“यूके नागरिक मदरसा शिक्षक के वेतन में नियमविरुद्ध बढ़ोतरी, यूपी अधिकारियों पर शिकंजा!”
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों की बड़ी अनियमितता का मामला सामने आया है। ब्रिटेन में रहने वाले आजमगढ़ के मदरसा शिक्षक शमशुल हुदा खां के वेतन, पेंशन और अन्य भुगतानों में नियमों के उल्लंघन के आरोपों के चलते तीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (डीएमओ) जांच के घेरे में हैं।ये अधिकारी अलग-अलग समय पर आजमगढ़ में तैनात रहे और वर्तमान में क्रमशः बरेली, अमेठी और गाजियाबाद में डीएमओ के पद पर कार्यरत हैं। शासन को इस संबंध में रिपोर्ट भेज दी गई है। मामले की जांच यूपी एटीएस कर रही है, जिसने कई महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किए हैं।

शमशुल 1984 में मदरसा में आलिया पद पर नियुक्त थे

सूत्रों के अनुसार जांच में पाया गया कि शमशुल हुदा खां 12 जुलाई 1984 को मदरसा दारूल उलूम अहले, सुन्नत मदरसा अशरफिया मुबारकपुर (आजमगढ़) में सहायक अध्यापक (आलिया) के पद पर नियुक्त हुए थे। इसके बाद 2007 से वह ब्रिटेन में रहने लगे और 19 दिसंबर 2013 को ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली।जांच में यह भी सामने आया कि 2007 से 2017 तक अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने उनकी सेवा पुस्तिका की जांच किए बिना प्रति वर्ष वेतन वृद्धि जारी रखी, और 1 अगस्त 2017 को उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान कर पेंशन भी स्वीकृत कर दी। एटीएस ने बताया कि शमशुल हुदा खां ब्रिटिश नागरिकता लेने के बाद विभिन्न देशों में यात्रा करते हुए इस्लाम धर्म का प्रचार कर रहे हैं।

जीपीएफ भुगतान पर हरस्ताक्षर करने वाले अधिकारी भी जांच के दायरे में

यूपी एटीएस ने मामले में पाया कि शमशुल के वेतन, चिकित्सा अवकाश और अन्य भुगतानों के लिए मदरसे के प्रबंधक और प्रधानाचार्य के साथ-साथ आजमगढ़ के तत्कालीन डीएमओ लालमन, प्रभात कुमार और साहित्य निकत सिंह जिम्मेदार हैं। इस पर कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।साथ ही, शमशुल की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति फाइल और जीपीएफ भुगतान पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लिया गया है। फिलहाल, इन अधिकारियों के खिलाफ अधिकारिक कार्रवाई के परिणाम स्पष्ट नहीं हुए हैं, इसलिए उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।इस मामले ने यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में लंबे समय से चल रही नियमावली उल्लंघन और जवाबदेही के सवाल को फिर से उजागर कर दिया है।
दिल्ली ब्लास्ट में फंसी डॉ. शाहीन : जैश-ए-मोहम्मद से 10 साल का खतरनाक कनेक्शन और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की रहस्यमयी गतिविधियां भी उजागर
लखनऊ । दिल्ली ब्लास्ट के एक सनसनीखेज मामले में लखनऊ की डॉ. शाहीन ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। सिर्फ एक गायब डॉक्टर का मामला नहीं, बल्कि 10 साल से पाक समर्थित जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क में सक्रिय शाहीन अब अंतरराष्ट्रीय संपर्क और संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के गहरे रहस्यों के केंद्र में हैं।

सात बैंक खाते, लेनदेन पर एजेंसियों की नजर

सुरक्षा एजेंसियों को डॉ. शाहीन के सात बैंक खातों का पता चला है कानपुर में तीन, लखनऊ में दो और दिल्ली में दो। इन खातों में हुए लेनदेन की जानकारी जुटाई जा रही है। एजेंसियां मानती हैं कि खातों में लेनदेन करने वालों का पता चलने पर बड़ा खुलासा हो सकता है।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से गायब होने की कहानी

