दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर क्या है हाल? चौंकाने वाले हैं आंकड़े

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दिल्ली के वोटर्स ने किसे सत्ता सौंपी है, यह कुछ घंटों में साफ हो जाएगा। सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू हुई। अब तक के रुझानों में आम आदमी पार्टी सत्ता से बेदखल होती नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी ने कई सीटों पर अच्छी-खासी बढ़त बना ली है। बीजेपी 27 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर है। रूझानों में 27 साल का वनवास खत्म होता दिख रहा है।

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मतगणना के बीच सबकी नजरें दिल्ली के मुस्लिम बहुल सीटों पर लगी हुई हैं। दिल्ली में 11 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। दिल्ली के मुस्लिम बहुल सीटों पर वोटिंग जमकर हुई थी। ये मुस्तफाबाद, बल्लीमारान, सीलमपुर, मटिया महल, चांदनी चौक और ओखला सीट हैं। दिल्ली की सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान और ओखला सीट पर बीजेपी को छोड़कर सभी दलों से मुस्लिम उम्मीदवार ही किस्मत आजमा रहे हैं। इन सभी सीटों पर 55 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था। अधिकतर सीटों पर 60 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई।

दिल्ली की 70 सीटों में से जिन दो सीटों पर सबसे ज्यादा मतदान हुआ, वहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या 40 पर्सेंट से ज्यादा है। जिस मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में 41 प्रतिशत मुस्लिम और 56 प्रतिशत हिन्दू रहते हैं, वहां पूरी दिल्ली में सबसे ज्यादा 67 प्रतिशत मतदान हुआ है। यहां हम बता रहे हैं कि शुरुआती रुझानों में इन सीटों पर कौन आगे चल रहा है।

विधानसभा सीट वोटिंग % पार्टी आगे

चांदनी चौक 55.96 आप

मटियामहल 65.10 आप

बल्लीमारन 63.87 आप

ओखला 54.90 आप

सीमापुरी 65.27 आप

सीलमपुर 68.70 आप

बाबरपुर 65.99 आप

मुस्तफाबाद 69.00 आप

करावल नगर 64.44 बीजेपी

जंगपुरा 57.42 बीजेपी

सदर बाजार 60.4% बीजेपी

अगर शुरुआती रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं तो कांग्रेस और एआईएमआईएम के लिए ये नतीजे निराशाजनक होंगे। ये दोनों पार्टियां सिर्फ वोट कटवा बनकर रह जाएंगी। वहीं, बीजेपी को इस लड़ाई का फायदा मिलता दिख रहा है, जो तीन सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। खास बात यह है कि इनमें से एक सीट दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की है।

आप या बीजेपी…कौन करेगा दिल्ली के दिल पर राज? केजरीवाल 50 सीटों को लेकर कॉन्फिडेंट

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दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर शनिवार सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती शुरू हो चुक है। शुरुआती रुझान आने शुरू हो गए हैं। शुरूआती रूझानों में बीजेपी ने पूरा दम दिखाया है।शुरुआती रुझानों मे बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। आम आदमी पार्टी काफी पीछे चल रही है। एग्जिट पोल सर्वे में भी 27 साल के बाद भारतीय जनता पार्टी की वापसी का दावा किया गया है। हालांकि, नतीजों से पहले आम आदमी पार्टी दावे चौंकाने वाले हैं। आप का दावा है कि दिल्ली में वो 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव जीतने जा रही है।

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दरअसल, आम आदमी पार्टी ने नतीजे आने से एक दिन पहले एक बैठक की। जिसमें अपने विश्लेषण के आधार पर तैयार एक रिपोर्ट के हवाले से 50 सीटें जीतने का दावा किया गया है। आप के नेता गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में आप 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव जीतने जा रही है। आप सरकार बनाएगी। आप नेता गोपाल राय ने यहां तक कह दिया कि 7-8 सीटों पर कांटे की टक्कर होगी मतलब आम आदमी पार्टी 50 सीटों को लेकर कॉन्फिडेंट है और 7-8 सीटें बोनस के तौर पर मान रही है।

