Luxury on Wheels: Rajveer Conquers India with a Caravan & Camera

Rajveer Singh Makes History with Rajveer X India’s Luxury Drive: A 10,101 KM in a Luxury Caravan Journey Across India

Rajveer X India’s Luxury Drive has emerged as a groundbreaking digital movement and luxury travel sensation, capturing national attention and dominating online media. This historic journey, driven by Rajveer Singh is India’s first and only 10,101 km in a luxury caravan expedition where a solo content creator experienced a staycation at every single property of one hotel group—The LaLiT Group —across the country.

A Journey of Grit, Grandeur, and Glory

Flagged off from The LaLiT Mumbai on April 13, the drive remained true to its planned route even after the terrorist attack in Pahalgam on April 22. Rajveer continued his journey with undeterred spirit, visiting The LaLiT Srinagar from May 4 to 6, boldly portraying Kashmir’s beauty and hospitality to the world.

On May 7, while traveling from Kashmir toward Kartarpur, he witnessed Operation Sindoor—a strategic Indian security operation. Just a day later, in Amritsar at 2 AM on May 8, Rajveer experienced a blackout caused by Pakistan’s drone attack, which was neutralized by India's defense systems—proving again that no force could derail this record-breaking journey.

Highways That Shaped the Journey

Best Overall Route: Kerala to Goa – Stunning landscapes, perfect roads, cultural richness.

Most Challenging Route: Goa to Mumbai – Marred by congestion, poor road quality, and delays.

Best Route for Night Travel: Jaipur to Delhi Expressway – Excellent lighting, security, and smooth driving.

Unforgettable Stays at The LaLiT Properties

Rajveer rated these three properties as the most exceptional:

The LaLiT Srinagar – Hospitality that touched the soul, with breathtaking lake views.

The LaLiT Kolkata – A perfect blend of tradition, comfort, and warmth.

The LaLiT Bekal – Immersive serenity, coastal charm, and meticulous service.

Brands That Fueled the Legacy

The campaign was proudly powered by U&I Entertainment and Designistic Global pvt ltd , backed by over 20 esteemed brands, including:

Red Chief, Team Wizard Media, Being You Always, Body Profuse, Krunchillo, French Essence, Andros Food, Bright Outdoor Media, Josh Bharat Media and many more

Designistic Global Media was the post production partner who played a crucial role in transforming the journey into a cinematic experience.

Support from the Ministry of Road Transport & Highways, Kashmir Tourism, and The LaLiT Group as official hospitality partner gave this campaign national strength and significance.

People, Power, and Unprecedented Support

This journey brought together a constellation of influencers and thought leaders:

Creators like Mister Tikku, Dil Se Foodie, Bhookad_Singh and many more joined in city after city.

Entrepreneurs such as Dr. Vishal Kalra, Yukit Vora, Harmeet Singh Gupta, and MasterChef Ishijyot Surri rallied behind the initiative.

In Udaipur, Rajveer had the honor of meeting Maharaja Dr. Lakshyaraj Singh Mewar, adding royal recognition to this prestigious tour.

Numbers That Speak Volumes

10,101 km covered, 12 luxury stays at The LaLiT Group, 250+ posts and 1,500+ Instagram stories, 100+ million digital impressions.

A Legacy of Firsts

1st content creator to stay at every property of a hotel group in a single country in less than 33 days

1st to drive 10,101 km accross the country in a luxury caravan

1st to continue with a national drive plan even during a regional terror attack & National War With Pakistan.

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The Road Ahead

This is not just a story of roads and reels—this is about fearless storytelling, unmatched hospitality, and a new benchmark in luxury content experiences. The road was long, but Rajveer’s vision was longer.

For collaborations, features, and media kits, follow

भारत के खिलाफ साइबर जंग की नई चाल, ‘Roar of Sindoor’ रिपोर्ट में खुलासा

भारत के खिलाफ बड़े साइबर अटैक की साजिश रची जा रही है. इसका खुलासा “Roar of Sindoor” रिपोर्ट से हुआ है. साजिश के तहत तकनीकी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के साथ ही देश में गलत जानकारी और फेक नैरेटिव फैलाकर सामाजिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है. इस रिपोर्ट को “Echos of Pahalgam” के बाद जारी किया गया है, जिसने पहले ही भारत को कई महत्वपूर्ण साइबर हमलों से बचाने में भूमिका निभाई थी. नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत पर साइबर हमले करने वाले समूहों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और मिडिल ईस्ट के कई खतरनाक हैकर ग्रुप्स शामिल हैं.

इन समूहों में प्रमुख रूप से APT-36, Team Insane PK, Mysterious Team, Hoax377, और National Pakistan Allied Group जैसे नाम शामिल हैं.

अब तक 1.5 मिलियन अटैक, 150 सफल प्रयास

रिपोर्ट के मुताबिक, इन ग्रुप्स द्वारा अब तक भारत पर 1.5 मिलियन से अधिक साइबर अटैक किए जा चुके हैं, जिनमें से 150 हमले सफल माने जा रहे हैं. यह हमले मुख्यतः भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों, ऊर्जा सेक्टर, और महत्वपूर्ण डाटा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित रहे हैं.

साइबर हमलों के साथ चल रहा है हाइब्रिड वॉर

रिपोर्ट में इस खतरे को केवल तकनीकी तक सीमित नहीं बताया गया है. बल्कि इसे एक “हाइब्रिड वॉर” का हिस्सा माना गया है. इस युद्ध का एक बड़ा पहलू मिस इन्फॉर्मेशन वॉर यानी फर्जी और भ्रामक जानकारी फैलाना है. इसका मकसद जनता में भ्रम, भय और अविश्वास फैलाना है.

देश के भीतर सक्रिय हो सकते हैं स्लीपर सेल

रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई है कि भारत के भीतर स्लीपर सेल्स सक्रिय हो सकते हैं, जो इन साइबर और सूचना हमलों में सहयोग कर रहे हैं. हालांकि उनकी पहचान अब तक सामने नहीं आई है लेकिन खुफिया एजेंसियां इस दिशा में सतर्क हो गई हैं.