डॉ. शाहीन ने जनवरी से अक्टूबर 2025 तक कितनी बार मेडिकल कॉलेज का दौरा किया, किससे मुलाकात की, कहां रुकी सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है। वह सामान्य महिला फैकल्टी की तरह काम करती थी, छुट्टियां कम लेती और बच्चा लेकर अस्पताल आती। दिसंबर 2013 में उसने अचानक एचओडी का कार्यभार सहयोगी को सौंप दिया और लौटकर नहीं आई। लगातार नोटिस और पत्राचार के बाद भी जवाब नहीं मिला। 2016 में उसके पंजीकृत पते पर कर्मचारी भेजे गए, लेकिन पता गलत निकला। अंततः 2021 में उसे बर्खास्त कर दिया गया।

डा. शाहीने के साथी डॉक्टर भी लापता

डॉ. शाहीन अकेली नहीं थी। मेडिकल कॉलेज से कुल सात डॉक्टर लापता हो गए थे, जिनमें फिजियोलॉजी, एनाटॉमी, मेडिसिन और सर्जरी विभाग के डॉक्टर शामिल हैं। सभी को नोटिस देने के बाद बर्खास्त किया गया था। एजेंसियां अब उनकी वर्तमान लोकेशन, कॉलेज में व्यवहार और बर्खास्तगी से जुड़े रिकॉर्ड खंगाल रही हैं।

भाई डॉ. परवेज कानपुर शहर में नेटवर्क फैलाने की कोशिश में थे

एजेंसियों के अनुसार, शाहीन लंबे समय तक कानपुर और आसपास रही। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठन के संपर्क में रही और कई देशों में इस्लाम धर्म का प्रचार कर रही है। उसके भाई डॉ. परवेज कानपुर में सक्रिय रहे और शहर में नेटवर्क फैलाने की कोशिश में थे। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि डॉ. परवेज कब-कब शहर आया और किन लोगों से संपर्क में रहा।

स्वास्थ्य शिविर चलाने वाले एनजीओ का भी सत्यापन शुरू

शाहीन के नेटवर्क का पता लगाने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर चलाने वाले एनजीओ का भी सत्यापन शुरू किया गया है। इन एनजीओ को मिलने वाली फंडिंग, खातों के लेनदेन और अन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा शहर में आने वाले 31 कश्मीरी व्यापारी जो संवेदनशील इलाकों में कमरे किराये पर लेकर रहते हैं, उनका भी सत्यापन किया जा रहा है।

यह पूरा मामला केवल दिल्ली बम धमाके तक सीमित नहीं

एजेंसियों का मानना है कि डॉ. शाहीन का मामला केवल दिल्ली बम धमाके तक सीमित नहीं है। उसके संपर्क और वित्तीय लेनदेन के पीछे व्यापक नेटवर्क सामने आ सकता है। कानपुर और लखनऊ के बैंक खातों से जुड़े हर छोटे-से-छोटे ट्रांज़ैक्शन पर नजर रखी जा रही है, ताकि संगठन से जुड़े लोगों की पहचान की जा सके। इस सनसनीखेज मामले ने अब तक के मेडिकल कॉलेज इतिहास और सुरक्षा एजेंसियों की जांच में एक नई दिशा दे दी है।

डॉ. शाहीन के 10 साल से जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी होने का खुलासा

बता दें कि 10 नवंबर को लाल किला के पास हुए ब्लास्ट मामले में नाम आने वाली लखनऊ की डॉ. शाहीन शाहिद पर अब तक की जांच में सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) सूत्रों का कहना है कि डॉ. शाहीन लगभग 10 साल से पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी हुई थी। सूत्रों के अनुसार, शाहीन ने 2015 में जैश-ए-मोहम्मद से संपर्क किया और पहले एक साल तक संगठन को संवेदनशील सूचनाएं भेजने का काम किया। 2016 में वह संगठन की सक्रिय सदस्य बन गई। इसके बाद से वह लगातार संगठन के नेटवर्क में रही और एजेंसियों के लिए चुनौती बनी।

