आपकी योजना आपके द्वार' का रांची में आगाज: ऊपर कोनकी पंचायत में DC और विधायक ने किया परिसंपत्ति का वितरण, समस्याओं के ऑन द स्पॉट निष्पादन पर जोर


रांची: झारखंड सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम "आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार" का आयोजन आज (21 नवंबर 2025) से रांची जिले के विभिन्न प्रखंडों की पंचायतों में शुरू हो गया है।

इस क्रम में उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी, रांची, श्री मंजूनाथ भजन्त्री कांके विधानसभा क्षेत्र के माननीय विधायक श्री सुरेश कुमार बैठा के साथ कांके प्रखंड की ऊपर कोनकी पंचायत में आयोजित शिविर में शामिल हुए।

इस अवसर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी कांके श्री विजय कुमार, अंचल अधिकारी श्री अमित भगत, जिला जन संपर्क पदाधिकारी श्रीमती उर्वशी पांडेय सहित अन्य स्थानीय पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

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सरकार के तंत्र आपके द्वार तक जाएंगे

उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजन्त्री ने भारी संख्या में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार इस कार्यक्रम को 'सेवा सप्ताह' के रूप में मना रही है। उन्होंने कहा:

"सरकार के तंत्र पंचायत स्तर पर आपके द्वार तक जाएंगे, ताकि आपकी समस्या को सुनते हुए उसकी निष्पादन करने का प्रयास सरकार एवं जिला प्रशासन की तरफ से रहेगा।"

उन्होंने बताया कि इस कैंप के माध्यम से आवेदकों को जाति, आय, आवासीय जैसे प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे, जिनकी समस्याओं का ऑन द स्पॉट समाधान किया जाएगा।

लाभार्थियों को ऑन द स्पॉट मिला लाभ

माननीय विधायक श्री सुरेश कुमार बैठा ने राज्य सरकार की इस पहल की सराहना की और लोगों को इसका अधिक से अधिक लाभ लेने का आग्रह किया।

शिविर में उपायुक्त, माननीय विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों ने विभिन्न योजनाओं के लाभुकों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया। इसमें शामिल थे:

पेंशन स्वीकृति पत्र: सामाजिक सुरक्षा के तहत (वृद्ध/दिव्यांग/विधवा) पेंशन लाभुकों को।

धोती-साड़ी: सोना सोबरन धोती-साड़ी योजना के तहत वितरण।

अन्य दस्तावेज: जमीन की दाखिल खारिज शुद्धि पत्र का वितरण भी किया गया।

उपायुक्त ने ग्रामीणों को अबुआ आवास योजना, गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना और ग्राम गाड़ी योजना की विस्तार से जानकारी दी और अधिकारियों को विशेष रूप से निर्देशित किया कि "झारखंड सरकार के सभी योजनाओं का लाभ लाभुकों को मिलें इसपर विशेष ध्यान दे।"

यातायात माह नवंबर-2025 के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया गया

गोण्डा। पुलिस अधीक्षक गोण्डा के निर्देशन में “यातायात माह नवंबर-2025” के अंतर्गत जनपद में सड़क सुरक्षा एवं यातायात नियमों के प्रति जनजागरूकता कार्यक्रम निरंतर आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में आज 21.11.2025 को क्षेत्राधिकारी नगर आनंद कुमार राय, प्रभारी यातायात जगदंबा गुप्ता, टी0एस0आई0 राकेश कुमार, आरक्षी योगेश कुमार, आरक्षी संदीप यादव, होमगार्ड काशीराम, होमगार्ड दिनेश चंद पाण्डेय द्वारा गीता इंटरनेशनल इंटर कॉलेज, गोण्डा में लगभग 300 छात्र-छात्राओं के मध्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

 कार्यक्रम में छात्रों को हेलमेट एवं सीट बेल्ट के अनिवार्य उपयोग, सड़क पार करने की सावधानियाँ, ओवरस्पीडिंग के दुष्परिणाम, नशे में वाहन न चलाने, मोबाइल फोन का वाहन चलाते समय प्रयोग न करने सहित विभिन्न यातायात नियमों की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही छात्रों को यातायात नियमों से संबंधित पम्पलेट वितरित किए गए तथा उन्हें सुरक्षित एवं जिम्मेदार यातायात व्यवहार अपनाने हेतु प्रेरित किया गया।

महत्वपूर्ण संदेश– 

सड़क सुरक्षा के लिए पालन करें ये नियम-

1. वाहन चलाते समय मोबाइल फोन अथवा इयरफोन का प्रयोग न करें।

2. नाबालिग बच्चों द्वारा वाहन चलाना पूर्णतः वर्जित है।

3. दोपहिया वाहन चालक एवं पीछे बैठी सवारी दोनों को हेलमेट पहनना अनिवार्य है।

4. चारपहिया वाहनों में सीट बेल्ट का प्रयोग अनिवार्य है।

5. निर्धारित क्षमता से अधिक सवारियाँ बैठाना एवं निर्धारित गति सीमा से अधिक वाहन चलाना दंडनीय अपराध है।

6. दाएँ-बाएँ मुड़ते समय इंडिकेटर का प्रयोग अनिवार्य रूप से करें।

7. दोपहिया वाहन पर दो से अधिक सवारी न बैठाएँ।

8. वाहन निर्धारित स्थान पर ही पार्क करें।

9. वाहनों के आगे एवं पीछे रिफ्लेक्टर टेप लगाएँ।

10. एम्बुलेंस एवं फायर ब्रिगेड वाहन को पहले रास्ता दें।

11. नशा कर वाहन बिल्कुल न चलाएँ।

12. सड़क पर खतरनाक स्टंट न करें।

13. दुर्घटना की स्थिति में घायल की मदद करें एवं तुरंत 112 पर सूचना दें।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ से हुए सम्मानित



रायपुर- आज हिंदी के शीर्ष कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार, उनके रायपुर स्थित निवास पर दिया गया. ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने सम्मान के साथ उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का चेक उन्हें प्रदान किया गया.

विनोद कुमार शुक्ल ने अपने पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा- “जब हिन्दी भाषा सहित तमाम भाषाओं पर संकट की बात कही जा रही है, मुझे पूरी उम्मीद है नई पीढ़ी हर भाषा का सम्मान करेगी. हर विचारधारा का सम्मान करेगी. किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना, मनुष्यता का नष्ट होना है.”

वे पिछले कई सालों से बच्चों और किशोरों के लिए भी लिख रहे हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “मुझे बच्चों, किशोरों और युवाओं से बहुत उम्मीदें हैं. मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि हर मनुष्य को अपने जीवन में एक किताब जरूर लिखनी चाहिए. अच्छी किताबें हमेशा साथ होनी चाहिए. अच्छी किताब को समझने के लिए हमेशा जूझना पड़ता है. किसी भी क्षेत्र में शास्त्रीयता को पाना है तो उस क्षेत्र के सबसे अच्छे साहित्य के पास जाना चाहिये.”

आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि “किसी अच्छे काम की आलोचना अगर की जाती है तो उन आलोचनाओं को अपनी ताकत बना लें. आलोचना जो है, दूसरों का विचार है, जो उपयोगी या अनुपयोगी हो सकता है. किसी कविता की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर उससे अच्छी एक और नयी कविता को रच देना है. किसी काम की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर, उससे और अच्छा काम करके दिखाना होना चाहिए. साहित्य में गलत आलोचनाओं ने अच्छे साहित्य का नुक़सान ज्यादा किया है.”

उन्होंने कहा कि “जीवन में असफलताएँ, गलतियाँ, आलोचनाएँ सभी तरफ़ बिखरी पड़ी मिल सकती हैं, वे बहुत सारी हो सकती हैं. उस बिखराव के किसी कोने में अच्छा, कहीं छिटका सा पड़ा होगा. दुनिया में जो अच्छा है, उस अच्छे को देखने की दृष्टि हमें स्वयं ही पाना होगा. इसकी समझ खुद विकसित करनी होगी. हमें अपनी रचनात्मकता पर ध्यान देना चाहिये. जब कहीं, किसी का साथ न दिखाई दे, तब भी चलो. अकेले चलो. चलते रहो. जीवन में उम्मीद सबसे बड़ी ताकत है. मेरे लिये पढ़ना और लिखना साँस लेने की तरह है.”

