गोमतीनगर में मुठभेड़, चेन लूट के दो शातिर बदमाश गिरफ्तार, दोनों के पैरों में लगी गोली

लखनऊ । राजधानी में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए दो शातिर चेन स्नैचरों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने पुलिस चेकिंग के दौरान टीम पर फायरिंग की थी, जिसके जवाब में हुई कार्रवाई में दोनों के पैरों में गोली लगी। पुलिस ने इनके कब्जे से लूटी गई चेन, तमंचे और बाइक बरामद की है। दोनों बदमाशों के खिलाफ लूट, बलवा और अवैध हथियारों से जुड़े एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।

चेकिंग के दौरान पुलिस को देखते ही शुरू कर दी फायरिंग

गोमतीनगर थाना क्षेत्र में मंगलवार देर रात पुलिस और दो शातिर बदमाशों के बीच मुठभेड़ हो गई। यह मुठभेड़ उस वक्त हुई जब पुलिस टीम शहर में सक्रिय चेन स्नैचरों की तलाश में चेकिंग कर रही थी। इस दौरान सफेद रंग की बिना नंबर की अपाचे बाइक पर सवार दो संदिग्ध युवकों को रोकने का प्रयास किया गया। आरोपियों ने रुकने के बजाय पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने दोनों बदमाशों के पैरों में गोली मारकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

पकड़े गए बदमाशों पर दर्जनभर अपराधिक मुकदमे दर्ज

पकड़े गए बदमाशों की पहचान इटौंजा निवासी सुशील उर्फ अनिल उर्फ बउवा और सीतापुर निवासी सतीश कुमार गौतम के रूप में हुई है। दोनों आरोपियों के खिलाफ राजधानी समेत कई जनपदों में लूट, बलवा, अवैध असलहा रखने जैसे करीब दर्जनभर गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।बताया जा रहा है कि 5 मई की रात गोमतीनगर के विराम खंड निवासी अवनीश कटियार अपने घर से पैदल हुसड़िया चौराहे तक सामान लेने गए थे। इस दौरान इंडियन पेट्रोल पंप के पास पीछे की गली में बाइक सवार दो अज्ञात बदमाशों ने पीछे से झपट्टा मारकर उनके गले की चेन लूट ली थी और मौके से फरार हो गए थे।

पुलिस ने इनके कब्जे से लूटा माल किया बरामद

घटना के बाद पीड़ित की तहरीर पर गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने बदमाशों की तलाश शुरू कर दी थी।सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस की मदद से जब पुलिस को जानकारी मिली कि संदिग्ध बदमाश शहर सिटी के पास देखे गए हैं, तो उन्हें रोकने का प्रयास किया गया। इसी दौरान मुठभेड़ की स्थिति बन गई। घायल बदमाशों को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, पुलिस ने इनके कब्जे से लूटी गई चेन, वारदात में प्रयुक्त बाइक, दो अवैध तमंचे और कारतूस भी बरामद किए हैं।

यूपी सरकार को अप्रैल में मिला रिकॉर्ड राजस्व

पिछले वर्ष की तुलना में 1,785.30 करोड़ की वृद्धि, जीएसटी , आबकारी और स्टाम्प शुल्क से हुई प्रमुख आय

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले महीने अप्रैल में कुल 18,204.75 करोड़ का कर एवं करेतर राजस्व प्राप्त हुआ है। यह आंकड़ा वित्तीय वर्ष 2024-25 के अप्रैल माह में प्राप्त 16,419.45 करोड़ की तुलना में 1,785.30 करोड़ अधिक है। यह जानकारी राज्य के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने दी।

उन्होंने बताया कि राजस्व वृद्धि सरकार की सुदृढ़ कर संग्रह नीति, प्रशासनिक पारदर्शिता और डिजिटल साधनों के कुशल उपयोग का परिणाम है।

प्रमुख स्रोतों से हुई राजस्व प्राप्ति :

