अब पाकिस्तान के खिलाफ होगा कौन सा फैसला? पीएम मोदी से फिर मिलने पहुंचे राजनाथ, डोभाल भी है साथ

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 मासूमों के नंरसंहार के बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा है। पाक आर्मी की तरफ से एलओसी पर एक बार फिर से गोलीबारी की गई है। कुपवाड़ा और पुंछ के इलाकों में यह फायरिंग छोटे हथियारों से की गई, जिसका भारतीय सेना ने भी माकूल जवाब दिया है। इस बीच आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पीएम मोदी से मिलने पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा फैसला हो सकता है।

पीएम के साथ बैठक में डोभाल भी शामिल

पहलगाम आतंकी हमले में हिन्दुओं के नरसंहार हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत का ताबड़तोड़ एक्शन जारी है। पाकिस्तान के खिलाफ जंग की अटकलों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की पीएम मोदी के साथ मुलाकात चल रही है। पीएम आवास पर हो रही इस बैठक में तीनों सेना के प्रमुख सीडीएस अनिल चौहाण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी शामिल हैं।

तनाव के बीच कितनी अहम है बैठक?

बता दें कि पाकिस्तानी फौज ने पहलगाम हमले के बाद लगातार चौथे दिन सीजफायर वॉयलेशन किया। रविवार देर रात और सोमवार तड़के पाकिस्तानी सेना ने एलओसी पर फायरिंग की। भारतीय सेना ने भी इसका जवाब दिया। ऐसे समय में रक्षामंक्षी राजनाथ सिंह की पीएम मोदी के साथ बैठक काफी अहम मानी जा रहा है। बताया जा रहा है कि राजनाथ मौजूदा हालात और रणनीति को लेकर प्रधानमंत्री के पास पहुंचे हैं।

पहलगाम आतंकी हमला: राजनाथ सिंह ने सैन्य अधिकारियों के साथ की बैठक

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार अलर्ट मोड पर है। एक तरफ प्रधानमंत्री मौदी अपना सउदी दौरा रद्द कर देर रात लौट आए। वहीं, पीएम के निर्देश पर गृहमंत्री अमित शाह हालात का जायजा लेने हमले के कुछ घेटों के बाद ही श्रीनगर पहुंच गए। इधर, आतंकी हमले के बाद बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय में अहम बैठक की अध्यक्षता की। 

इस हाई लेवल मीटिंग में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की गई। मीटिंग में तीनों सेनाओं के प्रमुख ने अपनी-अपनी तैयारियों को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनकी तीनों सेनाएं हर परिस्थिति के लिए तैयार है। यह बैठक करीब 2.5 घंटे तक चली। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों को अपनी युद्ध तत्परता बढ़ाने और आतंकवाद विरोधी अभियानों की में तेजी लाने का निर्देश दिया।

इस बैठक में सीडीएस अनिल चौहान और एनएसए अजित डोभाल भी शामिल हुए। इनके अलावा बैठक में थल सेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना चीफ एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और नौसेना प्रमुख दिनेश त्रिपाठी भी मौजूद रहे। अब छह बजे सुरक्षा मामलों की केंद्रीय समिति की बैठक होनी है। सीसीएस की मीटिंग को दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पीएम मोदी को जानकारी देंगे।

पाकिस्तान को हथियार, टेक्नोलॉजी ना दें” नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री से बोले राजनाथ

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भारत ने पाकिस्तान के झूठ के खिलाफ अब आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया है। अब तक कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की ओर से लगाए जा रहे झूठे आरोपों को भारत खारिज ही किया जाता रहा है, लेकिन अब एक कदम आगे बढ़ाया है। भारत ने अब वैश्विक मंच पर उसे बेनकाब करने के लिए कूटनीतिक मोर्चे पर नया कदम बढ़ाया है। दरअसल, राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड के रक्षा मंत्री से बात करते हुए पाकिस्तान को आतंक का प्रायोजक करार दिया। साथ ही पाकिस्तान को कोई भी सैन्य सहायता या तकनीक ना देने की अपील की है। राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड्स से कहा कि वे पाकिस्तान को सैन्य उपकरण और तकनीक ना दें क्योंकि ये रीजनल सिक्योरिटी के लिए खतरा है।

नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री रुबेन बर्कलमैन्स भारत दौरे पर आए हैं। मंगलवार उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की।इस दौरान दोनों नेताओं ने आने वाले दिनों में भारत और नीदरलैंड के बीच द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की।सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को सपोर्ट कर रहा है और आतंकवाद का प्रायोजक है। इसलिए हम अपने सभी मित्र देशों से उम्मीद करते हैं कि वे पाकिस्तान को सैन्य उपकरण ना दें। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को हथियार देने से क्षेत्र (रीजन)में अस्थिरता बढ़ती है।

राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री से कहा कि पिछले कुछ वक्त में हमारी नजर में इस तरह के कुछ केस आए भी हैं। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने उन्हें कुछ केस की डिटेल भी दी। राजनाथ सिंह ने इसका भी जिक्र किया कि भारत दशकों से पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने कहा कि हम अपने मित्र देशों से उम्मीद करते हैं कि वे रीजन की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हु़ए पाकिस्तान को तकनीकी में मदद से परहेज करें।

वहीं, दोनों नेताओं ने आज मंगलवार को नई दिल्ली में इंडो-पैसिफिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती तकनीकों समेत कई विषयों पर चर्चा की। मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट किया। राजनाथ सिंह ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “नई दिल्ली में नीदरलैंड के युवा और गतिशील रक्षा मंत्री रूबेन बर्केलमैन्स से मिलकर खुशी हुई। हमने भारत-नीदरलैंड रक्षा सहयोग की पूरी श्रृंखला का रिव्यू किया। हम अपनी रक्षा साझेदारी को और गहरा और उन्नत करने के लिए तत्पर हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हमारी चर्चा के क्षेत्रों में रक्षा, साइबर सुरक्षा, इंडो-पैसिफिक और एआई जैसी उभरती टेक्नोलॉजी शामिल थीं।”

इससे पहले राजनाथ सिंह ने अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह ने खालिस्तानी अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) की अमेरिकी धरती पर गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया और उनसे इसे आतंकवादी संगठन घोषित करने का अनुरोध किया। सूत्रों ने यह भी बताया कि रायसीना हिल्स स्थित अपने ऑफिस में 30 मिनट से अधिक समय तक की बैठक में राजनाथ सिंह ने तुलसी गबार्ड को एसएफजे के पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के साथ कथित संबंधों और तालमेल के बारे में भी अवगत कराया। रक्षा मंत्री इसके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की बात भी कही।

