मॉरिशस में पीएम मोदी का भव्य स्वागत, प्रधानमंत्री-स्पीकर समेत सभी मंत्री तक पहुंचे एयरपोर्ट


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार की सुबह मॉरीशस पहुंचे। पीएम मोदी का मॉरीशस दौरा दो दिनों का है। इन दो दिनों में भारत और मॉरीशस के बीच रिश्तों का नया अध्याय शुरू होगा। पीएम मोदी 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। भारतीय नौसेना के एक जहाज के साथ भारतीय रक्षा बलों की एक टुकड़ी समारोह में भाग लेगी। पीएम मोदी अपने इस दौरे के दौरान भारत और मॉरीशस क्षमता निर्माण, व्यापार और सीमा पार वित्तीय अपराधों से निपटने के क्षेत्रों में सहयोग के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मॉरिशस पहुंचने पर एयरपोर्ट पर काफी गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया गया।मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम समेत शीर्ष हस्तियों ने पीएम मोदी का स्वागत किया। पीएम नवीन ने पीएम मोदी को माला पहनाई और गले लगाकर उनका अपने देश में अभिनंदन किया। इस दौरान पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।

पीएम मोदी के स्वागत के लिए एयरपोर्ट पर 200 गणमान्य लोग

पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के साथ उप प्रधानमंत्री, मॉरीशस के मुख्य न्यायाधीश, नेशनल असेंबली के स्पीकर, विपक्ष के नेता, विदेश मंत्री, कैबिनेट सचिव, ग्रैंड पोर्ट डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के अध्यक्ष और कई अन्य लोग भी मौजूद थे। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट पर कुल 200 गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे, जिनमें सांसद, विधायक, राजनयिक दल और धार्मिक नेता शामिल थे।

क्यों खास है पीएम मोदी का मॉरिशस दौरा?

पीएम मोदी का मॉरिशस का दौरा काफी ज्यादा अहम माना जा रहा है। इस दौरे के दौरान दोनों देशों के रिश्तों में और भी गहराई आने की उम्मीद है। साथ ही, पीएम मोदी और मॉरिशस के प्रधानमंत्री के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।

भारत के लिए क्यों अहम है मॉरीशस

भारत मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। सिंगापुर के बाद मॉरीशस 2023-24 के लिए भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत था। यह प्रधानमंत्री मोदी की 2015 के बाद पहली मॉरीशस यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी की वर्तमान यात्रा से विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। भारत और मॉरीशस के बीच व्यापार को और अधिक मजबूत करने के लिए इस यात्रा के दौरान कई नई परियोजनाओं की शुरुआत की जा सकती है। भारत मॉरीशस में बुनियादी ढांचे, डिजिटल टेक्नोलॉजी और स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश कर रहा है, जिससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।

नागरिकता रद्द होने के बाद, 'सुंदर देश' वानुअतु से ललित मोदी ने शेयर की फोटो

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इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व कमिश्नर ललित कुमार मोदी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर वानुअतु से अपनी तस्वीरें शेयर कीं, जब द्वीपीय देश के प्रधानमंत्री जोथम नापत ने नागरिकता आयोग को उन्हें जारी किए गए पासपोर्ट को रद्द करने का निर्देश दिया। मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, "वानुअतु एक खूबसूरत देश है। आपको इसे अपनी बकेट लिस्ट में जरूर शामिल करना चाहिए। प्रदूषण और शोर से दूर, वाकई स्वर्ग जैसा देश।" 

7 मार्च को मोदी ने लंदन में भारतीय उच्चायोग में अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने दक्षिण प्रशांत द्वीपीय देश वानुअतु की नागरिकता हासिल कर ली है। उन्होंने 2010 में भारत छोड़ दिया था और कहा जाता है कि वे लंदन में रह रहे हैं। वानुअतु गणराज्य द्वारा जारी आधिकारिक मीडिया वक्तव्य में कहा गया है, "मैंने नागरिकता आयोग को निर्देश दिया है कि वह अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हाल ही में हुए खुलासों के बाद ललित मोदी को जारी वानुअतु पासपोर्ट रद्द कर दे।" "जबकि उनके आवेदन के दौरान की गई इंटरपोल स्क्रीनिंग सहित सभी मानक पृष्ठभूमि जांचों में कोई आपराधिक दोष सिद्ध नहीं हुआ, मुझे पिछले 24 घंटों में पता चला है कि इंटरपोल ने दो बार भारतीय अधिकारियों के ललित मोदी पर अलर्ट नोटिस जारी करने के अनुरोध को ठोस न्यायिक साक्ष्य की कमी के कारण खारिज कर दिया है," पीटीआई ने वक्तव्य के हवाले से कहा।

ललित मोदी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

ललित मोदी, जो पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे, पर बोली-धांधली, मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) का उल्लंघन करने का आरोप है। उन्होंने अनधिकृत फंड ट्रांसफर सहित वित्तीय कदाचार के लिए जांच के दौरान 2010 में भारत छोड़ दिया था। यदि मोदी का भारतीय पासपोर्ट रद्द करने का अनुरोध स्वीकार कर लिया जाता है, तो वे ब्रिटेन में अवैध विदेशी बन सकते हैं क्योंकि वानुअतु भी उनकी नागरिकता रद्द कर रहा है।

8 मार्च को ललित मोदी ने एक्स पर लिखा, "भारत की किसी भी अदालत में मेरे खिलाफ व्यक्तिगत रूप से कोई मामला लंबित नहीं है। यह केवल मीडिया की कल्पना है। पंद्रह साल बीत चुके हैं। लेकिन वे कहते रहते हैं कि हम मेरे पीछे पड़े हैं - उनका स्वागत है।" "लेकिन पहले किसी भी गलत काम के लिए आवेदन करें, बजाय इसके कि आप यह कल्पना करें कि मुझ पर कोई गलत आरोप लगाया गया है। इसे फर्जी खबर कहा जाता है, मैंने अकेले ही केवल एक ही काम किया है, वह है आईपीएल नामक एक वैश्विक पसंद किया जाने वाला उत्पाद बनाना, जिसे आप ऐसे पसंद करते हैं जैसे कि कल कभी आएगा ही नहीं," उन्होंने आगे कहा।

उल्टा पड़ा ललित मोदी का दांव, पासपोर्ट रद्द करेगी वनुआतू सरकार

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भगोड़े बिजनेसमैन ललित मोदी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। एक तरफ ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया है। वहीं, प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीपीय देश वनुआतू की नागरिकता हासिल कर ली है। हालांकि, अब वनुआतु के प्रधानमंत्री जोथम नापत ने सोमवार को नागरिकता आयोग को निर्देश दिया है कि ललित मोदी को दिया गया वनुआतु पासपोर्ट रद्द कर दिया जाए।सरकार का कहना है कि प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश की वजह से दक्षिण प्रशांत महासागर के इस देश में नागरिकता पाने के लिए ललित मोदी के पास वैध कारण नहीं हैं।

वानुआतु के प्रधानमंत्री जोथम नापत ने देश के नागरिकता आयोग से ललित मोदी को जारी पासपोर्ट रद्द करने को कहा है। पीएम ने कहा कि उनके आवेदन के दौरान इंटरपोल स्क्रीनिंग सहित सभी मानक पृष्ठभूमि जांचों में कोई आपराधिक दोष सिद्ध नहीं हुआ, मुझे पिछले 24 घंटों में पता चला है कि इंटरपोल ने दो बार मोदी पर अलर्ट नोटिस जारी करने के भारतीय अधिकारियों के अनुरोध को सबूत की कमी के कारण खारिज कर दिया है। इस तरह के किसी भी अलर्ट से मोदी के नागरिकता आवेदन को स्वतः ही अस्वीकार कर दिया जाता।

