“न एजेंडा और न कोई लीडरशीप, 'इंडिया' गठबंधन को खत्म कर देना चाहिए, उमर अब्दुल्ला का बड़ा बयान

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लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को केन्द्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बड़े जोश के साथ तमाम विपक्षी पार्टियों ने 'इंडिया' गठबंधन बनाया। हालांकि, गठबंधन बनने पहले से ही इसके बने रहने पर सवाल उठने लगे थे। जो गठंबधन बनने के कुछ दिन बाद ही दिखने भी लगा। सबसे पहले गठबंधन की एक अहम पार्टी जेडीयू ने किनारा किनारा किया और भाजपा के साथ एनडीए में शामिल हो गई। इसके अलावा लोकसभा चुनावों में भी राज्य की पार्टियों ने कांग्रेस से किनारा किया। ना सिर्फ लोकसभा में बल्कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को इंडिया गंठबंधन की सहयोगी पार्टिया से अलग होकर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। खासकर हरियाणा और महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम ने गठबंधन की रही-सही एकता पर जोरदार प्रहार किया। जिसके बाद लगभग पार्टियों ने राहुल गांधी की क्षमता पर सवाल उठाया है।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है। इस चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कोई गठबंधन नहीं है। दोनों पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ते हुए नजर आ रही है, जबकि लोकसभा चुनाव में ये दोनों ही पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा थीं। दिल्ली में आप-कांग्रेस के बीच जारी घमासान पर अब उमर अब्दुल्ला ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि अगर यह गठबंधन संसदीय चुनाव के लिए था तो इसे खत्म कर देना चाहिए।

इंडिया गठबंधन के घटक दल आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के दिल्ली में अलग-अलग चुनाव लड़ने से राजनीतिक गलियारों में दोनों पार्टियों के बीच मनमुटाव की खबरें हैं। इस पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया सामने आई है। मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने दिल्ली में भाजपा के खिलाफ लड़ रहे दलों को नसीहत देते हुए कहा कि भाजपा का मुकाबला किस तरह से बेतहर ढंग से किया जा सकता है, यह तो आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और वह पार्टियां तय करें जो वहां पर मैदान में हैं।

इस दौरान उनसे एक और सवाल पूछा गया कि आरजेडी के एक नेता की ओर से कहा गया है कि इंडिया गठबंधन लोकसभा के लिए था। जिस पर जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जहां तक मुझे याद है कि इस पर कोई वक्त की सीमा नहीं लगाई गई थी। बदकिस्मती की बात यह है कि इंडिया गठबंधन की कोई बैठक नहीं बुलाई जा रही है। इसलिए इस पर कोई स्पष्टता नहीं है, न नेतृत्व को लेकर, न एजेंडा को लेकर और यह भी कि हम आगे साथ रहेंगे या नहीं। दिल्ली के चुनाव हो जाएं उसके बाद इंडिया गठबंधन के जो सहयोगी दल हैं उनको बुलाया जाए और इन बातों को स्पष्ट किया जाए। अगर यह सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था तो इसे बंद करिए, फिर हम अपना काम अलग से करेंगे। अगर लोकसभा चुनाव के बाद यह विधानसभा के लिए भी है तो फिर हमें मिलकर काम करना होगा।

बढ़ी सांसद अमृतपाल सिंह की मुश्किलें, NSA के बाद इस मामले में UAPA भी लगा

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पंजाब के खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद व खालीस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह की मुश्किल और बढ़ गई है। अमृतपाल सिंह पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यूएपीए लगाया गया है। पंजाब के फरीदकोट जिले के हरिनौ गांव में गुरप्रीत सिंह हत्याकांड में पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ यूएपीए लगा दिया है। आरोपियों में सांसद अमृतपाल सिंह और विदेश में छिपकर बैठा गैंगस्टर अर्श डल्ला भी शामिल हैं।

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अमृतपाल सिंह पहले से ही नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।अब फरीदकोट के इस मामले में यूएपीए की धाराएं लगने से उसके लिए कानूनी मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। पंजाब पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने से पहले यूएपीए की धाराएं भी जोड़ी हैं।

