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बीजेपी ने जारी की प्रत्याशियों की एक और लिस्ट, अभिषेक बनर्जी के खिलाफ अभिजीत दास को उतारा, बृजभूषण की सीट पर सस्पेंस*
#bjp_candidates_list_for_lok_sabha_elction * भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव को लेकर आज एक और नई लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में बीजेपी ने यूपी, महाराष्ट्र समेत 2 अन्य राज्यों के उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। बीजेपी की ये 12वीं लिस्ट है।बीजेपी की इस लिस्ट में 7 उम्मीदवारों का नाम है।इसमें महाराष्ट्र की एक लोकसभा सीट के अलावा पंजाब की तीन, उत्तर प्रदेश की दो और पश्चिम बंगाल की एक सीट पर उम्मीदवार उतारा है।बड़ी बात यह है कि यूपी की जिन दो सीटों पर उम्मीदवारों का एलान किया गया है, उनमें देवरिया और फिरोजाबाद शामिल हैं। प्रदेश में बृजभूषण शरण सिंह की सीट कैसरगंज पर पार्टी ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है।वहीं, पश्चिम बंगाल की हाई प्रोफाइल सीट डायमंड हार्बर से अभिजीत दास को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी की सूची के मुताबिक, महाराष्ट्र की सतारा लोकसभा सीट से छत्रपति उदयनराजे भोंसले, पंजाब में खडूर साहिब से मंजीत सिंह मन्ना मियाविंड, होशियारपुर (अजा) से अनिता सोम प्रकाश और बठिंडा से परमपाल कौर सिद्ध (पूर्व आईएएस) को टिकट दिया गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की देवरिया सीट से शशांक मणि त्रिपाठी और फिरोजाबाद सीट से ठाकुर विश्वदीप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया है। इसके साथ पश्चिम बंगाल की डायमंड हार्बर लोकसभा सीट से भाजपा ने अभिजीत दास (बॉबी) को टिकट दिया है। यहां उनका मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और मौजूदा सांसद अभिषेक बनर्जी से होगा। देवरिया में पार्टी ने मौजूदा सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काट दिया है। उनकी जगह शशांक मणि त्रिपाठी को चुनावी मैदान में उतारा गया है। शशांक के पिता प्रकाश मणि त्रिपाठी सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद लोकसभा सीट से मौजूदा चंद्र सेन जादौन का टिकट भी काट दिया गया है। उनकी जगह पार्टी ने क्षत्रीय चेहरे ठाकुर विश्वदीप सिंह पर दांव लगाया है। यूपी की जिन 75 सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ रही है, उनमें से सिर्फ रायबरेली और कैसरगंज सीट पर प्रत्याशी घोषित होना बाकी है। कहा जा रहा है कि रायबरेली में कांग्रेस उम्मीदवार के एलान के बाद भाजपा अपने पत्ते खोलेगी। वहीं, कैसरगंज में मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है।महिला पहलवानों ने उनपर यौन शोषण का आरोप लगाया है। ये एक ऐसा मुद्दा रहा है जिसके कारण बीजेपी बैकफुट पर रही।

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Apr 15 2024, 16:33

लखनऊ लोकसभा सीटः 1991 से ही लगातार बीजेपी का है कब्जे, क्या इस बार भी जलवा रहेगा बरकरार?

#lucknowloksabhathehistoryofthis_seat 

गोमती नदी के किनारे बसा नगर

नवाबों के शहर के नाम से मशहूर

1991 से इस सीट पर बीजेपी का है कब्जा

वाजपेयी इस सीट से आठ बार लड़ चुके हैं चुनाव

लगातार पांच बार इस सीट से रहे सांसद

क्या इस बार भी जलवा रहेगा बरकरार

या बहेगी बदलाव की बयार

उत्तर प्रदेश, देश का एक ऐसा राज्य जो राजनीति की दृष्टि से सबसे अहम माना जाता है।राजनीति में कहावत है कि दिल्ली का रास्ता उत्त्तर प्रदेश से होकर जाता है। ऐसे में गोमती नदी के किनारे पर बसे लखनऊ लोकसबा सीट पर भी सबकी नजर है। लखनऊ संसदीय क्षेत्र यूपी की हॉट सीट में शुमार हैं। लोकसभा चुनाव में राजधानी में कांग्रेस और भाजपा का वर्चस्व रहा है। इस वर्चस्व के बावजूद लखनऊ की संसदीय सीट पर वर्ष 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत का डंका बजा। उस समय आनंद नारायण मुल्ला ने कांग्रेस के वीआर मोहन को आसानी से मात दी थी। 

कांग्रेस का गढ़, बीजेपी के सबसे मजबूत किले में तब्दील हो गया

1991 से पहले तक लखनऊ की सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। 1951 से 1989 तक कांग्रेस ने अलग-अलग चुनावों में इस सीट पर अपना परचम लहराया।1951 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय लक्ष्मी पंडित ने जीत दर्ज की थी। 1951 से 1971 तक कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा। 1977 में भारतीय लोकदल से हेमवती नंदन बहुगुणा ने जीत दर्ज की। इसके बाद लगातार दो बार फिर कांग्रेस ने इस सीट को कब्जाया।1989 में ये सीट जनता दल की झोली में गई। लेकिन पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के इस सीट पर चुनावी मैदान में उतरने के बाद लखनऊ का संसदीय क्षेत्र बीजेपी के सबसे मजबूत किले के रूप में तब्दील हो गया। 1991 से 2009 तक इस सीट पर पूर्व पीएम और बीजेपी के संस्थापक सदस्य अटल बिहारी वाजपेयी सांसद रहे। इसके बाद 2009 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी की चिट्ठी के सहारे बीजेपी नेता लालजी टंडन इस सीट पर सांसद बने।

