नेपाल में बवाल, सोशल मीडिया पर रोक से भड़के युवा, संसद भवन में भी घुसे

#nepalsocialmediabaneruptsgenzprotest

पड़ोसी देश नेपाल में विरोध की आग भड़क उठी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के खिलाफ नेपाल में युवाओं ने सोमवार को काठमांडू में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जेनरेशन जेड पीढ़ी के युवाओं ने सड़कों पर सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद की। सोशल मीडिया बैन होने के विरोध में प्रदर्शन कर रही भीड़ उग्र हो गई और उन्होंने पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए। प्रदर्शनकारी गेट पार कर संसद के भीतर प्रवेश कर गए। इन्हें रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और वॉटर कैनन चलाई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग भी की, इस दौरान एक शख्स की मौत हो गई, 70 लोग घायल हैं।

ओेली सरकार के खिलाफ अगली पीढ़ी के युवाओं की बगावत

नेपाल में ओेली सरकार के खिलाफ अगली पीढ़ी के युवाओं ने बगावत कर दी है। नेपाल में अचानक शुरू हुए इस भीषण प्रदर्शन के पीछे की वजह ओली सरकार का हालिया फैसला है। सरकार ने नियमों का हवाला देकर अचानक 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिए, जिनमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर भी शामिल हैं। इस फैसले के विरोध में राजधानी काठमांडू में हजारों छात्र-युवा, सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ भीषण प्रदर्शन कर रहे हैं। कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने लाठिया भांजी हैं, जिसमें एक छात्र की अभी तक मौत की रिपोर्ट है।

'हामी नेपाल' के बैनर तले प्रदर्शन

बताया गया कि सोमवार सुबह 9 बजे से प्रदर्शनकारी काठमांडू के मैतीघर में एकत्रित होने लगे। हाल के दिनों में 'नेपो किड' और 'नेपो बेबीज' जैसे हैशटैग ऑनलाइन ट्रेंड कर रहे हैं। सरकार की ओर से अपंजीकृत प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के फैसले के बाद इसमें और तेजी आई है। काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय के अनुसार, 'हामी नेपाल' ने इस रैली का आयोजन किया था। इसके लिए पूर्व अनुमति ली गई थी।

बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के खिलाफ भी गुस्सा

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की, इसलिए यह कार्रवाई करनी पड़ी। लेकिन छात्रों और युवा वर्ग का आरोप है कि यह फैसला उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। युवाओं का कहना है सरकार अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए उनके आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। प्रदर्शनकारी बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

नेपाल के रास्ते बिहार में घुसे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी, पुलिस मुख्यालय ने जारी किया हाई अलर्ट

#threeterroristofjaishemohammadenteredinbiharvianepal

बिहार पुलिस मुख्यालय ने एक बड़ा अलर्ट जारी किया है। पुलिस मुख्यालय ने सूबे के सभी जिलों को अलर्ट किया है। अलर्ट करने की वजह यह है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी के नेपाल के रास्ते बिहार में घुसने की सूचना मिली है। खबर है कि जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी, हसनैन अली, आदिल हुसैन और मोहम्मद उस्मान, नेपाल के रास्ते बिहार में प्रवेश कर चुके हैं। जो किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में हैं। इसके बाद राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और सीमावर्ती जिलों में विशेष चौकसी बरती जा रही है।

तीन आतंकी नेपाल के रास्ते बिहार में घुसे

पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी नेपाल के रास्ते बिहार में घुसे हैं। इन आतंकियों के नाम हैं हसनैन अली जो कि रावलपिंडी, पाकिस्तान का रहने वाला है। वहीं दूसरे के नाम आदिल हुसैन है जो उमरकोट का रहने वाला है। जबकि तीसरा आतंकी मोहम्मद उस्मान है जो पाकिस्तान के ही बहावलपुर का बाशिंदा है।

तीनों आतंकियों की तस्वीर जारी

बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से इन तीनों आतंकियों की तस्वीर जारी की गई है। इनके पासपोर्ट से संबंधित जानकारी सीमावर्ती जिलों के अधिकारियों से साझा की गई है। बिहार में विधानसभा चुनाव को देखते हुए आतंकी गतिविधि पर लगातार पुलिस मुख्यालय की नजर है। इसी बीच यह अहम जानकारी सामने आई जिसके बाद हाई अलर्ट जारी किया गया है।

तीनों आतंकी अगस्त के दूसरे सप्ताह में काठमांडू पहुंचे

पुलिस मुख्यालय ने जिलों से कहा है कि पुलिस मुख्यालय के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार तीनों आतंकी अगस्त के दूसरे सप्ताह में काठमांडू पहुंचे थे। वहां से अगस्त के तीसरे सप्ताह में नेपाल बॉर्डर से बिहार में घुसे। तीनों आतंकवादियों के पासपोर्ट से जुड़ी जानकारी भी साझा की गई है। पुलिस मुख्यालय ने आशंका जताते हुए कहा है कि हो न हो ये लोग किसी बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के फिराक में हैं। पुलिस मुख्यालय ने बिहार के सभी जिलों को स्थानीय स्तर पर खुफिया तंत्र को सक्रिय कर आसूचना संकलन करने और संदिग्ध आतंकियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई का निर्देश दिया है।

इन जिलों में खास सख्ती

पुलिस मुख्यालय ने खास तौर पर नेपाल से सटे बिहार के सीमावर्ती जिले सीतामढ़ी, मधुबनी, पश्चिम चंपारण, अररिया, किशनगंज और सुपौल में चौकसी बढ़ा दी गई है। भागलपुर और अन्य जिलों में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि संदिग्ध गतिविधि या किसी भी जानकारी को तुरंत स्थानीय थाने या पुलिस हेल्पलाइन को सूचित करें। फिलहाल सभी सुरक्षा एजेंसियां तीनों आतंकियों की तलाश में जुटी हुई हैं।

Zero Bills Energy: Powering India Towards a Future of Zero Electricity Bills

Noida, Uttar Pradesh – March 2025 – With a bold vision to revolutionize the way Indians consume energy, Zero Bills Energy Pvt. Ltd., headquartered at A-116 URBTECH Trade Centre, Noida, has officially launched operations with a powerful mission: “Zero Bills – Save Your Cash For Better Future.”

The company, incorporated on 29th November 2024 and operational since mid-March 2025, is set to provide end-to-end clean energy solutions for homes, schools, factories, hospitals, malls, commercial spaces, and industries. Its offerings include residential wind turbines, solar power plants, hybrid and on-grid inverters, and advanced battery energy storage systems—all designed to help customers minimize, and in many cases eliminate, their electricity bills.

Transforming Energy Access for Middle & Lower Class Residents

What sets Zero Bills Energy apart is its focus on making renewable energy affordable and accessible for the middle and lower-income groups. Through flexible payment options such as pay-as-you-generate, EMI schemes, community and private funding, and partnerships with banks and NBFCs, the company ensures that going solar is no longer a luxury but a viable solution for every household.

Warehouses, Manufacturing & Local Partnerships

To ensure smooth execution and affordability, the company is establishing warehouses across Tier-1 and Tier-2 cities stocked with panels, inverters, battery systems, residential wind turbines, and other essentials. Zero Bills Energy is also partnering with local vendors to streamline government approvals such as CEIG certification and net-metering.

The long-term vision is to manufacture its own equipment, bringing costs further down while maintaining strict quality checks. This strategy not only enhances affordability but also strengthens India’s clean energy ecosystem.

Customer-Centric Approach: Transparency, Quality & Service

Zero Bills Energy stands out by offering:

Up to 80% savings on customer electricity bills.

Hassle-free post-sales services and lifetime product support.

Material replacement guarantees in case of issues.

Buy-back of used systems as scrap for recycling, ensuring sustainability.

100% transparency in pricing and execution.

Even in rare cases of customer defaults, risks remain low since 90% of costs are material-based, which can be redeployed to other projects.

Leadership Driving the Mission

At the helm of Zero Bills Energy is Mr. Chandra Bhan Yadav, Co-Founder & CEO, who brings over 15 years of experience across global and Indian energy giants like JSPL, Suzlon, L&T, Vikram Solar, SunSource, Golyan Group (Nepal), and Distributed Energy (Singapore & Dubai).

Supporting him is Ms. Sangeeta Yadav, Co-Founder & Chief of Staff, with 10+ years of expertise in people management and NGOs. Together, they lead a 13-member strong team, including experts in software, social media, engineering, project management, procurement, accounts, and legal compliance.

Towards a Greener, Smarter India

Zero Bills Energy is among the very few Indian companies offering complete end-to-end energy solutions under one umbrella. By delivering clean, affordable, and uninterrupted power supply, the company is not only reducing electricity costs but also empowering communities and protecting the environment.

With a clear commitment to “Save Your Cash for a Better Future,” Zero Bills Energy is set to light up millions of lives—literally—while leading India’s journey towards energy independence.

नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सुरक्षा में कटौती, लगा इतने लाख का जुर्माना, राजशाही को लेकर बवाल पर सख्ती

#securityteamofnepalexkinggyanendra

नेपाल में शुक्रवार को सुरक्षाबलों और राजशाही समर्थकों के बीच झड़प के बाद पीएम केपी ओली की सरकार पूर्व राजा ज्ञेनेंद्र शाह पर सख्त हो गई है। नेपाल में राजशाही को लेकर बढ़ते विवाद के बीच ओली सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर कड़ा एक्शन ले लिया है। नेपाल की सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती करने का फैसला किया है। साथ ही ज्ञानेंद्र शाह पर जुर्माना भी लगाया गया है। ये कार्रवाई ऐसे समय हुई है, जब नेपाल में पूर्व राजा के समर्थक बार-बार सड़कों पर उतर रहे हैं।

राजशाही को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान के लिए पूर्व नरेश पर 7.93 लाख नेपाली रुपये का भारी जुर्माना ठोका गया है। यह कार्रवाई काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) ने की है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कार्रवाई शुक्रवार को टिंकुने और आसपास के इलाकों में हुए एक कार्यक्रम के दौरान समर्थकों की तरफ से किए गए तोड़फोड़ और गंदगी फैलाने के मामले में की गई। केएमसी ने शनिवार को इस मामले में कचरा प्रबंधन अधिनियम, 2020 और काठमांडू महानगरपालिका वित्त अधिनियम, 2021 के तहत जुर्माना लगाया।

ये विरोध प्रदर्शन ज्ञानेंद्र शाह के बुलाने पर आयोजित किया गया था, इसलिए काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) के मेयर बालेंद्र शाह ने काठमांडू के बाहरी इलाके महाराजगंज में निर्मला निवास में उनके आवास पर एक लेटर भेजा। लेटर में उनसे नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 7,93,000 नेपाली रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया। पूर्व किंग को भेजे गए लेटर की कॉपी मीडिया में भी जारी की गई थीं। केएमसी ने कहा कि पूर्व किंग के बुलाने पर ही प्रदर्शनकारी वहां इकट्ठा हुए। प्रदर्शन की वजह से महानगर की बहुत सी जरूरी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है

सुरक्षा में कटौती करने का फैसला

वहीं, नेपाल की सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती करने का फैसला किया है। ज्ञानेंद्र शाह के निजी निवास निर्मल निवास में पहले जहां 25 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे, लेकिन अब सरकार ने इनकी संख्या घटाकर 16 करने का फैसला किया है। नेपाली गृह मंत्रालय ने पूर्व राजा की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों को बदलने का भी फैसला किया है। साथ ही सरकार ने पूर्व राजा पर निगरानी भी बढ़ा दी है

शुक्रवार को हुई हिंसा में दो लोगों की गई जान

बता दें कि शुक्रवार को नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। यह हिंसा नेपाल में फिर से राजशाही की मांग को लेकर हुई। आंदोलनकारियों का दावा है कि संवैधानिक राजशाही हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है।

नेपाल में साल 2006 से पहले राजशाही शासन था। विरोध के बाद राजा ज्ञानेंद्र को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद सभी अधिकार संसद को सौंप दिए गए और नेपाल में साल 2008 में 240 साल पुराना राजशाही शासन खत्म हो गया। अब राजशाही को वापस लाने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है।

नेपाल में ऐसा क्या हुआ भड़क गई हिंसा? सड़कों पर उतर आए लोग, काठमांडू में सेना तैनात

#nepal_monarchy_protests_becomes_violent

नेपाल में शुक्रवार को राजशाही समर्थकों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया था। इस दौरान काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ और आगजनी की। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में एक पत्रकार समेत दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए हैं।झड़प के बाद हालात खराब हो गए हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू में सेना को बुलाया गया है और कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है।

नेपाल में साल 2008 में खत्म हुई राजशाही को फिर से बहाल करने की मांग करते हुए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने आयोजित किया था जिसे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का समर्थन प्राप्त है और यह पार्टी देश में राजशाही स्थापित करने की मांग कर रही है। राजशाही की वापसी की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन का नेतृत्व नवराज सुवेदी कर रहे हैं। वे राज संस्था पुनर्स्थापना आंदोलन से जुड़े हैं। आंदोलनकारियों का दावा है कि संवैधानिक राजशाही हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है।

शुक्रवार को नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। हिंसा के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को 17 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें राजशाही समर्थक राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के उपाध्यक्ष रबिंद्र मिश्रा, महासचिव धवल शमशेर राना, राजशाही समर्थक कार्यकर्ता स्वागत नेपाल और संतोष तमांग आदि शामिल हैं। इन लोगों पर हिंसा भड़काने का आरोप है। कई नेताओं को नजरबंद किया गया है। अब तक हिंसा के मामले में कुल 51 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। पूर्व पीएम ने ज्ञानेंद्र शाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुष्प कमल दहल प्रचंड ने शनिवार की सुबह हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान वे सोशलिस्ट फ्रंट के कार्यालय भी पहुंचे, जिसे हिंसा के दौरान नुकसान पहुंचाया गया।

पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि 'अब ये पूरी तरह से साफ हो गया है कि इस सब के पीछे ज्ञानेंद्र शाह हैं। ज्ञानेंद्र शाह की नीयत सही नहीं है। ये पहले भी देखा गया और अब भी देखा जा रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार कड़ी कार्रवाई करे। घटना की पूरी जांच हो और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। ज्ञानेंद्र शाह को अब पूरी आजादी नहीं दी जा सकती। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और नेपाल सरकार को इस मुद्दे पर गंभीर होने की जरूरत है।

दरअसल, राजनीतिक अस्थिरता के बीच नेपाल में राजशाही को बहाल किए जाने को लेकर कुछ समय से सरगर्मी तेज़ हुई है। बीते कुछ दिनों में कई ऐसी रैलियां और प्रदर्शन हुए जिसमें राजशाही को फिर से स्थापित किए जाने की मांग की गई। हाल ही में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सक्रियता भी देखी गई है।

इस महीने 5 मार्च को काठमांडू में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने एक बाइक रैली की थी, जिनमें नेपाल के राष्ट्रध्वज के साथ लोग शामिल हुए। छह मार्च को पोखरा में ज्ञानेंद्र ने पूर्व राजा वीरेंद्र की मूर्ति का अनावरण किया गया और इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मौजूद लोगों ने राजशाही व्यवस्था वाला राष्ट्रगान गाया। ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह नेपाल में लोकतंत्र आने के बाद से इस तरह सार्वजनिक रूप से न के बराबर दिखते थे। कुछ खास मौकों पर बहुत ही औपचारिक बयान जारी करते थे।

वहीं, नौ मार्च को वह पोखरा से काठमांडू पहुंचे, जहां हजारों लोगों की भीड़ उनके स्वागत में इकट्ठा हुई थी। इसी भीड़ में एक व्यक्ति, ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लेकर खड़ा था।

नेपाल के विदेश मंत्री देउबा ने एस जयशंकर से की मुलाकात, नेपाल में राजशाही को लेकर पूछ लिया सवाल

#nepal_fm_deuba_meeting_with_jaishankar

रायसीना डायलॉग में शामिल होने दिल्ली पहुंची नेपाल की विदेश मंत्री डॉ आरजू राणा ने मंगलवार शाम को भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर से मुलाकात की। उन्होंने कई मुद्दों पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की है। इस दौरान नेपाल में राजशाही के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों पर भी चर्चा हुई है। इस दौरान नेपाल की विदेश मंत्री डॉ राणा ने अपने भारतीय समकक्षी से हुई मुलाकात को लेकर बताया है कि यह बैठक नेपाल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री के साथ हुए मुलाकात को अत्यधिक उपयोगी बताते हुए भारत की नेपाल नीति के प्रति आभार व्यक्त किया।

नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा ने रायसीना डायलॉग से इतर द्विपक्षीय बैठक की। एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में देउबा ने कहा, हमारा मुख्य ध्यान जलविद्युत और व्यापार के संयुक्त विकास पर है। इसलिए ये वे मुद्दे थे जिन पर हमने आज मुख्य रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत और नेपाल अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं। हम अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं जो कुछ समय से रुकी हुई थीं। देउबा ने कहा कि बैठकें बाढ़, व्यापार, सुरक्षा और जल संसाधनों के बंटवारे जैसे मुद्दों पर हुईं।

आरजू राणा ने जयशंकर से नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को लेकर भी सवाल किया। नेपाली विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने नई दिल्ली में 10वें रायसीना डायलॉग के दौरान एस जयशंकर से मुलाकात की तो उनको बताया कि काठमांडू और भारत में कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को भारत का समर्थन है।

जयशंकर ने साफ किया भारत ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं है। देउबा के अनुसार, जयशंकर ने इन दावों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हमारी बिल्कुल कोई भूमिका नहीं है। भारत ने साफतौर पर नेपाल में राजशाही समर्थक गतिविधियों से खुद को अलग किया है। दरअसल, काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भारतीय विशेषज्ञ नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र के समर्थन में हो रहे आंदोलन के पक्ष में बात कर रहे हैं।

नेपाल में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर को लेकर क्यों मचा बवाल, राजशाही की मांग के बीच ये कैसी चर्चा?