पिछले 10 वर्षों में डॉ. शाहीन कहां-कहां रही, इस पता लगाने में जुटीं एजेंसियां

सुरक्षा एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि पिछले 10 वर्षों में डॉ. शाहीन कहां-कहां रही, किन लोगों से संपर्क में आई और उसके नेटवर्क में कौन-कौन शामिल रहा। एजेंसियां उसके बैंक लेनदेन, संपर्क और वित्तीय सहयोगियों की भी गहन जांच कर रही हैं।डॉ. शाहीन का नाम दिल्ली में हुए ब्लास्ट मामले में आने के बाद उसकी गतिविधियों की गहन पड़ताल शुरू की गई है। एजेंसियों का मानना है कि संगठन के लिए उसकी भूमिका केवल जानकारी पहुंचाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि उसने सक्रिय रूप से संगठन के लिए सहयोग और नेटवर्क फैलाने में मदद की।NIA और अन्य सुरक्षा एजेंसियां डॉ. शाहीन के पूरे नेटवर्क को पकड़ने और उसके सहयोगियों की पहचान करने के लिए संवेदनशील खुफिया जांच कर रही हैं।
पेट्रोल पंपों पर नकली और मिलावटी तेज सप्लाई करने वाले गैंग का भंडाफोड़
लखनऊ । उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने 14 नवंबर 2025 को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पेट्रोल पंपों पर नकली और मिलावटी पेट्रोल-डीजल सप्लाई करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। कार्रवाई में टीम ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया और 8 हजार लीटर मिलावटी पेट्रोल से भरा टैंकर बरामद किया। गिरफ्तार आरोपी का नाम पवन गिरी, निवासी बुलंदशहर, सद्दाम, निवासी बुलंदशहर, चन्द्रविजय, निवासी फिरोजाबाद, सर्वेश कुमार, निवासी बदायूं, कन्हैया लाल, निवासी अलीगढ़ है। इनके कब्जे से 8,000 लीटर मिलावटी पेट्रोल से भरा टैंकर (UP15CT-3530), मोटा प्लास्टिक पाइप, डीप रॉड, 56,100 नकद बरामद किया है।

कई जिलों में की जा रही थी नकली पेट्रोल-डीजल की सप्लाई

पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने सरकार से शिकायत की थी कि कई जिलों में पेट्रोल पंपों पर नकली पेट्रोल-डीजल की सप्लाई की जा रही है। शिकायत मिलने के बाद एसटीएफ नोएडा की टीम ने जांच शुरू की।जांच के दौरान एसटीएफ को पता चला कि एक टैंकर मिलावटी पेट्रोल लेकर फिरोजाबाद के चन्द्रा फिलिंग स्टेशन पर आने वाला है। टीम ने खाद्य विभाग और थाना एका पुलिस के साथ मिलकर छापा मारा और मौके से दो लोगों को पकड़ लिया।

फिलिंग स्टेशन भी अवैध निकला

पूछताछ में पता चला कि यह मिलावटी तेल अलीगढ़ की पराग पेंट्स एंड केमिकल फैक्ट्री से लाया गया था। इसके बाद एसटीएफ ने फैक्ट्री पर छापा मारा और वहां से दो और लोगों को हिरासत में लिया। बाद में सभी पांचों को एक साथ गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में पवन गिरी ने बताया कि वह पहले पेट्रोल पंप पर सेल्समैन था। बाद में उसने अवैध तरीके से मिलावटी पेट्रोल-डीजल का कारोबार शुरू कर दिया। वह कन्हैया लाल की फैक्ट्री से सस्ता मिलावटी पेट्रोल लेकर अलग-अलग पेट्रोल पंपों को बेचता था।जांच में यह भी पता चला कि चन्द्रा फिलिंग स्टेशन बिना लाइसेंस चल रहा था और पिछले चार महीनों से यहां मिलावटी पेट्रोल अवैध रूप से बेचा जा रहा था।
IAS आमोद कुमार का VRS मंजूर, 2031 में होना था रिटायरमेंट
लखनऊ ।1995 बैच के IAS अधिकारी आमोद कुमार का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) सरकार ने मंजूर कर लिया है। केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद उन्होंने कार्मिक एवं नियुक्ति विभाग में अपनी ज्वाइनिंग भी दे दी थी। उनका नियमित सेवानिवृत्ति वर्ष 2031 में निर्धारित था, लेकिन व्यक्तिगत कारणों के चलते उन्होंने समय से पहले ही सेवा से VRS लेने का निर्णय लिया। सरकार ने उनके आवेदन पर स्वीकृति प्रदान कर दी है।
मिशन निदेशक  पुलकित खरे की अध्यक्षता में #IndiaSkillsCompetition 2025 की तैयारियों पर वर्चुअल बैठक संपन्न
* जनपद स्तरीय प्रतियोगिता 15 से 25 के मध्य और मंडल स्तरीय प्रतियोगिता 1 से 10 दिसंबर के बीच होगी आयोजित