वाजपेयी लगातार तीन बार हारे

लखनऊ लोकसभा सीट 1991 से ही लगातार बीजेपी के कब्जे में है। पहले इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव लड़ते थे। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई आठ बार चुनाव लड़ चुके हैं। पहली बार उन्होंने 1955 में उपचुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे। फिर वह 1957 और 1962 में दूसरे स्थान पर रहे। इन 3 हार के बाद, उन्होंने 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार पांच बार सीट जीती। 2009 में इस सीट पर लालजी टंडन ने लोकसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद से 2014 और 2019 में राजनाथ सिंह ने इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बनाए रखा। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यहां से वर्तमान में सांसद हैं।

2014 और 2019 में रिकार्ड मतों से जीते राजनाथ सिंह

लखनऊ सीट से सांसद राजनाथ सिंह इस सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं।बीजेपी सांसद और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन की प्रत्याशी पूनम सिन्हा को 3 लाख 47 हजार 302 वोटों से शिकस्त दी थी। उन्होंने इस जीत के साथ ही 2014 में बनाए अपने रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को 2 लाख 72 हजार 749 वोटों से हराया था। लखनऊ लोकसभा सीट पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को भी इतने ज्यादा वोटों से जीत हासिल नहीं हो सकी थी।

जानिए कब कौन जीता

1951- विजय लक्ष्मी पंडित- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1957- पुलिन बिहारी बनर्जी- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1962- बीके धवन- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1967- आनंद नारायण मुल्ला- निर्दलीय

1971- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1977- हेमवती नंदन बहुगुणा- भारतीय लोकदल

1980- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1984- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1989- मांधाता सिंह- जनता दल

1991- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1996- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1998- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1999- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

2004- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

2009- लालजी टंडन- भाजपा

2014- राजनाथ सिंह- भाजपा

2019- राजनाथ सिंह- भाजपा

WestBengalBangla

Apr 14 2024, 09:24

Today match KKR vs Lucknow Super Giants in kolkata
Sports News
IPL- 2024.
*Khabar kolkata:* Sanjeev Goenka is the owner of Lucknow Super Giants. And his another team in football is Mohun Bagan Super Giants. So Lokesh Rahul, Quinton de Kock will leave the familiar blue jersey and wear green and maroon on today in Eden to get the support of this city. The same happened last year. However, this time the match will be in another sector. Lucknow's mentor was Gautam Gambhir for the first two years. He returned to KKR after a long time. Falling into the hands of the 'boy of the house', the team's vol has changed. Kolkata will be waiting to see if Gambhir can win the Knights against the old team.However, there is no doubt that there will be a slight pull towards Lucknow wearing the green-maroon jersey.

Pic Courtesy by: BCCI.

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Apr 10 2024, 15:36

लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की 10वीं लिस्ट जारी, इस बार कट गए इन सांसदों के टिकट

#bjpreleasesits10thlistofcandidatesforloksabhaelections 

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव-2024 के लिए प्रत्‍याशियों की 10वीं लिस्‍ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। उनमें यूपी के सात हैं। बाकी दो उम्मीदवारों में एक पश्चिम बंगाल के आसनसोल से और एक चंडीगढ़ से हैं। वहीं बीजेपी की इस सूची में कई मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया गया है।

दिलचस्‍प बात यह है कि भाजपा ने आसनसोल सीट पर नया उम्‍मीदवार दिया है। पहले इस सीट से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को टिकट दिया गया था, लेकिन उन्‍होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। अब उनकी जगह एसएस अहलूवालिया को टिकट दिया गया है।पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी थीं। भाजपा ने पहले यहां से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को अपना उम्‍मीदवार बनाने की घोषणा की थी।टिकट मिलने के 24 घंटे के अंदर ही पवन सिंह ने चुनावी मैदान से कदम पीछे खींच लिए थे। जिसके बाद बीजेपी ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया को उम्मीदवार बनाया है। यहां अहलूवालिया का मुकाबला टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से होगा। 

डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह पर खेला दांव

सूची में सात उम्मीदवार उत्तर प्रदेश के हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह भाजपा उम्मीदवार होंगे। इसके अलावा बलिया से पार्टी ने नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया है। शेखर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे हैं और फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। यहां से मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट दिया गया है।

प्रयागराज की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदला

प्रयागराज जिले की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए गए हैं। मौजूदा सांसद रीता बहुगुणा जोशी और केसरी देवी पटेल को टिकट नहीं दिया गया है। इलाहाबाद सीट से नीरज त्रिपाठी को मौका दिया गया है। नीरज भाजपा के दिग्गज नेता रहे केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे हैं। केशरी नाथ पूर्व राज्यपाल और यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे। जिले की फूलपुर लोकसभा सीट से प्रवीण पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रवीण अभी फूलपुर से विधायक हैं।कौशांबी लोकसभा सीट से पार्टी ने एक बार फिर विनोद सोनकर को टिकट दिया गया है। सोनकर यहां से मौजूदा सांसद हैं। इसके अलावा मछलीशहर से मौजूदा सांसद बीपी सरोज को उतारा गया है। वहीं, गाजीपुर सीट से पारस नाथ राय को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है।

किरण खेर का टिकट कटा

वहीं, चंडीगढ़ से इस बार किरण खेर का टिकट कट गया है। पार्टी ने चंडीगढ़ से किरण खेर की जगह संजय टंडन को मौका दिया है।

