తప్పు చేస్తే దొరకక తప్పదు

Jul 23 2024, 08:50

Mettur Dam’s Water Level Rises By 30ft In Seven Days

The water level in the Stanley Reservoir at Mettur dam rose by 30 feet in a span of seven days (from July 15 to July 22), following the release of water by Karnataka from the Krishnaraja Sagar and Kabini dams.

Karnataka released water at the rate of 20,000 cusecs into the river Cauvery on July 14. Later, they increased it up to 80,000 cusecs.

Mettur dam’s water level increased steadily as the inflow level was higher than the outflow level. A water resources department official said the water level at the dam was 44.62 feet against its full capacity of 120 feet.

It crossed 75 feet on Monday. The inflow was measured at a rate of 64,033 cusecs while the discharging rate for drinking water purposes is being maintained at 1,000 cusecs” he added.

An official from the Central Water Commission said officials in Karnataka reduced the water discharging level from 80,000 cusecs to 63,101 cusecs on Monday. While water was released from the KRS dam at the rate of 35,917 cusecs, the rest was released from the Kabini dam.

“The water inflow level at Biligundlu - the entry point of Tamil Nadu for the Cauvery River in Krishnagiri district, measured at the rate of 65,000 cusecs on Monday evening,” he said.

Meanwhile, the Dharmapuri district administration continued the ban on bathing, fishing, and coracle riding at Hogenakkal for the seventh day on Monday. District collector K Santhi imposed the ban on July 15 due to the increased inflow of water in the river.

Discover the recent rise in water levels at Pillur, Siruvani, and Aliyar dams in Coimbatore. Heavy rainfall has led to a substantial increase, ensuring a steady water supply for the region. Stay informed about the water management efforts for the districts.

Read about the rising water levels in the Godavari river, affecting several mandals in ASR district. Transportation disruptions between Andhra Pradesh and Odisha due to heavy rains. Stay updated on the relief efforts and NDRF team deployments in the affected areas.

Discover how recent heavy rainfall is filling up the KRS dam in Kodagu and Mysuru districts. Find out about flood warnings and the impact on the Cauvery basin in Karnataka.

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Jul 21 2024, 13:41

अब कर्नाटक में 14 घंटे काम करेंगे आईटी कर्मचारी? कंपनियों के दिए प्रस्ताव पर विचार कर रही सरकार

#it_companies_in_karnataka_proposed_to_work_for_14_hours

नौकरी आरक्षण विधेयक पर अलोचना झेल चुकी कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को आईटी से जुड़े कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, बताया जा रहा है कि आईटी कंपनियों के कर्मचारियों के काम के मौजूदा घंटों को बढ़ाकर 14 घंटे किया जा सकता है।आईटी कंपनियों ने कर्मचारियों के काम के घंटे मौजूदा 10 घंटे से बढ़ाकर 14 घंटे प्रतिदिन करने का एक प्रस्ताव कर्नाटक सरकार को सौंपा है। इस प्रस्ताव पर अब कर्नाटक सरकार विचार कर है। बता दें कि कर्नाटक में निजी क्षेत्र में नौकरी का आरक्षण देने वाले विधेयक पर हंगामा थमा नहीं था कि एक और नया विवाद पैदा हो गया है। जिससे बवाल मचा हुआ है।

इंडिया टुडे ने सूत्रों के जरिए दावा किया गया है कि सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार 1961 के राज्य सरकार कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रही है। आईटी कंपनियां भी सरकार से चाहती हैं कि सरकार उनके प्रस्ताव को संशोधन में शामिल किया जाए, ताकि कानूनी तौर पर काम के घंटे 14 घंटे यानि कि (12+2 घंटे का ओवर टाइम) हो जाए।आईटी क्षेत्र के नए प्रस्ताव में कहा गया है कि आईटी/आईटीईएस/बीपीओ के सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को लगातार तीन माह में 12 घंटे से अधिक यानि कि करीब 125 घंटे से अधिक काम करने की आवश्यकता हो सकती है। 

कर्नाटक राज्य आइटी/आइटीइएस कर्मचारी संघ (केआइटीयू) के प्रतिनिधि पहले ही श्रम मंत्री संतोष लाड से मिल चुके हैं और इस कदम पर अपनी चिंताएं व्यक्त कर चुके हैं।केआईटीयू के महासचिव सुहास अडिगा ने बताया, 'इससे आईटी/आईटीईएस कंपनियों को काम के दैनिक घंटे अनिश्चित काल तक बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह संशोधन कंपनियों को वर्तमान में मौजूद तीन शिफ्ट प्रणाली के बजाय दो शिफ्ट प्रणाली को अपनाने की अनुमति देगा और एक तिहाई कर्मचारियों को उनके रोजगार से बाहर कर दिया जाएगा। साथ ही आईटी कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होगा।'

आपको बता दें कि वर्तमान में श्रम कानून 12 घंटे (10 घंटे + 2 घंटे ओवरटाइम) तक कार्य की अनुमति देता है।

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Jul 18 2024, 14:08

कर्नाटक में प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण पर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का यू-टर्न, जानें क्यों पलटे सिद्धारमैया

#karnataka_reservation_bill_2024_put_on_hold 

कर्नाटक सरकार ने राज्य में निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए नौकरियां आरक्षित करने वाला बिल फिलहाल के लिए टाल दिया है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 48 घंटे के अंदर प्राइवेट नौकरी में आरक्षण के बिल पर यू-टर्न ले लिया। राज्य सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में स्थानीय लोगों को प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण वाले बिल को मंजूरी दिया था। जिसके तहत प्राइवेट फर्म्स में नॉन मैनेजमेंट पोजिशंस में 70% और मैनेजमेंट लेवल एंप्लाईज के लिए 50% हायरिंग को रिजर्व रखा गया था। इसे गुरुवार यानी आज विधानसभा में पेश किया जाना था। लेकिन उद्योगपतियों और बिजनेस लीडर्स के विरोध के चलते सरकार को अपना फैसला रोकना पड़ा।

बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस विधेयक को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। इस पर आने वाले दिनों में फिर से विचार कर फैसला लिया जाएगा। इससे पहले, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी एक्स पर पोस्ट कर मामले में सफाई दी। उन्होंने लिखा है कि “निजी क्षेत्र के संस्थानों, उद्योगों और उद्यमों में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण लागू करने का इरादा रखने वाला विधेयक अभी भी तैयारी के चरण में है। अगली कैबिनेट बैठक में व्यापक चर्चा के बाद फैसला लिया जाएगा।”

इससे पहले सीएम सिद्धारमैया ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा था, "कल कैबिनेट बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने के विधेयक को मंजूरी दी गई।" उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ भाषी स्थानीय लोगों को अपने राज्य में आरामदेह जीवन जीने का मौका दिया जाए। उन्हें अपनी 'कन्नड़ भूमि' में नौकरियों से वंचित न किया जाए।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की इस पोस्ट के बाद इंडस्ट्री में इसे लेकर विरोध शुरू हो गया। विवाद बढ़ा तो बाद में सीएम ने वह पोस्ट हटा दी।हालांकि इससे पहेल बायोकॉन की किरण मजूमदार-शॉ जैसी बिजनेस लीडर्स ने इस बिल पर अपना विरोध जताया।किरण मजूमदार शॉ ने कहा, “एक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की दरकार होती है और हमारा मकसद हमेशा स्थानीय लोगों को रोजगार देना होता है। हमें इस कदम से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए।” 

इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी टीवी मोहनदास पाई ने विधेयक की आलोचना करते हुए इसे फासीवादी करार दिया।उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “इस विधेयक को रद्द कर दिया जाना चाहिएष यह पक्षपातपूर्ण, प्रतिगामी और संविधान के खिलाफ है। यह अविश्वसनीय है कि कांग्रेस इस तरह का कोई विधेयक लेकर आई है। सरकारी अफसर प्राइवेट सेक्टर की भर्ती समितियों में बैठेंगे? लोगों को अब भाषा की भी परीक्षा देनी होगी?”

