरसिम्हा राव सरकार उनके समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव से बच गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए कुछ सांसदों को रिश्वत दी गई थी।आगे चलकर यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया, लेकिन केस में सभी आरोपी बरी हो गए

चीन के साथ कैसे सुधरे संबंध? एस जयशंकर ने लोकसभा में बताई कूटनीतिक कामयाबी की कहानी*
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भारत-चीन के संबंध में हाल के दिनों में बेहतर हुए हैं। गलवां घाटी झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। हालांकि, कई दौर के बातचीत के बाद संबंध पटरी पर लौटे हैं। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा हालात की जानकारी दी और बताया कि अब हालात बेहतर हैं।जयशंकर ने साफ किया कि पूर्वी लद्दाख के इलाकों में डिसइंगेजमेंट पूरी तरह पूरा हो चुका है। अब दोनों देश आगे तनाव न हो इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन एलएसी पर सीमा विवाद खत्म करने के लिए दशकों से बात कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमलोग आपसी सहमति से विवाद हल करने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने बताया कि मई-जून 2020 में चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की थी जिसके बाद भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग में दिक्कत आई थी। गलवां में हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच तनातनी काफी बढ़ गई थी। इसके बाद भारत ने भी एलएसी पर बड़ी संख्या में हथियार और सैनिकों की तैनाती की थी। जयशंकर ने आगे कहा कि यह सदन जानता है कि चीन ने 1962 के युद्ध और उससे पहले की घटनाओं में अक्साई चिन के 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया था। इसके अलावा पाकिस्तान ने 1963 में चीन को 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र अवैध रूप से सौंप दिया था। भारत और चीन ने सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दशकों से बातचीत की है। एस जयशंकर ने कहा, हम एक निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य सीमा समाधान के लिए बायलेट्रल बातचीत के माध्यम से चीन के साथ जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। *कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा- विदेश मंत्री* विदेश मंत्री ने आगे कहा कि, सीमा पर हालात सुधारने के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि, कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा और सहमति से ही सभी मसलों का समाधान किया जाएगा। चीन से बातचीत के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, सीमा पर हालात सामान्य होने के बाद ही चीन से बातचीत की गई है। *एलएसी पर बहाली के लिए सेना को श्रेय- विदेश मंत्री* विदेश मंत्री ने कहा कि, एलएसी पर बहाली का पूरा श्रेय सेना को जाता है। उन्होंने आगे कहा कि, कूटनीतिक पहल से सीमा पर हालात सामान्य हुए हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहमति बनी है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं किया जाएगा और साथ ही दोनों देशों के बीच पुराने समझौतों का पालन किया जाएगा। सीमा पर शांति के बिना भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं रह सकते। *विवादित जगह से हटीं दोनों देशों की सेनाएं* बता दें कि बीते 21 अक्तूबर को भारत और चीन की सेनाओं ने विवादित पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से अपने-अपने सामान समेटने शुरू किए थे और नवंबर महीने से पहले ही इसे पूरा कर लिया गया था। भारत और चीन के संबंध 2020 के जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के बाद काफी बिगड़ गए थे। यह झड़प दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष थी।
लोकसभा में सिटिंग प्लानःगडकरी के बैठने की जगह बदली, जानें अब बैठेंगी प्रियंका? ऐसा है नया सीटिंग अरेंजमेंट*
#lok_sabha_seating_plan
देश की सबसे बड़ी पंचायत में सीटों की व्यवस्था तय कर दी गई है। 18वीं लोकसभा में सीटों में बैठने के क्रम में थोड़ा बदलाव किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकसभा में सीट नंबर एक आवंटित की गई है, जबकि अगली पंक्ति के दूसरी तरफ उनके सामने वाली सीट विपक्ष के नेता राहुल गांधी के लिए निर्धारित की गई है। लोकसभा सचिवालय की ओर जारी लेटर के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पहले दूसरे कॉलम में डिवीजन नंबर 58 आवंटित किया गया था, लेकिन अब उन्हें गृह मंत्री अमित शाह के बगल वाली सीट संख्या चार दी गई है। वहीं पहली बार लोकसभा पहुंचीं प्रियंका गांधी की सीट भी निर्धारित कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें पार्टियों से मिले इनपुट के आधार पर लोकसभा स्पीकर ने सीटों का आवंटन किया हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के पास ट्रेजरी बेंच में पहली तीन सीटें होंगी। पीएम मोदी की सीट नंबर 1 है। पीएम के बाद पहली पंक्ति में राजनाथ सिंह, अमित शाह बैठेंगे। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अगली पंक्ति में सीटें आवंटित की गई हैं। भारी उद्योग मंत्री और जनता दल (सेक्युलर) नेता एचडी कुमारस्वामी, मत्स्य पालन मंत्री और जदयू के नेता राजीव रंजन सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता राममोहन नायडू, एमएसएमई मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी को एनडीए के कोटे से अग्रिम पंक्ति की सीटें मिली है। हाल ही में वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतने वाली कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को सीट नंबर 517 आवंटित की गई है, जो चौथी लाइन में है। विपक्ष की ओर से पहली कतार में पहली सीट पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी बैठेंगे। उनकी सीट का नंबर 498 है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव विपक्षी दीर्घा की आगे की पंक्ति में सीट संख्या 355 पर बैठेंगे।अखिलेश यादव तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता सुदीप बंदोपाध्याय के बगल में बैठेंगे। टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी, कल्याण बनर्जी और सौगत रॉय को दूसरी पंक्ति में क्रमशः 280, 281 और 284 नंबर की सीटें आवंटित की गई हैं। द्रमुक नेता टी आर बालू और ए राजा को भी आगे की पंक्ति में सीटें आवंटित की गई हैं।