एमसीडी के 12000 संविदा कर्मचारी होंगे स्थायी, जानें क्या है दिल्ली हारने के बाद आप का प्लान

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी (आप) चुप नहीं बैठी है। विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद आप दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी के जरिये बीजेपी सरकार को ताकत दिखान की कोशिश में है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बनाई गईं आतिशी के ताजा बयान से तो ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। दरअसल, आतिशी ने रविवार को घोषणा की कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) मंगलवार को होने वाली अपनी सदन की बैठक में 12,000 संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की तैयारी में है।

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आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि ‘आप’ के नेतृत्व वाली एमसीडी अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, पिछले दो वर्षों में हमने 4,500 (संविदा) कर्मचारियों को स्थायी किया है। अब 25 फरवरी को एमसीडी सदन की बैठक में हम सफाई कर्मचारियों, कनिष्ठ अभियंताओं, वरिष्ठ अभियंताओं, माली और अन्य संविदा कर्मचारियों सहित सभी विभागों में 12,000 से अधिक कर्मचारियों को नियमित करने जा रहे हैं।

आतिशी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर इस बारे में जानकारी देते हुए एक पोस्ट किया है। अपनी पोस्ट में आतिशी ने लिखा है, दिल्ली एमसीडी में आप सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए सभी विभागों के 12,000 अस्थाई कर्मचारियों को पक्का करने का फैसला किया है। 25 फरवरी को होने वाली एमसीडी सदन की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगेगी। हमने एमसीडी के कच्चे कर्मचारियों से जो वादा किया था, उसे पूरा करने जा रहे हैं। देश के इतिहास में किसी भी सरकार ने इतना बड़ा फैसला नहीं लिया, जो आज अरविंद केजरीवाल जी के मार्गदर्शन में एमसीडी की "आप" सरकार लेने जा रही है।

वहीं आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर लिखा, एमसीडी के सभी 12,000 अस्थायी कर्मचारियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आम आदमी पार्टी ने अपना वादा निभाते हुए निगम के इन अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने का ऐतिहासिक फैसला कर लिया है। 25 फरवरी को एमसीडी सदन की बैठक में ये प्रस्ताव पारित होगा।

दिल्ली विधानसभा में पहली बार बना खास संयोग, पक्ष-विपक्ष में शीर्ष पदों पर दो महिलाएं विराजमान

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दिल्ली विधानसभा में अब पक्ष और विपक्ष की ओर से दो महिलाएं आमने-सामने होंगी। एक ओर भारतीय जनता पार्टी ने जहां शालीमार बाग से विधायक रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया है। वहीं, आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक में नेता विपक्ष के लिए पूर्व सीएम आतिशी के नाम पर मुहर लग गई।यह पहली बार है कि एक साथ नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष दोनों पदों पर महिलाएं ही होंगी।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद रविवार को आम आदमी पार्टी के विधायकों की बैठक हुई। बैठक में पूर्व सीएम आतिशी को नेता प्रतिपक्ष बनाने को लेकर आम राय बनी। आतिशी ने इस बार कालकाजी सीट से पूर्व सांसद और बीजेपी नेता रमेश बिधूड़ी को हराया था।

पार्टी की तरफ से सदन में नेता चुने को लेकर आतिशी ने जाने कहा कि आम आदमी पार्टी के विधायक दल की नेता की जिम्मेदारी सौंपने के लिए 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और विधायक दल का आभार। उन्होंने एक्स पर ट्वीट में लिखा, दिल्ली की जनता ने हमें विपक्ष की भूमिका सौंपी है, और हम एक मजबूत विपक्ष के रूप में यह सुनिश्चित करेंगे कि भाजपा सरकार दिल्लीवालों से किए अपने सभी वादे पूरे करें।

इससे पहले केवल मुख्यमंत्री पद पर महिला रही थी, लेकिन नेता प्रतिपक्ष पर पहली बार महिला की नियुक्ति हुई है। विधानसभा में वर्ष 1993 से 1998 तक भाजपा ने मदनलाल खुराना, साहिब सिंह और चुनाव से कुछ माह पहले सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया था। सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थी। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस विधायक जगप्रवेश चंद्र रहे थे।

वहीं वर्ष 1998 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद कांग्र्रेस ने शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री बनाया और वह वर्ष 2013 तक मुख्यमंत्री रही। इस दौरान विधानसभा के तीन कार्यकाल में वर्ष 1998 से 2008 तक भाजपा के प्रो. जगदीश मुखी नेता प्रतिपक्ष रहे और वर्ष 2008 से 2013 तक भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी।

वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने पर उसके नेता अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने और वह वर्ष 2024 के मध्य तक मुख्यमंत्री रहे और आप के शासन के तीसरे कार्यकाल में आप ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया।

वहीं भाजपा ने वर्ष 2013 में डा. हर्षवर्धन, 2015 से 2020 तक विजेंद्र गुप्ता और वर्ष 2020 से 2024 तक रामवीर सिंह बिधूड़ी को नेता प्रतिपक्ष बनाया। वर्ष 2024 में उनके सांसद बनने के बाद विजेंद्र गुप्ता को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई

मोटापे के खिलाफ पीएम मोदी की जंगः10 लोगों को दिया चैलेंज, आनंद महिंद्रा से लेकर उमर अब्दुल्ला को टास्क

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रविवार को देश में बढ़ते मोटापे की समस्या के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा कि खाने के तेल में 10% कमी करने जैसे छोटे-छोटे प्रयासों से इस चुनौती से निपटा जा सकता है। पीएम ने कहा कि इसके लिए वह एक चैलेंज शुरू करेंगे।इसके बाद उन्होंने कहा कि इस एपीसोड के बाद वे 10 लोगों को अपील कर नॉमिनेट करेंगे कि क्या वो अपने खाने में तेल को 10 फीसदी कम कर सकते हैं? इस अपील के अगले दिन ही यानी आज पीएम ने ट्वीट कर 10 लोगों को नॉमिनेट किया है।

पीएम मोदी ने नामित 10 लोगों से की ये अपील

सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला और महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा सहित 10 लोगों को चैलेंज किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "जैसा कि कल 'मन की बात' में बताया गया था, मैं मोटापे के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने और भोजन में खाद्य तेल की खपत को कम करने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इन 10 लोगों को नॉमिनेट करना चाहता हूं। मैं उनसे यह भी अपील करता हूं कि वे भी 10-10 लोगों को नॉमिनेट करें ताकि हमारा आंदोलन और बड़ा हो।"

इन 10 लोगों को दिया चैलेंज

पीएम मोदी ने ने जिन 10 लोगों का नामित किया है उनमें, आनंद महिंद्रा, दिनेश लाल यादव निरहुआ, मनु भाकर, मीराबाई चानू, मोहनलाल, नंदन नीलेकणी, उमर अबदुल्ला, आर माधवन, श्रेया घोषाल और सुधा मूर्ति का नाम शामिल है।

उमर अब्दुल्ला ने भी दस लोगों को किया नॉमिनेट

पीएम मोदी के ओर से नॉमिनेट किए जाने के बाद उमर अब्दुल्ला ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा मोटापे के खिलाफ शुरू किए गए अभियान में शामिल होकर बहुत खुश हूं। मोटापे के कारण कई तरह की जीवनशैली से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जैसे हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह, स्ट्रोक और सांस लेने की समस्याएं, साथ ही चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं। आज मैं मोटापे के खिलाफ प्रधानमंत्री के अभियान में शामिल होने के लिए इन 10 लोगों को नामांकित कर रहा हूं और उनसे अनुरोध करता हूं कि वे इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए 10-10 लोगों को नामांकित करें।’ उमर ने किरण मजूमदार-शॉ, सज्जन जिंदल, दीपिका पादुकोण, सानिया मिर्जा, इरफान पठान, सुप्रिया सुले समेत 10 लोगों को नॉमिनेट किया है।

मन की बात कार्यक्रम में उठाया था मुद्दा

बता दें कि पीएम मोदी ने मन की बात में कहा था कि एक स्टडी के मुताबिक हर 8 में से एक व्यक्ति ओबेसिटी की समस्या से परेशान है। ज्यादा चिंता की बात है कि बच्चों में भी मोटापे की समस्या चार गुना बढ़ गई है। डब्ल्यूएचओ का डेटा बताता है कि 2022 में दुनियाभर में करीब ढाई सौ करोड़ लोग ओवरवेट थे। पीएम ने कहा, ‘हम सब मिलकर छोटे-छोटे प्रयासों से इस चुनौती से निपट सकते हैं। जैसे एक तरीका मैंने सुझाया था, खाने के तेल में 10 पर्सेंट की कमी करना।पीएम ने कहा, मैं आज ‘मन की बात’ के इस एपिसोड के बाद 10 लोगों को आग्रह करूंगा, चैलेंज करूंगा कि क्या वे अपने खाने में ऑयल को 10% कम कर सकते हैं? साथ ही उनसे यह आग्रह भी करूंगा कि वे आगे नए 10 लोगों को ऐसा ही चैलेंज दें। मुझे विश्वास है, इससे ओबेसिटी से लड़ने में बहुत मदद मिलेगी।

