विदेशों से संचालित हो रहे कांग्रेस नेताओं के 'X' अकाउंट, बीजेपी नेता संबित पात्रा का चौंकाने वाला दावा

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एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी एक्स ने हाल ही में अपने प्लेटफॉर्म पर एक नया फीचर लॉन्च किया है, जो किसी भी अकाउंट की लोकेशन, उपयोगकर्ता नाम बदलने की हिस्ट्री और ऐप डाउनलोड लोकेशन दिखाता है। इस फीचर ने भारत में राजनीतिक हलचल मचा दी है। दरअसल, भाजपा ने कांग्रेस पर विदेश से संचालित होने वाले खातों के जरिए भारत की छवि खराब करने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस पर बीजेपी का गंभीर आरोप

संबित पात्रा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस देश के बाहर बैठे लोगों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि एक्स प्लेटफॉर्म के फीचर के आधार पर यह पता चला है कि कई कांग्रेस नेताओं और संगठनात्मक अकाउंट्स की लोकेशन भारत में नहीं, बल्कि विदेशों में दिखाई दे रही है। उनके मुताबिक पवन खेड़ा का अकाउंट अमेरिका में बेस्ड दिख रहा है, जबकि महाराष्ट्र कांग्रेस का अकाउंट आयरलैंड से जुड़ा हुआ था जिसे बाद में बदलकर भारत कर दिया गया। हिमाचल कांग्रेस का अकाउंट थाईलैंड से जुड़ा बताया गया।

पीएम मोदी और भारत के अपमान की कोशिश

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस, राहुल गांधी और वामपंथी दलों के जाने-माने चेहरों ने 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

विदेश से भारत के खिलाफ एजेंडा चलाने का आरोप

संबित पात्रा ने दावा किया कि कई लेफ्ट और कांग्रेस समर्थक इन्फ्लुएंसर्स पाकिस्तान, बांग्लादेश और साउथ ईस्ट एशिया में बैठे हुए हैं और भारत के खिलाफ एजेंडा चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस का काम देश को बांटना है और इसलिए विदेशों से मिलकर भारत के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है

राहुल गांधी गलत नरेटिव सेट करने का आरोप

संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी देश में गलत नरेटिव सेट करने के लिए विदेशों में गलत बयानबाजी करते हैं। वे केवल जेन-Z से मिलकर देश के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश नहीं करते हैं बल्कि देश के खिलाफ माहौल सेट करते हैं। पात्रा ने यह भी आरोप लगाया कि भारत में कुछ ऐसे नैरेटिव जो राहुल गांधी, कांग्रेस और लेफ्ट इकोसिस्टम के कहने पर सेट किए गए, ऐसे तीन नैरेटिव के उदाहरण मैं दूंगा। पहला - वोट चोरी का नैरेटिव सेट किया गया। दूसरा - ऑपरेशन सिंदूर में जो मोदी जी और भारत की सेना को एक तरह से दुर्बल दिखाने की कोशिश की गई, उसके पीछे भी पाकिस्तान, बांग्लादेश और पश्चिम एशिया में बैठे कुछ कांग्रेसी और उनके शुभचिंतकों के हैंडल हैं। तीसरा- संघ, संघ परिवार और मोदी जी पर व्यक्तिगत हमला करने का नैरेटिव भी विदेश से ही संचालित हुआ।

2014 के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ रची गई साजिश! पूर्व सांसद का सीआईए-मोसाद को लेकर चौंकाने वाला दावा

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद कुमार केतकर ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर बड़ा बयान दिया है। कुमार केतकर ने दावा का है कि सीआईए और मोसाद, जो अमेरिका और इजराइल की जासूसी एजेंसियां हैं, ने 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की साजिश रची थी।

कांग्रेस की हार सीआईए और मोसाद की साजिश!

मुंबई में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कांग्रेस के एक कार्यक्रम में बुधवार को कांग्रेस नेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य कुमार केतकर ने एक चौंकाने वाला दावा किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की भारी हार किसी सामान्य राजनीतिक परिवर्तन का परिणाम नहीं थी, बल्कि इसके पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए और इजराइल की मोसाद की कथित साजिश थी।

केतकर ने समझाया आंकड़ों का गणित

केतकर ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया था कि कांग्रेस का सीट संख्या 206 से आगे न बढ़े और पार्टी सत्ता से बाहर हो जाए। केतकर ने याद दिलाया कि 2004 में कांग्रेस ने 145 सीटें जीती थीं और 2009 में यह आंकड़ा बढ़कर 206 हो गया था। उन्होंने कहा कि अगर यही ट्रेंड जारी रहता तो 2014 में कांग्रेस को 250 से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए थीं और वह आराम से सत्ता में वापस आ जाती। लेकिन अचानक सीटें घटकर सिर्फ 44 रह गईं। यह सामान्य जनादेश नहीं था।

