कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाया, जानें क्या है सिद्धारमैया का प्लान?

#karnatakamuslimreservation

कर्नाटक में एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाता दिख रहा है। कांग्रेस सरकार मुस्लिम आरक्षण की तैयारी कर रही है। यह आरक्षण राज्य में दिए जाने वाले ठेकों में लागू किया जाएगा। राज्य में मुस्लिमों को आरक्षण क़ानून में बदलाव करके दिया जाएगा। इसके लिए कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स (केटीपीपी) एक्ट में संशोधन किया जाएगा। एक साल पहले इसी तरह का प्रस्ताव विवादों और तुष्टिकरण की राजनीति के आरोपों के बीच वापस ले लिया गया था, लेकिन अब दोबारा से अमलीजामा पहनाने की रणनीति बनाई है। भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया और कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

मीडिया रिपोर्स के अनुसार, कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार मुस्लिमों को कर्नाटक के सरकारी निर्माण के ठेकों में 4% का आरक्षण देना चाहती है। कांग्रेस ने इसके लिए 1999 के कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स एक्ट, में संशोधन कर मुस्लिमों को सरकारी निर्माण कार्यों में 4 फीसदी आरक्षण देने का प्लान बनाया है। सिद्धारमैया सरकार यह संशोधन विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में लाने की रणनीति बनाई है। इसके जरिए ही आरक्षण लागू किया जाएगा। कर्नाटक वित्त विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है और कानून और संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कथित तौर पर संशोधन को मंजूरी दे दी है।

मुस्लिम वोटों को लुभाने का एक पैंतरा

ऐसा पहली बार नहीं है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुस्लिमों को अलग से आरक्षण देने की तैयारी की हो। इससे पहले नवम्बर, 2024 में भी सरकार इस प्रस्ताव पर काम कर चुकी है लेकिन तब विरोध के कारण इस आइडिया को छोड़ दिया गया था। कर्नाटक में कांग्रेस का यह कदम मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ लुभाने का एक पैंतरा माना जा रहा है। वह इस मामले में जेडीएस को किनारे करना चाहती है। सिद्दारमैया सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर अब राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा हमलावर है। भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस केवल मुस्लिमों को ही अल्पसंख्यक मानती है।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का इतिहास

कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने का इतिहास काफी पुराना है। 1994 में एच.डी. देवगौड़ा के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने पिछड़ी जातियों के बीच ‘श्रेणी 2बी’ बनाकर मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण दिया। हालांकि, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस 4% आरक्षण को रद्द कर दिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और कोर्ट ने बीजेपी सरकार के फैसले पर रोक लगा दी।

सिद्धारमैया के हाथ से जाएगी कर्नाटक सीएम की कुर्सी, दिसंबर तक शिवकुमार को मिल सकती है कमान?

#karnataka_leadership_change_shivakumar_will_become_cm

कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कुर्सी जाने वाली है। नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि 2025 के आखिर तक डीके शिवकुमार सीएम बन जाएंगे। यह दावा किया है कि कांग्रेस विधायक बसवराजू वी शिवगंगा और पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने। कांग्रेस विधायक बसवराजू वी. शिवगंगा ने दावा किया कि उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार दिसंबर तक मुख्यमंत्री बन जाएंगे। शिवगंगा ने कहा कि शिवकुमार अगले साढ़े सात वर्षों तक मुख्यमंत्री रहेंगे, क्योंकि पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव में जीत की उम्मीद है।

कांग्रेस विधायक बसवराजू वी शिवगंगा ने कहा कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार दिसंबर तक मुख्यमंत्री का पद संभाल लेंगे। दावणगेरे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान विधायक बसवराजू ने जोर देकर कहा कि आप (मीडिया) इसे लिख सकते हैं कि शिवकुमार दिसंबर तक सीएम बन जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि सरकार की कमान संभालने के बाद, वह इतना अच्छा प्रदर्शन करेंगे कि वह अगला विधानसभा चुनाव जीतेंगे और पूरे कार्यकाल के लिए सीएम बने रहेंगे। विधायक बसवराजू शिवगंगा ने दोहराया कि शिवकुमार दिसंबर से अगले 7.5 साल तक मुख्यमंत्री के रूप में काम करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि शिवकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को अगला विधानसभा चुनाव जीतने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि शिवकुमार ने पार्टी के लिए बहुत योगदान दिया है और उनकी कड़ी मेहनत की वजह से कांग्रेस पार्टी ने राज्य विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है।

मई 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिली थी। पार्टी ने आखिरकार सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया, जबकि शिवकुमार को उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने के लिए मनाया। उस समय खबरों में बताया गया था कि रोटेशनल मुख्यमंत्री वाली व्यवस्था पर सहमति बनी है, जिसमें ढाई साल बाद शिवकुमार मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करेंगे। हालांकि, पार्टी ने कभी भी आधिकारिक रूप से ऐसी व्यवस्था की पुष्टि नहीं की।

शिवगंगा की बात का समर्थन करते हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा- डीके शिवकुमार को राज्य का मुख्यमंत्री बनना चाहिए। साथ ही दावा किया कि शिवकुमार का मुख्यमंत्री बनना पहले से ही तय है। कोई उन्हें मुख्यमंत्री बनने से रोक नहीं सकता। इतिहास पहले ही लिख दिया गया है। आज या कल, यह हो जाएगा। उदुपी में एक कार्यक्रम के दौरान मोइली ने कहा कि शिवकुमार ने मजबूत नेतृत्व प्रदान किया है। हमेशा पार्टी को प्राथमिकता दी। कुछ लोग व्यक्तिगत कारणों से उनकी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन इससे कुछ नहीं बदलेगा। मुख्यमंत्री पद उन्हें दिया गया उपहार नहीं है, उन्होंने इसे उन्होंने अर्जित किया है।

MUDA स्कैम मामले में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को बड़ी राहत, लोकायुक्त ने दी क्लीनचिट

#karnataka_cm_siddaramaiah_gets_clean_chit_in_muda_case

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ी राहत मिली है। सीएम सिद्धारमैया को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी मुडा लैंड स्कैम केस में एंटी करप्शन वॉचडॉग लोकायुक्त की तरफ से क्लीन चिट मिल गई है। ये मामला मुआवजा के लिए हुए सिद्धारमैया की पत्नी को हुए भूमि आवंटन में कथित गड़बड़ी की शिकायत के बाद सामने आया था। एंटी करप्शन एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया था कि इस गड़बड़ी के कारण राज्य को करीब 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

जांच की फाइनल रिपोर्ट 138 दिनों की लंबी जांच के बाद बेंगलुरु मुख्यालय को सौंपी गई। लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता स्नेहमयीकृष्ण को नोटिस जारी कर कहा है कि साक्ष्य के अभाव में मामला जांच के लायक नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि साक्ष्य के अभाव में भी वो रिपोर्ट दर्ज कराएंगे। इसमें वे मामले भी शामिल हैं, जिन्हें बिना जांच के खारिज कर दिया जाता है। जांच अधिकारी उन्हें सिविल प्रकृति का और जांच के लिए उपयुक्त नहीं पाया है, या तथ्यों या कानून की गलतफहमी के कारण ऐसा किया जाता है। इसमें साक्ष्य का अभाव है। यह मामला जांच के लायक नहीं है। कहा गया है कि यदि उन्हें इस रिपोर्ट पर कोई आपत्ति है तो वे नोटिस प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।