Nasscom से लेकर तमाम दिग्गज कंपनियों का टॉप मैनेजमेंट खुलकर इस कदम के विरोध में उतर आया। Nasscom ने तो आंकड़े भी गिनाए। ईटी इंडस्ट्री की इस संस्था ने कहा, 'कर्नाटक की जीडीपी में टेक सेक्टर 25% योगदान करता है, कुल ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) में इसकी 30% से ज्यादा हिस्सेदारी है और करीब 11,000 स्टार्टअप हैं।Nasscom ने कहा कि इस तरह के कानून से न सिर्फ कर्नाटक का विकास प्रभावित होगा, बल्कि राज्य की ग्लोबल इमेज को भी धक्का लगेगा। भारत के कुल सॉफ्टवेयर निर्यात में कर्नाटक की भागीदारी 42% से ज्यादा है। कर्नाटक की राजधानी, बेंगलुरु 'भारत की सिलिकॉन वैली' कही जाती है।

इस तरहग के विरोध के बाद सिद्धारमैया सरकार को समझ आ गया कि यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित होगा। तमाम बड़ी कंपनियां राज्य से बाहर निकल जातीं। मौका देखकर कई राज्यों ने तो ऑफर भी दे दिया था। आंध्र प्रदेश जहां के आईटी सेक्टर ने हाल के सालों में तेजी से प्रगति की है, ने कंपनियों से कहा क‍ि वे बेंगलुरु छोड़ हैदराबाद आ जाएं। अगर ऐसा होता तो कर्नाटक सरकार को सालाना खरबों रुपये के राजस्व से हाथ धोना पड़ता। ऐसे में सरकार ने बिल को ठंडे बस्ते में डालना ही बेहतर समझा

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Jul 17 2024, 20:06

प्राइवेट जॉब्स में 100 फीसदी आरक्षण पर बवाल, घिरे तो सिद्धारमैया ने डिलीट की पोस्ट, अब नया ट्वीट कर दी सफाई

#karnataka_siddaramaiah_on_reservation_for_kannada_people_in_private_industries

कर्नाटक सरकार का कन्नड़ लोगों को निजी नौकरियों में 50-75% तक का आरक्षण देने वाला बिल गले की फांस बनता जा रहा है।कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की ओर से प्राइवेट सेक्टर में कन्नड़ भाषियों को आरक्षण दिए जाने से जुड़ा विधायक लाने के फैसले पर उद्योग जगत के कई दिग्गजों नेगहरी आपत्ति जताई, साथ ही इसे फासीवादी और अदूरदर्शी कदम करार दिया। वहीं विवाद के बीच सीएम सिद्दारमैया ने आरक्षण से जुड़ा एक पोस्ट डिलीट कर दिया। अब नया ट्वीट कर सफाई दी है।

कर्नाटक में कन्नड़ों को निजी कंपनियों में नौकरी के लिए आरक्षण देने वाले विधेयक पर गहराते विवाद में खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मुश्किलों में घिर गए हैं। दरअसल, उन्होंने पहले एक ट्वीट कर निजी उद्योगों में ‘सी और डी’ श्रेणी के 100 प्रतिशत पदों को कन्नडिगा (कन्नड़भाषी) लोगों के लिए आरक्षित करने की बात कही। इस पर जब विवाद बढ़ा तो उन्होंने इसे डिलीट कर नया ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा, 'सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य के निजी उद्योगों और अन्य संगठनों में कन्नड़ लोगों के लिए प्रशासनिक पदों के लिए 50% और गैर-प्रशासनिक पदों के लिए 75% आरक्षण तय करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई। हमारी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को उनकी ही धरती पर नौकरियों से वंचित न होना पड़े और उन्हें मातृभूमि में आरामदायक जीवन जीने का अवसर मिले। हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं। हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण का ध्यान रखना है।'

इससे पहले सीएम सिद्धारमैया ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा था, "कल कैबिनेट बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने के विधेयक को मंजूरी दी गई।" उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ भाषी स्थानीय लोगों को अपने राज्य में आरामदेह जीवन जीने का मौका दिया जाए। उन्हें अपनी 'कन्नड़ भूमि' में नौकरियों से वंचित न किया जाए। बाद में सीएम ने वह पोस्ट हटा दी।

बता दें कि उद्योग जगत ने इस विधेयक की मुखर आलोचना की है। इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी टीवी। मोहनदास पाई ने विधेयक की आलोचना करते हुए इसे फासीवादी करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “इस विधेयक को रद्द कर दिया जाना चाहिएष यह पक्षपातपूर्ण, प्रतिगामी और संविधान के खिलाफ है। यह अविश्वसनीय है कि कांग्रेस इस तरह का कोई विधेयक लेकर आई है। सरकारी अफसर प्राइवेट सेक्टर की भर्ती समितियों में बैठेंगे? लोगों को अब भाषा की भी परीक्षा देनी होगी?”

फार्मा कंपनी बायोकॉन की एमडी किरण मजूमदार शॉ ने कहा, “एक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की दरकार होती है और हमारा मकसद हमेशा स्थानीय लोगों को रोजगार देना होता है। हमें इस कदम से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए।” एसोचैम की कर्नाटक इकाई के सह अध्यक्ष आरके मिश्रा ने भी आलोचना करते हुए कहा, “कर्नाटक सरकार का एक और प्रतिभावान कदम।”

प्रमुख कारोबारियों के बाद अब आईटी कंपनी संगठन नेशनल असोसिएशन फॉर सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेस कंपनीस (एनएएसएससीओएम) ने भी इस निर्णय अपनी चिंताएँ जाहिर की हैं। एनएएसएससीओएम ने कर्नाटक सरकार से इस बिल को वापस लेने की माँग की है और कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें राज्य से बाहर जाने का कदम उठाना पड़ सकता है।

एनएसएससीओएम ने एक पत्र जारी करके इस नए बिल को लेकर समस्याएँ बताई हैं। इस पत्र में एनएएसएससीओएम ने कहा, “टेक सेक्टर कर्नाटक की अर्थव्यवस्था और समाज के विकास में बड़ा कारक रहा है। टेक सेक्टर राज्य की GDP में लगभग 25% योगदान देता है और प्रदेश के रफ़्तार से तरक्की में बड़ा सहायक रहा है जिससे राज्य की प्रति व्यक्ति आय देश के औसत से ऊँची हो गई है। राज्य में देश के 30% GCC (ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर) और 11,000 स्टार्टअप हैं।

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Jul 17 2024, 13:30

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने प्राइवेट सेक्टर में लागू किया कोटा, कन्नड़ भाषियों को नौकरियों में 50-75% रिजर्वेशन

#karnataka_local_reservation_bill_for_kannadigas_in_private_firms

कर्नाटक सरकार ने नौकरी में आरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। कर्नाटक सरकार ने कंपनियों और उद्योगों में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने वाले राज्य रोजगार विधेयक, 2024 के मसौदे को मंजूरी दे दी है। विधानसभा में इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठान में स्थानीय लोगों को आरक्षण देना अनिवार्य हो जाएगा। प्रस्तावित विधेयक में मैनेजर या प्रबंधन वाले जॉब में 50 फीसदी और गैर मैनेजमेंट वाली नौकरियों में 75 फीसदी पद कन्नड़ के लिए रिजर्व हो जाएगा। 

मंगलवार (15 जुलाई, 2024) को बेंगलुरु में हुई राज्य कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई। इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी फैक्ट्रियों और दफ्तरों में नौकरी पर रखे जाने वाले लोग अब कन्नड़ ही होने चाहिए। इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी दफ्तरों और फैक्ट्रियों में काम पर रखे जाने वाले ग्रुप सी और ग्रुप डी (सामान्यतः क्लर्क और चपरासी या फैक्ट्री के कामगार) के 75% लोग कन्नड़ होने चाहिए। इसके अलावा, बिल के अनुसार इससे ऊँची नौकरियों में 50% नौकरियाँ कन्नड़ लोगों को मिलनी चाहिए।

बिल के अनुसार कर्नाटक में जन्मा या कर्नाटक में पिछले 15 वर्षों से रह रहा कोई भी व्यक्ति कन्नड़ माना जाएगा और इसे इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। कन्नड़ आरक्षण का लाभ लेने के लिए व्यक्ति को 12वीं पास होना चाहिए और इस दौरान उसके पास कन्नड़ एक विषय के तौर पर होनी जरूरी है। यदि उसके पास यह नहीं है तो उसे कन्नड़ सीखनी होगी।

बिल में यह भी कहा गया है कि यदि कम्पनियों को अपनी नौकरियों के लिए गैर कन्नड़ लोगों की भर्ती करना आवश्यक हो जाता है और कन्नड़ भाषाई उपलब्ध नहीं है, तो उन्हने छूट दी जा सकती है। इसके लिए कम्पनियों को आवेदन देना होगा और इस पर सरकार का निर्णय अंतिम होगा।

बिल में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी स्थिति में किसी भी दफ्तर, कम्पनी या फैक्ट्री में ऊँचे पदों पर काम करने वाले कन्नड़ 25% से कम नहीं होने चाहिए। इसके अलावा इनकी संख्या निचली नौकरियों में 50% रहनी ही चाहिए। ऐसा ना करने पर कम्पनियों को ₹25,000 तक का जुर्माना झेलना पड़ेगा। इस बिल को कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब विधानसभा के चालू सत्र में पेश किया जाएगा।

