दाल में कुछ तो काला है...जानें राहुल गांधी ने ऐसा क्यों कहा?*

#trumpsclaimsonindiapakceasefirerahulgandhiattackspm_modi 

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के बार-बार दावे को लेकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ट्रंप ने 25वीं बार यह बयान दिया। पीएम मोदी इस पर मौन हैं। इससे लगता है दाल में कुछ काला है। 

संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। सदन में ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा, 'सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का वादा किया है। पीएम के लौटने पर चर्चा होगी। लेकिन पीएम का जवाब चल रहा है। एक ओर कहा जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर चल रहा है, हमारी जीत हो गई। वहीं दूसरी ओर ट्रंप लगातार दावा कर रहे हैं कि हमने ऑपरेशन सिंदूर को बंद करवा दिया है। भैया दाल में कुछ तो काला है न। 

ट्रंप ने फिर किया सीजफायर कराने का दावा

राहुल गांधी का यह बयान मंगलवार सुबह ट्रंप के नए दावे के बाद आया है, जिसमें उन्होंने फिर से कहा कि मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोक दिया है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा, हमने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया। वे शायद परमाणु जंग में उलझने वाले थे। ट्रंप ने कहा, उस समय दोनों देशों के बीच संघर्ष गंभीर हो गया था, 5 फाइटर जेट्स गिराए जा चुके थे। किसी भी वक्त परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो सकता था। मैंने उन्हें फोन किया और व्यापार रोकने की धमकी दी।

बार-बार सीजफायर कराने का दावा कर रहे ट्रंप

बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। भारत ने पाकिस्तान प्रशासित आजाद कश्मीर और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में नौ जगहों पर मिसाइल और हवाई हमले शुरू किए थे। दोनों देशों के बीच 3 दिनों तक संघर्ष चला। 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ था। तब पहली बार ट्रंप ने सीजफायर कराने का दावा किया था। 

कांग्रेस ने सरकार को घेरा

इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा कि एक ओर मोदी सरकार संसद में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर बहस की निश्चित तारीखें देने से इनकार कर रही है और प्रधानमंत्री के जवाब देने को लेकर भी कोई आश्वासन नहीं दे रही है। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति ट्रंप इस मुद्दे पर अपने दावों के साथ सिल्वर जुबली तक पहुंच चुके हैं। पिछले 73 दिनों में राष्ट्रपति ट्रंप इस विषय पर 25 बार ढिंढोरा पीट चुके हैं, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री अब तक पूरी तरह मौन हैं। उन्हें केवल विदेश यात्राओं और देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को अस्थिर करने के लिए ही समय मिल रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रंप के दावे से गरमाई सियासत, कांग्रेस ने पूछा सवाल, पीएम से संसद में जवाब की मांग

#congressmpjairamrameshraisedquestionsonpmsilenceontrump

भारत-पाकिस्तान जंग पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों से एक बार फिर देश की सियासत गरमा गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर मध्यस्थता का दावा किया। ट्रंप ने दावा ने दावा किया की इस टकराव में पांच लड़ाकू विमान गिराए गए हैं। ट्रंप के दावे के बाद कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। साथ ही कांग्रेस ने इस बारे में पीएम मोदी से संसद में स्पष्टीकरण की मांग की है।

कांग्रेस का केंद्र सरकार से 3 सवाल

कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र सरकार से 3 सवाल किए हैं। पहला- क्या ट्रम्प ने वाकई सीजफायर रुकवाई, वे इसका 24 बार जिक्र कर चुके हैं। दूसरा- क्या ट्रम्प ने व्यापार की धमकी देकर जंग रुकवाई, तीसरा- जंग में 5 लड़ाकू विमान किसके गिरे।

पीएम मोदी संसद में जवाब दें, कोई सब्स्टीट्यूट नहीं चाहिए-जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि संसद शुरू होने वाली है और प्रधानमंत्री को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। कोई और नेता नहीं चलेगा। कांग्रेस और पूरा विपक्ष विशेष चर्चा की मांग करेगा और प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए। हमें कोई सब्स्टीट्यूट बल्लेबाज नहीं चाहिए। केवल प्रधानमंत्री को ही जवाब देना होगा। पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प की लंबे समय से दोस्ती रही है। फिर चाहे सितंबर 2019 में हाउडी मोदी और फरवरी 2020 में नमस्ते ट्रम्प का आयोजन हो, दोनों का गले मिलने का रिश्ता रहा है। अब पीएम मोदी को संसद में खुद बयान देना होगा

ट्रंप मुद्दे पर हंगामे के आसार

दरअसल, ट्रंप ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में रिपब्लिकन सांसदों के साथ डिनर के दौरान दावा किया कि मुझे लगता है कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष में सच में 5 जेट गिरे थे। हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि ये विमान किस देश के गिरे थे। संसद के मानसून सत्र से महज दो दिन पहले ट्रंप ने ये बयान दिया है। मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस मुद्दे पर हंगामे के आसार हैं।

डोनाल्ड ट्रंप जा रहे पाकिस्तान? पाक मीडिया में किया जा रहा सितंबर में दौरा का दावा

#americanpresidentdonaldtrumpsettovisitpakistanin_september

पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूख में बदलाव देखा जा रहा है। इस बीच खबर आ रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पाकिस्तान के दौरा पर जा सकते हैं। ट्रंप के सितंबर महीने में पाकिस्तान यात्रा पर जाने की खबरें हैं। पाकिस्तानी मीडिया में ये दावा किया गया है। दो स्थानीय टेलीविजन चैनलों ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि ट्रंप सितंबर में इस्लामाबाद पहुंच सकते हैं।

पाकिस्तान के समा टीवी की रिपोर्ट में राजनयिक सूत्र के हवाले से बताया है कि ट्रंप 18 सितम्बर को पाकिस्तान का दौरा करने की योजना है। इस दौरान वे भारत भी जा सकते हैं। भारत सितम्बर में क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है, जिसके दौरान ट्रंप के नई दिल्ली आने की संभावना है।