तुलसी गबार्ड ने राजनाथ सिंह से की मुलाकात, खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस का मुद्दा पर हुई बात

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अमेरिका की डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (डीएनआई) तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा पर हैं। भारत दौरे पर आई तुलसी गबार्ड ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने खालिस्तानी समूह ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) की गतिविधियों पर चिंता जताई। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने इस गैरकानूनी संगठन पर अमेरिका से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने अमेरिकी प्रशासन से इस समूह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया। रक्षा मंत्री और गबार्ड की बैठक का मुख्य उद्देश्य भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना था। इसमें रक्षा और खुफिया साझेदारी पर जोर दिया गया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने जोर दिया कि रणनीतिक सुरक्षा दोनों देशों के व्यापक वैश्विक रणनीतिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

आधिकारिक बयान में कहा गया, राजनाथ सिंह और तुलसी गबार्ड ने सैन्य अभ्यास, रणनीतिक सहयोग, रक्षा औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के एकीकरण और विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में सूचना-साझाकरण सहयोग के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा की। दोनों नेताओं ने अत्याधुनिक रक्षा नवाचार और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों में सहयोग के अवसरों का पता लगाया, जो उनके साझा रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अलावा उन्होंने अंतर-संचालन को बढ़ाने और रक्षा औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के एकीकरण को बढ़ावा देने के प्रमुख क्षेत्रों पर भी चर्चा की।

तुलसी गबार्ड ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के दौरान बांग्लादेश को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता जताई और वहां की युनूस सरकार को सुना दिया। गबार्ड ने कहा कि बांग्लादेश के साथ वार्ता के दौरान ये मुद्दा केंद्र में रहने वाला है। धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, उनके साथ अत्याचार हमेशा से एक चिंता की बात रही है। इस्लामिक आतंकवाद दुनिया के लिए चिंता की बड़ी वजह है। रूस-यूक्रेन जंग के पर उन्होंने कहा कि प्रेसीडेंट ट्रंप खुद इस मुद्दे को देख रहे हैं। शांति के लिए हरसंभव प्रयास जारी है।

इससे एक दिन पहले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और गबार्ड ने रविवार को द्विपक्षीय चर्चा की थी और दुनियाभर के शीर्ष खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। ऐसा माना जा रहा है कि डोभाल और गबार्ड ने आमने-सामने की बैठक में भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के अनुरूप मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को मजबूत करने और सुरक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।

हिंद महासागर में मजबूत नौसेना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता”, राजनाथ सिंह ने कहा- चीन की बढ़ती मौजूदगी चिंताजनक

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को भारत के लिए चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक समृद्धि हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हुई है। साथ ही कहा कि नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। रक्षमंत्री ने कहा, हम दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष और युद्ध देख रहे हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें अपनी सुरक्षा के लिए योजना, संसाधन और बजट की आवश्यकता है।

हिंद महासागर महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी पर चिंता जताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की आर्थिक समृद्धि सीधे तौर पर हिंद महासागर क्षेत्र की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बहुत जरूरी है कि हम अपने समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखें और अपने समुद्र तटों की रक्षा करें।

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रमुख नौसैनिक शक्तियों ने हाल के सालों में हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति कम कर दी है, जबकि भारतीय नौसेना ने इसे बढ़ाया है। उन्होंने कहा, अदन की खाड़ी, लाल सागर और पूर्वी अफ्रीकी देशों से लगे समुद्री क्षेत्रों में खतरे बढ़ने की संभावना है। इसे देखते हुए भारतीय नौसेना अपनी उपस्थिति को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 2024 को नौसेना नागरिक वर्ष के रूप में मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान सिंह ने आगे कहा कि दुनियाभर में हो रही उथल-पुथल और संघर्षों के मद्देनजर भारत की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आक्रामक और रक्षा संबंधी प्रक्रियाओं पर बल देने की आवश्यकता है। उन्होंने सशस्त्र बलों के सामने बढ़ती जटिलताओं का जिक्र करते हुए देश की रक्षा क्षमता को जल्द बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तनावपूर्ण भू-राजनीतिक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर सशस्त्र बलों के लिए बढ़ती जटिलताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, अगर हम रक्षा और सुरक्षा के नजरिए से पूरे दशक का आकलन करें तो हम कह सकते हैं कि यह एक उतार-चढ़ाव भरा दशक रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हिंद महासागर में जल की रक्षा करना, नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखना आवश्यक है।

भारत बहुत भाग्यशाली नहीं, दुश्मन अंदर भी हैं, बाहर भी", ऐसा क्यों बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह*

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत सुरक्षा के मोर्चे पर बहुत भाग्यशाली नहीं रहा है। देश को बाहरी और आंतरिक दोनों तरफ से खतरों का सामना करना पड़ता है। हमें लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।राजनाथ सिंह ने रविवार को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले स्थित महू छावनी में सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए सीमा पर सुरक्षा को लेकर ये बातें कहीं। साथ ही रक्षा मंत्री ने सेना के जवानों से आह्वान किया कि वे बाहरी और आंतरिक दुश्मनों पर कड़ी नजर रखें।

आंतरिक या बाहरी दुश्मन हमेशा सक्रिय-राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने रविवार को इंदौर से 25 किलोमीटर दूर महू छावनी में मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और इन्फैंट्री स्कूल, प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान आर्मी वॉर कॉलेज (एडब्ल्यूएस) के साथ-साथ इन्फैंट्री म्यूजियम और आर्मी मार्कस्मैनशिप यूनिट का दौरा किया। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, सुरक्षा के नजरिए से भारत बहुत भाग्यशाली देश नहीं है, क्योंकि हमारी उत्तरी सीमा और पश्चिमी सीमा लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने सैन्यकर्मियों से कहा, हमें आंतरिक मोर्चे पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी असुरक्षा के साथ हम बेफिक्र नहीं हो सकते। हमारे दुश्मन, चाहे आंतरिक हों या बाहरी, हमेशा सक्रिय रहते हैं। इन परिस्थितियों में हमें उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और उनके खिलाफ उचित और समय पर प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