वानुअतु डेली पोस्ट ने आगे लिखा, हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में हुए खुलासों के बाद यह फैसला लिया गया है। बाकी जानकारी कल के अखबार में देंगे। इसमें यह नहीं बताया गया कि आखिर किस खुलासे की बात की जा रही है। हालांकि अनुमान है कि वनुआतु को बाद में पता चला कि ललित मोदी भारत का भगोड़ा कारोबारी है, जिस कारण यह फैसला लिया गया।

ललित मोदी ने 7 मार्च को अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया था। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस घटना की पुष्टि की थी।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, उसने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए आवेदन किया है। इसकी जांच मौजूदा नियमों और प्रक्रियाओं के आलोक में की जाएगी। हमें यह भी बताया गया है कि उसने वनुआतु की नागरिकता हासिल कर ली है. हम कानून के तहत उसके खिलाफ मामला आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। ललित मोदी साल 2010 में भारत से भाग गया था और तब से लंदन में रह रहा है।

बता दें कि वनुआतु देश ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के करीब है और 83 छोटे ज्वालामुखीय द्वीपों से मिलकर बना है। 65 द्वीप ऐसे हैं, जहां कोई भी नहीं रहता। वनुआतु में कई एक्टिव ज्वलामुखी हैं, जिनमें एक पानी के नीचे भी मौजूद है। अगर वनुआतु के जनसंख्या की बात करें तो यह 300,109 है। वनुआतु की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा नागरिकता बेचकर चलता है।

ललित मोदी ने भारतीय पासपोर्ट जमा करने के लिए दिया आवेदन, भगोड़े की भारत वापसी मुश्किल

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पूर्व उद्योगपति और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी की भारत वापसी अब बेहद मुश्किल हो गई है। ललित मोदी ने अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया है। दरअसल, ललित मोदी ने प्रशांत महासागर में मौजूद एक टापू देश वनुआतु की नागरिकता हासिल कर ली है।इसका मतलब है कि ललित मोदी को स्वदेश लाना अब और मुश्किल हो गया है। इसको लेकर विदेश मंत्रालय का भी रिएक्शन सामने आया है।

रणधीर जायसवाल ने बताया कि, ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट छोड़ने के लिए आवेदन किया है। इस आवेदन को नियमों और प्रक्रियाओं के तहत जांचा जाएगा। हमें यह भी पता लगा है कि उन्होंने वानुअतु की नागरिकता प्राप्त कर ली है। कानून के तहत हम उनके ख़िलाफ़ मामला आगे भी जारी रखेंगे।

ललित मोदी के वकील महमूद आब्दी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने दक्षिण प्रशांत द्वीप राष्ट्र वानुअतु की नागरिकता ली है। महमूद आब्दी ने दावा किया कि किसी भी भारतीय एजेंसी ने भारत की किसी भी कोर्ट में ललित मोदी के खिलाफ शिकायत या चार्जशीट दायर नहीं की है। उन्होंने कहा कि भारत की किसी भी कोर्ट ने ललित मोदी के ख़िलाफ आरोप भी तय नहीं किए हैं।

ललित मोदी पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए बिडिंग में गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगा था। ललित मोदी ने सिर्फ एक बार मुंबई में आयकर और ईडी के अधिकारियों के साथ पूछताछ में हिस्सा लिया था। मई 2010 में वह देश छोड़कर यूके भाग गए थे।

हमारे पीएम सिर्फ तारीफ सुनना चाहते हैं, उन्हें टैरिफ की चिंता नहीं', कांग्रेस नेता जयराम रमेश का हमला

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप की इस घोषणा से भारत पर होने वाले प्रभावों की चर्चा हो रही है। अमेरिका की तरफ से लगाया जाने वाला रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। इस बीच कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी केवल अपनी तारीफ सुनना चाहते हैं। उन्हें टैरिफ की कोई परवाह नहीं है।

पीटीआई से बात करते हुए रमेश ने कहा कि अमेरिका की धमकी पर अब पीएम मोदी 56 इंच का सीना क्यों नहीं दिखा रहे हैं? कांग्रेस नेता का कहना था कि ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा और अमेरिका की ‘धमकी’ का जवाब देने के लिए भारत को दलगत भावना से ऊपर उठकर सामूहिक संकल्प दिखाने की जरूरत है।

रमेश ने कहा, इंदिरा गांधी जी (पूर्व प्रधानमंत्री) ने उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को क्या कहा था? याद करिये! चार नवंबर, 1971 को जब निक्सन और हेनरी किसिंजर (निक्सन के समय अमेरिका के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) ने भारत को बदनाम करने का प्रयास किया तो इंदिरा जी खड़ीं होकर बोलीं कि भारतीय हित में मुझे जो कुछ करना है, वो करूंगी, लेकिन आज हमारे प्रधानमंत्री तो नमस्ते ट्रंप और गले लगाने में लगे हुए हैं।

यह पूछे जाने पर कि ‘टैरिफ’ के मुद्दे पर बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान क्या कांग्रेस प्रधानमंत्री से संसद में जवाब मांगेगी, रमेश ने कहा, 'प्रधानमंत्री तो जवाब नहीं देते, विदेश मंत्री को भेजते हैं। विदेश मंत्री तो अमेरिका के प्रवक्ता और अमेरिका के राजदूत के रूप में बात करते हैं।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बृहस्पतिवार को फिर दोहराया कि अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क लगाने वाले देशों पर जवाबी शुल्क दो अप्रैल से लागू होंगे। ट्रंप ने कहा, सबसे बड़ी बात दो अप्रैल को होगी जब जवाबी शुल्क लागू होंगे, फिर चाहे वह भारत हो या चीन या कोई भी देश।

सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे को मंजूरी, 9 घंटे का सफर सिर्फ 36 मिनट में

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केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में उत्तराखंड को बड़ा तोहफा मिला है। केंद्र की मोदी सरकार ने उत्तराखंड में केदारनाथ धाम के लिए रोप वे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर का रोपवे बनेगा, जिसमें 4081 करोड़ रुपया खर्च होगा। नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट इसे बनाएगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। फैसले की जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा, "इस परियोजना का बड़ा फायदा यह होगा कि जिस यात्रा में वर्तमान में 8-9 घंटे लगते हैं, इसके बनने के बाद घटकर 36 मिनट की हो जाएगी...इसमें 36 लोगों के बैठने की क्षमता होगी।"

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को केदारनाथ रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी। इस रोपवे परियोजना पर करीब 4,081 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस रोपवे को डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) मोड पर विकसित किया जाएगा।

केंद्र सरकार के इस कदम से चारधाम यात्रा को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय व्यवसायों को लाभ मिलेगा और क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा। इससे पूरे छह महीने तीर्थयात्रियों की आवाजाही बनी रहेगी, जिससे शुरुआती दो महीनों में संसाधनों पर अत्यधिक दबाव कम होगा। इतना ही नहीं यात्रा सीजन में रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी।

पीएम मोदी ने लिया जंगल सफारी का आनंद, गिर नेशनल पार्क में सिर पर हैट और हाथों में कैमरा लिए आए नजर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दौरे पर हैं। यहां पीएम मोदी ने सोमवार को जंगल सफारी का लुत्‍फ उठाया। पीएम मोदी रविवार रात गिर नेशनल पार्क स्थित राज्य वन विभाग के गेस्ट हाउस सिंह सदन पहुंचे। जहां रात्रि विश्राम के बाद सोमवार को सुबह जंगल सफारी पर निकल गए। पीएम मोदी आज विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक से पहले पीएम मोदी ने सुबह जंगल सफारी का आनंद लिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर सोमवार सुबह गुजरात के जूनागढ़ जिले में गिर वन्यजीव अभयारण्य में जंगल सफारी का आनंद लिया। पीएम मोदी इस दौरान सिर पर हैट, आंखों पर काला चश्मा और हाथों में कैमरा लिए नजर आए । उनके साथ कुछ मंत्री और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी थे।

विश्ववन्य जीव दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ऐसा देश है जहां प्रकृति से जुड़ी चीजों को सुरक्षित रखना, उनकी संस्कृति का हिस्सा है। भारत के पास वन्य जीवों को सुरक्षित र रखने को लेकर बहुत सारी उपलब्धियां हैं। उन्होंने कहा कि आज विश्व भर के वन्य प्रेमियों के मन में एक सवाल है कि अनेक टाइगर रेंज देशों में उनकी आबादी स्थिर है या फिर घट रही है, लेकिन भारत में तेजी से बढ़ क्यों रही है?