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Apr 10 2024, 15:15

लोकसभा चुनाव 2024: फैजाबाद में रामजी कराएंगे “बेड़ा पार” या पिछड़ा वर्ग तय करेगा चुनावी नतीजा ?*
#loksabha_election_faizabad_parliament_constituency * *फैजाबाद में किसे मिलेगी श्रीराम का आशीर्वाद?* *रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तय करेगी नतीजा?* *या, जातीय समीकरण साधने से होगा बेड़ा पार* *हिंदू वोटरों में सबसे ज्यादा 7.20 लाख ओबीसी वोटर* *पिछड़ी जाति तय करेंगे सीट का नतीजा* *मंदिर और विकास है अहम मुद्दा* राम मंदिर के मुद्दे ने देश को नई सियासी तासीर दी है। यह देश की राजनीति के लिए बड़ा मुद्दा है। इस बार के आम चुनाव पर अयोध्‍या के नव निर्मित और भव्य राम मंदिर का काफी असर देखने को मिल सकता है। ऐसे में फैजाबाद लोकसभा सीट इस चुनावी रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका में रहने वाला है। इस मुद्दे के साथ ही अयोध्या के विकास का मुद्दा और यहां के जातीय समीकरण भी सियासत की दिशा तय करते रहे हैं। यही वजह है कि राम मंदिर की लहर के बाद भी यहां सपा और बसपा जीतने में सफल रही हैं। यूं तो यहां कम्युनिस्ट पार्टी भी खाता खोल चुकी है लेकिन सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस ने ही जीत दर्ज है। उसके बाद भाजपा यहां से पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी घमासान में भगवान राम किस पार्टी पर अपना आशीर्वाद बरसाएंगे? *मंदिर और विकास अहम मुद्दा* बात फैजाबाद सीट के चुनावी मुद्दों की करें तो यहां पर राम मंदिर के साथ ही अयोध्या और आसपास का विकास अहम मुद्दा रहा है। वर्षों से इस पर राजनीति तो होती रही और सरकारें बनती-बिगड़ती रहीं लेकिन अयोध्या नहीं बदली। इस विकास के नाम पर भी राजनीति हुई लेकिन बदलाव नहीं हुआ। अब राम मंदिर बनने के बाद यह एक बार फिर से बड़ा मुद्दा है। मंदिर के साथ ही सरकार ने जो और योजनाएं शुरू की हैं, उससे लोगों को उम्मीद जागी है। अयोध्या और आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम किए जा रहे हैं। हवाई अड्डा शुरू हो चुका है। नई अयोध्या बस रही है। कई बड़े हाउसिंग प्रॉजेक्ट और होटलों का निर्माण के लिए सैकड़ों प्रस्ताव आए हैं। घाटों की मरम्मत और उसका सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। *जीत के लिए जातीय समीकरण बहुत अहम* मंदिर और विकास के साथ ही यहां जीत के लिए जातीय समीकरण बहुत अहम हैं। यहां करीब 1.50 लाख मुस्लिम वोटर हैं। हिंदू वोटरों में सबसे ज्यादा 7.20 लाख ओबीसी वोटर हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा यादव हैं। उसके बाद फिर कुर्मी, पाल सहित कई जातियां हैं। एससी वोटरों की संख्या 4.70 लाख है तो सामान्य वोटर भी कम नहीं हैं। इनकी संख्या 5.65 लाख है। ऐसे में ओबीसी वोटरों की संख्या ज्यादा होने के कारण उन पर सभी दलों की खास निगाह रहती है। फैजाबाद सीट में पांच विधान सभाएं हैं। इनमें से अयोध्या, रुदौली, मिल्कीपुर और बीकापुर फैजाबाद जिले में आती हैं। वहीं दरियाबाद बाराबंकी जिले में है। ऐसे में भौगोलिक दृष्टि से प्रत्याशियों के सामने वोटरों को साधने की चुनौती भी रहती है।

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Apr 09 2024, 18:43

मिशन 2024 के लिए बीजेपी का मास्टर प्लान, विदेशी निभाएंगे अहम भूमिका

#bjpplanstomakeloksabhaelection2024_international

मदर ऑफ डेमोक्रेसी यानी भारत में लोकतंत्र के महापर्व का आगाज हो चुका है। लोकसभा चुनाव को लेकर पूरे देश में हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनावी प्रचार प्रसार में जुटी हैं। 19 अप्रैल से शुरू होने वाली वोटिंग को इस बार देश की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने वाली बनाने की प्लानिंग कर रही है। इसके लिए इस बार लोकसभा चुनावों में बीजेपी कई देशों की राजनीतिक पार्टियों को भारत बुलाकर यहां कैसे चुनाव होता है और किस तरह से बीजेपी प्रचार अभियान चलाती है, उसको दिखाने का प्लान कर रही है।इसको लेकर बीजेपी विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाला ने कई देशों के राजनीतिक दलों से संपर्क किया है और उनको भारत आने का निमंत्रण दिया है।

इन देशों को किया आमंत्रित

लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने बड़ी पहल की है। दुनिया के कई देशों को भारतीय लोकतंत्र के उत्सव साक्षी बनाएगी बीजेपी। बीजेपी ने अमेरिका ,ब्रिटेन, यूरोपियन देशों और नेपाल समेत इन देशों की करीब दो दर्जन पार्टियों को भारत आकर लोकसभा चुनाव देखने के लिए आमंत्रित किया है। ब्रिटेन की कंजरवेटिव और लेबर पार्टी, जर्मनी की क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स और द सोशल डेमोक्रेट्स और अमेरिका की डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन जैसी सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों को भारत के लोकतंत्र का उत्सव देखने के लिए आमंत्रित किया गया है। पड़ोसी देश नेपाल की सत्ता में शामिल पांचों दलों को बुलावा भेजा गया है।