गोपाल राय ने कहा, 'एग्जिट पोल की मदद से माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। ये (बीजेपी) एग्जिट पोल की मदद से ऑपरेशन लोटस चलाकर चुनाव जीतना चाहते हैं। लेकिन हमारे सभी कैंडिडेट काउंटिंग की तैयारी में लगे हैं। हम सरकार बनाने जा रहे हैं। बीजेपी की सच्चाई कल सबके सामने आ जाएगी.।

दिल्ली में शुरुआती रुझानों में बीजेपी को बहुमत, पिछड़ रही आप

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दिल्ली की सभी 70 सीटों पर वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझानों में भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया है। भाजपा 39 सीटों पर आगे है। आप ने 24 सीटों पर बढ़त बना रखी है। दो सीट पर कांग्रेस आगे है।

इन सीटों पर भाजपा ने बनाई बढ़त

रिठाला से भाजपा आगे चल रही है। ओखला सीट से भाजपा ने बढ़त बना ली है। चांदनी चौक से भाजपा आगे चल रही है। मुंडका से भाजपा और महरौली से भी भाजपा आगे चल रही है।

बुधवार को हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगभग 60.4% मतदान हुआ, जो 2020 में हुए 62% से ज्यादा वोटिंग की तुलना में दो प्रतिशत कम है. मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच है, जबकि कांग्रेस केंद्र शासित प्रदेश में अपनी पकड़ फिर से बनाने की कोशिश कर रही थी. चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल्स में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच जबरदस्त टक्कर दिखाई दी गई है. हालांकि दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत के लिए आश्वस्त हैं.

पाक में आतंकियों की कैसी प्लानिंग? जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को मिला इस आतंकवादी संगठन का साथ

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पाकिस्तान के दो प्रमुख आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने गाजा के हमास के साथ हाथ मिलाया है। इसका सार्वजनिक सबूत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में देखने को मिला है। यह गठबंधन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में कश्मीर एकजुटता दिवस नामक एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक रूप से देखा गया। इस कार्यक्रम में जैश के आतंकवादी मंच पर हमास नेताओं को सुरक्षा प्रदान करते देखे गए। जैश के एक आतंकवादी ने मंच से यह घोषणा भी की कि हमास और पाकिस्तानी जिहादी समूह एक हो गए हैं।

भारत के खिलाफ उगला जहर

पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के इस कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया। आतंकवादियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी अमर्यादित टिप्पणियां की। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक आतंकवादी ने कहा कि फिलिस्तीन के मुजाहिदीन और कश्मीर के मुजाहिदीन एक हो चुके हैं। उसने दिल्ली में खून की नदियां बहाने और कश्मीर को भारत से अलग करने की भी धमकियां दी। इतना ही नहीं, उसने भारत के टुकड़े करने की भी गीदड़भभकी दी।

क्या हमास को आतंकी संगठन घोषित करेगा भारत?

हमास के नेताओं की पीओके में मौजूदगी भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। सवाल उठता है कि क्या अब समय आ गया है कि भारत को भी हमास को एक आतंकी संगठन घोषित कर देना चाहिए। दरअसल भारत सरकार ने अभी तक हमास को एक आतंकी संगठन नहीं माना है। भारत लगातार फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है। इजरायल बार-बार भारत से यह मांग करता रहा है कि उसे हमास को एक आतंकी संगठन मानना चाहिए। साल 2023 में इजरायल ने एक ऐसी ही मांग करते हुए भारत में 26/11 हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकी संगठन घोषित किया था।

अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के खिलाफ ट्रंप का बड़ा फैसला, जानिए क्यों लगाया बैन?