इस मामले में जांच सितंबर 2024 में शुरू हुई थी, जब बेंगलुरु में एक विशेष अदालत ने लोकायुक्त को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी साइट आवंटन मामले की जांच का आदेश दिया था। जांच का नेतृत्व मैसूर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक टीजे उदेश ने किया। इस दौरान 100 से अधिक लोगों से पूछताछ हुई, जिनमें नौकरशाह, राजनेता, सेवानिवृत्त अधिकारी, मुडा के अधिकारी और स्वयं सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और उनके बहनोई बीएम मल्लिकार्जुन स्वामी शामिल थे। सभी बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई और इन्हें रिपोर्ट में शामिल किया गया।

बता दें कि पिछले साल एंटी करप्शन एक्टिविस्ट स्नेहमयी कृष्णा ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर मुकदमा चलाने की मांग की थी। आरोप है कि सिद्दरमैया की पत्नी को मैसूर के एक पॉश इलाके में प्रतिपूरक साइटें आवंटित की गईं, जिनकी संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत किया गया था। मुडा ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां इसने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था। 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।

विवाद में फंसे मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक, लग रहे गंभीर आरोप
#karnataka_contractors_suicide_allegations_priyank_kharge
* कर्नाटक में एक ठेकेदार की आत्महत्या के बाद से कांग्रेस की सरकार मुश्किल में है। कर्नाटक में कॉन्ट्रैक्टर सचिन पंचाल के सुसाइड केस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक के करीबी का नाम सामने आ रहा है। प्रियांक के सहयोगी पर आरोप है कि उन्होंने एक ठेकेदार को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। प्रियांक के करीबी का नाम आने के बाद भाजपा ने खड़गे पर निशाना साधा है। दरअसल, बीदर के एक ठेकेदार सचिन पंचाल ने कथित तौर पर गुरुवार को एक ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। उनका शव रेलवे ट्रैक पर मिला था। पुलिस ने सचिन के पास से लंबा-चौड़ा सुसाइड नोट बरामद किया। सचिन पांचाल के डेथ नोट में मंत्री प्रियांक खड़गे के करीबी और कलबुर्गी महानगर निगम के पूर्व नगरसेवक राजू कपनूर पर गंभीर आरोप लगाए गए। सुसाइड नोट में प्रियांक के सहयोगी – राजू कपनूर पर आरोप है कि उन्होंने बिना टेंडर दिए 15 लाख रुपये से ज्यादा लेकर धोखाधड़ी की। इतना ही नहीं, 1 करोड़ रु. पैसे देने के लिए दबाव डालने की भी बात की जा रही है। राजू कपनूर पर भाजपा नेताओं की हत्या की सुपारी देने का भी आरोप है। दावा है कि राजू कपनूर और गिरोह ने भाजपा विधायक बसवराज मैटिमूड, अंडोला स्वामीजी श्री सिद्धलिंग स्वामीजी, चंदू पाटिल और मणिकांता सहित चार लोगों की हत्या की सुपारी दी थी। इतना ही नहीं, आरोप है कि जब पुलिस के सामने ये मामला ले जाया गया तो पुलिस ने शिकायत दर्ज करने में काफी आनाकानी की। डेथ नोट के आधार पर कर्नाटक पुलिस ने रविवार को प्रियांक खड़गे के करीबी राजू कपनूर समेत 6 लोगों पर केस दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि इन लोगों पर भाजपा विधायक बसवराज मट्टीमाडु और अन्य नेताओं की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। सचिन के सुसाइड नोट में इनका नाम था। इसी आधार पर केस दर्ज किया गया है। *प्रियांक ने आरोपों को किया खारिज* इस मामले में अब कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने सुसाइड मामले में कहा कि इस मामले में दो पहलू सामने आए हैं। ठेकेदार ने कुछ और कहा है, जबकि आरोपी ने भी घटना के दूसरे पहलू के मद्देनजर शिकायत की है। कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और मैंने खुद गृह मंत्री से अनुरोध किया है कि वे गृह विभाग के भीतर एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से मामले की जांच करवाएं। इसलिए स्वाभाविक रूप से भाजपा को लगता है कि उन्हें कुछ मुद्दा मिल गया है, लेकिन एक साल हो गया है, भाजपा अपने मतलब के आधार पर मुझ पर इस्तीफा देने का दबाव बना रही है।प्रियांक खड़गे ने आगे कहा, न तो मैं, न ही मेरा विभाग और न ही सरकार इन सभी गतिविधियों में शामिल है। *बीजेपी ने की सीबीआई जांच की मांग* वहीं, बीजेपी ने मामले को गंभीरता से उठाते हुए केस को सीबीआई को सौंपने की मांग की है। कर्नाटक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ रविवार शाम को पंचाल के परिवार वालों से मुलाकात की। बाद में एक बयान में उन्होंने कहा, मंत्री प्रियांक खड़गे के दाहिने हाथ राजू से उत्पीड़ित होने के कारण आत्महत्या करने वाले बीदर के ठेकेदार पंचाल द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट से चौंकाने वाली और गंभीर जानकारी का पता चलता है कि उसने हमारे एमएलए बसवराज मट्टीमाडु, पार्टी नेता चंदू पाटिल, मणिकांठा राठौड़ और अंडोला स्वामी को मारने के लिए 'सुपारी' दी थी।
కర్ణాటకకు వెళ్లనున్న సీఎం రేవంత్ రెడ్డి

కర్ణాటక రాష్ట్రం బెలగావిలో సీడబ్ల్యూసీ సమావేశాలు జరగనున్నాయి. ఈ సమావేశాల్లో సీఎం రేవంత్ రెడ్డి పాల్గొనున్నారు. ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డితోపాటు పీసీసీ చీఫ్ మహేశ్ కుమార్ గౌడ్ మంత్రులు ఉత్తమ్ కుమార్ రెడ్డి దామోదర్ రాజనర్సింహ వెళ్లనున్నారు.

కర్ణాటక (Karnataka) రాష్ట్రం బెలగావి (Belagavi)కి తెలంగాణ ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డి (CM Revanth Reddy) వెళ్లనున్నారు. ఇవాళ(గురువారం) ఉదయం 11గంటలకు బేగంపేట విమానాశ్రయం నుంచి ఆయన బయలుదేరనున్నారు. బెలగావిలో రెండ్రోజులపాటు సీడబ్ల్యూసీ (CWC) సమావేశాలు జరగనున్నాయి. ఇవాళ మధ్యాహ్నం 3 గంటలకు ప్రారంభమయ్యే ఈ సమావేశాల్లో సీఎం పాల్గొనున్నారు. ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డితోపాటు పీసీసీ చీఫ్ మహేశ్ కుమార్ గౌడ్, మంత్రులు ఉత్తమ్ కుమార్ రెడ్డి, దామోదర్ రాజనర్సింహ, ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి, సీడబ్ల్యూసీ సభ్యుడు వంశీచందర్ రెడ్డి వెళ్లనున్నారు. వీరంతా ప్రత్యేక విమానంలో హైదరాబాద్ నుంచి బెలగావికి చేరుకోనున్నారు.

