श्री मोरारी बापू के शिविर में पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ
प्रयागराज। महाकुंभ की पवित्र धरती पर, परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल, प्रयागराज में विश्व प्रसिद्ध राष्ट्रसंत पूज्य श्री मोरारी बापू जी के श्रीमुख से प्रवाहित हो रही मानस ज्ञान गंगा में रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिव्य आगमन हुआ।  परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और  स्वामी संतोषदास जी (सतुआ बाबा) ने योगी आदित्यनाथ का अभिनन्दन किया।मानस ज्ञान गंगा के प्रवाह को आत्मसात करने और अंतस के संगम को बनाये रखने के लिये विश्व के अनेक देशों के साधकों ने सहभाग किया। पूरा परमार्थ निकेतन शिविर मानस ज्ञान धारा के आनंद में आनन्दित व हर्षित है।

प्रयागराज के सारे घाट पावन श्रद्धालुओं से भरे हैं: सीएम

उत्तरप्रदेश के  मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ  ने मानस कथा में सहभाग कर अपने आशीर्वचनों से सभी को अभिभूत करते हुये कहा कि प्रयागराज की पावन धरा पर महाकुम्भ के दिव्य अवसर पर परमार्थ निकेतन की ओर से आयोजित पूज्य बापू की कथा में आने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज मैने देखा कि प्रयागराज के सारे घाट पावन श्रद्धालुओं से भरे हैं। यह भारत का दृश्य है जो जाति-पति से मुक्त भारत का संदेश दे रहा है; भारत की एकता का संदेश दे रहा हैं। यह दृश्य अखंड़ भारत का मार्ग प्रशस्त करने का संदेश दे रहा है।

त्येक कथा में कुछ न कुछ नया व रोचकता होती है: सीएम

योगी  ने कहा कि मुझे पूज्य बापू की कई कथाओं में सहभाग करने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रत्येक कथा में कुछ न कुछ नया व रोचकता होती हैं। हरि अनंत, हरि कथा अनंता। उन्होंने कहा कि प्रयाग की धरती पर अक्षय वट है, सरस्वती कूप भी है, नागवासुकी का पावन मन्दिर है, महर्षि भारद्वाज जी का आश्रम है और पावन त्रिवेणी का संगम भी है इस पवित्र धरा पर आप सभी का अभिनन्दन है। उन्होंने कहा कि कथा, का संदेश राष्ट्रीय एकता का संदेश होना चाहिये; अखंड़ भारत का संदेश होना चाहिये, उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम के मिलन का संदेश होना चाहिये। आप सभी अंखड़ भारत का संदेश लेकर जायें।

बापू ने कथा का शुभारम्भ मंगलभवन अमंगलहारी चौपाई से किया

राष्ट्रसंत पूज्य मोरारी बापू ने आज की मानस कथा का शुभारम्भ मंगलभवन अमंगलहारी चौपाई से किया। मानस कथा, मानसिक नेत्रों को जीवंत व जागृत करने का दिव्य माध्यम है। मानस कथा स्वयं में एक महाकुम्भ है। संगम में स्नान करने के लिये हमें तन लेकर आना होता है और मानस, महाकुम्भ; कथा की त्रिवेणी में स्नान के लिये हमें अन्तस के चक्षुओं को लेकर आना होता है। कथा की त्रिवेणी में स्नान के लिये तन को ही नहीं बल्कि मन को भी लेकर आना पड़ता है।

कथा में डुबकी लगाने के लिये उतारना होता है  अहंकार

कथा के महाकुम्भ के स्नान के लिये सिद्धि ही नहीं बुद्धि को भी लेकर आना होता है। बापू ने आह्वान किया कि महाकुम्भ में स्नान के लिये तन से, मन से और अपार श्रद्धा के साथ आये। जो बल और बुद्धि लेकर आयेगा वहीं कुम्भ में अवगाहन कर सकता है। कुम्भ में स्नान के लिये विŸा की आवश्यकता होती है और कथा के महाकुम्भ में स्नान के लिये की आवश्यकता होती है। त्रिवेणी में डुबकी लगने के लिये हमने अंलकारों को उतारना होता है और कथा में डुबकी लगाने के लिये अहंकार को उतरना होता है।