वस्तु एवं सेवा कर : अप्रैल 2025 में GST से कुल 8,943.47 करोड़ प्राप्त हुए, जबकि अप्रैल 2024 में यह आंकड़ा 8,310.43 करोड़ था।

मूल्य वर्धित कर : इस वर्ष अप्रैल में VAT से 994.52 करोड़ प्राप्त हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 46.54 करोड़ की वृद्धि है।

आबकारी शुल्क: अप्रैल 2025 में आबकारी राजस्व 4,319.46 करोड़ रहा, जबकि अप्रैल 2024 में यह 3,759.14 करोड़ था।

स्टाम्प और निबंधन शुल्क: अप्रैल 2025 में इस मद से 2,729.43 करोड़ की प्राप्ति हुई, जो पिछले वर्ष के 2,249.78 करोड़ से कहीं अधिक है।

परिवहन विभाग से आय: अप्रैल 2025 में परिवहन विभाग से 1,043.14 करोड़ की आय हुई, जबकि अप्रैल 2024 में यह 929.61 करोड़ थी।

भू-तत्व एवं खनिकर्म में गिरावट:

वित्त मंत्री ने बताया कि एकमात्र मद जहां गिरावट दर्ज की गई, वह है भू-तत्व तथा खनिकर्म, जिससे अप्रैल 2025 में 174.73 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि अप्रैल 2024 में यह 222.51 करोड़ था।

* सरकार की प्रतिबद्धता:

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राजस्व संग्रह में निरंतर सुधार के लिए प्रतिबद्ध है और आने वाले महीनों में यह वृद्धि और अधिक गति पकड़ेगी।

योगी सरकार की ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी पहल: यूपी को 2030 से सस्ती बिजली, 25 वर्षों में होगी 2958 करोड़ की बचत

1600 मेगावाट की नई तापीय परियोजना से 1500 मेगावाट बिजली खरीदने का निर्णय, 5.38 रु./यूनिट की दर से होगी आपूर्ति

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी और दूरदर्शी पहल करते हुए 1600 मेगावाट क्षमता की एक नई तापीय परियोजना से 1500 मेगावाट बिजली खरीदने का फैसला लिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह बिजली बोली प्रक्रिया (बिड प्रॉसेस) के माध्यम से अगले 25 वर्षों तक 5.38 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदी जाएगी। इस निर्णय से उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड को आगामी 25 वर्षों में करीब 2958 करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान है।

अन्य परियोजनाओं की तुलना में किफायती बिजली

ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने बताया कि यह नई परियोजना वर्तमान में कार्यरत सार्वजनिक तापीय संयंत्रों की तुलना में कहीं अधिक किफायती होगी। जैसे कि जवाहरपुर, ओबरा, घाटमपुर, पनकी जैसी परियोजनाओं से मिलने वाली बिजली की दरें 6.60 रुपए से 9 रुपए प्रति यूनिट तक हैं। जबकि डीबीएफओओ मॉडल के तहत प्रस्तावित इस नई परियोजना से 2030-31 में बिजली मात्र 6.10 रुपए प्रति यूनिट की दर से उपलब्ध होगी।

बोली प्रक्रिया और चयनित कंपनी

जुलाई 2024 में रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन जारी किया गया था। 7 कंपनियों ने आवेदन किया और उनमें से 5 ने फाइनेंशियल बिड में हिस्सा लिया। सबसे कम दर (5.38 रु./यूनिट) की पेशकश करने वाली एक निजी कंपनी को चयनित किया गया।

यह दर दो भागों में विभाजित है: फिक्स्ड चार्ज 3.727 रुपए /यूनिट और फ्यूल चार्ज 1.656 रुपए /यूनिट।

2030-31 में होगी परियोजना की शुरुआत

यह तापीय परियोजना वित्तीय वर्ष 2030-31 में चालू हो जाएगी। इससे प्रदेश की बेस लोड ऊर्जा की जरूरतें पूरी होंगी और घरेलू उपभोक्ताओं व उद्योगों को स्थिर और किफायती बिजली उपलब्ध होगी।

