जयशंकर ने रूस-चीन के अपने समकक्षों से की मुलाकात, जानें क्या हुई बात

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की दो दिवसीय यात्रा पर जोहानिसबर्ग में हैं।जयशंकर ने बृहस्पतिवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दीं।भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बीस देशों के समूह (जी-20) के विदेशमंत्रियों की बैठक में वैश्विक भूमिका पर भारत का पक्ष रखा। साथ ही अपने समकक्षों से मुलाकात भी की। एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय हित सबसे पहले है।

जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर जयशंकर ने कई अहम वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान के साथ बातचीत की। इसके अलावा जयशंकर ने सिंगापुर, ब्राजील और इथियोपिया के अपने समकक्षों से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।

जयशंकर ने जी-20 सदस्य देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात के फोटो भी साझा किए। उन्होंने रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि सर्गेई से मिलकर खुशी हुई। इस दौरान भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की निरंतर प्रगति की समीक्षा की। रियाद बैठक सहित यूक्रेन संघर्ष से संबंधित हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की।

LoC पर आज भारत-पाक का “आमना-सामना”, 2021 के बाद पहली बार फ्लैग मीटिंग

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भारत के उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान के संबंध किसी से छुपे नहीं है। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच के रिश्ते हमेशा से तल्ख रहे हैं। उसपर पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे आतंकी “प्रहार” ने हमेशा आग में घी डालने का काम किया है। हालांकि, कई बार तनाव को कम करने की कोशिश हुई है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच पुंछ सेक्टर में फ्लैग मीटिंग होने जा रही है। पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग होगी। आखिरी बार 2021 में फ्लैग मीटिंग हुई थी।

दोनों सेनाओं के बीच यह बैठक पुंछ/रावलकोट मीटिंग प्वाइंट पर होगी। इस बैठक में भारतीय सेना की तरफ से एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ से की गई सीजफायर उल्लंघन रहेगा। नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने को लेकर यह बैठक हो रही है।

दरअसल, जब दोनों पक्षों के बीच बॉर्डर पर तनाव बढ़ जाता है तो फ्लैग मीटिंग आयोजित की जाती है। तनाव बढ़ने की स्थिति को यह एक तरह से माहौल को शांत करने का उपाय है। इस मीटिंग में दोनों देशों के सैनिक हाथ में अपने देश का झंडा लिए हुए बॉर्डर पर मिलते हैं।

नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ाने की साजिश पाकिस्तान लगातार कर रहा है। जम्मू और कश्मीर में पिछले कई हफ्तों से एलओसी पर तनाव बना हुआ है। हाल के दिनों में उसने एलओसी पर जबरदस्त तरीके से सीजफायर का उल्लंघन किया है। सेना ने 4 फरवरी को 7 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया था। वहीं 13 फरवरी को भी पाकिस्तान सैनिकों के सीजफायर तोड़ने की खबर आई थी। सेना ने बाद में इसका खंडन किया था।

ट्रंप के वफादार काश पटेल एफबीआई निदेशक बने, सीनेट की मंजूरी मिलते ही दहाड़ा

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के काश पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी एफबीआई का निदेशक नियुक्त किया है। डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक काश पटेल की एफबीआई चीफ के रूप में नियुक्ति को सीनेट ने हरी झंडी दिखा दी। सीनेट में हुए मतदान में उन्हें 51-49 के मामूली अंतर से बहुमत हासिल हुआ। डेमोक्रेट सांसदों ने काश पटेल की नियुक्ति का विरोध किया। उनकी योग्यता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि काश पटेल ट्रंप के इशारे पर काम करेंगे और रिपब्लिकन नेता के विरोधियों को निशाना बनाएंगे।

ट्रंप का जताया आभार

एफबीआई के निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप का आभार व्यक्त किया और एजेंसी को 'पारदर्शी, जवाबदेह और न्याय के लिए प्रतिबद्ध' बनाने की कसम खाई। सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए, काश पटेल ने कहा, मैं संघीय जांच ब्यूरो के नौवें निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने पर सम्मानित महसूस हो रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप और अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को आपके अटूट विश्वास और समर्थन के लिए धन्यवाद।

अमेरिका के खिलाफ काम करने वालों को चेतावनी

काश पटेल ने लिखा कि डायरेक्टर के रूप में मेरा मिशन साफ है, हम एक ऐसी एफबीआई का पुनर्निर्माण करेंगे जिस पर अमेरिकी लोगों को गर्व हो। और जो लोग अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, वे इसे अपनी चेतावनी मानें। हम इस दुनिया के हर कोने में आपका पता लगा लेंगे।