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अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं। अपने शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही लगातार वो अपने एक्‍शन मोड में हैं। ट्रंप एक के बाद एक फैसलों से दुनिया का ध्‍यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। अब डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका और उसके करीबी इजरायल को निशाना बनाने वाले अंतरराष्‍ट्रीय अपराध न्यायालय पर प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल, आईसीसी ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इसी के आधार पर अमेरिका ने ये कार्रवाई की है।

डोनाल्ड ट्रंप ने आईसीसी पर बैन लगाने की वजह बताते हुए कहा, अमेरिका और हमारे करीबी सहयोगी इजराइल को निशाना बनाने वाली नाजायज और निराधार कार्रवाइयों में शामिल होने और नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री, योव गैलेंट के खिलाफ “आधारहीन गिरफ्तारी वारंट” जारी करके अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की वजह से बैन लगाया गया है। साथ ही आदेश में कहा गया है कि अमेरिका और इजराइल पर आईसीसी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। इसी के साथ आदेश में कोर्ट को लेकर कहा गया है कि अदालत ने दोनों देशों के खिलाफ अपने एक्शन से एक “खतरनाक मिसाल” सामने रखी है।

आदेश में कहा गया है कि अमेरिका आईसीसी के “उल्लंघनों” के लिए जिम्मेदार लोगों पर ठोस एक्शन लेगा। उल्लंघन करने पर एक्शन में लोगों की प्रोपर्टी को ब्लॉक किया जा सकता है। इसी के साथ आईसीसी अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों को अमेरिका में एंट्री भी नहीं दी जाएगी।

नेतन्याहू के वाशिंगटन दौरे के बाद कार्रवाई

ट्रंप की यह कार्रवाई कोर्ट पर तब हुई है जब इजराइल के पीएम नेतन्याहू वाशिंगटन के दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने और ट्रंप ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में बातचीत की और नेतन्याहू ने गुरुवार का कुछ समय कैपिटल हिल में सांसदों के साथ बैठक में बिताया। इसी के बाद अब ट्रंप ने उस कोर्ट पर बैन लगा दिया है जिसने नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।

आईसीसी को मान्यता नहीं देते अमेरिका-इजराइल

बता दे कि अमेरिका और न ही इजराइल इस अदालत के सदस्य है और वो इसको मान्यता भी नहीं देते हैं। इजराइल की ही तरह अमेरिका भी कोर्ट के सदस्य देशों में शामिल नहीं है। कोर्ट के सदस्यों में 124 देश शामिल है। इससे पहले भी कोर्ट पर ट्रंप का चाबुक चला है। साल 2020 में, अफगानिस्तान पर अमेरिका सहित कई जगह से हुए युद्ध के चलते जांच शुरू की गई थी, लेकिन इस जांच के चलते ट्रंप ने वकील फतौ बेनसौदा पर बैन लगा दिया था. हालांकि, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन प्रतिबंधों को हटा दिया था।

अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची एसीबी की टीम, घर में नहीं मिली एंट्री

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दिल्ली में विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल की तरफ से सहयोग नहीं किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट में एसीबी सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आई है। एलजी के आदेश के बाद एसीबी की टीम केजरीवाल के घर मामले की जांच को लेकर पहुंची थी। एसीबी की टीम इस मामले में केजरीवाल के बयान दर्ज करने पहुंची थी, लेकिन उसे एंट्री नहीं मिली। दरअसल, अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने आरोप लगाया था कि उनके उम्मीदवारों को 15-15 करोड़ रुपये का ऑफर देकर खरीदने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में एसीबी की टीम अरविंद केजरीवाल से पूछताछ करने पहुंची।

एसीबी की टीम को अंदर जाने नहीं दिया गया। केजरीवाल के आवास के बाहर उनकी लीगल टीम भी मौजूद थी। लीगल टीम का कहना था कि एसीसीबी के पास किसी भी तरह का लीगल नोटिस ही नहीं है। आम आदमी पार्टी के लीगल हेड संजीव नासियार ने कहा, बहुत ही हैरानी की बात है. पिछले आधे घंटे से यहां बैठी एसीबी टीम के पास कोई कागजात या निर्देश नहीं हैं। टीम के अधिकारी लगातार किसी से फोन पर बात कर रहे हैं। हमने उनसे जांच के लिए नोटिस मांगा मगर उनके पास कुछ भी नहीं है। एसीबी टीम किसके निर्देश पर यहां बैठी है? ये बीजेपी की राजनीतिक ड्रामा रचने की साजिश है और इसका जल्द ही पर्दाफाश होगा।