ऊर्जा संकट से निपटने की रणनीति

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अनुसार, राज्य को 2033-34 तक 10,795 मेगावाट अतिरिक्त तापीय ऊर्जा की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही राज्य ने 23,500 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के लिए भी रोडमैप तैयार किया है। इसी क्रम में डीबीएफओओ मॉडल के तहत बिडिंग प्रक्रिया अपनाई गई है।

बिजली आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि यह समझौता न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है बल्कि यह भविष्य में राज्य की ऊर्जा सुरक्षा, औद्योगिक विकास और उपभोक्ता हितों के लिए भी एक निर्णायक कदम होगा।

* क्या है डीबीएफओओ मॉडल?

डीबीएफओओ यानी डिजाइन, बिल्ड , फाइनेंस , ओन और ऑपरेट एक ऐसी प्रणाली है जिसमें निजी कंपनी परियोजना का निर्माण, वित्तपोषण, स्वामित्व और संचालन खुद करती है। सरकार सिर्फ कोयला लिंकेज देती है और बिजली खरीदती है।

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योगी सरकार ने तबादला नीति को दी मंजूरी, 15 जून तक पूरी होगी ट्रांसफर प्रक्रिया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में तबादला नीति 2025 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत 15 जून तक ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया संपन्न कर ली जाएगी। खास बात यह है कि इस वर्ष भी पिछले साल की तबादला नीति के नियम ही लागू रहेंगे, यानी नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

सरकारी आदेश के अनुसार, जिन कर्मचारियों ने एक जिले में 3 साल और मंडल में 7 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, वे ट्रांसफर की श्रेणी में आएंगे।

समूह 'क' और 'ख' के 20% अधिकारियों और समूह 'ग' व 'घ' के 10% कर्मचारियों का तबादला संबंधित विभागाध्यक्ष कर सकेंगे। यदि इससे अधिक संख्या में ट्रांसफर करने की जरूरत होती है, तो इसके लिए संबंधित मंत्री की अनुमति आवश्यक होगी।

* पिक एंड चूज व्यवस्था समाप्त

पिछले वर्ष की तरह ही इस बार भी पिक एंड चूज, यानी पसंद की जगह ट्रांसफर की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। अब सबसे पहले उन कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जाएगा जो लंबे समय से एक ही स्थान पर तैनात हैं।

सरकार का मानना है कि इस नीति से प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।

नवंबर में उत्तर प्रदेश का पहला ‘दुधवा महोत्सव’ - संस्कृति, वन्यजीवन और पर्यटन का अनोखा संगम

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार इस नवंबर में उत्तर प्रदेश का पहला ‘दुधवा महोत्सव’ आयोजित करने जा रही है। यह तीन दिवसीय आयोजन आवासीय, सांस्कृतिक और वन्यजीव महोत्सव की थीम पर आधारित होगा और इसका उद्देश्य स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देना और पर्यटन को प्रोत्साहित करना है।

इस महोत्सव में देश-विदेश से 2000 से अधिक पर्यटकों के शामिल होने की उम्मीद है। पर्यटकों के लिए तीन श्रेणियों में 200 से ज्यादा कैम्पिंग टेंट्स की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा, स्थानीय थारू जनजाति परिवारों के साथ होमस्टे का विशेष अनुभव भी उपलब्ध होगा, जिससे पर्यटक यहां की सांस्कृतिक जीवनशैली से सीधे जुड़ सकेंगे।

* सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजेगा मंच

महोत्सव के दौरान देश-विदेश के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी, जो इस आयोजन को एक यादगार अनुभव बनाएंगी। उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर देगा, बल्कि दुधवा टाइगर रिजर्व जैसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्थल को भी वैश्विक पहचान दिलाने में मदद करेगा।

लखनऊ में महिला सुरक्षा को मिला नया कवच, एंटी-रोमियो स्क्वॉड बना 'महिला सुरक्षा टीम'