इससे पहले उन्होंने अपनी एक कविता का भी पाठ किया-

सबके साथ

सबके साथ हो गया हूँ

अपने पैरों से नहीं

सबके पैरों से चल रहा हूँ

अपनी आँखों से नहीं

सबकी आँखों से देख रहा हूँ

जागता हूँ तो सबकी नींद से

सोता हूँ तो सबकी नींद में

मैं अकेला नहीं

मुझमें लोगों की भीड़ इकट्ठी है

मुझे ढूँढो मत

मैं सब लोग हो चुका हूँ

मैं सबके मिल जाने के बाद

आख़िर में मिलूँगा

या नहीं मिल पाया तो

मेरे बदले किसी से मिल लेना.

विनोद कुमार शुक्ल के बारे में

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे, लगभग 90 की उम्र के होने को आए विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार हैं, जो बहुत धीमे बोलते हैं, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज़ बहुत दूर तक सुनाई देती है. मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील, न्यूनतम और जादुई दुनिया रची. वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं, जिनके यहाँ एक साधारण कमरा, एक खिड़की, एक पेड़, एक कमीज़ या घास का छोटा-सा टुकड़ा भी किसी पूरे ब्रह्मांड की तरह खुल जाता है.

उनका पहला कविता संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएँ हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं. आगे चलकर ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ (1981), ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ (1992), ‘अतिरिक्त नहीं’ (2000), ‘कविता से लंबी कविता’ (2001), ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ (2006), ‘पचास कविताएँ’ (2011), ‘कभी के बाद अभी’ (2012), ‘कवि ने कहा’, चुनी हुई कविताएँ (2012) और ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2013) जैसे संग्रहों ने उन्हें समकालीन हिंदी कविता के सबसे मौलिक स्वरों में शुमार कर दिया. उनकी कविताएँ बोलने से ज़्यादा सुनने वाली, नारेबाज़ी से कहीं अधिक, धीमी फुसफुसाहट की तरह काम करती हैं, लेकिन असर उनका बहुत दीर्घकालिक है.

उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई. इसके बाद ‘खिलेगा तो देखेंगे’ (1996), ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ (1997, साहित्य अकादमी पुरस्कार), ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (2011), ‘यासि रासा त’ (2016) और ‘एक चुप्पी जगह’ (2018) के माध्यम से उन्होंने लोकआख्यान, स्वप्न, स्मृति, मध्यवर्गीय जीवन और मनुष्य की अस्तित्वगत जटिल आकांक्षाओं को एक नये कथा-ढांचे में समाहित किया.

कहानी-संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ (1988), ‘महाविद्यालय’ (1996), ‘एक कहानी’ (2021) और ‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ’ (2021) में भी वही सूक्ष्म, घरेलू और लगभग उपेक्षित जीवन-कण अद्भुत कथा-समृद्धि के साथ उपस्थित होते हैं.

उनकी रचनाएँ अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुईं. ‘The Servant’s Shirt’, ‘A Window Lived In The Wall’, ‘Once It Flowers’, ‘Moonrise From The Green Grass Roof’, ‘Blue Is Like Blue’, ‘The Windows In Our House Are Little Doors’ जैसे अंग्रेज़ी अनुवादों ने उन्हें वैश्विक पाठकों तक पहुँचाया. ‘नौकर की कमीज़’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के साथ ‘पेड़ पर कमरा’ और अनेक कविताएँ विदेशी तथा भारतीय भाषाओं में रूपांतरित होकर एक व्यापक पाठक-वृत्त तक पहुँचीं. कई रचनाओं पर फिल्में बनीं, नाटक लिखे गए.

साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, ‘Blue Is Like Blue’ के लिए मातृभूमि पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य सम्मान और 2023 का पैन-नाबोकोव पुरस्कार जैसी उपलब्धियाँ उनके दीर्घ, शांत और गहन रचनात्मक सफ़र की सार्वजनिक स्वीकृति हैं.

लेकिन इन सब के बीच उनका लेखक-स्वर वही बना रहा-संकोची, आंतरिक, लगभग अदृश्य, जो शब्दों की अत्यधिक सजावट से बचते हुए, बेहद सरल वाक्यों में हमारे भीतर एक खिड़की खोल देता है, जहाँ से दुनिया थोड़ी और मानवीय, थोड़ी और कल्पनाशील और थोड़ी और सच दिखाई देने लगती है.

दिल्ली ब्लास्ट में बड़ा खुलासा, विस्फोटक तैयार करने के लिए आटा चक्की का इस्तेमाल करता था आतंकी डॉक्टर

#delhiredfortblastterrordoctorsbombmakingmachine 

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दिल्ली ब्लास्ट केस की जांच जितनी आगे बढ़ रही है, उतने ही चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला है। बताया जा रहा है कि गिरफ्तार आरोपी मुजम्मिल शकील विस्फोटक तैयार करने के लिए आटा चक्की और इलेक्ट्रिकल मशीनों का इस्तेमाल किया था। एनआईए की टीम ने फरीदाबाद और धौज गांव से जो सामग्री बरामद की, उसने पूरे मॉड्यूल का सच सामने ला दिया। 

लाल किला ब्लास्ट मामले की जांच में ये बात सामने आई है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी मुजम्मिल शकील गनई फरीदाबाद में किराए के कमरे में आटा चक्की की मदद से यूरिया को बारीक पीसता था और फिर इलेक्ट्रिकल मशीन से उसे रिफाइन करके केमिकल तैयार करता था। 9 नवंबर को पुलिस ने इसी जगह से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद की थी। 

अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर था मुजम्मिल

पूछताछ के दौरान आरोपी गनई ने स्वीकार किया कि वह लंबे समय से इसी तरीके से अमोनियम नाइट्रेट को यूरिया से अलग कर विस्फोटक तैयार कर रहा था। इसके बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी की लैब से चोरी किए गए केमिकल इस पाउडर में मिलाए जाते थे। यही मिश्रण आगे चलकर घातक विस्फोटक बन जाता था। बता दें कि मुजम्मिल शकील फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर था।

टैक्सी ड्राइवर के घर में मिले उपकरण

एनआईए की टीम ने फरीदाबाद के उस टैक्सी ड्राइवर को भी हिरासत में लिया है, जिसके घर से यह उपकरण बरामद हुए। ड्राइवर ने बताया कि उसकी मुलाकात गनई से लगभग चार साल पहले हुई थी, जब वह अपने बेटे का इलाज कराने अल-फलाह मेडिकल कॉलेज गया था। यहीं से बातचीत शुरू हुई और धीरे-धीरे ड्राइवर उसके संपर्क में आने लगा। इसी बीच मुजम्मिल एक दिन आटा चक्की और मशीनें उसके घर रख गया। ड्राइवर को शक न हो, इसलिए उसने इसे ‘दहेज’ बताया।

रेड करने पहुंचे ED अफसर के सामने बिजनेसमैन ने छोड़े कुत्ते, छापेमारी में बेहिसाब कैश-ज्वेलरी बरामद

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड और पश्चिम बंगाल में कोयला माफिया नेटवर्क के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की है. दोनों ही राज्यों में आज तड़के सुबह 40 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी कर अवैध कोयला खनन, चोरी और तस्करी के मामलों की जांच की जा रही है. इस कार्रवाई में एल.बी. सिंह सहित कई बड़े नाम शामिल हैं. हालांकि सिंह की एक हरकत ने अधिकारियों को परेशानी में डाल दिया. ईडी के अधिकारी जैसे ही घर में घुसने वाले थे. एलबी सिंह ने अपने पालतू कुत्तों को खोल दिया. इससे अधिकारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.