#yogi_adityanath_trends_in_nepal

नेपाल में इस वक्त राजशाही के समर्थन में जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। राजतंत्र के समर्थन में लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। राजतंत्र के समर्थन करने वाले लोग नेपाल में राजशाही और हिन्दू राष्ट्र की बहाली की माँग कर रहे हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दिनों पड़ोसी देश नेपाल में खूब चर्चा में बने हुए हैं। योगी के एक पोस्टर ने नेपाल की राजनीति में उथल-पुथल कर दी है।

साल 2006 में नेपाल में राजशाही का अंत हो गया था। हाल ही में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की काठमांडू में मजबूत वापसी हुई है। ज्ञानेंद्र जब काठमांडू एयरपोर्ट पर उतरे तो उनके स्वागत में करीब 10 हजार नेपाली नागरिक सड़कों पर मौजूद थे। नेपाल में राजशाही खत्म होने के बाद यह पहला मौका है, जब ज्ञानेंद्र के समर्थन में एक साथ इतने लोगों को देखा गया। रविवार को काठमांडू में ज्ञानेंद्र के स्वागत में आई भीड़ में से एक शख़्स ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लेकर खड़ा था।योगी आदित्यनाथ की तस्वीर दिखने के बाद से नेपाल में बहस शुरू हो गई है कि क्या इस आंदोलन का भारत से भी संबंध है?

राजधानी काठमांडू में हाल ही में हजारों लोगों ने जुटकर लोकतांत्रिक तौर पर चुनी गई सरकार के विरोध में आवाज बुलंद की और देश में एक बार फिर राजशाही को लौटाने की मांग की। इस घटना के बाद नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आ गया, जब ऐसी ही एक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लहराया गया। महज एक पोस्टर को लेकर बवाल इतना बढ़ गया कि मसले पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली तक कूद पड़े और वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने राजशाही के समर्थन में किए गए प्रदर्शनों पर तो टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने इन रैलियों में योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों को लेकर कटाक्ष किया। ओली ने कहा कि किसी देश को ऐसी स्थिति में नहीं होनी चाहिए, जहां विदेशी नेताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल प्रदर्शनों में हो। ओली के समर्थकों ने भी इस दौरान आरोप लगाया कि ज्ञानेंद्र के समर्थन के पीछे भारत का हाथ है।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की केंद्रीय समिति के सदस्य विष्णु रिजाल ने ज्ञानेंद्र और योगी की उस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, ये 1950 का दौर नहीं है, जब भारतीय दूतावास में शरण लेने दिल्ली पहुँचे त्रिभुवन शाह को भारत ने फिर से राजगद्दी पर बैठा दिया था। बेहतर होगा कि जनआंदोलन के बाद राजशाही से बेदख़ल हुए ज्ञानेंद्र फिर से राजगद्दी के लिए लार ना टपकाएँ।

विष्णु रिजाल ने लिखा है, जिस योगी की तस्वीर को लेकर प्रदर्शन किया गया, उसी योगी ने ज्ञानेंद्र को कुंभ में हिस्सा लेने के लिए नहीं बुलाया जबकि इसी कुंभ में 50 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई। ऐसा तब है, जब ज्ञानेंद्र ख़ुद को हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं। गणतंत्र का विरोध करते हुए उन्होंने इसे विदेशियों की व्यवस्था कहा है। ऐसा कहकर उन्होंने जनता का अपमान तो किया ही है लेकिन फिर से राजा बनने के लिए विदेशियों की दलाली करने से कथित राष्ट्रवाद का मुखौटा भी अच्छी तरह से उतर गया है। योगी की तस्वीर का हवाला देकर विष्णु रिजाल कह रहे हैं कि ज्ञानेंद्र राजा बनने के लिए 'विदेशियों की दलाली कर रहे हैं'।

हालांकि, नेपाल नरेश ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उनकी तरफ से कहा गया कि रैली में योगी आदित्यनाथ के पोस्टर राजशाही समर्थक आंदोलन की छवि खराब करने की कोशिश है। उन्होंने इसके पीछे केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने ओली सरकार पर रैली में घुसपैठ कराने का आरोप भी लगाया।

यूपी सीएम के नेपाल राजपरिवार से अच्छे रिश्ते जगजाहिर हैं। दरअसल, योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मठ से हैं, जिसका नेपाल के राजपरिवार के साथ ऐतिहासिक रिश्ता रहा है। इस मठ को स्थापित करने वाले बाबा गोरखनाथ नेपाल पर कई वर्षों तक शासन करने वाले शाह परिवार के इष्टदेव रहे हैं।

इतना ही नहीं ज्ञानेंद्र शाह के भाई बीरेंद्र शाह ने लंबे समय तक योगी आदित्यनाथ के गुरु रहे महंत अवैद्यनाथ की गुरु के तौर पर सेवा की है। राजा बनने के बाद बीरेंद्र 1992 में खुद गाड़ी चलाकर काठमांडू से गोरखपुर मठ तक पहुंचे थे। माना जाता है कि 1990 में जब नेपाल में संविधान संशोधन किया गया तब महंत अवैद्यनाथ की सलाह पर ही राजा बीरेंद्र ने नेपाल को हिंदू राष्ट्र के तौर पर आगे बढ़ाने का फैसला किया।

नेपाल राजपरिवार और गोरखनाथ मठ के यह करीबी रिश्ते नेपाल के लोकतंत्र बनने के बाद भी जारी रहे हैं। 2015 में जब नेपाल में भीषण भूकंप आए थे, तब गोरखपुर के सांसद रहे योगी आदित्यनाथ ने सीमाई इलाकों पर खुद निर्माण कार्यों की निगरानी की थी। इतना ही नहीं राहत और बचाव कार्यों में मठ के कई लोग भी जुटे थे।

वहीं, काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल की सियासत में सक्रिय होने से पहले ज्ञानेंद्र लखनऊ में योगी आदित्यनाथ से मिले थे। दोनों के मुलाकात की एक तस्वीर भी मीडिया में आई थी। दोनों क्यों मिले, इसकी जानकारी न तो ज्ञानेंद्र ने और न ही योगी आदित्यनाथ ने दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 81 फीसदी हिंदू बहुल वाले नेपाल में योगी को एक कट्टर और आदर्श हिंदू नेता के रूप में देखा जाता है।

नेपाल की छात्रा की आत्महत्या को लेकर भुवनेश्वर के KIIT में विरोध प्रदर्शन, संदिग्ध को हिरासत में लिया गया

#kiit_bhubneshwar_faces_protests_as_a_nepali_student_commits_suicide

KIIT Bhubneshwar

नेपाल की 20 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रा का शव रविवार शाम को उसके छात्रावास के कमरे में पंखे से लटका हुआ पाए जाने के बाद सोमवार को भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन हुआ।

KIIT विश्वविद्यालय (मान्य) के सैकड़ों छात्रों ने सोमवार सुबह कॉलेज के सामने मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर दिया और आरोप लगाया कि अधिकारियों ने एक महीने पहले मृतक छात्रा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। भुवनेश्वर के डीसीपी पिनाक मिश्रा ने कहा कि कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने में भूमिका निभाने वाले आरोपी लड़के अदविक श्रीवास्तव को हिरासत में लिया गया है। छात्रों ने आरोप लगाया कि पीड़िता को अदविक श्रीवास्तव कई महीनों से परेशान कर रहा था और विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग को मामले की सूचना देने के बावजूद कोई मदद नहीं मिली।

घटना के बाद विश्वविद्यालय के नेपाली छात्रों ने गहन जांच की मांग की और आरोपी की गिरफ्तारी की मांग की। तनाव बढ़ने पर केआईआईटी विश्वविद्यालय ने एक नोटिस जारी कर सभी नेपाली छात्रों को परिसर खाली करने को कहा। बयान में कहा गया, "नेपाल के सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विश्वविद्यालय बंद है। 

उन्हें आज यानी 17 फरवरी को विश्वविद्यालय परिसर खाली करने का निर्देश दिया जाता है।" 

मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए केआईआईटी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ज्ञान रंजन मोहंती ने कहा कि पीड़िता आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी। मोहंती ने कहा, "वह हॉस्टल में रह रही थी और अपने पार्टनर के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण उसने यह कदम उठाया। उसके कमरे को सील कर दिया गया है और परिवार के सदस्यों को सूचित कर दिया गया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।" पुलिस ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने की शिकायत दर्ज होने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। 

दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर कथित तौर पर आरोपी और पीड़िता के बीच बातचीत की एक ऑडियो क्लिप सामने आई है। क्लिप में एक युवक को एक लड़की को गाली देते और परेशान करते हुए सुना जा सकता है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विश्वविद्यालय ने नेपाली छात्रों से तुरंत हॉस्टल खाली करने और घर लौटने को कहा। विश्वविद्यालय ने कहा, "स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेपाली छात्रों को उनके संबंधित घरों को भेज दिया गया है। फिलहाल स्थिति शांत है।" नेपाली छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी यात्रा व्यवस्था के अपने घरों की ओर जाने के लिए मजबूर किया गया। 

नेपाल के एक छात्र ने दावा किया, "हमें कोई ट्रेन टिकट या कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए। हमें बस हॉस्टल की बसों में भर दिया गया, कटक रेलवे स्टेशन भेज दिया गया और जल्द से जल्द अपने घरों के लिए निकल जाने का आदेश दिया गया। स्टाफ के सदस्य हॉस्टल में घुस गए, हमें खाली करने के लिए मजबूर किया और जो लोग जल्दी से खाली नहीं कर रहे थे, उन्हें पीटा भी।"

Pooja Enterprises, led by Mr. Sanjay Kaushal, revolutionizes the uniform and disposable wear industry across India and globally.

Pooja Enterprises from the city of Chandigarh has emerged as a manufacturing and supplying company of supreme quality uniforms and disposable wear. Initially it was operating since 2004 under sole proprietorship but the company has grown into a recognized organization not only in India but also in the international market offering segmented solutions in different sectors such as education, healthcare, corporate & hospitality.

Pooja Enterprises has wide popularity due to the vast assortment in its offer, including school uniform, formal wear, hospital uniform, chefs uniform, disposable shoe cover, disposable bouffant caps, blazers, corporate uniforms, laboratory coat with pocket, beard cover, and plastic disposable gloves. They come in durable material, quality texture and are effective when it comes to color fading; they are comfortable and thus serve the best satisfaction of the professionals and students. In this case the company sets itself apart from other manufacturers of pendants in that they can produce the designs in the logos of the brands in question.

Its collection of school uniforms, skirts, T-shirts, trousers, and the latest KV School Uniform makes Pooja Enterprises stand out in this niche. These uniforms are also crafted with minute attention to detail, offering both style and practicality. It takes the process further by arranging school uniform counters at school premises for easy accessibility by parents and students.

For the corporate world, Pooja Enterprises caters to high-end shirts and T-shirts, providing professional appeal along with comfort. Their hospital uniforms, comprising medical lab coats and other specialized ladies' uniforms, meet high standards for quality and hygiene, as they address the challenging needs of the healthcare industry. Even the hospitality sector benefits from its range of chef coats and designer chef uniforms, which are both functional and fashionable.

Behind the success of the company lies a robust manufacturing facility that is equipped with the latest machinery, enabling bulk production while upholding international standards. Wrinkle-free fabrics and perfect stitching ensure durability and aesthetic appeal for each product. The infrastructure also enables them to deliver orders on time, neatly ironed, and packed.

Mr. Sanjay Kaushal's leadership has greatly contributed to the success story of this company. With his innovative approach and strong connections in the industry, Pooja Enterprises has always been very responsive to the market's demands. Under his guidance, the company has exported its products to the United States, United Kingdom, Germany, Nepal, and Italy, increasing its international presence.

Client satisfaction is at the heart of Pooja Enterprises' philosophy. The company actively seeks feedback to refine its products and services, ensuring that every order meets the unique needs of its clients. With a focus on affordability and reliability, Pooja Enterprises has built strong partnerships with key customers such as Manchanda Mix Bag and New Public Departmental Stores.

As such, the quality assurance in which Pooja Enterprises is certified ensures that only quality raw materials are used to meet domestic and international standards. Their commitment to excellence has earned them a reputation for being unmatched in their quality uniforms and disposable wear. Hence, they emerge as an ideal choice for schools, corporations, hospitals, and hotels.

As the company continues growing, Pooja Enterprises strives to provide innovative, high-quality solutions that meet the demands of its clients while also solidifying its market leadership in the uniform and disposable wear industry.

चीन के करीब आ रहा नेपाल, दोनों देशों के बीच बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव समझौता, भारत पर क्या होगा असर?

#nepal_china_sign_on_bri_framework_big_tension_for_india 

नेपाल पर चीन का प्रभाव बढ़ता दिख रहा है। पिछले कुछ सालों में चीन-नेपाल करीब आए हैं। यही कारण है कि चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद केपी शर्मा ओली अपने पहले दौरे पर चीन गए। केपी शर्मा ओली ने बीजिंग दौरे पर कई समझौतों पर साइन किया। इनमें सबसे अहम है बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई)। नेपाल और चीन ने बुधवार को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) सहयोग के ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इसकी पुष्टि की।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस समझौते की पुष्टि अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की। पीएम ओली ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “आज हमने बेल्ट एंड रोड्स सहयोग के लिए फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन की मेरी आधिकारिक यात्रा खत्म होने खत्म होने के साथ ही, मुझे प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ द्विपक्षीय वार्ता, एनपीसी के अध्यक्ष झांग लेजी के साथ चर्चा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अत्यंत उपयोगी बैठक पर विचार करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। पीएम ओली ने कहा कि बेल्ट एंड रोड फ्रेमवर्क सहयोग के तहत नेपाल-चीन आर्थिक सहयोग और मजबूत होगा।

समझौते से पहले बदले गए शब्द

इससे पहले चीन ने नेपाल के भेजे गए मसौदे से अनुदान शब्द हटा दिया था। इस कारण इस मसौदे पर मंगलवार को हस्ताक्षर नहीं हो सके थे। नेपाल ने शुक्रवार शाम एक मसौदा भेजा था, जिसमें प्रस्ताव दिया गया था कि चीन नेपाल सरकार द्वारा आगे बढ़ाई जाने वाली परियोजनाओं पर अनुदान निवेश प्राप्त करेगा। दोनों देशों ने अब अनुदान निवेश के स्थान पर सहायता निवेश, जिसमें अनुदान और ऋण निवेश दोनों शामिल हैं, को ध्यान में रखते हुए ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं।

ओली ने बीआरआई पर लगाई मुहर

नेपाल के प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और नेपाली कांग्रेस (एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने पहले बीआरआई सहयोग पर ढांचे के मसौदे को मंजूरी दी थी जिसमें कहा गया था कि नेपाल केवल चीनी अनुदान स्वीकार करेगा। नेपाल ने 2017 में बीआरआई पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। उसके बाद नेपाल और चीन द्वारा बीआरआई कार्यान्वयन योजना पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ था।

चीन पर बढ़ा ओली का भरोसा

नेपाल के प्रधानमंत्री की 4 दिवसीय ये यात्रा काफी चर्चा में है। अपने दौरे के बाद पीएम ओली ने दावा किया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नेपाल के विकास का पूरा समर्थन किया है। इसके अलावा ओली ने चीनी निवेशकों से नेपाल में निवेश करने की बात भी कही है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय आकांक्षा, समृद्ध नेपाल, खुशहाल नेपाली के सपने को साकार करने के लिए सरल निवेश सुविधा लाएंगे।

भारत के प्रभाव से दूर हो रहा नेपाल

वहीं, नेपाल के इस फ़ैसले को भारत के प्रभाव से दूर जाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन के साथ अपने आर्थिक और कूटनीतिक रिश्ते और बेहतर करने की रणनीति अपनाई है। ओली इस साल चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। पीएम बनने के बाद उन्होंने अपने पहले आधिकारिक विदेश दौरे के लिए चीन को चुना था। परंपरागत रूप से नेपाल के प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल की शुरुआत में भारत की यात्रा करते रहे हैं, लेकिन ओली ने इस परंपरा को तोड़ते हुए चीन का रुख किया है।

नेपाल की चीनी चाल से भारत हो सकता है परेशान

नेपाल के बीआरआई मसौदे पर हस्ताक्षर करते ही भारत की टेंशन बढ़ गई है। इस मसौदे में नेपाल की चिंताओं के बावजूद अनुदान और और ऋण दोनों को शामिल किया गया है। ऐसे में डर है कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियां चीन को खुश करने के लिए कर्ज लेकर देश का बेड़ा गर्क कर सकती हैं। इससे नेपाल के चीन के कर्ज के जाल में फंसने की आशंका बढ़ जाएगी। अगर ऐसा होता है तो नेपाल की नीतियों में चीनी दखल भी बढ़ेगा जो भारत के लिए अच्छा नहीं होगा। नेपाल हिमालयी देश है, जो भारत और चीन के बीच स्थित है।