మహాత్మాగాంధీ ఏఐసీసీ అధ్యక్షుడిగా బాధ్యతలు స్వీకరించి వందేళ్లు పూర్తయిన సందర్భంగా డిసెంబర్ 26, 27 తేదీల్లో ప్రత్యేక సీడబ్ల్యూసీ సమావేశాలు నిర్వహించాలని కాంగ్రెస్ అధిష్ఠానం నిర్ణయించింది. బెలగావిలోనే గాంధీజీ ఏఐసీసీ అధ్యక్షుడిగా బాధ్యతలు స్వీకరించారు. అందుకే అక్కడ సమావేశాలు నిర్వహిస్తున్నారు. ఈ సమావేశాలకు "నవ సత్యాగ్రహ భైఠక్‌" అని కాంగ్రెస్ అధిష్ఠానం నామకరణం చేసింది. ఈ మేరకు సీడబ్ల్యూసీ సభ్యులు, శాశ్వత ఆహ్వానితులు, ప్రత్యేక ఆహ్వానితులు, పీసీసీలు, సీఎల్పీ నేతలు, పార్లమెంటరీ పార్టీ ఆఫీస్‌ బేరర్లు, సీఎంలు, మాజీ సీఎంలు సహా దాదాపు 200 మంది కీలక నేతలకు ఆహ్వానం పంపింది. ఈ మేరకు తెలంగాణ నుంచి కాంగ్రెస్ నేతలు పెద్దఎత్తున వెళ్లనున్నారు.

అయితే బెలగావికి వెళ్లడానికి ముందే టాలీవుడ్ ప్రముఖులతో సీఎం రేవంత్ రెడ్డి నేడు సమావేశం నిర్వహించనున్నారు. పుష్ప-2 ప్రీమియర్ షో సందర్భంగా సంధ్య థియేటర్‌లో జరిగిన తొక్కిసలాట ఘటన తర్వాత టాలీవుడ్‌పై తెలంగాణ ప్రభుత్వం ఆంక్షలు పెట్టేందుకు నిర్ణయించింది. ప్రీమియర్, బెనిఫిట్ షోలు వంటివి రద్దు చేస్తున్నట్లు ప్రకటించింది. ఈ నేపథ్యంలోనే ఇవాళ ఉదయం 10 గంటలకు బంజారాహిల్స్‌లోని కమాండ్ కంట్రోల్ సెంటర్‌లో సీఎం రేవంత్ రెడ్డితో సినీ ప్రముఖులు భేటీ కానున్నారు. దిల్ రాజు నేతృత్వంలో 36 మంది సభ్యులు రేవంత్‌తో సమావేశం కానున్నారు. హీరోలు వెంకటేశ్, నితిన్, వరుణ్ తేజ్, శివబాలాజీ.. దర్శకులు త్రివిక్రమ్, హరీశ్ శంకర్, అనిల్, బాబీ, వంశీ.. నిర్మాతలు అల్లు అరవింద్, దగ్గుబాటి సురేశ్, సునీల్ నారంగ్, సుప్రియ, నాగవంశీ, నవీన్ ఎర్నేని, రవిశంకర్ కలవనున్నట్లు తెలుస్తోంది.

कर्नाटक के बेलगावी में आज कांग्रेस का दो दिवसीय महाधिवेशन, जानें दिल्ली से दूर हो रही ये बैठक क्यों है खास?

#congresskarnatakabelagaviconventioncentenary_celebrations

कर्नाटक के बेलगावी में आज से कांग्रेस का दो दिन चलने वाला अधिवेशन शुरू हो रहा है। ये अधिवेशन 1924 में हुए कांग्रेस के 39वें अधिवेशन के 100 साल पूरे होने के मौके पर रखा गया है। बेलगावी में ही 100 साल पहले महात्मा गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अध्यक्षता की थी। कांग्रेस का यह ऐतिहासिक अधिवेशन 26 और 27 दिसंबर 1924 को किया गया था। महात्मा गांधी के ज़रिए कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने की 100वीं सालगिरह के मौके पर पार्टी वर्किंग कमेटी की एक खास मीटिंग बुलाई है।

कर्नाटक के बेलगावी में दो दिवसीय बैठक में कांग्रेस भाजपा को कई सारी मुद्दों पर घेरने की रणनीति तैयार करने वाली है। इसमें प्रमुख तौर पर आंबेडकर मुद्दे को लेकर भाजपा को घेरने की रणनीति शामिल है।कांग्रेस के महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने 24 दिसंबर को कहा था कि बेलगावी में होने जा रही बैठक में डॉ. आंबेडकर के अपमान का मुद्दा जोर-शोर से उठेगा।कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि कांग्रेस गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बीआर आंबेडकर के अपमान के खिलाफ आंबेडकर सम्मान सप्ताह मना रही है। इस मुद्दे का एक ही समाधान है कि गृह मंत्री को बर्खास्त किया जाए और उन्हें अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को बेलगावी में जोरदार तरीके से उठाया जाएगा और भविष्य में इसे आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए जाएंगे।

कांग्रेस देश में 'नव सत्याग्रह' की शुरुआत करेगी

आज से हो रहे अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी समेत लगभग 150 हस्तियों को आमंत्रित किया गया है। कांग्रेस महासविच केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस अधिवेशन में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होगी। इसके साथ ही कांग्रेस देश में 'नव सत्याग्रह' की शुरुआत करेगी।

बेलगावी अधिवेशन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम स्थान

1924 में बेलगावी में हुए अधिवेशन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम लम्हे के तौर पर देखा जाता है।इस अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने चरखे पर सूत कातने की अपील की और असहयोग का भी ऐलान किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक बड़ा आंदोलन बन गया। उस ऐतिहासिक अधिवेशन के मुख्य आयोजक गंगाधर राव देशपांडे थे, जिन्हें कर्नाटक का खादी भगीरथ कहा जाता था। वे बेलगावी में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। बेलगावी को उस समय बेलगाम के नाम से जाना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि इस अधिवेशन में 70,000 से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे, जो आजादी से पहले के भारत के लिए इतनी बड़ी संख्या थी कि उस समय तक कभी इकट्ठा नहीं हुई थी। बेलगावी के तिलकवाड़ी में यह अधिवेशन आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन की वजह से, विजयनगर साम्राज्य के नाम पर इस इलाके का नाम विजयनगर रखा गया। अधिवेशन में हिस्सा लेने वालों को पानी की आपूर्ति करने के लिए वहां एक कुआं भी खोदा गया था, जिसका नाम पंपा सरोवर रखा गया, जो विजयनगर राजवंश की राजधानी हम्पी की एक ऐतिहासिक जगह है।

*Bengal outclass Karnataka to enter semifinals of Women’s U-15 One-Day Trophy*

Sports News

Khabar kolkata sports Desk : A dominant performance by the bowlers, followed by a superb effort by the batters powered Bengal into the semifinals of the Women’s Under-15 One Day Trophy.

Bengal outclassed Karnataka by 3 wickets in Jaipur on Thursday to seal a place in the last four.

Leading from the front, Sandipta Patra smashed a brilliant 64 off 82 balls while Remondina Khatun (3-26) and Debjani Das (2-35) impressed with the ball for Bengal.

Batting first, Karnataka scored 154/8 in 35 overs. Sandipta and Snigdha Bag also bagged a wicket each for Bengal. In reply, Bengal went over the line, scoring 155/7 in 34.1 overs.

Bengal will play their last-four match on Sunday.