पीएम मोदी ने इसके जवाब में बताया कि भारत की संस्कृति और समाज में बायोडायवर्सिटी और पर्यावरण के प्रति हमारा स्वाभाविक आग्रह इसकी सफलता का कारण है। उन्होंने कहा कि हम इकोलॉजी और इकोनॉमी में अलगाव नहीं मानते हैं, बल्कि दोनों के बीच सह-अस्तित्व को महत्व देते हैं, यानी दोनों ही देश के लिए समान तौर पर जरूरी हैं।

बता दें कि गिर नेशनल पार्क में एशियाई शेरों से जुड़े प्रोजेक्ट लॉयन के लिए केंद्र सरकार ने 2900 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस फंड से एशियाई शेरों के संरक्षण का काम किया जाएगा। अभी गुजरात के 9 जिलों और 53 तालुका में फैले करीब 30 हजार किलोमीटर के इलाके में एशियाई शेर रहते हैं। जूनागढ़ जिले के न्यू पिपलिया में वन्य जीवों के लिए एक नेशनल रेफरल सेंटर भी बनाया जा रहा है। साथ ही गिर नेशनल पार्क में वन्यजीवों को ट्रैक करने के लिए मॉनिटरिंग सेंटर और अस्पताल भी बनाया गया है।

पीएम मोदी की ईयू अध्यक्ष के बीच अहम बातचीत, साझेदारी को बढ़ाने के लिए गए कई फैसले

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यूरोपियन यूनियन (ईयू) की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं। यूरोपियन यूनियन के 27 देशों का प्रतिनिधित्व कर रही उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।इसमें भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को नयी गति प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।बता दें कि उर्सुला वॉन डेर लेयेन ‘ईयू कॉलेज ऑफ कमिश्नर्स’ यानी समूह के 27 सदस्य देशों के वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं के साथ भारत की यात्रा पर पहुंची हैं। ये सब तब हो रहा है जब अमेरिका की सत्ता में दोबारा डोलान्ड ट्रंप की वापसी हुई है और शपथ लेते ही ट्रंप ने दुनिया के कई देशों को धमकाना शुरू कर दिया है।

हैदराबाद हाउस में यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ बैठक के बाद संयुक्त प्रेस बयान में प्रधानमंत्री ने कहा, हमने कल विभिन्न मुद्दों पर ईमानदार और सार्थक चर्चा की। हमने अपनी टीमों से पारस्परिक रूप से लाभकारी एफटीए पर काम करने और इसे इस साल के अंत तक पूरा करने के लिए कहा है।पीएम मोदी ने कहा कि भारत और ईयू के बीच साझेदारी को बढ़ाने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा, यह न केवल यूरोपीय आयोग की पहली भारत यात्रा है, बल्कि यह किसी देश में यूरोपीय आयोग की पहली ऐसी व्यापक भागीदारी भी है। यह यूरोपीय आयोग के नए कार्यकाल की शुरुआती यात्राओं में से एक है। मैं उन सभी का भारत में स्वागत करता हूं। 

साझेदारी को बढ़ाने के लिए कई फैसले लिए-पीएम मोदी

पीएम मोदी कहा, भारत और ईयू के बीच दो दशकों से स्वाभाविक और प्राकृतिक रणनीतिक साझेदारी है और इनकी विश्वास व लोकतांत्रिक मूल्य, साझा प्रगति और समृद्धि के प्रति साझा प्रतिबद्धता है। इसी भावना में आज और कल 20 मंत्री स्तरीय वार्ताएं हुईं। हमने विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर ईमानदार और सार्थक चर्चाएं की हैं। हमारी साझेदारी को बढ़ाने के लिए कई फैसले लिए गए हैं। व्यापार, प्रौद्योगिकी, निवेश, नवाचार, हरित विकास, सुरक्षा, कौशल पर सहयोग के लिए एक खाका तैयार किया गया है। 

निवेश संरक्षण और जीआई समझौते पर आगे बढ़ने पर चर्चा

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत और ईयू ने अंतरिक्ष संवाद शुरू करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि दोनों ने ग्रीन हाइड्रोजन फोरम और ऑफशोर विंड एनर्जी बिजनेस समिट आयोजित करने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने आगे कहा, हमने निवेश संरक्षण और जीआई समझौते पर आगे बढ़ने पर चर्चा की है, ताकि निवेश ढांचे को मजबूत किया जा सके। तकनीकी और नवाचार के क्षेत्र में एक भरोसेमंद और सुरक्षित मूल्य श्रृंखला हमारी साझा प्राथमिकता है। हम सेमीकंडक्टर, एआई और 6जी में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं। हमने अंतरिक्ष संवाद शुरू करने का भी निर्णय लिया है। पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था का संतुलन हमारी साझा प्रतिबद्धता रही है और इस दिशा में हमारा मजबूत सहयोग है। हमने ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी बिजनेस समिट आयोजित करने का भी निर्णय लिया है। 

लेयेन ने क्या कहा?

लेयेन ने कहा, यह दुनिया ख़तरों से भरी हुई है, लेकिन यूरोप और भारत के पास इस बदलते परिदृश्य में अपने संबंधों को फिर से परिभाषित करने का अवसर है। हम अलगाववाद के बजाय अधिक सहयोग से लाभ उठा सकते हैं। हमने प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस सौदे को प्राथमिकता देने पर सहमति जताई है। समय और दृढ़ संकल्प बहुत जरूरी होगा, और आप इस सौदे को पूरा करने के लिए मेरी पूरी प्रतिबद्धता पर भरोसा कर सकते हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में संबंध बढ़ रहे हैं। ट्रेड और तकनीक काउंसिंल को नेस्ट लेवल पर ले जाना चाहिए।

140 करोड़ देशवासियों की आस्था, एकता का महायज्ञ संपन्न”, महाकुंभ के समापन पर पीएम मोदी का ब्लॉग

#mahakumbh_2025_concludes_pm_modi_blog

प्रयागराज में 13 फरवरी से शुरू हुआ महाकुंभ महाशिवरात्रि पर समाप्त हो चुका है. 45 दिनों तक चले इस कुंभ में 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किए। यह संख्या देश की लगभग आधी आबादी है। महाकुंभ में इस बार 20 लाख से अधिक लोगों ने कल्पवास किया, इस दौरान नेपाल, भूटान, अमेरिका, इंग्लैंड, जापान समेत कई देशों से लोगों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। प्रयागराज महाकुंभ के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग लिखकर “मन की बात” कही है। महाकुंभ के सफल आयोजन की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ संपन्न हुआ...एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ।