शांति के समय में भी अनुशासन और समर्पण बहुत जरूरी-राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने जवानों से कहा कि शांति के समय में भी अनुशासन और समर्पण बहुत जरूरी है। अनुशासन के इस स्तर को बनाए रखने के लिए समर्पण और दृढ़ विश्वास की आवश्यकता होती है। जवानों का प्रशिक्षण युद्ध से कम नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित और आत्मनिर्भर देश बनाने के लिए सेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

सैन्यकर्मियों के मेहनत और प्रतिबद्धता की सराहना

रक्षामंत्री ने सैन्यकर्मियों से आगे कहा कि उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के कारण देश और इसकी सीमाएं लगातार सुरक्षित और मजबूत होती जा रही हैं। रक्षा मंत्री ने कर्मियों को सैन्य रणनीतियों और युद्ध कौशल में निपुण बनाने में भारतीय सेना के प्रशिक्षण संस्थानों के बहुमूल्य योगदान की भी सराहना की।

एक नेता संविधान की प्रति जेब में रखते हैं, अपने पूर्वजों से यही सीखा', राजनाथ सिंह का राहुल गांधी पर तंज
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* लोकसभा में शुक्रवार को संविधान पर चर्चा की शुरुआत हुई सत्ता पक्ष की ओर से केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चर्चा शुरू की। संविधान दिवस पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर जमकर हमले बोला। राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस हमेशा भारत के संविधान निर्माण के काम को हाईजैक करने की कोशिश करती रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है, लेकिन इसके निर्माण के कार्य को एक पार्टी विशेष द्वारा ‘हाईजैक’ करने की कोशिश हमेशा की गई है। *कांग्रेस शासनकाल में कुल 62 बार संविधान संशोधन हुआ-राजनाथ सिंह* रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज लोग संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं। लेकिन ये समझने की जरूरत है कि किसने संविधान का सम्मान किया है और किसने अपमान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में कुल 62 बार संविधान संशोधन किया गया।कांग्रेस ने न केवल संविधान संशोधन किया है बल्कि दुर्भावना के साथ-साथ धीरे-धीरे संविधान को बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू जब देश के पीएम थे,तो उस समय लगभग 17 बार संविधान में बदलाव किया गया। इंदिरा गांधी के समय लगभग 28 बार संविधान में बदलाव किए गए। राजीव गांधी के समय लगभग 10 बार और मनमोहन सिंह के वक्त 7 बार संविधान में बदलाव किया गया। *कांग्रेस ने विरोधियों को चुप करने के लिए किए संशोधन-राजनाथ सिंह* राजनाथ सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों द्वारा किए गए अधिकांश संविधानिक संशोधन या तो विरोधियों और आलोचकों को चुप कराने के लिए किए गए या तो गलत नीतियों को लागू करने के लिए किए गए। उन्होंने कहा कि आप पहले संविधान संशोधन को ही ले लीजिए, साल 1950 में प्रेस में कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की आलोचना हो रही थी। ऐसे में तब की कांग्रेस की सरकार ने आरएसएस के साप्ताहिक प्रकाशन ऑर्गेनाइजर और मद्रास से निकलने वाली पत्रिका क्रॉस रोड को प्रतिबंधित कर दिया था। *राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कसा तंज* यही नहीं, लोकसभा के उप नेता ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन पर जोरदार तंज कसा। सिंह ने कहा, एक पार्टी विशेष द्वारा संविधान निर्माण के कार्य को 'हाईजैक' करने की कोशिश हमेशा से की गई है। भारत में संविधान निर्माण के इतिहास से जुड़ी ये सब बातें लोगों से छिपायी गई हैं। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, आज विपक्ष के कई नेता संविधान की प्रति अपनी जेब में रखकर घूमते हैं। असल में उन्होंने बचपन से ही यही सीखा है। उन्होंने पीढ़ियों से अपने परिवार में संविधान को जेब में ही रखे देखा है।लेकिन भाजपा संविधान को सिर माथे पर लगाती है। हमारी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति पूरी तरह साफ है।
भारत-रूस की दोस्ती सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची”, मॉस्को में पुतिन से मिलकर बोले राजनाथ सिंह, एस-400 की डिलीवरी पर भी बात*
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस क दौरे पर हैं। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह बैठक भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-M&MTC) के 21वें सत्र के अवसर पर हुई।दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की। इस दौरान भारतीय रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत-रूस में साझेदारी की अपार संभावनाएं हैं। बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, भारत-रूस के बीच दोस्ती सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची और सबसे गहरे महासागर से भी गहरी है। भारत हमेशा अपने रूसी मित्रों के साथ खड़ा रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहेगा। बैठक के बारे में भारत की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं और मिलकर किए जाने वाले प्रयास उल्लेखनीय परिणामों का मार्ग प्रशस्त करेंगे। रक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं। रक्षा मंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा कि मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करके खुशी हुई। *एस-400 मिसाइल की डिलीवर पर जोर* पुतिन से मुलाकात से पहले राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मुलाकात की थी। इस दौरान राजनाथ सिंह ने सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल सिस्टम की दो बची हुई यूनिट की जल्द डिलीवर पर जोर दिया। भारत और रूस के बीच 2018 में एस -400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर डील हुई थी। इस डील के तहत, रूस भारत को अब तक 3 यूनिट एस -400 सौंप चुका है। ये चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात हैं। एस -400, रूस का एक लंबी दूरी का मिसाइल सिस्टम है। इसे 400 किलोमीटर की दूरी तक विमान, ड्रोन, और मिसाइलों का पता लगाने, ट्रैक करने, और नष्ट करने के लिए बनाया गया है। *रूस ने भारत को सौंपा आईएनएस तुशिल* रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 8 से 10 दिसंबर 2024 तक रूस की यात्रा पर हैं। रक्षा मंत्री ने सोमवार को कालिनिनग्राद का दौरा भी किया, जहां पर वह आईएनएस तुशिल की फ्लैग रेजिंग सेरेमनी में शामिल हुए। यह जंगी जहाज एक स्टेल्थ फ्रिगेट है। जिसमें कई एडवांस सिस्टम और मल्टी-रोल वेपन सिस्टम लगे हुए हैं। इससे भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। आईएनएस तुशिल जंगी जहाज प्रोजेक्ट 11356 के तहत भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत और रूस में अक्टूबर 2016 में 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 21 हजार करोड़ रुपए) की डील हुई थी। इसमें से 2 युद्धपोत का निर्माण रूस (यंतर शिपयार्ड) में और 2 का निर्माण (गोवा शिपयार्ड) में होना है। तुशिल की डिलीवरी करने के बाद रूस भारत को जून-जुलाई 2025 में तमाल सौंपेगा।
रूस के 3 दिवसीय दौरे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, पुतिन से हो सकती है बातचीत, जाने क्यों अहम है ये दौरा?