धनबाद के बड़े कोयला व्यवसायी एल.बी. सिंह और उनके भाई कुंभनाथ सिंह के ठिकानों पर शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने व्यापक छापेमारी की है. ईडी की टीमें सरायढेला के देवबिला स्थित आवास, बैंक मोड़ के शांति भवन, निरसा के टालडांगा में बिनोद महतो के ठिकाने तथा भूली में सन्नी केशरी के स्थान सहित करीब आधा दर्जन लोकेशन पर पहुंची हैं.

अधिकारियों पर छोड़े कुत्ते

ईडी के अफसरों को घर में घुसने से रोकने के लिए एलबी सिंह ने अपने पालतू कुत्तों को खोल दिया था. कुत्ते एलबी सिंह के आवासीय परिसर में घूम रहे थे और ईडी के अफसरों को घर में घुसने से रोके हुए थे. अधिकारी जैसे ही घर के अंदर जाने की कोशिश करते कुत्ते भौंकना शुरू कर देते. हालांकि बाद में अधिकारी घर के अंदर जाने में सफल रहे.

भारी सोना चांदी बरामद

ईडी ने अपनी इस छापेमारी में भारी मात्रा में कैश और सोना चांदी भी बरामद किया है. 100 से ज़्यादा ED अधिकारी और स्टाफ कोयला माफिया के खिलाफ सर्च कर रहे हैं. सर्च ऑपरेशन सुबह करीब 6 बजे शुरू हुआ था.

10 दिन पहले भी हुई थी छापेमारी

दोनों भाई कोयला आउटसोर्सिंग कंपनी के मालिक हैं और हाल के दिनों में सामने आए कोयला स्कैन से जुड़े मामलों की जांच के क्रम में यह कार्रवाई की जा रही है. इससे पहले करीब 10 वर्ष पूर्व बीसीसीएल में टेंडर घोटाला मामले में CBI ने एल.बी. सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की थी. उस दौरान छापेमारी के वक्त एल.बी. सिंह द्वारा CBI टीम पर फायरिंग भी किए जाने की घटना सामने आई थी.

ईडी की ताजा कार्रवाई से कोयला कारोबार से जुड़े अन्य लोगों में भी हलचल मची हुई है. जांच एजेंसी अभी सभी स्थानों से दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड खंगालने में जुटी है.

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Eczema is a long-standing skin condition marked by dryness, itching, redness, and irritation. It affects both adults and children, often leading to discomfort, disturbed sleep, and reduced confidence. With rising pollution, climate variations, and stressful lifestyles, more people are choosing homeopathy in Hyderabad as a safe and natural way to manage eczema. Homeopathy works from within, aiming to bring balance to the body while supporting the skin’s natural healing process.

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*মিরাকেল আজও ঘটে*

 ডেস্ক : এ যেন মিরাকেল। সৌদি আরবের মদিনার কাছে মর্মান্তিক বাস দুর্ঘটনায় প্রাণ গিয়েছে ৪২ জন ভারতীয়। অভিশপ্ত সেই বাসেই ছিলেন হায়দরাবাদের বাসিন্দা ২৪ বছরের মহম্মদ আবদুল শোয়েব। বাসের যাত্রীর মধ্যে একমাত্র জীবিত ভারতীয় তিনিই। প্রাণে বাঁচলেও অবশ্য অক্ষত নন শোয়েব, গুরুতর আহত অবস্থায় হাসপাতালে চিকিৎসাধীন তিনি। তাঁর বেঁচে যাওয়াকে কার্যত ‘ম্যাজিক’ বলেই মনে করছেন বিশেষজ্ঞরা। জানা যাচ্ছে, সৌদি আরবে উমরাহ করতে গিয়েছিলেন হায়দরাবাদের একদল যাত্রী। রবিবার রাতে বাসে মক্কা থেকে মদিনা যাচ্ছিল তীর্থযাত্রীদের ওই দলটি। প্রায় দেড়টা নাগাদ মুফরিহাটের কাছে একটি ডিজেল ট্যাঙ্কারের সঙ্গে সংঘর্ষ হয় বাসটির। দুর্ঘটনার তীব্রতা এতটাই ছিল যে সঙ্গে সঙ্গে আগুন ধরে যায় বাসে।

ঘুমের মধ্যেই আগুনে ঝলসে যান ৪২ জন। যাঁদের বেশিরভাগই মহিলা ও শিশু। ভয়াবহ এই দুর্ঘটনার পরও কার্যত কপালজোরে বেঁচে যান শোয়েব। জানা যাচ্ছে, দুর্ঘটনার সময় বাসের সামনে চালকের ঠিক পাশের আসনে বসেছিলেন হায়দরাবাদের ওই যুবক। মনে করা হচ্ছে, দুর্ঘটনার পর কোনওভাবে বাসের বাইরে ছিটকে পড়েছিলেন তিনি। যার জেরেই ভয়াবহ অগ্নিকাণ্ড থেকে রক্ষা পেয়ে যান। আপাতত হাসপাতালে চিকিৎসাধীন ওই যুবক। তবে বর্তমানে তাঁর শারীরিক অবস্থা সম্পর্কে বিস্তারিত কিছু জানা যায়নি।

সৌজন্যে: www.machinnamasta.in

झारखंड-बंगाल में कोयला माफियाओं पर ED का एक्शन, एक साथ 42 जगहों पर छापे

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड और पश्चिम बंगाल में कोयला माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. टीम की तरफ से एक साथ 40 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की गई है. इसमें अवैध कोयला खनन, चोरी और तस्करी के नेटवर्क को निशाना बनाया गया. इस संयुक्त कार्रवाई में करोड़ों रुपये के सरकारी राजस्व के नुकसान से जुड़े मामलों की जांच की जा रही है, जिसमें कई बड़े नाम सामने आए हैं.

रांची स्थित ईडी टीम ने झारखंड के 18 ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया है. ये कार्रवाई कोयला चोरी और तस्करी से जुड़े कई बड़े मामलों पर आधारित है. जिन मामलों में कार्रवाई हो रही है, उनमें अनिल गोयल, संजय उद्योग, एल.बी. सिंह और अमर मंडल से जुड़े केस शामिल हैं.

इन मामलों में भारी पैमाने पर कोयला चोरी और सरकारी राजस्व की सैकड़ों करोड़ रुपये की हानि की बात सामने आई है. यही वजह है कि टीम प्रदेश भर में एक साथ छापेमारी की है. ऐसा माना जा रहा है कि इस छापेमारी के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं.

पश्चिम बंगाल में 24 स्थानों पर सर्च

ईडी की दूसरी टीम ने पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता जिलों में 24 ठिकानों पर छापेमारी की है. ये कार्रवाई अवैध कोयला खनन, गैर-कानूनी परिवहन और कोयले के अवैध भंडारण के मामलों से जुड़ी है. जिन लोगों के ठिकानों पर कार्रवाई की जा रही है, उनमें नरेंद्र खड़का, अनिल गोयल, युधिष्ठिर घोष, कृष्ण मुरारी कायल समेत कई अन्य नाम शामिल हैं.

कोयला माफियाओं पर बड़ी चोट

ईडी की इस संयुक्त कार्रवाई को कोयला माफिया नेटवर्क पर बड़ी चोट माना जा रहा है. जांच एजेंसी के अनुसार, आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं. गौरतलब है कि कोयले के व्यापार में पहले भी कई तरह की अनियमितताओं के मामले सामने आ चुके हैं. टीम ने इस छापेमारी से पहले ही कई कारोबारियों को दिल्ली तलब किया था. इसके बाद ही इसे अंजाम दिया गया है.