अगला महाकुम्भ 2170 वें वर्ष में होगा:स्वामी चिदानन्द

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हम बहुत सौभाग्यशाली है कि हमें तीर्थराज प्रयाग महाकुम्भ में आने का अवसर मिल रहा है। 6 वर्ष में बाद एक अर्द्धकुम्भ आता है, 12 वर्ष में कुम्भ आता है और जब 12  कुम्भ हो जाते हैं तब महाकुम्भ आता है। अगला महाकुम्भ 2170 वें वर्ष में होगा। हम से पहले भी, हम और हमारे बाद भी शायद किसी को ऐसा अवसर प्राप्त होगा। हमें संगम के तट पर संगम के चरणों में संगम होने का अवसर मिल रहा है। हमारा जीवन संगम बने इसलिये तो यह अवसर प्राप्त हुआ है।

बापू के पावन चरणों में बैठना भी एक कथा

स्वामी जी ने कहा कि पूज्य बापू के पावन चरणों में बैठना भी एक कथा है। कथा हमें श्रवण व समर्पण का लाभ प्रदान करती है। यह श्रवण से समर्पण की यात्रा है। श्रवण करते-करते प्रभु के प्रति समर्पण हो जाये यही तो संगम है। स्वामी जी ने कहा कि आज भारत के महान सपुत महाराणा प्रताप जी की पुण्यतिथि है। उन्होंने घास की रोटियाँ खाकर अपने देश को बचाने के अनेकों लड़ाईयाँ लड़ी। वे 208 किलो की तलवार लेकर अपने चेतक पर बैठकर अपने राष्ट्र के लिये लड़ते रहे। यह भारत का सौभाग्य है कि हमें ऐसे महापुरूषों की भूमि में जन्म मिला है।

बापू के वचन केवल भारत के लिये नहीं बल्कि पूरे सृष्टि के लिये

स्वामी जी ने कहा कि हमें अमृत काल में कथा का अमृत स्नान करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। पूरे विश्व में न जाने कितने संघर्ष है, फायर है परन्तु बापू की कथा उन सब के बीच एक पुण्य गाथा है जो संघर्ष नहीं साहस प्रदान करती है; संघर्ष नहीं समरसता प्रदान करती है। बापू के वचन केवल भारत के लिये नहीं बल्कि पूरे सृष्टि के लिये है। इस देश के संगम को बनाये रखने के लिये पूज्य बापू की कथा समर्पित है। यह संगम महाकुम्भ मानस कथा है।

अद्भुत श्रीराम कथा का आयोजन किया गया

महाकुंभ के पावन अवसर पर प्रयागराज की दिव्य धरती पर, परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल, सेक्टर 23 में दिव्य, अलौकिक, अद्भुत श्रीराम कथा का आयोजन किया गया। 18 जनवरी 2025 से 26 जनवरी 2025 तक प्रतिदिन, सुबह 10 बजे से 1 बजे तक मानस ज्ञान गंगा प्रवाहित हो रही है। विश्व प्रसिद्ध श्रीरामकथा मर्मज्ञ, राष्ट्रसंत, परम पूज्य संत मोरारी बापू जी, के श्रीमुख से श्रीराम कथा का अमृतपान आप सभी पधारें।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संगम में लगाई पावन डुबकी


महाकुम्भनगर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रविवार सुबह महाकुम्भ में त्रिवेणी संगम में स्नान कर पूजा अर्चना की। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शनिवार देर रात महाकुम्भ मेला क्षेत्र में सेक्टर 7  स्थित राजस्थान पवेलियन पहुंचे। सुबह बोट से त्रिवेणी संगम का अवलोकन किया। उन्होंने त्रिवेणी संगम घाट पर पावन डुबकी लगाने के बाद मां गंगे की पूजा अर्चना, भगवान महादेव का दूध एवं गंगा जल से अभिषेक भी किया।