20 साल में कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाक नहीं पहुंचा

अगर यह दावा सच हुआ, तो लगभग 20 साल बाद पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान पहुंचेगा। इससे पहले साल 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने पाकिस्तान का दौरा किया था। अगर ट्रंप का ये दौरा होता है, तो दक्षिण एशिया की कूटनीतिक गतिविधियों में एक अहम मोड़ साबित होगा। अब सबकी नजरें आधिकारिक घोषणाओं और आगे की स्थिति पर हैं।

अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में बदलाव

इस तरह के दावे तक किए जा रहे हैं जब अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों मे बदलाव देखे जा रहे हैं। पिछले महीने अमेरिका ने पहली बार पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था। इस ऐतिहासिक मुलाकात के बाद दोनों देशों के संबंधों में मजबूती आने के संकेत मिले हैं।

अमेरिका ने कनाडा पर फिर फोड़ा टैरिफ बम, ट्रंप ने किया 35% टैरिफ लगाने का किया ऐलान

#uspresidenttrumpannounced35percenttarifffrom_canada

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने टैरिफ का चाबुक चलाना शुरू कर दिया है। ट्रंप ने गुरुवार 10 जुलाई को कनाडा से आने वाले सामान पर 35% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह टैरिफ अमेरिका में प्रवेश करने वाले कनाडाई उत्पादों पर 1 अगस्त 2025 से लागू होगा। ट्रंप ने इसे कनाडा की जवाबी कार्रवाई और चल रही व्यापार बाधाओं के जवाब में उठाया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार (10 जुलाई) को कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को एक पत्र लिखकर नई टैरिफ दरों की जानकारी दी। कनाडा के पीएम को लिखे पत्र में ट्रंप ने कहा, यह मेरे लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है कि मैं आपको यह पत्र भेज रहा हूँ, क्योंकि यह हमारे व्यापारिक संबंधों की मजबूती और प्रतिबद्धता को दर्शाता है, और यह भी कि अमेरिका ने इस बात पर सहमति जताई है कि वह कनाडा के साथ काम करता रहेगा, भले ही कनाडा ने अमेरिका से आर्थिक प्रतिशोध किया हो। जैसा कि आपको याद होगा, अमेरिका ने फेंटेनाइल संकट से निपटने के लिए कनाडा पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया था, जो आंशिक रूप से इस वजह से है कि कनाडा इन नशीली दवाओं को हमारे देश में आने से रोकने में विफल रहा है। ट्रंप ने पत्र में लिखा कि अमेरिका के साथ सहयोग करने की बजाय, कनाडा ने जवाबी टैरिफ लगा दिए। 1 अगस्त 2025 से, हम कनाडा से अमेरिका भेजे जाने वाले उत्पादों पर 35% टैरिफ लगाएंगे, जो सभी सेक्टोरल टैरिफ से अलग होगा। 

टैरिफ के झटके के बाद धमकी भी

डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगाकर कनाडा को झटका तो दिया ही है, लेकिन साथ ही धमकी भी दी है। ट्रंप ने कहा है कि इस उच्चतर टैरिफ से बचने के लिए यदि किसी माल को अन्य देशों के रास्ते भेजा गया तो उस पर भी यही टैरिफ लागू होगा। जैसा कि आप जानते हैं, यदि कनाडा या आपके देश की कंपनियां अमेरिका में उत्पाद बनाना या निर्माण करना चुनती हैं, तो उस पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा, बल्कि हम आवश्यक मंजूरियां शीघ्र, पेशेवर और नियमित तरीके से देंगे...यानी कुछ ही हफ्तों में।

कनाडा यूएस का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

कनाडा अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है (पहला मेक्सिको है)। जून में ट्रंप ने कनाडा से डिजिटल सेवा कर (डिजिटल सर्विस टैक्स) को लेकर व्यापार वार्ता रोक दी थी, जो अमेरिकी टेक कंपनियों को प्रभावित कर सकता था। हालांकि बाद में जब कार्नी ने यह कर वापस लिया, तब बातचीत फिर शुरू हो गई।

डोनाल्ड ट्रंप को मिले शांति का नोबेल…पाकिस्तान के बाद दोस्त नेतन्याहू ने की बड़ी डिमांड

#israelipmnetanyahunominatesuspresidenttrumpforthenobelpeace_prize

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को उनके लिए व्हाइट हाउस में डिनर का आयोजन किया था। इस मौके पर नेतन्याहू अपने दोस्त ट्रंप के लिए एक खास तोहफा लेकर पहुंचे। दरअसल, इजराइली पीएम ने डोनाल्ड ट्रंप को एक पत्र सौंपा, जो उनकी सरकार की ओर से नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया है। इस पत्र में डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रयासों को बताते हुए उनको नोबेल पीस प्राइज देने की सिफारिश की गई है।

गाजा में संघर्ष विराम की कोशिशों के बीच इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में डिनर पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ट्रंप को बताया कि उन्होंने नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप को नामित करने की सिफारिश की थी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया वही पत्र ट्रंप को भेंट भी किया।

ट्रंप को बताया नोबेल प्राइज का हकदार

इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने कहा कि मैं आपको नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया पत्र दिखाना चाहता हूं। इसमें आपको शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है, जिसके आप हकदार हैं। इस पर ट्रंप ने नेतन्याहू को धन्यवाद दिया। ट्रंप ने कहा- मुझे इस बारे में नहीं पता था, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यह बहुत सार्थक है।

पाकिस्तान भी कर चुका है ट्रंप के लिए नोबेल प्राइज की मांग

बता दें कि इस साल जनवरी में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू की अमेरिका की यह तीसरी यात्रा है। नेतन्याहू की इस यात्रा का मकसद गाजा में सीजफायर पर चर्चा करना है। इससे पहले पाकिस्तान की ओर से भी ट्रंप को नोबेल पुरस्कार दिए जाने की बात की गई थी। मुनीर ने हाल ही में अमेरिका के दौरे के बाद ट्रंप के लिए नोबेल की मांग उठाई थी।