USAID ने भारत में बढ़ाने के लिए नहीं किस काम के लिए दिया फंड, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा

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भारतीय चुनावों को प्रभावित करने में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) की भूमिका इन दिनों काफी चर्चा में है। देश की सियासत में यूएसएड को लेकर विवाद बढ़ा हा है। इस विवाद के बीच वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी किया है। इसमें फंडिंग को लेकर कई खुलाए किए गए हैं। रिपोर्ट में फंड से जुड़ी सारी डिटेल्स की जानकारी दी गई है कि यूएसएड ने कितनी फंडिंग और उस फंड का इस्तेमाल कहां कहां हुआ? वित्त मंत्रालय की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि यूएसएड ने भारत में सात प्रमुख परियोजनाओं को 750 मिलियन डॉलर यानी करीब 65 अरब की फंडिंग की। हालांकि, इस दौरान वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के कोई फंडिंग नहीं की गई।

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वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, यूएसएड की फंडिंग कृषि और खाद्य सुरक्षा, जल, स्वच्छता और साफ-सफाई, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजास्टर मैनेजमेंट और हेल्थ से संबंधित प्रोजेक्ट्स के लिए थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यूएसएड ने वन एवं जलवायु अनुकूल कार्यक्रम और ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण और नवाचार परियोजना के लिए भी फंडिंग करने का वादा किया है।

भारत को अमेरिका से 1951 में मदद मिल रही

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अमेरिका से 1951 में मदद मिलनी शुरू हुई थी। यूएसएड की ओर से अब तक भारत को 555 प्रोजेक्ट के लिए 1700 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मिल चुकी है। इस बीच वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार 2008 के बाद से भारत को यूएसऐड से चुनाव संबंधी किसी मदद का रिकॉर्ड नहीं है।

ट्रंप ने बाइडन प्रशासन पर लगाया आरोप

इसी महीने देश में राजनीतिक विवाद तब शुरू हो गया था जब अरबपति उद्योगपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई ने दावा किया था कि उसने ‘मतदाता को प्रभावित करने’ के लिए भारत को दिए जाने वाले 2.1 करोड़ डॉलर के अनुदान को रद्द कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बार-बार दावा किया कि जो बाइडन के नेतृत्व वाले पिछले प्रशासन के तहत यूएसएड ने भारत को ‘मतदाता को प्रभावित' करने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर का वित्त पोषण आवंटित किया था।

ट्रंप ने चार दिन में चौथी बार फंडिंग का सवाल उठाया

ट्रंप पिछले चार दिनों में चौथी बार भारत चुनाव में अमेरिकी फंडिंग पर सवाल उठाया है। इस बार उन्होंने कहा कि मेरे दोस्त मोदी को 182 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। ये दूसरी बार है जब ट्रंप ने इस मामले में मोदी का नाम लिया है। ट्रम्प ने 21 फरवरी को कहा था कि ये फंड भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए दिए गए। और हमारा क्या? हमें भी अमेरिका में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए पैसा चाहिए। इसके अलावा ट्रंप ने बांग्लादेश में भेजे गए 250 करोड़ रुपए का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल को मजबूत करने के लिए ये फंड एक ऐसी संस्था को भेजा गया, जिसका नाम भी किसी ने नहीं सुना।

ट्रंप ने 21 मिलियन डॉलर यूएसएआईडी फंड को 'रिश्वत योजना' बताया, भाजपा-कांग्रेस में टकरार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत में 'मतदाता मतदान' के लिए अब रद्द किए गए 21 मिलियन डॉलर के फंड पर निशाना साधा और इसे 'रिश्वत योजना' बताया। वाशिंगटन डीसी में रिपब्लिकन गवर्नर्स एसोसिएशन की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "भारत में मतदाता मतदान के लिए 21 मिलियन डॉलर। हम भारत में मतदान की परवाह क्यों कर रहे हैं? हमारे पास पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं। हम अपना खुद का मतदान चाहते हैं।"