कंपनियां योग्य कैंडिडेट नहीं मिलने का बहाना नहीं बना सकेंगी

कर्नाटक के श्रम मंत्री संतोष लाड के अनुसार, राज्य रोजगार विधेयक को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल चुकी है, इसे विधानसभा के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राइवेट कंपनियां अपने प्रतिष्ठान के लिए सरकार से सब्सिडी और अन्य लाभ लेती है, इसलिए उन्हें भी नौकरी में स्थानीय लोगों की भागीदारी तय करनी होगी। उन्होंने कहा कि राज्य रोजगार विधेयक लागू होने के बाद स्थानीय कन्नड़ लोगों को नौकरी में अधिक अवसर मिलेंगे। उन्होंने बताया कि कानून लागू होने के बाद कंपनियां योग्य कैंडिडेट नहीं मिलने का बहाना नहीं बना सकेगी। अगर किसी कारण योग्य स्थानीय लोग नहीं मिलते हैं तो कंपनी को तीन साल के भीतर लोकल को ट्रेनिंग देना होगा। 

सरकार के इस प्रस्ताव का कंपनियों ने किय विरोध

बताया जाता है कि सरकार के इस प्रस्ताव का कंपनियों ने विरोध किया है। बता दें कि गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में 20 फीसदी गैर कन्नड़ आबादी काम करती है। बेंगलुरु की कंपनियों में गैर कन्नड़ कर्मचारियों की तादाद 35 फीसदी आंकी गई है। इनमें से अधिकतर उत्तर भारत, आंध्र और महाराष्ट्र से हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, बेंगलुरु शहर की कुल आबादी का 50 फीसदी गैर कन्नड़ है। पिछले दिनों बेंगलुरु में कन्नड़ भाषा की अनिवार्यता पर लंबी बहस भी छिड़ी थी, जिसके बाद हिंदी में नाम लिखे गए साइन बोर्ड तोड़े गए थे।

हरियाणा ने भी उठाया था ऐसा कदम

कर्नाटक ऐसा पहला राज्य नहीं है जिसने स्थानीय लोगों को निजी नौकरियों में आरक्षण देने का निर्णय लिया हो। इससे पहले जनवरी, 2022 में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने राज्य के भीतर निजी नौकरियों में 75% पद स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया था। इस संबंध में हरियाणा ने कानून भी बनाया था। इस कानून को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नवम्बर, 2023 में असंवैधानिक करार दे दिया था और इसे रद्द कर दिया था।

हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हरियाणा ने कहा था कि बिल को रद्द करने के लिए जो कारण बताए गए हैं, वह सही नहीं हैं। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी, 2024 में केंद्र से भी जवाब माँगा था। अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ही लंबित है।

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Jun 28 2024, 20:04

कर्नाटक में नया सियासी नाटक, वोक्कालिगा संत ने कर दी शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग

#disputeinkarnatakacongressovercmpostvokkaligasaintsupportd_k 

कर्नाटक में नया सियासी ड्रामा शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर जारी सत्ता संघर्ष के बीच वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक महंत ने सार्वजनिक रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पद छोड़ने और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सत्ता सौंपने का आग्रह किया। एक वोक्कालिगा संत ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जगह देनी चाहिए।महंत की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब सिद्धरमैया मंत्रिमंडल में तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ रही है।

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं। यह समुदाय राज्य के दक्षिणी भागों में एक प्रमुख समुदाय है। चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा, "राज्य में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए अनुरोध है कि सिद्धरमैया कृपया हमारे डीके शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "सिद्धरमैया अगर मन बना लें तो ही यह संभव है, अन्यथा नहीं, इसलिए नमस्कार के साथ मैं सिद्धरमैया से अनुरोध करता हूं कि वह डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएं।"

वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं डीके

उन्होंने यह बयान कैंपा गौड़ा जयंती समारोह में उस समय दिया, जब मंच पर शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों मौजूद थे। इसके बाद स्वामी निर्मलानंद ने भी डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की वकालत की। बता दें कि डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान मठ की ओर से कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन मिला था। ओल्ड मैसुरू इलाके में मठ की अपील का फायदा भी कांग्रेस को मिला था।

सिद्धारमैया बोले- पार्टी जो कहेगा, हम वही करेंगे

संत की इस अपील को लेकर सिद्धारमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी है। यह लोकतंत्र है। हम वही करेंगे जो हाईकमान हमें करने को कहेगा। वहीं शिवकुमार ने कहा कि कुछ बातें कही गईं हैं। मैं और सिद्धारमैया दोनों ही राज्य के रुके हुए प्रोजेक्ट्स के बारे में राज्य के सांसदों से बात करने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।

सिद्धारमैया के समर्थक ने उठाई तीन डिप्टी सीएम की मांग

वहीं, सिद्धारमैया के समर्थक मंत्रियों केएन राजन्ना, बी जेड ज़मीर अहमद खान और सतीश जरकीहोली ने तीन डिप्टी सीएम की मांग रख दी। माना जा रहा है कि मंत्रियों ने डीके शिवकुमार को काबू में करने के लिए तीन डिप्टी सीएम का मुद्दा उछाला गया है। अभी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और डीके फॉर्मूले तहत सीएम पद के दावेदार हैं। 

शह और मात का खेल शुरू

लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से समर्थक खुले तौर पर नेतृत्व परिवर्तन का राग छेड़ा है तो सिद्धारमैया समर्थक मंत्रियों ने तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू करने का दांव चल दिया है। कई मंत्री लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक डिप्टी सीएम बनाने के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की मांग भी शुरू हो गई है। यह पद अभी डीके शिवकुमार के पास ही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद निकाले गए फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार सीएम पद के दावेदार हैं। पार्टी में वह संकटमोचक के तौर पर उभरे हैं। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास भी हासिल है, ऐसे में सिद्धारमैया समर्थकों ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। फिलहाल इस खेल के शुरू होने के बाद डीके शिवकुमार ने चुप्पी साध रखी है।

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Jun 28 2024, 18:57

यौन शोषण मामले में सीआईडी ने येदियुरप्पा के खिलाफ दायर किया आरोप पत्र, लगाया गंभीर आरोप

#karnataka_former_cm_bs_yediyurappa_pocso_case_cid_chargesheet

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ नाबालिग लड़की से यौन शोषण के मामले में अपराध जांच शाखा (सीआईडी) लगातार जांच कर रही है। यौन शोषण मामले में राज्य पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने उनके और तीन अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। आरोप पत्र में कहा है कि पूर्व सीएम ने अपने तीन सहयोगियों के साथ मिलकर पीड़िता और उसकी मां को चुप रहने के लिए मोटी रकम दी है। येदियुरप्पा और उनके के तीन सहयोगियों पर भी सुबूत नष्ट करने और रिश्वत देने के आरोप दर्ज किए गए हैं। बता दें कि येदियुरप्पा पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग लड़की के साथ अपने आवास पर अश्लील हरकत की थी। उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

शुक्रवार को सीआईडी के दायर किए आरोप पत्र में बताया गया कि 81 वर्षीय येदियुरप्पा के खिलाफ पोक्सो की धारा 8 व आईपीसी की धारा 354ए, 204, 214 और उनके सहयोगियों अरुण वाइएम और रुद्रेश एम. के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 204, 214 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। आरोप पत्र में बताया गया है कि दो फरवरी को सुबह 11.15 बजे 17 वर्षीय नाबालिग और उसकी मां डॉलर कॉलोनी स्थित येदियुरप्पा के आवास पहुंचे थे। आवास पर जब येदियुरप्पा नाबालिग की मां से बात कर रहे थे तब उन्होंने अपने बाएं हाथ से पीड़िता की दाहिनी कलाई पकड़ रखी थी। इसके बाद येदियुरप्पा ने नाबालिग को हॉल के बगल में स्थित एक बैठक रूम के भीतर बुलाया और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। चार्जशीट में आगे दावा किया गया है कि कमरे में येदियुरप्पा ने पीड़िता से पूछा कि क्या उसे उस व्यक्ति का चेहरा याद है जिसने पहले उसका यौन उत्पीड़न किया था। इसके जवाब में पीड़िता ने दो बार कहा कि हां उसे याद है।

सीआईडी ने चार्जशीट में आगे कहा कि पीड़िता ने येदियुरप्पा के हाथ को झटकते हुए दूर हट गई और उनसे दरवाजा खोलने के लिए कहा। इसके बाद येदियुरप्पा ने दरवाजा खोला और पीड़िता के हाथ में कुछ पैसे रखकर बाहर निकल गए। बाहर निकलने के बाद उन्होंने पीड़िता की मां से कहा कि वो इस मामले में उनकी मदद नहीं कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने पीड़िता की मां को भी कुछ पैसे दिए और फिर आवास से बाहर भेज दिया।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, येदियुरप्पा पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 8 (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) और धारा 354A (यौन उत्पीड़न), 204 (इसे रोकने के लिए दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करना) के तहत आरोप लगाया गया है। वहीं, तीन अन्य सह अभियुक्तों अरुण वाई एम, रुद्रेश एम और जी मारिस्वामी, जो येदियुरप्पा के सहयोगी हैं पर पॉस्को अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी की धारा 204 और 214 के तहत आरोप लगाए गए हैं।