गुरप्रीत सिंह हरीनौ की पिछले साल 9 अक्टूबर को मोटरसाइकिल सवार शूटरों ने गोलियां मारकर हत्या कर दी थी और इस केस की जांच कर रही पंजाब पुलिस की एसआईटी ने जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर सांसद अमृतपाल सिंह खालसा व आतंकी अर्श डल्ला को भी नामजद किया था। इस केस में हत्या करने वाले दोनों शूटर, रेकी करने वाले तीन आरोपी और उनका साथ देने वाले सह आरोपी भी पकड़े जा चुके है। वे इन दिनों न्यायिक हिरासत के चलते जेल में बंद हैं। अब एसआईटी ने इस केस में यूएपीए की धारा भी लगा दी है, जिसके बारे में अदालत को लिखित रूप में जानकारी दी गई है।

अमृतपाल सिंह अप्रैल 2023 से जेल में बद है। 23 फरवरी 2023 को अमृतपाल सिंह के नेतृत्व में हजारों की भीड़ अमृतसर के अजनाला पुलिस स्टेशन में घुस गई थी। पुलिस स्टेशन में तोड़फोड़ की गई थी। 18 मार्च को अमृतपाल घर से फरार हो गया। इस घटना के बाद अमृतपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए गए थे। इसके बाद 23 अप्रैल को पंजाब पुलिस ने उसे मोगा से गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ एनएसए के तहत मामला दर्ज करने के बाद उसे असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया गया। जेल से ही उसने लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता भी था।

क्या फिर एक होंगे उद्धव-फडणवीस? शिवसेना को भाने लगी भाजपा

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महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में उद्धव ठाकरे के सियासी स्टैंड को लेकर चर्चा है। सवाल उठ रहा है कि 5 साल से बीजेपी पर सियासी तौर पर मुखर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीब आ रहे हैं। ऐसे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे ने अपने मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जमकर तारीफ की थी। जिसके बाद उनकी पर्टी के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा की। इधर देवेंद्र फडणवीस के पांच दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद 35 दिनों के बीच शिवसेना उद्धव गुट के नेता आदित्य ठाकरे सीएम फडणवीस से तीन बार मुलाकात कर चुके हैं। ठाकरे ने गुरुवार को एक बार फिर सीएम से मुलाकात की। उनकी इस मुलाकात ने कई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है।

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महायुति की सरकार बन जाने के बावजूद महाराष्ट्र की राजनीति में चीजें शांत नहीं हुई हैं। महायुति की सरकार में देवेंद्र फडणवीस अपने दोनों उप मुख्यमंत्रियों अजित पवार और एकनाथ शिंदे के साथ बहुत सहज नहीं हैं। उनके सरकार में रहने की वजह से उनके पास फ्री हैंड नहीं है। इसकी झलक सरकार गठन और उसके बाद विभागों के बंटवारे के वक्त दिख चुकी है। ऐसे में राज्य में नए राजनीतिक समीकरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। इस बीच हालात भी इस तरह के उत्पन्न हो रहे हैं कि कयासों का सिलसिला शुरू है।

भाजपा और उद्धव की शिवसेना के संबंध

कभी भाजपा और उद्धव की शिवसेना साथ-साथ थे। अच्छे दोस्त थे। मगर सियासत का पहिया ऐसा घूमा कि आज दुश्मन हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना (संयुक्त) गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की। इस चुनाव में बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया, लेकिन इसी बीच उद्धव की पार्टी ने सीएम पद पर पेच फंसा दिया।

उद्धव ठाकरे ने सीएम पद की डिमांड रख दी, जिसके बाद दोनों का गठबंधन टूट गया। फडणवीस 5 दिन के लिए मुख्यमंत्री जरूर बने, लेकिन बहुमत न होने की वजह से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ गई. इसके बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनाए गए।