एनबीसी न्यूज द्वारा प्रसारित संबोधन के दौरान ट्रंप ने कहा, "क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इतना सारा पैसा भारत जा रहा है। मुझे आश्चर्य है कि जब उन्हें यह मिलता है तो वे क्या सोचते हैं। यह एक रिश्वत योजना है। ऐसा नहीं है कि वे इसे खर्च करते हैं। मैं कहूंगा कि कई मामलों में, वे इसे लोगों को वापस देते हैं।" "मैं कहूँगा कि कई मामलों में, जब भी आपको पता नहीं होता कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि कोई रिश्वत है क्योंकि किसी को भी पता नहीं है कि वहाँ क्या हो रहा है। बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन अमरीकी डॉलर। कोई नहीं जानता कि राजनीतिक परिदृश्य से उनका क्या मतलब है। इसका क्या मतलब है?" अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा।

भाजपा बनाम कांग्रेस का झगड़ा

ट्रंप के ताजा हमले ने भारत में एक नई राजनीतिक लड़ाई शुरू कर दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि उक्त धन का इस्तेमाल भारत में "गहरी-सरकारी संपत्तियों को बनाए रखने" के लिए किया जा रहा है "जो इस तरह के खुलासों का बचाव करने और उन्हें भटकाने का काम करते हैं।" "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मतदान के लिए भारत को 21 मिलियन डॉलर भेजे जाने की बात कहने के एक दिन बाद, उन्होंने इस आरोप को दोहराया है और नहीं, वह इसे बांग्लादेश में भेजे गए 29 मिलियन डॉलर से भ्रमित नहीं कर रहे हैं। इस बार, उन्होंने रिश्वत का भी उल्लेख किया है। अनिवार्य रूप से, इस धन का उपयोग गहरी-सरकारी संपत्तियों को बनाए रखने के लिए भी किया जाता है जो इस तरह के खुलासों का बचाव करने और उन्हें भटकाने का काम करते हैं। हम अब भारत में भी यही पैटर्न देख रहे हैं," मालवीय ने कहा।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पलटवार करते हुए कहा, "पिछले एक हफ्ते से एक स्टोरी चल रही है कि यूएसएआईडी ने नरेंद्र मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए 21 मिलियन डॉलर दिए, अगर इतनी सुरक्षा एजेंसियां ​​होने के बावजूद मोदी सरकार ने 21 मिलियन डॉलर भारत में आने दिए तो ये शर्म की बात है। वहीं, जब मोदी सरकार से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये पैसा यूपीए के शासनकाल में 2012 में आया था। ऐसे में क्या इसी पैसे से बीजेपी 2014 में जीती थी?"

लाहौर में बजा भारत का राष्ट्रगान, ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड मैच में गूंजा “जन-गण-मन

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आगाज हो चुका है। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन पाकिस्तान में हो रहा है। टूर्नामेंट का पहला मैच शनिवार को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम मुकाबला खेला जा रहा है। इस मैच के शुरू में जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी राष्ट्रगान के लिए खड़े हुए तो एक ऐसी घटना घटी जिससे स्टेडियम में मौजूद दर्शक हैरान रह गए। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रगान की जगह आयोजकों ने भारत का राष्ट्रगान बजा दिया।

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शनिवार 22 मई को लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में इस टूर्नामेंट का पहला मैच खेला गया। ये मुकाबला इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हो रहा था। ऐसे में हर मैच की तरह इस मुकाबले में भी एक्शन शुरू होने से ठीक पहले दोनों ही टीमें मैदान पर खड़ी थीं। इस दौरान एक-एक कर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रगान स्टेडियम में चलाया जाना था। मगर ऑस्ट्रेलिया के नेशनल एंथम से पहले स्टेडियम में लगे साउंड सिस्टम से भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन…’ के बोल गूंजने लगे।

बता दें कि आईसीसी के टूर्नामेंटों में हर मैच शुरू होने से पहले दोनों टीमों के राष्ट्रगान बजाए जाते हैं। इंग्लैंड के राष्ट्रगान ‘गॉड सेव द किंग’ के बजने के बाद, ‘एडवांस ऑस्ट्रेलिया फेयर’ बजाया जाना था। लेकिन मैदान पर मौजूद सभी लोगों को उस समय आश्चर्य हुआ, जब दो सेकंड के लिए भारतीय राष्ट्रगान बज गया।इस गलती को तुरंत सुधारा गया और ‘एडवांस ऑस्ट्रेलिया फेयर’ बजाया गया।

पंजाब में 'गुमनाम' विभागः20 महीने कागजों पर चला धालीवाल का मंत्रालय, जानें कैसे सच्ची आई सामने