लखनऊ। लखनऊ स्थित कौशल विकास मिशन मुख्यालय में  मिशन निदेशक  पुलकित खरे की अध्यक्षता में #IndiaSkillsCompetition2025 की तैयारियों के संबंध में सभी जनपदों के कौशल विकास मिशन संयुक्त निदेशकों एवं जिला समन्वयकों के साथ एक महत्वपूर्ण वर्चुअल बैठक आयोजित की गई।

मिशन निदेशक  ने अवगत कराया कि प्रतियोगिता का प्रथम चरण जनपद स्तरीय होगा, जिसके लिए प्रदेशभर से युवाओं द्वारा अभूतपूर्व पंजीकरण प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि यह प्रतियोगिता चयनित 20 कौशलों में आयोजित की जाएगी, जिसके लिए 18 मंडलों से 5–6 प्रमुख विधाएँ चिन्हित की गई हैं। जनपद स्तरीय प्रतियोगिता 15 से 25 तारीख के मध्य नोडल ITI में आयोजित होगी। इसके सफल संचालन हेतु प्रत्येक जनपद में संयुक्त निदेशक एवं नोडल प्रिंसिपल की द्विसदस्यीय समिति गठित की गई है।

बैठक में यह निर्देश दिया गया कि प्रतियोगिता में न्यूनतम 90% प्रतिभागियों की उपस्थिति अनिवार्य रहेगी तथा सभी पंजीकृत अभ्यर्थियों को समय पर सूचित करने के निर्देश प्रदान किए गए, ताकि अधिकतम सहभागिता सुनिश्चित हो सके।

जनपद स्तरीय प्रतियोगिता के उपरांत प्रत्येक जनपद से 10 चयनित प्रतिभागियों के नाम उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन मुख्यालय को प्रेषित किए जाएंगे। ये चयनित प्रतिभागी 1 दिसंबर से 10 दिसंबर के मध्य आयोजित होने वाली मंडल स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग करेंगे। मंडल स्तर पर मूल्यांकन हेतु संयुक्त निदेशक एवं इंडस्ट्री विशेषज्ञों की 2–3 सदस्यीय समिति बनाई जाएगी, जिनकी सूची अनुमोदन हेतु मिशन मुख्यालय को भेजी जाएगी। अनुमोदन उपरांत संबंधित विधाओं के लिए सील्ड पैक प्रश्नपत्र मिशन द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके बाद राज्य स्तरीय प्रतियोगिता हेतु प्रत्येक विधा से न्यूनतम पाँच चयनित अभ्यर्थियों की अवरोही क्रम में सूची मिशन मुख्यालय भेजना अनिवार्य होगा।

बैठक के अंत में, मिशन निदेशक  ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि सम्पूर्ण प्रतियोगिता प्रक्रिया पूर्णतः निष्पक्ष, पारदर्शी एवं अवसर-समानता के सिद्धांतों पर आधारित हो तथा प्रत्येक पंजीकृत उम्मीदवार को प्रतिभाग का पर्याप्त अवसर प्रदान किया जाए।
बैठक में मिशन के संयुक्त निदेशक मयंक गंगवार एवं मिशन के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
महिला पंचायतों के विकास मॉडल को मिली गति: राज्य स्तरीय कार्यशाला में PAI 2.0 का त्रैमासिक मूल्यांकन