नेपाल में बवाल, सोशल मीडिया पर रोक से भड़के युवा, संसद भवन में भी घुसे

#nepalsocialmediabaneruptsgenzprotest

पड़ोसी देश नेपाल में विरोध की आग भड़क उठी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के खिलाफ नेपाल में युवाओं ने सोमवार को काठमांडू में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जेनरेशन जेड पीढ़ी के युवाओं ने सड़कों पर सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद की। सोशल मीडिया बैन होने के विरोध में प्रदर्शन कर रही भीड़ उग्र हो गई और उन्होंने पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए। प्रदर्शनकारी गेट पार कर संसद के भीतर प्रवेश कर गए। इन्हें रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और वॉटर कैनन चलाई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग भी की, इस दौरान एक शख्स की मौत हो गई, 70 लोग घायल हैं।

ओेली सरकार के खिलाफ अगली पीढ़ी के युवाओं की बगावत

नेपाल में ओेली सरकार के खिलाफ अगली पीढ़ी के युवाओं ने बगावत कर दी है। नेपाल में अचानक शुरू हुए इस भीषण प्रदर्शन के पीछे की वजह ओली सरकार का हालिया फैसला है। सरकार ने नियमों का हवाला देकर अचानक 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिए, जिनमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर भी शामिल हैं। इस फैसले के विरोध में राजधानी काठमांडू में हजारों छात्र-युवा, सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ भीषण प्रदर्शन कर रहे हैं। कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने लाठिया भांजी हैं, जिसमें एक छात्र की अभी तक मौत की रिपोर्ट है।

'हामी नेपाल' के बैनर तले प्रदर्शन

बताया गया कि सोमवार सुबह 9 बजे से प्रदर्शनकारी काठमांडू के मैतीघर में एकत्रित होने लगे। हाल के दिनों में 'नेपो किड' और 'नेपो बेबीज' जैसे हैशटैग ऑनलाइन ट्रेंड कर रहे हैं। सरकार की ओर से अपंजीकृत प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के फैसले के बाद इसमें और तेजी आई है। काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय के अनुसार, 'हामी नेपाल' ने इस रैली का आयोजन किया था। इसके लिए पूर्व अनुमति ली गई थी।

बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के खिलाफ भी गुस्सा

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की, इसलिए यह कार्रवाई करनी पड़ी। लेकिन छात्रों और युवा वर्ग का आरोप है कि यह फैसला उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। युवाओं का कहना है सरकार अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए उनके आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। प्रदर्शनकारी बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

नेपाल के रास्ते बिहार में घुसे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी, पुलिस मुख्यालय ने जारी किया हाई अलर्ट

#threeterroristofjaishemohammadenteredinbiharvianepal

बिहार पुलिस मुख्यालय ने एक बड़ा अलर्ट जारी किया है। पुलिस मुख्यालय ने सूबे के सभी जिलों को अलर्ट किया है। अलर्ट करने की वजह यह है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी के नेपाल के रास्ते बिहार में घुसने की सूचना मिली है। खबर है कि जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी, हसनैन अली, आदिल हुसैन और मोहम्मद उस्मान, नेपाल के रास्ते बिहार में प्रवेश कर चुके हैं। जो किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में हैं। इसके बाद राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और सीमावर्ती जिलों में विशेष चौकसी बरती जा रही है।

तीन आतंकी नेपाल के रास्ते बिहार में घुसे

पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी नेपाल के रास्ते बिहार में घुसे हैं। इन आतंकियों के नाम हैं हसनैन अली जो कि रावलपिंडी, पाकिस्तान का रहने वाला है। वहीं दूसरे के नाम आदिल हुसैन है जो उमरकोट का रहने वाला है। जबकि तीसरा आतंकी मोहम्मद उस्मान है जो पाकिस्तान के ही बहावलपुर का बाशिंदा है।

तीनों आतंकियों की तस्वीर जारी

बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से इन तीनों आतंकियों की तस्वीर जारी की गई है। इनके पासपोर्ट से संबंधित जानकारी सीमावर्ती जिलों के अधिकारियों से साझा की गई है। बिहार में विधानसभा चुनाव को देखते हुए आतंकी गतिविधि पर लगातार पुलिस मुख्यालय की नजर है। इसी बीच यह अहम जानकारी सामने आई जिसके बाद हाई अलर्ट जारी किया गया है।

तीनों आतंकी अगस्त के दूसरे सप्ताह में काठमांडू पहुंचे

पुलिस मुख्यालय ने जिलों से कहा है कि पुलिस मुख्यालय के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार तीनों आतंकी अगस्त के दूसरे सप्ताह में काठमांडू पहुंचे थे। वहां से अगस्त के तीसरे सप्ताह में नेपाल बॉर्डर से बिहार में घुसे। तीनों आतंकवादियों के पासपोर्ट से जुड़ी जानकारी भी साझा की गई है। पुलिस मुख्यालय ने आशंका जताते हुए कहा है कि हो न हो ये लोग किसी बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के फिराक में हैं। पुलिस मुख्यालय ने बिहार के सभी जिलों को स्थानीय स्तर पर खुफिया तंत्र को सक्रिय कर आसूचना संकलन करने और संदिग्ध आतंकियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई का निर्देश दिया है।

इन जिलों में खास सख्ती

पुलिस मुख्यालय ने खास तौर पर नेपाल से सटे बिहार के सीमावर्ती जिले सीतामढ़ी, मधुबनी, पश्चिम चंपारण, अररिया, किशनगंज और सुपौल में चौकसी बढ़ा दी गई है। भागलपुर और अन्य जिलों में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि संदिग्ध गतिविधि या किसी भी जानकारी को तुरंत स्थानीय थाने या पुलिस हेल्पलाइन को सूचित करें। फिलहाल सभी सुरक्षा एजेंसियां तीनों आतंकियों की तलाश में जुटी हुई हैं।

Zero Bills Energy: Powering India Towards a Future of Zero Electricity Bills

Noida, Uttar Pradesh – March 2025 – With a bold vision to revolutionize the way Indians consume energy, Zero Bills Energy Pvt. Ltd., headquartered at A-116 URBTECH Trade Centre, Noida, has officially launched operations with a powerful mission: “Zero Bills – Save Your Cash For Better Future.”

The company, incorporated on 29th November 2024 and operational since mid-March 2025, is set to provide end-to-end clean energy solutions for homes, schools, factories, hospitals, malls, commercial spaces, and industries. Its offerings include residential wind turbines, solar power plants, hybrid and on-grid inverters, and advanced battery energy storage systems—all designed to help customers minimize, and in many cases eliminate, their electricity bills.

Transforming Energy Access for Middle & Lower Class Residents

What sets Zero Bills Energy apart is its focus on making renewable energy affordable and accessible for the middle and lower-income groups. Through flexible payment options such as pay-as-you-generate, EMI schemes, community and private funding, and partnerships with banks and NBFCs, the company ensures that going solar is no longer a luxury but a viable solution for every household.

Warehouses, Manufacturing & Local Partnerships

To ensure smooth execution and affordability, the company is establishing warehouses across Tier-1 and Tier-2 cities stocked with panels, inverters, battery systems, residential wind turbines, and other essentials. Zero Bills Energy is also partnering with local vendors to streamline government approvals such as CEIG certification and net-metering.

The long-term vision is to manufacture its own equipment, bringing costs further down while maintaining strict quality checks. This strategy not only enhances affordability but also strengthens India’s clean energy ecosystem.

Customer-Centric Approach: Transparency, Quality & Service

Zero Bills Energy stands out by offering:

Up to 80% savings on customer electricity bills.

Hassle-free post-sales services and lifetime product support.

Material replacement guarantees in case of issues.

Buy-back of used systems as scrap for recycling, ensuring sustainability.

100% transparency in pricing and execution.

Even in rare cases of customer defaults, risks remain low since 90% of costs are material-based, which can be redeployed to other projects.

Leadership Driving the Mission

At the helm of Zero Bills Energy is Mr. Chandra Bhan Yadav, Co-Founder & CEO, who brings over 15 years of experience across global and Indian energy giants like JSPL, Suzlon, L&T, Vikram Solar, SunSource, Golyan Group (Nepal), and Distributed Energy (Singapore & Dubai).

Supporting him is Ms. Sangeeta Yadav, Co-Founder & Chief of Staff, with 10+ years of expertise in people management and NGOs. Together, they lead a 13-member strong team, including experts in software, social media, engineering, project management, procurement, accounts, and legal compliance.

Towards a Greener, Smarter India

Zero Bills Energy is among the very few Indian companies offering complete end-to-end energy solutions under one umbrella. By delivering clean, affordable, and uninterrupted power supply, the company is not only reducing electricity costs but also empowering communities and protecting the environment.

With a clear commitment to “Save Your Cash for a Better Future,” Zero Bills Energy is set to light up millions of lives—literally—while leading India’s journey towards energy independence.

नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सुरक्षा में कटौती, लगा इतने लाख का जुर्माना, राजशाही को लेकर बवाल पर सख्ती

#securityteamofnepalexkinggyanendra

नेपाल में शुक्रवार को सुरक्षाबलों और राजशाही समर्थकों के बीच झड़प के बाद पीएम केपी ओली की सरकार पूर्व राजा ज्ञेनेंद्र शाह पर सख्त हो गई है। नेपाल में राजशाही को लेकर बढ़ते विवाद के बीच ओली सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर कड़ा एक्शन ले लिया है। नेपाल की सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती करने का फैसला किया है। साथ ही ज्ञानेंद्र शाह पर जुर्माना भी लगाया गया है। ये कार्रवाई ऐसे समय हुई है, जब नेपाल में पूर्व राजा के समर्थक बार-बार सड़कों पर उतर रहे हैं।

राजशाही को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान के लिए पूर्व नरेश पर 7.93 लाख नेपाली रुपये का भारी जुर्माना ठोका गया है। यह कार्रवाई काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) ने की है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कार्रवाई शुक्रवार को टिंकुने और आसपास के इलाकों में हुए एक कार्यक्रम के दौरान समर्थकों की तरफ से किए गए तोड़फोड़ और गंदगी फैलाने के मामले में की गई। केएमसी ने शनिवार को इस मामले में कचरा प्रबंधन अधिनियम, 2020 और काठमांडू महानगरपालिका वित्त अधिनियम, 2021 के तहत जुर्माना लगाया।

ये विरोध प्रदर्शन ज्ञानेंद्र शाह के बुलाने पर आयोजित किया गया था, इसलिए काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) के मेयर बालेंद्र शाह ने काठमांडू के बाहरी इलाके महाराजगंज में निर्मला निवास में उनके आवास पर एक लेटर भेजा। लेटर में उनसे नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 7,93,000 नेपाली रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया। पूर्व किंग को भेजे गए लेटर की कॉपी मीडिया में भी जारी की गई थीं। केएमसी ने कहा कि पूर्व किंग के बुलाने पर ही प्रदर्शनकारी वहां इकट्ठा हुए। प्रदर्शन की वजह से महानगर की बहुत सी जरूरी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है

सुरक्षा में कटौती करने का फैसला

वहीं, नेपाल की सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती करने का फैसला किया है। ज्ञानेंद्र शाह के निजी निवास निर्मल निवास में पहले जहां 25 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे, लेकिन अब सरकार ने इनकी संख्या घटाकर 16 करने का फैसला किया है। नेपाली गृह मंत्रालय ने पूर्व राजा की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों को बदलने का भी फैसला किया है। साथ ही सरकार ने पूर्व राजा पर निगरानी भी बढ़ा दी है

शुक्रवार को हुई हिंसा में दो लोगों की गई जान

बता दें कि शुक्रवार को नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। यह हिंसा नेपाल में फिर से राजशाही की मांग को लेकर हुई। आंदोलनकारियों का दावा है कि संवैधानिक राजशाही हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है।

नेपाल में साल 2006 से पहले राजशाही शासन था। विरोध के बाद राजा ज्ञानेंद्र को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद सभी अधिकार संसद को सौंप दिए गए और नेपाल में साल 2008 में 240 साल पुराना राजशाही शासन खत्म हो गया। अब राजशाही को वापस लाने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है।

नेपाल में ऐसा क्या हुआ भड़क गई हिंसा? सड़कों पर उतर आए लोग, काठमांडू में सेना तैनात

#nepal_monarchy_protests_becomes_violent

नेपाल में शुक्रवार को राजशाही समर्थकों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया था। इस दौरान काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ और आगजनी की। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में एक पत्रकार समेत दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए हैं।झड़प के बाद हालात खराब हो गए हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू में सेना को बुलाया गया है और कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है।

नेपाल में साल 2008 में खत्म हुई राजशाही को फिर से बहाल करने की मांग करते हुए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने आयोजित किया था जिसे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का समर्थन प्राप्त है और यह पार्टी देश में राजशाही स्थापित करने की मांग कर रही है। राजशाही की वापसी की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन का नेतृत्व नवराज सुवेदी कर रहे हैं। वे राज संस्था पुनर्स्थापना आंदोलन से जुड़े हैं। आंदोलनकारियों का दावा है कि संवैधानिक राजशाही हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है।

शुक्रवार को नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। हिंसा के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को 17 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें राजशाही समर्थक राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के उपाध्यक्ष रबिंद्र मिश्रा, महासचिव धवल शमशेर राना, राजशाही समर्थक कार्यकर्ता स्वागत नेपाल और संतोष तमांग आदि शामिल हैं। इन लोगों पर हिंसा भड़काने का आरोप है। कई नेताओं को नजरबंद किया गया है। अब तक हिंसा के मामले में कुल 51 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। पूर्व पीएम ने ज्ञानेंद्र शाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुष्प कमल दहल प्रचंड ने शनिवार की सुबह हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान वे सोशलिस्ट फ्रंट के कार्यालय भी पहुंचे, जिसे हिंसा के दौरान नुकसान पहुंचाया गया।

पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि 'अब ये पूरी तरह से साफ हो गया है कि इस सब के पीछे ज्ञानेंद्र शाह हैं। ज्ञानेंद्र शाह की नीयत सही नहीं है। ये पहले भी देखा गया और अब भी देखा जा रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार कड़ी कार्रवाई करे। घटना की पूरी जांच हो और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। ज्ञानेंद्र शाह को अब पूरी आजादी नहीं दी जा सकती। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और नेपाल सरकार को इस मुद्दे पर गंभीर होने की जरूरत है।

दरअसल, राजनीतिक अस्थिरता के बीच नेपाल में राजशाही को बहाल किए जाने को लेकर कुछ समय से सरगर्मी तेज़ हुई है। बीते कुछ दिनों में कई ऐसी रैलियां और प्रदर्शन हुए जिसमें राजशाही को फिर से स्थापित किए जाने की मांग की गई। हाल ही में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सक्रियता भी देखी गई है।

इस महीने 5 मार्च को काठमांडू में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने एक बाइक रैली की थी, जिनमें नेपाल के राष्ट्रध्वज के साथ लोग शामिल हुए। छह मार्च को पोखरा में ज्ञानेंद्र ने पूर्व राजा वीरेंद्र की मूर्ति का अनावरण किया गया और इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मौजूद लोगों ने राजशाही व्यवस्था वाला राष्ट्रगान गाया। ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह नेपाल में लोकतंत्र आने के बाद से इस तरह सार्वजनिक रूप से न के बराबर दिखते थे। कुछ खास मौकों पर बहुत ही औपचारिक बयान जारी करते थे।

वहीं, नौ मार्च को वह पोखरा से काठमांडू पहुंचे, जहां हजारों लोगों की भीड़ उनके स्वागत में इकट्ठा हुई थी। इसी भीड़ में एक व्यक्ति, ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लेकर खड़ा था।

नेपाल के विदेश मंत्री देउबा ने एस जयशंकर से की मुलाकात, नेपाल में राजशाही को लेकर पूछ लिया सवाल

#nepal_fm_deuba_meeting_with_jaishankar

रायसीना डायलॉग में शामिल होने दिल्ली पहुंची नेपाल की विदेश मंत्री डॉ आरजू राणा ने मंगलवार शाम को भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर से मुलाकात की। उन्होंने कई मुद्दों पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की है। इस दौरान नेपाल में राजशाही के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों पर भी चर्चा हुई है। इस दौरान नेपाल की विदेश मंत्री डॉ राणा ने अपने भारतीय समकक्षी से हुई मुलाकात को लेकर बताया है कि यह बैठक नेपाल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री के साथ हुए मुलाकात को अत्यधिक उपयोगी बताते हुए भारत की नेपाल नीति के प्रति आभार व्यक्त किया।

नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा ने रायसीना डायलॉग से इतर द्विपक्षीय बैठक की। एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में देउबा ने कहा, हमारा मुख्य ध्यान जलविद्युत और व्यापार के संयुक्त विकास पर है। इसलिए ये वे मुद्दे थे जिन पर हमने आज मुख्य रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत और नेपाल अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं। हम अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं जो कुछ समय से रुकी हुई थीं। देउबा ने कहा कि बैठकें बाढ़, व्यापार, सुरक्षा और जल संसाधनों के बंटवारे जैसे मुद्दों पर हुईं।

आरजू राणा ने जयशंकर से नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को लेकर भी सवाल किया। नेपाली विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने नई दिल्ली में 10वें रायसीना डायलॉग के दौरान एस जयशंकर से मुलाकात की तो उनको बताया कि काठमांडू और भारत में कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को भारत का समर्थन है।

जयशंकर ने साफ किया भारत ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं है। देउबा के अनुसार, जयशंकर ने इन दावों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हमारी बिल्कुल कोई भूमिका नहीं है। भारत ने साफतौर पर नेपाल में राजशाही समर्थक गतिविधियों से खुद को अलग किया है। दरअसल, काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भारतीय विशेषज्ञ नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र के समर्थन में हो रहे आंदोलन के पक्ष में बात कर रहे हैं।

नेपाल में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर को लेकर क्यों मचा बवाल, राजशाही की मांग के बीच ये कैसी चर्चा?