अब तक 13 विदेशी राजनीतिक दलों न स्वीकार किया न्योता

फिलहाल इजरायल, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपालमॉरीशस, तंजानिया और युगांडा के कुछ दलों की तरफ से शामिल होने का कन्फर्मेशन भी मिल चुका है। बीजेपी के विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाला ने बताया की भारत में किस तरह से चुनाव होता है उसको जानने के लिए विदेशों की कई पार्टियां इच्छुक हैं। इसलिए हम पहली बार कई विदेशी पार्टियों को भारत में कैसे चुनाव होता है वो दिखाने का काम करेंगे. बीजेपी किस तरह से प्रचार करती है उसको दिखाएंगे। अब तक 13 राजनीतिक दलों की तरफ से हमको कन्फर्मेशन आया है। पक्ष और विपक्ष दोनों दल शामिल हैं। इन सभी लोगों को पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा की रैलियां में ले जाया जाएगा।

तीसरे और चौथे चरण के दौरान दिखेंगे विदेशी मेहमान

विजय चौथाईवाला ने बताया की इन पार्टियों को तीसरे और चौथे चरण के मतदान के समय इस डेलीगेशन को भारत में ले जाया जाएगा। इस डेलीगेशन को 3-4 लोकसभाओं में घुमाया जायेगा और अपना कैंपेन दिखाया जायेगा। इस दौरान प्रधानमंत्री, अध्यक्ष और गृहमंत्री की रैलियों में ले जाया जाएगा।

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Apr 09 2024, 16:15

*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।

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Apr 09 2024, 16:15

*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।

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Apr 08 2024, 16:28

अनंतनाग-राजौरी सीट पर दिलचस्प हुआ मुकाबला, महबूबा मुफ्ती और गुलाम नबी के बीच होगी टक्कर

#ghulamnabiazadvsmehboobamuftianantnagrajourilok_sabha

लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट हॉट सीट बन गई है। अनंतनाग-राजौरी सीट पर इस बार चुनावी मुकाबला काफी रोचक हो गया है। इस सीट पर दो पूर्व मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में हैं। एक ओर गुलाम नबी आजाद हैं तो दूसरी ओर महबूबा मुफ्ती। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ्ती इस सीट पर पार्टी की उम्मीदवार होंगी जिनका मुकाबला पूर्व सीएम और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद से होगा।

लोकसभा चुनाव के लिए पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर की तीन सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। जिसके अनुसार पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी। जिनका मुकाबला गुलाम नबी आजाद से होंगे वाला है। वहीं वहीद पारा श्रीनगर लोकसभा तो फैयाज मीर बारामुला सीट से मैदान में होंगे। वहीद पारा पार्टी के यूथ विंग के अध्यक्ष हैं। वहीं मीर फैयाज पूर्व राज्यसभा के सदस्य हैं।

मुफ्ती ने 2004 और 2014 का चुनाव जीता

अनंतनाग सीट की बात करें तो यह हाई प्रोफाइल सीट रही है। यहां से महबूबा मुफ्ती ने 2004 और 2014 के चुनाव में इसी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। 4 जुलाई 2016 को उनके इस्तीफे से यह सीट खाली हो गई। इस्तीफे के करीब तीन साल तक यहां उपचुनाव नहीं हो पाया।

आजाद के लिए बहुत अहम है जीत

गुलाम नबी आजाद ने करीब दो साल पहले कांग्रेस का साथ छोड़ अपनी अलग डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी का गठन किया था। जम्मू-कश्मीर में यह उनका दूसरा लोकसभा चुनाव होगा जिसमें वह उम्मीदवार हैं। पिछला चुनाव उन्होंने 2014 में कांग्रेस के टिकट पर उधमपुर-कठुआ सीट से लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर गुलाम नबी आजाद को राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रखनी है तो यह चुनाव जीतना उनके लिए बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव में हार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को कमजोर करेगी। गुलाम नबी आजाद का एक कमजोर बिंदु यह है कि उनके साथ में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। उनकी पार्टी केवल 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के राज में लगभग 20 साल केंद्रीय मंत्री रहे आजाद के लिए यह लोकसभा चुनाव या तो खेवनहार साबित होगा या उनकी राजनीतिक नैया डुबो देगा।

अनंतनाग राजोरी सीट पर 7 मई को होगा मतदान

अनंतनाग-राजोरी सीट पर तीसरे चरण में सात मई (मंगलवार) को मतदान होगा। इस सीट के लिए अधिसूचना 12 अप्रैल को जारी होगी। मई 2022 में परिसीमन के बाद अनंतनाग सीट में जम्मू संभाग के पीर पंजाल के राजोरी के क्षेत्रों को जोड़ा गया है। जोड़ा गया इलाका हिंदू और पहाड़ी समुदाय की आबादी वाला है। कभी मुस्लिम बहुल इस सीट पर कांग्रेस हैट्रिक लगा चुकी है। नेकां व पीडीपी भी यहां से कई बार जीत का स्वाद चख चुकी है। भाजपा इस सीट से कश्मीर में विजय का परचम लहराने के लिए मैदान में उतरेगी। भाजपा ने पहाड़ियों को जनजातीय का दर्जा और आरक्षण देकर यहां पर अपना दांव खेला है।