भारत के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने की रणनीति

केतकर ने कहा कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने तय किया था कि किसी भी हाल में कांग्रेस को 206 सीटों से ज्यादा नहीं मिलने दी जाए। सीआईए और मोसाद ने डेटा इकट्ठा किया, रणनीति बनाई और ऐसा माहौल बनाया कि कांग्रेस सत्ता में न लौट सके। केतकर के मुताबिक, इन एजेंसियों को डर था कि यदि यूपीए दोबारा स्थिर सरकार बनाती, तो भारत की नीतियों पर उनका प्रभाव सीमित हो जाता और वे अपनी इच्छानुसार हस्तक्षेप नहीं कर पाते।

अपने अनुकूल सरकार बनाने की साजिश का आरोप

पूर्व पत्रकार रहे केतकर ने दावा किया कि इन विदेशी खुफिया एजेंसियों का उद्देश्य भारत में ऐसी सरकार तैयार करना था जो उनके लिए अनुकूल हो और उनकी नीतियों को आसानी से लागू कर सके। केतकर के मुताबिक, अगर कांग्रेस की स्थिर सरकार लौटती या गठबंधन सरकार मजबूत स्थिति में आती, तो विदेशी एजेंसियों के लिए भारत में हस्तक्षेप करना मुश्किल हो जाता है।

एंटीबायोटिक्स का मकड़जाल

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प्रदीप श्रीवास्तव

किसी भी बीमारी के लिए, एंटीबायोटिक्स यानी रोग प्रतिरोधी दवाएँ बहुत कारगर मानी जाती है, शायद यही वजह है कि बाज़ार में सबसे ज़्यादा एंटीबायोटिक दवाएँ बिकती हैं। हालाँकि, इनके अंधाधुंध प्रयोग से हमारे देश में “सुपरबग्स” जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो गई है, जहाँ दवाएँ बेअसर हो जाती हैं और सामान्य बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती है और उनके इलाज पर बहुत ज़्यादा खर्च करना पड़ता है। चिंता की बात यह है कि पोल्ट्री और डेयरी फार्मिंग में भी एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है। नतीजतन, अगर हम खुद एंटीबायोटिक्स कम लें तो भी यह समस्या दूसरे रूप में हमें घेरे ही रहेगी। इसलिए सरकार ने एंटीबायोटिक्स के प्रयोग को लेकर गाइडलाइन जारी की है, जिसमें इनके इस्तेमाल को लेकर कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। 

सन 1928 में लंदन के सेंट मैरी हॉस्पिटल मेडिकल स्कूल में कार्यरत स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक अलेक्ज़ेंडर फ़्लेमिंग ने जीवाणुओं (बैक्टीरिया) पर शोध करते हुए एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज की। दूसरे विश्वयुद्ध में जब लाखों घायल सैनिक संक्रमण से मर रहे थे, तब पेनिसिलिन एक वरदान साबित हुई। इससे अनगिनत सैनिकों की जान बचाई गई। पेनिसिलिन ने चिकित्सा विज्ञान की दिशा बदल दी और इसे आधुनिक एंटीबायोटिक युग की शुरुआत माना जाता है। 

हालाँकि, 1945 के बाद से ही फ़्लेमिंग ने खुद चेतावनी दी कि “एंटीबायोटिक के बहुत ज़्यादा प्रयोग से प्रतिरोध पैदा होगा”। और यही हुआ, एंटीबायोटिक का अंधाधुंध प्रयोग शुरू हो गया, जिससे बीमारी एक बार ठीक होने बाद, दोबारा होने पर उससे कई तरह की परेशानियाँ शुरू होने लगी। 

अब यह समस्या और बड़ी बनने लगी है, क्योंकि भारत जैसे देशों में बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेना, अधूरा कोर्स करना और छोटी-मोटी बीमारी में भी इस्तेमाल करना आम बात है। ज़्यादा एंटीबायोटिक के प्रयोग से हमारे शरीर के बैक्टीरिया, दवाइयों के प्रति प्रतिरोधक विकसित कर लेते है इसे एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस कहा जाता है और यह स्थिति “सुपरबग्स” के रूप में उभरकर सामने आती है, यानी ऐसी स्थिति जिसमें ताकतवर जीवाणु, दवाओं से नहीं मरते और उन पर साधारण एंटीबायोटिक काम नहीं करती। ऐसे में न सिर्फ, मरीजों पर दवाओँ का खर्च बढ़ता जाता है, बल्कि भविष्य में वह कई बीमारियों को न्योता देता है और सामान्य संक्रमण यानी खाँसी, बुखार, घाव का इन्फेक्शन होने पर इसका इलाज भी मुश्किल हो जाता है। 