बारा विधायक डॉ.वाचस्पति के दमदार प्रयासों से क्षेत्र की सूरत बदलने को तैयार

आधा दर्जन सड़के एक बड़ा पुल और कई महत्वपूर्ण मार्गो को मिली हरी झंडी

मुख्यमन्त्री से विशेष भेंट का बड़ा असर, डॉ.वाचस्पति ने दिलाई ऐतिहासिक स्वीकृतियाँ अब बारा में विकास की रफ्तार होगी दोगुनी

संजय द्विवेदी,प्रयागराज।यमुनानगर अन्तर्गत विधान सभा बारा के लिए यह सप्ताह ऐतिहासिक साबित होने जा रहा है।क्षेत्र के लोकप्रिय और जन-जन के प्रिय बारा विधायक डॉ.वाचस्पति की अथक मेहनत मजबूत इच्छाशक्ति और विकास को लेकर उनकी प्रतिबद्धता अब बड़े परिणाम के रूप में सामने आने लगी है। कुछ दिनों पूर्व जब बारा विधायक डॉ.वाचस्पति ने राजधानी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर बारा क्षेत्र की सड़को और आवागमन को लेकर गम्भीर समस्याओं को विस्तार से बताया तो मुख्यमंत्री ने तुरन्त संज्ञान लेते हुए इन सभी मुद्दो को प्राथमिकता पर लिया।बारा विधायक डॉ.वाचस्पति के प्रयासों का ही परिणाम है कि रूम इंटर कॉलेज तरसु का पूरा मार्ग बंधवा से देवखरिया मार्ग जारी से नेवढ़िया मार्ग कमला पंप से राम नेवाज तक का सम्पूर्ण मार्ग तथा प्रतापपुर बुंदेला नाले पर पुल एवं मार्ग—इन सभी पर टेंडर की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है और जल्द ही इन पर कार्य प्रारम्भ हो जाएगा। 

यह सड़के वर्षो से बदहाल स्थिति में थी और क्षेत्रवासियों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई थी।लेकिन अब स्थिति बदलने जा रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बारा क्षेत्र की आधा दर्जन सड़कों के साथ-साथ प्रतापपुर में बुंदेला नाले पर बनने वाला यह पुल क्षेत्र की कनेक्टिविटी और विकास के नए द्वार खोलेगा। गांवों से शहर तक की दूरी कम होगी स्कूल अस्पताल और बाज़ारो तक पहुंच आसान होगी और बरसात के दिनो में लोगों को होने वाली भारी परेशानी खत्म हो जाएगी।इसी के साथ एक और बड़ी स्वीकृति मिली है विधायक मीडिया प्रभारी नीरज केसरवानी ने बताया कि वर्षो से उपेक्षा झेल रहे और टूट-फ़ूट की हालत में पड़े नीबी से लालापुर मार्ग का टेंडर भी जारी हो चुका है।

यह उपलब्धि केवल और केवल बारा विधायक डॉ.वाचस्पति के निरंतर प्रयासों का परिणाम है। उनके द्वारा उठाई गई समस्याओ को न सिर्फ सुना गया, बल्कि तत्काल प्रभाव से स्वीकृति भी दे दी गई।क्षेत्र में यह चर्चा आम है कि विधायक डॉ. वाचस्पति बारा के विकास के लिए दिन-रात काम करते हैं और यही वजह है कि आज कई महत्वपूर्ण परियोजनाओ को नया जीवन मिला है।स्थानीय जनता इस बात को खुले दिल से मानती है कि बारा के विकास की जो मजबूत नींव आज डाली जा रही है वह बारा विधायक डॉ.वाचस्पति की सक्रिय सोच दूरदर्शिता और जनहित के प्रति उनकी निष्ठा का परिणाम है।

विधायक प्रतिनिधि विजय कुमार निषाद (श्यामू)ने कहा कि अब जब इतने बड़े स्तर पर सड़क और पुल निर्माण शुरू होने जा रहा है तो निश्चित ही आने वाले महीनों में बारा क्षेत्र का नक्शा बदला हुआ दिखाई देगा।लोगो की वर्षो पुरानी मांगें पूरी होंगी और क्षेत्र विकास की नई ऊँचाइयों को स्पर्श करेगा।

राष्‍ट्रपति और राज्‍यपाल विधेयकों को कब तक रोक सकते हैं? प्रेजिडेंशियल रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

#supremecourtpronounceitsverdictonthepresidentreference

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सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को राष्ट्रपति की ओर से संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत मांगी गई राय पर अपना फैसला सुना दिया है। सीजेआई के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि राज्यपाल पर कोई समय-सीमा नहीं लगा सकता। अदालत ने राष्ट्रपति के रेफरेंस पर अपनी राय देते हुए कहा है कि राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा तय करने वाला फैसला असंवैधानिक है।

समय सीमा में बांधना संविधान की भावना के विपरीत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से भेजे गए प्रेजिडेंशियल रेफरेंस पर कोर्ट ने गुरुवार को अपनी राय देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200/201 के तहत कोर्ट बिल पर फैसला लेने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा निर्धारित नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि विधेयक पर फैसला लेने के लिए उन्हें समय सीमा में बांधना संविधान की भावना के विपरीत होगा।

राज्यपालों के पास तीन विकल्प

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर की बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 200 के तहत व्यवस्था है कि राज्यपाल विधेयक को मंजूरी दे सकते हैं, विधानसभा को दोबारा भेज सकते हैं या राष्ट्रपति को भेज सकते हैं। अगर विधानसभा किसी बिल को वापस भेजे तो राज्यपाल को उसे मंजूरी देनी होती है।

विधेयकों को रोकने की अनुमति देना संघवाद के हित के खिलाफ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना रोक कर रखते हैं तो यह संघवाद की भावना के खिलाफ होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 'राष्ट्रपति संदर्भ' मामले में कहा हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में राज्यपालों के लिए समयसीमा तय करना संविधान द्वारा प्रदत्त लचीलेपन की भावना के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता कि राज्यपालों के पास राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों को लंबित रखने का असीमित अधिकार है। विधेयकों को रोकने की अनुमति दी जाती है तो यह संघवाद के हित के खिलाफ।

राज्यपाल के अधिकारों का उपयोग न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं

इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि अत्यधिक देरी लोकतांत्रिक शासन की आत्मा को क्षति पहुंचाती है, इसलिए इन पदों से अपेक्षा है कि वे उचित समय के भीतर निर्णय लें। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तमिलनाडु के मामले में राज्य के राज्यपाल द्वारा रोक कर रखे गए विधेयकों को शीर्ष अदालत द्वारा 8 अप्रैल को दी गई मान्य स्वीकृति को भी अनुचित बताया। शीर्ष अदालत ने यह भी फैसला दिया कि अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के अधिकारों का उपयोग न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं आता।

अपने ही डबल बेंच की राय को भी खारिज किया

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही डबल बेंच की राय को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रपति को उनके पास भेजे गए किसी विधेयक की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद 143 के तहत राय लेनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि राष्ट्रपति को ऐसी कोई राय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि यद्यपि संवैधानिक न्यायालय राज्यपाल के कार्यों पर सीधे सवाल नहीं उठा सकते, लेकिन यदि राज्यपाल किसी विधेयक के उद्देश्यों को विफल करने के लिए लंबे समय तक कार्रवाई न करें, तो ऐसी लंबी देरी की न्यायिक समीक्षा सीमित परिस्थितियों में की जा सकती है। अदालत यह जांच कर सकती है कि देरी जानबूझकर की गई थी या नहीं।

आपकी योजना आपके द्वार' का रांची में आगाज: ऊपर कोनकी पंचायत में DC और विधायक ने किया परिसंपत्ति का वितरण, समस्याओं के ऑन द स्पॉट निष्पादन पर जोर


रांची: झारखंड सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम "आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार" का आयोजन आज (21 नवंबर 2025) से रांची जिले के विभिन्न प्रखंडों की पंचायतों में शुरू हो गया है।

इस क्रम में उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी, रांची, श्री मंजूनाथ भजन्त्री कांके विधानसभा क्षेत्र के माननीय विधायक श्री सुरेश कुमार बैठा के साथ कांके प्रखंड की ऊपर कोनकी पंचायत में आयोजित शिविर में शामिल हुए।