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पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। इसी आम आदमी पार्टी की सरकार में एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां एक मंत्री के पास वो विभाग था जिसका अस्तित्व ही नहीं है। यह जानकारी खुद पंजाब सरकार के एक संशोधन से सामने आई है। संशोधन की जानकारी गजट नोटिफिकेशन के जरिए दी गई है। इसमें बताया गया है कि मंत्री कुलदीप धालीवाल के पास डिपार्टमेंट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स और एनआईआई अफेयर्स था। जिनमें से डिपार्टमेंट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स अस्तित्व में नहीं है।

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एक दिन पहले ही भगवंत मान सरकार ने 21 अफसरों के ट्रांसफर करने के साथ-साथ मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल से प्रशासनिक सुधार मंत्रालय छीन लिया। अब यह जानकारी सामने आ रही है कि जिस प्रशासनिक सुधार मंत्रालय को धालीवाल से छीना गया है वो वास्‍तव में कहीं था ही नहीं। यह मंत्रालय केवल कागजों पर चल रहा था। सीएम भगवंत मान को 20 महीने बाद होश आया।

धालीवाल से अब तक कुल तीन विभाग वापिस लिए जा चुके हैं। इससे पहले ग्रामीण विकास एवं पंचायत और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी उनसे वापिस लिया गया था। कुलदीप सिंह धालीवाल के पास एनआरई मामलों के साथ प्रशासनिक सुधार मंत्रालय भी था, लेकिन अब करीब 20 महीने बाद पंजाब सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया है कि ये विभाग है ही नहीं करता है। सरकार ने आधिकारिक तौर पर ये मान लिया है कि इस तरीके के किसी विभाग का कोई अस्तित्व ही नहीं था।

प्रशासनिक सुधार मंत्रालय में ना किसी अफसर की नियुक्ति की गई थी और ना ही कोई कर्मचारी पंजाब सरकार के इस विभाग के अंतर्गत काम कर रहे थे। मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को प्रशासनिक सुधार मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। अब पंजाब के राज्यपाल ने सीएम भगवंत मान की सलाह पर एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसके तहत कहा गया है कि अब धालीवाल केवल एनआरआई मामलों के मंत्रालय को संभालेंगे। बताया जा रहा है कि 20 महीनों तक प्रशासनिक सुधार विभाग और एनआरआई विभाग कुलदीप सिंह धारीवाल के पास था।

इस बीच, विपक्षी दलों ने शनिवार को आप सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि आप सरकार शासन को लेकर कितनी गंभीर है। पंजाब भाजपा के महासचिव सुभाष शर्मा ने कहा, यह सरकार के मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है कि एक ऐसा विभाग आवंटित किया गया है, जो अस्तित्व में नहीं है। उन्होंने कहा कि न तो इसे आवंटित करने वालों को, और न ही जिन्हें विभाग आवंटित किया गया था, उन्हें इस तथ्य की जानकारी थी कि यह विभाग अस्तित्व में नहीं है।

मॉरिशस जा रहे पीएम मोदी, पड़ोसी देश के राष्ट्रीय दिवस समारोह में होंगे मुख्य अतिथि

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने मॉरीशस का दौरा करेंगे। पीएम मोदी 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने इसका एलान किया। रामगुलाम ने इसे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों का प्रमाण बताया। बता दें कि हर साल 12 मार्च को मॉरीशस अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। इसे 12 मार्च, 1968 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी।

पीएम मोदी ने मॉरीशस का निमंत्रण किया स्वीकार

अपनी संसद में पीएम रामगुलाम ने कहा कि मुझे सदन को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मेरे निमंत्रण पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने पर सहमति जताई है। हमारे देश के लिए यह वास्तव में एक अनूठा सौभाग्य है कि हम ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की मेजबानी कर रहे हैं, जो अपने व्यस्त कार्यक्रम और हाल ही में पेरिस व अमेरिका के दौरे के बावजूद हमें यह सम्मान दे रहे हैं।

भारत-मॉरीशस संबंध

भारत और मॉरीशस के संबंध ऐतिहासिक रूप से गहरे रहे हैं। मॉरीशस में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी लंबे समय से चली आ रही है। भारत मॉरीशस के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता आया है, जिसमें बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग शामिल है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगी।

70 फीसदी आबादी भारतीय मूल की

हर साल 12 मार्च को मॉरीशस अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। इसे 12 मार्च, 1968 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। मॉरीशस, हिंद महासागर में स्थित एक छोटा सा द्वीपीय देश है। यह अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट से दूर, मेडागास्कर के पूर्व में है। मेडागास्कर तट से मॉरीशस की दूरी लगभग 800 किमी है। यह मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है। मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइस है। यहां की आबादी लगभग 12 लाख है। इनमें से लगभग 70 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है। यहां पर जिस धर्म के सबसे ज्यादा लोग रहते हैं, वो है हिंदू।

चीन-भारत का नाम लेकर फिर ट्रंप ने दी धमकी, जानें अब क्या कहा?