लखनऊ।  ग्राम पंचायतों में महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को सशक्त बनाने और विकास योजनाओं को डेटा आधारित बनाने के उद्देश्य से पंचायती राज निदेशालय, अलीगंज लखनऊ में एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक पंचायती राज श्री अमित कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर उपनिदेशक (पं.) श्री मनीष कुमार, यूनिसेफ की प्रतिनिधि श्रीमती पियूष एंटोनी तथा चयनित महिला ग्राम प्रधान उपस्थित रहीं।

कार्यशाला में पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स (PAI) 2.0 के अंतर्गत महिला हितैषी थीम पर आधारित 35 प्रमुख इंडिकेटर और 64 यूनिक डेटा पॉइंट के आधार पर ग्राम पंचायतों की प्रगति का विस्तृत त्रैमासिक मूल्यांकन प्रस्तुत किया गया। राज्य की 75 चयनित महिला हितैषी ग्राम पंचायतों का ऑनलाइन बेसलाइन डेटा पोर्टल पर फ्रीज कर दिया गया है, जिसके आधार पर प्रगति की समीक्षा की गई।

सभी 75 जनपदों से आए महिला हितैषी ग्राम पंचायतों के प्रधान एवं सचिवों ने सक्रिय भागीदारी दर्ज की। यह सभी पंचायतें भारत सरकार के पोर्टल पर अधतन हैं तथा द्वितीय त्रैमासिक डेटा 20 नवंबर 2025 तक अपडेट किया जाएगा।

निदेशक श्री अमित कुमार सिंह ने कहा कि आर्थिक रूप से सुदृढ़ ग्राम पंचायतें ही महिलाओं की भागीदारी को वास्तविक रूप से बढ़ा सकती हैं। उन्होंने महिला सभाओं को पंचायतों में अनिवार्य रूप से आयोजित करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे जागरूकता बढ़ेगी और महिलाओं की विचारधारा पंचायत योजनाओं में प्रभावी रूप से शामिल हो सकेगी।

उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला बेहतर बेंचमार्क तय करने, गुणवत्ता सुधार और पंचायत स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। निदेशक ने सभी प्रधानों और सचिवों की सक्रिय भागीदारी की सराहना भी की।
योगी सरकार ने स्वामी शुकदेवानन्द विश्वविद्यालय की स्थापना को दी मंज़ूरी

* मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट की इकाइयों का उच्चीकरण, शाहजहांपुर को मिला नया राज्य विश्वविद्यालय

लखनऊ । लखनऊ स्थित लोकभवन में शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में उच्च शिक्षा से जुड़ा महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव के अनुसार मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट के अंतर्गत संचालित शैक्षणिक इकाइयों को उच्चीकृत करते हुए स्वामी शुकदेवानन्द विश्वविद्यालय, शाहजहांपुर के रूप में एक नए राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।

उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि योगी सरकार प्रदेश में उच्च शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण, सुलभ और सशक्त बनाने के उद्देश्य से लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, जिनमें यह निर्णय एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973, जो कि उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-29 सन् 1974 द्वारा पुनः अधिनियमित तथा संशोधित है, उसी के अंतर्गत संशोधन करते हुए नए विश्वविद्यालय की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया गया है। उन्होंने बताया कि मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती द्वारा ट्रस्ट की समस्त चल-अचल परिसम्पत्तियों को निःशुल्क राज्य सरकार को हस्तांतरित किया गया है, जिससे विश्वविद्यालय की स्थापना का आधार मजबूत हुआ है।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि योगी सरकार का लक्ष्य प्रदेश को शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार का अग्रणी केंद्र बनाना है, और यह विश्वविद्यालय उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। स्वामी शुकदेवानन्द विश्वविद्यालय की स्थापना से शाहजहांपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के नए अवसर खुलेंगे तथा शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा। प्रदेश के युवाओं को अत्याधुनिक शैक्षिक सुविधाओं, अनुसंधान संसाधनों एवं नवाचार आधारित शिक्षण वातावरण का लाभ मिलेगा।