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Jun 28 2024, 09:34

कर्नाटक में भीषण सड़क हादसा, तीर्थयात्रियों से भरी बस और ट्रक में टक्कर, 13 लोगों की मौत
#13_killed_after_bus_crashes_into_stationary_truck_in_karnataka
कर्नाटक के हावेरी जिले के ब्यादगी तालुक में बड़ा सड़क हादसा हा है। शुक्रवार तड़के एक मिनी बस के खड़े ट्रक से टकरा गई। दुर्घटना में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। बताया जा रहा है कि पीड़ित शिवमोगा के रहने वाले थे और देवी यल्लम्मा के दर्शन के लिए तीर्थयात्रा के बाद बेलगावी जिले के सवादट्टी से लौट रहे थे। यह दुर्घटना आज सुबह हावेरी जिले के बडगी तालुक में गुंडेनहल्ली क्रॉस के पास पुणे-बैंगलोर राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई। रोड पर खड़ी लॉरी से टकराने के बाद यात्री गाड़ी पुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। पुलिस ने बताया कि पीड़ित शिवमोगा के रहने वाले थे और देवी यल्लम्मा के दर्शन के लिए तीर्थयात्रा के बाद बेलगावी जिले के सवादट्टी से लौट रहे थे। मरने वाले 13 लोगों में एक बच्चा भी शामिल है। पुलिस ने कहा कि ऐसा लगता है कि बस के चालक को नींद आ गई थी, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। पुलिस ने कहा कि आगे की जांच जारी है।

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Jun 21 2024, 15:56

राहुल गांधी पर कॉमेंट कर बुरे फंसे अजीत भारती, नोटिस देने बेंगलुरू से नोएडा आई कर्नाटक पुलिस

#karnataka_police_reaches_home_of_journalist_ajeet_bharti_in_noida 

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और पत्रकार अजीत भारती की तलाश में कर्नाटक पुलिस गुरुवार को नोएडा के सेक्टर-55 पहुंची थी। आसपास के लोगों और अजीत के परिवार ने सादे कपड़ों में घर के आसपास घूम रहे लोगों को देखकर उन्हें संदिग्ध समझा और इसकी सूचना नोएडा पुलिस को दी। मौके पर पहुंची नोएडा पुलिस कर्नाटक पुलिस के तीन अधिकारी को अपने साथ लेकर थाने आई और वहां पर उनसे पूरे मामले को समझा। इसके बाद कर्नाटक पुलिस के तीन अधिकारी अजीत भारती को एक नोटिस थमा कर वापस लौट गए। नोटिस के तहत अजीत भारती को 7 दिन के अंदर हाजिर होने को कहा गया है।

अयोध्या में राम मंदिर के बारे में कथित तौर पर झूठी खबर फैलाने के आरोप में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अजीत भारती के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के कुछ दिनों बाद, बेंगलुरु पुलिस नोएडा पहुंची थी। अजीत भारती के मुताबिक कर्नाटक पुलिस जवानों ने स्थानीय यूपी पुलिस को बिना साथ लिए ही उनके आवास पर पहुँच गए थे। तीनों कैब से पहुँचे थे और उन्होंने वर्दी भी नहीं पहन रखी थी। अपने घर के आसपास अजीत भारती और उनके परिवार ने संदिग्ध गतिविधि देख कर स्थानीय पुलिस थाने को सूचना दी।इसके बाद स्थानीय पुलिस यहाँ पहुँची और कर्नाटक पुलिस के इन तीनों जवानों को अपने साथ ले गई। कर्नाटक पुलिस के इन जवानों ने अजीत भारती को हाल ही में उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले में एक नोटिस भी थमाया है। यह नोटिस बेंगलुरु के हाई ग्राउंड थाने से जारी किया गया है।

नोटिस में कहा गया है कि अजीत भारती ने समाज में घृणा और शत्रुता बढ़ाने के उद्देश्य से राहुल गाँधी को लेकर एक वीडियो बनाया है। इसी को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अजीत भारती को कर्नाटक पुलिस ने आदेश दिया है कि वह नोटिस मिलने के सात दिनों के भीतर हाई ग्राउंड थाने में पेश हों।

पत्रकार अजीत भारती ने बीते दिनों एक वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को लेकर कुछ टिप्पणियां की थी। जिसके बाद कर्नाटक पुलिस ने हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन, वसंत नगर, बेंगलुरु में अजीत के खिलाफ मामला दर्ज किया। एफआईआर कर्नाटक के कांक ग्रेस कमेटी के लीगल सेल सचिव और सचिव बेके बोपन्ना ने कराई थी।

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May 07 2024, 15:18

मुसलमानों को पूरा आरक्षण मिलना चाहिए...पढ़िए, वोटिंग के बीच किस नेता ने खेल दिया ये बड़ा दांव







बिहार में तीसरे चरण की वोटिंग के बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने आरक्षण की बात कहकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को आरक्षण मिलना चाहिए. लालू यादव ने कहा, 'वोट हमारे तरफ जा रहा है .. बीजेपी वाले डर गए है कि लोगों को सिर्फ भड़का रहे हैं. बीजेपी वाले संविधान को खत्म करना चाहते हैं. जनता समझ गई है बीजेपी को .. आरक्षण तो मिलना चाहिए मुसलमानों को पूरा.'

लालू यादव ने कहा, 'बहुत अच्छा वोटिंग हो रही है. हर तरफ बड़ी-बड़ी लाइनें लगी हुई हैं. हमारे पक्ष में सारा वोटिंग हो रहा है.  बीजेपी वाले भड़का रहे हैं क्योंकि वो डर गए हैं. आरक्षण का प्रावधान है... वो तो लोकतंत्र और संविधान को खत्म करना चाहते हैं. ये बात जनता समझ चुकी है.' लालू प्रसाद यादव के बयान के बीच मुस्लिम आरक्षण को लेकर लोजपा नेता चिराग पासवान का भी बयान सामने आया है, उन्होंने कहा, 'लोग कहते हैं कि पीएम मोदी मुद्दे की बात नहीं करते हैं, यह भी तो मुद्दे की बात नहीं करते हैं. हर चीज में हिंदू-मुस्लिम आरक्षण खत्म हो जाएगा, संविधान खत्म होने की बात करते हैं. किसने बोला आरक्षण खत्म हो जाएगा, संविधान खत्म हो जाएगा, किसने बोला कि लोकतंत्र खतरे में है. जिन लोगों ने सही मायने में देश में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की, वह लोग लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं.यह लोगों को डराकर वोट हासिल करना चाहते हैं 2015 में भी इसी तरह से आरक्षण खत्म करने की बात कह कर हो-हल्ला मचाया था, एक तरफा चुनाव कर लिया था. मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं, वह संविधान को खत्म करने का प्रयास करेंगे'



आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना में एक जनसभा को संबोधित करते हुए  कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों पर धर्म के आधार पर आरक्षण देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और अन्य वंचित समूहों को मिलने वाले आरक्षण को धर्म के आधार पर मुसलमानों को नहीं देने देंगे.

उन्होंने दावा किया कि जब तेलंगाना की 26 जातियां ओबीसी स्टेटस की मांग कर रही हैं, कांग्रेस ने इनकी मांग पर गौर नहीं किया और रातोरात मुस्लिमों को ओबीसी कैटेगरी में शामिल कर दिया. पीएम मोदी ने तल्ख अंदाज में कहा- कांग्रेस वाले सुन लें, उनके चट्ट-बट्टे सुन लें, उनकी पूरी जमात सुन ले कि जब तक मोदी जिंदा है, दलितों का, एससी-एसटी और ओबीसी का आरक्षण धर्म के आधार पर मुसलमानों को नहीं देने दूंगा.



पीएम मोदी और बीजेपी पिछले कुछ समय से अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समाज से संवाद की रणनीति पर चल रहे थे. 'स्नेह यात्रा', 'न दूरी है न खाई है, मोदी हमारा भाई है' जैसे अभियानों के जरिए बीजेपी मुस्लिम वर्ग के बीच अपनी सियासी जमीन तैयार करने की कवायद में थी. चुनाव प्रचार जैसे-जैसे परवान चढ़ता गया, बीजेपी और पीएम मोदी ने अपनी रणनीति बदल ली. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि पीएम मोदी खुलकर मुस्लिम आरक्षण के विरोध में क्यों उतर आए? इसके पीछे बीजेपी की रणनीति जातिगत जनगणना और आरक्षण विरोधी ठहराने की विपक्षी कोशिशों की धार कुंद करने की है.