5000 से अधिक मिस इन्फॉर्मेशन कैंपेन

अब तक सामने आए आंकड़ों के अनुसार, 5000 से अधिक फर्जी प्रचार अभियानों को भारत के खिलाफ चलाया गया है. इनमें से कुछ बड़े दावे शामिल हैं जैसे

महाराष्ट्र में पावर ग्रिड पर फर्जी तोड़फोड़ की खबर

ब्रह्मोस मिसाइल केंद्र पर हमले की अफवाह

इनमें से 83 अभियानों को निष्क्रिय कराने की कोशिश की गई. अब तक 38 कैंपेन को सफलतापूर्वक हटाया भी जा चुका है.

बढ़ती चुनौती के बीच साइबर डिफेंस को मजबूत करने की जरूरत

“Roar of Sindoor” रिपोर्ट भारत की साइबर सुरक्षा के लिए चेतावनी की घंटी है. ये न केवल डिजिटल संरचनाओं की सुरक्षा को लेकर सजगता की मांग करती है, बल्कि सामाजिक तानेबाने को भ्रामक सूचनाओं से बचाने की भी चुनौती पेश करती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है जब भारत को साइबर डिफेंस को राष्ट्रीय सुरक्षा के समकक्ष प्राथमिकता देनी होगी.

यूएनएससी में पाकिस्तान की खूब हुई किरकिरी, पहलगाम अटैक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पड़ा अलग-थलग

#unscmeetingonpahalgamterror_attack

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद को पनाह देने को लेकर पाकिस्तान की दुनियाभर में किरकिरी हो रही है। अब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अलग-थलग पड़ गया। भारत के संभावित सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्तान कभी संयुक्त राष्ट्र तो कभी दूसरे देशों के दरवाजे पर मत्था मार रहा है लेकिन कहीं से भी पाकिस्तान को मदद नहीं मिल रही। इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान की कोशिश नाकाम रही। क्लोज डोर मीटिंग में उसने भारत के खिलाफ किसी प्रस्ताव या बयान को पारित करवाने की कोशिश की, लेकिन कोई सदस्य देश उसके साथ नहीं खड़ा हुआ।

पहलगाम हमले में लश्कर ए तैयबा की भूमिका पर पूछे सवाल

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान के आग्रह पर एक बंद कमरे में बैठक की. इस दौरान परिषद के सदस्यों ने इस्लामाबाद के ‘फर्जी’ दावों को मानने से इनकार करते हुए उससे कड़े सवाल पूछे। सूत्रों के मुताबिक, यूएनएससी सदस्यों ने बैठक के दौरान पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा उठाया और पाकिस्तान से पूछा कि क्या इसमें लश्कर-ए-तैयबा शामिल हो सकता है? परिषद ने 22 अप्रैल के हमले की व्यापक रूप से निंदा की और जवाबदेही तय करने की बात कही।

पर्यटकों से धर्म पूछकर निशाना बनाए जानें का मुद्दा उठा

सूत्रों ने आगे कहा कि कुछ सदस्यों ने पर्यटकों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाने का मुद्दा उठाया। कई सदस्यों ने चिंता जताई कि पाकिस्तान का मिसाइल परीक्षण और परमाणु बयानबाजी तनाव बढ़ाने वाले हैं। पाकिस्तान की कोशिश थी कि मामले को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया जाए लेकिन वह इसमें भी नाकाम रहा। उसे भारत के साथ द्विपक्षीय तरीके से मुद्दों को सुलझाने की सलाह दी गई।

बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण को उकसावे वाली कार्रवाई बताई

पाकिस्तान द्वारा हाल ही में बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया गया है। सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने इस पर भी नाराजगी जताई और इसे पाकिस्तान की उकसावे वाली कार्रवाई बताया। पाकिस्तान की कोशिश थी कि मामले को सुरक्षा परिषद में उठाकर इसका अंतरराष्ट्रीयकरण किया जाए और भारत पर दबाव बनाया जाए कि वह सैन्य कार्रवाई न करे, लेकिन उसकी यह कोशिश धरी की धरी रह गई और सुरक्षा परिषद ने ही पाकिस्तान को सलाह दी कि वे भारत के साथ मिलकर द्विपक्षीय तरीके से मुद्दे को सुलझाए।

जम्मू कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, जानें क्या कहा

#supreme_court_dismissed_plea_seeking_tourist_safety_after_pahalgam_attack

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर दायर एक जनहित याचिक को खारिज कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि यह पीआईएल सिर्फ प्रचार पाने के लिए की गई है। इसमें जनहित का कोई मामला नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 1 मई को पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा था कि जज आतंकी मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट में 2 जजों की बेंच जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह ने याचिका पर सुनावई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे पब्लिसिटी स्टंट बताते हुए याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील विशाल तिवारी से कहा, आपने इस तरह की पीआईएल क्यों दायर की है? आपका असली मकसद क्या है? क्या आप इस मुद्दे की संवेदनशीलता को नहीं समझते हैं? मुझे लगता है कि आप इस पीआईएल को दायर करने के लिए कुछ दृष्टांत योग्य उदाहरण को आमंत्रित कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता वकील ने कहा, यह पहली बार है कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों को निशाना बनाया गया। इसलिए वह उनकी सुरक्षा के लिए निर्देश मांग रहे हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता एक के बाद एक जनहित याचिका दायर करने में लगे हुए हैं। इसका प्राथमिक मकसद सार्वजनिक कारण में कोई वास्तविक रुचि नहीं रखते हुए प्रचार प्रतीत होता है।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। उस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। शीर्ष अदालत ने पीआईएल दाखिल करने वालों को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि जज आतंकवाद के मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं हैं।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ रूस, पुतिन ने पीएम मोदी से की फोन पर बात

#pm_modi_call_putin_on_pahalgam_attack

भारत के सबसे करीबी दोस्त रूस ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के समर्थन का ऐलान किया है। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फोन किया। पुतिन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ देने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और हमले में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की। इससे पहले भी पुतिन ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी को संदेश भेजकर संवेदना व्यक्त की थी।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह जानकारी दी। रणधीर जायसवाल ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को फोन किया। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने निर्दोष लोगों की जान जाने पर गहरा दुख जताया। पुतिन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूरा समर्थन देने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस घिनौने हमले के अपराधियों और उनके समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाना ही होगा।

प्रधानमंत्री ने विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रपति पुतिन को शुभकामनाएं दीं और उन्हें इस वर्ष के अंत में भारत में आयोजित होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। पुतिन का यह फोन ऐसे समय में आया है जब भारत में आतंकी हमले की वजह से तनाव है। रूस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। इस मुश्किल घड़ी में पुतिन का समर्थन भारत के लिए बहुत मायने रखता है।

इससे पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रविवार को भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताई थी। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी जारी है। इस बीच रूसी विदेश मंत्री ने दोनों देशों से संयम बरतने और किसी भी तरह की बढ़त को रोकने की अपील की थी।

सेना का का मनोबल न गिराएं...पहलगाम हमले की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

#supremecourtreprimandspetitioneronpahalgamattacks

पहलगाम आतंकी हमलों की न्यायीक जांच की मांग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका दायर करने से पहले मामले की गंभीरता को समझना चाहिए था। हमारे बलों का मनोबल मत तोड़ो। इन याचिकाओं के लिए यह सही समय नहीं है।

जज कब से ऐसे मामलों की जांच करने के एक्सपर्ट ?

अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपने मांग की है कि रिटायर्ड जज की अगुवाई में पहलगाम हमले के जांच हो। जज कब से ऐसे मामलों की जांच करने के एक्सपर्ट हो गए हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखिए। कोर्ट ने कहा कि यह कठिन समय है और सभी को साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।

हर भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए एकसाथ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुश्किल वक्त में देश का प्रत्येक नागरिक आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह ऐसा जरूरी समय है, जब हर भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए एकसाथ खड़ा है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी मांग कर सुरक्षाबलों का मनोबल ना गिराएं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि ये मामला बहुत ही संवेदनशील है। ऐसे में इस मामले की संवेदनशीलता का भी ख्याल रखें।

याचिका पर सुनवाई करने से इनकार

बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले में विदेशी पर्यटकों समेत 26 लोग मारे गए थे। आतंकियों ने धर्म पूछकर सबको मारा था। याचिकाकर्ताओं ने 26 लोगों की मौत वाली पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग की थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने निष्कर्षों को लेकर थोड़ा ज़िम्मेदार बनिए।

पहलगाम हमले पर बड़ा खुलासाःआतंकियों ने की थी बैसरन के अलावा इन 3 जगहों की

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जम्मू-कश्मीर के ‘मिनी स्विटजरलैंड’ कहे जाने वाले पहलगाम में आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी जांच शुरू कर दी है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। जांच के दौरान हो रहे खुलासे से यह बात सामने आई है कि आतंकी अचानक वहां नहीं पहुंचे। जिन आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया है वे 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे। इन आतंकियों की मदद करने वाले लोगों से एनआईए को ये भी पता चला है कि आतंकियों के टारगेट पर पहलगाम के अलावा तीन और स्थान भी थे। हमले से पहले घाटी में तीन सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया गया था।

किन जगहों की रेकी

बताया गया है कि आतंकियों ने 22 अप्रैल से पहले पहलगाम और आसपास के इलाके की रेकी शुरू की थी। बैसरन, आरु वैली और बेताब वैली संग लोकल एम्यूज़मेंट पार्क की रेकी करने के बाद हमले के लिए बैसरन को चुना गया था।जांच में गिरफ्तार किए गए एक ओवर ग्राउंड वर्कर ने बताया कि आतंकी घटना से दो दिन पहले बैसारन घाटी में मौजूद थे। आतंकियों ने 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचकर रेकी की थी। इनमें बैसरन घाटी, आरु घाटी, स्थानीय एम्यूज़मेंट पार्क और बेताब घाटी शामिल थे। सुरक्षा कड़ी होने की वजह से आतंकी इन जगहों पर हमला नहीं कर पाए।

ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पूछताछ में खुलासा

जम्मू-कश्मीर से उठाए गए 80 ओवरग्राउंड वर्कर्स समेत कई लोगों से पूछताछ में यह बात सामने आई है।इसमें से 20 के करीब ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पहचान भी हो चुकी है। इसमें कुछ ओवर ग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक 4 ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने पाकिस्तानी आतंकियों को घाटी में रेकी करने में मदद की थी।

ओवर ग्राउंड वर्कर ने की आतंकियों की मदद

जांच में पता चला है कि कम से कम चार ओवर ग्राउंड वर्कर ने आतंकियों को रेकी और जरूरी सामान पहुंचाने में मदद की। हमले से पहले इलाके में तीन सैटेलाइन फोन के इस्तेमाल के सबूत भी मिले हैं। इनमें से दो डिवाइस के सिग्नल को ट्रैस कर लिया गया है। एनआईए और खुफिया एजेंसियां अब तक 2,500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। फिलहाल 186 लोगों को आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में रखा गया है।

पहलगाम के हर दोषी को सजा दिलाकर रहेंगे', अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत में जयशंकर ने साफ की मंशा

#sjaishankarpahalgamattacktalkwithmarco_rubio

पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान अब चारों तरफ से घिरता दिख रहा है। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (विदेश मंत्री) मार्को रुबियो ने इस आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बात की है। इस बातचीत के दौरान रुबियो ने इस आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की है।मार्को रुबियो ने पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के प्रति दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

जयशंकर की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को साफ तौर पर कह दिया है कि पहलगाम आतंकी हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरें में लाया जाना चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा, 'कल अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके अपराधियों, समर्थकों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।'

यूएस ने की तनाव कम करने की अपील

इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान से भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का आह्वान किया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के पीएम से इस अमानवीय हमले की जांच में हर संभव सहयोग देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को भारत से बढ़ते तनाव को कम करने, बातचीत फिर से स्थापित करने और दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है।

क्या भारत करेगा पाकिस्तान के साथ सहयोग

हालांकि, आतंकवाद के पनाहगार के तौर पर जगजाहिर देश पाकिस्तान के साथ सहयोग की किसी भी गुंजाइश से भारत ने किनारा कर रखा है। उसका एकमात्र मकसद आतंकवाद का जड़ से सफाया और पहलगाम के पीड़ितों को न्याय दिलाना है।

आतंकियों की हिमायती बनें कांग्रेस के ये नेता! बोले- उनके पास इतना समय नहीं कि वह धर्म पूछकर मारेंगे

#pahalgamattackcongressvijaywadettiwarraisedquestions

पहलगाम अटैक के बाद कांग्रेस नेताओं की तरफ से कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पहले ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कह चुके हैं कि पाकिस्तान के साथ युद्ध नहीं होना चाहिए। अब कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार का आतंकी की हिमायती बनते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने सवाल पूछा है कि इस बात का क्या प्रमाण है कि धर्म पूछ कर मारा गया है।

