दवाओं के काले कारोबार पर चल रहा CDSCO का चाबुक, ऐसे कसा जा रहा शिकंजा
हाल के दिनों में ऐसा पाया गया है कि देश में कई सारे राज्यों में गलत दवा के निर्माण के मामले पाए गए. इनमें से कुछ मामले तो ऐसे भी थे जिनको लेकर वैश्विक स्तर पर देश के सम्मान को ठेस लगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि सरकार के कठोर पहल के तहत पहले से अधिक दवा निर्माताओं कंपनियों पर शिकंजा कसा गया है. Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO) के संयुक्त ड्रग कंट्रोलर डॉ. एस ईश्वरा रेड्डी ने टीवी9 भारतवर्ष के साथ खास बातचीत में बताया कि दवा कंपनियों पर कई तरह से शिकंजा कसा जा रहा है. इसमें पहले से अधिक तैयारी के साथ हमारे अधिकारी कंपनियों पर छापा मार रहे हैं.
डॉ रेड्डी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान (NIHFW), एक स्वायत्त संगठन है. यहां पर इसके लिए विशेष ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई. पूरी ट्रेनिंग पर अभी तक 2.5 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ट्रेनिंग से अधिकारियों को पहले से अधिक तकनीकी तौर पर ट्रेंड किया गया, जिससे शिंकंजे में आईं कंपनियों पर कठोर कदम उठाया जा सके.
अधिकारियों की बड़ी तकनीकी टीम तैयार
डॉ रेड्डी ने बताया कि NIHFW के माध्यम से तकनीकी तौर पर एडवांस टीम तैयार की जा रही है. इस टीम में शामिल अधिकारियों की हर 6 महीने पर इनकी ट्रेनिंग की जा रही है. इंस्पेक्शन एंड इन्वेस्टिगेशन पर पहले से अधिक खर्च किया जा रहा है. पहले जितने मामले आते थे, उनमें ऐसा पाया जाता था कि सबूतों और कानूनी दाव पेंच का सहारा लेकर कई सारी कंपनियां बच निकलती थीं. अब एडवांस ट्रेनिंग के बाद कनविक्शन के मामले में 5 से 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
कब कहां किस तरह के मामले
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) का दावा है कि दुनिया में नकली दवाओं का कारोबार 200 बिलियन डॉलर यानी करीब 16,60,000 करोड़ रुपये का है. एसोचैम की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 25% दवाएं नकली या घटिया हैं. भारतीय मार्केट में इनका कारोबार 352 करोड़ रुपये का है. 14 नवंबर 2024 में उत्तर प्रदेश के आगरा में नकली दवा बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी
दिसंबर 2024 में राजस्थान के ड्रग डिपार्टमेंट ने एक अलर्ट जारी करते हुए सात कंपनियों की 9 दवाइयों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी. विभाग की ओर से बताया गया था कि इनमें से चार दवाइयां नकली पाई गईं और 5 दवाइयों के सैंपल फेल हो गए हैं. इन दवाइयों में सर्दी, खांसी, जुकाम और एलर्जी के साथ-साथ विटामिन डी-3, कैल्शियम और मानसिक रोगों में उपयोग में आने वाली दवाइयां शामिल थीं.
तेलंगाना में पिछले साल करोड़ों की नकली या घटियां दवाइयां पकड़ी गईं. यही हाल उत्तराखंड का भी था, जहां से कूरियर के माध्यम से नकली दवाओँ की खेप पकड़ी गई. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी कई ऑपरेशन में पिछले सालों में दिल्ली-एनसीआर में चल रहे कई सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया था. गाजियाबाद के लोनी स्थित ट्रोनिका सिटी में नकली दवाओं का गोदाम पकड़ा, जिसका मास्टरमाइंड एक डॉक्टर निकला. ये सोनीपत के गन्नौर स्थित फैक्ट्री में भारत, अमेरिका, इंग्लैंड, बांग्लादेश और श्रीलंका की 7 बड़ी कंपनियों के 20 से ज्यादा ब्रैंड की नकली दवा तैयार कर रहे थे.







Mar 26 2025, 20:53
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
18.2k