इस कार्य हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा-4, धारा-50 एवं धारा-52 तथा संबंधित अनुसूची में संशोधन प्रस्तावित है, जिसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2025 के प्रख्यापन का निर्णय लिया गया है।
उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड की खास पहल
बाल दिवस के अवसर पर स्कूली छात्रों को करा रहा विस्टाडोम से सफर

बच्चों को प्रकृति और ग्रामीण जीवन से जोड़ना हमारी प्राथमिकता : जयवीर सिंह


लखनऊ। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग बाल दिवस के अवसर पर बच्चों को प्रकृति और संस्कृति से जोड़ने की पहल की है। ग्रामीण पर्यटन और इको-टूरिज्म को एक सूत्र में पिरोते हुए विभाग ने विद्यार्थियों को ग्रामीण जीवनशैली, स्थानीय व्यंजन और वन्य जीवों एवं प्रकृति से सीधा जुड़ने का अवसर प्रदान कर रहा है। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि पर्यटन विभाग ईको टूरिज्म, युवा पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन और रिस्पांसिबल टूरिज्म की अवधारणा को में लेकर आगे बढ़ रहा है। ये बच्चे ही भविष्य के ब्रांड एम्बेसडर हैं, जो आने वाले समय में पर्यटन को विस्तार देने में अहम भूमिका निभायेंगें।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड बाल दिवस पर विद्यार्थियों को प्रकृति के सबसे करीब ले जाने वाला एक अनोखा अनुभव देने जा रहा है। लखनऊ के गवर्नमेंट इंटर जुबिली कॉलेज के लगभग 30 छात्र-छात्राएं दुधवा की प्रसिद्ध ‘विस्टाडोम ट्रेन सफारी’ का अनुभव करेंगे। बिछिया से शुरू होने वाली यह विशेष यात्रा उन्हें तराई के घने जंगलों, घास के मैदानों और वेटलैंड्स के बीच से होकर मैलानी तक ले जाएगी, जहां हर मोड़ पर प्रकृति का मंत्रमुग्ध कर देने वाला सौंदर्य उनका स्वागत करेगा। सामान्यतः शनिवार और रविवार को संचालित होने वाली विस्टाडोम सेवा के अनुरूप यह भ्रमण कल 15 नवंबर को आयोजित किया जा रहा है।

मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि युवाओं को पर्यटन से जोड़ने के उद्देश्य से राज्य के सभी जिलों में ‘युवा पर्यटन क्लब’ स्थापित किए गए हैं। अब तक 1,500 से अधिक क्लब बनाए जा चुके हैं, जिनसे 30,000 से ज्यादा विद्यार्थी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। कक्षा 6 से 12 तक के छात्र इन क्लबों का हिस्सा हैं और समय-समय पर ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड द्वारा उन्हें प्रदेश के प्रमुख जंगलों, पक्षी विहारों और प्राकृतिक धरोहरों का भ्रमण कराया जाता है। इसी क्रम में इस बार विद्यार्थियों को विस्टाडोम ट्रेन से दुधवा के आसपास के जंगलों की समृद्ध जैव विविधता को देखने का अवसर मिलेगा।

बाल दिवस के अवसर पर प्रयागराज में एस.के. कॉन्वेंट पब्लिक स्कूल के 40 छात्रों का दल दो शिक्षक समन्वयकों के साथ श्रृंगवेरपुर के शैक्षिक दौरे पर पहुंचा। छात्रों ने ऐतिहासिक श्रृंगी मंदिर, श्री राम घाट, श्री राम शयन स्थल का भ्रमण और नौकायन किया। वहां की आध्यात्मिकता और इतिहास की महत्ता को अनुभव किया। स्कूली बच्चों ने निषादराज किला व निषादराज उद्यान की भव्यता को करीब से देखा। ऐतिहासिकता को जाना और समझा। छात्रों ने स्थानीय खेल गतिविधियों में भी हिस्सा लिया और ग्रामीण होमस्टे में पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखा। बच्चों ने बताया कि उनका अनुभव अविस्मरणीय रहा।