फिर भारत-पाक संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश

इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम का श्रेय लेते दिखे। नेतन्याहू से उन्होंने कहा कि हमने बहुत सी लड़ाइयां रोकी हैं, इनमें सबसे बड़ी लड़ाई भारत और पाकिस्तान के बीच थी। हमने व्यापार के मुद्दे पर इसे रोका है। हम भारत और पाकिस्तान के साथ काम कर रहे हैं। हमने कहा था कि अगर आप लड़ने वाले हैं तो हम आपके साथ बिल्कुल भी काम नहीं करेंगे। वे शायद परमाणु स्तर पर जाकर जंग लड़ना चाहते थे। इसे रोकना वाकई महत्वपूर्ण था।

ट्रंप ने जापान-दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर लगाया नया टैरिफ, जवाबी कार्रवाई न करने की धमकी भी दी

#trumpannouncespotentialagreementamidstnewtariff 

ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त दस फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान एवं दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर नए टैरिफ (व्यापारिक दरों) का ऐलान कर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने इन दोनों देशों के साथ लगातार व्यापार असंतुलन का हवाला देते हुए यह शुल्क लगाया है। ट्रंप ने एक अगस्त से लागू होने वाले शुल्क की सूचना सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ' पर पोस्ट करके दी। 

14 देशों पर टैरिफ का ऐलान

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर 14 देशों को भेजे गए लेटर शेयर किए हैं। इनमें थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, जापान, मलेशिया, कजाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, लाओस, इंडोनेशिया, ट्यूनीशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, सर्बिया और कंबोडिया शामिल हैं।

नए टैरिफ के साथ चेतावनी भी जारी

ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, यह अन्य क्षेत्रीय टैरिफ से अलग होगा। अगर कोई देश ऊंचे टैरिफ से बचने के लिए माल को दूसरी जगह से भेजता है, तो उस देश पर भी ऊंचा टैरिफ लागू होगा। ट्रंप ने चेतावनी दी कि वह अपने आयात करों में वृद्धि करके जवाबी कार्रवाई न करें। ऐसा करने पर ट्रंप प्रशासन आयात करों में और वृद्धि कर देगा, जिससे जापान व द. कोरिया के ऑटो व इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है, जो चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में अमेरिका के दो अहम साझेदार हैं।

म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक टैरिफ

ट्रंप ने म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक 40 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान किया है, जबकि जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाया गया है। जापान और दक्षिण कोरिया अमेरिका के करीबी एशियाई सहयोगी हैं। ट्रंप ने उनके साथ लंबे समय से चले आ रहे व्यापार असंतुलन को 25% टैरिफ लगाने का कारण बताया। वहीं मलेशिया और कजाकिस्तान अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और औद्योगिक धातुओं का निर्यात करते हैं। उनपर भी 25% टैरिफ लगाया गया है। थाईलैंड और कंबोडिया पर 36% टैरिफ, बांग्लादेश और सर्बिया पर 35%, इंडोनेशिया पर 32%, दक्षिण अफ्रीका और बोस्निया पर 30% शुल्क लगाने का ऐलान किया गया है।

ब्रिक्स देशों को ट्रंप की चेतावनी, 10% अतिरिक्‍त टैरिफलगाने की धमकी, क्या भारत की बढ़ने वाली है परेशानी?

#americadonaldtrumpwarns10percenttariffonbrics_countries

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को धमकाने की कोशिश की है। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को बड़ी चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों की निंदा किए जाने के बाद ट्रंप ने नाराजगी जताते हुए ब्रिक्स देशों को चेताया।

यह बयान उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा किया। डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, ‘ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!’

अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हमले और टैरिफ की निंदा की

दरअसल, ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और व्यापार शुल्क (टैरिफ) की निंदा की। इजराइल की मध्य पूर्व में की जा रही सैन्य कार्रवाई की आलोचना की गई। सम्मेलन के पहले ब्रिक्स देशों ने अमेरिका पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ (शुल्क) से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है।

क्या भारत के लिए है बड़ा संदेश

हालांकि, ट्रंप ने इस बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि वह ‘अमेरिका विरोधी नीतियां’ किसे मानते हैं। यही कारण है कि इसके व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। हालांकि उन्होंने जिस अपवाद की बात की है वह सीधे तौर पर भारत है। खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो ब्रिक्स का हिस्सा भी हैं और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहे हैं।

भारत के लिए बड़ी चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को 'एंटी अमेरिका' मानते हैं और उन्हें डर है कि ब्रिक्स देश डॉलर के खिलाफ नई करेंसी जारी कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में भारत के लिए यह स्थिति काफी ज्यादा संवेदनशील और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि वह अमेरिका का करीबी सहयोगी भी है और ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी। ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत के लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है। इसका असर भारत-अमेरिका कारोबार पर भी पड़ता है। अब जब वे खुलेआम अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दे रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि भारत जैसे देश इस आर्थिक दबाव से कैसे निपटेंगे?

भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका में

ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, बाद में दक्षिण अफ्रीका और 2023 में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश भी इस समूह में शामिल हो गए। ब्रिक्स के भीतर भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका भी निभा रहा है। भारत ने हमेशा इस मंच का उपयोग बहुपक्षीयता, वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने और विकासशील देशों के लिए समावेशी व्यवस्था की मांग करने के लिए किया है। हालांकि, चीन और रूस जैसे देशों के कारण ब्रिक्स पर "पश्चिम विरोधी" छवि भी चिपक गई है।

ईरान ने ट्रंप और नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया फतवा, कहा-ये अल्लाह के दुश्मन हैं

#iran_issued_fatwa_against_trump_and_netanyahu 

इजराइल और अमेरिका में जारी तनाव के बीच ईरान के टॉप शिया मौलवी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ फतवा जारी किया है और उन्हें अल्लाह का दुश्मन कहा है। ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नसेर माकारेम शिराजी के फतवे में दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट होने और इस्लामी गणतंत्र नेतृत्व को धमकी देने वाले अमेरिकी और इजरायली नेताओं को गिराने का आह्वान किया गया।

ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नासर मकरम शिराजी की ओर से जारी फतवे में कहा गया है कि कोई व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा (इस्लामी वरिष्ठ विद्वान) को धमकी देता है,उसे सरदार या मोहरेब माना जाता है। ईरानी कानून के मुताबिक मोहरेब वह व्यक्ति होता है जो ईश्वर के खिलाफ युद्ध शुरू करता है और ऐसे व्यक्ति को मौत, सूली पर चढ़ाने, अंग काटने और निर्वासित किए जाने का प्रावधान है।  

यह धार्मिक फतवा 13 जून को शुरू हुए 12 दिवसीय युद्ध के रुकने के बाद आया है। 13 जून को इजरायल ने ईरान में बमबारी अभियान शुरू किया जिसमें शीर्ष सैन्य कमांडर और उसके परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक मारे गए। ईरान ने इसके जवाब में ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 शुरू किया और इजराइल के बुनियादी ढांचे के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले किए। फिर अमेरिका ने भी दोनों के युद्ध में एंट्री ली और ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर सटीक हमले किए। जिसके बाद ट्रंप ने ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा की।

भारत-अमेरिका के बीच बड़ी ट्रेड डील की उम्मीद, ट्रंप ने दिए संकेत, जानें क्या कहा?

#donaldtrumpussaysdealwithindiawillfollow_soon

भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक 'बड़ी' ट्रेड डील होने वाली है। इस बात के संकेत खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिए हैं।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में हुए 'बिग ब्यूटीफुल बिल' इवेंट में बताया कि अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ व्यापार समझौता किया है और अब भारत के साथ भी ऐसा ही कुछ बड़ा होने वाला है।

हर कोई एक डील करना चाहता है-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी स्पीच में कहा, हर कोई एक डील करना चाहता है और उसका हिस्सा होना चाहता है। कुछ को हम बस एक चिट्ठी भेजेंगे, जिसमें लिखा होगा, बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको 25, 35, 45 फीसदी देना होगा।

हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे-ट्रंप

हमने कल ही चीन के साथ एक डील पर हस्ताक्षर किए हैं। हम कुछ बड़े समझौते कर रहे हैं। इसी के बाद हम एक डील शायद भारत के साथ कर रहे हैं। इस डील के बारे में बात करते हुए ट्रंप ने कहा, हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे हैं।

हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे-ट्रंप

ट्रंप ने कहा हम भारत के दरवाजे खोलने जा रहे हैं। ये वे चीजें हैं जो पहले कभी संभव नहीं थीं। इसी के साथ ट्रंप ने आगे कहा, किसी भी दूसरे देश के साथ डील नहीं की जाएगी। हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे हैं

लगातार मिल रहे बड़ी डील के संकेत

इस महीने की शुरुआत में, यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में बोलते हुए, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है. उन्होंने कहा था, मुझे लगता है कि हम इसके बहुत करीब आ गए हैं और आपको आने वाले भविष्य में अमेरिका और भारत के बीच एक समझौते की उम्मीद करनी चाहिए। वहीं, 10 जून को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका एक निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।

अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

अमेरिका जहां यह समझौता जल्‍द से जल्‍द करने के मूड में है, वहीं भारत किसी तरह की हड़बड़ी में नहीं है और साफ कर दिया है कि वह अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। 26% टैरिफ के संभावित खतरे के बावजूद भारत किसी भी हालत में झुकने के मूड में नहीं है। टैरिफ के लिए ट्रंप द्वारा रखी गई डेडलाइन 9 जुलाई को समाप्‍त हो जाएगी।

इजराइल-ईरान के बीच सीजफायर! डोनाल्ड ट्रंप ने किया ऐलान, खामेनेई का अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे से इनकार

#iranisraelceasefireagreeddonaldtrumpannounced

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से जारी युद्ध को खत्म कराने का दावा कर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘पूर्ण सीजफायर’ की करते हुए इसे ‘12 डे वॉर’ का अंत बताया। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। इनमें उन्होंने यह भी बताया कि यह संघर्ष विराम कैसे हुआ और क्यों इसका एलान ट्रंप ने किया। ट्रंप के इस ऐलान पर इजरायल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है। धर ईरानी सुप्रीम लीडर ने कहा है कि ईरान सरेंडर करने वाला मुल्क नहीं।

ट्रंप ने क्या कहा?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि सभी को बधाई! इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से सहमति बन गई है। इजराइल और ईरान 24 घंटे में युद्ध विराम करने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि युद्ध विराम से युद्ध का आधिकारिक अंत होगा, जो कि तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद शत्रुता में एक बड़ा बदलाव है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि मैं दोनों देशों, इजराइल और ईरान को बधाई देना चाहूंगा कि उनके पास वह सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता है।

ईरान आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं- खामेनेई

अयातुल्लाह खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, जो ईरानी लोगों और उनके इतिहास को जानते हैं, वे जानते हैं कि ईरानी राष्ट्र आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं है।

इजराइल हमले बंद करता है तो ईरान भी शांत बैठेगा-अराघची

वहीं, ईरान के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि अगर इस्राइल स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजे तक अपने हवाई हमले बंद कर देता है तो तेहरान भी अपने हमले बंद कर देगा।अराघची ने तेहरान समयानुसार सुबह 4:16 बजे सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपना संदेश भेजा। अराघची ने लिखा, 'अभी तक किसी भी युद्ध विराम या सैन्य अभियानों को रोककने पर कोई समझौता नहीं हुआ है। हालांकि, बशर्ते कि इस्राइली शासन ईरानी लोगों के खिलाफ अपने अवैध आक्रमण को तेहरान समय के अनुसार सुबह 4 बजे से पहले बंद कर दे, उसके बाद हमारा जवाबी कार्रवाई जारी रखने का कोई इरादा नहीं है। अराघची ने कहा कि हमारे सैन्य अभियानों को रोकने पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।