पहले जिन बीमारियों का इलाज ₹100 की दवा से हो जाता था, उनके लिए अब लाखों रुपये की नई और महँगी दवाएँ या इंजेक्शन लगते हैं। क्योंकि वह छोटी या सामान्य बीमारी पर दवाएँ बेअसर होती है, उन्हें ठीक करने के लिए कई तरह की जाँचें करानी पड़ती है और नए किस्म की दवाएँ देनी पड़ती है और मरीज को अस्पताल में ज़्यादा दिन भर्ती रहना पड़ता है। 

बार-बार एंटीबायोटिक लेने से डायरिया, एलर्जी, त्वचा पर दाने जैसी समस्याएँ भी आने लगती हैं और लंबे समय में किडनी, लीवर और पेट पर असर पड़ता है। सबसे बड़ी बात है कि एंटीबायोटिक हानिकारक बैक्टीरिया के साथ-साथ अच्छे बैक्टीरिया को भी मार देते हैं। इससे खराब पाचन, इम्युनिटी कमज़ोर और बार-बार संक्रमण की समस्या हो सकती है। 

भारत पहले से ही एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस का हॉटस्पॉट बन चुका है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग 7 लाख लोग एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़ी बीमारियों से प्रभावित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि अगर इस समस्या पर रोक नहीं लगी तो 2050 तक भारत समेत विश्व में एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस के कारण 1 करोड़ मौतें प्रति वर्ष हो सकती हैं। 

भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार बहुत बड़ा है, क्योंकि यहाँ संक्रमण संबंधी बीमारियाँ आम हैं। 2023 में भारत में एंटीबायोटिक्स का बाज़ार करीब 49,000 करोड़ रूपये का था। अनुमान है कि 2024–2030 के बीच यह बाज़ार लगभग 6–7% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ेगा और 2030 तक यह बाज़ार 83,000 करोड़ रूपये तक पहुँच सकता है। मालूम हो कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा एंटीबायोटिक उत्पादक देश है। यहाँ बनने वाले जेनेरिक एंटीबायोटिक्स का एक बड़ा हिस्सा अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका को निर्यात होता है। भारतीय फ़ार्मा कंपनियाँ दुनिया भर के 20% से अधिक जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करती हैं। 

द लैंसेट की 2022 रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति एंटीबायोटिक खपत दुनिया में सबसे अधिक है। अनुमान है कि हर साल भारत में लगभग 1,300 करोड़ से अधिक की खुराक एंटीबायोटिक की ली जाती हैं। इसमें से भी ग्रामीण और छोटे शहरों व कस्बों में एंटीबायोटिक का उपयोग बड़े शहरों की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। भारत सरकार ने शेड्यूल एच1 लागू किया है, जिसके तहत कई एंटीबायोटिक दवाएँ केवल पर्चे पर ही मिल सकती हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम को लागू किया जा रहा है ताकि दुरुपयोग कम हो, फिर भी समस्या जस की तस है। 

2025 में भारत की जनसंख्या लगभग 1.40 अरब है, यानी भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। देश में करीब लगभग 93 करोड़ आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जबकि शहरों में लगभग 50 करोड़ लोग निवास करते हैं। 

वहीं, सर्दी-खाँसी-जुकाम, बुखार, डायरिया जैसी बीमारियाँ से हर साल भारत में करीब 30–35 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होते हैं और लगभग 6.2 करोड़ डायबिटीज और 7.7 करोड़ हृदय रोग से पीड़ित हैं। 2024 तक हमारे देश में कुल पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या लगभग 13 लाख हैं, इनमें से 10.4 लाख एलोपैथिक डॉक्टर और 4.5 लाख आयुष डाक्टर (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी आदि) हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार 1,000 की जनसंख्या पर कम से कम 1 डॉक्टर होना चाहिए। जबकि भारत में 1,000 की आबादी पर मात्र 0.7 डॉक्टर उपलब्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात और भी कम है और कई राज्यों में 1000 की आबादी पर मात्र 0.2 डाक्टर हैं। 

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी, 2023 की रिपोर्ट की माने तो देश में 1.55 लाख सब-सेंटर, 25,000 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 5,600 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें से लगभग 65–70% स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं। 