#yogi_adityanath_trends_in_nepal

नेपाल में इस वक्त राजशाही के समर्थन में जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। राजतंत्र के समर्थन में लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। राजतंत्र के समर्थन करने वाले लोग नेपाल में राजशाही और हिन्दू राष्ट्र की बहाली की माँग कर रहे हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दिनों पड़ोसी देश नेपाल में खूब चर्चा में बने हुए हैं। योगी के एक पोस्टर ने नेपाल की राजनीति में उथल-पुथल कर दी है।

साल 2006 में नेपाल में राजशाही का अंत हो गया था। हाल ही में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की काठमांडू में मजबूत वापसी हुई है। ज्ञानेंद्र जब काठमांडू एयरपोर्ट पर उतरे तो उनके स्वागत में करीब 10 हजार नेपाली नागरिक सड़कों पर मौजूद थे। नेपाल में राजशाही खत्म होने के बाद यह पहला मौका है, जब ज्ञानेंद्र के समर्थन में एक साथ इतने लोगों को देखा गया। रविवार को काठमांडू में ज्ञानेंद्र के स्वागत में आई भीड़ में से एक शख़्स ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लेकर खड़ा था।योगी आदित्यनाथ की तस्वीर दिखने के बाद से नेपाल में बहस शुरू हो गई है कि क्या इस आंदोलन का भारत से भी संबंध है?

राजधानी काठमांडू में हाल ही में हजारों लोगों ने जुटकर लोकतांत्रिक तौर पर चुनी गई सरकार के विरोध में आवाज बुलंद की और देश में एक बार फिर राजशाही को लौटाने की मांग की। इस घटना के बाद नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आ गया, जब ऐसी ही एक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लहराया गया। महज एक पोस्टर को लेकर बवाल इतना बढ़ गया कि मसले पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली तक कूद पड़े और वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने राजशाही के समर्थन में किए गए प्रदर्शनों पर तो टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने इन रैलियों में योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों को लेकर कटाक्ष किया। ओली ने कहा कि किसी देश को ऐसी स्थिति में नहीं होनी चाहिए, जहां विदेशी नेताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल प्रदर्शनों में हो। ओली के समर्थकों ने भी इस दौरान आरोप लगाया कि ज्ञानेंद्र के समर्थन के पीछे भारत का हाथ है।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की केंद्रीय समिति के सदस्य विष्णु रिजाल ने ज्ञानेंद्र और योगी की उस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, ये 1950 का दौर नहीं है, जब भारतीय दूतावास में शरण लेने दिल्ली पहुँचे त्रिभुवन शाह को भारत ने फिर से राजगद्दी पर बैठा दिया था। बेहतर होगा कि जनआंदोलन के बाद राजशाही से बेदख़ल हुए ज्ञानेंद्र फिर से राजगद्दी के लिए लार ना टपकाएँ।

विष्णु रिजाल ने लिखा है, जिस योगी की तस्वीर को लेकर प्रदर्शन किया गया, उसी योगी ने ज्ञानेंद्र को कुंभ में हिस्सा लेने के लिए नहीं बुलाया जबकि इसी कुंभ में 50 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई। ऐसा तब है, जब ज्ञानेंद्र ख़ुद को हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं। गणतंत्र का विरोध करते हुए उन्होंने इसे विदेशियों की व्यवस्था कहा है। ऐसा कहकर उन्होंने जनता का अपमान तो किया ही है लेकिन फिर से राजा बनने के लिए विदेशियों की दलाली करने से कथित राष्ट्रवाद का मुखौटा भी अच्छी तरह से उतर गया है। योगी की तस्वीर का हवाला देकर विष्णु रिजाल कह रहे हैं कि ज्ञानेंद्र राजा बनने के लिए 'विदेशियों की दलाली कर रहे हैं'।

हालांकि, नेपाल नरेश ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उनकी तरफ से कहा गया कि रैली में योगी आदित्यनाथ के पोस्टर राजशाही समर्थक आंदोलन की छवि खराब करने की कोशिश है। उन्होंने इसके पीछे केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने ओली सरकार पर रैली में घुसपैठ कराने का आरोप भी लगाया।

यूपी सीएम के नेपाल राजपरिवार से अच्छे रिश्ते जगजाहिर हैं। दरअसल, योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मठ से हैं, जिसका नेपाल के राजपरिवार के साथ ऐतिहासिक रिश्ता रहा है। इस मठ को स्थापित करने वाले बाबा गोरखनाथ नेपाल पर कई वर्षों तक शासन करने वाले शाह परिवार के इष्टदेव रहे हैं।

इतना ही नहीं ज्ञानेंद्र शाह के भाई बीरेंद्र शाह ने लंबे समय तक योगी आदित्यनाथ के गुरु रहे महंत अवैद्यनाथ की गुरु के तौर पर सेवा की है। राजा बनने के बाद बीरेंद्र 1992 में खुद गाड़ी चलाकर काठमांडू से गोरखपुर मठ तक पहुंचे थे। माना जाता है कि 1990 में जब नेपाल में संविधान संशोधन किया गया तब महंत अवैद्यनाथ की सलाह पर ही राजा बीरेंद्र ने नेपाल को हिंदू राष्ट्र के तौर पर आगे बढ़ाने का फैसला किया।

नेपाल राजपरिवार और गोरखनाथ मठ के यह करीबी रिश्ते नेपाल के लोकतंत्र बनने के बाद भी जारी रहे हैं। 2015 में जब नेपाल में भीषण भूकंप आए थे, तब गोरखपुर के सांसद रहे योगी आदित्यनाथ ने सीमाई इलाकों पर खुद निर्माण कार्यों की निगरानी की थी। इतना ही नहीं राहत और बचाव कार्यों में मठ के कई लोग भी जुटे थे।

वहीं, काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल की सियासत में सक्रिय होने से पहले ज्ञानेंद्र लखनऊ में योगी आदित्यनाथ से मिले थे। दोनों के मुलाकात की एक तस्वीर भी मीडिया में आई थी। दोनों क्यों मिले, इसकी जानकारी न तो ज्ञानेंद्र ने और न ही योगी आदित्यनाथ ने दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 81 फीसदी हिंदू बहुल वाले नेपाल में योगी को एक कट्टर और आदर्श हिंदू नेता के रूप में देखा जाता है।

नेपाल की छात्रा की आत्महत्या को लेकर भुवनेश्वर के KIIT में विरोध प्रदर्शन, संदिग्ध को हिरासत में लिया गया

#kiit_bhubneshwar_faces_protests_as_a_nepali_student_commits_suicide

KIIT Bhubneshwar

नेपाल की 20 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रा का शव रविवार शाम को उसके छात्रावास के कमरे में पंखे से लटका हुआ पाए जाने के बाद सोमवार को भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन हुआ।

KIIT विश्वविद्यालय (मान्य) के सैकड़ों छात्रों ने सोमवार सुबह कॉलेज के सामने मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर दिया और आरोप लगाया कि अधिकारियों ने एक महीने पहले मृतक छात्रा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। भुवनेश्वर के डीसीपी पिनाक मिश्रा ने कहा कि कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने में भूमिका निभाने वाले आरोपी लड़के अदविक श्रीवास्तव को हिरासत में लिया गया है। छात्रों ने आरोप लगाया कि पीड़िता को अदविक श्रीवास्तव कई महीनों से परेशान कर रहा था और विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग को मामले की सूचना देने के बावजूद कोई मदद नहीं मिली।

घटना के बाद विश्वविद्यालय के नेपाली छात्रों ने गहन जांच की मांग की और आरोपी की गिरफ्तारी की मांग की। तनाव बढ़ने पर केआईआईटी विश्वविद्यालय ने एक नोटिस जारी कर सभी नेपाली छात्रों को परिसर खाली करने को कहा। बयान में कहा गया, "नेपाल के सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विश्वविद्यालय बंद है। 

उन्हें आज यानी 17 फरवरी को विश्वविद्यालय परिसर खाली करने का निर्देश दिया जाता है।" 

मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए केआईआईटी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ज्ञान रंजन मोहंती ने कहा कि पीड़िता आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी। मोहंती ने कहा, "वह हॉस्टल में रह रही थी और अपने पार्टनर के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण उसने यह कदम उठाया। उसके कमरे को सील कर दिया गया है और परिवार के सदस्यों को सूचित कर दिया गया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।" पुलिस ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने की शिकायत दर्ज होने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। 

दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर कथित तौर पर आरोपी और पीड़िता के बीच बातचीत की एक ऑडियो क्लिप सामने आई है। क्लिप में एक युवक को एक लड़की को गाली देते और परेशान करते हुए सुना जा सकता है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विश्वविद्यालय ने नेपाली छात्रों से तुरंत हॉस्टल खाली करने और घर लौटने को कहा। विश्वविद्यालय ने कहा, "स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेपाली छात्रों को उनके संबंधित घरों को भेज दिया गया है। फिलहाल स्थिति शांत है।" नेपाली छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी यात्रा व्यवस्था के अपने घरों की ओर जाने के लिए मजबूर किया गया। 

नेपाल के एक छात्र ने दावा किया, "हमें कोई ट्रेन टिकट या कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए। हमें बस हॉस्टल की बसों में भर दिया गया, कटक रेलवे स्टेशन भेज दिया गया और जल्द से जल्द अपने घरों के लिए निकल जाने का आदेश दिया गया। स्टाफ के सदस्य हॉस्टल में घुस गए, हमें खाली करने के लिए मजबूर किया और जो लोग जल्दी से खाली नहीं कर रहे थे, उन्हें पीटा भी।"

Pooja Enterprises, led by Mr. Sanjay Kaushal, revolutionizes the uniform and disposable wear industry across India and globally.

Pooja Enterprises from the city of Chandigarh has emerged as a manufacturing and supplying company of supreme quality uniforms and disposable wear. Initially it was operating since 2004 under sole proprietorship but the company has grown into a recognized organization not only in India but also in the international market offering segmented solutions in different sectors such as education, healthcare, corporate & hospitality.

Pooja Enterprises has wide popularity due to the vast assortment in its offer, including school uniform, formal wear, hospital uniform, chefs uniform, disposable shoe cover, disposable bouffant caps, blazers, corporate uniforms, laboratory coat with pocket, beard cover, and plastic disposable gloves. They come in durable material, quality texture and are effective when it comes to color fading; they are comfortable and thus serve the best satisfaction of the professionals and students. In this case the company sets itself apart from other manufacturers of pendants in that they can produce the designs in the logos of the brands in question.

Its collection of school uniforms, skirts, T-shirts, trousers, and the latest KV School Uniform makes Pooja Enterprises stand out in this niche. These uniforms are also crafted with minute attention to detail, offering both style and practicality. It takes the process further by arranging school uniform counters at school premises for easy accessibility by parents and students.

For the corporate world, Pooja Enterprises caters to high-end shirts and T-shirts, providing professional appeal along with comfort. Their hospital uniforms, comprising medical lab coats and other specialized ladies' uniforms, meet high standards for quality and hygiene, as they address the challenging needs of the healthcare industry. Even the hospitality sector benefits from its range of chef coats and designer chef uniforms, which are both functional and fashionable.

Behind the success of the company lies a robust manufacturing facility that is equipped with the latest machinery, enabling bulk production while upholding international standards. Wrinkle-free fabrics and perfect stitching ensure durability and aesthetic appeal for each product. The infrastructure also enables them to deliver orders on time, neatly ironed, and packed.

Mr. Sanjay Kaushal's leadership has greatly contributed to the success story of this company. With his innovative approach and strong connections in the industry, Pooja Enterprises has always been very responsive to the market's demands. Under his guidance, the company has exported its products to the United States, United Kingdom, Germany, Nepal, and Italy, increasing its international presence.

Client satisfaction is at the heart of Pooja Enterprises' philosophy. The company actively seeks feedback to refine its products and services, ensuring that every order meets the unique needs of its clients. With a focus on affordability and reliability, Pooja Enterprises has built strong partnerships with key customers such as Manchanda Mix Bag and New Public Departmental Stores.

As such, the quality assurance in which Pooja Enterprises is certified ensures that only quality raw materials are used to meet domestic and international standards. Their commitment to excellence has earned them a reputation for being unmatched in their quality uniforms and disposable wear. Hence, they emerge as an ideal choice for schools, corporations, hospitals, and hotels.

As the company continues growing, Pooja Enterprises strives to provide innovative, high-quality solutions that meet the demands of its clients while also solidifying its market leadership in the uniform and disposable wear industry.

चीन के करीब आ रहा नेपाल, दोनों देशों के बीच बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव समझौता, भारत पर क्या होगा असर?

#nepal_china_sign_on_bri_framework_big_tension_for_india 

नेपाल पर चीन का प्रभाव बढ़ता दिख रहा है। पिछले कुछ सालों में चीन-नेपाल करीब आए हैं। यही कारण है कि चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद केपी शर्मा ओली अपने पहले दौरे पर चीन गए। केपी शर्मा ओली ने बीजिंग दौरे पर कई समझौतों पर साइन किया। इनमें सबसे अहम है बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई)। नेपाल और चीन ने बुधवार को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) सहयोग के ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इसकी पुष्टि की।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस समझौते की पुष्टि अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की। पीएम ओली ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “आज हमने बेल्ट एंड रोड्स सहयोग के लिए फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन की मेरी आधिकारिक यात्रा खत्म होने खत्म होने के साथ ही, मुझे प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ द्विपक्षीय वार्ता, एनपीसी के अध्यक्ष झांग लेजी के साथ चर्चा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अत्यंत उपयोगी बैठक पर विचार करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। पीएम ओली ने कहा कि बेल्ट एंड रोड फ्रेमवर्क सहयोग के तहत नेपाल-चीन आर्थिक सहयोग और मजबूत होगा।

समझौते से पहले बदले गए शब्द

इससे पहले चीन ने नेपाल के भेजे गए मसौदे से अनुदान शब्द हटा दिया था। इस कारण इस मसौदे पर मंगलवार को हस्ताक्षर नहीं हो सके थे। नेपाल ने शुक्रवार शाम एक मसौदा भेजा था, जिसमें प्रस्ताव दिया गया था कि चीन नेपाल सरकार द्वारा आगे बढ़ाई जाने वाली परियोजनाओं पर अनुदान निवेश प्राप्त करेगा। दोनों देशों ने अब अनुदान निवेश के स्थान पर सहायता निवेश, जिसमें अनुदान और ऋण निवेश दोनों शामिल हैं, को ध्यान में रखते हुए ढांचे पर हस्ताक्षर किए हैं।

ओली ने बीआरआई पर लगाई मुहर

नेपाल के प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और नेपाली कांग्रेस (एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने पहले बीआरआई सहयोग पर ढांचे के मसौदे को मंजूरी दी थी जिसमें कहा गया था कि नेपाल केवल चीनी अनुदान स्वीकार करेगा। नेपाल ने 2017 में बीआरआई पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। उसके बाद नेपाल और चीन द्वारा बीआरआई कार्यान्वयन योजना पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ था।

चीन पर बढ़ा ओली का भरोसा

नेपाल के प्रधानमंत्री की 4 दिवसीय ये यात्रा काफी चर्चा में है। अपने दौरे के बाद पीएम ओली ने दावा किया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नेपाल के विकास का पूरा समर्थन किया है। इसके अलावा ओली ने चीनी निवेशकों से नेपाल में निवेश करने की बात भी कही है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय आकांक्षा, समृद्ध नेपाल, खुशहाल नेपाली के सपने को साकार करने के लिए सरल निवेश सुविधा लाएंगे।

भारत के प्रभाव से दूर हो रहा नेपाल

वहीं, नेपाल के इस फ़ैसले को भारत के प्रभाव से दूर जाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन के साथ अपने आर्थिक और कूटनीतिक रिश्ते और बेहतर करने की रणनीति अपनाई है। ओली इस साल चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। पीएम बनने के बाद उन्होंने अपने पहले आधिकारिक विदेश दौरे के लिए चीन को चुना था। परंपरागत रूप से नेपाल के प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल की शुरुआत में भारत की यात्रा करते रहे हैं, लेकिन ओली ने इस परंपरा को तोड़ते हुए चीन का रुख किया है।

नेपाल की चीनी चाल से भारत हो सकता है परेशान

नेपाल के बीआरआई मसौदे पर हस्ताक्षर करते ही भारत की टेंशन बढ़ गई है। इस मसौदे में नेपाल की चिंताओं के बावजूद अनुदान और और ऋण दोनों को शामिल किया गया है। ऐसे में डर है कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियां चीन को खुश करने के लिए कर्ज लेकर देश का बेड़ा गर्क कर सकती हैं। इससे नेपाल के चीन के कर्ज के जाल में फंसने की आशंका बढ़ जाएगी। अगर ऐसा होता है तो नेपाल की नीतियों में चीनी दखल भी बढ़ेगा जो भारत के लिए अच्छा नहीं होगा। नेपाल हिमालयी देश है, जो भारत और चीन के बीच स्थित है।