इस अवसर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी कांके श्री विजय कुमार, अंचल अधिकारी श्री अमित भगत, जिला जन संपर्क पदाधिकारी श्रीमती उर्वशी पांडेय सहित अन्य स्थानीय पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

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सरकार के तंत्र आपके द्वार तक जाएंगे

उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजन्त्री ने भारी संख्या में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार इस कार्यक्रम को 'सेवा सप्ताह' के रूप में मना रही है। उन्होंने कहा:

"सरकार के तंत्र पंचायत स्तर पर आपके द्वार तक जाएंगे, ताकि आपकी समस्या को सुनते हुए उसकी निष्पादन करने का प्रयास सरकार एवं जिला प्रशासन की तरफ से रहेगा।"

उन्होंने बताया कि इस कैंप के माध्यम से आवेदकों को जाति, आय, आवासीय जैसे प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे, जिनकी समस्याओं का ऑन द स्पॉट समाधान किया जाएगा।

लाभार्थियों को ऑन द स्पॉट मिला लाभ

माननीय विधायक श्री सुरेश कुमार बैठा ने राज्य सरकार की इस पहल की सराहना की और लोगों को इसका अधिक से अधिक लाभ लेने का आग्रह किया।

शिविर में उपायुक्त, माननीय विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों ने विभिन्न योजनाओं के लाभुकों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया। इसमें शामिल थे:

पेंशन स्वीकृति पत्र: सामाजिक सुरक्षा के तहत (वृद्ध/दिव्यांग/विधवा) पेंशन लाभुकों को।

धोती-साड़ी: सोना सोबरन धोती-साड़ी योजना के तहत वितरण।

अन्य दस्तावेज: जमीन की दाखिल खारिज शुद्धि पत्र का वितरण भी किया गया।

उपायुक्त ने ग्रामीणों को अबुआ आवास योजना, गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना और ग्राम गाड़ी योजना की विस्तार से जानकारी दी और अधिकारियों को विशेष रूप से निर्देशित किया कि "झारखंड सरकार के सभी योजनाओं का लाभ लाभुकों को मिलें इसपर विशेष ध्यान दे।"

यातायात माह नवंबर-2025 के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया गया

गोण्डा। पुलिस अधीक्षक गोण्डा के निर्देशन में “यातायात माह नवंबर-2025” के अंतर्गत जनपद में सड़क सुरक्षा एवं यातायात नियमों के प्रति जनजागरूकता कार्यक्रम निरंतर आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में आज 21.11.2025 को क्षेत्राधिकारी नगर आनंद कुमार राय, प्रभारी यातायात जगदंबा गुप्ता, टी0एस0आई0 राकेश कुमार, आरक्षी योगेश कुमार, आरक्षी संदीप यादव, होमगार्ड काशीराम, होमगार्ड दिनेश चंद पाण्डेय द्वारा गीता इंटरनेशनल इंटर कॉलेज, गोण्डा में लगभग 300 छात्र-छात्राओं के मध्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

 कार्यक्रम में छात्रों को हेलमेट एवं सीट बेल्ट के अनिवार्य उपयोग, सड़क पार करने की सावधानियाँ, ओवरस्पीडिंग के दुष्परिणाम, नशे में वाहन न चलाने, मोबाइल फोन का वाहन चलाते समय प्रयोग न करने सहित विभिन्न यातायात नियमों की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही छात्रों को यातायात नियमों से संबंधित पम्पलेट वितरित किए गए तथा उन्हें सुरक्षित एवं जिम्मेदार यातायात व्यवहार अपनाने हेतु प्रेरित किया गया।

महत्वपूर्ण संदेश– 

सड़क सुरक्षा के लिए पालन करें ये नियम-

1. वाहन चलाते समय मोबाइल फोन अथवा इयरफोन का प्रयोग न करें।

2. नाबालिग बच्चों द्वारा वाहन चलाना पूर्णतः वर्जित है।

3. दोपहिया वाहन चालक एवं पीछे बैठी सवारी दोनों को हेलमेट पहनना अनिवार्य है।

4. चारपहिया वाहनों में सीट बेल्ट का प्रयोग अनिवार्य है।

5. निर्धारित क्षमता से अधिक सवारियाँ बैठाना एवं निर्धारित गति सीमा से अधिक वाहन चलाना दंडनीय अपराध है।

6. दाएँ-बाएँ मुड़ते समय इंडिकेटर का प्रयोग अनिवार्य रूप से करें।

7. दोपहिया वाहन पर दो से अधिक सवारी न बैठाएँ।

8. वाहन निर्धारित स्थान पर ही पार्क करें।

9. वाहनों के आगे एवं पीछे रिफ्लेक्टर टेप लगाएँ।

10. एम्बुलेंस एवं फायर ब्रिगेड वाहन को पहले रास्ता दें।

11. नशा कर वाहन बिल्कुल न चलाएँ।

12. सड़क पर खतरनाक स्टंट न करें।

13. दुर्घटना की स्थिति में घायल की मदद करें एवं तुरंत 112 पर सूचना दें।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ से हुए सम्मानित



रायपुर- आज हिंदी के शीर्ष कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार, उनके रायपुर स्थित निवास पर दिया गया. ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने सम्मान के साथ उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का चेक उन्हें प्रदान किया गया.

विनोद कुमार शुक्ल ने अपने पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा- “जब हिन्दी भाषा सहित तमाम भाषाओं पर संकट की बात कही जा रही है, मुझे पूरी उम्मीद है नई पीढ़ी हर भाषा का सम्मान करेगी. हर विचारधारा का सम्मान करेगी. किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना, मनुष्यता का नष्ट होना है.”

वे पिछले कई सालों से बच्चों और किशोरों के लिए भी लिख रहे हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “मुझे बच्चों, किशोरों और युवाओं से बहुत उम्मीदें हैं. मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि हर मनुष्य को अपने जीवन में एक किताब जरूर लिखनी चाहिए. अच्छी किताबें हमेशा साथ होनी चाहिए. अच्छी किताब को समझने के लिए हमेशा जूझना पड़ता है. किसी भी क्षेत्र में शास्त्रीयता को पाना है तो उस क्षेत्र के सबसे अच्छे साहित्य के पास जाना चाहिये.”

आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि “किसी अच्छे काम की आलोचना अगर की जाती है तो उन आलोचनाओं को अपनी ताकत बना लें. आलोचना जो है, दूसरों का विचार है, जो उपयोगी या अनुपयोगी हो सकता है. किसी कविता की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर उससे अच्छी एक और नयी कविता को रच देना है. किसी काम की सबसे अच्छी आलोचना का उत्तर, उससे और अच्छा काम करके दिखाना होना चाहिए. साहित्य में गलत आलोचनाओं ने अच्छे साहित्य का नुक़सान ज्यादा किया है.”

उन्होंने कहा कि “जीवन में असफलताएँ, गलतियाँ, आलोचनाएँ सभी तरफ़ बिखरी पड़ी मिल सकती हैं, वे बहुत सारी हो सकती हैं. उस बिखराव के किसी कोने में अच्छा, कहीं छिटका सा पड़ा होगा. दुनिया में जो अच्छा है, उस अच्छे को देखने की दृष्टि हमें स्वयं ही पाना होगा. इसकी समझ खुद विकसित करनी होगी. हमें अपनी रचनात्मकता पर ध्यान देना चाहिये. जब कहीं, किसी का साथ न दिखाई दे, तब भी चलो. अकेले चलो. चलते रहो. जीवन में उम्मीद सबसे बड़ी ताकत है. मेरे लिये पढ़ना और लिखना साँस लेने की तरह है.”