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डोनाल्ड ट्रंप जबसे अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। ट्रंप बार-बार कई देशों को टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे चुके हैं। इन देशों में भारत और चीन का नाम भी शामिल है। एक बार फिर उन्होंने भारत-चीन का नाम लेकर टैरिफ की धमकी दी है। यही नहीं, इस बार तो उन्होंने इस बात की कसम भी खाई है। बता दें कि ट्रंप का ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की बात करने की बावजूद आया है।हाल ही में पीएम मोदी ने अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने ट्रंप के साथ व्यापार, रक्षा समेत टैरिफ के मुद्दे पर बात की थी।

शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भी वही शुल्क लगाएगा, जो ये देश अमेरिकी वस्तुओं पर लगाते हैं। हम जल्द ही रिसिप्रोकल टैरिफ का एलान करेंगे। ट्रंप ने कहा कि वे हम पर शुल्क लगाते हैं। हम उन पर शुल्क लगाएंगे। जो भी कंपनी या देश, जैसे भारत या चीन, हम पर शुल्क लगाते हैं। हम निष्पक्ष होना चाहते हैं। कोई भी कंपनी या देश जैसे कि भारत और चीन जो भी शुल्क लगाते हैं, वहीं हम भी लगाएंगे। ट्रंप ने आगे कहा कि हमने ऐसा कभी नहीं किया। कोविड महामारी से पहले हम ऐसा करना चाहते थे। ट्रंप ने यह टिप्पणी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की थी जब उनसे टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की पीएम मोदी के साथ बैठक के बारे में पूछा गया था

पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मीटिंग को एक ही सप्ताह हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि अमेरिका और भारत व्यापार समझौते पर काम करेंगे। उन्होंने टैरिफ में ढील देने के अलावा व्यापार में आ रहे गतिरोध के बीच रियायतों पर बातचीत की पेशकश भी की थी। इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वे भारत से व्यापार घाटे को कम करने के लिए बातचीत पर सहमत हैं।

खास बात तो ये है कि ट्रंप पहले से ही भारत को टैरिफ किंग नाम से संबोधित करते हुए आ रहे हैं। ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स पर ट्रंप ने भारत के टैरिफ की आलोचना की है। टैरिफ को लेकर उन्होंने अपने चुनावी कैंपेन में भी जिक्र किया है। ऐसे में अब वो अपनी उस बात को आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। साथ ही टैरिफ को लेकर किसी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है।

Political COVID’ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस खतरनाक वायरस से की किसकी तुलना?*l

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में यूएसएजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे ‘Political COVID’ करार दिया। कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर कहा कि जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस तरह के हमले की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं दंग रह गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने खुद स्वीकार किया कि भारत में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए वित्तीय ताकत का उपयोग किया गया। किसी और को निर्वाचित कराने की साजिश रची गई। चुनाव का अधिकार केवल भारतीय जनता का है, कोई भी बाहरी ताकत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।” उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे इस ‘Political COVID’ के खिलाफ एकजुट हों।

समाज में ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की-धनखड़

उपराष्ट्रपति निवास में शनिवार को 5वें आरएस इंटर्नशिप कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि समय आ गया है कि हम पूरी तरह से इस बीमारी की जांच करें। हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए हमारे समाज में इस ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की है। इस भयावह गतिविधि में शामिल सभी लोगों को पूरी तरह से बेनकाब किया जाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि चुनाव करना केवल भारतीय लोगों का अधिकार है। कोई भी उस प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर रहा है तो, वह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है. इससे हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे-धनखड़

उपराष्ट्रपति ने चिंता जताई कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री – ये सभी संवैधानिक पद हैं. लेकिन इनका मजाक उड़ाया जा रहा है। यह एक नई तरह की ‘वोकिज्म’ है, जहां सम्मान की जगह अपमान को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया। भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को उनकी संवैधानिक भूमिका निभाने के लिए भी निशाना बनाया जाता है। उनका लंबा प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनकी जनजातीय पहचान पर सवाल उठाए जाते हैं। यह अस्वीकार्य है।