मुख्यमंत्री ने राजस्थान के विभिन्न जनपदों से आए श्रद्धालुओं से भी भेंट की

मुख्यमंत्री ने मां गंगे की आरती की और बड़े हनुमान जी के दर्शन भी किए। उन्होंने महाकुम्भ के महाआयोजन को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और उन्हें इस आयोजन के कुशल संचालन के लिए बधाई दी। इससे पहले, मुख्यमंत्री शर्मा का शनिवार देर रात प्रयागराज एयरपोर्ट पर उत्तर प्रदेश के मंत्री नंद गोपाल नंदी ने स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने महाकुम्भ में बने राजस्थान मंडप का अवलोकन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने राजस्थान के विभिन्न जनपदों से आए श्रद्धालुओं से भी भेंट की।

कुंभ की वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात : पीएम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वर्ष की पहली मन की बात की। इसमें उन्होंने त्रिवेणी तट पर लगे महाकुंभ की चर्चा प्रमुखता से की। बोले, महाकुंभ का श्रीगणेश हो चुका है। चिरस्मरणीय जन सैलाब अकल्पनीय दृश्य और समता समरसता का असाधारण संगम दिखाई दे रहा है। इस बार कुंभ में कई दिव्य योग बन रहे हैं। ये उत्सव विविधता में एकता का है। संगम की रेती पर पूरे भारत के ही नहीं विश्व के लोग जुटते हैं। हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा में कहीं कोई भेदभाव नहीं, जातिवाद नहीं।

वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात

उन्होंने खुशी और संतोष जताया कि महाकुंभ में युवाओं की बड़ी भागीदारी दिख रही है। जब युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता के साथ, गर्व के साथ जुड़ जाती है तो उसकी जड़ें और मजबूत होती हैं। तब उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है। इस बार कुंभ के डिजिटल फुट प्रिंट भी इतने बड़े पैमाने पर दिख रहे हैं। कुंभ की ये वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। देश की सांस्कृतिक विरासत का भान कराते हुए कहा, महाकुंभ में भारत के दक्षिण से लोग आते हैं। भारत के पूर्व और पश्चिम से आते हैं। कुंभ में गरीब, अमरी सब एक हो जाते हैं। सब लोग संगम में डुबकी लगाते हैं। एक साथ भंडारों में भोजन करते हैं। प्रसाद लेते हैं, तभी तो कुंभ एकता का कुंभ है। यह आयोजन हमें ये भी बताता है कि कैसे हमारी परंपराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं।

गंगासागर में मेले का भी विहंगम आयोजन हुआ

उत्तर से दक्षिण तक मान्यताओं को मानने के तरीके एक जैसे ही हैं। एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है, वैसे ही दक्षिण में गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं। कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल में गंगासागर में मेले का भी विहंगम आयोजन हुआ। संक्रांति के पावन अवसर पर इस मेले में पूरी दुनिया से आए लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। कुंभ, पुष्करम और गंगा सागर मेला ये पर्व हमारे सामाजिक मेल जोल को सद्भाव को, एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं।
शंकरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गेट के सामने सब्जी मंडी की तरह सजी मेडिकल स्टोर,व पैथोलॉजी लैब

विश्वनाथ प्रताप सिंह

शंकरगढ़, प्रयागराज।जांच के नाम पर लुट रही क्षेत्र की जनता,बिना डिग्री,डिप्लोमा के अवैध रूप से फल फूल रहा है लैब,और मेडिकल स्टोर।

सरकारी कैंपस में भी बेधड़क बैनर पोस्टर लगाकर करते हैं अपने दुकानों का धड़ल्ले से प्रचार प्रसार।

सूत्रों की मानें तो गेट पर फल फूल रहे इन मेडिकल स्टोरों पर मेडिकल स्टोर की आड़ में मरीजों का किया जाता है इलाज,

सुकृत अस्पताल द्वारा नि:शुल्क कंबल वितरण एवं मेडिकल कैंप का किया गया आयोजन

विश्वनाथ प्रताप सिंह

कोरांव प्रयागराज । सुकृत अस्पताल, कोरांव ने ग्राम राजापुर में एक नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। इस शिविर में क्षेत्र की प्रख्यात महिला चिकित्सक डॉ. सोनी कुशवाहा ने लगभग 200 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया और नि:शुल्क दवाएं वितरित कीं।