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस दौरे पर हैं। राजनाथ सिंह 10 दिसंबर तक रूस की यात्रा पर रहेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आईएनएस तुशील के कमिशनिंग में हिस्सा लेने के लिए रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे हैं। इस दौरान वो अपने समकक्ष आंद्रे बेलौसोव के साथ-साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बातचीत करेंगे। इसके साथ ही वो सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की 21वीं बैठक की सह-अध्यक्षता भी करेंगे। इस दौरान कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी।

रविवार (8 दिसंबर) देर रात मास्को पहुंचने पर भारतीय राजदूत विनय कुमार और रूसी उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने उनका स्वागत किया। राजनाथ सिंह ने मास्को में 'टॉम्ब ऑफ द अननोन सोल्जर' पर जाकर द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। ये श्रद्धांजलि भारत और रूस के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सामरिक संबंधों को दर्शाती है। इसके साथ ही मंत्री ने भारतीय समुदाय के सदस्यों से बातचीत कर उनके अनुभवों और योगदानों को भी सराहा।

हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत

रक्षा मंत्री इस दौरे के दौरान भारतीय नौसेना के नवीनतम मल्टी-रोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट 'आईएनएस तुशील' के कमीशनिंग समारोह में भी हिस्सा लेंगे। सोमवार को रूस निर्मित स्टील्थ युद्धपोत आईएनएस तुशिल का कलिनिनग्राद के यंत्र शिपयार्ड में जलावतरण होगा। इस दौरान रक्षा मंत्री के साथ भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी होंगे। इस बहुउद्देशीय स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट को तकनीक से मामले में दुनियाभर में अधिक उन्नत युद्धपोतों में से एक माना जाता है। इसकी मदद से हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता में काफी अधिक वृद्धि होने की संभावना है।

मंगलवार को बैठक में होंगे कई समझौते

मंगलवार को मॉस्को में सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग को लेकर होने वाली भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग(IRIGC-M&MTC) बैठक में भारतीय-रूसी रक्षा मंत्री दोनों देशों में रक्षा के क्षेत्र में बहुआयामी संबंधों की शृंखला की समीक्षा करेंगे। बैठक में चर्चा का मुख्य केंद्र रूसी S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली की शेष 2 इकाइयों की डिलीवरी होगी, जो सबसे उन्नत है। S-400 वायु रक्षा प्रणाली की 5 इकाइयों की खरीद 2018 में अंतिम रूप दी गई थी।इसके बाद सिंह सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।

रूसी राष्ट्रपति के 2025 में भारत आने की उम्मीद

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने की उम्मीद है। इस यात्रा की तारीखें राजनयिक बातचीत से तय की जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया है, और उनकी यात्रा का ब्योरा 2025 की शुरुआत में तय किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का कहना है कि रूस के साथ हमारी वार्षिक शिखर वार्ता की व्यवस्था है। मास्को में हुए पिछले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मास्को गए थे। अगला शिखर सम्मेलन 2025 में भारत में होने वाला है, और इसके लिए तारीखें राजनयिक चैनलों के जरिये तय की जाएंगी। क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने 2 दिसंबर को कहा था कि राष्ट्रपति पुतिन को पीएम मोदी से भारत आने का निमंत्रण मिला है और उनकी यात्रा की तारीखें 2025 के शुरुआत में तय की जाएंगी।

भारत-चीन सीमा समझौते पर राजनाथ सिंह का बयान, बोले-सैनिकों के लौटने की प्रक्रिया पूरी, हमारी कोशिश बात आगे बढ़े

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भारत और चीन के बीच अहम समझौते के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बात आगे बढ़ने की उम्मीद जताई है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर भारत और चीन की ओर से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। अब उनकी पूरी कोशिश होगी कि बातचीत इससे आगे बढ़े, लेकिन इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।

राजनाथ सिंह ने कहा एलएसी पर कुछ क्षेत्रों में संघर्षों को सुलझाने के लिए, भारत और चीन के बीच, राजनयिक और सैन्य, दोनों ही स्तरों पर बातचीत होती रही है। अभी हाल की बातचीत के बाद जमीनी स्थिति बहाल करने के लिए व्यापक सहमति बनी है। यह सहमति, समानता और पारस्परिक सुरक्षा के आधार पर बनी है। इस सहमति में पारंपरिक क्षेत्रों के अंतर्गत गश्त और चराई का अधिकार भी शामिल है। इस सहमति के आधार पर, पीछे हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। हमारा प्रयास होगा, कि बात डिसएंगेजमेंट से भी आगे बढ़े, लेकिन उसके लिए, हमें अभी थोड़ा इंतजार करना होगा।

रक्षामंत्री ने आगे कहा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं। हम अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं और यह भारत की स्पष्ट नीति है। हम चीन के साथ आम सहमति के जरिए शांति प्रक्रिया को जारी रखना चाहते हैं। कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं कि देश की सीमाओं की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जबकि सरकार शांति बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यह एलएसी पर सीमा से जुड़ा एक बड़ा घटनाक्रम है। हमारे प्रयासों के बाद हम एलएसी पर जमीनी हालात पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं।

इधर, बुधवार को भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध वाले दो स्थानों-डेमचोक और देपसांग से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और जल्द ही इन जगहों पर गश्त शुरू कर दी जाएगी।

बता दें कि हाल ही में भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था के संबंध में एक समझौता हुआ है। इससे पहले चीनी सैन्य कार्रवाइयों के कारण दोनों देशों के बीच सीमा गतिरोध 2020 में एलएसी के साथ पूर्वी लद्दाख में शुरू हुआ। इसके बाद दोनों देशों के बीच लंबे समय तक तनाव बना रहा, जिससे संबंधों में काफी तनाव आया। हालांकि, हाल ही में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई, जिसने दोनों देशों के बीच कम होते तनाव का संकेत दिया।

