MUDA स्कैम मामले में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को बड़ी राहत, लोकायुक्त ने दी क्लीनचिट
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ी राहत मिली है। सीएम सिद्धारमैया को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी मुडा लैंड स्कैम केस में एंटी करप्शन वॉचडॉग लोकायुक्त की तरफ से क्लीन चिट मिल गई है। ये मामला मुआवजा के लिए हुए सिद्धारमैया की पत्नी को हुए भूमि आवंटन में कथित गड़बड़ी की शिकायत के बाद सामने आया था। एंटी करप्शन एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया था कि इस गड़बड़ी के कारण राज्य को करीब 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
जांच की फाइनल रिपोर्ट 138 दिनों की लंबी जांच के बाद बेंगलुरु मुख्यालय को सौंपी गई। लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता स्नेहमयीकृष्ण को नोटिस जारी कर कहा है कि साक्ष्य के अभाव में मामला जांच के लायक नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि साक्ष्य के अभाव में भी वो रिपोर्ट दर्ज कराएंगे। इसमें वे मामले भी शामिल हैं, जिन्हें बिना जांच के खारिज कर दिया जाता है। जांच अधिकारी उन्हें सिविल प्रकृति का और जांच के लिए उपयुक्त नहीं पाया है, या तथ्यों या कानून की गलतफहमी के कारण ऐसा किया जाता है। इसमें साक्ष्य का अभाव है। यह मामला जांच के लायक नहीं है। कहा गया है कि यदि उन्हें इस रिपोर्ट पर कोई आपत्ति है तो वे नोटिस प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।
इस मामले में जांच सितंबर 2024 में शुरू हुई थी, जब बेंगलुरु में एक विशेष अदालत ने लोकायुक्त को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी साइट आवंटन मामले की जांच का आदेश दिया था। जांच का नेतृत्व मैसूर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक टीजे उदेश ने किया। इस दौरान 100 से अधिक लोगों से पूछताछ हुई, जिनमें नौकरशाह, राजनेता, सेवानिवृत्त अधिकारी, मुडा के अधिकारी और स्वयं सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और उनके बहनोई बीएम मल्लिकार्जुन स्वामी शामिल थे। सभी बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई और इन्हें रिपोर्ट में शामिल किया गया।
बता दें कि पिछले साल एंटी करप्शन एक्टिविस्ट स्नेहमयी कृष्णा ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर मुकदमा चलाने की मांग की थी। आरोप है कि सिद्दरमैया की पत्नी को मैसूर के एक पॉश इलाके में प्रतिपूरक साइटें आवंटित की गईं, जिनकी संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत किया गया था। मुडा ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां इसने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था। 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।
Feb 19 2025, 19:19