Janardhanreddy32

Apr 08 2024, 14:49

ఆధారాలు ఉన్నా అవినాష్‌ను జగన్‌ కాపాడుతున్నారు: వైఎస్‌ షర్మిల

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2 hours and 5 min ago

बीजेपी ने जारी की प्रत्याशियों की एक और लिस्ट, अभिषेक बनर्जी के खिलाफ अभिजीत दास को उतारा, बृजभूषण की सीट पर सस्पेंस*
#bjp_candidates_list_for_lok_sabha_elction * भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव को लेकर आज एक और नई लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में बीजेपी ने यूपी, महाराष्ट्र समेत 2 अन्य राज्यों के उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। बीजेपी की ये 12वीं लिस्ट है।बीजेपी की इस लिस्ट में 7 उम्मीदवारों का नाम है।इसमें महाराष्ट्र की एक लोकसभा सीट के अलावा पंजाब की तीन, उत्तर प्रदेश की दो और पश्चिम बंगाल की एक सीट पर उम्मीदवार उतारा है।बड़ी बात यह है कि यूपी की जिन दो सीटों पर उम्मीदवारों का एलान किया गया है, उनमें देवरिया और फिरोजाबाद शामिल हैं। प्रदेश में बृजभूषण शरण सिंह की सीट कैसरगंज पर पार्टी ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है।वहीं, पश्चिम बंगाल की हाई प्रोफाइल सीट डायमंड हार्बर से अभिजीत दास को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी की सूची के मुताबिक, महाराष्ट्र की सतारा लोकसभा सीट से छत्रपति उदयनराजे भोंसले, पंजाब में खडूर साहिब से मंजीत सिंह मन्ना मियाविंड, होशियारपुर (अजा) से अनिता सोम प्रकाश और बठिंडा से परमपाल कौर सिद्ध (पूर्व आईएएस) को टिकट दिया गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की देवरिया सीट से शशांक मणि त्रिपाठी और फिरोजाबाद सीट से ठाकुर विश्वदीप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया है। इसके साथ पश्चिम बंगाल की डायमंड हार्बर लोकसभा सीट से भाजपा ने अभिजीत दास (बॉबी) को टिकट दिया है। यहां उनका मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और मौजूदा सांसद अभिषेक बनर्जी से होगा। देवरिया में पार्टी ने मौजूदा सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काट दिया है। उनकी जगह शशांक मणि त्रिपाठी को चुनावी मैदान में उतारा गया है। शशांक के पिता प्रकाश मणि त्रिपाठी सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद लोकसभा सीट से मौजूदा चंद्र सेन जादौन का टिकट भी काट दिया गया है। उनकी जगह पार्टी ने क्षत्रीय चेहरे ठाकुर विश्वदीप सिंह पर दांव लगाया है। यूपी की जिन 75 सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ रही है, उनमें से सिर्फ रायबरेली और कैसरगंज सीट पर प्रत्याशी घोषित होना बाकी है। कहा जा रहा है कि रायबरेली में कांग्रेस उम्मीदवार के एलान के बाद भाजपा अपने पत्ते खोलेगी। वहीं, कैसरगंज में मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है।महिला पहलवानों ने उनपर यौन शोषण का आरोप लगाया है। ये एक ऐसा मुद्दा रहा है जिसके कारण बीजेपी बैकफुट पर रही।

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Apr 15 2024, 16:33

लखनऊ लोकसभा सीटः 1991 से ही लगातार बीजेपी का है कब्जे, क्या इस बार भी जलवा रहेगा बरकरार?

#lucknowloksabhathehistoryofthis_seat 

गोमती नदी के किनारे बसा नगर

नवाबों के शहर के नाम से मशहूर

1991 से इस सीट पर बीजेपी का है कब्जा

वाजपेयी इस सीट से आठ बार लड़ चुके हैं चुनाव

लगातार पांच बार इस सीट से रहे सांसद

क्या इस बार भी जलवा रहेगा बरकरार

या बहेगी बदलाव की बयार

उत्तर प्रदेश, देश का एक ऐसा राज्य जो राजनीति की दृष्टि से सबसे अहम माना जाता है।राजनीति में कहावत है कि दिल्ली का रास्ता उत्त्तर प्रदेश से होकर जाता है। ऐसे में गोमती नदी के किनारे पर बसे लखनऊ लोकसबा सीट पर भी सबकी नजर है। लखनऊ संसदीय क्षेत्र यूपी की हॉट सीट में शुमार हैं। लोकसभा चुनाव में राजधानी में कांग्रेस और भाजपा का वर्चस्व रहा है। इस वर्चस्व के बावजूद लखनऊ की संसदीय सीट पर वर्ष 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत का डंका बजा। उस समय आनंद नारायण मुल्ला ने कांग्रेस के वीआर मोहन को आसानी से मात दी थी। 

कांग्रेस का गढ़, बीजेपी के सबसे मजबूत किले में तब्दील हो गया

1991 से पहले तक लखनऊ की सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। 1951 से 1989 तक कांग्रेस ने अलग-अलग चुनावों में इस सीट पर अपना परचम लहराया।1951 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय लक्ष्मी पंडित ने जीत दर्ज की थी। 1951 से 1971 तक कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा। 1977 में भारतीय लोकदल से हेमवती नंदन बहुगुणा ने जीत दर्ज की। इसके बाद लगातार दो बार फिर कांग्रेस ने इस सीट को कब्जाया।1989 में ये सीट जनता दल की झोली में गई। लेकिन पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के इस सीट पर चुनावी मैदान में उतरने के बाद लखनऊ का संसदीय क्षेत्र बीजेपी के सबसे मजबूत किले के रूप में तब्दील हो गया। 1991 से 2009 तक इस सीट पर पूर्व पीएम और बीजेपी के संस्थापक सदस्य अटल बिहारी वाजपेयी सांसद रहे। इसके बाद 2009 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी की चिट्ठी के सहारे बीजेपी नेता लालजी टंडन इस सीट पर सांसद बने।