ठंड की मार से बचाने के लिए शिविर में जरूरतमंद लोगों को गर्म कंबल भी वितरित किए गए। सुकृत अस्पताल के संचालक, डॉ. आरके कुशवाहा ने बताया कि इस तरह के मेडिकल कैंप लगाकर लगभग 1000 कंबल वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा, "जरूरतमंद गरीब लोगों को कंबल वितरण करना बेहद पूण्य का काम है।"

डॉ. सोनी कुशवाहा ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम से उन्हें आत्मिक सुख मिलता है। उन्होंने कहा, "ठंड के मौसम में लोगों का घर से बाहर निकलना, विशेषकर बुजुर्गों एवं महिलाओं के लिए बेहद मुश्किल होता है। ऐसे समय में हम लोग गांव-गांव जाकर मेडिकल कैंप लगाकर उनके घरों तक सुविधा देने का प्रयास कर रहे हैं जो कि पूर्ण रूप से नि:शुल्क है।"

सुकृत अस्पताल का यह प्रयास सराहनीय है। इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होता है बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक माहौल का निर्माण होता है।

कुम्भ 2025:सीपीआर देकर कुम्भमेला में बचा लिया जान

प्रयागराज। प्रिम रोज शिक्षा संस्थान के मैनेजर फरहान आलम एवं रेलवे सुरक्षा बल प्रयागराज के संयुक्त प्रयास से महाकुंभ मेला में आए एक श्रद्धालु को हृदयाघात आने पर सीपीआर दे कर जान बचाया गयोघटना की सूचना प्रयागराज जंक्शन पर तैनात आरपीएफ के जवानों व प्रिम रोज शिक्षा संस्थान के मैनेजर जिन्होंने 30 दिसंबर को आरपीएफ थाना प्रभारी शिव कुमार सिंह के देखरेख मे 700 से जायदा जवानों को सीपीआर ट्रेनिंग दी गयी थी जिस्से कुम्भ मे आये लोगों को बचाया जा सकेतुरंत सभी घटनास्थल पर पहुंचे और बेहोश हुए बालक की जांच की। जांच के वक्त किशोर की नब्ज, दिल की धड़कन और रक्तसंचार काफी कम थी। ऐसे में आरपीएफ व संस्था के मैनेजर फरहान आलम ने तुरंत सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रेससीटेशन) देकर होश में लायेइस खबर की सुचना मीडिया इंचार्ज गुफरान खान ने दिया।

श्रद्धालुओं की सेेवा का सौभाग्य प्राप्त-सरदार पतविंदर सिंह

गुफरान खान

नैनी/भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र,क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि प्रयाग में आए हुए स्नानार्थियों की सेवा का हम सबको सौभाग्य प्राप्त हुआ है अतिथि देवो भव मां गंगा के तट पर महाकुंभ के अवसर पर अतिथि की हम सबको सेवा का सौभाग्य प्राप्त है सेवा समर्पण की भावना से श्रद्धालुओं की सेेवा का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

दामादे रसूल हजरत अली की यौमे पैदाइश पर कहीं सजी महफिल तो नजरों नियाज के साथ काटा गया केक

गुफरान खान

प्रयागराज। फातहे खैबर दामादे रसूल शौहरे बतूल हसन और हुसैन के बाबा अमीरुल मोमनीन मौलाए कायनात हजरत अली इब्ने अबितालिब की यौमे विलादत के पुरमसर्रत मौके पर इस्लामिक माह की बारह रजब से यौमे पैदाइश तेराह रजब को शहर भर में जश्न का माहौल रहा।मस्जिदों इमामबाड़ों वह घरों में कहीं पुरुषों की तो कहीं महिलाओं की महफिल सजाई गई।मस्जिद काजी साहब बख्शी बाजार ,दरगाह मौला अली ,मस्जिद गदा हुसैन ,मस्जिद चिराग अली दरियाबाद ,मस्जिद ए खदीजा करैली ,मस्जिद ए मोहम्मदी लेबर चौराहा करैली , इबादतखाना अल खिजरा करैली में शायरों ने एक से बढ़ कर एक कसीदे सुना कर दाद बटोरी।