2022 में उद्धव की पार्टी में टूट हो गई. एकनाथ शिंदे 40 विधायकों को लेकर एनडीए में चले गए। नई सरकार में शिंदे मुख्यमंत्री बने और फडणवीस उपमुख्यमंत्री। उस वक्त शिवेसना तोड़ने का आरोप भी फडणवीस पर ही लगा। कहा गया कि महाराष्ट्र में शिंदे के साथ कॉर्डिनेट करने में फडणवीस ने बड़ी भूमिका निभाई।

2023 में शरद पवार की पार्टी में भी टूट हुई। 2024 के लोकसभा चुनाव में इन सब बगावत के बावजूद शरद पवार और उद्धव के साथ कांग्रेस गठबंधन ने बेहतरीन परफॉर्मेंस किया, लेकिन विधानसभा के चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने बड़ी बढ़त बना ली। फडणवीस इसके बाद फिर मुख्यमंत्री बनाए गए।

क्या बदलेगी महाराष्ट्र का सियासी तस्वीर?

महाराष्ट्र में कॉर्पोरेशन, नगर निगम और स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव पास हैं और भाजपा-शिवसेना के बीच संबंध सुधरने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। सामना में फडणवीस की तारीफ उद्धव की एक रणनीतिक चाल है या महाराष्ट्र की राजनीति में किसी बड़े बदलाव का संकेत, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। मगर इसकी पूरी संभावना है कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ दिलचस्प होने वाला है।

केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, जाट समाज को लेकर लगाए गंभीर आरोप

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दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सभी पार्टियां पूरे दम ख़म के साथ मैदान में उतर चुकी है। खासकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। आप का इरादा जहां सत्ता में वापसी पर है तो भाजपा किसी भी कीमत पर दिल्ली की गद्दी हासिल करना चाहती है। इन सबके बीच आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल करने को लेकर चिट्ठी लिखी है। साथ ही केजरीवाल ने केन्द्र की मोदी सरकार पर जाट समाज को धोखा देने का आरोप लगाया है।

बीजेपी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

केजरीवाल ने पत्र में लिखा, एक महत्वपूर्ण विषय पर 10 साल पहले आपका किया वादा आपको याद दिलाने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं। दिल्ली के जाट समाज के कई प्रतिनिधियों से पिछले कुछ दिनों में मुलाकात हुई। इन सभी ने केंद्र की ओबीसी लिस्ट में दिल्ली के जाट समाज की अनदेखी किये जाने पर चिंता जाहिर की। जाट समाज के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया कि आपने 26 मार्च 2015 को दिल्ली के जाट समाज के प्रतिनिधियों को अपने घर बुलाकर ये वादा किया था कि जाट समाज, जो दिल्ली की ओबीसी लिस्ट में है, उसे केंद्र की ओबीसी लिस्ट में भी जोड़ा जाएगा ताकि उन्हें दिल्ली में मौजूद केंद्र सरकार के कॉलेजों और नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सके।

केजरीवाल ने लिखा है, फिर 8 फरवरी 2017 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यूपी चुनाव से पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह के घर पर दिल्ली और देश के जाट नेताओं की मीटिंग बुलाई और उनसे वादा किया कि स्टेट लिस्ट में जो ओबीसी जातियां हैं उनको केंद्र की लिस्ट में जोड़ा जाएगा। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली में फिर भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के आवास पर अमित शाह जाट नेताओं से मिले और उन्होंने फिर वादा किया कि दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाएगा लेकिन चुनाव के बाद इस पर कोई काम नहीं हुआ।

ओबीसी आरक्षण को लेकर केंद्र की नीतियों में कई विसंगतियां-केजरीवाल

केजरीवाल ने लिखा, ओबीसी आरक्षण को लेकर केंद्र की नीतियों में कई विसंगतियां हैं जिनकी तरफ मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। जैसे कि मुझे पता चला कि केंद्र की ओबीसी लिस्ट में होने की वजह से राजस्थान से आने वाले जाट समाज के युवाओं को दिल्ली यूनिवर्सिटी में ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलता है, लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली के ही जाट समाज को दिल्ली यूनिवर्सिटी में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है क्योंकि आपकी सरकार ने दिल्ली में जाट समाज को ओबीसी आरक्षण होने के बावजूद उन्हें केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में शामिल नहीं किया है। ये तो दिल्ली के जाट समाज के साथ धोखा है। और भाजपा की केंद्र सरकार पिछले 10 सालों से लगातार ये धोखा कर रही है। सिर्फ जाट समाज ही नहीं रावत, रौनियार, राय तंवर, चारण व ओड, इन सभी जातियों को दिल्ली सरकार ने ओबीसी दर्जा दिया हुआ है, लेकिन केंद्र सरकार इन जातियों को दिल्ली में मौजूद अपने संस्थानों में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है।