भले ही देश में करीब एक लाख से ज़्यादा स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में हों, लेकिन अभी भी यहाँ डाक्टरों और स्वास्थ्य केंद्रों की भारी कमी है। देश में साधारण बीमारियों से हर साल करीब 30 करोड़ लोग प्रभावित हैं, जिनका इलाज कुछ लाख डाक्टरों या स्वास्थ्य केंद्रों के भरोसे संभव नहीं है। 

हालाँकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एंटीबायोटिक उपयोग पर नियंत्रण के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें ज़ोर दिया गया है कि एंटीबायोटिक केवल बैक्टीरियल संक्रमण में ही दी जाए और साधारण सर्दी-जुकाम या फ्लू में नहीं। डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य होगी और अस्पतालों को एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप प्रोग्राम अपनाना होगा। साथ ही, दवा की अवधि को कम से कम रखने और मरीजों को पूरी जानकारी देने पर ज़ोर दिया गया है। 

मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंटीबायोटिक को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है, पहला एक्सेस यानी वे एंटीबायोटिक जो सामान्य संक्रमण के लिए सुरक्षित हैं और इनका कोई ज़्यादा साइड इफ़ेक्ट नहीं है। दूसरी श्रेणी है वॉच की, इनका उपयोग सीमित परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए और इनके लिए निगरानी ज़रूरी है। तीसरी श्रेणी है रिज़र्व की, ये अंतिम विकल्प की दवाइयाँ हैं, जिन्हें केवल जीवन-रक्षक स्थिति में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत भी इसी गाइडलाइन का पालन करता है और डॉक्टरों को सलाह भी दी गई है कि वे केवल ज़रूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक लिखें और मरीजों को पूरी जानकारी दें। 

एंटीबायोटिक की समस्या इसलिए भी बड़ी होती जा रही है क्योंकि इंसानों के साथ ही कृषि और पशुपालन क्षेत्र में भी एंटीबायोटिक का अंधाधुंध उपयोग होना शुरू हो चुका है, खासतौर पर मुर्गीपालन और डेयरी फार्मिंग में। 

खाद्य और कृषि संगठन (संयुक्त राष्ट्र), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कुल एंटीबायोटिक खपत का 50% से अधिक हिस्सा पशुपालन में होता है। पोल्ट्री सेक्टर (मुर्गीपालन) का अनुमान है कि भारत में हर साल लगभग 70–75% मुर्गीपालकों द्वारा चारे में एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। 

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की एक रिपोर्ट में बताया गया कि बाजार में बिकने वाले 40% से अधिक चिकन में एंटीबायोटिक रेज़िड्यू पाए गए। डेयरी फार्मिंग डेयरी सेक्टर में, दूध देने वाली गायों और भैंसों में संक्रमण रोकने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक का बार-बार प्रयोग किया जाता है। 2022 के एक सर्वे में पाया गया कि 10–12% दूध के सैंपल्स में एंटीबायोटिक अवशेष मौजूद थे। 

ईयू और अमेरिका जैसे देशों ने एंटीबायोटिक-युक्त मीट और डेयरी उत्पादों के आयात पर कड़ी पाबंदी लगा रखी है। 2017 में ईयू ने भारत से निर्यात किए गए 26% पोल्ट्री उत्पादों को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि उनमें एंटीबायोटिक अवशेष पाए गए। एंटीबायोटिक्स को ग्रोथ प्रमोटर के रूप में प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई है। पशुपालन में केवल चिकित्सकीय ज़रूरत पर ही डॉक्टर या वैटरनरी प्रिस्क्रिप्शन से उपयोग की सिफ़ारिश है। 

एंटीबायोटिक न सिर्फ जनस्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है, बल्कि निर्यात और खाद्य सुरक्षा पर भी सीधा असर डालता है। नई गाइडलाइन का उद्देश्य एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना और भविष्य में गंभीर संक्रमणों के इलाज के लिए उनकी प्रभावशीलता बनाए रखना है। यदि मरीज, डॉक्टर, अस्पताल और किसान सभी मिलकर इन नियमों का पालन करें, तो “सुपरबग्स” की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए व्यापक जनजागरूकता, सख्त नियम और सतत निगरानी बेहद आवश्यक है। 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं )

एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट का विपक्ष को झटका, कहा- चुनाव आयोग के अधिकारों को चुनौती नहीं दी जा सकती

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सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की वैधता पर बहस शुरू हुई। देश के 12 राज्यों में चल रहे एसआईआर पर विपक्ष को तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट से साफ कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उसके पास ऐसा करने का पूरा संवैधानिक और कानूनी अधिकार है। शीर्ष अदालत ने इस प्रक्रिया को रोकने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि अगर इसमें कोई अनियमितता सामने आई तो वह तुरंत सुधार के आदेश देगा।

सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें एसआईआर की वैधता को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एसआईआर के खिलाफ दायर तमिलनाडु, बंगाल और केरल की याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने बुधवार को पहले केरल का मुद्दा उठा, जहां स्थानीय निकाय चुनाव होने के आधार पर फिलहाल एसआइआर टालने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए दो दिसंबर की तारीख तय कर दी। फिर तमिलनाडु का मुद्दा उठा, जहां कई याचिकाओं के जरिये एसआइआर को चुनौती दी गई है। इस पर और बंगाल के मामले में भी आयोग को जवाब देने का निर्देश देते हुए नौ दिसंबर की तारीख तय की गई।

याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस की शुरुआत करते हुए कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं पर नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी डालने पर सवाल उठाया। उन्होंने दलील दी कि देश में लाखों-करोड़ों लोग निरक्षर हैं जो फॉर्म नहीं भर सकते। उनका कहना था कि मतदाता गणना फॉर्म भरवाना ही अपने आप में लोगों को सूची से बाहर करने का हथियार बन गया है। सिब्बल ने कोर्ट से सवाल किया कि मतदाता को गणना फॉर्म भरने के लिए क्यों कहा जा रहा है? चुनाव आयोग को यह तय करने का अधिकार किसने दिया कि कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक है या नहीं? आधार कार्ड में जन्म तिथि और निवास स्थान दर्ज है। 18 साल से ऊपर कोई व्यक्ति अगर स्व-घोषणा कर दे कि वह भारतीय नागरिक है तो उसे मतदाता सूची में शामिल करने के लिए यही काफी होना चाहिए।

“मतदाता सूची को शुद्ध-अपडेट रखना आयोग का संवैधानिक दायित्व”

इस पर सीजेआई सूर्याकांत ने कहा कि आपने दिल्ली में चुनाव लड़ा है, वहां बहुत लोग वोट डालने नहीं आते. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव त्योहार की तरह मनाया जाता है। वहां हर व्यक्ति को पता होता है कि गांव का निवासी कौन है और कौन नहीं। वहां अधिकतम मतदान होता है और लोग अपने वोट को लेकर बहुत सजग रहते हैं। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि मतदाता सूची को शुद्ध और अपडेट रखना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है और इसके लिए वह जरूरी कदम उठा सकता है।

“एसआईआर को लेकर कोई ठोस शिकायत नहीं”

बेंच ने स्पष्ट किया कि एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर कोई ठोस शिकायत अभी तक सामने नहीं आई है, इसलिए इसे रोकने का कोई आधार नहीं बनता। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि अगर कोई वास्तविक शिकायत या अनियमितता सामने आती है तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा और सुधार के आदेश देगा।

एक बार फिर विवादों में कॉमेडियन कुणाल कामरा, टी-शर्ट पर कुत्ते के साथ 'RSS' लिखा

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कॉमेडियन कुणाल कामरा एक बार फिर से विवादों में घिर गए हैं। विवाद की वजह बनी है उनकी एक सोशल मीडिया पोस्ट। इसमें वो ऐसी टीशर्ट पहने दिख रहे हैं, जिसमें कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) का मजाक उड़ाने की कोशिश की गई है।इस पोस्ट के बाद बीजेपी की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। पार्टी ने मंगलवार को पार्टी ने संभावित पुलिस कार्रवाई की चेतावनी दी है।

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सोशल मीडिया पर कॉमेडियन कुणाल कामरा की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें वह एक टी-शर्ट पहने नजर आ रहे हैं। टी-शर्ट में छपी तस्वीर में एक कुत्ते की फोटो और ‘RSS’ जैसा दिखने वाला अक्षर नजर आ रहा है। हालांकि पूरा ‘R’ साफ नहीं दिख रहा है।

कामरा की ये फोटो तेजी से वायरल

कामरा ने ये तस्वीर सोमवार यानी 24 नवंबर को सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट की थी। फोटो अब वायरल हो रही है। कामरा ने पोस्ट में लिखा, 'यह फोटो किसी कॉमेडी क्लब की नहीं है।' सोशल मीडिया पर कामरा की ये फोटो तेजी से वायरल हो रही है।

बीजेपी ने जताई कड़ी आपत्ति

कुणाल कामरा के इस पोस्ट को लेकर बीजेपी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि पुलिस ऑनलाइन आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