इससे पहले उन्होंने अपनी एक कविता का भी पाठ किया-

सबके साथ

सबके साथ हो गया हूँ

अपने पैरों से नहीं

सबके पैरों से चल रहा हूँ

अपनी आँखों से नहीं

सबकी आँखों से देख रहा हूँ

जागता हूँ तो सबकी नींद से

सोता हूँ तो सबकी नींद में

मैं अकेला नहीं

मुझमें लोगों की भीड़ इकट्ठी है

मुझे ढूँढो मत

मैं सब लोग हो चुका हूँ

मैं सबके मिल जाने के बाद

आख़िर में मिलूँगा

या नहीं मिल पाया तो

मेरे बदले किसी से मिल लेना.

विनोद कुमार शुक्ल के बारे में

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे, लगभग 90 की उम्र के होने को आए विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार हैं, जो बहुत धीमे बोलते हैं, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज़ बहुत दूर तक सुनाई देती है. मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील, न्यूनतम और जादुई दुनिया रची. वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं, जिनके यहाँ एक साधारण कमरा, एक खिड़की, एक पेड़, एक कमीज़ या घास का छोटा-सा टुकड़ा भी किसी पूरे ब्रह्मांड की तरह खुल जाता है.

उनका पहला कविता संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएँ हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं. आगे चलकर ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ (1981), ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ (1992), ‘अतिरिक्त नहीं’ (2000), ‘कविता से लंबी कविता’ (2001), ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ (2006), ‘पचास कविताएँ’ (2011), ‘कभी के बाद अभी’ (2012), ‘कवि ने कहा’, चुनी हुई कविताएँ (2012) और ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2013) जैसे संग्रहों ने उन्हें समकालीन हिंदी कविता के सबसे मौलिक स्वरों में शुमार कर दिया. उनकी कविताएँ बोलने से ज़्यादा सुनने वाली, नारेबाज़ी से कहीं अधिक, धीमी फुसफुसाहट की तरह काम करती हैं, लेकिन असर उनका बहुत दीर्घकालिक है.

उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई. इसके बाद ‘खिलेगा तो देखेंगे’ (1996), ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ (1997, साहित्य अकादमी पुरस्कार), ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (2011), ‘यासि रासा त’ (2016) और ‘एक चुप्पी जगह’ (2018) के माध्यम से उन्होंने लोकआख्यान, स्वप्न, स्मृति, मध्यवर्गीय जीवन और मनुष्य की अस्तित्वगत जटिल आकांक्षाओं को एक नये कथा-ढांचे में समाहित किया.

कहानी-संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ (1988), ‘महाविद्यालय’ (1996), ‘एक कहानी’ (2021) और ‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ’ (2021) में भी वही सूक्ष्म, घरेलू और लगभग उपेक्षित जीवन-कण अद्भुत कथा-समृद्धि के साथ उपस्थित होते हैं.

उनकी रचनाएँ अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुईं. ‘The Servant’s Shirt’, ‘A Window Lived In The Wall’, ‘Once It Flowers’, ‘Moonrise From The Green Grass Roof’, ‘Blue Is Like Blue’, ‘The Windows In Our House Are Little Doors’ जैसे अंग्रेज़ी अनुवादों ने उन्हें वैश्विक पाठकों तक पहुँचाया. ‘नौकर की कमीज़’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के साथ ‘पेड़ पर कमरा’ और अनेक कविताएँ विदेशी तथा भारतीय भाषाओं में रूपांतरित होकर एक व्यापक पाठक-वृत्त तक पहुँचीं. कई रचनाओं पर फिल्में बनीं, नाटक लिखे गए.

साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, ‘Blue Is Like Blue’ के लिए मातृभूमि पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य सम्मान और 2023 का पैन-नाबोकोव पुरस्कार जैसी उपलब्धियाँ उनके दीर्घ, शांत और गहन रचनात्मक सफ़र की सार्वजनिक स्वीकृति हैं.

लेकिन इन सब के बीच उनका लेखक-स्वर वही बना रहा-संकोची, आंतरिक, लगभग अदृश्य, जो शब्दों की अत्यधिक सजावट से बचते हुए, बेहद सरल वाक्यों में हमारे भीतर एक खिड़की खोल देता है, जहाँ से दुनिया थोड़ी और मानवीय, थोड़ी और कल्पनाशील और थोड़ी और सच दिखाई देने लगती है.

दिल्ली ब्लास्ट में बड़ा खुलासा, विस्फोटक तैयार करने के लिए आटा चक्की का इस्तेमाल करता था आतंकी डॉक्टर

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दिल्ली ब्लास्ट केस की जांच जितनी आगे बढ़ रही है, उतने ही चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला है। बताया जा रहा है कि गिरफ्तार आरोपी मुजम्मिल शकील विस्फोटक तैयार करने के लिए आटा चक्की और इलेक्ट्रिकल मशीनों का इस्तेमाल किया था। एनआईए की टीम ने फरीदाबाद और धौज गांव से जो सामग्री बरामद की, उसने पूरे मॉड्यूल का सच सामने ला दिया। 

लाल किला ब्लास्ट मामले की जांच में ये बात सामने आई है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी मुजम्मिल शकील गनई फरीदाबाद में किराए के कमरे में आटा चक्की की मदद से यूरिया को बारीक पीसता था और फिर इलेक्ट्रिकल मशीन से उसे रिफाइन करके केमिकल तैयार करता था। 9 नवंबर को पुलिस ने इसी जगह से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद की थी। 

अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर था मुजम्मिल

पूछताछ के दौरान आरोपी गनई ने स्वीकार किया कि वह लंबे समय से इसी तरीके से अमोनियम नाइट्रेट को यूरिया से अलग कर विस्फोटक तैयार कर रहा था। इसके बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी की लैब से चोरी किए गए केमिकल इस पाउडर में मिलाए जाते थे। यही मिश्रण आगे चलकर घातक विस्फोटक बन जाता था। बता दें कि मुजम्मिल शकील फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर था।

टैक्सी ड्राइवर के घर में मिले उपकरण

एनआईए की टीम ने फरीदाबाद के उस टैक्सी ड्राइवर को भी हिरासत में लिया है, जिसके घर से यह उपकरण बरामद हुए। ड्राइवर ने बताया कि उसकी मुलाकात गनई से लगभग चार साल पहले हुई थी, जब वह अपने बेटे का इलाज कराने अल-फलाह मेडिकल कॉलेज गया था। यहीं से बातचीत शुरू हुई और धीरे-धीरे ड्राइवर उसके संपर्क में आने लगा। इसी बीच मुजम्मिल एक दिन आटा चक्की और मशीनें उसके घर रख गया। ड्राइवर को शक न हो, इसलिए उसने इसे ‘दहेज’ बताया।

रेड करने पहुंचे ED अफसर के सामने बिजनेसमैन ने छोड़े कुत्ते, छापेमारी में बेहिसाब कैश-ज्वेलरी बरामद

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड और पश्चिम बंगाल में कोयला माफिया नेटवर्क के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की है. दोनों ही राज्यों में आज तड़के सुबह 40 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी कर अवैध कोयला खनन, चोरी और तस्करी के मामलों की जांच की जा रही है. इस कार्रवाई में एल.बी. सिंह सहित कई बड़े नाम शामिल हैं. हालांकि सिंह की एक हरकत ने अधिकारियों को परेशानी में डाल दिया. ईडी के अधिकारी जैसे ही घर में घुसने वाले थे. एलबी सिंह ने अपने पालतू कुत्तों को खोल दिया. इससे अधिकारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.

धनबाद के बड़े कोयला व्यवसायी एल.बी. सिंह और उनके भाई कुंभनाथ सिंह के ठिकानों पर शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने व्यापक छापेमारी की है. ईडी की टीमें सरायढेला के देवबिला स्थित आवास, बैंक मोड़ के शांति भवन, निरसा के टालडांगा में बिनोद महतो के ठिकाने तथा भूली में सन्नी केशरी के स्थान सहित करीब आधा दर्जन लोकेशन पर पहुंची हैं.