ओबीसी समाज के हजारों युवाओं के साथ अन्याय-केजरीवाल

दिल्ली के पूर्व सीएम ने आगे लिखा, दिल्ली में केंद्र सरकार की सात यूनिवर्सिटी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के दर्जनों कॉलेज हैं। दिल्ली पुलिस, एनडीएमसी, डीडीए, एम्स, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया जैसे केंद्र सरकार के कई संस्थानों में नौकरियां हैं जिनमें केंद्र सरकार के नियम लागू होते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की इस वादाखिलाफी की वजह से दिल्ली के ओबीसी समाज के हजारों युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है। दिल्ली में जाट समाज व ओबीसी की 5 अन्य जातियों के साथ केंद्र सरकार का ये पक्षपातपूर्ण रवैया इन जातियों के युवाओं को शिक्षा और रोजगार के उचित अवसर हासिल नहीं होने दे रहा है। इसलिए केंद्र सरकार को तुरंत केंद्रीय ओबीसी सूची की विसंगतियों में सुधार कर दिल्ली में ओबीसी दर्जा प्राप्त सभी जातियों को केंद्र सरकार के संस्थानों में भी आरक्षण का लाभ देना चाहिये।

इजराइल ने जारी किया नया नक्शा, भड़के ये अरबी देश, जताया कड़ा विरोध

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सीरिया में गृहयुद्ध चरम पर है. देश में तख्तापलट के बाद अब तक राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद को रूस भागना पड़ा। इस बीच, इज़राइल ने सीरियाई सीमा पर गोलान हाइट्स के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इस बीच इजराइल ने नया मैप शेयर किया है। इजराइल के विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक मानचित्र शेयर किया है। इस मानचित्र में बाइबिल में बताए गए इजरायल और जुदेया राज्य की सीमाओं को दिखाया गया है। मैप में इजरायल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाकों और पड़ोसी अरब जमीनों को ग्रेटर इजरायल के रूप में दर्शाया गया है। इस मानचित्र के प्रकाशित होने के बाद सऊदी अरब समेत अरब देश भड़क उठे हैं, जिसमें इजरायल का दोस्त मुस्लिम देश जॉर्डन भी शामिल है। इस मानचित्र के बाद कहा जा रहा है कि यहूदी देश अब ग्रेटर इजरायल प्लान की तरफ बढ़ रहा है।

इजरायली विदेश मंत्रालय की ओर से अरबी भाषा के इंस्टाग्राम और एक्स पर एक पोस्ट शेयर की गई है। इसमें लिखा है, क्या आप जानते हैं कि इजरायल का साम्राज्य 3000 साल पहले स्थापित हुआ था? इसमें आगे लिखा था,हालांकि, प्रवासी यहूदी लोग अपनी शक्तियों और क्षमताओं के पुनरुद्धार और अपने राज्य के पुनर्निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसे 1948 में इजरायल राज्य में मध्य पूर्व में एकमात्र लोकतंत्र घोषित किया गया था।

फिलिस्तीनियों समेत अरबी देश भड़के

इजरायल के इस पोस्ट ने फिलिस्तीनियों समेत अरबी देशों में आक्रोश पैदा कर दिया है। संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर ने इजरायल के इस कदम की कड़ी निंदा की है। इन अरब देशों ने इजरायल की इस हरकत को उनकी संप्रभुता का सीधे उल्लंघन के रूप में देखा। जॉर्डन और कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे शांति संभावनाओं के लिए खतरा बताया।