Pic Courtesy by: CAB

कर्नाटक में वक्फ बोर्ड के अतिक्रमण के खिलाफ लोगों में गुस्सा, सड़कों पर उतरे साधु-संत और किसान

#karnataka_hindu_saints_farmers_started_protest

कर्नाटक समेत देशभर में जिस तेजी से वक्फ बोर्ड मनमाने तरीके से संपत्तियों को क्लेम करता जा रहा है उसके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि उसके खिलाफ अब लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। ताजा मामला कलबुर्गी का है, जहां साधु-संतों, किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड की ओर से कथित अतिक्रमण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विशाल रैली निकालकर आक्रोश जताया गया।

वक्फ बोर्ड की मनमानियों के खिलाफ नेगिलायोगी स्वाभिमान वेदिके के बैनर तले प्रदेश के मठों के हिन्दू संत, भाजपा नेताओं और किसान समर्थक संगठनों के सदस्यों ने “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” तीन दिवसीय विरोध मार्च निकाला है। इस दौरान प्रदर्शन करते हुए संतों और भाजपा नेताओं ने प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया औऱ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी जेड जमीर अहमद के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग की। विरोध मार्च कलबुर्गी के नागेश्वर स्कूल से निकाला गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हाथों में “ज़मीर हटाओ, ज़मीन बचाओ”, “रायता देशदा आस्थी”, “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” नारे लिखी तख्तियां ले रखा था।

इस मौके पर कर्नाटक विधान परिषद के नेता चालावाड़ी नारायणस्वामी ने कहा कि आप स्थिति देख सकते हैं। किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं। यह विरोध प्रदर्शन कलबुर्गी में हो रहा है। हम मंत्री ज़मीर अहमद खान और कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इससे पहले बीजेपी प्रदेश महासचिव प्रीतम गौड़ा ने कहाा था कि कहा कि हजारों प्रभावित व्यक्तियों और किसानों को अपनी शिकायतें प्रस्तुत करने के लिए पूरे दिन मंच पर आमंत्रित किया गया है। हम जिलेवार मुद्दों की गंभीरता की समीक्षा कर रहे हैं। राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए पहले ही तीन टीमों की घोषणा कर दी है। ये टीमें किसानों, धार्मिक संस्थाओं और जनता की शिकायतों को सुनने के लिए जिलों में जाएंगी और उनके निष्कर्षों पर आगामी बेलगावी विधानसभा सत्र में चर्चा की जाएगी।

क्या है सरकारी ठेकों में मुसलमानों को आरक्षण पर विवाद? सिद्धारमैया ने दी सफाई

#over_4_percent_muslim_quota_in_karnataka_govt_tenders_sparks_row

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अब एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण पर फंसती नजर आ रही है। दरअसल, कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए चार फीसदी आरक्षण के मसले पर विवाद बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कर्नाटक सरकार मुसलमानों को सरकारी निर्माण (सिविल) ठेकों में आरक्षण देने पर विचार कर रही है। इसके बाद से विपक्षी दल खासकर भाजपा ने कड़ा रूख अख्तिय़ार कर लिया है। हालांकि, इसे लेकर अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सफाई आई है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सरकारी ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने की मांग पर अपना पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक के नगर प्रशासन और हज मंत्री रहीम खान, कांग्रेस विधायक और विधान परिषद सदस्यों ने 24 अगस्त को पत्र लिखकर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को सरकारी ठेकों में चार प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की थी। सिद्धारमैया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण की मांग उठ रही है, लेकिन फिलहाल इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

इसस पहले मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कर्नाटक सरकार मुसलमानों को सरकारी ठेकों में चार फीसदी आरक्षण देने पर विचार कर रही है। यह आरक्षण उन ठेकों के लिए होगा जिनकी लागत एक करोड़ रुपये तक हो। सरकारी ठेकों में आरक्षण पहले से ही अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) के लिए निर्धारित है। मुसलमानों को यह आरक्षण कैटगरी 2बी के तहत मिल सकता है, जो कि ओबीसी का एक वर्ग है।

अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो कर्नाटक में सरकारी ठेकों में आरक्षण की सीमा बढ़कर 47 फीसदी तक हो जाएगी। फिलहाल राज्य में सरकारी ठेकों में कुल 43 फीसदी आरक्षण है। इसमें एससी/एसटी को 24 फीसदी आरक्षण मिलता है और बाकी आरक्षण ओबीसी के लिए है। ठेके की सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ करने का भी विचार किया जा रहा है।

इस मामले पर अब कर्नाटक बीजेपी ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। बीजेपी नेता आर. अशोक ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीतिक सभी हद को पार कर रही है।वक्फ की जमीन हड़पने की तरकीबों को समर्थन देने के बाद कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की अगुवाई में अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को चार फीसदी आरक्षण देने की योजना बना रही है। इस तरह तो कर्नाटक जल्द ही इस्लामिक राज्य में तब्दील हो जाएगा और यहां हिंदू दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रह जाएंगे।

सिद्धारमैया के मंत्री जमीर अहमद खान का विवादित बयान, पूर्व सीएम कुमारस्वामी पर की अमर्यादित टिप्पणी

#karnataka_minister_zameer_ahmed_khan_calls_union_minister_kumaraswamy_racist_slur

कर्नाटक में सियासी बवाल खड़ा हो गया है। विवाद शुरू हुआ है सिद्धारमैया के एक मंत्री के बयान से। सिद्धारमैया सरकार में मंत्री बी जेड जमीर अहमद खान ने पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमास्वामी को लेकर नस्लीय बयान दिया। जिके बाद विवाद शुरू हो गया है। जेडीएस ने कर्नाटक सरकार से जमीर अहमद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उन्हें पद से बर्खास्त करने की मांग की। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी जमीर अहमद के बयान की निंदा की और इसे लेकर कांग्रेस सरकार को घेरा।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मंत्री जमीर अहमद खान ने मोदी सरकार में मंत्री और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी पर हमला बोलते हुए मर्यादा की सीमा तोड़ दी। खान ने कुमारस्वामी की फोटो दिखाते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री को 'कालिया कुमारस्वामी' कहकर संबोधित किया।

रविवार को रामनगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए जमीर अहमद ने कहा कि चन्नपटना सीट से कांग्रेस उम्मीदवार सीपी योगेश्वर के पास भाजपा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि 'हमारी पार्टी में कुछ मतभेदों के चलते योगेश्वर ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा। ऐसे में उनके पास भाजपा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वह जेडीएस में शामिल होने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि कालिया कुमारस्वामी भाजपा से भी ज्यादा खतरनाक थे। अब वे (योगेश्वर) वापस घर (कांग्रेस) आ गए हैं।'

कुमारस्वामी को कालिया कहने के बाद राज्य का सियासी पारा हाई हो गया है। जेडीएस ने कांग्रेस सरकार से इस नस्ली टिप्पणी के लिए जमीर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।पार्टी ने कहा, छोटी मानसिकता वाले शख्स को मंत्रिमंडल से तुरंत बर्खास्त किया जाए।

संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी जमीर खान के बयान की आलोचना की। रिजिजू ने सोशल मीडिया पर साझा पोस्ट में लिखा कि मैं कांग्रेस के मंत्री जमीर अहमद द्वारा केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमारस्वामी के खिलाफ विवादित टिप्पणी की कड़ी निंदा करता हूं। यह एक नस्लवादी टिप्पणी है, ठीक वैसे ही जैसे राहुल गांधी के सलाहकार ने दक्षिण भारतीयों को अफ्रीकी, पूर्वोत्तर के लोगों को चीनी और उत्तर भारतीयों को अरब बताया था।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाया, जानें क्या है सिद्धारमैया का प्लान?