తప్పు చేస్తే దొరకక తప్పదు

Jul 23 2024, 08:50

Mettur Dam’s Water Level Rises By 30ft In Seven Days

The water level in the Stanley Reservoir at Mettur dam rose by 30 feet in a span of seven days (from July 15 to July 22), following the release of water by Karnataka from the Krishnaraja Sagar and Kabini dams.

Karnataka released water at the rate of 20,000 cusecs into the river Cauvery on July 14. Later, they increased it up to 80,000 cusecs.

Mettur dam’s water level increased steadily as the inflow level was higher than the outflow level. A water resources department official said the water level at the dam was 44.62 feet against its full capacity of 120 feet.

It crossed 75 feet on Monday. The inflow was measured at a rate of 64,033 cusecs while the discharging rate for drinking water purposes is being maintained at 1,000 cusecs” he added.

An official from the Central Water Commission said officials in Karnataka reduced the water discharging level from 80,000 cusecs to 63,101 cusecs on Monday. While water was released from the KRS dam at the rate of 35,917 cusecs, the rest was released from the Kabini dam.

“The water inflow level at Biligundlu - the entry point of Tamil Nadu for the Cauvery River in Krishnagiri district, measured at the rate of 65,000 cusecs on Monday evening,” he said.

Meanwhile, the Dharmapuri district administration continued the ban on bathing, fishing, and coracle riding at Hogenakkal for the seventh day on Monday. District collector K Santhi imposed the ban on July 15 due to the increased inflow of water in the river.

Discover the recent rise in water levels at Pillur, Siruvani, and Aliyar dams in Coimbatore. Heavy rainfall has led to a substantial increase, ensuring a steady water supply for the region. Stay informed about the water management efforts for the districts.

Read about the rising water levels in the Godavari river, affecting several mandals in ASR district. Transportation disruptions between Andhra Pradesh and Odisha due to heavy rains. Stay updated on the relief efforts and NDRF team deployments in the affected areas.

Discover how recent heavy rainfall is filling up the KRS dam in Kodagu and Mysuru districts. Find out about flood warnings and the impact on the Cauvery basin in Karnataka.

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Jul 21 2024, 13:41

अब कर्नाटक में 14 घंटे काम करेंगे आईटी कर्मचारी? कंपनियों के दिए प्रस्ताव पर विचार कर रही सरकार

#it_companies_in_karnataka_proposed_to_work_for_14_hours

नौकरी आरक्षण विधेयक पर अलोचना झेल चुकी कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को आईटी से जुड़े कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, बताया जा रहा है कि आईटी कंपनियों के कर्मचारियों के काम के मौजूदा घंटों को बढ़ाकर 14 घंटे किया जा सकता है।आईटी कंपनियों ने कर्मचारियों के काम के घंटे मौजूदा 10 घंटे से बढ़ाकर 14 घंटे प्रतिदिन करने का एक प्रस्ताव कर्नाटक सरकार को सौंपा है। इस प्रस्ताव पर अब कर्नाटक सरकार विचार कर है। बता दें कि कर्नाटक में निजी क्षेत्र में नौकरी का आरक्षण देने वाले विधेयक पर हंगामा थमा नहीं था कि एक और नया विवाद पैदा हो गया है। जिससे बवाल मचा हुआ है।

इंडिया टुडे ने सूत्रों के जरिए दावा किया गया है कि सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार 1961 के राज्य सरकार कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रही है। आईटी कंपनियां भी सरकार से चाहती हैं कि सरकार उनके प्रस्ताव को संशोधन में शामिल किया जाए, ताकि कानूनी तौर पर काम के घंटे 14 घंटे यानि कि (12+2 घंटे का ओवर टाइम) हो जाए।आईटी क्षेत्र के नए प्रस्ताव में कहा गया है कि आईटी/आईटीईएस/बीपीओ के सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को लगातार तीन माह में 12 घंटे से अधिक यानि कि करीब 125 घंटे से अधिक काम करने की आवश्यकता हो सकती है। 

कर्नाटक राज्य आइटी/आइटीइएस कर्मचारी संघ (केआइटीयू) के प्रतिनिधि पहले ही श्रम मंत्री संतोष लाड से मिल चुके हैं और इस कदम पर अपनी चिंताएं व्यक्त कर चुके हैं।केआईटीयू के महासचिव सुहास अडिगा ने बताया, 'इससे आईटी/आईटीईएस कंपनियों को काम के दैनिक घंटे अनिश्चित काल तक बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह संशोधन कंपनियों को वर्तमान में मौजूद तीन शिफ्ट प्रणाली के बजाय दो शिफ्ट प्रणाली को अपनाने की अनुमति देगा और एक तिहाई कर्मचारियों को उनके रोजगार से बाहर कर दिया जाएगा। साथ ही आईटी कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होगा।'

आपको बता दें कि वर्तमान में श्रम कानून 12 घंटे (10 घंटे + 2 घंटे ओवरटाइम) तक कार्य की अनुमति देता है।

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Jul 18 2024, 14:08

कर्नाटक में प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण पर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का यू-टर्न, जानें क्यों पलटे सिद्धारमैया

#karnataka_reservation_bill_2024_put_on_hold 

कर्नाटक सरकार ने राज्य में निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए नौकरियां आरक्षित करने वाला बिल फिलहाल के लिए टाल दिया है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 48 घंटे के अंदर प्राइवेट नौकरी में आरक्षण के बिल पर यू-टर्न ले लिया। राज्य सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में स्थानीय लोगों को प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण वाले बिल को मंजूरी दिया था। जिसके तहत प्राइवेट फर्म्स में नॉन मैनेजमेंट पोजिशंस में 70% और मैनेजमेंट लेवल एंप्लाईज के लिए 50% हायरिंग को रिजर्व रखा गया था। इसे गुरुवार यानी आज विधानसभा में पेश किया जाना था। लेकिन उद्योगपतियों और बिजनेस लीडर्स के विरोध के चलते सरकार को अपना फैसला रोकना पड़ा।

बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस विधेयक को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। इस पर आने वाले दिनों में फिर से विचार कर फैसला लिया जाएगा। इससे पहले, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी एक्स पर पोस्ट कर मामले में सफाई दी। उन्होंने लिखा है कि “निजी क्षेत्र के संस्थानों, उद्योगों और उद्यमों में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण लागू करने का इरादा रखने वाला विधेयक अभी भी तैयारी के चरण में है। अगली कैबिनेट बैठक में व्यापक चर्चा के बाद फैसला लिया जाएगा।”

इससे पहले सीएम सिद्धारमैया ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा था, "कल कैबिनेट बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने के विधेयक को मंजूरी दी गई।" उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ भाषी स्थानीय लोगों को अपने राज्य में आरामदेह जीवन जीने का मौका दिया जाए। उन्हें अपनी 'कन्नड़ भूमि' में नौकरियों से वंचित न किया जाए।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की इस पोस्ट के बाद इंडस्ट्री में इसे लेकर विरोध शुरू हो गया। विवाद बढ़ा तो बाद में सीएम ने वह पोस्ट हटा दी।हालांकि इससे पहेल बायोकॉन की किरण मजूमदार-शॉ जैसी बिजनेस लीडर्स ने इस बिल पर अपना विरोध जताया।किरण मजूमदार शॉ ने कहा, “एक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की दरकार होती है और हमारा मकसद हमेशा स्थानीय लोगों को रोजगार देना होता है। हमें इस कदम से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए।” 

इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी टीवी मोहनदास पाई ने विधेयक की आलोचना करते हुए इसे फासीवादी करार दिया।उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “इस विधेयक को रद्द कर दिया जाना चाहिएष यह पक्षपातपूर्ण, प्रतिगामी और संविधान के खिलाफ है। यह अविश्वसनीय है कि कांग्रेस इस तरह का कोई विधेयक लेकर आई है। सरकारी अफसर प्राइवेट सेक्टर की भर्ती समितियों में बैठेंगे? लोगों को अब भाषा की भी परीक्षा देनी होगी?”