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी सरकार की- वडेट्टीवार

महाराष्ट्र में कांग्रेस के विधायक विजय वडेट्टीवार ने पहलगाम अटैक को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में जो आतंकी घटना हुई इसकी जिम्मेदारी तो सरकार को लेनी चाहिए। 26 पर्यटकों की जान गई। वहां पर सुरक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं थी? आतंकी घुस कर पर्यटकों को मार देते हैं। इसे लेकर खुफिया विभाग क्या कर रहा था। यह सब सरकार की विफलता है। इन सब चीजों पर सरकार बात नहीं करती है।

आतंकी को पूछने का समय होता है क्या- वडेट्टीवार

कांग्रेस विधायक ने आगे कहा, वो कहते हैं कि आतंकवादियों ने हिंदू पूछ कर मारा, आतंकी को पूछने का समय होता है क्या? वह मारने वाले के कान में जाकर पूछे कि तुम हिंदू हो या फिर मुसलमान? यह बहुत सारी विवादित बातें हैं, कोई बोलता है ऐसा हुआ ही नहीं, कोई बोलता है ऐसा हुआ। आतंकवादी की कोई जात या धर्म नहीं होता है। उनको पकड़ कर एक्शन लेना चाहिए।

कांग्रेस लगातार उठा रही सरकार पर सवाल

वडेट्टीवार से पहले भी कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने पहलगाम हमले के बाद सवाल उठाए हैं। इससे पहले कर्नाटक के आबकारी मंत्री आरबी तिम्मापुर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि आतंकियों ने गोली मारने से पहले लक्ष्य का धर्म पूछा होगा। उन्होंने कहा था, जो व्यक्ति गोली चला रहा है, क्या वह जाति या धर्म पूछेगा? वह बस गोली चलाकर चला जाएगा। व्यावहारिक रूप से सोचें। वह वहां खड़ा होकर नहीं पूछेगा और फिर गोली नहीं चलाएगा।

सिद्धारमैया ने क्या कहा था?

वहीं, कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया कश्मीर घाटी में शांति सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा मजबूत करने की वकालत की थी। सिद्धारमैया ने कहा था कि इस घटना में सुरक्षा चूक हुई है। हम युद्ध के पक्ष में नहीं हैं। कश्मीर क्षेत्र में सुरक्षा उपायों को कड़ा करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। केंद्र सरकार को कश्मीर में शांति सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा बढ़ानी चाहिए।

पीड़ितों ने किया ये दावा

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकी घटना में 26 लोगों को आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया था। उनके परिजनों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया था कि वह मंजर कैसा था, जब आतंकवादियों की ओर से गोलियां बरसाई जा रही थीं। इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों ने मीडिया के सामने दावा किया है कि आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर इस नरसंहार को अंजाम दिया। आतंकियों ने मारने से पहले धर्म पूछा। शक होने पर कलमा पढ़ने को कहा। जब आतंकियों ने यह सुनिश्चित किया कि पर्यटक हिंदू हैं तो गोली चलाकर मार डाला। साथ ही आतंकियों ने यह भी कहा कि यह संदेश देश के पीएम मोदी को दे देना।

किस मुंह से जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा मांग सकता हूं? विधानसभा में बोले उमर अब्दुल्ला

#jammukashmircmomarabdullahonpahalgam_attack

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया। इस विधानसभा सत्र में पहलगाम हमले पर बोलते है सीएम उमर अब्दुल्ला ने हमले में मारे गए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि दी। उनकी आंखों में इस हमले को लेकर आंसू दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि इस हमले में पूरा देश चपेट में आया। किसी ने अपना पिता खोया, किसी ने बेटा तो किसी ने भाई। मैंने सैलानियों को यहां आने की दावत दी थी। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी सवेदना है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रस्ताव पेश

पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए सदन में एक प्रस्ताव पास किया गया है। इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार के उन कदमों का भी समर्थन किया गया जो 23 अप्रैल को 'कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी' की बैठक के बाद उठाए गए थे। उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने विधानसभा में यह प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव में इस हमले को 'कश्मीरियत', संविधान और जम्मू-कश्मीर में एकता, शांति और सद्भाव की भावना पर हमला बताया गया और पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ पूरी एकजुटता व्यक्त की गई तथा प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। प्रस्ताव में आतंकी हमले की निंदा की गई और पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त की गई।

26 साल में कश्मीरियों को ऐसे नहीं देखा-उमर

विधानसभा में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीरी ये हमले नहीं चाहते हैं। कोई कश्मीरी इस हमले के साथ नहीं है। इस हमले ने हमें खोखला कर दिया है। सैलानियों को हमने बुलाया था। उनको सुरक्षित भेजने की जिम्मेदारी मेरी थी। 26 साल में कश्मीरियों को ऐसे नहीं देखा।उन्होंने कहा कि बहुत मुश्किल है इन हालात में रोशनी ढूंढना। पीड़ितों से माफी मांगने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। उन बच्चों और पत्नियों को सांत्वना नहीं दे पाया। ये समझ से परे है कि क्या कहकर माफी मांगूं। पीड़ितों से माफी मांगने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है।

जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा कैसे मांगूंगा-उमर

इस दौरान सीएम ने कहा कि भले ही मौजूदा वक्त में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी सरकार के पास नहीं है लेकिन वह इस मौके पर कोई राजनीति नहीं करेंगे। वह आज पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग नहीं करेंगे। मेरी क्या इतनी सस्ती सियासत है? हमने पहले भी राज्य के दर्जे की बात की है और भविष्य में भी करेंगे, लेकिन अगर मैं केंद्र सरकार से कहूं कि 26 लोग मर चुके हैं, अब मुझे राज्य का दर्जा दे दो, तो यह मेरे लिए शर्मनाक होगा।

बंदूकों के बल पर उग्रवाद को नियंत्रित कर सकते हैं- उमर

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, आतंकवाद और उग्रवाद तभी खत्म होगा जब लोग हमारा समर्थन करेंगे। यह इसकी शुरुआत है, हमें ऐसा कुछ नहीं कहना या दिखाना चाहिए जिससे इस आंदोलन को नुकसान पहुंचे। हम बंदूकों के बल पर उग्रवाद को नियंत्रित कर सकते हैं, यह तभी खत्म होगा जब लोग हमारा समर्थन करेंगे। और अब ऐसा लगता है कि लोग उस बिंदु पर पहुंच रहे हैं।

Luxury on Wheels: Rajveer Conquers India with a Caravan & Camera

Rajveer Singh Makes History with Rajveer X India’s Luxury Drive: A 10,101 KM in a Luxury Caravan Journey Across India

Rajveer X India’s Luxury Drive has emerged as a groundbreaking digital movement and luxury travel sensation, capturing national attention and dominating online media. This historic journey, driven by Rajveer Singh is India’s first and only 10,101 km in a luxury caravan expedition where a solo content creator experienced a staycation at every single property of one hotel group—The LaLiT Group —across the country.