काश पटेल की नियुक्ति के बाद तय है कि एफबीआई में बड़े बदलाव संभव हैं। काश पटेल पहले ही कह चुके हैं कि वह एफबीआई में बड़े बदलाव करेंगे। इनमें वाशिंगटन स्थित मुख्यालय में कर्मचारियों की संख्या में कमी और खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों के बजाय अपराध से निपटने जैसे एफबीआई के पारंपरिक कामों पर नए सिरे से जोर देना शामिल है। पिछले दो दशकों में एफबीआई की भूमिका को खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों से परिभाषित किया जाता रहा है।

ईडी ने कनाडा की ‘सबसे बड़ी’ सोने की लूट के आरोपी सिमरन प्रीत पनेसर के घर पर मारा छापा

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को एयर कनाडा के 32 वर्षीय पूर्व प्रबंधक सिमरन प्रीत पनेसर के घर पर छापा मारा और उनसे पूछताछ की, जिन पर अप्रैल 2023 में उत्तरी अमेरिकी देश के टोरंटो पियर्सन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सोने की लूट में कथित भूमिका के लिए कनाडा-व्यापी वारंट जारी है। ईडी की एक टीम शुक्रवार सुबह पंजाब के मोहाली के सेक्टर 79 में सिमरन प्रीत पनेसर के आवास पर पहुंची। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारी टीमें उनसे पूछताछ कर रही हैं।”

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इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पनेसर के चंडीगढ़ के बाहरी इलाके में रहने की खबर दी थी। वित्तीय अपराधों की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी ईडी ने भारत की क्षेत्रीय सीमाओं से परे किसी अपराध की जांच करने के एक दुर्लभ मामले में मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है, क्योंकि आरोपी अब भारत में है। मामले से अवगत अधिकारियों ने बताया कि इस मामले की जांच की जा रही है कि सोना या उससे प्राप्त आय देश में आई या नहीं।

टोरंटो पियर्सन सोना चोरी

17 अप्रैल, 2023 को टोरंटो पियर्सन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक सुरक्षित भंडारण सुविधा से सोने की छड़ें ले जाने वाले एक एयर कार्गो कंटेनर को चुराने के लिए नकली कागजी कार्रवाई का इस्तेमाल किया गया था। चोरी किए गए माल में .9999 शुद्ध सोने की 6,600 छड़ें थीं, जिनका वजन 400 किलोग्राम था, जिसकी कीमत 20 मिलियन कनाडाई डॉलर (CAD) से अधिक थी, और 2.5 मिलियन CAD की विदेशी मुद्रा थी। सोना और मुद्रा ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड से एयर कनाडा की उड़ान से टोरंटो पहुंचे थे, और उन्हें कनाडा के सबसे बड़े शहर में एक बैंक में रखा जाना था। उड़ान के उतरने के तुरंत बाद, माल को उतार दिया गया और हवाई अड्डे की संपत्ति पर एक अलग स्थान पर ले जाया गया। हालांकि, एक दिन बाद, इसे पुलिस को 'गायब' होने की सूचना दी गई।

पील रीजनल पुलिस (पीआरपी), जिसने इस चोरी को 'कनाडा में अब तक की सबसे बड़ी सोने की चोरी' बताया, ने अप्रैल 2024 में सिमरन प्रीत पनेसर सहित नौ लोगों पर आरोप लगाए और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। पनेसर और एक अन्य आरोपी परमपाल सिद्धू ब्रैम्पटन में रहते थे और टोरंटो पियर्सन के गोदाम में काम करते थे। कनाडाई अधिकारियों को अभी सोना बरामद करना बाकी है। चोरी हुए माल से, पीआरपी द्वारा केवल 90,000 सीएडी बरामद किए जाने की जानकारी मिली है।

सज्जन कुमार को फांसी या उम्र कैद? 1984 सिख विरोधी दंगे पर आज आएगा फैसला

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1984 के सिख दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता और सांसद सज्जन कुमार की सजा का ऐलान आज होगा। राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल जज कावेरी बावेजा सुनवाई करेंगी। मामला दिल्ली के सरस्वती विहार में 2 सिखों की हत्या से जुड़ा है। दंगों के दौरान सज्जन बाहरी दिल्ली सीट से सांसद थे। इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने सज्जन कुमार के लिए सजा-ए-मौत मांगी। पीड़ित पक्ष ने भी इसी सजा की मांग की।