अब पाकिस्तान के खिलाफ होगा कौन सा फैसला? पीएम मोदी से फिर मिलने पहुंचे राजनाथ, डोभाल भी है साथ

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 मासूमों के नंरसंहार के बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा है। पाक आर्मी की तरफ से एलओसी पर एक बार फिर से गोलीबारी की गई है। कुपवाड़ा और पुंछ के इलाकों में यह फायरिंग छोटे हथियारों से की गई, जिसका भारतीय सेना ने भी माकूल जवाब दिया है। इस बीच आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पीएम मोदी से मिलने पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा फैसला हो सकता है।

पीएम के साथ बैठक में डोभाल भी शामिल

पहलगाम आतंकी हमले में हिन्दुओं के नरसंहार हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत का ताबड़तोड़ एक्शन जारी है। पाकिस्तान के खिलाफ जंग की अटकलों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की पीएम मोदी के साथ मुलाकात चल रही है। पीएम आवास पर हो रही इस बैठक में तीनों सेना के प्रमुख सीडीएस अनिल चौहाण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी शामिल हैं।

तनाव के बीच कितनी अहम है बैठक?

बता दें कि पाकिस्तानी फौज ने पहलगाम हमले के बाद लगातार चौथे दिन सीजफायर वॉयलेशन किया। रविवार देर रात और सोमवार तड़के पाकिस्तानी सेना ने एलओसी पर फायरिंग की। भारतीय सेना ने भी इसका जवाब दिया। ऐसे समय में रक्षामंक्षी राजनाथ सिंह की पीएम मोदी के साथ बैठक काफी अहम मानी जा रहा है। बताया जा रहा है कि राजनाथ मौजूदा हालात और रणनीति को लेकर प्रधानमंत्री के पास पहुंचे हैं।

पहलगाम आतंकी हमला: राजनाथ सिंह ने सैन्य अधिकारियों के साथ की बैठक

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार अलर्ट मोड पर है। एक तरफ प्रधानमंत्री मौदी अपना सउदी दौरा रद्द कर देर रात लौट आए। वहीं, पीएम के निर्देश पर गृहमंत्री अमित शाह हालात का जायजा लेने हमले के कुछ घेटों के बाद ही श्रीनगर पहुंच गए। इधर, आतंकी हमले के बाद बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय में अहम बैठक की अध्यक्षता की। 

इस हाई लेवल मीटिंग में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की गई। मीटिंग में तीनों सेनाओं के प्रमुख ने अपनी-अपनी तैयारियों को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनकी तीनों सेनाएं हर परिस्थिति के लिए तैयार है। यह बैठक करीब 2.5 घंटे तक चली। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों को अपनी युद्ध तत्परता बढ़ाने और आतंकवाद विरोधी अभियानों की में तेजी लाने का निर्देश दिया।

इस बैठक में सीडीएस अनिल चौहान और एनएसए अजित डोभाल भी शामिल हुए। इनके अलावा बैठक में थल सेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना चीफ एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और नौसेना प्रमुख दिनेश त्रिपाठी भी मौजूद रहे। अब छह बजे सुरक्षा मामलों की केंद्रीय समिति की बैठक होनी है। सीसीएस की मीटिंग को दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पीएम मोदी को जानकारी देंगे।

पाकिस्तान को हथियार, टेक्नोलॉजी ना दें” नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री से बोले राजनाथ

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भारत ने पाकिस्तान के झूठ के खिलाफ अब आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया है। अब तक कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की ओर से लगाए जा रहे झूठे आरोपों को भारत खारिज ही किया जाता रहा है, लेकिन अब एक कदम आगे बढ़ाया है। भारत ने अब वैश्विक मंच पर उसे बेनकाब करने के लिए कूटनीतिक मोर्चे पर नया कदम बढ़ाया है। दरअसल, राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड के रक्षा मंत्री से बात करते हुए पाकिस्तान को आतंक का प्रायोजक करार दिया। साथ ही पाकिस्तान को कोई भी सैन्य सहायता या तकनीक ना देने की अपील की है। राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड्स से कहा कि वे पाकिस्तान को सैन्य उपकरण और तकनीक ना दें क्योंकि ये रीजनल सिक्योरिटी के लिए खतरा है।

नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री रुबेन बर्कलमैन्स भारत दौरे पर आए हैं। मंगलवार उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की।इस दौरान दोनों नेताओं ने आने वाले दिनों में भारत और नीदरलैंड के बीच द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की।सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को सपोर्ट कर रहा है और आतंकवाद का प्रायोजक है। इसलिए हम अपने सभी मित्र देशों से उम्मीद करते हैं कि वे पाकिस्तान को सैन्य उपकरण ना दें। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को हथियार देने से क्षेत्र (रीजन)में अस्थिरता बढ़ती है।

राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड्स के रक्षा मंत्री से कहा कि पिछले कुछ वक्त में हमारी नजर में इस तरह के कुछ केस आए भी हैं। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने उन्हें कुछ केस की डिटेल भी दी। राजनाथ सिंह ने इसका भी जिक्र किया कि भारत दशकों से पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने कहा कि हम अपने मित्र देशों से उम्मीद करते हैं कि वे रीजन की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हु़ए पाकिस्तान को तकनीकी में मदद से परहेज करें।

वहीं, दोनों नेताओं ने आज मंगलवार को नई दिल्ली में इंडो-पैसिफिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती तकनीकों समेत कई विषयों पर चर्चा की। मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट किया। राजनाथ सिंह ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “नई दिल्ली में नीदरलैंड के युवा और गतिशील रक्षा मंत्री रूबेन बर्केलमैन्स से मिलकर खुशी हुई। हमने भारत-नीदरलैंड रक्षा सहयोग की पूरी श्रृंखला का रिव्यू किया। हम अपनी रक्षा साझेदारी को और गहरा और उन्नत करने के लिए तत्पर हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हमारी चर्चा के क्षेत्रों में रक्षा, साइबर सुरक्षा, इंडो-पैसिफिक और एआई जैसी उभरती टेक्नोलॉजी शामिल थीं।”

इससे पहले राजनाथ सिंह ने अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह ने खालिस्तानी अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) की अमेरिकी धरती पर गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया और उनसे इसे आतंकवादी संगठन घोषित करने का अनुरोध किया। सूत्रों ने यह भी बताया कि रायसीना हिल्स स्थित अपने ऑफिस में 30 मिनट से अधिक समय तक की बैठक में राजनाथ सिंह ने तुलसी गबार्ड को एसएफजे के पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के साथ कथित संबंधों और तालमेल के बारे में भी अवगत कराया। रक्षा मंत्री इसके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की बात भी कही।