अपने ब्लॉग में पीएम मोदी ने लिखा, "महाकुंभ संपन्न हुआ...एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है! महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का प्रयास किया है।

पीएम ने कहा है, जब एक राष्ट्र की चेतना जागृत होती है, जब वो सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता के सारे बंधनों को तोड़कर नव चैतन्य के साथ हवा में सांस लेने लगता है, तो ऐसा ही दृश्य उपस्थित होता है, जैसा हमने 13 जनवरी के बाद से प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में देखा।

22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मैंने देवभक्ति से देशभक्ति की बात कही थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता जुटे, संत-महात्मा जुटे, बाल-वृद्ध जुटे, महिलाएं-युवा जुटे, और हमने देश की जागृत चेतना का साक्षात्कार किया। ये महाकुंभ एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ गई थी।

एकता और समरसता की वो प्रेरणा-पीएम मोदी

तीर्थराज प्रयाग के इसी क्षेत्र में एकता, समरसता और प्रेम का पवित्र क्षेत्र श्रृंगवेरपुर भी है, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। उनके मिलन का वो प्रसंग भी हमारे इतिहास में भक्ति और सद्भाव के संगम की तरह ही है। प्रयागराज का ये तीर्थ आज भी हमें एकता और समरसता की वो प्रेरणा देता है।

बीते 45 दिन, प्रतिदिन, मैंने देखा, कैसे देश के कोने-कोने से लाखों-लाख लोग संगम तट की ओर बढ़े जा रहे हैं। संगम पर स्नान की भावनाओं का ज्वार, लगातार बढ़ता ही रहा। हर श्रद्धालु बस एक ही धुन में था- संगम में स्नान। मां गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी हर श्रद्धालु को उमंग, ऊर्जा और विश्वास के भाव से भर रही थी।

इस विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं-पीएम मोदी

प्रयागराज में हुआ महाकुंभ का ये आयोजन, आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए, नए सिरे से अध्ययन का विषय बना है। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है।

पूरी दुनिया हैरान है कि कैसे एक नदी तट पर, त्रिवेणी संगम पर इतनी बड़ी संख्या में करोड़ों की संख्या में लोग जुटे। इन करोड़ों लोगों को ना औपचारिक निमंत्रण था, ना ही किस समय पहुंचना है, उसकी कोई पूर्व सूचना थी। बस, लोग महाकुंभ चल पड़े...और पवित्र संगम में डुबकी लगाकर धन्य हो गए।

मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने लिया कि मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता…स्नान के बाद असीम आनंद और संतोष से भरे वो चेहरे नहीं भूल सकता। महिलाएं हों, बुजुर्ग हों, हमारे दिव्यांग जन हों, जिससे जो बन पड़ा, वो साधन करके संगम तक पहुंचा। मेरे लिए ये देखना बहुत ही सुखद रहा कि बहुत बड़ी संख्या में भारत की आज की युवा पीढ़ी प्रयागराज पहुंची। भारत के युवाओं का इस तरह महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए आगे आना, एक बहुत बड़ा संदेश है। इससे ये विश्वास दृढ़ होता है कि भारत की युवा पीढ़ी हमारे संस्कार और संस्कृति की वाहक है और इसे आगे ले जाने का दायित्व समझती है और इसे लेकर संकल्पित भी है, समर्पित भी है।

आगे लिखा कि इस महाकुंभ में प्रयागराज पहुंचने वालों की संख्या ने निश्चित तौर पर एक नया रिकॉर्ड बनाया है, लेकिन इस महाकुंभ में हमने ये भी देखा कि जो प्रयाग नहीं पहुंच पाए, वो भी इस आयोजन से भाव-विभोर होकर जुड़े। कुंभ से लौटते हुए जो लोग त्रिवेणी तीर्थ का जल अपने साथ लेकर गए, उस जल की कुछ बूंदों ने भी करोड़ों भक्तों को कुंभ स्नान जैसा ही पुण्य दिया। कितने ही लोगों का कुंभ से वापसी के बाद गांव-गांव में जो सत्कार हुआ, जिस तरह पूरे समाज ने उनके प्रति श्रद्धा से सिर झुकाया, वो अविस्मरणीय है।

क्या रेत पर हो सकता है अगला महाकुंभ? सोनम वांगचुक ने पीएम मोदी को क्यों ऐसा लिखा
#sonam_wangchuk_writes_open_letter_to_pm_modi




जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने हिमालय के ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने पर चिंता जताई है।


उन्होंने अपने पत्र में इन ग्लेशियरों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि ये भारत की जीवनदायिनी गंगा और यमुना जैसी नदियों का स्रोत हैं। यही नहीं, वांगचुक ने चेताया है कि कहीं 144 साल के बाद अगला महाकुंभ रेत पर आयोजित करना ना पड़ेगा। वांगचुक, अमेरिका की अपनी यात्रा से लौटे हैं।


वे हिमालय के ग्लेशियरों के संरक्षण पर काम कर रहे हैं, खारदुंग ला के एक ग्लेशियर से बर्फ का एक टुकड़ा लेकर लद्दाख से दिल्ली और फिर अमेरिका पहुंचे। बर्फ को इन्सुलेशन के लिए लद्दाख के प्रतिष्ठित पश्मीना ऊन में लपेटकर एक कंटेनर में रखा गया था।


बर्फ को दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ले जाया गया, उसके बाद वह अमेरिका के लिए रवाना हुए, जहां से यह बर्फ जलवायु कार्यकर्ता के साथ बोस्टन में हार्वर्ड कैनेडी स्कूल, एमआईटी और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय तक गई, और फिर 21 फरवरी को न्यूयॉर्क में हडसन नदी और ईस्ट नदी के संगम पर इसे विसर्जित कर दिया गया।


अमेरिका की अपनी यात्रा से लौटे वांगचुक ने अपने लेटर में देश की नदियों की मौजूदा सूरत-ए-हाल का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि अगर वक्त रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले सालों में नदियां पूरी तरह सूख सकती हैं। वांगचुक ने प्रधानमंत्री मोदी से हिमालय के ग्लेशियरों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए आयोग गठित करने का भी आग्रह किया है।



बता दें कि 2025 को ग्लेशियरों के प्रोटेक्टशन का इंटरनेशनल ईयर घोषित किया गया है। ऐसे में पत्र में वांगचुक ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को ग्लेशियर ईयर में अहम भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि आर्कटिक और अंटार्कटिका के बाद हिमालय में पृथ्वी पर बर्फ और हिम का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है, जिसके कारण इसे ‘तीसरा ध्रुव’ कहा जाता है। पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने कहा, भारत को ग्लेशियर प्रोटेक्शन में अहम भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि हमारे पास हिमालय है और गंगा एवं यमुना जैसी हमारी पवित्र नदियां यहीं से निकलती हैं।



उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी नदियां मौसमी हो सकती हैं। उन्होंने कहा, जैसा कि हम सभी जानते हैं, हिमालय के ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं, और अगर यह और वनों की कटाई वर्तमान दर से जारी रही, तो हमारी पवित्र नदियां मौसमी हो सकती हैं। इसका यह भी मतलब हो सकता है कि अगला महाकुंभ पवित्र नदी के रेतीले अवशेषों पर ही संभव हो।


उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि आम लोगों में जमीनी स्तर पर बहुत कम जागरूकता है। वांगचुक ने कहा, इसलिए मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि आपके नेतृत्व में भारत हिमालय में सबसे अधिक ग्लेशियर वाले देश के रूप में अग्रणी बने।
मॉरिशस में पीएम मोदी का भव्य स्वागत, प्रधानमंत्री-स्पीकर समेत सभी मंत्री तक पहुंचे एयरपोर्ट