A Journey of Grit, Grandeur, and Glory

Flagged off from The LaLiT Mumbai on April 13, the drive remained true to its planned route even after the terrorist attack in Pahalgam on April 22. Rajveer continued his journey with undeterred spirit, visiting The LaLiT Srinagar from May 4 to 6, boldly portraying Kashmir’s beauty and hospitality to the world.

On May 7, while traveling from Kashmir toward Kartarpur, he witnessed Operation Sindoor—a strategic Indian security operation. Just a day later, in Amritsar at 2 AM on May 8, Rajveer experienced a blackout caused by Pakistan’s drone attack, which was neutralized by India's defense systems—proving again that no force could derail this record-breaking journey.

Highways That Shaped the Journey

Best Overall Route: Kerala to Goa – Stunning landscapes, perfect roads, cultural richness.

Most Challenging Route: Goa to Mumbai – Marred by congestion, poor road quality, and delays.

Best Route for Night Travel: Jaipur to Delhi Expressway – Excellent lighting, security, and smooth driving.

Unforgettable Stays at The LaLiT Properties

Rajveer rated these three properties as the most exceptional:

The LaLiT Srinagar – Hospitality that touched the soul, with breathtaking lake views.

The LaLiT Kolkata – A perfect blend of tradition, comfort, and warmth.

The LaLiT Bekal – Immersive serenity, coastal charm, and meticulous service.

Brands That Fueled the Legacy

The campaign was proudly powered by U&I Entertainment and Designistic Global pvt ltd , backed by over 20 esteemed brands, including:

Red Chief, Team Wizard Media, Being You Always, Body Profuse, Krunchillo, French Essence, Andros Food, Bright Outdoor Media, Josh Bharat Media and many more

Designistic Global Media was the post production partner who played a crucial role in transforming the journey into a cinematic experience.

Support from the Ministry of Road Transport & Highways, Kashmir Tourism, and The LaLiT Group as official hospitality partner gave this campaign national strength and significance.

People, Power, and Unprecedented Support

This journey brought together a constellation of influencers and thought leaders:

Creators like Mister Tikku, Dil Se Foodie, Bhookad_Singh and many more joined in city after city.

Entrepreneurs such as Dr. Vishal Kalra, Yukit Vora, Harmeet Singh Gupta, and MasterChef Ishijyot Surri rallied behind the initiative.

In Udaipur, Rajveer had the honor of meeting Maharaja Dr. Lakshyaraj Singh Mewar, adding royal recognition to this prestigious tour.

Numbers That Speak Volumes

10,101 km covered, 12 luxury stays at The LaLiT Group, 250+ posts and 1,500+ Instagram stories, 100+ million digital impressions.

A Legacy of Firsts

1st content creator to stay at every property of a hotel group in a single country in less than 33 days

1st to drive 10,101 km accross the country in a luxury caravan

1st to continue with a national drive plan even during a regional terror attack & National War With Pakistan.

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The Road Ahead

This is not just a story of roads and reels—this is about fearless storytelling, unmatched hospitality, and a new benchmark in luxury content experiences. The road was long, but Rajveer’s vision was longer.

For collaborations, features, and media kits, follow

भारत के खिलाफ साइबर जंग की नई चाल, ‘Roar of Sindoor’ रिपोर्ट में खुलासा

भारत के खिलाफ बड़े साइबर अटैक की साजिश रची जा रही है. इसका खुलासा “Roar of Sindoor” रिपोर्ट से हुआ है. साजिश के तहत तकनीकी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के साथ ही देश में गलत जानकारी और फेक नैरेटिव फैलाकर सामाजिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है. इस रिपोर्ट को “Echos of Pahalgam” के बाद जारी किया गया है, जिसने पहले ही भारत को कई महत्वपूर्ण साइबर हमलों से बचाने में भूमिका निभाई थी. नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत पर साइबर हमले करने वाले समूहों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और मिडिल ईस्ट के कई खतरनाक हैकर ग्रुप्स शामिल हैं.

इन समूहों में प्रमुख रूप से APT-36, Team Insane PK, Mysterious Team, Hoax377, और National Pakistan Allied Group जैसे नाम शामिल हैं.

अब तक 1.5 मिलियन अटैक, 150 सफल प्रयास

रिपोर्ट के मुताबिक, इन ग्रुप्स द्वारा अब तक भारत पर 1.5 मिलियन से अधिक साइबर अटैक किए जा चुके हैं, जिनमें से 150 हमले सफल माने जा रहे हैं. यह हमले मुख्यतः भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों, ऊर्जा सेक्टर, और महत्वपूर्ण डाटा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित रहे हैं.

साइबर हमलों के साथ चल रहा है हाइब्रिड वॉर

रिपोर्ट में इस खतरे को केवल तकनीकी तक सीमित नहीं बताया गया है. बल्कि इसे एक “हाइब्रिड वॉर” का हिस्सा माना गया है. इस युद्ध का एक बड़ा पहलू मिस इन्फॉर्मेशन वॉर यानी फर्जी और भ्रामक जानकारी फैलाना है. इसका मकसद जनता में भ्रम, भय और अविश्वास फैलाना है.

देश के भीतर सक्रिय हो सकते हैं स्लीपर सेल

रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई है कि भारत के भीतर स्लीपर सेल्स सक्रिय हो सकते हैं, जो इन साइबर और सूचना हमलों में सहयोग कर रहे हैं. हालांकि उनकी पहचान अब तक सामने नहीं आई है लेकिन खुफिया एजेंसियां इस दिशा में सतर्क हो गई हैं.