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कोर्ट ने 12 फरवरी को उन्हें दोषी ठहराया था। इसके बाद सजा पर बहस होनी थी। सरकारी वकील ने 18 फरवरी को लिखित दलील में फांसी की मांग की थी। वहीं, सज्जन के वकील ने दलीलें पेश करने के लिए समय मांगा था। इस पर 21 फरवरी तक सुनवाई टाल दी गई थी।

पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को लिखित जवाब दाखिल कर सज्जन कुमार को फांसी देने की सजा की मांग की थी। वहीं, पीड़ितों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने भी फांसी की सजा की मांग की थी। इस मामले में कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान करीब 41 साल बाद इस मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था।

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पर दिल्ली दंगे की जिस केस में दोषी करार दिए गए हैं वह सरस्वती विहार से जुड़ा हुआ है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में सिख विरोधी दंगा भड़क उठा था। सरस्वती विहार थाने क्षेत्र में सज्जन सिंह के नेतृत्व में दंगाइयों ने 2 सिख समुदाय के लोगों को लाठी से पीट-पीट कर मार डाला था।

पनामा के होटल में मौजूद भारतीयों तक पहुंची मदद, दूतावास ने कहा-वे सुरक्षित हैं

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अमेरिका ने हाल ही में 300 अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करके पनामा भेजा है। जहां इन लोगों को एक होटल में हिरासत में रखा गया है। अमेरिका पनामा का इस्तेमाल एक पड़ाव के तौर पर कर रहा है क्योंकि इन अप्रवासियों को उनके मूल देश डिपोर्ट करने में दिक्कत हो रही है। इन अप्रवासियों में से कई अपने देश जाने के लिए तैयार नहीं है। ये लोगों ने अपने होटल की खिड़कियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इनका कहना है कि ये लोग अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, वियतनाम और ईरान के हैं।

इधर, अमेरिका से निकाले गए भारतीयों की मदद के लिए भारत पनामा के अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। पनामा में भारतीय दूतावास ने कहा कि सभी प्रवासी होटल में सुरक्षित और संरक्षित हैं। साथ ही दूतावास की टीम भारतीयों को कांसुलर पहुंच मुहैया करा रही है। पनामा, कोस्टारिका और निकारागुआ में स्थित भारतीय दूतावास ने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर यह जानकारी साझा की।

पनामा में भारतीय दूतावास ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि पनामा के अधिकारियों ने हमें बताया है कि कुछ भारतीय अमेरिका से पनामा पहुंचे हैं। वे सुरक्षित हैं और एक होटल में ठहरे हैं, जहां सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। दूतावास की टीम ने उनसे मिलने की अनुमति ले ली है। हम उनकी देखभाल के लिए स्थानीय सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

इससे पहले, अमेरिका से तीन जत्थों में कुल 332 भारतीयों को भारत भेजा जा चुका है। ट्रंप प्रशासन की अवैध अप्रवासियों पर बढ़ती कार्रवाई के बीच यह निर्वासन हुआ है। पनामा आए कुल 299 अवैध अप्रवासियों में से सिर्फ 171 लोगों ने अपने मूल देशों में लौटने की सहमति दी है। जिन 128 निर्वासितों ने अपने देशों में वापस जाने से इनकार कर दिया था, उन्हें पनामा के डेरियन प्रांत के एक शिविर में भेज दिया गया है।संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचआरसी) और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) बाकी 128 लोगों के लिए विकल्प की तलाश कर रहे हैं, ताकि वे किसी तीसरे देश में बस सकें।

कभी मार्शल बुलाकर विधानसभा से निकाले गए थे बाहर, वहीं अब स्पीकर बनेंगे

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सियासत में कब क्या हो जाए किसी को पता नहीं चलता है। दिल्ली की राजनीति में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। इंटरनेट पर एक तस्वीर तेजी के साथ वायरल हो रही है। इसमें भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता को मार्शल उठाकर ले जाते दिख रहे हैं। जैसे ही विजेंद्र गुप्ता दिल्ली विधानसभा के स्पीकर बनाए गए ये तस्वीर फिर चर्चाओं में आ गई है। 2015 से लगातार विपक्ष में बैठकर आम आदमी पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने वाले विजेंद्र गुप्ता अब स्पीकर की कुर्सी पर विराजेंगे। जिस कुर्सी से उन्हें सदन से बाहर निकालने के आदेश होते थे, अब वो उसी पर काबिज होंगे।