तुलसी गबार्ड ने राजनाथ सिंह से की मुलाकात, खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस का मुद्दा पर हुई बात

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अमेरिका की डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (डीएनआई) तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा पर हैं। भारत दौरे पर आई तुलसी गबार्ड ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने खालिस्तानी समूह ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) की गतिविधियों पर चिंता जताई। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने इस गैरकानूनी संगठन पर अमेरिका से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने अमेरिकी प्रशासन से इस समूह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया। रक्षा मंत्री और गबार्ड की बैठक का मुख्य उद्देश्य भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना था। इसमें रक्षा और खुफिया साझेदारी पर जोर दिया गया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने जोर दिया कि रणनीतिक सुरक्षा दोनों देशों के व्यापक वैश्विक रणनीतिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

आधिकारिक बयान में कहा गया, राजनाथ सिंह और तुलसी गबार्ड ने सैन्य अभ्यास, रणनीतिक सहयोग, रक्षा औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के एकीकरण और विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में सूचना-साझाकरण सहयोग के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा की। दोनों नेताओं ने अत्याधुनिक रक्षा नवाचार और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों में सहयोग के अवसरों का पता लगाया, जो उनके साझा रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अलावा उन्होंने अंतर-संचालन को बढ़ाने और रक्षा औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के एकीकरण को बढ़ावा देने के प्रमुख क्षेत्रों पर भी चर्चा की।

तुलसी गबार्ड ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के दौरान बांग्लादेश को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता जताई और वहां की युनूस सरकार को सुना दिया। गबार्ड ने कहा कि बांग्लादेश के साथ वार्ता के दौरान ये मुद्दा केंद्र में रहने वाला है। धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, उनके साथ अत्याचार हमेशा से एक चिंता की बात रही है। इस्लामिक आतंकवाद दुनिया के लिए चिंता की बड़ी वजह है। रूस-यूक्रेन जंग के पर उन्होंने कहा कि प्रेसीडेंट ट्रंप खुद इस मुद्दे को देख रहे हैं। शांति के लिए हरसंभव प्रयास जारी है।

इससे एक दिन पहले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और गबार्ड ने रविवार को द्विपक्षीय चर्चा की थी और दुनियाभर के शीर्ष खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। ऐसा माना जा रहा है कि डोभाल और गबार्ड ने आमने-सामने की बैठक में भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के अनुरूप मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को मजबूत करने और सुरक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।

हिंद महासागर में मजबूत नौसेना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता”, राजनाथ सिंह ने कहा- चीन की बढ़ती मौजूदगी चिंताजनक

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को भारत के लिए चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक समृद्धि हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हुई है। साथ ही कहा कि नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। रक्षमंत्री ने कहा, हम दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष और युद्ध देख रहे हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें अपनी सुरक्षा के लिए योजना, संसाधन और बजट की आवश्यकता है।

हिंद महासागर महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी पर चिंता जताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की आर्थिक समृद्धि सीधे तौर पर हिंद महासागर क्षेत्र की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बहुत जरूरी है कि हम अपने समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखें और अपने समुद्र तटों की रक्षा करें।

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रमुख नौसैनिक शक्तियों ने हाल के सालों में हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति कम कर दी है, जबकि भारतीय नौसेना ने इसे बढ़ाया है। उन्होंने कहा, अदन की खाड़ी, लाल सागर और पूर्वी अफ्रीकी देशों से लगे समुद्री क्षेत्रों में खतरे बढ़ने की संभावना है। इसे देखते हुए भारतीय नौसेना अपनी उपस्थिति को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 2024 को नौसेना नागरिक वर्ष के रूप में मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान सिंह ने आगे कहा कि दुनियाभर में हो रही उथल-पुथल और संघर्षों के मद्देनजर भारत की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आक्रामक और रक्षा संबंधी प्रक्रियाओं पर बल देने की आवश्यकता है। उन्होंने सशस्त्र बलों के सामने बढ़ती जटिलताओं का जिक्र करते हुए देश की रक्षा क्षमता को जल्द बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तनावपूर्ण भू-राजनीतिक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर सशस्त्र बलों के लिए बढ़ती जटिलताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, अगर हम रक्षा और सुरक्षा के नजरिए से पूरे दशक का आकलन करें तो हम कह सकते हैं कि यह एक उतार-चढ़ाव भरा दशक रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हिंद महासागर में जल की रक्षा करना, नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखना आवश्यक है।

भारत बहुत भाग्यशाली नहीं, दुश्मन अंदर भी हैं, बाहर भी", ऐसा क्यों बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह*

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत सुरक्षा के मोर्चे पर बहुत भाग्यशाली नहीं रहा है। देश को बाहरी और आंतरिक दोनों तरफ से खतरों का सामना करना पड़ता है। हमें लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।राजनाथ सिंह ने रविवार को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले स्थित महू छावनी में सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए सीमा पर सुरक्षा को लेकर ये बातें कहीं। साथ ही रक्षा मंत्री ने सेना के जवानों से आह्वान किया कि वे बाहरी और आंतरिक दुश्मनों पर कड़ी नजर रखें।

आंतरिक या बाहरी दुश्मन हमेशा सक्रिय-राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने रविवार को इंदौर से 25 किलोमीटर दूर महू छावनी में मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और इन्फैंट्री स्कूल, प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान आर्मी वॉर कॉलेज (एडब्ल्यूएस) के साथ-साथ इन्फैंट्री म्यूजियम और आर्मी मार्कस्मैनशिप यूनिट का दौरा किया। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, सुरक्षा के नजरिए से भारत बहुत भाग्यशाली देश नहीं है, क्योंकि हमारी उत्तरी सीमा और पश्चिमी सीमा लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने सैन्यकर्मियों से कहा, हमें आंतरिक मोर्चे पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी असुरक्षा के साथ हम बेफिक्र नहीं हो सकते। हमारे दुश्मन, चाहे आंतरिक हों या बाहरी, हमेशा सक्रिय रहते हैं। इन परिस्थितियों में हमें उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और उनके खिलाफ उचित और समय पर प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