अधिकारियों पर छोड़े कुत्ते

ईडी के अफसरों को घर में घुसने से रोकने के लिए एलबी सिंह ने अपने पालतू कुत्तों को खोल दिया था. कुत्ते एलबी सिंह के आवासीय परिसर में घूम रहे थे और ईडी के अफसरों को घर में घुसने से रोके हुए थे. अधिकारी जैसे ही घर के अंदर जाने की कोशिश करते कुत्ते भौंकना शुरू कर देते. हालांकि बाद में अधिकारी घर के अंदर जाने में सफल रहे.

भारी सोना चांदी बरामद

ईडी ने अपनी इस छापेमारी में भारी मात्रा में कैश और सोना चांदी भी बरामद किया है. 100 से ज़्यादा ED अधिकारी और स्टाफ कोयला माफिया के खिलाफ सर्च कर रहे हैं. सर्च ऑपरेशन सुबह करीब 6 बजे शुरू हुआ था.

10 दिन पहले भी हुई थी छापेमारी

दोनों भाई कोयला आउटसोर्सिंग कंपनी के मालिक हैं और हाल के दिनों में सामने आए कोयला स्कैन से जुड़े मामलों की जांच के क्रम में यह कार्रवाई की जा रही है. इससे पहले करीब 10 वर्ष पूर्व बीसीसीएल में टेंडर घोटाला मामले में CBI ने एल.बी. सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की थी. उस दौरान छापेमारी के वक्त एल.बी. सिंह द्वारा CBI टीम पर फायरिंग भी किए जाने की घटना सामने आई थी.

ईडी की ताजा कार्रवाई से कोयला कारोबार से जुड़े अन्य लोगों में भी हलचल मची हुई है. जांच एजेंसी अभी सभी स्थानों से दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड खंगालने में जुटी है.

Eczema Relief Made Easy with Homeopathy in Hyderabad – Natural & Long-Lasting Skin Care

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Eczema is a long-standing skin condition marked by dryness, itching, redness, and irritation. It affects both adults and children, often leading to discomfort, disturbed sleep, and reduced confidence. With rising pollution, climate variations, and stressful lifestyles, more people are choosing homeopathy in Hyderabad as a safe and natural way to manage eczema. Homeopathy works from within, aiming to bring balance to the body while supporting the skin’s natural healing process.

Symptoms and Causes of Eczema

Common symptoms include dry or rough patches, redness, itching, swelling, and occasional oozing. Many individuals experience intense itching at night, which disrupts rest and worsens skin irritation. Over time, untreated eczema can lead to thickened or cracked skin.

The causes vary widely—genetic tendencies, immune system sensitivity, emotional stress, allergens, harsh soaps, dust, and sudden weather shifts. These diverse triggers make homeopathy in Hyderabad especially effective because it provides individualized care based on each person’s unique health pattern.

How Homeopathy Helps in Eczema Management

Homeopathy aims to address the root cause of eczema rather than just soothing the surface. By understanding emotional health, stress levels, lifestyle habits, and environmental exposure, homeopathy in Hyderabad helps reduce flare-ups, calm itching, and restore moisture balance. It is a gentle, holistic, and non-toxic approach suitable for all age groups, ensuring long-term improvement without side effects.

Spiritual Homeopathy: A Reliable Choice for Eczema Treatment

Spiritual Homeopathy offers structured consultations, detailed case analysis, and customized treatment plans. Their approach reflects the true essence of homeopathy in Hyderabad, focusing on holistic well-being and sustainable healing. Many patients experience smoother skin, reduced irritation, and improved overall comfort through their expert guidance.

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*মিরাকেল আজও ঘটে*

 ডেস্ক : এ যেন মিরাকেল। সৌদি আরবের মদিনার কাছে মর্মান্তিক বাস দুর্ঘটনায় প্রাণ গিয়েছে ৪২ জন ভারতীয়। অভিশপ্ত সেই বাসেই ছিলেন হায়দরাবাদের বাসিন্দা ২৪ বছরের মহম্মদ আবদুল শোয়েব। বাসের যাত্রীর মধ্যে একমাত্র জীবিত ভারতীয় তিনিই। প্রাণে বাঁচলেও অবশ্য অক্ষত নন শোয়েব, গুরুতর আহত অবস্থায় হাসপাতালে চিকিৎসাধীন তিনি। তাঁর বেঁচে যাওয়াকে কার্যত ‘ম্যাজিক’ বলেই মনে করছেন বিশেষজ্ঞরা। জানা যাচ্ছে, সৌদি আরবে উমরাহ করতে গিয়েছিলেন হায়দরাবাদের একদল যাত্রী। রবিবার রাতে বাসে মক্কা থেকে মদিনা যাচ্ছিল তীর্থযাত্রীদের ওই দলটি। প্রায় দেড়টা নাগাদ মুফরিহাটের কাছে একটি ডিজেল ট্যাঙ্কারের সঙ্গে সংঘর্ষ হয় বাসটির। দুর্ঘটনার তীব্রতা এতটাই ছিল যে সঙ্গে সঙ্গে আগুন ধরে যায় বাসে।

ঘুমের মধ্যেই আগুনে ঝলসে যান ৪২ জন। যাঁদের বেশিরভাগই মহিলা ও শিশু। ভয়াবহ এই দুর্ঘটনার পরও কার্যত কপালজোরে বেঁচে যান শোয়েব। জানা যাচ্ছে, দুর্ঘটনার সময় বাসের সামনে চালকের ঠিক পাশের আসনে বসেছিলেন হায়দরাবাদের ওই যুবক। মনে করা হচ্ছে, দুর্ঘটনার পর কোনওভাবে বাসের বাইরে ছিটকে পড়েছিলেন তিনি। যার জেরেই ভয়াবহ অগ্নিকাণ্ড থেকে রক্ষা পেয়ে যান। আপাতত হাসপাতালে চিকিৎসাধীন ওই যুবক। তবে বর্তমানে তাঁর শারীরিক অবস্থা সম্পর্কে বিস্তারিত কিছু জানা যায়নি।

সৌজন্যে: www.machinnamasta.in

झारखंड-बंगाल में कोयला माफियाओं पर ED का एक्शन, एक साथ 42 जगहों पर छापे

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड और पश्चिम बंगाल में कोयला माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. टीम की तरफ से एक साथ 40 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की गई है. इसमें अवैध कोयला खनन, चोरी और तस्करी के नेटवर्क को निशाना बनाया गया. इस संयुक्त कार्रवाई में करोड़ों रुपये के सरकारी राजस्व के नुकसान से जुड़े मामलों की जांच की जा रही है, जिसमें कई बड़े नाम सामने आए हैं.

रांची स्थित ईडी टीम ने झारखंड के 18 ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया है. ये कार्रवाई कोयला चोरी और तस्करी से जुड़े कई बड़े मामलों पर आधारित है. जिन मामलों में कार्रवाई हो रही है, उनमें अनिल गोयल, संजय उद्योग, एल.बी. सिंह और अमर मंडल से जुड़े केस शामिल हैं.

इन मामलों में भारी पैमाने पर कोयला चोरी और सरकारी राजस्व की सैकड़ों करोड़ रुपये की हानि की बात सामने आई है. यही वजह है कि टीम प्रदेश भर में एक साथ छापेमारी की है. ऐसा माना जा रहा है कि इस छापेमारी के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं.

पश्चिम बंगाल में 24 स्थानों पर सर्च

ईडी की दूसरी टीम ने पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता जिलों में 24 ठिकानों पर छापेमारी की है. ये कार्रवाई अवैध कोयला खनन, गैर-कानूनी परिवहन और कोयले के अवैध भंडारण के मामलों से जुड़ी है. जिन लोगों के ठिकानों पर कार्रवाई की जा रही है, उनमें नरेंद्र खड़का, अनिल गोयल, युधिष्ठिर घोष, कृष्ण मुरारी कायल समेत कई अन्य नाम शामिल हैं.