Nasscom से लेकर तमाम दिग्गज कंपनियों का टॉप मैनेजमेंट खुलकर इस कदम के विरोध में उतर आया। Nasscom ने तो आंकड़े भी गिनाए। ईटी इंडस्ट्री की इस संस्था ने कहा, 'कर्नाटक की जीडीपी में टेक सेक्टर 25% योगदान करता है, कुल ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) में इसकी 30% से ज्यादा हिस्सेदारी है और करीब 11,000 स्टार्टअप हैं।Nasscom ने कहा कि इस तरह के कानून से न सिर्फ कर्नाटक का विकास प्रभावित होगा, बल्कि राज्य की ग्लोबल इमेज को भी धक्का लगेगा। भारत के कुल सॉफ्टवेयर निर्यात में कर्नाटक की भागीदारी 42% से ज्यादा है। कर्नाटक की राजधानी, बेंगलुरु 'भारत की सिलिकॉन वैली' कही जाती है।

इस तरहग के विरोध के बाद सिद्धारमैया सरकार को समझ आ गया कि यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित होगा। तमाम बड़ी कंपनियां राज्य से बाहर निकल जातीं। मौका देखकर कई राज्यों ने तो ऑफर भी दे दिया था। आंध्र प्रदेश जहां के आईटी सेक्टर ने हाल के सालों में तेजी से प्रगति की है, ने कंपनियों से कहा क‍ि वे बेंगलुरु छोड़ हैदराबाद आ जाएं। अगर ऐसा होता तो कर्नाटक सरकार को सालाना खरबों रुपये के राजस्व से हाथ धोना पड़ता। ऐसे में सरकार ने बिल को ठंडे बस्ते में डालना ही बेहतर समझा

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Jul 17 2024, 20:06

प्राइवेट जॉब्स में 100 फीसदी आरक्षण पर बवाल, घिरे तो सिद्धारमैया ने डिलीट की पोस्ट, अब नया ट्वीट कर दी सफाई

#karnataka_siddaramaiah_on_reservation_for_kannada_people_in_private_industries

कर्नाटक सरकार का कन्नड़ लोगों को निजी नौकरियों में 50-75% तक का आरक्षण देने वाला बिल गले की फांस बनता जा रहा है।कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की ओर से प्राइवेट सेक्टर में कन्नड़ भाषियों को आरक्षण दिए जाने से जुड़ा विधायक लाने के फैसले पर उद्योग जगत के कई दिग्गजों नेगहरी आपत्ति जताई, साथ ही इसे फासीवादी और अदूरदर्शी कदम करार दिया। वहीं विवाद के बीच सीएम सिद्दारमैया ने आरक्षण से जुड़ा एक पोस्ट डिलीट कर दिया। अब नया ट्वीट कर सफाई दी है।

कर्नाटक में कन्नड़ों को निजी कंपनियों में नौकरी के लिए आरक्षण देने वाले विधेयक पर गहराते विवाद में खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मुश्किलों में घिर गए हैं। दरअसल, उन्होंने पहले एक ट्वीट कर निजी उद्योगों में ‘सी और डी’ श्रेणी के 100 प्रतिशत पदों को कन्नडिगा (कन्नड़भाषी) लोगों के लिए आरक्षित करने की बात कही। इस पर जब विवाद बढ़ा तो उन्होंने इसे डिलीट कर नया ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा, 'सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य के निजी उद्योगों और अन्य संगठनों में कन्नड़ लोगों के लिए प्रशासनिक पदों के लिए 50% और गैर-प्रशासनिक पदों के लिए 75% आरक्षण तय करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई। हमारी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को उनकी ही धरती पर नौकरियों से वंचित न होना पड़े और उन्हें मातृभूमि में आरामदायक जीवन जीने का अवसर मिले। हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं। हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण का ध्यान रखना है।'

इससे पहले सीएम सिद्धारमैया ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा था, "कल कैबिनेट बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने के विधेयक को मंजूरी दी गई।" उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ भाषी स्थानीय लोगों को अपने राज्य में आरामदेह जीवन जीने का मौका दिया जाए। उन्हें अपनी 'कन्नड़ भूमि' में नौकरियों से वंचित न किया जाए। बाद में सीएम ने वह पोस्ट हटा दी।

बता दें कि उद्योग जगत ने इस विधेयक की मुखर आलोचना की है। इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी टीवी। मोहनदास पाई ने विधेयक की आलोचना करते हुए इसे फासीवादी करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “इस विधेयक को रद्द कर दिया जाना चाहिएष यह पक्षपातपूर्ण, प्रतिगामी और संविधान के खिलाफ है। यह अविश्वसनीय है कि कांग्रेस इस तरह का कोई विधेयक लेकर आई है। सरकारी अफसर प्राइवेट सेक्टर की भर्ती समितियों में बैठेंगे? लोगों को अब भाषा की भी परीक्षा देनी होगी?”

फार्मा कंपनी बायोकॉन की एमडी किरण मजूमदार शॉ ने कहा, “एक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की दरकार होती है और हमारा मकसद हमेशा स्थानीय लोगों को रोजगार देना होता है। हमें इस कदम से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए।” एसोचैम की कर्नाटक इकाई के सह अध्यक्ष आरके मिश्रा ने भी आलोचना करते हुए कहा, “कर्नाटक सरकार का एक और प्रतिभावान कदम।”

प्रमुख कारोबारियों के बाद अब आईटी कंपनी संगठन नेशनल असोसिएशन फॉर सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेस कंपनीस (एनएएसएससीओएम) ने भी इस निर्णय अपनी चिंताएँ जाहिर की हैं। एनएएसएससीओएम ने कर्नाटक सरकार से इस बिल को वापस लेने की माँग की है और कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें राज्य से बाहर जाने का कदम उठाना पड़ सकता है।

एनएसएससीओएम ने एक पत्र जारी करके इस नए बिल को लेकर समस्याएँ बताई हैं। इस पत्र में एनएएसएससीओएम ने कहा, “टेक सेक्टर कर्नाटक की अर्थव्यवस्था और समाज के विकास में बड़ा कारक रहा है। टेक सेक्टर राज्य की GDP में लगभग 25% योगदान देता है और प्रदेश के रफ़्तार से तरक्की में बड़ा सहायक रहा है जिससे राज्य की प्रति व्यक्ति आय देश के औसत से ऊँची हो गई है। राज्य में देश के 30% GCC (ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर) और 11,000 स्टार्टअप हैं।

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Jul 17 2024, 13:30

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने प्राइवेट सेक्टर में लागू किया कोटा, कन्नड़ भाषियों को नौकरियों में 50-75% रिजर्वेशन

#karnataka_local_reservation_bill_for_kannadigas_in_private_firms

कर्नाटक सरकार ने नौकरी में आरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। कर्नाटक सरकार ने कंपनियों और उद्योगों में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने वाले राज्य रोजगार विधेयक, 2024 के मसौदे को मंजूरी दे दी है। विधानसभा में इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठान में स्थानीय लोगों को आरक्षण देना अनिवार्य हो जाएगा। प्रस्तावित विधेयक में मैनेजर या प्रबंधन वाले जॉब में 50 फीसदी और गैर मैनेजमेंट वाली नौकरियों में 75 फीसदी पद कन्नड़ के लिए रिजर्व हो जाएगा। 

मंगलवार (15 जुलाई, 2024) को बेंगलुरु में हुई राज्य कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई। इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी फैक्ट्रियों और दफ्तरों में नौकरी पर रखे जाने वाले लोग अब कन्नड़ ही होने चाहिए। इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी दफ्तरों और फैक्ट्रियों में काम पर रखे जाने वाले ग्रुप सी और ग्रुप डी (सामान्यतः क्लर्क और चपरासी या फैक्ट्री के कामगार) के 75% लोग कन्नड़ होने चाहिए। इसके अलावा, बिल के अनुसार इससे ऊँची नौकरियों में 50% नौकरियाँ कन्नड़ लोगों को मिलनी चाहिए।

बिल के अनुसार कर्नाटक में जन्मा या कर्नाटक में पिछले 15 वर्षों से रह रहा कोई भी व्यक्ति कन्नड़ माना जाएगा और इसे इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। कन्नड़ आरक्षण का लाभ लेने के लिए व्यक्ति को 12वीं पास होना चाहिए और इस दौरान उसके पास कन्नड़ एक विषय के तौर पर होनी जरूरी है। यदि उसके पास यह नहीं है तो उसे कन्नड़ सीखनी होगी।

बिल में यह भी कहा गया है कि यदि कम्पनियों को अपनी नौकरियों के लिए गैर कन्नड़ लोगों की भर्ती करना आवश्यक हो जाता है और कन्नड़ भाषाई उपलब्ध नहीं है, तो उन्हने छूट दी जा सकती है। इसके लिए कम्पनियों को आवेदन देना होगा और इस पर सरकार का निर्णय अंतिम होगा।

बिल में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी स्थिति में किसी भी दफ्तर, कम्पनी या फैक्ट्री में ऊँचे पदों पर काम करने वाले कन्नड़ 25% से कम नहीं होने चाहिए। इसके अलावा इनकी संख्या निचली नौकरियों में 50% रहनी ही चाहिए। ऐसा ना करने पर कम्पनियों को ₹25,000 तक का जुर्माना झेलना पड़ेगा। इस बिल को कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब विधानसभा के चालू सत्र में पेश किया जाएगा।