दाल में कुछ तो काला है...जानें राहुल गांधी ने ऐसा क्यों कहा?*

#trumpsclaimsonindiapakceasefirerahulgandhiattackspm_modi 

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के बार-बार दावे को लेकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ट्रंप ने 25वीं बार यह बयान दिया। पीएम मोदी इस पर मौन हैं। इससे लगता है दाल में कुछ काला है। 

संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। सदन में ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा, 'सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का वादा किया है। पीएम के लौटने पर चर्चा होगी। लेकिन पीएम का जवाब चल रहा है। एक ओर कहा जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर चल रहा है, हमारी जीत हो गई। वहीं दूसरी ओर ट्रंप लगातार दावा कर रहे हैं कि हमने ऑपरेशन सिंदूर को बंद करवा दिया है। भैया दाल में कुछ तो काला है न। 

ट्रंप ने फिर किया सीजफायर कराने का दावा

राहुल गांधी का यह बयान मंगलवार सुबह ट्रंप के नए दावे के बाद आया है, जिसमें उन्होंने फिर से कहा कि मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोक दिया है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा, हमने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया। वे शायद परमाणु जंग में उलझने वाले थे। ट्रंप ने कहा, उस समय दोनों देशों के बीच संघर्ष गंभीर हो गया था, 5 फाइटर जेट्स गिराए जा चुके थे। किसी भी वक्त परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो सकता था। मैंने उन्हें फोन किया और व्यापार रोकने की धमकी दी।

बार-बार सीजफायर कराने का दावा कर रहे ट्रंप

बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। भारत ने पाकिस्तान प्रशासित आजाद कश्मीर और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में नौ जगहों पर मिसाइल और हवाई हमले शुरू किए थे। दोनों देशों के बीच 3 दिनों तक संघर्ष चला। 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ था। तब पहली बार ट्रंप ने सीजफायर कराने का दावा किया था। 

कांग्रेस ने सरकार को घेरा

इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा कि एक ओर मोदी सरकार संसद में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर बहस की निश्चित तारीखें देने से इनकार कर रही है और प्रधानमंत्री के जवाब देने को लेकर भी कोई आश्वासन नहीं दे रही है। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति ट्रंप इस मुद्दे पर अपने दावों के साथ सिल्वर जुबली तक पहुंच चुके हैं। पिछले 73 दिनों में राष्ट्रपति ट्रंप इस विषय पर 25 बार ढिंढोरा पीट चुके हैं, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री अब तक पूरी तरह मौन हैं। उन्हें केवल विदेश यात्राओं और देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को अस्थिर करने के लिए ही समय मिल रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रंप के दावे से गरमाई सियासत, कांग्रेस ने पूछा सवाल, पीएम से संसद में जवाब की मांग

#congressmpjairamrameshraisedquestionsonpmsilenceontrump

भारत-पाकिस्तान जंग पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों से एक बार फिर देश की सियासत गरमा गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर मध्यस्थता का दावा किया। ट्रंप ने दावा ने दावा किया की इस टकराव में पांच लड़ाकू विमान गिराए गए हैं। ट्रंप के दावे के बाद कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। साथ ही कांग्रेस ने इस बारे में पीएम मोदी से संसद में स्पष्टीकरण की मांग की है।

कांग्रेस का केंद्र सरकार से 3 सवाल

कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र सरकार से 3 सवाल किए हैं। पहला- क्या ट्रम्प ने वाकई सीजफायर रुकवाई, वे इसका 24 बार जिक्र कर चुके हैं। दूसरा- क्या ट्रम्प ने व्यापार की धमकी देकर जंग रुकवाई, तीसरा- जंग में 5 लड़ाकू विमान किसके गिरे।

पीएम मोदी संसद में जवाब दें, कोई सब्स्टीट्यूट नहीं चाहिए-जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि संसद शुरू होने वाली है और प्रधानमंत्री को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। कोई और नेता नहीं चलेगा। कांग्रेस और पूरा विपक्ष विशेष चर्चा की मांग करेगा और प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए। हमें कोई सब्स्टीट्यूट बल्लेबाज नहीं चाहिए। केवल प्रधानमंत्री को ही जवाब देना होगा। पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प की लंबे समय से दोस्ती रही है। फिर चाहे सितंबर 2019 में हाउडी मोदी और फरवरी 2020 में नमस्ते ट्रम्प का आयोजन हो, दोनों का गले मिलने का रिश्ता रहा है। अब पीएम मोदी को संसद में खुद बयान देना होगा

ट्रंप मुद्दे पर हंगामे के आसार

दरअसल, ट्रंप ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में रिपब्लिकन सांसदों के साथ डिनर के दौरान दावा किया कि मुझे लगता है कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष में सच में 5 जेट गिरे थे। हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि ये विमान किस देश के गिरे थे। संसद के मानसून सत्र से महज दो दिन पहले ट्रंप ने ये बयान दिया है। मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस मुद्दे पर हंगामे के आसार हैं।

डोनाल्ड ट्रंप जा रहे पाकिस्तान? पाक मीडिया में किया जा रहा सितंबर में दौरा का दावा

#americanpresidentdonaldtrumpsettovisitpakistanin_september

पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूख में बदलाव देखा जा रहा है। इस बीच खबर आ रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पाकिस्तान के दौरा पर जा सकते हैं। ट्रंप के सितंबर महीने में पाकिस्तान यात्रा पर जाने की खबरें हैं। पाकिस्तानी मीडिया में ये दावा किया गया है। दो स्थानीय टेलीविजन चैनलों ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि ट्रंप सितंबर में इस्लामाबाद पहुंच सकते हैं।

पाकिस्तान के समा टीवी की रिपोर्ट में राजनयिक सूत्र के हवाले से बताया है कि ट्रंप 18 सितम्बर को पाकिस्तान का दौरा करने की योजना है। इस दौरान वे भारत भी जा सकते हैं। भारत सितम्बर में क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है, जिसके दौरान ट्रंप के नई दिल्ली आने की संभावना है।