अरब लीग ने क्या कहा

इजरायल के नक्शे की आलोचना करते हुए अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घेइत ने इसे भड़काऊ कार्रवाई बताया और चेतावनी दी कि इस तरह के भड़काऊ कदम और गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता से सभी पक्षों में चरमपंथ और अतिवाद का विरोध बढ़ने का खतरा है। कतर और संयुक्त अरब अमीरात ने भी अलग-अलग बयानों में इस कदम की निंदा करते हुए इसे कब्जे को बढ़ाने का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।

चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बना रहा, हमें 14 साल में 40 तेजस भी नहीं मिले”, वायुसेना प्रमुख ने जताई चिंता

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चीन ने पिछले महीने छठीं पीढ़ी के दो स्टेल्थ लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन किया है। शेन्‍यांग शहर के ऊपर एक छोटे विमान की पहली परीक्षण उड़ान देखी गई। इसी दिन चेंगदू में भी तीन इंजन वाले डायमंड विंग के आकार के पंखों वाला विमान आसमान में देखा गया। इन विमानों की ताकत पर दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञ बात कर रहे हैं तो साथ ही इनके डिजाइन की भी चर्चा है। बीच भारतीय वायुसेना के चीफ एपी सिंह ने चीन के छठी पीढ़ी लड़ाकू विमान को लेकर चिंता जाहिर की है।एयर फोर्स चीफ ने कहा कि ऐसे समय में उत्पादन के पैमाने में इजाफा करना होगा, जब चीन जैसे भारत विरोधी देश लगातार अपनी हवाई ताकत को बढ़ा रहे हैं।

चीन ने छठी पीढ़ी का फाइटर जेट भी बना लिया है और यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। बेहद एडवांस तकनीक वाले जे-36 फाइटर जेट की बदौलत उसकी वायुसेना की क्षमता बेहद बढ़ गई है, जो भारत के लिए बड़ा खतरा है। इसके उलट भारतीय वायुसेना अपने आधुनिकीकरण में लगातार पिछड़ रही है। इसे लेकर भारतीय वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल एपी सिंह ने चिंता जताई है। उन्होंने साल 2010 में भारतीय वायुसेना के लिए मंजूर किए गए स्वदेश निर्मित तेजस फाइटर जेट्स का 40 विमानों का पहला बैच भी आज तक नहीं मिलने का जिक्र किया है।

वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने कहा कि 'साल 2016 में हमने तेजस को वायुसेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी। साल 1984 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। इसके 17 साल बाद वायुयान ने उड़ान भरी। इसके 16 साल बाद तेजस को वायुसेना में शामिल करने की शुरुआत हुई। आज हम 2025 में हैं और हमें अभी भी पहले 40 विमानों का इंतजार है। ये हमारी उत्पादन क्षमता है।'

एयर मार्शल एपी सिंह ने कहा कि 'हमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है और हमारे पास कई स्त्रोत होने चाहिए, ताकि लोगों को यह डर रहे कि उनका ऑर्डर छिन भी सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हालात नहीं बदलेंगे।' उन्होंने कहा कि 'क्षमता निर्माण बेहद अहम है। उत्पादन इकाइयों को आधुनिक उत्पादन प्रक्रिया में निवेश बढ़ाना चाहिए और साथ ही अपने कार्यबल को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है।

पिछले कई वर्षों में लगातार मिग-21 क्रैश होने के मामले सामने आ रहे हैं, जिसके चलते इसे ‘उड़ता ताबूत’ कहा जाने लगा है। एपी सिंह ने कहा कि उत्पादन एजेंसियों को अपनी तकनीकी क्षमताओं में और इजाफा करने के लिए निवेश की जरूरत है। कुछ और निजी एजेंसियों को रक्षा उपकरणों के निर्माण में शामिल करना होगा। आज के दौर में दुनिया के कई देश लगातार अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहे हैं। हमें भी और विकल्पों को तलाशने की जरूरत है। एपी सिंह ने कहा कि जो कंपनियां रक्षा उपकरणों की डिलीवरी में देरी कर रही हैं, उनके ऑर्डर कैंसिल कर देने चाहिए, ताकि दूसरी एजेंसियां भी सतर्क रहें।