#karnatakamuslimreservation

कर्नाटक में एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाता दिख रहा है। कांग्रेस सरकार मुस्लिम आरक्षण की तैयारी कर रही है। यह आरक्षण राज्य में दिए जाने वाले ठेकों में लागू किया जाएगा। राज्य में मुस्लिमों को आरक्षण क़ानून में बदलाव करके दिया जाएगा। इसके लिए कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स (केटीपीपी) एक्ट में संशोधन किया जाएगा। एक साल पहले इसी तरह का प्रस्ताव विवादों और तुष्टिकरण की राजनीति के आरोपों के बीच वापस ले लिया गया था, लेकिन अब दोबारा से अमलीजामा पहनाने की रणनीति बनाई है। भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया और कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

मीडिया रिपोर्स के अनुसार, कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार मुस्लिमों को कर्नाटक के सरकारी निर्माण के ठेकों में 4% का आरक्षण देना चाहती है। कांग्रेस ने इसके लिए 1999 के कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स एक्ट, में संशोधन कर मुस्लिमों को सरकारी निर्माण कार्यों में 4 फीसदी आरक्षण देने का प्लान बनाया है। सिद्धारमैया सरकार यह संशोधन विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में लाने की रणनीति बनाई है। इसके जरिए ही आरक्षण लागू किया जाएगा। कर्नाटक वित्त विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है और कानून और संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कथित तौर पर संशोधन को मंजूरी दे दी है।

मुस्लिम वोटों को लुभाने का एक पैंतरा

ऐसा पहली बार नहीं है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुस्लिमों को अलग से आरक्षण देने की तैयारी की हो। इससे पहले नवम्बर, 2024 में भी सरकार इस प्रस्ताव पर काम कर चुकी है लेकिन तब विरोध के कारण इस आइडिया को छोड़ दिया गया था। कर्नाटक में कांग्रेस का यह कदम मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ लुभाने का एक पैंतरा माना जा रहा है। वह इस मामले में जेडीएस को किनारे करना चाहती है। सिद्दारमैया सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर अब राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा हमलावर है। भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस केवल मुस्लिमों को ही अल्पसंख्यक मानती है।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का इतिहास

कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने का इतिहास काफी पुराना है। 1994 में एच.डी. देवगौड़ा के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने पिछड़ी जातियों के बीच ‘श्रेणी 2बी’ बनाकर मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण दिया। हालांकि, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस 4% आरक्षण को रद्द कर दिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और कोर्ट ने बीजेपी सरकार के फैसले पर रोक लगा दी।

सिद्धारमैया के हाथ से जाएगी कर्नाटक सीएम की कुर्सी, दिसंबर तक शिवकुमार को मिल सकती है कमान?

#karnataka_leadership_change_shivakumar_will_become_cm

कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कुर्सी जाने वाली है। नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि 2025 के आखिर तक डीके शिवकुमार सीएम बन जाएंगे। यह दावा किया है कि कांग्रेस विधायक बसवराजू वी शिवगंगा और पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने। कांग्रेस विधायक बसवराजू वी. शिवगंगा ने दावा किया कि उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार दिसंबर तक मुख्यमंत्री बन जाएंगे। शिवगंगा ने कहा कि शिवकुमार अगले साढ़े सात वर्षों तक मुख्यमंत्री रहेंगे, क्योंकि पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव में जीत की उम्मीद है।

कांग्रेस विधायक बसवराजू वी शिवगंगा ने कहा कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार दिसंबर तक मुख्यमंत्री का पद संभाल लेंगे। दावणगेरे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान विधायक बसवराजू ने जोर देकर कहा कि आप (मीडिया) इसे लिख सकते हैं कि शिवकुमार दिसंबर तक सीएम बन जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि सरकार की कमान संभालने के बाद, वह इतना अच्छा प्रदर्शन करेंगे कि वह अगला विधानसभा चुनाव जीतेंगे और पूरे कार्यकाल के लिए सीएम बने रहेंगे। विधायक बसवराजू शिवगंगा ने दोहराया कि शिवकुमार दिसंबर से अगले 7.5 साल तक मुख्यमंत्री के रूप में काम करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि शिवकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को अगला विधानसभा चुनाव जीतने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि शिवकुमार ने पार्टी के लिए बहुत योगदान दिया है और उनकी कड़ी मेहनत की वजह से कांग्रेस पार्टी ने राज्य विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है।

मई 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिली थी। पार्टी ने आखिरकार सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया, जबकि शिवकुमार को उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने के लिए मनाया। उस समय खबरों में बताया गया था कि रोटेशनल मुख्यमंत्री वाली व्यवस्था पर सहमति बनी है, जिसमें ढाई साल बाद शिवकुमार मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करेंगे। हालांकि, पार्टी ने कभी भी आधिकारिक रूप से ऐसी व्यवस्था की पुष्टि नहीं की।

शिवगंगा की बात का समर्थन करते हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा- डीके शिवकुमार को राज्य का मुख्यमंत्री बनना चाहिए। साथ ही दावा किया कि शिवकुमार का मुख्यमंत्री बनना पहले से ही तय है। कोई उन्हें मुख्यमंत्री बनने से रोक नहीं सकता। इतिहास पहले ही लिख दिया गया है। आज या कल, यह हो जाएगा। उदुपी में एक कार्यक्रम के दौरान मोइली ने कहा कि शिवकुमार ने मजबूत नेतृत्व प्रदान किया है। हमेशा पार्टी को प्राथमिकता दी। कुछ लोग व्यक्तिगत कारणों से उनकी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन इससे कुछ नहीं बदलेगा। मुख्यमंत्री पद उन्हें दिया गया उपहार नहीं है, उन्होंने इसे उन्होंने अर्जित किया है।

MUDA स्कैम मामले में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को बड़ी राहत, लोकायुक्त ने दी क्लीनचिट

#karnataka_cm_siddaramaiah_gets_clean_chit_in_muda_case

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ी राहत मिली है। सीएम सिद्धारमैया को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी मुडा लैंड स्कैम केस में एंटी करप्शन वॉचडॉग लोकायुक्त की तरफ से क्लीन चिट मिल गई है। ये मामला मुआवजा के लिए हुए सिद्धारमैया की पत्नी को हुए भूमि आवंटन में कथित गड़बड़ी की शिकायत के बाद सामने आया था। एंटी करप्शन एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया था कि इस गड़बड़ी के कारण राज्य को करीब 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

जांच की फाइनल रिपोर्ट 138 दिनों की लंबी जांच के बाद बेंगलुरु मुख्यालय को सौंपी गई। लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता स्नेहमयीकृष्ण को नोटिस जारी कर कहा है कि साक्ष्य के अभाव में मामला जांच के लायक नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि साक्ष्य के अभाव में भी वो रिपोर्ट दर्ज कराएंगे। इसमें वे मामले भी शामिल हैं, जिन्हें बिना जांच के खारिज कर दिया जाता है। जांच अधिकारी उन्हें सिविल प्रकृति का और जांच के लिए उपयुक्त नहीं पाया है, या तथ्यों या कानून की गलतफहमी के कारण ऐसा किया जाता है। इसमें साक्ष्य का अभाव है। यह मामला जांच के लायक नहीं है। कहा गया है कि यदि उन्हें इस रिपोर्ट पर कोई आपत्ति है तो वे नोटिस प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।