20 साल में कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाक नहीं पहुंचा

अगर यह दावा सच हुआ, तो लगभग 20 साल बाद पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान पहुंचेगा। इससे पहले साल 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने पाकिस्तान का दौरा किया था। अगर ट्रंप का ये दौरा होता है, तो दक्षिण एशिया की कूटनीतिक गतिविधियों में एक अहम मोड़ साबित होगा। अब सबकी नजरें आधिकारिक घोषणाओं और आगे की स्थिति पर हैं।

अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में बदलाव

इस तरह के दावे तक किए जा रहे हैं जब अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों मे बदलाव देखे जा रहे हैं। पिछले महीने अमेरिका ने पहली बार पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था। इस ऐतिहासिक मुलाकात के बाद दोनों देशों के संबंधों में मजबूती आने के संकेत मिले हैं।

अमेरिका ने कनाडा पर फिर फोड़ा टैरिफ बम, ट्रंप ने किया 35% टैरिफ लगाने का किया ऐलान

#uspresidenttrumpannounced35percenttarifffrom_canada

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने टैरिफ का चाबुक चलाना शुरू कर दिया है। ट्रंप ने गुरुवार 10 जुलाई को कनाडा से आने वाले सामान पर 35% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह टैरिफ अमेरिका में प्रवेश करने वाले कनाडाई उत्पादों पर 1 अगस्त 2025 से लागू होगा। ट्रंप ने इसे कनाडा की जवाबी कार्रवाई और चल रही व्यापार बाधाओं के जवाब में उठाया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार (10 जुलाई) को कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को एक पत्र लिखकर नई टैरिफ दरों की जानकारी दी। कनाडा के पीएम को लिखे पत्र में ट्रंप ने कहा, यह मेरे लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है कि मैं आपको यह पत्र भेज रहा हूँ, क्योंकि यह हमारे व्यापारिक संबंधों की मजबूती और प्रतिबद्धता को दर्शाता है, और यह भी कि अमेरिका ने इस बात पर सहमति जताई है कि वह कनाडा के साथ काम करता रहेगा, भले ही कनाडा ने अमेरिका से आर्थिक प्रतिशोध किया हो। जैसा कि आपको याद होगा, अमेरिका ने फेंटेनाइल संकट से निपटने के लिए कनाडा पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया था, जो आंशिक रूप से इस वजह से है कि कनाडा इन नशीली दवाओं को हमारे देश में आने से रोकने में विफल रहा है। ट्रंप ने पत्र में लिखा कि अमेरिका के साथ सहयोग करने की बजाय, कनाडा ने जवाबी टैरिफ लगा दिए। 1 अगस्त 2025 से, हम कनाडा से अमेरिका भेजे जाने वाले उत्पादों पर 35% टैरिफ लगाएंगे, जो सभी सेक्टोरल टैरिफ से अलग होगा। 

टैरिफ के झटके के बाद धमकी भी

डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगाकर कनाडा को झटका तो दिया ही है, लेकिन साथ ही धमकी भी दी है। ट्रंप ने कहा है कि इस उच्चतर टैरिफ से बचने के लिए यदि किसी माल को अन्य देशों के रास्ते भेजा गया तो उस पर भी यही टैरिफ लागू होगा। जैसा कि आप जानते हैं, यदि कनाडा या आपके देश की कंपनियां अमेरिका में उत्पाद बनाना या निर्माण करना चुनती हैं, तो उस पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा, बल्कि हम आवश्यक मंजूरियां शीघ्र, पेशेवर और नियमित तरीके से देंगे...यानी कुछ ही हफ्तों में।

कनाडा यूएस का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

कनाडा अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है (पहला मेक्सिको है)। जून में ट्रंप ने कनाडा से डिजिटल सेवा कर (डिजिटल सर्विस टैक्स) को लेकर व्यापार वार्ता रोक दी थी, जो अमेरिकी टेक कंपनियों को प्रभावित कर सकता था। हालांकि बाद में जब कार्नी ने यह कर वापस लिया, तब बातचीत फिर शुरू हो गई।

डोनाल्ड ट्रंप को मिले शांति का नोबेल…पाकिस्तान के बाद दोस्त नेतन्याहू ने की बड़ी डिमांड

#israelipmnetanyahunominatesuspresidenttrumpforthenobelpeace_prize

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को उनके लिए व्हाइट हाउस में डिनर का आयोजन किया था। इस मौके पर नेतन्याहू अपने दोस्त ट्रंप के लिए एक खास तोहफा लेकर पहुंचे। दरअसल, इजराइली पीएम ने डोनाल्ड ट्रंप को एक पत्र सौंपा, जो उनकी सरकार की ओर से नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया है। इस पत्र में डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रयासों को बताते हुए उनको नोबेल पीस प्राइज देने की सिफारिश की गई है।

गाजा में संघर्ष विराम की कोशिशों के बीच इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में डिनर पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ट्रंप को बताया कि उन्होंने नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप को नामित करने की सिफारिश की थी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया वही पत्र ट्रंप को भेंट भी किया।

ट्रंप को बताया नोबेल प्राइज का हकदार

इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने कहा कि मैं आपको नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया पत्र दिखाना चाहता हूं। इसमें आपको शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है, जिसके आप हकदार हैं। इस पर ट्रंप ने नेतन्याहू को धन्यवाद दिया। ट्रंप ने कहा- मुझे इस बारे में नहीं पता था, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यह बहुत सार्थक है।

पाकिस्तान भी कर चुका है ट्रंप के लिए नोबेल प्राइज की मांग

बता दें कि इस साल जनवरी में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू की अमेरिका की यह तीसरी यात्रा है। नेतन्याहू की इस यात्रा का मकसद गाजा में सीजफायर पर चर्चा करना है। इससे पहले पाकिस्तान की ओर से भी ट्रंप को नोबेल पुरस्कार दिए जाने की बात की गई थी। मुनीर ने हाल ही में अमेरिका के दौरे के बाद ट्रंप के लिए नोबेल की मांग उठाई थी।