भारत के तेजस लड़ाकू विमान पांचवीं पीढ़ी के हैं और उनमें ही काफी देरी हो रही है। वहीं चीन ने अपने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण भी शुरू कर दिया है। यही वजह है कि वायुसेना प्रमुख ने देरी पर चिंता जताई है।

अफगानिस्तान के साथ रिश्तों की नई शुरूआत! तालिबान प्रशासन ने भारत के लिए खतरा नहीं बनने का दिया आश्वासन
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* भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों में नए दौर की शुरूआत हो रहा है। अफगानिस्‍तान में तालिबान के काबिज होने के बाद भारत ने तालिबान की सरकार के साथ सीमित दायरे में ही संपर्क रखा था। हालांकि, अब दोनों देशों के रिश्ते करवट ले रहे हैं। तालीबान के साथ पहली बार भारत सरकार की उच्‍च स्‍तरीय बातचीत हुई है। दुबई में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की।बैठक में अफगानिस्तान ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को वरीयता देने का आश्वासन दिया और दोनों देशों के बीच क्रिकेट के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी। तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए भारत को धन्यवाद दिया और कहा कि हम एक महत्वपूर्ण और आर्थिक देश के रूप में भारत के साथ संबंध रखना चाहते हैं। इस दौरान भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि उनके देश ने बीते साढ़े तीन वर्षों में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान की है और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अफगानिस्तान के साथ सहयोग करना चाहता है। बैठक में निर्णय लिया गया कि भारत अफगानिस्तान में चल रहे मानवीय सहायता कार्यक्रम के अलावा निकट भविष्य में विकास योजनाओं में शामिल होने पर विचार करेगा। बैठक में व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी। भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए मानवीय मदद बढ़ाने का आश्वासन दिया। *तालिबान को राजनीतिक संबंधों के बढ़ने की उम्मीद* तालिबान विदेश मंत्री मुत्ताकी ने राजनीतिक संबंधों को बढ़ाने की उम्मीद के साथ ही छात्रों, व्यापारियों, मरीजों के लिए वीजा से संबंधित सुविधाएं बनाने की उम्मीद जताई। तालिबान की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष व्यापार और वीजा को सुविधाजनक बनाने पर सहमत हुए हैं। *अफगानिस्‍तान को भेजी मदद* भारत ने अब तक अफगहानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवाइयां, 27 टन भूकंप राहत सहायता, 40,000 लीटर कीटनाशक, 100 मिलियन पोलियो खुराक, कोविड वैक्सीन की 1.5 मिलियन खुराक, नशा मुक्ति कार्यक्रम के लिए 11,000 यूनिट स्वच्छता किट, 500 यूनिट सर्दियों के कपड़े और 1.2 टन स्टेशनरी किट आदि के कई शिपमेंट भेजे हैं। इस मुलाकात में भारत ने कहा कि वह अफगानिस्‍तान को आगे भी मदद करना जारी रखेगा। विशेष तौर पर स्वास्थ्य क्षेत्र और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए भारत ज्‍यादा सामग्री और सहायता देगा। *क्रिकेट पर भी हुई चर्चा* भारत-पाकिस्‍तान के बीच हुई इस बातचीत में दोनों पक्षों ने खेल (क्रिकेट) सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा की, जिसे अफगानिस्तान की युवा पीढ़ी बहुत अहमियत दे रही है। इसके अलावा अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता के उद्देश्य सहित व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमति हुई। *अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं* भारत ने अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत थोड़ा इंतजार करेगा। अगर तालिबान का रुख वाकई सकारात्मक रहा तब चरणबद्ध तरीके से वहां की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने के अलावा फिर से दूतावास खोलने, नई दिल्ली स्थिति बंद पड़े अफगान दूतावास में तालिबान सरकार के राजनयिक की नियुक्ति पर हामी भरेगा।
तिरुपति मंदिर में भगदड़, छह लोगों की मौत की खबर, जानें कैसे हुआ हादसा?