लखनऊ । यूपी की राजधानी में महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पूर्ववर्ती एंटी-रोमियो स्क्वॉड को अब एक नए, अधिक प्रभावशाली और समग्र रूप में ‘महिला सुरक्षा टीम’ के रूप में पुनर्गठित किया गया है। इस नई पहल के तहत जनपद के हर थाने में एक महिला सुरक्षा टीम गठित की गई है, जो महिला अपराधों की रोकथाम से लेकर सुरक्षा के माहौल को मजबूत करने तक सक्रिय भूमिका निभाएगी।

सभी थानों पर गठित होंगी महिला सुरक्षा टीमें

पुलिस आयुक्त लखनऊ के आदेश पर जिले के प्रत्येक थाने पर एक महिला सुरक्षा टीम का गठन किया गया है, जिसमें कुल पाँच सदस्य होंगे — एक उपनिरीक्षक (SI), दो पुरुष आरक्षी और दो महिला आरक्षी। इन टीमों को महिलाओं एवं बालिकाओं से जुड़े अपराधों की रोकथाम, सुरक्षा सुनिश्चित करने और भयमुक्त वातावरण बनाने की दिशा में विशेष ज़िम्मेदारी दी गई है।इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों पर छेड़छाड़, अश्लील टिप्पणी, पीछा करने जैसी घटनाओं को रोकना है। ये टीमें स्कूल-कॉलेज, बाजार, पार्क, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन सहित सभी संवेदनशील स्थानों पर नियमित गश्त करेंगी और किसी भी आपत्तिजनक गतिविधि पर त्वरित कार्रवाई करेंगी।

एंटी रोमियो स्क्वॉड का नाम ही नहीं, काम भी बदला

पूर्व में "एंटी रोमियो स्क्वॉड" को छेड़खानी और ईव-टीजिंग की घटनाओं पर कार्रवाई के लिए जाना जाता था। लेकिन नए स्वरूप में इस टीम की कार्यप्रणाली और दायरा दोनों को व्यापक बनाया गया है। अब यह टीम सिर्फ प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि निवारक कदमों पर भी जोर देगी।

टीम अब निम्नलिखित कार्यों पर विशेष ध्यान देगी

शैक्षणिक संस्थानों के आसपास मादक पदार्थों की बिक्री रोकना

संदिग्ध व्यक्तियों और वाहनों की जांच

नशे की हालत में पाए गए लोगों पर कार्रवाई

महिलाओं और छात्राओं से मिलने वाली शिकायतों पर त्वरित प्रतिक्रिया

दल को मिलेंगे आधुनिक संसाधन और तकनीकी उपकरण

हर टीम को आधुनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है, जिससे वे प्रभावी कार्रवाई कर सकें:

एक चार पहिया वाहन

दंगा नियंत्रण उपकरण (डंडा, हेलमेट, बॉडी प्रोटेक्टर, रस्सा)

प्रभारी अधिकारी के पास बॉडी वॉर्न कैमरा, छोटा शस्त्र, ई-चालान डिवाइस और सीयूजी फोन

गश्त के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग द्वारा सबूत संकलन की सुविधा

टीम प्रतिदिन सुबह 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक ड्यूटी पर रहेगी। आकस्मिक स्थिति में इन्हें क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) के रूप में भी सक्रिय किया जाएगा।

कार्यशैली और जवाबदेही की स्पष्ट रूपरेखा

थाना प्रभारी प्रतिदिन सुबह टीम को ब्रीफिंग देंगे और ड्यूटी के अंत में उनके कार्यों की समीक्षा करेंगे।

पुलिस उपायुक्त (DCP) और सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) स्तर के नोडल अधिकारी टीम की प्रतिदिन की गतिविधियों की निगरानी करेंगे।

टीम उन इलाकों की भौगोलिक जानकारी (लैटिट्यूड/लॉन्गिट्यूड) और CCTV कवरेज की जानकारी भी संकलित करेगी, जो महिला अपराध के दृष्टिकोण से संवेदनशील माने जाते हैं।