वाजपेयी लगातार तीन बार हारे

लखनऊ लोकसभा सीट 1991 से ही लगातार बीजेपी के कब्जे में है। पहले इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव लड़ते थे। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई आठ बार चुनाव लड़ चुके हैं। पहली बार उन्होंने 1955 में उपचुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे। फिर वह 1957 और 1962 में दूसरे स्थान पर रहे। इन 3 हार के बाद, उन्होंने 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार पांच बार सीट जीती। 2009 में इस सीट पर लालजी टंडन ने लोकसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद से 2014 और 2019 में राजनाथ सिंह ने इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बनाए रखा। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यहां से वर्तमान में सांसद हैं।

2014 और 2019 में रिकार्ड मतों से जीते राजनाथ सिंह

लखनऊ सीट से सांसद राजनाथ सिंह इस सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं।बीजेपी सांसद और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन की प्रत्याशी पूनम सिन्हा को 3 लाख 47 हजार 302 वोटों से शिकस्त दी थी। उन्होंने इस जीत के साथ ही 2014 में बनाए अपने रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को 2 लाख 72 हजार 749 वोटों से हराया था। लखनऊ लोकसभा सीट पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को भी इतने ज्यादा वोटों से जीत हासिल नहीं हो सकी थी।

जानिए कब कौन जीता

1951- विजय लक्ष्मी पंडित- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1957- पुलिन बिहारी बनर्जी- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1962- बीके धवन- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1967- आनंद नारायण मुल्ला- निर्दलीय

1971- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1977- हेमवती नंदन बहुगुणा- भारतीय लोकदल

1980- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1984- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1989- मांधाता सिंह- जनता दल

1991- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1996- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1998- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1999- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

2004- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

2009- लालजी टंडन- भाजपा

2014- राजनाथ सिंह- भाजपा

2019- राजनाथ सिंह- भाजपा

WestBengalBangla

Apr 14 2024, 09:24

Today match KKR vs Lucknow Super Giants in kolkata
Sports News
IPL- 2024.
*Khabar kolkata:* Sanjeev Goenka is the owner of Lucknow Super Giants. And his another team in football is Mohun Bagan Super Giants. So Lokesh Rahul, Quinton de Kock will leave the familiar blue jersey and wear green and maroon on today in Eden to get the support of this city. The same happened last year. However, this time the match will be in another sector. Lucknow's mentor was Gautam Gambhir for the first two years. He returned to KKR after a long time. Falling into the hands of the 'boy of the house', the team's vol has changed. Kolkata will be waiting to see if Gambhir can win the Knights against the old team.However, there is no doubt that there will be a slight pull towards Lucknow wearing the green-maroon jersey.

Pic Courtesy by: BCCI.

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Apr 10 2024, 15:36

लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की 10वीं लिस्ट जारी, इस बार कट गए इन सांसदों के टिकट

#bjpreleasesits10thlistofcandidatesforloksabhaelections 

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव-2024 के लिए प्रत्‍याशियों की 10वीं लिस्‍ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। उनमें यूपी के सात हैं। बाकी दो उम्मीदवारों में एक पश्चिम बंगाल के आसनसोल से और एक चंडीगढ़ से हैं। वहीं बीजेपी की इस सूची में कई मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया गया है।

दिलचस्‍प बात यह है कि भाजपा ने आसनसोल सीट पर नया उम्‍मीदवार दिया है। पहले इस सीट से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को टिकट दिया गया था, लेकिन उन्‍होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। अब उनकी जगह एसएस अहलूवालिया को टिकट दिया गया है।पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी थीं। भाजपा ने पहले यहां से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को अपना उम्‍मीदवार बनाने की घोषणा की थी।टिकट मिलने के 24 घंटे के अंदर ही पवन सिंह ने चुनावी मैदान से कदम पीछे खींच लिए थे। जिसके बाद बीजेपी ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया को उम्मीदवार बनाया है। यहां अहलूवालिया का मुकाबला टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से होगा। 

डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह पर खेला दांव

सूची में सात उम्मीदवार उत्तर प्रदेश के हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह भाजपा उम्मीदवार होंगे। इसके अलावा बलिया से पार्टी ने नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया है। शेखर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे हैं और फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। यहां से मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट दिया गया है।

प्रयागराज की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदला

प्रयागराज जिले की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए गए हैं। मौजूदा सांसद रीता बहुगुणा जोशी और केसरी देवी पटेल को टिकट नहीं दिया गया है। इलाहाबाद सीट से नीरज त्रिपाठी को मौका दिया गया है। नीरज भाजपा के दिग्गज नेता रहे केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे हैं। केशरी नाथ पूर्व राज्यपाल और यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे। जिले की फूलपुर लोकसभा सीट से प्रवीण पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रवीण अभी फूलपुर से विधायक हैं।कौशांबी लोकसभा सीट से पार्टी ने एक बार फिर विनोद सोनकर को टिकट दिया गया है। सोनकर यहां से मौजूदा सांसद हैं। इसके अलावा मछलीशहर से मौजूदा सांसद बीपी सरोज को उतारा गया है। वहीं, गाजीपुर सीट से पारस नाथ राय को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है।

किरण खेर का टिकट कटा

वहीं, चंडीगढ़ से इस बार किरण खेर का टिकट कट गया है। पार्टी ने चंडीगढ़ से किरण खेर की जगह संजय टंडन को मौका दिया है।