कंपनियां योग्य कैंडिडेट नहीं मिलने का बहाना नहीं बना सकेंगी

कर्नाटक के श्रम मंत्री संतोष लाड के अनुसार, राज्य रोजगार विधेयक को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल चुकी है, इसे विधानसभा के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राइवेट कंपनियां अपने प्रतिष्ठान के लिए सरकार से सब्सिडी और अन्य लाभ लेती है, इसलिए उन्हें भी नौकरी में स्थानीय लोगों की भागीदारी तय करनी होगी। उन्होंने कहा कि राज्य रोजगार विधेयक लागू होने के बाद स्थानीय कन्नड़ लोगों को नौकरी में अधिक अवसर मिलेंगे। उन्होंने बताया कि कानून लागू होने के बाद कंपनियां योग्य कैंडिडेट नहीं मिलने का बहाना नहीं बना सकेगी। अगर किसी कारण योग्य स्थानीय लोग नहीं मिलते हैं तो कंपनी को तीन साल के भीतर लोकल को ट्रेनिंग देना होगा। 

सरकार के इस प्रस्ताव का कंपनियों ने किय विरोध

बताया जाता है कि सरकार के इस प्रस्ताव का कंपनियों ने विरोध किया है। बता दें कि गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में 20 फीसदी गैर कन्नड़ आबादी काम करती है। बेंगलुरु की कंपनियों में गैर कन्नड़ कर्मचारियों की तादाद 35 फीसदी आंकी गई है। इनमें से अधिकतर उत्तर भारत, आंध्र और महाराष्ट्र से हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, बेंगलुरु शहर की कुल आबादी का 50 फीसदी गैर कन्नड़ है। पिछले दिनों बेंगलुरु में कन्नड़ भाषा की अनिवार्यता पर लंबी बहस भी छिड़ी थी, जिसके बाद हिंदी में नाम लिखे गए साइन बोर्ड तोड़े गए थे।

हरियाणा ने भी उठाया था ऐसा कदम

कर्नाटक ऐसा पहला राज्य नहीं है जिसने स्थानीय लोगों को निजी नौकरियों में आरक्षण देने का निर्णय लिया हो। इससे पहले जनवरी, 2022 में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने राज्य के भीतर निजी नौकरियों में 75% पद स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया था। इस संबंध में हरियाणा ने कानून भी बनाया था। इस कानून को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नवम्बर, 2023 में असंवैधानिक करार दे दिया था और इसे रद्द कर दिया था।

हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हरियाणा ने कहा था कि बिल को रद्द करने के लिए जो कारण बताए गए हैं, वह सही नहीं हैं। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी, 2024 में केंद्र से भी जवाब माँगा था। अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ही लंबित है।

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Jun 28 2024, 20:04

कर्नाटक में नया सियासी नाटक, वोक्कालिगा संत ने कर दी शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग

#disputeinkarnatakacongressovercmpostvokkaligasaintsupportd_k 

कर्नाटक में नया सियासी ड्रामा शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर जारी सत्ता संघर्ष के बीच वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक महंत ने सार्वजनिक रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पद छोड़ने और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सत्ता सौंपने का आग्रह किया। एक वोक्कालिगा संत ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जगह देनी चाहिए।महंत की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब सिद्धरमैया मंत्रिमंडल में तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ रही है।

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं। यह समुदाय राज्य के दक्षिणी भागों में एक प्रमुख समुदाय है। चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा, "राज्य में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए अनुरोध है कि सिद्धरमैया कृपया हमारे डीके शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "सिद्धरमैया अगर मन बना लें तो ही यह संभव है, अन्यथा नहीं, इसलिए नमस्कार के साथ मैं सिद्धरमैया से अनुरोध करता हूं कि वह डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएं।"

वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं डीके

उन्होंने यह बयान कैंपा गौड़ा जयंती समारोह में उस समय दिया, जब मंच पर शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों मौजूद थे। इसके बाद स्वामी निर्मलानंद ने भी डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की वकालत की। बता दें कि डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान मठ की ओर से कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन मिला था। ओल्ड मैसुरू इलाके में मठ की अपील का फायदा भी कांग्रेस को मिला था।

सिद्धारमैया बोले- पार्टी जो कहेगा, हम वही करेंगे

संत की इस अपील को लेकर सिद्धारमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी है। यह लोकतंत्र है। हम वही करेंगे जो हाईकमान हमें करने को कहेगा। वहीं शिवकुमार ने कहा कि कुछ बातें कही गईं हैं। मैं और सिद्धारमैया दोनों ही राज्य के रुके हुए प्रोजेक्ट्स के बारे में राज्य के सांसदों से बात करने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।

सिद्धारमैया के समर्थक ने उठाई तीन डिप्टी सीएम की मांग

वहीं, सिद्धारमैया के समर्थक मंत्रियों केएन राजन्ना, बी जेड ज़मीर अहमद खान और सतीश जरकीहोली ने तीन डिप्टी सीएम की मांग रख दी। माना जा रहा है कि मंत्रियों ने डीके शिवकुमार को काबू में करने के लिए तीन डिप्टी सीएम का मुद्दा उछाला गया है। अभी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और डीके फॉर्मूले तहत सीएम पद के दावेदार हैं। 

शह और मात का खेल शुरू

लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से समर्थक खुले तौर पर नेतृत्व परिवर्तन का राग छेड़ा है तो सिद्धारमैया समर्थक मंत्रियों ने तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू करने का दांव चल दिया है। कई मंत्री लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक डिप्टी सीएम बनाने के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की मांग भी शुरू हो गई है। यह पद अभी डीके शिवकुमार के पास ही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद निकाले गए फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार सीएम पद के दावेदार हैं। पार्टी में वह संकटमोचक के तौर पर उभरे हैं। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास भी हासिल है, ऐसे में सिद्धारमैया समर्थकों ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। फिलहाल इस खेल के शुरू होने के बाद डीके शिवकुमार ने चुप्पी साध रखी है।

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Jun 28 2024, 18:57

यौन शोषण मामले में सीआईडी ने येदियुरप्पा के खिलाफ दायर किया आरोप पत्र, लगाया गंभीर आरोप

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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ नाबालिग लड़की से यौन शोषण के मामले में अपराध जांच शाखा (सीआईडी) लगातार जांच कर रही है। यौन शोषण मामले में राज्य पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने उनके और तीन अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। आरोप पत्र में कहा है कि पूर्व सीएम ने अपने तीन सहयोगियों के साथ मिलकर पीड़िता और उसकी मां को चुप रहने के लिए मोटी रकम दी है। येदियुरप्पा और उनके के तीन सहयोगियों पर भी सुबूत नष्ट करने और रिश्वत देने के आरोप दर्ज किए गए हैं। बता दें कि येदियुरप्पा पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग लड़की के साथ अपने आवास पर अश्लील हरकत की थी। उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

शुक्रवार को सीआईडी के दायर किए आरोप पत्र में बताया गया कि 81 वर्षीय येदियुरप्पा के खिलाफ पोक्सो की धारा 8 व आईपीसी की धारा 354ए, 204, 214 और उनके सहयोगियों अरुण वाइएम और रुद्रेश एम. के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 204, 214 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। आरोप पत्र में बताया गया है कि दो फरवरी को सुबह 11.15 बजे 17 वर्षीय नाबालिग और उसकी मां डॉलर कॉलोनी स्थित येदियुरप्पा के आवास पहुंचे थे। आवास पर जब येदियुरप्पा नाबालिग की मां से बात कर रहे थे तब उन्होंने अपने बाएं हाथ से पीड़िता की दाहिनी कलाई पकड़ रखी थी। इसके बाद येदियुरप्पा ने नाबालिग को हॉल के बगल में स्थित एक बैठक रूम के भीतर बुलाया और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। चार्जशीट में आगे दावा किया गया है कि कमरे में येदियुरप्पा ने पीड़िता से पूछा कि क्या उसे उस व्यक्ति का चेहरा याद है जिसने पहले उसका यौन उत्पीड़न किया था। इसके जवाब में पीड़िता ने दो बार कहा कि हां उसे याद है।

सीआईडी ने चार्जशीट में आगे कहा कि पीड़िता ने येदियुरप्पा के हाथ को झटकते हुए दूर हट गई और उनसे दरवाजा खोलने के लिए कहा। इसके बाद येदियुरप्पा ने दरवाजा खोला और पीड़िता के हाथ में कुछ पैसे रखकर बाहर निकल गए। बाहर निकलने के बाद उन्होंने पीड़िता की मां से कहा कि वो इस मामले में उनकी मदद नहीं कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने पीड़िता की मां को भी कुछ पैसे दिए और फिर आवास से बाहर भेज दिया।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, येदियुरप्पा पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 8 (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) और धारा 354A (यौन उत्पीड़न), 204 (इसे रोकने के लिए दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करना) के तहत आरोप लगाया गया है। वहीं, तीन अन्य सह अभियुक्तों अरुण वाई एम, रुद्रेश एम और जी मारिस्वामी, जो येदियुरप्पा के सहयोगी हैं पर पॉस्को अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी की धारा 204 और 214 के तहत आरोप लगाए गए हैं।