#pmmodimauritius_visit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार की सुबह मॉरीशस पहुंचे। पीएम मोदी का मॉरीशस दौरा दो दिनों का है। इन दो दिनों में भारत और मॉरीशस के बीच रिश्तों का नया अध्याय शुरू होगा। पीएम मोदी 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। भारतीय नौसेना के एक जहाज के साथ भारतीय रक्षा बलों की एक टुकड़ी समारोह में भाग लेगी। पीएम मोदी अपने इस दौरे के दौरान भारत और मॉरीशस क्षमता निर्माण, व्यापार और सीमा पार वित्तीय अपराधों से निपटने के क्षेत्रों में सहयोग के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मॉरिशस पहुंचने पर एयरपोर्ट पर काफी गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया गया।मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम समेत शीर्ष हस्तियों ने पीएम मोदी का स्वागत किया। पीएम नवीन ने पीएम मोदी को माला पहनाई और गले लगाकर उनका अपने देश में अभिनंदन किया। इस दौरान पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।

पीएम मोदी के स्वागत के लिए एयरपोर्ट पर 200 गणमान्य लोग

पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के साथ उप प्रधानमंत्री, मॉरीशस के मुख्य न्यायाधीश, नेशनल असेंबली के स्पीकर, विपक्ष के नेता, विदेश मंत्री, कैबिनेट सचिव, ग्रैंड पोर्ट डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के अध्यक्ष और कई अन्य लोग भी मौजूद थे। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट पर कुल 200 गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे, जिनमें सांसद, विधायक, राजनयिक दल और धार्मिक नेता शामिल थे।

क्यों खास है पीएम मोदी का मॉरिशस दौरा?

पीएम मोदी का मॉरिशस का दौरा काफी ज्यादा अहम माना जा रहा है। इस दौरे के दौरान दोनों देशों के रिश्तों में और भी गहराई आने की उम्मीद है। साथ ही, पीएम मोदी और मॉरिशस के प्रधानमंत्री के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।

भारत के लिए क्यों अहम है मॉरीशस

भारत मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। सिंगापुर के बाद मॉरीशस 2023-24 के लिए भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत था। यह प्रधानमंत्री मोदी की 2015 के बाद पहली मॉरीशस यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी की वर्तमान यात्रा से विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। भारत और मॉरीशस के बीच व्यापार को और अधिक मजबूत करने के लिए इस यात्रा के दौरान कई नई परियोजनाओं की शुरुआत की जा सकती है। भारत मॉरीशस में बुनियादी ढांचे, डिजिटल टेक्नोलॉजी और स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश कर रहा है, जिससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।

नागरिकता रद्द होने के बाद, 'सुंदर देश' वानुअतु से ललित मोदी ने शेयर की फोटो

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इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व कमिश्नर ललित कुमार मोदी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर वानुअतु से अपनी तस्वीरें शेयर कीं, जब द्वीपीय देश के प्रधानमंत्री जोथम नापत ने नागरिकता आयोग को उन्हें जारी किए गए पासपोर्ट को रद्द करने का निर्देश दिया। मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, "वानुअतु एक खूबसूरत देश है। आपको इसे अपनी बकेट लिस्ट में जरूर शामिल करना चाहिए। प्रदूषण और शोर से दूर, वाकई स्वर्ग जैसा देश।" 

7 मार्च को मोदी ने लंदन में भारतीय उच्चायोग में अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने दक्षिण प्रशांत द्वीपीय देश वानुअतु की नागरिकता हासिल कर ली है। उन्होंने 2010 में भारत छोड़ दिया था और कहा जाता है कि वे लंदन में रह रहे हैं। वानुअतु गणराज्य द्वारा जारी आधिकारिक मीडिया वक्तव्य में कहा गया है, "मैंने नागरिकता आयोग को निर्देश दिया है कि वह अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हाल ही में हुए खुलासों के बाद ललित मोदी को जारी वानुअतु पासपोर्ट रद्द कर दे।" "जबकि उनके आवेदन के दौरान की गई इंटरपोल स्क्रीनिंग सहित सभी मानक पृष्ठभूमि जांचों में कोई आपराधिक दोष सिद्ध नहीं हुआ, मुझे पिछले 24 घंटों में पता चला है कि इंटरपोल ने दो बार भारतीय अधिकारियों के ललित मोदी पर अलर्ट नोटिस जारी करने के अनुरोध को ठोस न्यायिक साक्ष्य की कमी के कारण खारिज कर दिया है," पीटीआई ने वक्तव्य के हवाले से कहा।

ललित मोदी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

ललित मोदी, जो पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे, पर बोली-धांधली, मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) का उल्लंघन करने का आरोप है। उन्होंने अनधिकृत फंड ट्रांसफर सहित वित्तीय कदाचार के लिए जांच के दौरान 2010 में भारत छोड़ दिया था। यदि मोदी का भारतीय पासपोर्ट रद्द करने का अनुरोध स्वीकार कर लिया जाता है, तो वे ब्रिटेन में अवैध विदेशी बन सकते हैं क्योंकि वानुअतु भी उनकी नागरिकता रद्द कर रहा है।

8 मार्च को ललित मोदी ने एक्स पर लिखा, "भारत की किसी भी अदालत में मेरे खिलाफ व्यक्तिगत रूप से कोई मामला लंबित नहीं है। यह केवल मीडिया की कल्पना है। पंद्रह साल बीत चुके हैं। लेकिन वे कहते रहते हैं कि हम मेरे पीछे पड़े हैं - उनका स्वागत है।" "लेकिन पहले किसी भी गलत काम के लिए आवेदन करें, बजाय इसके कि आप यह कल्पना करें कि मुझ पर कोई गलत आरोप लगाया गया है। इसे फर्जी खबर कहा जाता है, मैंने अकेले ही केवल एक ही काम किया है, वह है आईपीएल नामक एक वैश्विक पसंद किया जाने वाला उत्पाद बनाना, जिसे आप ऐसे पसंद करते हैं जैसे कि कल कभी आएगा ही नहीं," उन्होंने आगे कहा।

उल्टा पड़ा ललित मोदी का दांव, पासपोर्ट रद्द करेगी वनुआतू सरकार

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भगोड़े बिजनेसमैन ललित मोदी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। एक तरफ ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया है। वहीं, प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीपीय देश वनुआतू की नागरिकता हासिल कर ली है। हालांकि, अब वनुआतु के प्रधानमंत्री जोथम नापत ने सोमवार को नागरिकता आयोग को निर्देश दिया है कि ललित मोदी को दिया गया वनुआतु पासपोर्ट रद्द कर दिया जाए।सरकार का कहना है कि प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश की वजह से दक्षिण प्रशांत महासागर के इस देश में नागरिकता पाने के लिए ललित मोदी के पास वैध कारण नहीं हैं।

वानुआतु के प्रधानमंत्री जोथम नापत ने देश के नागरिकता आयोग से ललित मोदी को जारी पासपोर्ट रद्द करने को कहा है। पीएम ने कहा कि उनके आवेदन के दौरान इंटरपोल स्क्रीनिंग सहित सभी मानक पृष्ठभूमि जांचों में कोई आपराधिक दोष सिद्ध नहीं हुआ, मुझे पिछले 24 घंटों में पता चला है कि इंटरपोल ने दो बार मोदी पर अलर्ट नोटिस जारी करने के भारतीय अधिकारियों के अनुरोध को सबूत की कमी के कारण खारिज कर दिया है। इस तरह के किसी भी अलर्ट से मोदी के नागरिकता आवेदन को स्वतः ही अस्वीकार कर दिया जाता।