शोहदों पर सीधे कार्रवाई, दोहराव पर जेल भेजने की कार्यनीति

टीम का दायित्व न सिर्फ अपराध को रोकना होगा, बल्कि शोहदों की पहचान कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करना भी होगा।

पहली बार पकड़े जाने पर युवक को थाने लाकर काउंसलिंग की जाएगी, परिवार को बुलाकर उसकी गतिविधियों से अवगत कराया जाएगा।

उसका नाम थाने के विशेष रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।

यदि दोबारा वह ऐसी गतिविधियों में लिप्त पाया गया, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज कर जेल भेजने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

सादे कपड़ों में तैनाती और गुप्त शिकायत पेटिकाएं

महिला आरक्षियों को सादे वस्त्रों में संवेदनशील इलाकों (कोचिंग सेंटर, बाजार, मॉल आदि) में तैनात किया जाएगा।

साथ ही स्कूल और कॉलेजों में शिकायत पेटिका भी लगाई जाएगी, जिसमें महिलाएं और छात्राएं बिना पहचान उजागर किए अपनी शिकायतें दर्ज कर सकेंगी।पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि टीम की कार्रवाई किसी मासूम के प्रति न हो।

पुलिस कमिश्नर ने स्पष्ट निर्देश

किसी भी युवक को महज शक के आधार पर परेशान न किया जाए।

छात्राओं के जान-पहचान वालों या सामान्य बातचीत करने वालों के साथ भी शालीन व्यवहार हो।

पुलिस की छवि “मददगार” बने, डर पैदा न हो।

महिला सुरक्षा को जनसहभागिता से जोड़ने की योजना

टीम स्कूल, कॉलेज, महिला समूहों और गैर सरकारी संगठनों से संपर्क कर समुदाय आधारित पहल को भी आगे बढ़ाएगी।

इसमें महिलाओं को आत्मरक्षा, साइबर सुरक्षा, यौन अपराधों की पहचान और रिपोर्टिंग आदि के प्रति जागरूक किया जाएगा।

यूपी में फिर चली तबादला एक्सप्रेस, 14 आईपीएस इधर से उधर, जानें किसे-कहां की मिली जिम्मेदारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार की देर रात 14 आईपीएस अधिकारियों के तबादले कर दिए। इस फेरबदल में कई जिलों के पुलिस कप्तान और रेंज स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को इधर से उधर किया गया है। शासन द्वारा जारी तबादला सूची में सबसे अहम नाम वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित गुप्ता का है, जिन्हें अब सचिव गृह के पद पर नियुक्त किया गया है।

रेंज और बड़े पदों पर तबादले

-वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित गुप्ता को अब उत्तर प्रदेश सचिवालय में सचिव गृह बनाया गया है।

-अजय साहनी, जो अब तक सहारनपुर में डीआईजी पद पर थे, को बरेली रेंज का नया डीआईजी नियुक्त किया गया है।

-प्रयागराज महाकुंभ से जुड़े डीआईजी वैभव कृष्ण को वाराणसी रेंज का डीआईजी बनाया गया है।

-मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह को प्रमोट कर सहारनपुर रेंज का डीआईजी बनाया गया है।

कप्तानों के स्तर पर तबादले

-अयोध्या के एसएसपी राजकरन अय्यर को गोरखपुर का नया एसएसपी बनाया गया है।

-गोरखपुर के एसएसपी गौरव ग्रोवर को अब अयोध्या भेजा गया है।

-इटावा के एसएसपी संजय कुमार को मुजफ्फरनगर का एसएसपी बनाया गया है।

-लखनऊ पीएसी में तैनात अूप कुमार सिंह को फतेहपुर का एसपी नियुक्त किया गया है।

-कौशांबी के एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव को इटावा भेजा गया है।

-गाजियाबाद में पुलिस उपायुक्त के पद पर तैनात राजेश कुमार को कौशांबी का एसपी बनाया गया है।