करैली में इमतेयाज नकवी के आवास पर महिलाओं की महफिल में महिला शायरों ने जश्न की सजी महफिल में हजरत अली की शान में कसीदे पढ़ें।शफकत अब्बास पाशा ,रौनक सफीपुरी ,शाहरुख हुसैनी व शाहरुख काजी की ओर से भी नजरों नियाज के साथ केक काट कर जश्न मनाया गया।करैली में हसन दानिश के आवास पर महफिल के साथ इमाम अली के नाम पर दस्तरख्वान सजा कर नज्र दिलाई गई जहां लोगों ने लजीज पकवानों का लुत्फ उठाया।उम्मुल बनीन सोसायटी के महासचिव सय्यद मोहम्मद अस्करी के मुताबिक शहर के दायरा शाह अजमल ,बख्शी बाजार ,रानी मण्डी ,रौशन बाग ,करैली ,चक जीरो रोड़ ,दरियाबाद ,करैला बाग ,शाहगंज ,बरनतला आदि मोहल्लों में घरों में दिन भर जश्न का माहौल रहा।

जश्न के मौके मौलाना जवादुल हैदर रिजवी , मौलाना राजी हैदर रिजवी ,मौलना अम्मार जैदी, मौलाना इरफान हैदर जैदी ,मौलाना आमीरुर रिजवी ,रिजवान हैदर रिजवी,मकसूद रिजवी ,शफकत अब्बास पाशा ,हसन नकवी ,शाहरुख काजी ,बब्बू भाई ,सैय्यद मोहम्मद अस्करी ,शाहिद अब्बास रिजवी ,जामिन हसन ,जुलकरनैन आब्दी ,रिजवान अख्तर ,अरशद अली ,मशहद अली खां ,यासिर सिबतैन ,राशिद हैदरी ,शकील हैदरी ,औन जैदी ,जौन जैदी आदि शामिल रहे।वहीं एक सोच संस्था की ओर से दरगाह मौला अली पर गरीब बच्चों को चिप्स बिस्किट ,फल केक , पेस्ट्री आदि के साथ गर्म वस्त्र का भी वितरण किया गया।इस मौके पर सैय्यद इफ्तेखार हुसैन ,मशहद अली खां , डॉ फाजिÞल अहसन हाशमी , सैय्यद अब्बास हुसैन ,शुजा आदि शामिल रहे।

एकता के महाकुम्भ के साथ ही महाकुम्भ ने दिया वसुधैव कुटुंबकम का संदेश

महाकुम्भनगर।मकर संक्रांति पर महाकुम्भ में भारत के हर राज्य और हर जाति लोगों ने एक साथ संगम में अमृत स्नान किया। इसके साथ दुनिया भर के कई देशों के श्रद्धालु भी पहुंचे और जय श्री राम, हर हर गंगे, बम बम भोले के उद्घोष के साथ भारतीय जनमानस के साथ घुल मिल गए। पहले अमृत स्नान पर महाकुम्भ नगर में एकता का महाकुम्भ नजर आया। यहां भारत की सनातन संस्कृति से अभिभूत विदेशी नागरिकों ने परिवार के साथ पहुंचकर गंगा स्नान किया। जय श्री राम, हर हर गंगे का नारा लगाकर लोग उत्साह से लबरेज नजर आए।

आस्था का ऐसा संगम कि आज रेत तक नजर नहीं आई

महाकुम्भ के इस ऐतिहासिक मौके पर संगम का तट भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं से पूरी तरह से भर गया। आस्था का ऐसा संगम हुआ कि संगम की रेत तक आज पहले अमृत स्नान पर नजर नहीं आ रही थी। हर जगह सिर्फ मुंड ही मुंड नजर आ रहे थे। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, आंध्र प्रदेश समेत हर राज्य, हर जाति के लोग और अन्य देशों से आए विदेशी नागरिकों ने गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। अमेरिकी, इजरायली, फ्रांसीसी समेत कई अन्य देशों के नागरिक गंगा स्नान करते हुए भारत की सनातन संस्कृति से अभिभूत हुए। वे भी बम बम भोले के नारे लगाते हुए उत्साह से झूमते नजर आए।