वानुअतु डेली पोस्ट ने आगे लिखा, हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में हुए खुलासों के बाद यह फैसला लिया गया है। बाकी जानकारी कल के अखबार में देंगे। इसमें यह नहीं बताया गया कि आखिर किस खुलासे की बात की जा रही है। हालांकि अनुमान है कि वनुआतु को बाद में पता चला कि ललित मोदी भारत का भगोड़ा कारोबारी है, जिस कारण यह फैसला लिया गया।

ललित मोदी ने 7 मार्च को अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया था। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस घटना की पुष्टि की थी।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, उसने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए आवेदन किया है। इसकी जांच मौजूदा नियमों और प्रक्रियाओं के आलोक में की जाएगी। हमें यह भी बताया गया है कि उसने वनुआतु की नागरिकता हासिल कर ली है. हम कानून के तहत उसके खिलाफ मामला आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। ललित मोदी साल 2010 में भारत से भाग गया था और तब से लंदन में रह रहा है।

बता दें कि वनुआतु देश ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के करीब है और 83 छोटे ज्वालामुखीय द्वीपों से मिलकर बना है। 65 द्वीप ऐसे हैं, जहां कोई भी नहीं रहता। वनुआतु में कई एक्टिव ज्वलामुखी हैं, जिनमें एक पानी के नीचे भी मौजूद है। अगर वनुआतु के जनसंख्या की बात करें तो यह 300,109 है। वनुआतु की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा नागरिकता बेचकर चलता है।

ललित मोदी ने भारतीय पासपोर्ट जमा करने के लिए दिया आवेदन, भगोड़े की भारत वापसी मुश्किल

#lalit_modi_applied_to_surrender_indian_passport

पूर्व उद्योगपति और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी की भारत वापसी अब बेहद मुश्किल हो गई है। ललित मोदी ने अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया है। दरअसल, ललित मोदी ने प्रशांत महासागर में मौजूद एक टापू देश वनुआतु की नागरिकता हासिल कर ली है।इसका मतलब है कि ललित मोदी को स्वदेश लाना अब और मुश्किल हो गया है। इसको लेकर विदेश मंत्रालय का भी रिएक्शन सामने आया है।

रणधीर जायसवाल ने बताया कि, ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट छोड़ने के लिए आवेदन किया है। इस आवेदन को नियमों और प्रक्रियाओं के तहत जांचा जाएगा। हमें यह भी पता लगा है कि उन्होंने वानुअतु की नागरिकता प्राप्त कर ली है। कानून के तहत हम उनके ख़िलाफ़ मामला आगे भी जारी रखेंगे।

ललित मोदी के वकील महमूद आब्दी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने दक्षिण प्रशांत द्वीप राष्ट्र वानुअतु की नागरिकता ली है। महमूद आब्दी ने दावा किया कि किसी भी भारतीय एजेंसी ने भारत की किसी भी कोर्ट में ललित मोदी के खिलाफ शिकायत या चार्जशीट दायर नहीं की है। उन्होंने कहा कि भारत की किसी भी कोर्ट ने ललित मोदी के ख़िलाफ आरोप भी तय नहीं किए हैं।

ललित मोदी पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए बिडिंग में गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगा था। ललित मोदी ने सिर्फ एक बार मुंबई में आयकर और ईडी के अधिकारियों के साथ पूछताछ में हिस्सा लिया था। मई 2010 में वह देश छोड़कर यूके भाग गए थे।

हमारे पीएम सिर्फ तारीफ सुनना चाहते हैं, उन्हें टैरिफ की चिंता नहीं', कांग्रेस नेता जयराम रमेश का हमला

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप की इस घोषणा से भारत पर होने वाले प्रभावों की चर्चा हो रही है। अमेरिका की तरफ से लगाया जाने वाला रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। इस बीच कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी केवल अपनी तारीफ सुनना चाहते हैं। उन्हें टैरिफ की कोई परवाह नहीं है।

पीटीआई से बात करते हुए रमेश ने कहा कि अमेरिका की धमकी पर अब पीएम मोदी 56 इंच का सीना क्यों नहीं दिखा रहे हैं? कांग्रेस नेता का कहना था कि ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा और अमेरिका की ‘धमकी’ का जवाब देने के लिए भारत को दलगत भावना से ऊपर उठकर सामूहिक संकल्प दिखाने की जरूरत है।

रमेश ने कहा, इंदिरा गांधी जी (पूर्व प्रधानमंत्री) ने उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को क्या कहा था? याद करिये! चार नवंबर, 1971 को जब निक्सन और हेनरी किसिंजर (निक्सन के समय अमेरिका के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) ने भारत को बदनाम करने का प्रयास किया तो इंदिरा जी खड़ीं होकर बोलीं कि भारतीय हित में मुझे जो कुछ करना है, वो करूंगी, लेकिन आज हमारे प्रधानमंत्री तो नमस्ते ट्रंप और गले लगाने में लगे हुए हैं।

यह पूछे जाने पर कि ‘टैरिफ’ के मुद्दे पर बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान क्या कांग्रेस प्रधानमंत्री से संसद में जवाब मांगेगी, रमेश ने कहा, 'प्रधानमंत्री तो जवाब नहीं देते, विदेश मंत्री को भेजते हैं। विदेश मंत्री तो अमेरिका के प्रवक्ता और अमेरिका के राजदूत के रूप में बात करते हैं।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बृहस्पतिवार को फिर दोहराया कि अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क लगाने वाले देशों पर जवाबी शुल्क दो अप्रैल से लागू होंगे। ट्रंप ने कहा, सबसे बड़ी बात दो अप्रैल को होगी जब जवाबी शुल्क लागू होंगे, फिर चाहे वह भारत हो या चीन या कोई भी देश।

सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे को मंजूरी, 9 घंटे का सफर सिर्फ 36 मिनट में

#modi_cabinet_approved_kedarnath_ropeway

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में उत्तराखंड को बड़ा तोहफा मिला है। केंद्र की मोदी सरकार ने उत्तराखंड में केदारनाथ धाम के लिए रोप वे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर का रोपवे बनेगा, जिसमें 4081 करोड़ रुपया खर्च होगा। नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट इसे बनाएगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। फैसले की जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा, "इस परियोजना का बड़ा फायदा यह होगा कि जिस यात्रा में वर्तमान में 8-9 घंटे लगते हैं, इसके बनने के बाद घटकर 36 मिनट की हो जाएगी...इसमें 36 लोगों के बैठने की क्षमता होगी।"

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को केदारनाथ रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी। इस रोपवे परियोजना पर करीब 4,081 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस रोपवे को डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) मोड पर विकसित किया जाएगा।

केंद्र सरकार के इस कदम से चारधाम यात्रा को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय व्यवसायों को लाभ मिलेगा और क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा। इससे पूरे छह महीने तीर्थयात्रियों की आवाजाही बनी रहेगी, जिससे शुरुआती दो महीनों में संसाधनों पर अत्यधिक दबाव कम होगा। इतना ही नहीं यात्रा सीजन में रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी।