वहीं उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने ग्रामीण पर्यटन के तहत विकसित किए गए ईको-सिस्टम के अध्ययन हेतु सुल्तानपुर के कादीपुर स्थित त्रिभुवन एकेडमी के लगभग 75 छात्र नंदगांव पहुंचे। छात्रों ने स्थानीय पारंपरिक वास्तुकला, कृषि-आधारित ग्रामीण जीवनशैली तथा औषधीय एवं स्थानीय पौधों की विभिन्न प्रजातियों का नज़दीक से अवलोकन किया। इस दौरान बच्चों ने अपने अनुभवों को विस्तृत नोट्स के रूप में दर्ज किया। स्कूली छात्रों ने बताया कि पर्यटन विभाग की पहल ने उन्हें गांवों की जीवन-शैली, स्थानीय संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों की गहन व व्यवहारिक समझ प्रदान की।
बिहार जीत से आगामी चुनाव में कार्यकर्ताओं में दोगुना उत्साह: अक्षय मौर्य

लखनऊ। बिहार चुनाव में एनडीए की जीत के बाद उत्तर प्रदेश समेत देश भर में भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह दोगुना हो गया है। यह बात आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के चिनहट ग्रामीण मंडल अध्यक्ष अक्षय मौर्य ने कही। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की बिहार जीत पर जात-पात की राजनीति करने वालों की हार हुई है और सुशासन की जीत। मंडल अध्यक्ष ने राजधानी लखनऊ के चिनहट क्षेत्र स्थित अपने मंडल कार्यालय पर पत्रकारों से कहा कि बीजेपी की बिहार में हुई प्रचंड जीत आने वाले चुनाव के लिए संजीवनी साबित होगी। उन्होंने कहा कि यह जीत प्रत्येक बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की जीत है। मंडल अध्यक्ष अक्षय मौर्य ने समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और अन्य पार्टियों को बाल दिवस की शुभकामनाएं दी। मंडल अध्यक्ष ग्रामीण अक्षय मौर्य द्वारा भारतीय जनता पार्टी की बिहार में हुई प्रचंड जीत पर मंडल कार्यालय पर मिठाई बांट कर खुशी का इजहार किया। इस अवसर पर भाजपा के कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
सहारनपुर में फेन्सेडिल तस्करी का बड़ा खुलासा, चार आरोपी गिरफ्तार

लखनऊ । उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने  फेन्सेडिल कफ सिरप और कोडीन युक्त अन्य दवाओं के अवैध भंडारण और नशे के उद्देश्य से बिक्री करने वाले चार आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है। यह कार्रवाई सहारनपुर में की गई और गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से भारी मात्रा में अवैध सामग्री और दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम व बरामद सामान

गिरफ्तार अभियुक्तों का नाम विभोर राणा, पुत्र गण गजराज सिंह, निवासी 2सी-3926ए, नियर गन्ना भवन, शास्त्री नगर, थाना सदर बाजार, सहारनपुर, विशाल सिंह, पुत्र गण गजराज सिंह, निवासी 2सी-3926ए, नियर गन्ना भवन, शास्त्री नगर, थाना सदर बाजार, सहारनपुर, बिट्टू कुमार, पुत्र स्व. हरदेवा, निवासी 49 अनमोल विहार कॉलोनी, शिव मंदिर के पास, थाना सदर बाजार, सहारनपुर; स्थाई पता: ग्राम अब्दुल्ला नगर, पो० बनहेड़ा, थाना देवबंद, सचिन कुमार, पुत्र स्व. हरदेवा, निवासी 49 अनमोल विहार कॉलोनी, शिव मंदिर के पास, थाना सदर बाजार, सहारनपुर; स्थाई पता: ग्राम अब्दुल्ला नगर, पो० बनहेड़ा, थाना देवबंद, गिरफ्तारी के दौरान अभियुक्तों के पास दो पिस्टल, दस कारतूस, चार मोबाइल फोन और भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक व भौतिक दस्तावेज बरामद किए गए।