महाकुम्भ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी भारत की ब्रांडिग

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दिव्य और भव्य महाकुम्भ का अलौकिक आयोजन किया गया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक शक्ति महाकुम्भ के इस बार के अद्भुत आयोजन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी ज्यादा बढ़ा दी है। महाकुम्भ मेले के शुरुआती दो दिनों में दुनिया भर के कई देशों के नागरिकों ने भाग लिया और भारत की संस्कृति को अनुभव किया। विदेशी श्रद्धालु भारत की सनातन संस्कृति से गहरे प्रभावित हुए और परिवार के साथ गंगा में स्नान किया। संगम के तट पर जय श्री राम और हर हर गंगे के उद्घोष से माहौल बना और श्रद्धालु श्रद्धा से गंगा में डुबकी लगाते रहे।

विदेशियों को ऊर्जा और सुकून दे रहा महाकुम्भ

महाकुम्भ में मकर संक्रांति अमृत स्नान का हिस्सा बने विदेशी नागरिक जैफ ने कहा कि मैं अमेरिका से हूं लेकिन मैं लिस्बन, पुर्तगाल में रहता हूं। मैं दक्षिण भारत की यात्रा कर रहा था। कल वाराणसी के रास्ते यहां पहुंचा। मुझे यहां की ऊर्जा बहुत शांत और सुकून देने वाली लगती है और हर कोई बहुत दोस्ताना सा लगता है। यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है। यह एक बड़े मंदिर जैसा लगता है। मैं यहां की सुव्यवस्था और स्वच्छता देखकर चकित हूं। हर 15 मीटर पर कूड़ेदान उपलब्ध हैं।

हम दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहां आए

इसी तरह, ईरान से आई एक महिला ने कहा कि हम 9 लोगों का एक समूह हैं। हम दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहां आए हैं। मेरे पति और मैं दुबई और लिस्बन के बीच रहते हैं। हमारा यहां पहली बार आना हुआ है। कुम्भ बहुत ही सुव्यवस्थित है। यह प्रभावशाली है। हम एक बहुत अच्छी टेंट कॉलोनी में रह रहे हैं। एक अन्य अमेरिकन सिटीजन पॉला ने टूटी फूटी हिंदी में कहा कि आज बहुत उत्तम दिन है। इस उत्तम दिन पर साधुओं के साथ स्नान करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। ये हमारा सौभाग्य है कि महाकुम्भ में आने का अवसर मिला और संन्यासियों का सानिध्य प्राप्त हुआ.

त्रिवेणी तट पर नागा साधु बने आकर्षण का केंद्र

महाकुम्भ नगर, 14 जनवरी। महाकुम्भ 2025 के प्रथम अमृत स्नान के दौरान नागा साधुओं का अद्भुत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना। त्रिवेणी तट पर इन साधुओं की पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। कभी डमरू बजाते हुए तो कभी भाले और तलवारें लहराते हुए, इन साधुओं ने युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। लाठियां भांजते और अठखेलियां करते हुए ये साधु अपनी परंपरा और जोश का प्रदर्शन कर रहे थे।

घोड़ों पर और पैदल निकली शोभा यात्रा

अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार थे तो कुछ पैदल चलते हुए अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए थे। जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुम्भ की पवित्रता को और भी बढ़ा दिया। स्व-अनुशासन में रहने वाले इन साधुओं को कोई रोक नहीं सकता था, लेकिन वो अपने अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए आगे बढ़े। नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। त्रिशूल और डमरू के साथ उनके प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के मिलन का उत्सव है।