5000 से अधिक मिस इन्फॉर्मेशन कैंपेन

अब तक सामने आए आंकड़ों के अनुसार, 5000 से अधिक फर्जी प्रचार अभियानों को भारत के खिलाफ चलाया गया है. इनमें से कुछ बड़े दावे शामिल हैं जैसे

महाराष्ट्र में पावर ग्रिड पर फर्जी तोड़फोड़ की खबर

ब्रह्मोस मिसाइल केंद्र पर हमले की अफवाह

इनमें से 83 अभियानों को निष्क्रिय कराने की कोशिश की गई. अब तक 38 कैंपेन को सफलतापूर्वक हटाया भी जा चुका है.

बढ़ती चुनौती के बीच साइबर डिफेंस को मजबूत करने की जरूरत

“Roar of Sindoor” रिपोर्ट भारत की साइबर सुरक्षा के लिए चेतावनी की घंटी है. ये न केवल डिजिटल संरचनाओं की सुरक्षा को लेकर सजगता की मांग करती है, बल्कि सामाजिक तानेबाने को भ्रामक सूचनाओं से बचाने की भी चुनौती पेश करती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है जब भारत को साइबर डिफेंस को राष्ट्रीय सुरक्षा के समकक्ष प्राथमिकता देनी होगी.

यूएनएससी में पाकिस्तान की खूब हुई किरकिरी, पहलगाम अटैक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पड़ा अलग-थलग

#unscmeetingonpahalgamterror_attack

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद को पनाह देने को लेकर पाकिस्तान की दुनियाभर में किरकिरी हो रही है। अब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अलग-थलग पड़ गया। भारत के संभावित सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्तान कभी संयुक्त राष्ट्र तो कभी दूसरे देशों के दरवाजे पर मत्था मार रहा है लेकिन कहीं से भी पाकिस्तान को मदद नहीं मिल रही। इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान की कोशिश नाकाम रही। क्लोज डोर मीटिंग में उसने भारत के खिलाफ किसी प्रस्ताव या बयान को पारित करवाने की कोशिश की, लेकिन कोई सदस्य देश उसके साथ नहीं खड़ा हुआ।

पहलगाम हमले में लश्कर ए तैयबा की भूमिका पर पूछे सवाल

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान के आग्रह पर एक बंद कमरे में बैठक की. इस दौरान परिषद के सदस्यों ने इस्लामाबाद के ‘फर्जी’ दावों को मानने से इनकार करते हुए उससे कड़े सवाल पूछे। सूत्रों के मुताबिक, यूएनएससी सदस्यों ने बैठक के दौरान पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा उठाया और पाकिस्तान से पूछा कि क्या इसमें लश्कर-ए-तैयबा शामिल हो सकता है? परिषद ने 22 अप्रैल के हमले की व्यापक रूप से निंदा की और जवाबदेही तय करने की बात कही।

पर्यटकों से धर्म पूछकर निशाना बनाए जानें का मुद्दा उठा

सूत्रों ने आगे कहा कि कुछ सदस्यों ने पर्यटकों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाने का मुद्दा उठाया। कई सदस्यों ने चिंता जताई कि पाकिस्तान का मिसाइल परीक्षण और परमाणु बयानबाजी तनाव बढ़ाने वाले हैं। पाकिस्तान की कोशिश थी कि मामले को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया जाए लेकिन वह इसमें भी नाकाम रहा। उसे भारत के साथ द्विपक्षीय तरीके से मुद्दों को सुलझाने की सलाह दी गई।

बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण को उकसावे वाली कार्रवाई बताई

पाकिस्तान द्वारा हाल ही में बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया गया है। सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने इस पर भी नाराजगी जताई और इसे पाकिस्तान की उकसावे वाली कार्रवाई बताया। पाकिस्तान की कोशिश थी कि मामले को सुरक्षा परिषद में उठाकर इसका अंतरराष्ट्रीयकरण किया जाए और भारत पर दबाव बनाया जाए कि वह सैन्य कार्रवाई न करे, लेकिन उसकी यह कोशिश धरी की धरी रह गई और सुरक्षा परिषद ने ही पाकिस्तान को सलाह दी कि वे भारत के साथ मिलकर द्विपक्षीय तरीके से मुद्दे को सुलझाए।

जम्मू कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, जानें क्या कहा

#supreme_court_dismissed_plea_seeking_tourist_safety_after_pahalgam_attack

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर दायर एक जनहित याचिक को खारिज कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि यह पीआईएल सिर्फ प्रचार पाने के लिए की गई है। इसमें जनहित का कोई मामला नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 1 मई को पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा था कि जज आतंकी मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट में 2 जजों की बेंच जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह ने याचिका पर सुनावई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे पब्लिसिटी स्टंट बताते हुए याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील विशाल तिवारी से कहा, आपने इस तरह की पीआईएल क्यों दायर की है? आपका असली मकसद क्या है? क्या आप इस मुद्दे की संवेदनशीलता को नहीं समझते हैं? मुझे लगता है कि आप इस पीआईएल को दायर करने के लिए कुछ दृष्टांत योग्य उदाहरण को आमंत्रित कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता वकील ने कहा, यह पहली बार है कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों को निशाना बनाया गया। इसलिए वह उनकी सुरक्षा के लिए निर्देश मांग रहे हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता एक के बाद एक जनहित याचिका दायर करने में लगे हुए हैं। इसका प्राथमिक मकसद सार्वजनिक कारण में कोई वास्तविक रुचि नहीं रखते हुए प्रचार प्रतीत होता है।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। उस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। शीर्ष अदालत ने पीआईएल दाखिल करने वालों को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि जज आतंकवाद के मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं हैं।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ रूस, पुतिन ने पीएम मोदी से की फोन पर बात

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भारत के सबसे करीबी दोस्त रूस ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के समर्थन का ऐलान किया है। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फोन किया। पुतिन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ देने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और हमले में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की। इससे पहले भी पुतिन ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी को संदेश भेजकर संवेदना व्यक्त की थी।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह जानकारी दी। रणधीर जायसवाल ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को फोन किया। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने निर्दोष लोगों की जान जाने पर गहरा दुख जताया। पुतिन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूरा समर्थन देने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस घिनौने हमले के अपराधियों और उनके समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाना ही होगा।

प्रधानमंत्री ने विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रपति पुतिन को शुभकामनाएं दीं और उन्हें इस वर्ष के अंत में भारत में आयोजित होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। पुतिन का यह फोन ऐसे समय में आया है जब भारत में आतंकी हमले की वजह से तनाव है। रूस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। इस मुश्किल घड़ी में पुतिन का समर्थन भारत के लिए बहुत मायने रखता है।

इससे पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रविवार को भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताई थी। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी जारी है। इस बीच रूसी विदेश मंत्री ने दोनों देशों से संयम बरतने और किसी भी तरह की बढ़त को रोकने की अपील की थी।

सेना का का मनोबल न गिराएं...पहलगाम हमले की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

#supremecourtreprimandspetitioneronpahalgamattacks

पहलगाम आतंकी हमलों की न्यायीक जांच की मांग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका दायर करने से पहले मामले की गंभीरता को समझना चाहिए था। हमारे बलों का मनोबल मत तोड़ो। इन याचिकाओं के लिए यह सही समय नहीं है।

जज कब से ऐसे मामलों की जांच करने के एक्सपर्ट ?

अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपने मांग की है कि रिटायर्ड जज की अगुवाई में पहलगाम हमले के जांच हो। जज कब से ऐसे मामलों की जांच करने के एक्सपर्ट हो गए हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखिए। कोर्ट ने कहा कि यह कठिन समय है और सभी को साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।

हर भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए एकसाथ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुश्किल वक्त में देश का प्रत्येक नागरिक आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह ऐसा जरूरी समय है, जब हर भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए एकसाथ खड़ा है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी मांग कर सुरक्षाबलों का मनोबल ना गिराएं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि ये मामला बहुत ही संवेदनशील है। ऐसे में इस मामले की संवेदनशीलता का भी ख्याल रखें।

याचिका पर सुनवाई करने से इनकार

बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले में विदेशी पर्यटकों समेत 26 लोग मारे गए थे। आतंकियों ने धर्म पूछकर सबको मारा था। याचिकाकर्ताओं ने 26 लोगों की मौत वाली पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग की थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने निष्कर्षों को लेकर थोड़ा ज़िम्मेदार बनिए।

पहलगाम हमले पर बड़ा खुलासाःआतंकियों ने की थी बैसरन के अलावा इन 3 जगहों की

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जम्मू-कश्मीर के ‘मिनी स्विटजरलैंड’ कहे जाने वाले पहलगाम में आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी जांच शुरू कर दी है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। जांच के दौरान हो रहे खुलासे से यह बात सामने आई है कि आतंकी अचानक वहां नहीं पहुंचे। जिन आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया है वे 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे। इन आतंकियों की मदद करने वाले लोगों से एनआईए को ये भी पता चला है कि आतंकियों के टारगेट पर पहलगाम के अलावा तीन और स्थान भी थे। हमले से पहले घाटी में तीन सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया गया था।

किन जगहों की रेकी

बताया गया है कि आतंकियों ने 22 अप्रैल से पहले पहलगाम और आसपास के इलाके की रेकी शुरू की थी। बैसरन, आरु वैली और बेताब वैली संग लोकल एम्यूज़मेंट पार्क की रेकी करने के बाद हमले के लिए बैसरन को चुना गया था।जांच में गिरफ्तार किए गए एक ओवर ग्राउंड वर्कर ने बताया कि आतंकी घटना से दो दिन पहले बैसारन घाटी में मौजूद थे। आतंकियों ने 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचकर रेकी की थी। इनमें बैसरन घाटी, आरु घाटी, स्थानीय एम्यूज़मेंट पार्क और बेताब घाटी शामिल थे। सुरक्षा कड़ी होने की वजह से आतंकी इन जगहों पर हमला नहीं कर पाए।

ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पूछताछ में खुलासा

जम्मू-कश्मीर से उठाए गए 80 ओवरग्राउंड वर्कर्स समेत कई लोगों से पूछताछ में यह बात सामने आई है।इसमें से 20 के करीब ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पहचान भी हो चुकी है। इसमें कुछ ओवर ग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक 4 ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने पाकिस्तानी आतंकियों को घाटी में रेकी करने में मदद की थी।

ओवर ग्राउंड वर्कर ने की आतंकियों की मदद

जांच में पता चला है कि कम से कम चार ओवर ग्राउंड वर्कर ने आतंकियों को रेकी और जरूरी सामान पहुंचाने में मदद की। हमले से पहले इलाके में तीन सैटेलाइन फोन के इस्तेमाल के सबूत भी मिले हैं। इनमें से दो डिवाइस के सिग्नल को ट्रैस कर लिया गया है। एनआईए और खुफिया एजेंसियां अब तक 2,500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। फिलहाल 186 लोगों को आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में रखा गया है।

पहलगाम के हर दोषी को सजा दिलाकर रहेंगे', अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत में जयशंकर ने साफ की मंशा

#sjaishankarpahalgamattacktalkwithmarco_rubio

पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान अब चारों तरफ से घिरता दिख रहा है। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (विदेश मंत्री) मार्को रुबियो ने इस आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बात की है। इस बातचीत के दौरान रुबियो ने इस आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की है।मार्को रुबियो ने पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के प्रति दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

जयशंकर की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को साफ तौर पर कह दिया है कि पहलगाम आतंकी हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरें में लाया जाना चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा, 'कल अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके अपराधियों, समर्थकों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।'

यूएस ने की तनाव कम करने की अपील

इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान से भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का आह्वान किया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के पीएम से इस अमानवीय हमले की जांच में हर संभव सहयोग देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को भारत से बढ़ते तनाव को कम करने, बातचीत फिर से स्थापित करने और दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है।

क्या भारत करेगा पाकिस्तान के साथ सहयोग

हालांकि, आतंकवाद के पनाहगार के तौर पर जगजाहिर देश पाकिस्तान के साथ सहयोग की किसी भी गुंजाइश से भारत ने किनारा कर रखा है। उसका एकमात्र मकसद आतंकवाद का जड़ से सफाया और पहलगाम के पीड़ितों को न्याय दिलाना है।

आतंकियों की हिमायती बनें कांग्रेस के ये नेता! बोले- उनके पास इतना समय नहीं कि वह धर्म पूछकर मारेंगे

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पहलगाम अटैक के बाद कांग्रेस नेताओं की तरफ से कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पहले ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कह चुके हैं कि पाकिस्तान के साथ युद्ध नहीं होना चाहिए। अब कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार का आतंकी की हिमायती बनते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने सवाल पूछा है कि इस बात का क्या प्रमाण है कि धर्म पूछ कर मारा गया है।