इस मामले में जांच सितंबर 2024 में शुरू हुई थी, जब बेंगलुरु में एक विशेष अदालत ने लोकायुक्त को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी साइट आवंटन मामले की जांच का आदेश दिया था। जांच का नेतृत्व मैसूर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक टीजे उदेश ने किया। इस दौरान 100 से अधिक लोगों से पूछताछ हुई, जिनमें नौकरशाह, राजनेता, सेवानिवृत्त अधिकारी, मुडा के अधिकारी और स्वयं सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और उनके बहनोई बीएम मल्लिकार्जुन स्वामी शामिल थे। सभी बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई और इन्हें रिपोर्ट में शामिल किया गया।

बता दें कि पिछले साल एंटी करप्शन एक्टिविस्ट स्नेहमयी कृष्णा ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर मुकदमा चलाने की मांग की थी। आरोप है कि सिद्दरमैया की पत्नी को मैसूर के एक पॉश इलाके में प्रतिपूरक साइटें आवंटित की गईं, जिनकी संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत किया गया था। मुडा ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां इसने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था। 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।

विवाद में फंसे मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक, लग रहे गंभीर आरोप
#karnataka_contractors_suicide_allegations_priyank_kharge
* कर्नाटक में एक ठेकेदार की आत्महत्या के बाद से कांग्रेस की सरकार मुश्किल में है। कर्नाटक में कॉन्ट्रैक्टर सचिन पंचाल के सुसाइड केस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक के करीबी का नाम सामने आ रहा है। प्रियांक के सहयोगी पर आरोप है कि उन्होंने एक ठेकेदार को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। प्रियांक के करीबी का नाम आने के बाद भाजपा ने खड़गे पर निशाना साधा है। दरअसल, बीदर के एक ठेकेदार सचिन पंचाल ने कथित तौर पर गुरुवार को एक ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। उनका शव रेलवे ट्रैक पर मिला था। पुलिस ने सचिन के पास से लंबा-चौड़ा सुसाइड नोट बरामद किया। सचिन पांचाल के डेथ नोट में मंत्री प्रियांक खड़गे के करीबी और कलबुर्गी महानगर निगम के पूर्व नगरसेवक राजू कपनूर पर गंभीर आरोप लगाए गए। सुसाइड नोट में प्रियांक के सहयोगी – राजू कपनूर पर आरोप है कि उन्होंने बिना टेंडर दिए 15 लाख रुपये से ज्यादा लेकर धोखाधड़ी की। इतना ही नहीं, 1 करोड़ रु. पैसे देने के लिए दबाव डालने की भी बात की जा रही है। राजू कपनूर पर भाजपा नेताओं की हत्या की सुपारी देने का भी आरोप है। दावा है कि राजू कपनूर और गिरोह ने भाजपा विधायक बसवराज मैटिमूड, अंडोला स्वामीजी श्री सिद्धलिंग स्वामीजी, चंदू पाटिल और मणिकांता सहित चार लोगों की हत्या की सुपारी दी थी। इतना ही नहीं, आरोप है कि जब पुलिस के सामने ये मामला ले जाया गया तो पुलिस ने शिकायत दर्ज करने में काफी आनाकानी की। डेथ नोट के आधार पर कर्नाटक पुलिस ने रविवार को प्रियांक खड़गे के करीबी राजू कपनूर समेत 6 लोगों पर केस दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि इन लोगों पर भाजपा विधायक बसवराज मट्टीमाडु और अन्य नेताओं की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। सचिन के सुसाइड नोट में इनका नाम था। इसी आधार पर केस दर्ज किया गया है। *प्रियांक ने आरोपों को किया खारिज* इस मामले में अब कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने सुसाइड मामले में कहा कि इस मामले में दो पहलू सामने आए हैं। ठेकेदार ने कुछ और कहा है, जबकि आरोपी ने भी घटना के दूसरे पहलू के मद्देनजर शिकायत की है। कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और मैंने खुद गृह मंत्री से अनुरोध किया है कि वे गृह विभाग के भीतर एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से मामले की जांच करवाएं। इसलिए स्वाभाविक रूप से भाजपा को लगता है कि उन्हें कुछ मुद्दा मिल गया है, लेकिन एक साल हो गया है, भाजपा अपने मतलब के आधार पर मुझ पर इस्तीफा देने का दबाव बना रही है।प्रियांक खड़गे ने आगे कहा, न तो मैं, न ही मेरा विभाग और न ही सरकार इन सभी गतिविधियों में शामिल है। *बीजेपी ने की सीबीआई जांच की मांग* वहीं, बीजेपी ने मामले को गंभीरता से उठाते हुए केस को सीबीआई को सौंपने की मांग की है। कर्नाटक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ रविवार शाम को पंचाल के परिवार वालों से मुलाकात की। बाद में एक बयान में उन्होंने कहा, मंत्री प्रियांक खड़गे के दाहिने हाथ राजू से उत्पीड़ित होने के कारण आत्महत्या करने वाले बीदर के ठेकेदार पंचाल द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट से चौंकाने वाली और गंभीर जानकारी का पता चलता है कि उसने हमारे एमएलए बसवराज मट्टीमाडु, पार्टी नेता चंदू पाटिल, मणिकांठा राठौड़ और अंडोला स्वामी को मारने के लिए 'सुपारी' दी थी।
కర్ణాటకకు వెళ్లనున్న సీఎం రేవంత్ రెడ్డి

కర్ణాటక రాష్ట్రం బెలగావిలో సీడబ్ల్యూసీ సమావేశాలు జరగనున్నాయి. ఈ సమావేశాల్లో సీఎం రేవంత్ రెడ్డి పాల్గొనున్నారు. ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డితోపాటు పీసీసీ చీఫ్ మహేశ్ కుమార్ గౌడ్ మంత్రులు ఉత్తమ్ కుమార్ రెడ్డి దామోదర్ రాజనర్సింహ వెళ్లనున్నారు.

కర్ణాటక (Karnataka) రాష్ట్రం బెలగావి (Belagavi)కి తెలంగాణ ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డి (CM Revanth Reddy) వెళ్లనున్నారు. ఇవాళ(గురువారం) ఉదయం 11గంటలకు బేగంపేట విమానాశ్రయం నుంచి ఆయన బయలుదేరనున్నారు. బెలగావిలో రెండ్రోజులపాటు సీడబ్ల్యూసీ (CWC) సమావేశాలు జరగనున్నాయి. ఇవాళ మధ్యాహ్నం 3 గంటలకు ప్రారంభమయ్యే ఈ సమావేశాల్లో సీఎం పాల్గొనున్నారు. ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డితోపాటు పీసీసీ చీఫ్ మహేశ్ కుమార్ గౌడ్, మంత్రులు ఉత్తమ్ కుమార్ రెడ్డి, దామోదర్ రాజనర్సింహ, ఎమ్మెల్సీ జీవన్ రెడ్డి, సీడబ్ల్యూసీ సభ్యుడు వంశీచందర్ రెడ్డి వెళ్లనున్నారు. వీరంతా ప్రత్యేక విమానంలో హైదరాబాద్ నుంచి బెలగావికి చేరుకోనున్నారు.