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Jun 28 2024, 09:34

कर्नाटक में भीषण सड़क हादसा, तीर्थयात्रियों से भरी बस और ट्रक में टक्कर, 13 लोगों की मौत
#13_killed_after_bus_crashes_into_stationary_truck_in_karnataka
कर्नाटक के हावेरी जिले के ब्यादगी तालुक में बड़ा सड़क हादसा हा है। शुक्रवार तड़के एक मिनी बस के खड़े ट्रक से टकरा गई। दुर्घटना में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। बताया जा रहा है कि पीड़ित शिवमोगा के रहने वाले थे और देवी यल्लम्मा के दर्शन के लिए तीर्थयात्रा के बाद बेलगावी जिले के सवादट्टी से लौट रहे थे। यह दुर्घटना आज सुबह हावेरी जिले के बडगी तालुक में गुंडेनहल्ली क्रॉस के पास पुणे-बैंगलोर राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई। रोड पर खड़ी लॉरी से टकराने के बाद यात्री गाड़ी पुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। पुलिस ने बताया कि पीड़ित शिवमोगा के रहने वाले थे और देवी यल्लम्मा के दर्शन के लिए तीर्थयात्रा के बाद बेलगावी जिले के सवादट्टी से लौट रहे थे। मरने वाले 13 लोगों में एक बच्चा भी शामिल है। पुलिस ने कहा कि ऐसा लगता है कि बस के चालक को नींद आ गई थी, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। पुलिस ने कहा कि आगे की जांच जारी है।

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Jun 21 2024, 15:56

राहुल गांधी पर कॉमेंट कर बुरे फंसे अजीत भारती, नोटिस देने बेंगलुरू से नोएडा आई कर्नाटक पुलिस

#karnataka_police_reaches_home_of_journalist_ajeet_bharti_in_noida 

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और पत्रकार अजीत भारती की तलाश में कर्नाटक पुलिस गुरुवार को नोएडा के सेक्टर-55 पहुंची थी। आसपास के लोगों और अजीत के परिवार ने सादे कपड़ों में घर के आसपास घूम रहे लोगों को देखकर उन्हें संदिग्ध समझा और इसकी सूचना नोएडा पुलिस को दी। मौके पर पहुंची नोएडा पुलिस कर्नाटक पुलिस के तीन अधिकारी को अपने साथ लेकर थाने आई और वहां पर उनसे पूरे मामले को समझा। इसके बाद कर्नाटक पुलिस के तीन अधिकारी अजीत भारती को एक नोटिस थमा कर वापस लौट गए। नोटिस के तहत अजीत भारती को 7 दिन के अंदर हाजिर होने को कहा गया है।

अयोध्या में राम मंदिर के बारे में कथित तौर पर झूठी खबर फैलाने के आरोप में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अजीत भारती के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के कुछ दिनों बाद, बेंगलुरु पुलिस नोएडा पहुंची थी। अजीत भारती के मुताबिक कर्नाटक पुलिस जवानों ने स्थानीय यूपी पुलिस को बिना साथ लिए ही उनके आवास पर पहुँच गए थे। तीनों कैब से पहुँचे थे और उन्होंने वर्दी भी नहीं पहन रखी थी। अपने घर के आसपास अजीत भारती और उनके परिवार ने संदिग्ध गतिविधि देख कर स्थानीय पुलिस थाने को सूचना दी।इसके बाद स्थानीय पुलिस यहाँ पहुँची और कर्नाटक पुलिस के इन तीनों जवानों को अपने साथ ले गई। कर्नाटक पुलिस के इन जवानों ने अजीत भारती को हाल ही में उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले में एक नोटिस भी थमाया है। यह नोटिस बेंगलुरु के हाई ग्राउंड थाने से जारी किया गया है।

नोटिस में कहा गया है कि अजीत भारती ने समाज में घृणा और शत्रुता बढ़ाने के उद्देश्य से राहुल गाँधी को लेकर एक वीडियो बनाया है। इसी को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अजीत भारती को कर्नाटक पुलिस ने आदेश दिया है कि वह नोटिस मिलने के सात दिनों के भीतर हाई ग्राउंड थाने में पेश हों।

पत्रकार अजीत भारती ने बीते दिनों एक वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को लेकर कुछ टिप्पणियां की थी। जिसके बाद कर्नाटक पुलिस ने हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन, वसंत नगर, बेंगलुरु में अजीत के खिलाफ मामला दर्ज किया। एफआईआर कर्नाटक के कांक ग्रेस कमेटी के लीगल सेल सचिव और सचिव बेके बोपन्ना ने कराई थी।

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May 07 2024, 15:18

मुसलमानों को पूरा आरक्षण मिलना चाहिए...पढ़िए, वोटिंग के बीच किस नेता ने खेल दिया ये बड़ा दांव







बिहार में तीसरे चरण की वोटिंग के बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने आरक्षण की बात कहकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को आरक्षण मिलना चाहिए. लालू यादव ने कहा, 'वोट हमारे तरफ जा रहा है .. बीजेपी वाले डर गए है कि लोगों को सिर्फ भड़का रहे हैं. बीजेपी वाले संविधान को खत्म करना चाहते हैं. जनता समझ गई है बीजेपी को .. आरक्षण तो मिलना चाहिए मुसलमानों को पूरा.'

लालू यादव ने कहा, 'बहुत अच्छा वोटिंग हो रही है. हर तरफ बड़ी-बड़ी लाइनें लगी हुई हैं. हमारे पक्ष में सारा वोटिंग हो रहा है.  बीजेपी वाले भड़का रहे हैं क्योंकि वो डर गए हैं. आरक्षण का प्रावधान है... वो तो लोकतंत्र और संविधान को खत्म करना चाहते हैं. ये बात जनता समझ चुकी है.' लालू प्रसाद यादव के बयान के बीच मुस्लिम आरक्षण को लेकर लोजपा नेता चिराग पासवान का भी बयान सामने आया है, उन्होंने कहा, 'लोग कहते हैं कि पीएम मोदी मुद्दे की बात नहीं करते हैं, यह भी तो मुद्दे की बात नहीं करते हैं. हर चीज में हिंदू-मुस्लिम आरक्षण खत्म हो जाएगा, संविधान खत्म होने की बात करते हैं. किसने बोला आरक्षण खत्म हो जाएगा, संविधान खत्म हो जाएगा, किसने बोला कि लोकतंत्र खतरे में है. जिन लोगों ने सही मायने में देश में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की, वह लोग लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं.यह लोगों को डराकर वोट हासिल करना चाहते हैं 2015 में भी इसी तरह से आरक्षण खत्म करने की बात कह कर हो-हल्ला मचाया था, एक तरफा चुनाव कर लिया था. मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं, वह संविधान को खत्म करने का प्रयास करेंगे'



आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना में एक जनसभा को संबोधित करते हुए  कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों पर धर्म के आधार पर आरक्षण देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और अन्य वंचित समूहों को मिलने वाले आरक्षण को धर्म के आधार पर मुसलमानों को नहीं देने देंगे.

उन्होंने दावा किया कि जब तेलंगाना की 26 जातियां ओबीसी स्टेटस की मांग कर रही हैं, कांग्रेस ने इनकी मांग पर गौर नहीं किया और रातोरात मुस्लिमों को ओबीसी कैटेगरी में शामिल कर दिया. पीएम मोदी ने तल्ख अंदाज में कहा- कांग्रेस वाले सुन लें, उनके चट्ट-बट्टे सुन लें, उनकी पूरी जमात सुन ले कि जब तक मोदी जिंदा है, दलितों का, एससी-एसटी और ओबीसी का आरक्षण धर्म के आधार पर मुसलमानों को नहीं देने दूंगा.



पीएम मोदी और बीजेपी पिछले कुछ समय से अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समाज से संवाद की रणनीति पर चल रहे थे. 'स्नेह यात्रा', 'न दूरी है न खाई है, मोदी हमारा भाई है' जैसे अभियानों के जरिए बीजेपी मुस्लिम वर्ग के बीच अपनी सियासी जमीन तैयार करने की कवायद में थी. चुनाव प्रचार जैसे-जैसे परवान चढ़ता गया, बीजेपी और पीएम मोदी ने अपनी रणनीति बदल ली. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि पीएम मोदी खुलकर मुस्लिम आरक्षण के विरोध में क्यों उतर आए? इसके पीछे बीजेपी की रणनीति जातिगत जनगणना और आरक्षण विरोधी ठहराने की विपक्षी कोशिशों की धार कुंद करने की है.