फिर भारत-पाक संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश

इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम का श्रेय लेते दिखे। नेतन्याहू से उन्होंने कहा कि हमने बहुत सी लड़ाइयां रोकी हैं, इनमें सबसे बड़ी लड़ाई भारत और पाकिस्तान के बीच थी। हमने व्यापार के मुद्दे पर इसे रोका है। हम भारत और पाकिस्तान के साथ काम कर रहे हैं। हमने कहा था कि अगर आप लड़ने वाले हैं तो हम आपके साथ बिल्कुल भी काम नहीं करेंगे। वे शायद परमाणु स्तर पर जाकर जंग लड़ना चाहते थे। इसे रोकना वाकई महत्वपूर्ण था।

ट्रंप ने जापान-दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर लगाया नया टैरिफ, जवाबी कार्रवाई न करने की धमकी भी दी

#trumpannouncespotentialagreementamidstnewtariff 

ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त दस फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान एवं दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर नए टैरिफ (व्यापारिक दरों) का ऐलान कर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने इन दोनों देशों के साथ लगातार व्यापार असंतुलन का हवाला देते हुए यह शुल्क लगाया है। ट्रंप ने एक अगस्त से लागू होने वाले शुल्क की सूचना सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ' पर पोस्ट करके दी। 

14 देशों पर टैरिफ का ऐलान

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर 14 देशों को भेजे गए लेटर शेयर किए हैं। इनमें थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, जापान, मलेशिया, कजाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, लाओस, इंडोनेशिया, ट्यूनीशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, सर्बिया और कंबोडिया शामिल हैं।

नए टैरिफ के साथ चेतावनी भी जारी

ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, यह अन्य क्षेत्रीय टैरिफ से अलग होगा। अगर कोई देश ऊंचे टैरिफ से बचने के लिए माल को दूसरी जगह से भेजता है, तो उस देश पर भी ऊंचा टैरिफ लागू होगा। ट्रंप ने चेतावनी दी कि वह अपने आयात करों में वृद्धि करके जवाबी कार्रवाई न करें। ऐसा करने पर ट्रंप प्रशासन आयात करों में और वृद्धि कर देगा, जिससे जापान व द. कोरिया के ऑटो व इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है, जो चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में अमेरिका के दो अहम साझेदार हैं।

म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक टैरिफ

ट्रंप ने म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक 40 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान किया है, जबकि जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाया गया है। जापान और दक्षिण कोरिया अमेरिका के करीबी एशियाई सहयोगी हैं। ट्रंप ने उनके साथ लंबे समय से चले आ रहे व्यापार असंतुलन को 25% टैरिफ लगाने का कारण बताया। वहीं मलेशिया और कजाकिस्तान अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और औद्योगिक धातुओं का निर्यात करते हैं। उनपर भी 25% टैरिफ लगाया गया है। थाईलैंड और कंबोडिया पर 36% टैरिफ, बांग्लादेश और सर्बिया पर 35%, इंडोनेशिया पर 32%, दक्षिण अफ्रीका और बोस्निया पर 30% शुल्क लगाने का ऐलान किया गया है।

ब्रिक्स देशों को ट्रंप की चेतावनी, 10% अतिरिक्‍त टैरिफलगाने की धमकी, क्या भारत की बढ़ने वाली है परेशानी?

#americadonaldtrumpwarns10percenttariffonbrics_countries

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को धमकाने की कोशिश की है। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को बड़ी चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों की निंदा किए जाने के बाद ट्रंप ने नाराजगी जताते हुए ब्रिक्स देशों को चेताया।

यह बयान उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा किया। डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, ‘ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!’

अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हमले और टैरिफ की निंदा की

दरअसल, ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और व्यापार शुल्क (टैरिफ) की निंदा की। इजराइल की मध्य पूर्व में की जा रही सैन्य कार्रवाई की आलोचना की गई। सम्मेलन के पहले ब्रिक्स देशों ने अमेरिका पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ (शुल्क) से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है।

क्या भारत के लिए है बड़ा संदेश

हालांकि, ट्रंप ने इस बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि वह ‘अमेरिका विरोधी नीतियां’ किसे मानते हैं। यही कारण है कि इसके व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। हालांकि उन्होंने जिस अपवाद की बात की है वह सीधे तौर पर भारत है। खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो ब्रिक्स का हिस्सा भी हैं और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहे हैं।

भारत के लिए बड़ी चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को 'एंटी अमेरिका' मानते हैं और उन्हें डर है कि ब्रिक्स देश डॉलर के खिलाफ नई करेंसी जारी कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में भारत के लिए यह स्थिति काफी ज्यादा संवेदनशील और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि वह अमेरिका का करीबी सहयोगी भी है और ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी। ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत के लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है। इसका असर भारत-अमेरिका कारोबार पर भी पड़ता है। अब जब वे खुलेआम अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दे रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि भारत जैसे देश इस आर्थिक दबाव से कैसे निपटेंगे?

भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका में

ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, बाद में दक्षिण अफ्रीका और 2023 में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश भी इस समूह में शामिल हो गए। ब्रिक्स के भीतर भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका भी निभा रहा है। भारत ने हमेशा इस मंच का उपयोग बहुपक्षीयता, वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने और विकासशील देशों के लिए समावेशी व्यवस्था की मांग करने के लिए किया है। हालांकि, चीन और रूस जैसे देशों के कारण ब्रिक्स पर "पश्चिम विरोधी" छवि भी चिपक गई है।

ईरान ने ट्रंप और नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया फतवा, कहा-ये अल्लाह के दुश्मन हैं

#iran_issued_fatwa_against_trump_and_netanyahu 

इजराइल और अमेरिका में जारी तनाव के बीच ईरान के टॉप शिया मौलवी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ फतवा जारी किया है और उन्हें अल्लाह का दुश्मन कहा है। ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नसेर माकारेम शिराजी के फतवे में दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट होने और इस्लामी गणतंत्र नेतृत्व को धमकी देने वाले अमेरिकी और इजरायली नेताओं को गिराने का आह्वान किया गया।

ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नासर मकरम शिराजी की ओर से जारी फतवे में कहा गया है कि कोई व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा (इस्लामी वरिष्ठ विद्वान) को धमकी देता है,उसे सरदार या मोहरेब माना जाता है। ईरानी कानून के मुताबिक मोहरेब वह व्यक्ति होता है जो ईश्वर के खिलाफ युद्ध शुरू करता है और ऐसे व्यक्ति को मौत, सूली पर चढ़ाने, अंग काटने और निर्वासित किए जाने का प्रावधान है।  

यह धार्मिक फतवा 13 जून को शुरू हुए 12 दिवसीय युद्ध के रुकने के बाद आया है। 13 जून को इजरायल ने ईरान में बमबारी अभियान शुरू किया जिसमें शीर्ष सैन्य कमांडर और उसके परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक मारे गए। ईरान ने इसके जवाब में ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 शुरू किया और इजराइल के बुनियादी ढांचे के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले किए। फिर अमेरिका ने भी दोनों के युद्ध में एंट्री ली और ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर सटीक हमले किए। जिसके बाद ट्रंप ने ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा की।

भारत-अमेरिका के बीच बड़ी ट्रेड डील की उम्मीद, ट्रंप ने दिए संकेत, जानें क्या कहा?

#donaldtrumpussaysdealwithindiawillfollow_soon

भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक 'बड़ी' ट्रेड डील होने वाली है। इस बात के संकेत खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिए हैं।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में हुए 'बिग ब्यूटीफुल बिल' इवेंट में बताया कि अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ व्यापार समझौता किया है और अब भारत के साथ भी ऐसा ही कुछ बड़ा होने वाला है।

हर कोई एक डील करना चाहता है-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी स्पीच में कहा, हर कोई एक डील करना चाहता है और उसका हिस्सा होना चाहता है। कुछ को हम बस एक चिट्ठी भेजेंगे, जिसमें लिखा होगा, बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको 25, 35, 45 फीसदी देना होगा।

हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे-ट्रंप

हमने कल ही चीन के साथ एक डील पर हस्ताक्षर किए हैं। हम कुछ बड़े समझौते कर रहे हैं। इसी के बाद हम एक डील शायद भारत के साथ कर रहे हैं। इस डील के बारे में बात करते हुए ट्रंप ने कहा, हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे हैं।

हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे-ट्रंप

ट्रंप ने कहा हम भारत के दरवाजे खोलने जा रहे हैं। ये वे चीजें हैं जो पहले कभी संभव नहीं थीं। इसी के साथ ट्रंप ने आगे कहा, किसी भी दूसरे देश के साथ डील नहीं की जाएगी। हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे हैं

लगातार मिल रहे बड़ी डील के संकेत

इस महीने की शुरुआत में, यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में बोलते हुए, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है. उन्होंने कहा था, मुझे लगता है कि हम इसके बहुत करीब आ गए हैं और आपको आने वाले भविष्य में अमेरिका और भारत के बीच एक समझौते की उम्मीद करनी चाहिए। वहीं, 10 जून को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका एक निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।

अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

अमेरिका जहां यह समझौता जल्‍द से जल्‍द करने के मूड में है, वहीं भारत किसी तरह की हड़बड़ी में नहीं है और साफ कर दिया है कि वह अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। 26% टैरिफ के संभावित खतरे के बावजूद भारत किसी भी हालत में झुकने के मूड में नहीं है। टैरिफ के लिए ट्रंप द्वारा रखी गई डेडलाइन 9 जुलाई को समाप्‍त हो जाएगी।

इजराइल-ईरान के बीच सीजफायर! डोनाल्ड ट्रंप ने किया ऐलान, खामेनेई का अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे से इनकार

#iranisraelceasefireagreeddonaldtrumpannounced

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से जारी युद्ध को खत्म कराने का दावा कर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘पूर्ण सीजफायर’ की करते हुए इसे ‘12 डे वॉर’ का अंत बताया। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। इनमें उन्होंने यह भी बताया कि यह संघर्ष विराम कैसे हुआ और क्यों इसका एलान ट्रंप ने किया। ट्रंप के इस ऐलान पर इजरायल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है। धर ईरानी सुप्रीम लीडर ने कहा है कि ईरान सरेंडर करने वाला मुल्क नहीं।

ट्रंप ने क्या कहा?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि सभी को बधाई! इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से सहमति बन गई है। इजराइल और ईरान 24 घंटे में युद्ध विराम करने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि युद्ध विराम से युद्ध का आधिकारिक अंत होगा, जो कि तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद शत्रुता में एक बड़ा बदलाव है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि मैं दोनों देशों, इजराइल और ईरान को बधाई देना चाहूंगा कि उनके पास वह सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता है।

ईरान आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं- खामेनेई

अयातुल्लाह खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, जो ईरानी लोगों और उनके इतिहास को जानते हैं, वे जानते हैं कि ईरानी राष्ट्र आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं है।

इजराइल हमले बंद करता है तो ईरान भी शांत बैठेगा-अराघची

वहीं, ईरान के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि अगर इस्राइल स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजे तक अपने हवाई हमले बंद कर देता है तो तेहरान भी अपने हमले बंद कर देगा।अराघची ने तेहरान समयानुसार सुबह 4:16 बजे सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपना संदेश भेजा। अराघची ने लिखा, 'अभी तक किसी भी युद्ध विराम या सैन्य अभियानों को रोककने पर कोई समझौता नहीं हुआ है। हालांकि, बशर्ते कि इस्राइली शासन ईरानी लोगों के खिलाफ अपने अवैध आक्रमण को तेहरान समय के अनुसार सुबह 4 बजे से पहले बंद कर दे, उसके बाद हमारा जवाबी कार्रवाई जारी रखने का कोई इरादा नहीं है। अराघची ने कहा कि हमारे सैन्य अभियानों को रोकने पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।