शांति के समय में भी अनुशासन और समर्पण बहुत जरूरी-राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने जवानों से कहा कि शांति के समय में भी अनुशासन और समर्पण बहुत जरूरी है। अनुशासन के इस स्तर को बनाए रखने के लिए समर्पण और दृढ़ विश्वास की आवश्यकता होती है। जवानों का प्रशिक्षण युद्ध से कम नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित और आत्मनिर्भर देश बनाने के लिए सेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

सैन्यकर्मियों के मेहनत और प्रतिबद्धता की सराहना

रक्षामंत्री ने सैन्यकर्मियों से आगे कहा कि उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के कारण देश और इसकी सीमाएं लगातार सुरक्षित और मजबूत होती जा रही हैं। रक्षा मंत्री ने कर्मियों को सैन्य रणनीतियों और युद्ध कौशल में निपुण बनाने में भारतीय सेना के प्रशिक्षण संस्थानों के बहुमूल्य योगदान की भी सराहना की।

एक नेता संविधान की प्रति जेब में रखते हैं, अपने पूर्वजों से यही सीखा', राजनाथ सिंह का राहुल गांधी पर तंज
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* लोकसभा में शुक्रवार को संविधान पर चर्चा की शुरुआत हुई सत्ता पक्ष की ओर से केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चर्चा शुरू की। संविधान दिवस पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर जमकर हमले बोला। राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस हमेशा भारत के संविधान निर्माण के काम को हाईजैक करने की कोशिश करती रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है, लेकिन इसके निर्माण के कार्य को एक पार्टी विशेष द्वारा ‘हाईजैक’ करने की कोशिश हमेशा की गई है। *कांग्रेस शासनकाल में कुल 62 बार संविधान संशोधन हुआ-राजनाथ सिंह* रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज लोग संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं। लेकिन ये समझने की जरूरत है कि किसने संविधान का सम्मान किया है और किसने अपमान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में कुल 62 बार संविधान संशोधन किया गया।कांग्रेस ने न केवल संविधान संशोधन किया है बल्कि दुर्भावना के साथ-साथ धीरे-धीरे संविधान को बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू जब देश के पीएम थे,तो उस समय लगभग 17 बार संविधान में बदलाव किया गया। इंदिरा गांधी के समय लगभग 28 बार संविधान में बदलाव किए गए। राजीव गांधी के समय लगभग 10 बार और मनमोहन सिंह के वक्त 7 बार संविधान में बदलाव किया गया। *कांग्रेस ने विरोधियों को चुप करने के लिए किए संशोधन-राजनाथ सिंह* राजनाथ सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों द्वारा किए गए अधिकांश संविधानिक संशोधन या तो विरोधियों और आलोचकों को चुप कराने के लिए किए गए या तो गलत नीतियों को लागू करने के लिए किए गए। उन्होंने कहा कि आप पहले संविधान संशोधन को ही ले लीजिए, साल 1950 में प्रेस में कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की आलोचना हो रही थी। ऐसे में तब की कांग्रेस की सरकार ने आरएसएस के साप्ताहिक प्रकाशन ऑर्गेनाइजर और मद्रास से निकलने वाली पत्रिका क्रॉस रोड को प्रतिबंधित कर दिया था। *राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कसा तंज* यही नहीं, लोकसभा के उप नेता ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन पर जोरदार तंज कसा। सिंह ने कहा, एक पार्टी विशेष द्वारा संविधान निर्माण के कार्य को 'हाईजैक' करने की कोशिश हमेशा से की गई है। भारत में संविधान निर्माण के इतिहास से जुड़ी ये सब बातें लोगों से छिपायी गई हैं। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, आज विपक्ष के कई नेता संविधान की प्रति अपनी जेब में रखकर घूमते हैं। असल में उन्होंने बचपन से ही यही सीखा है। उन्होंने पीढ़ियों से अपने परिवार में संविधान को जेब में ही रखे देखा है।लेकिन भाजपा संविधान को सिर माथे पर लगाती है। हमारी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति पूरी तरह साफ है।
भारत-रूस की दोस्ती सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची”, मॉस्को में पुतिन से मिलकर बोले राजनाथ सिंह, एस-400 की डिलीवरी पर भी बात*
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस क दौरे पर हैं। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह बैठक भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-M&MTC) के 21वें सत्र के अवसर पर हुई।दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की। इस दौरान भारतीय रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत-रूस में साझेदारी की अपार संभावनाएं हैं। बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, भारत-रूस के बीच दोस्ती सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची और सबसे गहरे महासागर से भी गहरी है। भारत हमेशा अपने रूसी मित्रों के साथ खड़ा रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहेगा। बैठक के बारे में भारत की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं और मिलकर किए जाने वाले प्रयास उल्लेखनीय परिणामों का मार्ग प्रशस्त करेंगे। रक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं। रक्षा मंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा कि मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करके खुशी हुई। *एस-400 मिसाइल की डिलीवर पर जोर* पुतिन से मुलाकात से पहले राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मुलाकात की थी। इस दौरान राजनाथ सिंह ने सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल सिस्टम की दो बची हुई यूनिट की जल्द डिलीवर पर जोर दिया। भारत और रूस के बीच 2018 में एस -400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर डील हुई थी। इस डील के तहत, रूस भारत को अब तक 3 यूनिट एस -400 सौंप चुका है। ये चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात हैं। एस -400, रूस का एक लंबी दूरी का मिसाइल सिस्टम है। इसे 400 किलोमीटर की दूरी तक विमान, ड्रोन, और मिसाइलों का पता लगाने, ट्रैक करने, और नष्ट करने के लिए बनाया गया है। *रूस ने भारत को सौंपा आईएनएस तुशिल* रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 8 से 10 दिसंबर 2024 तक रूस की यात्रा पर हैं। रक्षा मंत्री ने सोमवार को कालिनिनग्राद का दौरा भी किया, जहां पर वह आईएनएस तुशिल की फ्लैग रेजिंग सेरेमनी में शामिल हुए। यह जंगी जहाज एक स्टेल्थ फ्रिगेट है। जिसमें कई एडवांस सिस्टम और मल्टी-रोल वेपन सिस्टम लगे हुए हैं। इससे भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। आईएनएस तुशिल जंगी जहाज प्रोजेक्ट 11356 के तहत भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत और रूस में अक्टूबर 2016 में 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 21 हजार करोड़ रुपए) की डील हुई थी। इसमें से 2 युद्धपोत का निर्माण रूस (यंतर शिपयार्ड) में और 2 का निर्माण (गोवा शिपयार्ड) में होना है। तुशिल की डिलीवरी करने के बाद रूस भारत को जून-जुलाई 2025 में तमाल सौंपेगा।
रूस के 3 दिवसीय दौरे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, पुतिन से हो सकती है बातचीत, जाने क्यों अहम है ये दौरा?