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Apr 10 2024, 15:15

लोकसभा चुनाव 2024: फैजाबाद में रामजी कराएंगे “बेड़ा पार” या पिछड़ा वर्ग तय करेगा चुनावी नतीजा ?*
#loksabha_election_faizabad_parliament_constituency * *फैजाबाद में किसे मिलेगी श्रीराम का आशीर्वाद?* *रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तय करेगी नतीजा?* *या, जातीय समीकरण साधने से होगा बेड़ा पार* *हिंदू वोटरों में सबसे ज्यादा 7.20 लाख ओबीसी वोटर* *पिछड़ी जाति तय करेंगे सीट का नतीजा* *मंदिर और विकास है अहम मुद्दा* राम मंदिर के मुद्दे ने देश को नई सियासी तासीर दी है। यह देश की राजनीति के लिए बड़ा मुद्दा है। इस बार के आम चुनाव पर अयोध्‍या के नव निर्मित और भव्य राम मंदिर का काफी असर देखने को मिल सकता है। ऐसे में फैजाबाद लोकसभा सीट इस चुनावी रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका में रहने वाला है। इस मुद्दे के साथ ही अयोध्या के विकास का मुद्दा और यहां के जातीय समीकरण भी सियासत की दिशा तय करते रहे हैं। यही वजह है कि राम मंदिर की लहर के बाद भी यहां सपा और बसपा जीतने में सफल रही हैं। यूं तो यहां कम्युनिस्ट पार्टी भी खाता खोल चुकी है लेकिन सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस ने ही जीत दर्ज है। उसके बाद भाजपा यहां से पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी घमासान में भगवान राम किस पार्टी पर अपना आशीर्वाद बरसाएंगे? *मंदिर और विकास अहम मुद्दा* बात फैजाबाद सीट के चुनावी मुद्दों की करें तो यहां पर राम मंदिर के साथ ही अयोध्या और आसपास का विकास अहम मुद्दा रहा है। वर्षों से इस पर राजनीति तो होती रही और सरकारें बनती-बिगड़ती रहीं लेकिन अयोध्या नहीं बदली। इस विकास के नाम पर भी राजनीति हुई लेकिन बदलाव नहीं हुआ। अब राम मंदिर बनने के बाद यह एक बार फिर से बड़ा मुद्दा है। मंदिर के साथ ही सरकार ने जो और योजनाएं शुरू की हैं, उससे लोगों को उम्मीद जागी है। अयोध्या और आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम किए जा रहे हैं। हवाई अड्डा शुरू हो चुका है। नई अयोध्या बस रही है। कई बड़े हाउसिंग प्रॉजेक्ट और होटलों का निर्माण के लिए सैकड़ों प्रस्ताव आए हैं। घाटों की मरम्मत और उसका सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। *जीत के लिए जातीय समीकरण बहुत अहम* मंदिर और विकास के साथ ही यहां जीत के लिए जातीय समीकरण बहुत अहम हैं। यहां करीब 1.50 लाख मुस्लिम वोटर हैं। हिंदू वोटरों में सबसे ज्यादा 7.20 लाख ओबीसी वोटर हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा यादव हैं। उसके बाद फिर कुर्मी, पाल सहित कई जातियां हैं। एससी वोटरों की संख्या 4.70 लाख है तो सामान्य वोटर भी कम नहीं हैं। इनकी संख्या 5.65 लाख है। ऐसे में ओबीसी वोटरों की संख्या ज्यादा होने के कारण उन पर सभी दलों की खास निगाह रहती है। फैजाबाद सीट में पांच विधान सभाएं हैं। इनमें से अयोध्या, रुदौली, मिल्कीपुर और बीकापुर फैजाबाद जिले में आती हैं। वहीं दरियाबाद बाराबंकी जिले में है। ऐसे में भौगोलिक दृष्टि से प्रत्याशियों के सामने वोटरों को साधने की चुनौती भी रहती है।

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Apr 09 2024, 18:43

मिशन 2024 के लिए बीजेपी का मास्टर प्लान, विदेशी निभाएंगे अहम भूमिका

#bjpplanstomakeloksabhaelection2024_international

मदर ऑफ डेमोक्रेसी यानी भारत में लोकतंत्र के महापर्व का आगाज हो चुका है। लोकसभा चुनाव को लेकर पूरे देश में हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनावी प्रचार प्रसार में जुटी हैं। 19 अप्रैल से शुरू होने वाली वोटिंग को इस बार देश की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने वाली बनाने की प्लानिंग कर रही है। इसके लिए इस बार लोकसभा चुनावों में बीजेपी कई देशों की राजनीतिक पार्टियों को भारत बुलाकर यहां कैसे चुनाव होता है और किस तरह से बीजेपी प्रचार अभियान चलाती है, उसको दिखाने का प्लान कर रही है।इसको लेकर बीजेपी विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाला ने कई देशों के राजनीतिक दलों से संपर्क किया है और उनको भारत आने का निमंत्रण दिया है।

इन देशों को किया आमंत्रित

लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने बड़ी पहल की है। दुनिया के कई देशों को भारतीय लोकतंत्र के उत्सव साक्षी बनाएगी बीजेपी। बीजेपी ने अमेरिका ,ब्रिटेन, यूरोपियन देशों और नेपाल समेत इन देशों की करीब दो दर्जन पार्टियों को भारत आकर लोकसभा चुनाव देखने के लिए आमंत्रित किया है। ब्रिटेन की कंजरवेटिव और लेबर पार्टी, जर्मनी की क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स और द सोशल डेमोक्रेट्स और अमेरिका की डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन जैसी सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों को भारत के लोकतंत्र का उत्सव देखने के लिए आमंत्रित किया गया है। पड़ोसी देश नेपाल की सत्ता में शामिल पांचों दलों को बुलावा भेजा गया है।