कोयला माफियाओं पर बड़ी चोट

ईडी की इस संयुक्त कार्रवाई को कोयला माफिया नेटवर्क पर बड़ी चोट माना जा रहा है. जांच एजेंसी के अनुसार, आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं. गौरतलब है कि कोयले के व्यापार में पहले भी कई तरह की अनियमितताओं के मामले सामने आ चुके हैं. टीम ने इस छापेमारी से पहले ही कई कारोबारियों को दिल्ली तलब किया था. इसके बाद ही इसे अंजाम दिया गया है.

बारा विधायक डॉ.वाचस्पति के दमदार प्रयासों से क्षेत्र की सूरत बदलने को तैयार

आधा दर्जन सड़के एक बड़ा पुल और कई महत्वपूर्ण मार्गो को मिली हरी झंडी

मुख्यमन्त्री से विशेष भेंट का बड़ा असर, डॉ.वाचस्पति ने दिलाई ऐतिहासिक स्वीकृतियाँ अब बारा में विकास की रफ्तार होगी दोगुनी

संजय द्विवेदी,प्रयागराज।यमुनानगर अन्तर्गत विधान सभा बारा के लिए यह सप्ताह ऐतिहासिक साबित होने जा रहा है।क्षेत्र के लोकप्रिय और जन-जन के प्रिय बारा विधायक डॉ.वाचस्पति की अथक मेहनत मजबूत इच्छाशक्ति और विकास को लेकर उनकी प्रतिबद्धता अब बड़े परिणाम के रूप में सामने आने लगी है। कुछ दिनों पूर्व जब बारा विधायक डॉ.वाचस्पति ने राजधानी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर बारा क्षेत्र की सड़को और आवागमन को लेकर गम्भीर समस्याओं को विस्तार से बताया तो मुख्यमंत्री ने तुरन्त संज्ञान लेते हुए इन सभी मुद्दो को प्राथमिकता पर लिया।बारा विधायक डॉ.वाचस्पति के प्रयासों का ही परिणाम है कि रूम इंटर कॉलेज तरसु का पूरा मार्ग बंधवा से देवखरिया मार्ग जारी से नेवढ़िया मार्ग कमला पंप से राम नेवाज तक का सम्पूर्ण मार्ग तथा प्रतापपुर बुंदेला नाले पर पुल एवं मार्ग—इन सभी पर टेंडर की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है और जल्द ही इन पर कार्य प्रारम्भ हो जाएगा। 

यह सड़के वर्षो से बदहाल स्थिति में थी और क्षेत्रवासियों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई थी।लेकिन अब स्थिति बदलने जा रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बारा क्षेत्र की आधा दर्जन सड़कों के साथ-साथ प्रतापपुर में बुंदेला नाले पर बनने वाला यह पुल क्षेत्र की कनेक्टिविटी और विकास के नए द्वार खोलेगा। गांवों से शहर तक की दूरी कम होगी स्कूल अस्पताल और बाज़ारो तक पहुंच आसान होगी और बरसात के दिनो में लोगों को होने वाली भारी परेशानी खत्म हो जाएगी।इसी के साथ एक और बड़ी स्वीकृति मिली है विधायक मीडिया प्रभारी नीरज केसरवानी ने बताया कि वर्षो से उपेक्षा झेल रहे और टूट-फ़ूट की हालत में पड़े नीबी से लालापुर मार्ग का टेंडर भी जारी हो चुका है।

यह उपलब्धि केवल और केवल बारा विधायक डॉ.वाचस्पति के निरंतर प्रयासों का परिणाम है। उनके द्वारा उठाई गई समस्याओ को न सिर्फ सुना गया, बल्कि तत्काल प्रभाव से स्वीकृति भी दे दी गई।क्षेत्र में यह चर्चा आम है कि विधायक डॉ. वाचस्पति बारा के विकास के लिए दिन-रात काम करते हैं और यही वजह है कि आज कई महत्वपूर्ण परियोजनाओ को नया जीवन मिला है।स्थानीय जनता इस बात को खुले दिल से मानती है कि बारा के विकास की जो मजबूत नींव आज डाली जा रही है वह बारा विधायक डॉ.वाचस्पति की सक्रिय सोच दूरदर्शिता और जनहित के प्रति उनकी निष्ठा का परिणाम है।

विधायक प्रतिनिधि विजय कुमार निषाद (श्यामू)ने कहा कि अब जब इतने बड़े स्तर पर सड़क और पुल निर्माण शुरू होने जा रहा है तो निश्चित ही आने वाले महीनों में बारा क्षेत्र का नक्शा बदला हुआ दिखाई देगा।लोगो की वर्षो पुरानी मांगें पूरी होंगी और क्षेत्र विकास की नई ऊँचाइयों को स्पर्श करेगा।

राष्‍ट्रपति और राज्‍यपाल विधेयकों को कब तक रोक सकते हैं? प्रेजिडेंशियल रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को राष्ट्रपति की ओर से संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत मांगी गई राय पर अपना फैसला सुना दिया है। सीजेआई के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि राज्यपाल पर कोई समय-सीमा नहीं लगा सकता। अदालत ने राष्ट्रपति के रेफरेंस पर अपनी राय देते हुए कहा है कि राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा तय करने वाला फैसला असंवैधानिक है।

समय सीमा में बांधना संविधान की भावना के विपरीत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से भेजे गए प्रेजिडेंशियल रेफरेंस पर कोर्ट ने गुरुवार को अपनी राय देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200/201 के तहत कोर्ट बिल पर फैसला लेने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा निर्धारित नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि विधेयक पर फैसला लेने के लिए उन्हें समय सीमा में बांधना संविधान की भावना के विपरीत होगा।

राज्यपालों के पास तीन विकल्प

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर की बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 200 के तहत व्यवस्था है कि राज्यपाल विधेयक को मंजूरी दे सकते हैं, विधानसभा को दोबारा भेज सकते हैं या राष्ट्रपति को भेज सकते हैं। अगर विधानसभा किसी बिल को वापस भेजे तो राज्यपाल को उसे मंजूरी देनी होती है।

विधेयकों को रोकने की अनुमति देना संघवाद के हित के खिलाफ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना रोक कर रखते हैं तो यह संघवाद की भावना के खिलाफ होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 'राष्ट्रपति संदर्भ' मामले में कहा हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में राज्यपालों के लिए समयसीमा तय करना संविधान द्वारा प्रदत्त लचीलेपन की भावना के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता कि राज्यपालों के पास राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों को लंबित रखने का असीमित अधिकार है। विधेयकों को रोकने की अनुमति दी जाती है तो यह संघवाद के हित के खिलाफ।

राज्यपाल के अधिकारों का उपयोग न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं

इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि अत्यधिक देरी लोकतांत्रिक शासन की आत्मा को क्षति पहुंचाती है, इसलिए इन पदों से अपेक्षा है कि वे उचित समय के भीतर निर्णय लें। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तमिलनाडु के मामले में राज्य के राज्यपाल द्वारा रोक कर रखे गए विधेयकों को शीर्ष अदालत द्वारा 8 अप्रैल को दी गई मान्य स्वीकृति को भी अनुचित बताया। शीर्ष अदालत ने यह भी फैसला दिया कि अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के अधिकारों का उपयोग न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं आता।

अपने ही डबल बेंच की राय को भी खारिज किया

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही डबल बेंच की राय को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रपति को उनके पास भेजे गए किसी विधेयक की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद 143 के तहत राय लेनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि राष्ट्रपति को ऐसी कोई राय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि यद्यपि संवैधानिक न्यायालय राज्यपाल के कार्यों पर सीधे सवाल नहीं उठा सकते, लेकिन यदि राज्यपाल किसी विधेयक के उद्देश्यों को विफल करने के लिए लंबे समय तक कार्रवाई न करें, तो ऐसी लंबी देरी की न्यायिक समीक्षा सीमित परिस्थितियों में की जा सकती है। अदालत यह जांच कर सकती है कि देरी जानबूझकर की गई थी या नहीं।