మహాత్మాగాంధీ ఏఐసీసీ అధ్యక్షుడిగా బాధ్యతలు స్వీకరించి వందేళ్లు పూర్తయిన సందర్భంగా డిసెంబర్ 26, 27 తేదీల్లో ప్రత్యేక సీడబ్ల్యూసీ సమావేశాలు నిర్వహించాలని కాంగ్రెస్ అధిష్ఠానం నిర్ణయించింది. బెలగావిలోనే గాంధీజీ ఏఐసీసీ అధ్యక్షుడిగా బాధ్యతలు స్వీకరించారు. అందుకే అక్కడ సమావేశాలు నిర్వహిస్తున్నారు. ఈ సమావేశాలకు "నవ సత్యాగ్రహ భైఠక్‌" అని కాంగ్రెస్ అధిష్ఠానం నామకరణం చేసింది. ఈ మేరకు సీడబ్ల్యూసీ సభ్యులు, శాశ్వత ఆహ్వానితులు, ప్రత్యేక ఆహ్వానితులు, పీసీసీలు, సీఎల్పీ నేతలు, పార్లమెంటరీ పార్టీ ఆఫీస్‌ బేరర్లు, సీఎంలు, మాజీ సీఎంలు సహా దాదాపు 200 మంది కీలక నేతలకు ఆహ్వానం పంపింది. ఈ మేరకు తెలంగాణ నుంచి కాంగ్రెస్ నేతలు పెద్దఎత్తున వెళ్లనున్నారు.

అయితే బెలగావికి వెళ్లడానికి ముందే టాలీవుడ్ ప్రముఖులతో సీఎం రేవంత్ రెడ్డి నేడు సమావేశం నిర్వహించనున్నారు. పుష్ప-2 ప్రీమియర్ షో సందర్భంగా సంధ్య థియేటర్‌లో జరిగిన తొక్కిసలాట ఘటన తర్వాత టాలీవుడ్‌పై తెలంగాణ ప్రభుత్వం ఆంక్షలు పెట్టేందుకు నిర్ణయించింది. ప్రీమియర్, బెనిఫిట్ షోలు వంటివి రద్దు చేస్తున్నట్లు ప్రకటించింది. ఈ నేపథ్యంలోనే ఇవాళ ఉదయం 10 గంటలకు బంజారాహిల్స్‌లోని కమాండ్ కంట్రోల్ సెంటర్‌లో సీఎం రేవంత్ రెడ్డితో సినీ ప్రముఖులు భేటీ కానున్నారు. దిల్ రాజు నేతృత్వంలో 36 మంది సభ్యులు రేవంత్‌తో సమావేశం కానున్నారు. హీరోలు వెంకటేశ్, నితిన్, వరుణ్ తేజ్, శివబాలాజీ.. దర్శకులు త్రివిక్రమ్, హరీశ్ శంకర్, అనిల్, బాబీ, వంశీ.. నిర్మాతలు అల్లు అరవింద్, దగ్గుబాటి సురేశ్, సునీల్ నారంగ్, సుప్రియ, నాగవంశీ, నవీన్ ఎర్నేని, రవిశంకర్ కలవనున్నట్లు తెలుస్తోంది.

कर्नाटक के बेलगावी में आज कांग्रेस का दो दिवसीय महाधिवेशन, जानें दिल्ली से दूर हो रही ये बैठक क्यों है खास?

#congresskarnatakabelagaviconventioncentenary_celebrations

कर्नाटक के बेलगावी में आज से कांग्रेस का दो दिन चलने वाला अधिवेशन शुरू हो रहा है। ये अधिवेशन 1924 में हुए कांग्रेस के 39वें अधिवेशन के 100 साल पूरे होने के मौके पर रखा गया है। बेलगावी में ही 100 साल पहले महात्मा गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अध्यक्षता की थी। कांग्रेस का यह ऐतिहासिक अधिवेशन 26 और 27 दिसंबर 1924 को किया गया था। महात्मा गांधी के ज़रिए कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने की 100वीं सालगिरह के मौके पर पार्टी वर्किंग कमेटी की एक खास मीटिंग बुलाई है।

कर्नाटक के बेलगावी में दो दिवसीय बैठक में कांग्रेस भाजपा को कई सारी मुद्दों पर घेरने की रणनीति तैयार करने वाली है। इसमें प्रमुख तौर पर आंबेडकर मुद्दे को लेकर भाजपा को घेरने की रणनीति शामिल है।कांग्रेस के महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने 24 दिसंबर को कहा था कि बेलगावी में होने जा रही बैठक में डॉ. आंबेडकर के अपमान का मुद्दा जोर-शोर से उठेगा।कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि कांग्रेस गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बीआर आंबेडकर के अपमान के खिलाफ आंबेडकर सम्मान सप्ताह मना रही है। इस मुद्दे का एक ही समाधान है कि गृह मंत्री को बर्खास्त किया जाए और उन्हें अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को बेलगावी में जोरदार तरीके से उठाया जाएगा और भविष्य में इसे आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए जाएंगे।

कांग्रेस देश में 'नव सत्याग्रह' की शुरुआत करेगी

आज से हो रहे अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी समेत लगभग 150 हस्तियों को आमंत्रित किया गया है। कांग्रेस महासविच केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस अधिवेशन में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होगी। इसके साथ ही कांग्रेस देश में 'नव सत्याग्रह' की शुरुआत करेगी।

बेलगावी अधिवेशन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम स्थान

1924 में बेलगावी में हुए अधिवेशन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम लम्हे के तौर पर देखा जाता है।इस अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने चरखे पर सूत कातने की अपील की और असहयोग का भी ऐलान किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक बड़ा आंदोलन बन गया। उस ऐतिहासिक अधिवेशन के मुख्य आयोजक गंगाधर राव देशपांडे थे, जिन्हें कर्नाटक का खादी भगीरथ कहा जाता था। वे बेलगावी में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। बेलगावी को उस समय बेलगाम के नाम से जाना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि इस अधिवेशन में 70,000 से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे, जो आजादी से पहले के भारत के लिए इतनी बड़ी संख्या थी कि उस समय तक कभी इकट्ठा नहीं हुई थी। बेलगावी के तिलकवाड़ी में यह अधिवेशन आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन की वजह से, विजयनगर साम्राज्य के नाम पर इस इलाके का नाम विजयनगर रखा गया। अधिवेशन में हिस्सा लेने वालों को पानी की आपूर्ति करने के लिए वहां एक कुआं भी खोदा गया था, जिसका नाम पंपा सरोवर रखा गया, जो विजयनगर राजवंश की राजधानी हम्पी की एक ऐतिहासिक जगह है।

*Bengal outclass Karnataka to enter semifinals of Women’s U-15 One-Day Trophy*

Sports News

Khabar kolkata sports Desk : A dominant performance by the bowlers, followed by a superb effort by the batters powered Bengal into the semifinals of the Women’s Under-15 One Day Trophy.

Bengal outclassed Karnataka by 3 wickets in Jaipur on Thursday to seal a place in the last four.

Leading from the front, Sandipta Patra smashed a brilliant 64 off 82 balls while Remondina Khatun (3-26) and Debjani Das (2-35) impressed with the ball for Bengal.

Batting first, Karnataka scored 154/8 in 35 overs. Sandipta and Snigdha Bag also bagged a wicket each for Bengal. In reply, Bengal went over the line, scoring 155/7 in 34.1 overs.

Bengal will play their last-four match on Sunday.