रिपोर्ट के अनुसार एसीबी की टीम बिना बयान दर्ज किए ही लौट गई है। इसके बाद एसीबी की टीम की तरफ से अरविंद केजरीवाल को नोटिस दिया गया है। विधायकों को 15 करोड़ रुपये में खरीद-फरोख्त के ऑफर के बाबत जानकारी मांगी है। इसमें बयान दर्ज कराने और डिटेल देने की मांग की गई है।

ट्रंप ने बढ़ाई भारत की मुश्किलें, चाबहार में निवेश पर प्रतिबंध के बाद भारतीय कंपनी पर लगाया बैन

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने को लेकर फिर से अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी इस देश पर दबाव बनाने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप ने मंगलवार रात एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश के तहत ईरान के तेल निर्यात को रोकने और ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का आह्वान किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह उन प्रतिबंधों को लागू नहीं करना चाहते और ईरान के साथ एक समझौते पर पहुंचना चाहते हैं। इसी क्रम में अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत को दी गई छूट को जहां खत्‍म करने का फैसला किया है, वहीं अब भारत की कंपनी मार्शल शिप मैनेजमेंट कंपनी और एक नागरिक पर भी बैन लगा दिया है।

ट्रंप ने क्यों उठाया ये कदम?

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भारतीय कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह ईरान को चीन को तेल बेचने में मदद कर रही है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को इन नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इसमें एक पूरे अंतरराष्‍ट्रीय नेटवर्क को निशाना बनाया गया है। बयान में अमेरिका ने कहा कि यह तेल ईरान की सेना की कंपनी की ओर से भेजे जा रहे थे और इस पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस प्रतिबंध के दायरे में चीन, भारत और यूएई की कई कंपनियां और जहाज शामिल हैं। इस अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान हर साल तेल बेचकर अरबों डॉलर कमा रहा है और इससे पूरे इलाके में अस्थिरता फैलाने वाली गतिव‍िधियों को अंजाम दे रहा है। ईरान हमास, हिज्‍बुल्‍लाह और हूतियों को मदद दे रहा है जो इजरायल और अमेरिका पर हमले कर रहे हैं। ईरानी सेना विदेशी में बनी छद्म कंपनियों की मदद से यह तेल बेच पा रही है।

ईरान के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश

इससे पहले 4 फरवरी को अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ अधिकतम आर्थिक दबाव बनाने का आदेश दिया था। भारतीय कंपनी और अधिकारी के खिलाफ उठाया गया यह ताजा कदम ट्रंप के इसी आदेश का हिस्‍सा है। अमेरिका चाहता है कि इन दबावों के जरिए ईरान के प्रभाव को भी कम किया जा सके।

भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती

ट्रंप के इस कदम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की सामरिक और व्यापारिक रणनीति के लिए अहम है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर 10 साल का समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) इस बंदरगाह का संचालन करेगी। यह समझौता 13 मई, 2024 को हुआ था। अब देखना होगा कि भारत इस नए दबाव के बीच अपनी रणनीति कैसे तय करता है।

भारत का चाबहार बंदरगाह के लिए 10 साल का समझौता

ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है। इससे पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत को इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से व्यापार करने के लिए नया रूट मिला है। जिससे कि पाकिस्तान की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता है। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।

चाबहार पोर्ट के समझौते के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ईरान भेजा गया था। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। चाबहार विदेश में लीज पर लिया गया भारत का पहला पोर्ट है।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों जरूरी है ?

भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबाहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है।

अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है। वहीं ये बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी जरूरी है। क्योंकि ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। ऐसे में ये रूट भारत को चीन खिलाफ यहां से एक रणनीतिक बढ़त भी दे रहा है।

पाकिस्तानी सेना ने 12 आतंकियों को किया ढेर, बड़ी मात्रा में हथियार बरामद

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पाकिस्‍तान आतंकवादियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना है। हालांकि, पाकिस्तान ने हमेशा इस बात से इनकार किया है। इस बीच पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सुरक्षाबलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए गए अभियान में 12 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। वहीं, एक जवान के भी मारे जाने की खबर है। सेना ने मौके से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद करने का दावा भी किया है।

पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा के अनुसार, यह अभियान उत्तरी वजीरिस्तान के हसन खेल इलाके में पांच-छह फरवरी की दरमियानी रात को चलाया गया, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी की भी जान चली गई है। बयान में कहा गया कि इलाके में आंतकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी जिसके आधार पर अभियान को अंजाम दिया गया। इसमें कहा गया कि आतंकवादियों के कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं और ये आतंकी सुरक्षाबलों के साथ-साथ नागरिकों के खिलाफ कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे।

बता दें कि पाकिस्तान में इन दिनों तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने सेना का जीना मुश्किल कर रखा है। आए दिन पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ होती रहती है। हाल के दिनों में तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने 10 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी है। वहीं, पिछले महीने अफगानिस्तान के कई संगठनों ने पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों पर कब्जा कर लिया था। पांच दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकियों ने हमला किया था। इस बार आतंकियों ने पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया थाष अर्धसैनिक बल के वाहन पर भारी गोलीबारी की गई, जिसमें चार जवानों समेत कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, पाक सैनिकों ने बलूचिस्तान में अलग-अलग अभियानों में 23 आतंकवादियों को मार गिराया था।

कौन हैं बांग्लादेश की एक्ट्रेस मेहर अफरोज शॉन, देशद्रोह के आरोप में किया गया गिरफ्तार?

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार को खिलाफ बोलना देश की मशहूर अभिनेत्री मेहर अफरोज शॉन को भारी पड़ा है। अभिनेत्री मेहर अफरोज शॉन को ढाका पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मेहर अफरोज शॉन पर देशद्रोह और कथित तौर पर देश के खिलाफ साजिश रचने जैसे आरोप लगे हैं। उनकी गिरफ्तारी ढाका के धानमंडी इलाके से हुई है। मेहर बांग्लादेश की मौजूदा सरकार के खिलाफ बोलती रही हैं। वह मोहम्मद यूनुस सरकार की खुले तौर पर आलोचना कर चुकी हैं।

उनकी गिरफ्तारी उनके परिवार के घर पर हमले और आगजनी के कुछ घंटे बाद हुई। मेहर की गिरफ्तारी से पहले उनके परिवार का घर जमालपुर में कुछ घंटे पहले ही जला दिया गया था। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जमालपुर सदर उपजिला के नोरुंडी रेलवे स्टेशन के पास छात्रों और स्थानीय निवासियों ने शाम 6 बजे के आसपास घर में आग लगा दी। यह घर उनके पिता, इंजीनियर मोहम्मद अली का था। बता दें कि शॉन और उनके परिवार के संबंध अवामी लीग से हैं।

मेहर की मां ताहुरा अली, शेख हसीना की बांग्लादेश अवामी लीग पार्टी से सांसद रह चुकी हैं। बेगम तहुरा अली ने पहले दो बार आरक्षित महिला सीट (1996-2001 और 2009-2014) से संसद सदस्य के रूप में काम किया था। पिछले आम चुनाव में शॉन ने भी अवामी लीग के उम्मीदवार के रूप में आरक्षित महिला कोटे से संसदीय सीट मांगी थी।

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से ही हिंसा का दौर जारी है। बीते दिनों बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं सामने आईं और अब गुरुवार को कट्टरपंथी संगठनों ने बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के घर में तोड़फोड़ की गई। उन्मादी भीड़ ने शेख मुजीब के घर समेत दूसरे ऐतिहासिक स्मारकों को भी निशाना बनाया। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी हिंसा और आगजनी की इन घटनाओं पर चिंता जाहिर की है।

