पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर ने पीएम मोदी को फिर लिखा पत्र, पीसीसीएफ श्रीनिवास राव पर भ्रष्टाचार के लगाए गंभीर आरोप…
रायपुर- पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर एक बार फिर से पत्र को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. अबकी बार उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने प्रधान मुख्य वनसंरक्षक श्रीनिवास राव पर कांग्रेस का एजेंट बनकर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कैम्पा योजना में भारी भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. इसके साथ 1628 वनरक्षकों की भर्ती में किए गए भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने की मांग की है.
ननकीराम कंवर ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि कैम्पा योजना के मुख्य पद पर रहते हुए श्रीनिवास राव ने केन्द्र सरकार के बजट एवं दिशा निर्देशों की अवहेलना करते हुए अपने करीबी रिश्तेदारों एवं चहेतों को मनमर्जी तरीके से कई सौ करोड़ का काम दिया, जिसमें बाजार दर से अधिक दर पर निर्माण सामग्रियों की आपूर्ति के साथ स्तरहीन कार्य कराया. इसके अतिरिक्त अधिकतर दूरस्थ स्थानों पर कार्य के नाम पर आवंटन का अगर सत्यापन किया जाएगा, तो यहां कार्य होना ही नहीं पाया जाएगा.
इसके अलावा कंवर ने वनरक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए बताया कि राज्य में वन रक्षकों (फारेस्ट गार्ड) की भर्ती हेतु लगभग 1500 पदों पर नवम्बर 2024 से दिसम्बर 2024 के बीच फीजिकल टेस्ट विभिन्न वन मंडलों में किया गया. 4 लाख 25 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. भर्ती के लिए शारीरिक परीक्षण डीएफओ बालोद, सरगुजा, महासमुंद समेत अन्य ने लिया. जो 16 नवंबर 2024 से प्रारंभ होकर 17 दिसम्बर 2024 तक मंडलवार अलग-अलग तिथियों में संपन्न हुआ.
राज्य शासन के शारीरिक क्षमता परीक्षा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच पर्याप्त रोशनी में कराई जाने के निर्देश के बावजूद कुछ जिलों में कृत्रिम प्रकाश में यह कार्रवाई नियम विरुद्ध की गई. श्रीनिवास राव पर अपने पद का दुरूपयोग कर कमीशनखोरी करने की नियत से भारी भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ वन अधिकारी के साथ उनके रिश्ते-नातेदार की चल-अचल संपत्ति की भी जांच कराने की मांग की है.




















Apr 26 2025, 13:23
इन घटनाओं के बावजूद न तो सिस्टम बदला, न ही सुरक्षा इंतज़ाम।
जवाबदेही से बचते दिखे ज़िम्मेदार
हादसे के बाद एसपी मोहित गर्ग मौके पर पहुंचे और रोपवे संचालन करने वाली कंपनी दामोदर इंफ्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब अवैध चबूतरा, VIP दबाव में संचालन और स्टाफ की गैरमौजूदगी से हादसा हुआ, तो ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल पर भी कार्रवाई क्यों नहीं? मनोज अग्रवाल मीडिया के सामने ये कहकर बचते नज़र आए कि संचालन ट्रस्ट करता है लेकिन मेंटेनेंस की ज़िम्मेदारी दामोदर इंफ्रा की है। दूसरी ओर, दामोदर इंफ्रा के साइट इंचार्ज ने सारा ठीकरा बिजली विभाग पर फोड़ते हुए ‘लो वोल्टेज-हाई वोल्टेज’ का बहाना बना डाला। लेकिन कंपनी ने आज तक कभी बिजली विभाग को इस समस्या की कोई लिखित सूचना तक नहीं दी।
यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि उस लापरवाह और वीआईपी संस्कृति की पोल खोलता है, जिसमें आम जनता की सुरक्षा को ताक पर रखकर नियम तोड़े जाते हैं। रोपवे जैसी तकनीकी सेवा, जहां जान की बाज़ी लगी हो, वहां बिना स्टाफ, बिना सुरक्षा जांच और बिना ज़रूरी अनुमति के संचालन किया गया।
कुदरगढ़ में रोपवे लगाने का सपना लेकर आए थे पैकरा, लेकिन डोंगरगढ़ का ही रोपवे उन्हें ज़मीन पर ला पटका। अब सवाल यह है, क्या इस हादसे के बाद सिर्फ कंपनी पर कार्रवाई होगी ? या उन असली ज़िम्मेदारों पर भी शिकंजा कसेगा जिन्होंने नियमों को VIP आदेशों के नीचे कुचल डाला?
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