शिवसेना वोली- बीजेपी को जवाब देना चाहिए

बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना के मंत्री संजय शिर्साट ने कहा कि आरएसएस को इस पोस्ट का 'कड़ा जवाब' देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कामरा इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी करते रहे हैं। शिर्साट ने कहा, 'पहले उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और एकनाथ शिंदे को निशाना बनाया, और अब सीधे आरएसएस पर हमला किया है। बीजेपी को जवाब देना चाहिए।

अपने पैरोडी सॉन्ग को लेकर विवादों में आए थे कामरा

बता दें कि, इसी साल मार्च में कामरा ने एक कॉमेडी क्लब में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री, एकनाथ शिंदे को लेकर एक विवादित गाना गाया था जिसके बाद शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने उस क्लब में तोड़फोड़ की थी। इसके अलावा भी कामरा कई बार इस तरह की विवादित हरकतें कर चुके हैं।

पश्चिम बंगाल में 23 बीएलओ की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, चुनाव आयोग से मांगा जवाब

#supremecourtecsirblocasehearing

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पश्चिम बंगाल वोटरलिस्ट के पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासत गर्म हैं। पश्चिम बंगाल में एसआईआर के दौरान काम के कथित दबाव से बूथ लेवल ऑफ़िसर (बीएलओ) की मौतें एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर मामले में 23 बीएलओ की मौत के आरोपों पर गंभीर चिंता जताई। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की ओर से पेश वकील ने इस संबंध में जानकारी दी, जिसके बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा।

एक दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट में आज चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग से संबंधित विभिन्न मामलों पर सुनवाई हुई, जिसमें वोटर लिस्ट संशोधन, पश्चिम बंगाल में बीएलओ की मौतों और केरल व तमिलनाडु के मुद्दों पर राजनीतिक दलों और एडीआर ने गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग दोनों को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। वहीं, पश्चिम बंगाल में बीएलओ की मौत के संबंध में भी राज्य चुनाव कार्यालय से 1 दिसंबर तक जवाब तलब किया गया है।

23 बीएलओ की मौत के बाद बढ़ी चिंता

वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया के दौरान अब तक कई राज्यों में बीएलओ की मौत के मामले सामने आए हैं। सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही 23 बीएलओ की मौत हो चुकी है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि केरल राज्य चुनाव आयोग को भी जवाब दाखिल करने की अनुमति दी जाए। इस पर सीजेआई ने सहमति जताई। सीजेआई ने स्पष्ट किया कि केरल मामले में भी 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करना होगा।

संविधान दिवस पर राष्ट्रपति मुर्मू का संबोधन, बोलीं-संविधान से हमारा स्वाभिमान सुनिश्चित हुआ

#presidentmurmuaddressesbothparliamenthousestodayonconstitution_day

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पूरा भारत आज संविधान दिवस मना रहा है। आज ही के दिन 1949 में भारत ने अपने संविधान को अंगीकार किया था। इस मौके पर विशेष समारोह पुराने संसद भवन के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में आयोजित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए मिसाल है। संविधान से हमारा स्वाभिमान सुनिश्चित हुआ है।

संसद भवन के सेंट्रल हॉल से बोलते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज के दिन 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा के सदस्यों ने भारत संविधान के निर्माण का कार्य संपन्न किया था। आज के दिन उस पर हम भारत के लोगों ने अपने संविधान को अपनाया था। स्वाधीनता के बाद संविधान सभा ने भारत की अंतरिम संसद के रूप में भी कर्तव्य का निर्वाहन किया।

25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालना बड़ी उपलब्धि

अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि संविधान औपनिवेशिक मानसिकता छोड़कर राष्ट्रवादी सोच अपनाने का मार्गदर्शक दस्तावेज है। 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालना देश की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे संविधान-निर्माता चाहते थे कि हमारे व्यक्तिगत और लोकतांत्रिक अधिकार हमेशा सुरक्षित रहें।

तीन तलाक से लेकर आर्टिकल-370 तक का जिक्र

संविधान दिवस के मौके पर संसद में आयोजित विशेष कार्यक्रम में देश को संबोध‍ित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीन तलाक को खत्‍म करना और जम्‍मू-कश्‍मीर से आर्टिकल-370 को हटाने का जिक्र किया। तीन तलाक को खत्‍म करने के कदम को राष्‍ट्रपति मुर्मू ने महिलाओं के सशक्‍तीकरण से जोड़ा। राष्ट्रपति ने कहा, तीन तलाक से जुड़ी सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाकर संसद ने हमारी बहनों और बेटियों के सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए। देश के आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), लागू किया गया। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने से एक ऐसी बाधा दूर हुई जो देश के समग्र राजनीतिक एकीकरण में रुकावट डाल रही थी। नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिला नेतृत्व वाले विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगा। इस वर्ष 7 नवंबर से शुरू होकर, हमारे राष्ट्रगान वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव आयोजित किया जा रहा है।