चीन ने पाकिस्तान को बताया अपना स्थायी मित्र, पाक राष्ट्रपति जरदारी से मुलाकात के बाद बोले शी जिनपिंग

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी चीन के दौरे पर हैं। बीजिंग में जरदारी ने बेहद गर्मजोशी के साथ चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात की है। दोनों पक्षों में कई अहम समझौते हुए हैं। पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी भी जरदारी के साथ हैं। उनकी भी जिनपिंग के साथ लंबी बैठक हुई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान के स्थायी मित्र बताया है।जरदारी ऐसे समय में चीन दौरे पर गए हैं जब चीन ने पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख दिखाया है। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से पाकिस्तान के साथ रिश्ते में गर्मजोशी की कमी दिख रही है।

पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और चीनी प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाकर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। जिसने बीजिंग को काफी नाराज कर दिया है। चीन लगातार अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान पर प्रेशर बना रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट्स को रोकने तक की धमकी दी है। दोनों देशों के बीच संबंधों में आई खटास के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी चीन को मनाने के लिए बीजिंग के दौरे पर हैं। जहां उन्होंने ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक की है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, बैठक के दौरान जरदारी ने चीनी राष्ट्रपति को आश्वस्त किया है, कि आतंकी हमले पाकिस्तान के अपने सदाबहार दोस्त चीन के साथ संबंधों को पटरी से उतार नहीं पाएंगे।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक के दौरान पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी ने इस बात को स्वीकार किया है, कि आतंकी हमलों की वजह से चीन और पाकिस्तान के संबंधों में 'उतार-चढ़ाव' आए हैं। लेकिन, जरदारी ने द्विपक्षीय साझेदारी के लिए अटूट समर्थन जताया है। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने कहा, कि पाकिस्तान और चीन हमेशा दोस्त रहेंगे। उन्होंने कहा, कि चाहे दुनिया में कितने भी आतंक, कितने भी मुद्दे क्यों न उठें, मैं खड़ा रहूंगा और पाकिस्तानी लोग चीन के लोगों के साथ खड़े रहेंगे।

इसके अलावा दोनों नेताओं ने सीपीईसी पार्ट-2 पर चर्चा की है, जिसे सीपीईसी 2.0 के नाम से जाना जाता है। सीपीईसी 2.0 में परिवहन बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं से आगे बढ़कर औद्योगीकरण, कृषि आधुनिकीकरण और क्षेत्रीय साझेदारी को शामिल किया गया है। आपको बता दें, कि सीपीईसी प्रोजेक्ट, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का हिस्सा है।

चीन और पाक के बीच पाकिस्तान में चीनियों की सुरक्षा का ही मुद्दा नहीं है। चीन और पाकिस्तान के बीच एक मुद्दा अमेरिका का है। चीन-पाकिस्तान के सैन्य और आर्थिक सहयोग के अलावा जरदारी का ये दौरा इसीलिए अहम है क्योंकि अमेरिका ने इस्लामाबाद से नजदीकी कम की है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और जापानी पीएम शिगेरू इशिबा से मिल चुके हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी 12-13 फरवरी को अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप से मुलाकातक होनी है। वहीं ट्रंप प्रशासन ने अब तक पाकिस्तान के साथ कोई औपचारिक संपर्क स्थापित नहीं किया है। ऐसे में अमेरिका से उपेक्षित महसूस कर रहे पाकिस्तान के लिए चीन एकमात्र सहारा बन गया है। चीन भी इस स्थिति का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान की विदेश नीति पर अपना प्रभाव बढ़ा सकता है।

हाल के वर्षों में बदलते भूराजनीतिक हालात में अमेरिका का ध्यान दूसरे क्षेत्रीय सहयोगियों पर ज्यादा है। ऐसे में कभी अमेरिका का करीबी दोस्त रहा पाकिस्तान अब चीन की तरफ झुकल गया है। पाकिस्तान के पास अब चीन के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है, उसे अपने 'खास दोस्त' बीजिंग की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।