अब तक 13 विदेशी राजनीतिक दलों न स्वीकार किया न्योता

फिलहाल इजरायल, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपालमॉरीशस, तंजानिया और युगांडा के कुछ दलों की तरफ से शामिल होने का कन्फर्मेशन भी मिल चुका है। बीजेपी के विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाला ने बताया की भारत में किस तरह से चुनाव होता है उसको जानने के लिए विदेशों की कई पार्टियां इच्छुक हैं। इसलिए हम पहली बार कई विदेशी पार्टियों को भारत में कैसे चुनाव होता है वो दिखाने का काम करेंगे. बीजेपी किस तरह से प्रचार करती है उसको दिखाएंगे। अब तक 13 राजनीतिक दलों की तरफ से हमको कन्फर्मेशन आया है। पक्ष और विपक्ष दोनों दल शामिल हैं। इन सभी लोगों को पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा की रैलियां में ले जाया जाएगा।

तीसरे और चौथे चरण के दौरान दिखेंगे विदेशी मेहमान

विजय चौथाईवाला ने बताया की इन पार्टियों को तीसरे और चौथे चरण के मतदान के समय इस डेलीगेशन को भारत में ले जाया जाएगा। इस डेलीगेशन को 3-4 लोकसभाओं में घुमाया जायेगा और अपना कैंपेन दिखाया जायेगा। इस दौरान प्रधानमंत्री, अध्यक्ष और गृहमंत्री की रैलियों में ले जाया जाएगा।

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Apr 09 2024, 16:15

*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।

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Apr 09 2024, 16:15

*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।

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Apr 08 2024, 16:28

अनंतनाग-राजौरी सीट पर दिलचस्प हुआ मुकाबला, महबूबा मुफ्ती और गुलाम नबी के बीच होगी टक्कर

#ghulamnabiazadvsmehboobamuftianantnagrajourilok_sabha

लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट हॉट सीट बन गई है। अनंतनाग-राजौरी सीट पर इस बार चुनावी मुकाबला काफी रोचक हो गया है। इस सीट पर दो पूर्व मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में हैं। एक ओर गुलाम नबी आजाद हैं तो दूसरी ओर महबूबा मुफ्ती। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ्ती इस सीट पर पार्टी की उम्मीदवार होंगी जिनका मुकाबला पूर्व सीएम और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद से होगा।

लोकसभा चुनाव के लिए पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर की तीन सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। जिसके अनुसार पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी। जिनका मुकाबला गुलाम नबी आजाद से होंगे वाला है। वहीं वहीद पारा श्रीनगर लोकसभा तो फैयाज मीर बारामुला सीट से मैदान में होंगे। वहीद पारा पार्टी के यूथ विंग के अध्यक्ष हैं। वहीं मीर फैयाज पूर्व राज्यसभा के सदस्य हैं।

मुफ्ती ने 2004 और 2014 का चुनाव जीता

अनंतनाग सीट की बात करें तो यह हाई प्रोफाइल सीट रही है। यहां से महबूबा मुफ्ती ने 2004 और 2014 के चुनाव में इसी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। 4 जुलाई 2016 को उनके इस्तीफे से यह सीट खाली हो गई। इस्तीफे के करीब तीन साल तक यहां उपचुनाव नहीं हो पाया।

आजाद के लिए बहुत अहम है जीत

गुलाम नबी आजाद ने करीब दो साल पहले कांग्रेस का साथ छोड़ अपनी अलग डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी का गठन किया था। जम्मू-कश्मीर में यह उनका दूसरा लोकसभा चुनाव होगा जिसमें वह उम्मीदवार हैं। पिछला चुनाव उन्होंने 2014 में कांग्रेस के टिकट पर उधमपुर-कठुआ सीट से लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर गुलाम नबी आजाद को राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रखनी है तो यह चुनाव जीतना उनके लिए बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव में हार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को कमजोर करेगी। गुलाम नबी आजाद का एक कमजोर बिंदु यह है कि उनके साथ में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। उनकी पार्टी केवल 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के राज में लगभग 20 साल केंद्रीय मंत्री रहे आजाद के लिए यह लोकसभा चुनाव या तो खेवनहार साबित होगा या उनकी राजनीतिक नैया डुबो देगा।

अनंतनाग राजोरी सीट पर 7 मई को होगा मतदान

अनंतनाग-राजोरी सीट पर तीसरे चरण में सात मई (मंगलवार) को मतदान होगा। इस सीट के लिए अधिसूचना 12 अप्रैल को जारी होगी। मई 2022 में परिसीमन के बाद अनंतनाग सीट में जम्मू संभाग के पीर पंजाल के राजोरी के क्षेत्रों को जोड़ा गया है। जोड़ा गया इलाका हिंदू और पहाड़ी समुदाय की आबादी वाला है। कभी मुस्लिम बहुल इस सीट पर कांग्रेस हैट्रिक लगा चुकी है। नेकां व पीडीपी भी यहां से कई बार जीत का स्वाद चख चुकी है। भाजपा इस सीट से कश्मीर में विजय का परचम लहराने के लिए मैदान में उतरेगी। भाजपा ने पहाड़ियों को जनजातीय का दर्जा और आरक्षण देकर यहां पर अपना दांव खेला है।

Janardhanreddy32

Apr 08 2024, 14:49

ఆధారాలు ఉన్నా అవినాష్‌ను జగన్‌ కాపాడుతున్నారు: వైఎస్‌ షర్మిల