नृत्य, नगाड़े और उत्साह

शोभायात्रा के दौरान मीडिया ही नहीं, बल्कि आम श्रद्धालुओं के मोबाइल के कैमरे भी नागा साधुओं को कैप्चर करने के लिए हवा में लहरा रहे थे। नागा भी किसी को निराश नहीं कर रहे थे, बल्कि वो अपने हाव भाव से उन्हें आमंत्रित कर रहे थे। कुछ नागा तो आंखों में काला चश्मा लगाकर आम लोगों से इंटरैक्ट भी कर पा रहे थे। उनकी इस स्टाइल को हर कोई कैद कर लेना चाहता था। यही नहीं, नागा साधु नगाड़ों की ताल पर नृत्य करते हुए अपनी परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी जोश और उत्साह से भरपूर गतिविधियों ने श्रद्धालुओं के बीच अपार उत्साह पैदा किया। जितने उत्साहित नागा साधु थे, उतने ही श्रद्धालु भी उनकी हर गतिविधि को देख मंत्रमुग्ध हो गए।

स्नान के दौरान भी मस्ती करते नजर आए नागा साधु

स्नान के दौरान भी नागा साधुओं का अंदाज निराला था। त्रिवेणी संगम में उन्होंने पूरे जोश के साथ प्रवेश किया और बर्फ के समान पानी के साथ ऐसे अठखेलियां कीं जैसे वो गुनगुने पानी में उतरे हों। इस दौरान सभी नागा आपस में मस्ती करते नजर आए। इस दौरान उन्होंने मीडिया के साथ भी अठखेलियां कीं और कैमरामैन पर पानी छिड़क दिया।

महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही

पुरुष नागा साधुओं के साथ ही महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। पुरुष नागाओं की तरह ही महिला नागा संन्यासी भी उसी ढंग से तप और योग में लीन रहती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि ये गेरुआ वस्त्र धारत करती हैं उसमें भी ये बिना सिलाया वस्त्र धारण करती हैं। उन्हें भी परिवार से अलग होना पड़ता है। खुद के साथ परिवार के लोगों का पिंड दान करना होता है तब जाकर महिला नागा संन्यासी बन पाती हैं। जब एक बार महिला नागा संन्यासी बन जाती हैं तो उनका लक्ष्य धर्म की रक्षा, सनातन की रक्षा करना होता है। इस महाकुम्भ में हर कोई इनके बारे में जानने को उत्सुक नजर आ रहा है।

महाकुम्भ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं

नागा साधुओं ने अपने व्यवहार और प्रदर्शन से यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मनुष्य के आत्मिक और प्राकृतिक मिलन का उत्सव है। उनकी हर गतिविधि में महाकुम्भ की पवित्रता और उल्लास का अद्वितीय अनुभव झलक रहा था। महाकुम्भ 2025 का यह आयोजन नागा साधुओं की विशिष्ट गतिविधियों और उनकी परंपराओं के कारण लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

मकर संक्रांति पर महाकुम्भ में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, तड़के करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई अमृत डुबकी


महाकुम्भ नगर। तीर्थराज प्रयागराज में जब उजाले की एक किरण तक नहीं निकली थी, हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच मकर संक्रांति के पावन पर्व पर महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अमृत स्नान के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पहुंचे। पवित्र स्नान का यह दृश्य भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहराई को दर्शाता नजर आ रहा था। ब्रह्म मुहूर्त में ही लोगों ने पतित पावनी गंगा और संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाकर सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की।

नागा साधुओं की भव्य शोभायात्रा देखने उमड़े श्रद्धालु

पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ अपने शाही स्वरूप में अमृत स्नान किया। साधु-संत घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा में शामिल हुए, जिससे पूरे क्षेत्र में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो गया। उनके साथ चल रही भजन मंडलियों और श्रद्धालुओं के जयघोष ने माहौल को और दिव्य बना दिया।

सिर पर गठरी, बगल में झोला लेकर आधी रात से ही गंगा की तरफ दौड़ रहे थे श्रद्धालु

नागवासुकी मंदिर और संगम क्षेत्र में तड़के से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। बुजुर्ग, महिलाएं और युवा, सभी अपने सिर पर गठरी लादे आस्था से भरे हुए संगम की ओर बढ़ते दिखे। स्नान के लिए श्रद्धा ऐसी थी कि लोग रात से ही गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाना शुरू कर चुके थे।

चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध, घुड़सवार पुलिस ने किया मार्च

महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए। हर मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाकर वाहनों की गहन जांच की गई। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती से पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा। डीआईजी कुम्भ मेला वैभव कृष्ण, एसएसपी राजेश द्विवेदी समेत पुलिस टीम ने घोड़े के साथ मेला क्षेत्र में पैदल मार्च किया और अमृत स्नान जा रहे अखाड़ा साधुओं का मार्ग प्रशस्त किया।

घाटों पर गूंजे हर हर महादेव और जय श्री राम के जयघोष

12 किलोमीटर क्षेत्र में फैले स्नान घाटों पर हर हर महादेव और जय श्री राम के जयघोष सुनाई दिए। साधुओं के अमृत स्नान के साथ ही आम श्रद्धालुओं ने भी अपनी आस्था की डुबकी लगाई। संगम के आसपास गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ चारों ओर से देखी गई। इस दौरान सभी ने हर हर महादेव और जय श्री राम के नारों से संगम क्षेत्र को गुंजायमान कर दिया।

महाकुम्भ के त्रिवेणी तट पर एकता और समरसता का अद्भुत नजारा

महाकुम्भ के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम तट पर आस्था और दिव्यता का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। एक ओर अखाड़े के साधु-संत अपने विशिष्ट अंदाज में स्नान कर रहे हैं, तो दूसरी ओर हजारों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पवित्र डुबकी लगाते नजर आए। संगम तट पर ऐसे अनगिनत दृश्य देखने को मिले, जहां पिता अपने पुत्र को कंधे पर बिठाकर स्नान करा रहे थे। वहीं, कुछ स्थानों पर वृद्ध पिता को उनका पुत्र स्नान कराने लाया था। ये नजारे रिश्तों की गहराई और भारतीय संस्कृति के पारिवारिक मूल्यों की झलक पेश करते हैं।

रात-दिन का अंतर मिटा श्रद्धालुओं ने भरी आस्था की डुबकी

महाकुम्भ के इस पावन अवसर पर रात और दिन का कोई भेद नहीं रह गया है। पूरी रात श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा। चहल-पहल से गूंजते संगम तट पर हर व्यक्ति अपने हिस्से की आस्था और दिव्यता को आत्मसात करने में लीन दिखा। भारत की असंख्य विविधताओं के बीच अद्भुत एकता दिखाई दे रही है। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु अपनी परंपराओं, भाषाओं और वेशभूषाओं के साथ एक ही उद्देश्य से संगम पर पहुंचे हैं और वो है पवित्र स्नान और आध्यात्मिक अनुभव।

भगवे और तिरंगे का संगम

महाकुंभ के अद्वितीय आयोजन में भगवा और तिरंगे का संगम भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक बन गया है। संगम तट पर सनातन परंपरा का प्रतिनिधित्व करते भगवा ध्वज जहां धर्म और आस्था की गहराई को दर्शाते हैं, वहीं भारत की एकता और अखंडता का परिचायक तिरंगा भी शान से लहराता नजर आया। मंगलवार को तिरंगे ने कई अखाड़ों की राजसी शोभायात्रा का हिस्सा बनकर महाकुंभ के इस दिव्य आयोजन में गौरव का एक नया आयाम जोड़ा। यह दृश्य न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को जागृत करता है, बल्कि भारत की विविधता में एकता को भी खूबसूरती से दर्शाता है।

अनुभव करें अनुपम दिव्यता

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐसा अलौकिक अनुभव है, जो कण-कण में दिव्यता का आभास कराता है। यह उत्सव केवल आंखों से देखा ही नहीं, बल्कि दिल से महसूस किया जाता है। महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं को जागृत करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई और समाज की सामूहिकता को भी दर्शाता है। यह उत्सव हर किसी के लिए एक अद्वितीय अनुभव और आत्मा को शांति प्रदान करने का माध्यम है।