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दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की 27 साल बाद सत्ता में वापसी हुई है। रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया गया है, तो वहीं विजेंद्र गुप्ता का नाम विधानसभा स्पीकर के लिए तय हो गया है। ये बेहद दिलचस्प है, क्योंकि आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान अक्सर ऐसी तस्वीरें आईं जब सरकार का विरोध करने पर विजेंद्र गुप्ता सदन से बाहर निकाला गया। कई बार तो मार्शलों ने कंधों पर उठाकर उन्हें सदन से बाहर किया।

2015 में आम आदमी पार्टी की लहर में बीजेपी को दिल्ली में महज तीन सीटें ही मिली थीं, जिसके बाद भी बीजेपी ने विपक्ष की भूमिका निभाने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। विजेंद्र गुप्ता तब विधायक थे और वो मुद्दे उठाते थे। साल 2017 में विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता कथित जमीन घोटाले के दस्तावेज लेकर पहुंचे थे और वो सदन में उसपर बहस की मांग कर रहे थे। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इसकी इजाजत नहीं दी। बीजेपी का स्थगन प्रस्ताव भी खारिज कर दिया गया। इसके बाद भी बीजेपी का हंगामा जारी रहा तो स्पीकर ने पहले विजेंद्र गुप्ता का माइक बंद कराया और चुप रहने की चेतावनी दी। जब वो नहीं माने तो उन्हें मार्शल के जरिए बाहर निकाल दिया गया।

बता दें कि विजेंद्र गुप्ता रोहिणी से विधायक बने हैं। 61 वर्षीय विजेंद्र गुप्ता इन चुनावों में रोहिणी निर्वाचन क्षेत्र से 37 हजार से ज्यादा मतों से जीतकर आए हैं। विजेंद्र गुप्ता आप की लहर में भी खुद की सीट बचाने में कामयाब रहे थे, जिस वक्त दिल्ली में बीजेपी की महज 3 सीटें थीं उनमें गुप्ता की भी एक सीट थी। वे 2015, 2020, 2025 में लगातार रोहिणी से चुनकर आए हैं। इससे पहले वह रोहिणी से ही तीन बार निगम पार्षद भी रहे हैं।

2 साल में जहां-जहां चुनाव वहां विपक्ष को हराएंगे', एनडीए की बैठक में बोले पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई। दिल्ली की नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनके मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों बाद यह उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक में पीएम मोदी ने सभी से कहा कि हम आगामी सारे चुनाव एक जुट होकर मजबूती से लड़ेगे और देश में मजबूती से काम करेगी।

एनडीए की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि एनडीए एकजुट है और हम सभी विकसित भारत के लिए काम करेंगे और इस लक्ष्य को मिलकर हासिल करेंगे। पीएम मोदी ने कहा है कि आने वाले 2 साल में जहां-जहां चुनाव है वहां एनडीए विपक्ष को हराएगा। वहीं, बैठक में एनडीए के नेताओं ने गठबंधन की एकता पर बल दिया है। इसके साथ ही बिहार और पश्चिम बंगाल सहित आगामी सभी विधानसभा चुनाव साथ लड़ने का संकल्प लिया है।

एडीए में एकता का दिया संदेश

बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण, शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजीत पवार, अपना दल (एस) के सोनेलाल पटेल सहित अन्य घटक दलों के नेता मौजूद थे। इसके साथ ही भाजपा शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री भी बैठक में शामिल हुए। नेताओं ने इस साल और अगले साल होने वाले चुनावों में प्रभावशाली प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए एकजुट और मजबूती से काम करने का संकल्प लिया।

कब और कहां होंगे अगले चुनाव?

बता दें कि साल 2025 के आखिर में बिहार में विधानसभा चुनाव का आयोजन किया जाएगा। साल 2026 में असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होंगे। इसके बाद साल 2027 में गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का आयोजन होगा।

दिल्ली में विभागों का बंटवारा! सीएम रेखा गुप्ता के पास गृह-वित्त, प्रवेश वर्मा-कपिल मिश्रा को क्या मिला?