पीएम मोदी ने लिया जंगल सफारी का आनंद, गिर नेशनल पार्क में सिर पर हैट और हाथों में कैमरा लिए आए नजर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दौरे पर हैं। यहां पीएम मोदी ने सोमवार को जंगल सफारी का लुत्‍फ उठाया। पीएम मोदी रविवार रात गिर नेशनल पार्क स्थित राज्य वन विभाग के गेस्ट हाउस सिंह सदन पहुंचे। जहां रात्रि विश्राम के बाद सोमवार को सुबह जंगल सफारी पर निकल गए। पीएम मोदी आज विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक से पहले पीएम मोदी ने सुबह जंगल सफारी का आनंद लिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर सोमवार सुबह गुजरात के जूनागढ़ जिले में गिर वन्यजीव अभयारण्य में जंगल सफारी का आनंद लिया। पीएम मोदी इस दौरान सिर पर हैट, आंखों पर काला चश्मा और हाथों में कैमरा लिए नजर आए । उनके साथ कुछ मंत्री और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी थे।

विश्ववन्य जीव दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ऐसा देश है जहां प्रकृति से जुड़ी चीजों को सुरक्षित रखना, उनकी संस्कृति का हिस्सा है। भारत के पास वन्य जीवों को सुरक्षित र रखने को लेकर बहुत सारी उपलब्धियां हैं। उन्होंने कहा कि आज विश्व भर के वन्य प्रेमियों के मन में एक सवाल है कि अनेक टाइगर रेंज देशों में उनकी आबादी स्थिर है या फिर घट रही है, लेकिन भारत में तेजी से बढ़ क्यों रही है?

पीएम मोदी ने इसके जवाब में बताया कि भारत की संस्कृति और समाज में बायोडायवर्सिटी और पर्यावरण के प्रति हमारा स्वाभाविक आग्रह इसकी सफलता का कारण है। उन्होंने कहा कि हम इकोलॉजी और इकोनॉमी में अलगाव नहीं मानते हैं, बल्कि दोनों के बीच सह-अस्तित्व को महत्व देते हैं, यानी दोनों ही देश के लिए समान तौर पर जरूरी हैं।

बता दें कि गिर नेशनल पार्क में एशियाई शेरों से जुड़े प्रोजेक्ट लॉयन के लिए केंद्र सरकार ने 2900 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस फंड से एशियाई शेरों के संरक्षण का काम किया जाएगा। अभी गुजरात के 9 जिलों और 53 तालुका में फैले करीब 30 हजार किलोमीटर के इलाके में एशियाई शेर रहते हैं। जूनागढ़ जिले के न्यू पिपलिया में वन्य जीवों के लिए एक नेशनल रेफरल सेंटर भी बनाया जा रहा है। साथ ही गिर नेशनल पार्क में वन्यजीवों को ट्रैक करने के लिए मॉनिटरिंग सेंटर और अस्पताल भी बनाया गया है।

पीएम मोदी की ईयू अध्यक्ष के बीच अहम बातचीत, साझेदारी को बढ़ाने के लिए गए कई फैसले

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यूरोपियन यूनियन (ईयू) की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं। यूरोपियन यूनियन के 27 देशों का प्रतिनिधित्व कर रही उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।इसमें भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को नयी गति प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।बता दें कि उर्सुला वॉन डेर लेयेन ‘ईयू कॉलेज ऑफ कमिश्नर्स’ यानी समूह के 27 सदस्य देशों के वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं के साथ भारत की यात्रा पर पहुंची हैं। ये सब तब हो रहा है जब अमेरिका की सत्ता में दोबारा डोलान्ड ट्रंप की वापसी हुई है और शपथ लेते ही ट्रंप ने दुनिया के कई देशों को धमकाना शुरू कर दिया है।

हैदराबाद हाउस में यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ बैठक के बाद संयुक्त प्रेस बयान में प्रधानमंत्री ने कहा, हमने कल विभिन्न मुद्दों पर ईमानदार और सार्थक चर्चा की। हमने अपनी टीमों से पारस्परिक रूप से लाभकारी एफटीए पर काम करने और इसे इस साल के अंत तक पूरा करने के लिए कहा है।पीएम मोदी ने कहा कि भारत और ईयू के बीच साझेदारी को बढ़ाने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा, यह न केवल यूरोपीय आयोग की पहली भारत यात्रा है, बल्कि यह किसी देश में यूरोपीय आयोग की पहली ऐसी व्यापक भागीदारी भी है। यह यूरोपीय आयोग के नए कार्यकाल की शुरुआती यात्राओं में से एक है। मैं उन सभी का भारत में स्वागत करता हूं। 

साझेदारी को बढ़ाने के लिए कई फैसले लिए-पीएम मोदी

पीएम मोदी कहा, भारत और ईयू के बीच दो दशकों से स्वाभाविक और प्राकृतिक रणनीतिक साझेदारी है और इनकी विश्वास व लोकतांत्रिक मूल्य, साझा प्रगति और समृद्धि के प्रति साझा प्रतिबद्धता है। इसी भावना में आज और कल 20 मंत्री स्तरीय वार्ताएं हुईं। हमने विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर ईमानदार और सार्थक चर्चाएं की हैं। हमारी साझेदारी को बढ़ाने के लिए कई फैसले लिए गए हैं। व्यापार, प्रौद्योगिकी, निवेश, नवाचार, हरित विकास, सुरक्षा, कौशल पर सहयोग के लिए एक खाका तैयार किया गया है। 

निवेश संरक्षण और जीआई समझौते पर आगे बढ़ने पर चर्चा

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत और ईयू ने अंतरिक्ष संवाद शुरू करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि दोनों ने ग्रीन हाइड्रोजन फोरम और ऑफशोर विंड एनर्जी बिजनेस समिट आयोजित करने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने आगे कहा, हमने निवेश संरक्षण और जीआई समझौते पर आगे बढ़ने पर चर्चा की है, ताकि निवेश ढांचे को मजबूत किया जा सके। तकनीकी और नवाचार के क्षेत्र में एक भरोसेमंद और सुरक्षित मूल्य श्रृंखला हमारी साझा प्राथमिकता है। हम सेमीकंडक्टर, एआई और 6जी में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं। हमने अंतरिक्ष संवाद शुरू करने का भी निर्णय लिया है। पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था का संतुलन हमारी साझा प्रतिबद्धता रही है और इस दिशा में हमारा मजबूत सहयोग है। हमने ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी बिजनेस समिट आयोजित करने का भी निर्णय लिया है। 

लेयेन ने क्या कहा?

लेयेन ने कहा, यह दुनिया ख़तरों से भरी हुई है, लेकिन यूरोप और भारत के पास इस बदलते परिदृश्य में अपने संबंधों को फिर से परिभाषित करने का अवसर है। हम अलगाववाद के बजाय अधिक सहयोग से लाभ उठा सकते हैं। हमने प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस सौदे को प्राथमिकता देने पर सहमति जताई है। समय और दृढ़ संकल्प बहुत जरूरी होगा, और आप इस सौदे को पूरा करने के लिए मेरी पूरी प्रतिबद्धता पर भरोसा कर सकते हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में संबंध बढ़ रहे हैं। ट्रेड और तकनीक काउंसिंल को नेस्ट लेवल पर ले जाना चाहिए।

140 करोड़ देशवासियों की आस्था, एकता का महायज्ञ संपन्न”, महाकुंभ के समापन पर पीएम मोदी का ब्लॉग

#mahakumbh_2025_concludes_pm_modi_blog

प्रयागराज में 13 फरवरी से शुरू हुआ महाकुंभ महाशिवरात्रि पर समाप्त हो चुका है. 45 दिनों तक चले इस कुंभ में 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किए। यह संख्या देश की लगभग आधी आबादी है। महाकुंभ में इस बार 20 लाख से अधिक लोगों ने कल्पवास किया, इस दौरान नेपाल, भूटान, अमेरिका, इंग्लैंड, जापान समेत कई देशों से लोगों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। प्रयागराज महाकुंभ के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग लिखकर “मन की बात” कही है। महाकुंभ के सफल आयोजन की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ संपन्न हुआ...एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ।