9 भाषाओं में संविधान का अनुवादित संस्करण जारी

इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया सहित 9 भाषाओं में संविधान का अनुवादित संस्करण जारी किया।

दिल्‍ली कार ब्‍लास्‍ट मामले में एक और गिरफ्तारी, फरीदाबाद से पकड़ा गया फिदाइन डॉ. उमर का मददगार शोएब

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दिल्‍ली के ऐतिहासिक लाल किला के पास कर बम धमाका मामले में जांच एजेंसी को बड़ी कामयाबी मिली है। एनआईए ने सुसाइड अटैकर उमर नबी के एक साथी को गिरफ्तार किया है। इसकी पहचान शोएब के तौर पर की गई है। एनआईए ने फरीदाबाद से शोएब को गिरफ्तार किया है। शोएब ने धमाके से पहले आतंकी उमर की मदद की थी।

उमर नबी को दी थी मदद

फरीदाबाद से जिस शख्स को गिरफ्तार किया गया है, उसके ऊपर दिल्ली आतंकी बम विस्फोट से ठीक पहले आतंकवादी उमर नबी को शरण देने के आरोप है। शोएब इस केस में गिरफ्तार होने वाला 7वां आरोपी है। एनआईए की जांच से पता चला है कि उसने 10 नवंबर को लाल किले के बाहर हुए कार बम धमाके से पहले टेररिस्ट उमर को लॉजिस्टिक सपोर्ट भी दिया था, जिसमें कई लोग मारे गए थे और कई दूसरे घायल हुए थे।

पहले ही उमर के छह साथी गिरफ्तार

लाल किला कार ब्लास्ट मामले में एनआईए पहले ही उमर के छह खास साथियों को गिरफ्तार कर चुकी है। एजेंसी सुसाइड बॉम्बिंग की जांच में लीड्स का एक्टिवली पीछा कर रही है और इसमें शामिल सभी लोगों की पहचान की जा रही है। आरोपियों को ट्रैक करने के लिए लोकल पुलिस के साथ कई राज्यों में सर्च कर रही है। जानलेवा हमले के पीछे की पूरी साज़िश का पता लगाने की कोशिशें जारी हैं।

शोएब ही आतंकी डॉक्टर उमर को मेवात और नूंह ले गया

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, शोएब को पहले भी इस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था और फिर छोड़ दिया गया था। हालांकि, ताजा खुलासों के बाद उसे दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यह भी बताया जा रहा है कि शोएब ही मुख्य आतंकी डॉक्टर उमर को मेवात और नूंह जैसे इलाकों में ले गया था। वहां पर डॉक्टर उमर शोएब की बहन की घर ही ठहरा था।

शोएब के घर से कई अहम चीजें बरामद

गिरफ्तारी का यह महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब एक अन्य गिरफ्तार आरोपी, डॉक्टर मुज्जमिल ने पूछताछ के दौरान शोएब के घर का खुलासा किया। एनआईए डॉ. मुजम्मिल को लेकर फरीदाबाद आई थी। यहां पर उन दोनों कमरों पर भी टीम गई थी, जो डॉ. उमर और मुजम्मिल ने किराए पर लिए थे। घटों यहां बिताने के बाद टीम ने अल फलाह यूनिवर्सिटी का भी दौरा किया था। कई लोगों से पूछताछ की थी। इसी दौरान शोएब की भूमिका सामने आई, जिसके बाद तुरंत उसे गिरफ्तार किया गया। शोएब धौज गांव का रहने वाला है। एनआईए ने शोएब के घर से कुछ महत्वपूर्ण चीजें बरामद की हैं, जिनमें एक ग्राइंडर और अन्य सामग्रियां शामिल हैं। यह माना जा रहा है कि इन सामग्रियों का इस्तेमाल बम बनाने या अन्य आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा सकता था।

राष्ट्रीय संविधान दिवस आज, दोनों सदनों को संबोधित करेंगी राष्‍ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी ने लिखी देश के नाम चिठ्ठी