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी सरकार की- वडेट्टीवार

महाराष्ट्र में कांग्रेस के विधायक विजय वडेट्टीवार ने पहलगाम अटैक को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में जो आतंकी घटना हुई इसकी जिम्मेदारी तो सरकार को लेनी चाहिए। 26 पर्यटकों की जान गई। वहां पर सुरक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं थी? आतंकी घुस कर पर्यटकों को मार देते हैं। इसे लेकर खुफिया विभाग क्या कर रहा था। यह सब सरकार की विफलता है। इन सब चीजों पर सरकार बात नहीं करती है।

आतंकी को पूछने का समय होता है क्या- वडेट्टीवार

कांग्रेस विधायक ने आगे कहा, वो कहते हैं कि आतंकवादियों ने हिंदू पूछ कर मारा, आतंकी को पूछने का समय होता है क्या? वह मारने वाले के कान में जाकर पूछे कि तुम हिंदू हो या फिर मुसलमान? यह बहुत सारी विवादित बातें हैं, कोई बोलता है ऐसा हुआ ही नहीं, कोई बोलता है ऐसा हुआ। आतंकवादी की कोई जात या धर्म नहीं होता है। उनको पकड़ कर एक्शन लेना चाहिए।

कांग्रेस लगातार उठा रही सरकार पर सवाल

वडेट्टीवार से पहले भी कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने पहलगाम हमले के बाद सवाल उठाए हैं। इससे पहले कर्नाटक के आबकारी मंत्री आरबी तिम्मापुर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि आतंकियों ने गोली मारने से पहले लक्ष्य का धर्म पूछा होगा। उन्होंने कहा था, जो व्यक्ति गोली चला रहा है, क्या वह जाति या धर्म पूछेगा? वह बस गोली चलाकर चला जाएगा। व्यावहारिक रूप से सोचें। वह वहां खड़ा होकर नहीं पूछेगा और फिर गोली नहीं चलाएगा।

सिद्धारमैया ने क्या कहा था?

वहीं, कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया कश्मीर घाटी में शांति सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा मजबूत करने की वकालत की थी। सिद्धारमैया ने कहा था कि इस घटना में सुरक्षा चूक हुई है। हम युद्ध के पक्ष में नहीं हैं। कश्मीर क्षेत्र में सुरक्षा उपायों को कड़ा करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। केंद्र सरकार को कश्मीर में शांति सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा बढ़ानी चाहिए।

पीड़ितों ने किया ये दावा

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकी घटना में 26 लोगों को आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया था। उनके परिजनों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया था कि वह मंजर कैसा था, जब आतंकवादियों की ओर से गोलियां बरसाई जा रही थीं। इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों ने मीडिया के सामने दावा किया है कि आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर इस नरसंहार को अंजाम दिया। आतंकियों ने मारने से पहले धर्म पूछा। शक होने पर कलमा पढ़ने को कहा। जब आतंकियों ने यह सुनिश्चित किया कि पर्यटक हिंदू हैं तो गोली चलाकर मार डाला। साथ ही आतंकियों ने यह भी कहा कि यह संदेश देश के पीएम मोदी को दे देना।

किस मुंह से जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा मांग सकता हूं? विधानसभा में बोले उमर अब्दुल्ला

#jammukashmircmomarabdullahonpahalgam_attack

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया। इस विधानसभा सत्र में पहलगाम हमले पर बोलते है सीएम उमर अब्दुल्ला ने हमले में मारे गए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि दी। उनकी आंखों में इस हमले को लेकर आंसू दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि इस हमले में पूरा देश चपेट में आया। किसी ने अपना पिता खोया, किसी ने बेटा तो किसी ने भाई। मैंने सैलानियों को यहां आने की दावत दी थी। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी सवेदना है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रस्ताव पेश

पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए सदन में एक प्रस्ताव पास किया गया है। इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार के उन कदमों का भी समर्थन किया गया जो 23 अप्रैल को 'कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी' की बैठक के बाद उठाए गए थे। उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने विधानसभा में यह प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव में इस हमले को 'कश्मीरियत', संविधान और जम्मू-कश्मीर में एकता, शांति और सद्भाव की भावना पर हमला बताया गया और पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ पूरी एकजुटता व्यक्त की गई तथा प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। प्रस्ताव में आतंकी हमले की निंदा की गई और पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त की गई।

26 साल में कश्मीरियों को ऐसे नहीं देखा-उमर

विधानसभा में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीरी ये हमले नहीं चाहते हैं। कोई कश्मीरी इस हमले के साथ नहीं है। इस हमले ने हमें खोखला कर दिया है। सैलानियों को हमने बुलाया था। उनको सुरक्षित भेजने की जिम्मेदारी मेरी थी। 26 साल में कश्मीरियों को ऐसे नहीं देखा।उन्होंने कहा कि बहुत मुश्किल है इन हालात में रोशनी ढूंढना। पीड़ितों से माफी मांगने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। उन बच्चों और पत्नियों को सांत्वना नहीं दे पाया। ये समझ से परे है कि क्या कहकर माफी मांगूं। पीड़ितों से माफी मांगने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है।

जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा कैसे मांगूंगा-उमर

इस दौरान सीएम ने कहा कि भले ही मौजूदा वक्त में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी सरकार के पास नहीं है लेकिन वह इस मौके पर कोई राजनीति नहीं करेंगे। वह आज पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग नहीं करेंगे। मेरी क्या इतनी सस्ती सियासत है? हमने पहले भी राज्य के दर्जे की बात की है और भविष्य में भी करेंगे, लेकिन अगर मैं केंद्र सरकार से कहूं कि 26 लोग मर चुके हैं, अब मुझे राज्य का दर्जा दे दो, तो यह मेरे लिए शर्मनाक होगा।

बंदूकों के बल पर उग्रवाद को नियंत्रित कर सकते हैं- उमर

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, आतंकवाद और उग्रवाद तभी खत्म होगा जब लोग हमारा समर्थन करेंगे। यह इसकी शुरुआत है, हमें ऐसा कुछ नहीं कहना या दिखाना चाहिए जिससे इस आंदोलन को नुकसान पहुंचे। हम बंदूकों के बल पर उग्रवाद को नियंत्रित कर सकते हैं, यह तभी खत्म होगा जब लोग हमारा समर्थन करेंगे। और अब ऐसा लगता है कि लोग उस बिंदु पर पहुंच रहे हैं।