#divisionofdepartmentsindelhi_government

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दिल्ली में नई सरकार का गठन हो गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनके कैबिनेट ने गुरुवार को रामलीला मैदान में शपथ ली। उप राज्यपाल विनय सक्सेना ने मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री समेत कुल सात सदस्यीय नई कैबिनेट में मुख्यमंत्री इकलौती महिला हैं। रेखा गुप्ता की कैबिनेट में प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के अलावा राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र से मनजिंदर सिंह सिरसा, बवाना से रविंद्र कुमार इंद्राज, जनकपुरी से आशीष सूद और विकासपुरी से पंकज कुमार सिंह शामिल है।

दिल्ली में भाजपा सरकार के शपथ के बाद मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली की बीजेपी सरकार में सीएम रेखा गुप्ता ने गृह, वित्त, सेवा, विजिलेंस और प्लानिंग जैसे विभाग अपने पास रखे हैं। वहीं प्रवेश वर्मा को भी शिक्षा, पीडब्ल्यूडी और ट्रांसपोर्ट जैसे अहम मंत्रालय दिए गए हैं। इसके अलावा कपिल मिश्रा को जल, पर्यटन और संस्कृति विभाग सौंपा गया है। हालांकि अभी विभागों के इस बंटवारे की आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की गई है।

जानें किस मंत्री को मिला क्या विभाग

1. रेखा गुप्ता (मुख्यमंत्री) – गृह, वित्त, सेवाएं, सतर्कता, योजना

2. प्रवेश वर्मा- शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, परिवहन

3. मनजिंदर सिंह सिरसा- स्वास्थ्य, शहरी विकास, उद्योग

4. रविन्द्र कुमार इंद्रराज – समाज कल्याण, एससी/एसटी मामले, श्रम

5. कपिल मिश्रा- जल, पर्यटन, संस्कृति

6. आशीष सूद राजस्व, पर्यावरण, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति

7. पंकज कुमार सिंह- विधि, विधायी कार्य, आवास

मस्क व्हाइट हाउस के सिर्फ एक कर्मचारी”, टेस्ला के सीईओ पर क्या है इस बयान के मायने

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टेस्ला सीईओ और अमेरिका के सरकारी दक्षता विभाग यानी डीओजीई की जिम्मेदारी संभालने वाले एलन मस्क का सरकार के फैसलों में दखल अमेरिका के लोगों और प्रशासन को रास नहीं आ रहा है। अमेरिका में फेडरल कर्मियों को नौकरियों से निकालने के ट्रंप के आदेश को मॉनिटर करने की जिम्मेदारी भी मस्क को मिली हुई है जो खुद ट्रंप ने दी है। अब अमेरिका में राष्ट्रपति ऑफिस व्हाइट हाउस ने एक कोर्ट में जवाब दिया कि अमेरिकी बिजनेसमैन एलन मस्क सिर्फ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार हैं। वे डीओजीई के एम्पलॉयी नहीं हैं, इसलिए उनके पास सरकार के अंदर फैसले लेने का अधिकार नहीं है।

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दरअसल, न्यू मेक्सिको की अगुआई में 14 अमेरिका राज्यों ने वॉशिंगटन डीसी के एक फेडरल कोर्ट में ट्रंप और मस्क के खिलाफ केस किया है। ये राज्य मस्क को डीओजीई प्रमुख बनाए जाने से नाराज हैं। राज्यों के मुताबिक, एलन के हाथ में बड़ी ताकत आ गई है, जो अमेरिकी संविधान के उल्लंघन में है।

इसी केस को लेकर व्हाइट हाउस में ऑफिस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के डायरेक्टर जॉशुआ फिशर ने कोर्ट में जानकारी दी कि मस्क की भूमिका सिर्फ सलाहकार की है। उनका काम सिर्फ राष्ट्रपति को सलाह देना और प्रशासन की तरफ से निर्देशों को कर्मचारियों तक पहुंचाने का है।

व्हाइट हाउस ने सोमवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन में मस्क की भूमिका व्हाइट हाउस के कर्मचारी और राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में थी, और वह डीओजीई के कर्मचारी नहीं थे। व्हाइट हाउस ने यह भी कहा कि मस्क के पास निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है।

पिछले महीने डीओजीई द्वारा राष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने के बाद से डीओजीई ने संघीय एजेंसियों में अपनी पैठ बना ली है और मस्क को सरकार में नाटकीय बदलाव के तहत फिजूलखर्ची को रोकने का जिम्मा सौंपा है, जिसमें हजारों नौकरियों में कटौती भी शामिल है।