कफ सिरप के लंबे समय से भंडारण की मिल रही थी सूचना

एसटीएफ को लंबे समय से जानकारी मिल रही थी कि फेन्सेडिल कफ सिरप और कोडीन युक्त दवाओं का अवैध भंडारण और व्यापार किया जा रहा है। यह दवाएं नशे के रूप में इस्तेमाल के लिए भेजी जा रही थीं और इनके खरीदार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक फैले हुए थे।उत्तर प्रदेश शासन के पत्र के अनुसार एसटीएफ और खाद्य एवं औषधि प्रसाधन विभाग की संयुक्त जांच समिति बनाई गई थी। जांच के दौरान लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में भारी मात्रा में अवैध फेन्सेडिल बरामद की गई थी और मुकदमा पंजीकृत किया गया।

बांग्लादेश में नशे के रूप में इस दवा का खूब होता है इस्तेमाल

एसटीएफ ने गिरफ्तार अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की। पूछताछ के दौरान विभोर राणा और विशाल सिंह ने बताया कि वर्ष 2018 में उन्होंने जी.आर. ट्रेडिंग, सहारनपुर नामक फर्म बनाई और एबॉट कंपनी से फेन्सेडिल कफ सिरप की सुपर डिस्ट्रीब्यूशनशिप ली। उनका दावा था कि यह दवा बांग्लादेश में नशे के रूप में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती है।अभियुक्तों ने कहा कि अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से उन्होंने परिचितों के नाम पर ड्रग लाइसेंस बनवाए और फर्जी फर्मों के जरिए खरीद-फरोख्त को केवल कागजों में दिखाया। वास्तविक दवा को नशे के लिए इस्तेमाल करने वाले तस्करों को बेचा जाता था।

सचिन कुमार को हरिद्वार, उत्तराखंड में सुपर डिस्ट्रीब्यूटर बनाया

उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2021 में जौनपुर, बनारस और मालदा में कई जगह एसटीएफ और एनसीबी ने माल पकड़ा, जिसके बाद उनकी फर्म और फर्जी फर्म सचिन मेडिकोस का नाम विभिन्न नोटिसों में आया। वर्ष 2022 में एनसीबी वेस्ट बंगाल द्वारा विभोर राणा को गिरफ्तार किया गया था।फिर उन्होंने फर्म मारुति मेडिकोज बनाई और सचिन कुमार को हरिद्वार, उत्तराखंड में सुपर डिस्ट्रीब्यूटर बनाया। इसके माध्यम से फेन्सेडिल की तस्करी जारी रही। उनके अन्य सहयोगियों में अभिषेक शर्मा, शुभम शर्मा, संदीप शर्मा, दीपक राणा, संजय शर्मा और सी.ए. अरुण सिंघल शामिल थे।

जांच का दायरा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक बढ़ा

पूछताछ में यह भी सामने आया कि विभोर राणा और विशाल सिंह ने फेन्सेडिल तस्करी से लगभग 200 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की। उनका यह कारोबार वर्षों तक चलता रहा और इसके लिए उन्होंने कई फर्जी फर्में बनाई।चारों गिरफ्तार आरोपियों को मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट, सहारनपुर के सामने पेश किया गया और ट्रांजिट डिमांड प्राप्त की गई। लखनऊ में उन्हें पहले से पंजीकृत मुकदमा  के तहत अग्रिम कार्रवाई के लिए लाया जाएगा।एसटीएफ की टीम, अपर पुलिस अधीक्षक  लाल प्रताप सिंह के पर्यवेक्षण में, अभियुक्तों से मिले दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और बैंक लेन-देन की जांच कर रही है।

जांच का दायरा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक फैलाया

इसका उद्देश्य फेन्सेडिल के अवैध व्यापार का पूरा नेटवर्क उजागर करना और संबंधित सभी व्यक्तियों को न्याय के कटघरे में लाना है। एसटीएफ और खाद्य एवं औषधि विभाग ने इस तस्करी को रोकने और दवाओं के अवैध वितरण को समाप्त करने के लिए सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच का दायरा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक फैलाया गया है और फेन्सेडिल तस्करी में शामिल सभी फर्मों और सहयोगियों की पहचान की जा रही है।