-फतेहपुर के एसपी धवल जायसवाल को अब गाजियाबाद कमिश्नरेट में जिम्मेदारी दी गई है।

-संतकबीरनगर के एसपी सत्यजीत को कानपुर कमिश्नरेट भेजा गया है।

-गोरखपुर में एसपी रेलवे पद पर तैनात संदीप कुमार मीना को संतकबीरनगर का एसपी बनाया गया है।

-लक्ष्मी निवास मिश्रा, जो अब तक एसीओ में कार्यरत थे, को गोरखपुर रेलवे का एसपी बनाया गया है।

अधिकारियों को जल्द कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश

जानकारी के लिए बता दें कि शासन के इस फैसले को आगामी होने वाले चुनाव की तैयारियों और कानून व्यवस्था को मजबूत करने के नजरिए से देखा जा रहा है। सभी अधिकारियों को जल्द ही अपने-अपने नए कार्यस्थलों पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं।

नगराम में युवक की हत्या कर शव को घर से पांच सौ मीटर दूरी पर सड़क किनारे फेंका

लखनऊ। यूपी की राजधानी में नगराम के ग्राम कुबहरा में सोमवार की सुबह एक युवक का शव खेत में मिलने से सनसनी फैल गई। मृतक की पहचान महेश कोरी पुत्र शत्रुघ्न (निवासी ग्राम कुबहरा) के रूप में हुई है। उसका शव गांव के बाहर सहजराम के खेत में सड़क किनारे पड़ा मिला, जो कि मृतक के घर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर है। शव मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया।

युवक के गले में उसका बेल्ट बंधा मिला

उधर सूचना मिलने पर थाना प्रभारी नगराम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। प्रारंभिक जांच में युवक के गले में उसका बेल्ट बंधा मिला, जिससे अंदेशा है कि उसकी गला घोंटकर हत्या की गई है। साथ ही मृतक के सिर पर चोट के गहरे निशान भी पाए गए हैं। पुलिस मौके पर पहुंची तो जांच में पता चला कि तीन साल पहले गांव के ही सहजराम ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड नोट लिख कर महेश एवं उसकी पत्नी सुनीता पर आरोप लगाया था। इसके बाद दोनों जेल गए थे। सहज का बेटा लवकुश उसी बात को लेकर रंजिश मानता है। लवकुश ने ही पिता का बदला लेने के लिए अपने साथियों के साथ मिलकर महेश की पीटकर हत्या कर दी।

कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पुलिस कर रही पूछताछ

महेश कोरी अपने माता-पिता, पत्नी, एक 15 वर्षीय पुत्र व चार भाइयों के साथ रहता था। पुलिस ने शव का पंचायतनामा भरवाकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मामले में कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। तहरीर प्राप्त होने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आगे की विधिक कार्रवाई शुरू कर दी है। फिलहाल गांव में शांति व्यवस्था सामान्य बनी हुई है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही घटना का खुलासा कर दिया जाएगा।

शंक एयरलाइंस के मालिक पर बर्बरता का आरोप, इंजीनियर्स को बनाया बंधक

लखनऊ। यूपी की राजधानी के गोमती नगर विस्तार में उस वक्त सनसनी फैल गई जब शंक एयरलाइंस के मालिक पर दो इंजीनियर्स को बंधक बनाकर बेरहमी से पीटने और उन्हें पांचवीं मंज़िल से उल्टा लटकाने का सनसनीखेज मामला सामने आया। पीड़ित इंजीनियर्स का आरोप है कि कंपनी के मालिक श्रवण कुमार विश्वकर्मा ने अपने गनर और कर्मचारियों के साथ मिलकर उन्हें न सिर्फ रस्सियों से बांधा, बल्कि अमानवीय तरीके से प्रताड़ित भी किया। इसका वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो तब जाकर पुलिस हरकत में अायी।

