झारखंड में आदिवासियों की जमीन असुरक्षित, डेमोग्राफी बदली: पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का आरोप; बोले- सरकार आदिवासी विरोधी

जमशेदपुर: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन ने वर्तमान झारखंड सरकार पर आदिवासियों के हितों की अनदेखी करने का गंभीर आरोप लगाया है। कदमा स्थित अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में आदिवासियों की जमीन सुरक्षित नहीं है।
डेमोग्राफी पर गंभीर चिंता:
चंपई सोरेन ने आरोप लगाया कि विशेष समुदाय के लोग आदिवासियों की जमीन पर कब्ज़ा जमा रहे हैं और राज्य की पूरी डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) बदल कर रख दी है। उन्होंने कहा कि विशेष समुदाय की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जबकि आदिवासियों की संख्या घट रही है।
"यह झारखंड की सरकार आदिवासियों का नहीं, बल्कि आदिवासी विरोधी सरकार है।"
उन्होंने कहा कि साहिबगंज, दुमका, गोड्डा, और जामताड़ा जिलों में विशेष समुदाय के लोगों की जनसंख्या इतनी अधिक हो गई है कि आदिवासी लोग काफी परेशान हैं। यहाँ तक कि सिद्धू-कान्हू के स्थान भोगनाडीह में भी डेमोग्राफी बदल चुकी है।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल:
पूर्व मुख्यमंत्री ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि "सरकार नाम की झारखंड में कोई चीज है ही नहीं।" उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि घाटशिला में एक स्कूल है, जहाँ आठवीं तक की पढ़ाई होती है, लेकिन पढ़ाने के लिए केवल एक शिक्षक है। उन्होंने झांटी झरना का भी उदाहरण दिया, जहाँ एक से आठवीं तक की पढ़ाई के लिए मात्र एक शिक्षक तैनात है।
उन्होंने जोर दिया कि धर्मांतरण रोकने और डेमोग्राफी को नियंत्रित करने के लिए सभी को एकजुट होना होगा और यह कार्य केवल भारतीय जनता पार्टी ही कर सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान झारखंड सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं कह रही है।
संथाल परगना से आवाज:
इस अवसर पर पाकुड़ के सामाजिक कार्यकर्ता सुरजू टुडू ने भी अपनी बात रखी। सुरजू टुडू, जिनके वंशज 1855 में अंग्रेजों से लड़े थे, उन्होंने बताया कि पाकुड़ से बांग्लादेश मात्र 60 किलोमीटर दूर है। उनके अनुसार, बांग्लादेशी घुसपैठिए पत्थर के कार्य में लग जाते हैं और अपना वोटर कार्ड, आधार कार्ड, लाइसेंस बनवाकर काम ले लेते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को चिट्ठी लिखी थी, जिसका आदेश कमिश्नर के पास आ चुका है।
जमाई टोला और अवैध गतिविधियां:
चंपई सोरेन ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशियों का एकमात्र कार्य सरकारी जमीन को हड़पना और आदिवासी महिलाओं से शादी करके अपनी जनसंख्या बढ़ाना है, जिसके कारण 'जमाई टोला' के नाम से एक गांव ही बस गया है। उन्होंने लाल मटिया के सूर्य हांसदा की हत्या का भी जिक्र किया, जो इन गतिविधियों के खिलाफ बोलते थे।
बैठक के दौरान कई लोगों ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। चंपई सोरेन ने कहा कि पिछले छह वर्षों में वर्तमान सरकार ने न कोई बहाली की है, न सड़क बनी, और न ही किसी गांव में पानी की व्यवस्था की है, जिससे आदिवासी बहुत परेशान हैं।
8 hours ago
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
13.1k