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देशभर में आज 76वां राष्ट्रीय संविधान दिवस मनाया जा रहा है। आज संविधान दिवस 2025 पर पुराने संसद भवन में राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। ये आयोजन संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में किया जाएगा। संविधान दिवस पर आज होने वाले ऐतिहासिक कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी, जिसमें उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा के अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री और दोनों सदनों के सांसद शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस के अवसर पर देशवासियों को पत्र लिखा है। उन्होंने 1949 में संविधान के ऐतिहासिक अंगीकरण का स्मरण करते हुए इसकी राष्ट्र की प्रगति में मार्गदर्शक भूमिका को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि 2015 में सरकार ने 26 नवम्बर को संविधान दिवस घोषित किया था, जिससे इस पवित्र दस्तावेज का सम्मान किया जा सके।

पीएम मोदी ने दी संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, संविधान दिवस पर हम अपने संविधान के निर्माताओं को श्रद्धांजलि देते हैं। उनकी दूरदर्शी सोच और विजन हमें विकसित भारत के निर्माण की दिशा में लगातार प्रेरित करता है। हमारा संविधान मानव गरिमा, समानता और स्वतंत्रता को सर्वोच्च महत्व देता है। यह हमें अधिकार देता है, लेकिन साथ ही यह नागरिक होने के नाते हमारे कर्तव्यों की भी याद दिलाता है, जिन्हें हमें हमेशा पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। यही कर्तव्य एक मजबूत लोकतंत्र की नींव हैं। आइए, अपने कार्यों के माध्यम से संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने के संकल्प को दोहराएं।

अमित शाह ने डॉ. अंबेडकर और डॉ. राजेंद्र प्रसाद को किया याद

अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि आज ‘संविधान दिवस’ पर बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी सहित संविधान सभा के सभी महान सदस्यों को नमन और देशवासियों को इस दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का संविधान हर देशवासी को समान अवसर, सम्मानपूर्ण जीवन, राष्ट्रीय कर्त्तव्य और अधिकार प्रदान कर मजबूत राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘संविधान दिवस’ की शुरुआत कर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति देशवासियों को अधिक सजग बनाने का कार्य किया है।

आज महान लोगों को याद करने का दिन- राजनाथ सिंह

वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संविधान दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह दिन उन महान लोगों को याद करने का अवसर है जिन्होंने भारत गणराज्य की नींव रखी। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारा संविधान देश की लोकतांत्रिक यात्रा के मार्गदर्शक मूल्यों को समेटे हुए है। रक्षा मंत्री ने लोगों से अपील की कि वे न्याय और समानता के प्रति अपने संकल्प को दोबारा मजबूत करें और मिलकर उस भविष्य के निर्माण में जुटें, जिसकी कल्पना संविधान के मुख्य निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने की थी।

ये अंधा, बहरा...,पप्पू यादव का जगद्गुरु रामभद्राचार्य पर विवादित बयान

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जगद्गुरु रामभद्राचार्य की ओर से जातिगत व्यवस्था को खत्म करने की वकालत करने के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। इस बयान पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की तरफ से तेज और अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। बीजेपी ने जहां इस बात का समर्थन किया है वहीं कांग्रेसी और अन्य विपक्षी नेता इसे लेकर रामभद्राचार्य की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। 

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पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने रामभद्राचार्य के इस बयान को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की है। सांसद पप्पू यादव ने कहा कि वे नहीं जानते, रामभद्राचार्य कौन हैं? सांसद ने आगे कहा कि, ये अंधा, काना, बहरा, गूंगा, इन लोगों का इलाज अंबेडकरवादी विचारों से होगा। अंबेडकर पहले ही कह चुके हैं कि हम वसुदेव कुटुंब और सनातन वाले लोग हैं। धार्मिक वाले लोग नहीं हैं।

दलितों को भी शंकराचार्य बनाओ- पप्पू यादव

पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने इस मामले पर बयान देते हुए रामभद्राचार्य को दलितों को शंकराचार्य में शामिल करने की चुनौती दे डाली। पप्पू यादव ने आगे कहा कि मैं शंकराचार्य से अनुरोध करना चाहता हूं कि सभी शंकराचार्य दलित, एससी और एसटी को अपने बीच शामिल करें और हम तुरंत आरक्षण समाप्त कर देंगे।

रामभद्राचार्य ने की एससी/एसटी एक्ट खत्म करने की वकालत

बता दें कि चित्रकूट में आयोजित एक कार्यक्रम में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट को खत्म कर देना चाहिए। वेदों में अवर्ण या सवर्ण का कोई उल्लेख नहीं है। मैं कहूंगा कि जाति आधारित आरक्षण नहीं होना चाहिए। रामभद्राचार्य की तरफ से सोनिया गांधी पर दिए बयानों को लेकर भी पप्पू यादव ने प्रतिक्रिया दी।