लिफ्ट खराबी की ठीक करने पहुंचे थे श्रवण कुमार के घर

पीड़ितों के मुताबिक, वे एक लिफ्ट में आई खराबी को ठीक करने के लिए मालिक के आवास पर पहुंचे थे। काम में मामूली देरी पर मालिक आगबबूला हो गया और उन्हें जबरन घर के अंदर ले जाकर बंधक बना लिया। इसके बाद पांचवीं मंज़िल से उन्हें उल्टा लटकाया गया और बुरी तरह पीटा गया। पीड़ितों ने दावा किया कि इस अमानवीय कृत्य में घर पर मौजूद अन्य कर्मचारियों ने भी भागीदारी की।घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और इंजीनियर्स को मुक्त कराया। इसके बाद गुस्साए कर्मचारी थाने पहुंचे और श्रवण कुमार विश्वकर्मा के खिलाफ तहरीर दी। इंजीनियर प्रभात लोहानी, परवेज और संतोष और पवन यादव की पिटाई से कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया है।

पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की

पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि अब भी कई सवाल अनुत्तरित हैं, जैसे कि – आखिर मालिक को किस बात पर इतना गुस्सा आया? क्या इस प्रकार की प्रताड़ना पूर्व में भी की गई है? और क्या गनर की भूमिका एक निजी सुरक्षा कर्मी के दायरे से बाहर जाकर हिंसा में बदल गई?पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं और पीड़ितों के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।

चुनाव आयोग ला रहा है एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म, मतदाताओं और अधिकारियों के लिए होगा ‘वन-स्टॉप सॉल्यूशन’

लखनऊ। भारत निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, सरल और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है। आयोग एक नया एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म 'ईसीआई-नेट' विकसित कर रहा है, जो मतदाताओं, चुनाव अधिकारियों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज को एक ही मंच पर चुनाव से जुड़ी सभी सुविधाएं देगा।

यह 'वन-स्टॉप प्लेटफ़ॉर्म' आयोग के 40 से अधिक मौजूदा मोबाइल और वेब एप्लिकेशनों को एकीकृत कर उपयोगकर्ताओं को सरल, सुरक्षित और यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस प्रदान करेगा। इस प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को अलग-अलग ऐप डाउनलोड करने, लॉगिन करने और जटिल नेविगेशन से राहत मिलेगी।

इस अभिनव प्लेटफ़ॉर्म की परिकल्पना भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा मार्च 2025 में मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के सम्मेलन के दौरान की गई थी, जिसमें निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु और डॉ. विवेक जोशी भी मौजूद थे।

इस प्लेटफॉर्म में वोटर हेल्पलाइन, सी-विजिल, सुविधा 2.0, सक्षम, ईएसएमएस, केवाईसी जैसे ऐप्स शामिल होंगे, जिन्हें अब तक 5.5 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है। इससे न केवल लगभग 100 करोड़ मतदाताओं, बल्कि देश भर के 10.5 लाख बीएलओ, 15 लाख बीएलए, 45 लाख मतदान अधिकारी और हजारों रजिस्ट्रेशन व जिला अधिकारी भी लाभान्वित होंगे।

-- विकास के अंतिम चरण में, सख्त परीक्षण और परामर्श जारी

ईसीआई-नेट फिलहाल विकास के उन्नत चरण में है और इसकी सुचारु कार्यप्रणाली, साइबर सुरक्षा, और उपयोगकर्ता अनुभव की जांच के लिए कठोर परीक्षण किए जा रहे हैं। इसे सभी 36 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के सीईओ, 767 डीईओ और 4,123 ईआरओ की सक्रिय भागीदारी और 9,000 पृष्ठों के 76 प्रकाशनों की समीक्षा के आधार पर विकसित किया गया है।

-- कानूनी ढांचे के भीतर डेटा की उपलब्धता

ईसीआई-नेट पर उपलब्ध सभी आंकड़े और सेवाएं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम 1960, और निर्वाचन संचालन नियम 1961 के अंतर्गत और आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही संचालित होंगी।