Pic Courtesy by: CAB

कर्नाटक में वक्फ बोर्ड के अतिक्रमण के खिलाफ लोगों में गुस्सा, सड़कों पर उतरे साधु-संत और किसान

#karnataka_hindu_saints_farmers_started_protest

कर्नाटक समेत देशभर में जिस तेजी से वक्फ बोर्ड मनमाने तरीके से संपत्तियों को क्लेम करता जा रहा है उसके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि उसके खिलाफ अब लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। ताजा मामला कलबुर्गी का है, जहां साधु-संतों, किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड की ओर से कथित अतिक्रमण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विशाल रैली निकालकर आक्रोश जताया गया।

वक्फ बोर्ड की मनमानियों के खिलाफ नेगिलायोगी स्वाभिमान वेदिके के बैनर तले प्रदेश के मठों के हिन्दू संत, भाजपा नेताओं और किसान समर्थक संगठनों के सदस्यों ने “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” तीन दिवसीय विरोध मार्च निकाला है। इस दौरान प्रदर्शन करते हुए संतों और भाजपा नेताओं ने प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया औऱ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी जेड जमीर अहमद के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग की। विरोध मार्च कलबुर्गी के नागेश्वर स्कूल से निकाला गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हाथों में “ज़मीर हटाओ, ज़मीन बचाओ”, “रायता देशदा आस्थी”, “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” नारे लिखी तख्तियां ले रखा था।

इस मौके पर कर्नाटक विधान परिषद के नेता चालावाड़ी नारायणस्वामी ने कहा कि आप स्थिति देख सकते हैं। किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं। यह विरोध प्रदर्शन कलबुर्गी में हो रहा है। हम मंत्री ज़मीर अहमद खान और कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इससे पहले बीजेपी प्रदेश महासचिव प्रीतम गौड़ा ने कहाा था कि कहा कि हजारों प्रभावित व्यक्तियों और किसानों को अपनी शिकायतें प्रस्तुत करने के लिए पूरे दिन मंच पर आमंत्रित किया गया है। हम जिलेवार मुद्दों की गंभीरता की समीक्षा कर रहे हैं। राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए पहले ही तीन टीमों की घोषणा कर दी है। ये टीमें किसानों, धार्मिक संस्थाओं और जनता की शिकायतों को सुनने के लिए जिलों में जाएंगी और उनके निष्कर्षों पर आगामी बेलगावी विधानसभा सत्र में चर्चा की जाएगी।

क्या है सरकारी ठेकों में मुसलमानों को आरक्षण पर विवाद? सिद्धारमैया ने दी सफाई

#over_4_percent_muslim_quota_in_karnataka_govt_tenders_sparks_row

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अब एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण पर फंसती नजर आ रही है। दरअसल, कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए चार फीसदी आरक्षण के मसले पर विवाद बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कर्नाटक सरकार मुसलमानों को सरकारी निर्माण (सिविल) ठेकों में आरक्षण देने पर विचार कर रही है। इसके बाद से विपक्षी दल खासकर भाजपा ने कड़ा रूख अख्तिय़ार कर लिया है। हालांकि, इसे लेकर अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सफाई आई है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सरकारी ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने की मांग पर अपना पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक के नगर प्रशासन और हज मंत्री रहीम खान, कांग्रेस विधायक और विधान परिषद सदस्यों ने 24 अगस्त को पत्र लिखकर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को सरकारी ठेकों में चार प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की थी। सिद्धारमैया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण की मांग उठ रही है, लेकिन फिलहाल इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

इसस पहले मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कर्नाटक सरकार मुसलमानों को सरकारी ठेकों में चार फीसदी आरक्षण देने पर विचार कर रही है। यह आरक्षण उन ठेकों के लिए होगा जिनकी लागत एक करोड़ रुपये तक हो। सरकारी ठेकों में आरक्षण पहले से ही अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) के लिए निर्धारित है। मुसलमानों को यह आरक्षण कैटगरी 2बी के तहत मिल सकता है, जो कि ओबीसी का एक वर्ग है।

अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो कर्नाटक में सरकारी ठेकों में आरक्षण की सीमा बढ़कर 47 फीसदी तक हो जाएगी। फिलहाल राज्य में सरकारी ठेकों में कुल 43 फीसदी आरक्षण है। इसमें एससी/एसटी को 24 फीसदी आरक्षण मिलता है और बाकी आरक्षण ओबीसी के लिए है। ठेके की सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ करने का भी विचार किया जा रहा है।

इस मामले पर अब कर्नाटक बीजेपी ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। बीजेपी नेता आर. अशोक ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीतिक सभी हद को पार कर रही है।वक्फ की जमीन हड़पने की तरकीबों को समर्थन देने के बाद कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की अगुवाई में अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को चार फीसदी आरक्षण देने की योजना बना रही है। इस तरह तो कर्नाटक जल्द ही इस्लामिक राज्य में तब्दील हो जाएगा और यहां हिंदू दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रह जाएंगे।

सिद्धारमैया के मंत्री जमीर अहमद खान का विवादित बयान, पूर्व सीएम कुमारस्वामी पर की अमर्यादित टिप्पणी

#karnataka_minister_zameer_ahmed_khan_calls_union_minister_kumaraswamy_racist_slur

कर्नाटक में सियासी बवाल खड़ा हो गया है। विवाद शुरू हुआ है सिद्धारमैया के एक मंत्री के बयान से। सिद्धारमैया सरकार में मंत्री बी जेड जमीर अहमद खान ने पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमास्वामी को लेकर नस्लीय बयान दिया। जिके बाद विवाद शुरू हो गया है। जेडीएस ने कर्नाटक सरकार से जमीर अहमद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उन्हें पद से बर्खास्त करने की मांग की। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी जमीर अहमद के बयान की निंदा की और इसे लेकर कांग्रेस सरकार को घेरा।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मंत्री जमीर अहमद खान ने मोदी सरकार में मंत्री और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी पर हमला बोलते हुए मर्यादा की सीमा तोड़ दी। खान ने कुमारस्वामी की फोटो दिखाते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री को 'कालिया कुमारस्वामी' कहकर संबोधित किया।

रविवार को रामनगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए जमीर अहमद ने कहा कि चन्नपटना सीट से कांग्रेस उम्मीदवार सीपी योगेश्वर के पास भाजपा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि 'हमारी पार्टी में कुछ मतभेदों के चलते योगेश्वर ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा। ऐसे में उनके पास भाजपा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वह जेडीएस में शामिल होने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि कालिया कुमारस्वामी भाजपा से भी ज्यादा खतरनाक थे। अब वे (योगेश्वर) वापस घर (कांग्रेस) आ गए हैं।'

कुमारस्वामी को कालिया कहने के बाद राज्य का सियासी पारा हाई हो गया है। जेडीएस ने कांग्रेस सरकार से इस नस्ली टिप्पणी के लिए जमीर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।पार्टी ने कहा, छोटी मानसिकता वाले शख्स को मंत्रिमंडल से तुरंत बर्खास्त किया जाए।

संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी जमीर खान के बयान की आलोचना की। रिजिजू ने सोशल मीडिया पर साझा पोस्ट में लिखा कि मैं कांग्रेस के मंत्री जमीर अहमद द्वारा केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमारस्वामी के खिलाफ विवादित टिप्पणी की कड़ी निंदा करता हूं। यह एक नस्लवादी टिप्पणी है, ठीक वैसे ही जैसे राहुल गांधी के सलाहकार ने दक्षिण भारतीयों को अफ्रीकी, पूर्वोत्तर के लोगों को चीनी और उत्तर भारतीयों को अरब बताया था।