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस दौरे पर हैं। राजनाथ सिंह 10 दिसंबर तक रूस की यात्रा पर रहेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आईएनएस तुशील के कमिशनिंग में हिस्सा लेने के लिए रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे हैं। इस दौरान वो अपने समकक्ष आंद्रे बेलौसोव के साथ-साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बातचीत करेंगे। इसके साथ ही वो सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की 21वीं बैठक की सह-अध्यक्षता भी करेंगे। इस दौरान कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी।

रविवार (8 दिसंबर) देर रात मास्को पहुंचने पर भारतीय राजदूत विनय कुमार और रूसी उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने उनका स्वागत किया। राजनाथ सिंह ने मास्को में 'टॉम्ब ऑफ द अननोन सोल्जर' पर जाकर द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। ये श्रद्धांजलि भारत और रूस के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सामरिक संबंधों को दर्शाती है। इसके साथ ही मंत्री ने भारतीय समुदाय के सदस्यों से बातचीत कर उनके अनुभवों और योगदानों को भी सराहा।

हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत

रक्षा मंत्री इस दौरे के दौरान भारतीय नौसेना के नवीनतम मल्टी-रोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट 'आईएनएस तुशील' के कमीशनिंग समारोह में भी हिस्सा लेंगे। सोमवार को रूस निर्मित स्टील्थ युद्धपोत आईएनएस तुशिल का कलिनिनग्राद के यंत्र शिपयार्ड में जलावतरण होगा। इस दौरान रक्षा मंत्री के साथ भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी होंगे। इस बहुउद्देशीय स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट को तकनीक से मामले में दुनियाभर में अधिक उन्नत युद्धपोतों में से एक माना जाता है। इसकी मदद से हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता में काफी अधिक वृद्धि होने की संभावना है।

मंगलवार को बैठक में होंगे कई समझौते

मंगलवार को मॉस्को में सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग को लेकर होने वाली भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग(IRIGC-M&MTC) बैठक में भारतीय-रूसी रक्षा मंत्री दोनों देशों में रक्षा के क्षेत्र में बहुआयामी संबंधों की शृंखला की समीक्षा करेंगे। बैठक में चर्चा का मुख्य केंद्र रूसी S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली की शेष 2 इकाइयों की डिलीवरी होगी, जो सबसे उन्नत है। S-400 वायु रक्षा प्रणाली की 5 इकाइयों की खरीद 2018 में अंतिम रूप दी गई थी।इसके बाद सिंह सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।

रूसी राष्ट्रपति के 2025 में भारत आने की उम्मीद

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने की उम्मीद है। इस यात्रा की तारीखें राजनयिक बातचीत से तय की जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया है, और उनकी यात्रा का ब्योरा 2025 की शुरुआत में तय किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का कहना है कि रूस के साथ हमारी वार्षिक शिखर वार्ता की व्यवस्था है। मास्को में हुए पिछले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मास्को गए थे। अगला शिखर सम्मेलन 2025 में भारत में होने वाला है, और इसके लिए तारीखें राजनयिक चैनलों के जरिये तय की जाएंगी। क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने 2 दिसंबर को कहा था कि राष्ट्रपति पुतिन को पीएम मोदी से भारत आने का निमंत्रण मिला है और उनकी यात्रा की तारीखें 2025 के शुरुआत में तय की जाएंगी।

भारत-चीन सीमा समझौते पर राजनाथ सिंह का बयान, बोले-सैनिकों के लौटने की प्रक्रिया पूरी, हमारी कोशिश बात आगे बढ़े

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भारत और चीन के बीच अहम समझौते के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बात आगे बढ़ने की उम्मीद जताई है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर भारत और चीन की ओर से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। अब उनकी पूरी कोशिश होगी कि बातचीत इससे आगे बढ़े, लेकिन इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।

राजनाथ सिंह ने कहा एलएसी पर कुछ क्षेत्रों में संघर्षों को सुलझाने के लिए, भारत और चीन के बीच, राजनयिक और सैन्य, दोनों ही स्तरों पर बातचीत होती रही है। अभी हाल की बातचीत के बाद जमीनी स्थिति बहाल करने के लिए व्यापक सहमति बनी है। यह सहमति, समानता और पारस्परिक सुरक्षा के आधार पर बनी है। इस सहमति में पारंपरिक क्षेत्रों के अंतर्गत गश्त और चराई का अधिकार भी शामिल है। इस सहमति के आधार पर, पीछे हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। हमारा प्रयास होगा, कि बात डिसएंगेजमेंट से भी आगे बढ़े, लेकिन उसके लिए, हमें अभी थोड़ा इंतजार करना होगा।

रक्षामंत्री ने आगे कहा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं। हम अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं और यह भारत की स्पष्ट नीति है। हम चीन के साथ आम सहमति के जरिए शांति प्रक्रिया को जारी रखना चाहते हैं। कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं कि देश की सीमाओं की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जबकि सरकार शांति बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यह एलएसी पर सीमा से जुड़ा एक बड़ा घटनाक्रम है। हमारे प्रयासों के बाद हम एलएसी पर जमीनी हालात पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं।

इधर, बुधवार को भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध वाले दो स्थानों-डेमचोक और देपसांग से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और जल्द ही इन जगहों पर गश्त शुरू कर दी जाएगी।

बता दें कि हाल ही में भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था के संबंध में एक समझौता हुआ है। इससे पहले चीनी सैन्य कार्रवाइयों के कारण दोनों देशों के बीच सीमा गतिरोध 2020 में एलएसी के साथ पूर्वी लद्दाख में शुरू हुआ। इसके बाद दोनों देशों के बीच लंबे समय तक तनाव बना रहा, जिससे संबंधों में काफी तनाव आया। हालांकि, हाल ही में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई, जिसने दोनों देशों के बीच कम होते तनाव का संकेत दिया।