अपने ब्लॉग में पीएम मोदी ने लिखा, "महाकुंभ संपन्न हुआ...एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है! महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का प्रयास किया है।

पीएम ने कहा है, जब एक राष्ट्र की चेतना जागृत होती है, जब वो सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता के सारे बंधनों को तोड़कर नव चैतन्य के साथ हवा में सांस लेने लगता है, तो ऐसा ही दृश्य उपस्थित होता है, जैसा हमने 13 जनवरी के बाद से प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में देखा।

22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मैंने देवभक्ति से देशभक्ति की बात कही थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता जुटे, संत-महात्मा जुटे, बाल-वृद्ध जुटे, महिलाएं-युवा जुटे, और हमने देश की जागृत चेतना का साक्षात्कार किया। ये महाकुंभ एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ गई थी।

एकता और समरसता की वो प्रेरणा-पीएम मोदी

तीर्थराज प्रयाग के इसी क्षेत्र में एकता, समरसता और प्रेम का पवित्र क्षेत्र श्रृंगवेरपुर भी है, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। उनके मिलन का वो प्रसंग भी हमारे इतिहास में भक्ति और सद्भाव के संगम की तरह ही है। प्रयागराज का ये तीर्थ आज भी हमें एकता और समरसता की वो प्रेरणा देता है।

बीते 45 दिन, प्रतिदिन, मैंने देखा, कैसे देश के कोने-कोने से लाखों-लाख लोग संगम तट की ओर बढ़े जा रहे हैं। संगम पर स्नान की भावनाओं का ज्वार, लगातार बढ़ता ही रहा। हर श्रद्धालु बस एक ही धुन में था- संगम में स्नान। मां गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी हर श्रद्धालु को उमंग, ऊर्जा और विश्वास के भाव से भर रही थी।

इस विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं-पीएम मोदी

प्रयागराज में हुआ महाकुंभ का ये आयोजन, आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए, नए सिरे से अध्ययन का विषय बना है। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है।

पूरी दुनिया हैरान है कि कैसे एक नदी तट पर, त्रिवेणी संगम पर इतनी बड़ी संख्या में करोड़ों की संख्या में लोग जुटे। इन करोड़ों लोगों को ना औपचारिक निमंत्रण था, ना ही किस समय पहुंचना है, उसकी कोई पूर्व सूचना थी। बस, लोग महाकुंभ चल पड़े...और पवित्र संगम में डुबकी लगाकर धन्य हो गए।

मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने लिया कि मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता…स्नान के बाद असीम आनंद और संतोष से भरे वो चेहरे नहीं भूल सकता। महिलाएं हों, बुजुर्ग हों, हमारे दिव्यांग जन हों, जिससे जो बन पड़ा, वो साधन करके संगम तक पहुंचा। मेरे लिए ये देखना बहुत ही सुखद रहा कि बहुत बड़ी संख्या में भारत की आज की युवा पीढ़ी प्रयागराज पहुंची। भारत के युवाओं का इस तरह महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए आगे आना, एक बहुत बड़ा संदेश है। इससे ये विश्वास दृढ़ होता है कि भारत की युवा पीढ़ी हमारे संस्कार और संस्कृति की वाहक है और इसे आगे ले जाने का दायित्व समझती है और इसे लेकर संकल्पित भी है, समर्पित भी है।

आगे लिखा कि इस महाकुंभ में प्रयागराज पहुंचने वालों की संख्या ने निश्चित तौर पर एक नया रिकॉर्ड बनाया है, लेकिन इस महाकुंभ में हमने ये भी देखा कि जो प्रयाग नहीं पहुंच पाए, वो भी इस आयोजन से भाव-विभोर होकर जुड़े। कुंभ से लौटते हुए जो लोग त्रिवेणी तीर्थ का जल अपने साथ लेकर गए, उस जल की कुछ बूंदों ने भी करोड़ों भक्तों को कुंभ स्नान जैसा ही पुण्य दिया। कितने ही लोगों का कुंभ से वापसी के बाद गांव-गांव में जो सत्कार हुआ, जिस तरह पूरे समाज ने उनके प्रति श्रद्धा से सिर झुकाया, वो अविस्मरणीय है।

क्या रेत पर हो सकता है अगला महाकुंभ? सोनम वांगचुक ने पीएम मोदी को क्यों ऐसा लिखा
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जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने हिमालय के ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने पर चिंता जताई है।


उन्होंने अपने पत्र में इन ग्लेशियरों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि ये भारत की जीवनदायिनी गंगा और यमुना जैसी नदियों का स्रोत हैं। यही नहीं, वांगचुक ने चेताया है कि कहीं 144 साल के बाद अगला महाकुंभ रेत पर आयोजित करना ना पड़ेगा। वांगचुक, अमेरिका की अपनी यात्रा से लौटे हैं।


वे हिमालय के ग्लेशियरों के संरक्षण पर काम कर रहे हैं, खारदुंग ला के एक ग्लेशियर से बर्फ का एक टुकड़ा लेकर लद्दाख से दिल्ली और फिर अमेरिका पहुंचे। बर्फ को इन्सुलेशन के लिए लद्दाख के प्रतिष्ठित पश्मीना ऊन में लपेटकर एक कंटेनर में रखा गया था।


बर्फ को दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ले जाया गया, उसके बाद वह अमेरिका के लिए रवाना हुए, जहां से यह बर्फ जलवायु कार्यकर्ता के साथ बोस्टन में हार्वर्ड कैनेडी स्कूल, एमआईटी और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय तक गई, और फिर 21 फरवरी को न्यूयॉर्क में हडसन नदी और ईस्ट नदी के संगम पर इसे विसर्जित कर दिया गया।


अमेरिका की अपनी यात्रा से लौटे वांगचुक ने अपने लेटर में देश की नदियों की मौजूदा सूरत-ए-हाल का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि अगर वक्त रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले सालों में नदियां पूरी तरह सूख सकती हैं। वांगचुक ने प्रधानमंत्री मोदी से हिमालय के ग्लेशियरों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए आयोग गठित करने का भी आग्रह किया है।



बता दें कि 2025 को ग्लेशियरों के प्रोटेक्टशन का इंटरनेशनल ईयर घोषित किया गया है। ऐसे में पत्र में वांगचुक ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को ग्लेशियर ईयर में अहम भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि आर्कटिक और अंटार्कटिका के बाद हिमालय में पृथ्वी पर बर्फ और हिम का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है, जिसके कारण इसे ‘तीसरा ध्रुव’ कहा जाता है। पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने कहा, भारत को ग्लेशियर प्रोटेक्शन में अहम भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि हमारे पास हिमालय है और गंगा एवं यमुना जैसी हमारी पवित्र नदियां यहीं से निकलती हैं।



उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी नदियां मौसमी हो सकती हैं। उन्होंने कहा, जैसा कि हम सभी जानते हैं, हिमालय के ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं, और अगर यह और वनों की कटाई वर्तमान दर से जारी रही, तो हमारी पवित्र नदियां मौसमी हो सकती हैं। इसका यह भी मतलब हो सकता है कि अगला महाकुंभ पवित्र नदी के रेतीले अवशेषों पर ही संभव हो।


उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि आम लोगों में जमीनी स्तर पर बहुत कम जागरूकता है। वांगचुक ने कहा, इसलिए मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि आपके नेतृत्व में भारत हिमालय में सबसे अधिक ग्लेशियर वाले देश के रूप में अग्रणी बने।