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आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बुधवार को भगदड़ मच गई। इस हादसे में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई। कई लोग घायल हो गए।वहीं घटना में 40 लोग घायल हुए हैं। घायलों को श्री वेंकटेश्वर रामनारायण रुइया सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। सुबह से करीब 4000 श्रद्धालु तिरुपति में विभिन्न टिकट केंद्रों पर वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट के लिए कतार में खड़े थे। यह घटना तब हुई जब श्रद्धालुओं को बैरागी पट्टी पार्क में टोकन वितरण के लिए कतार में लगने के लिए कहा गया था।

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10 जनवरी से तिरुपति मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शनम शुरू हो रहा है। इसी के लिए देश भर से सैकड़ों श्रद्धालु यहां आए हैं. तिरुपति मंदिर के खास वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए टोकन सिस्टम है। टोकन लेने के बाद ही दर्शन के लिए अंदर जा सकते हैं। वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए मंदिर परिसर में कुल आठ जगहों पर टोकन बाटें जा रहे थे। टोकन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन थी। दर्शन के लिए टोकन मिल जाए, इसके लिए खूब चढ़ा-ऊपरी थी। जैसे ही गेट खुला भक्त अधीरज हो गए. पहले टोकन पाने के लिए वे आगे बढ़े और देखते ही देखते स्थिति बिगड़ गई। अचानक भगदड़ मची और देखते ही देखते लाशें बिछ गईं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

इस बीच इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने दुख प्रकट किया है। पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा है ‘आंध्र प्रदेश के तिरुपति में मची भगदड़ से आहत हूं। मेरी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल जल्द ठीक हो जाएं। आंध्र प्रदेश सरकार प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।

सीएम चंद्रबाबू नायडू आज तिरुपति पहुंचेंगे

इधर मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू आज घायलों से मिलने के लिए गुरुवार को तिरुपति पहुंचेंगे। सूबे के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी हादसे पर दुख जताया है। भगदड़ में कुछ श्रद्धालुओं की मौत होने की घटना से मैं बहुत दुखी हूं। मैंने उच्च अधिकारियों को मौके पर जाने और राहत उपाय करने का निर्देश दिया है। ताकि घायलों को बेहतर चिकित्सा उपचार प्रदान किया जा सके और उनकी जान बचाई जा सके। मैं समय-समय पर जिला और टीटीडी अधिकारियों से बात कर रहा हूं और स्थिति का जायजा ले रहा हूं।

एक देश, एक चुनाव' पर 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट, जेपीसी सदस्यों को मिला सूटकेस

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एक देश एक चुनाव संबंधी दो विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की पहली बैठक बुधवार को हुई। इस दौरान सत्ता पक्ष विपक्ष से जुड़े तमाम सांसदों ने अपनी अपनी बात समिति के सामने रखी। सत्ता पक्ष से जुड़े हुए सांसदों ने जहां इस बिल को देश की जरूरत बताया तो वहीं विपक्षी सांसदों ने बिल को राज्यों के अधिकतर छीनने वाला बिल बताया। बैठक के बाद समिति के तमाम सदस्यों को एक बड़े सूटकेस में 18,000 से ज्यादा पन्नों के दस्तावेज भी सौंपे गए।

केंद्र सरकार ने शीतकालीन सत्र में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव सामने रखा था। इसके लिए 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया था। इस समिति की आज यानी बुधवार को पहली बैठक हुई। समिति की इस पहली बैठक में 37 सांसद मौजूद रहे। इस समिति में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल हैं, प्रियंका गांधी वाड्रा (कांग्रेस) से लेकर संजय झा (जद (यू), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना), संजय सिंह (आप), और कल्याण बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस) समेत कई नेता शामिल हैं।

बैठक के पहले दिन एक देश एक चुनाव से संबंधित विधेयक के प्रावधानों को समिति के सदस्यों के सामने रखा गया। साथ ही इसके प्रावधानों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा भी की गई। बैठक में विधेयक के समर्थन में इसकी जरूरत और पूर्व में दी गई विभिन्न सिफारिशों को भी समिति के सामने रखा गया।

जेपीसी की बैठक में सबसे पहले कानून और विधि मंत्रालय की ओर से वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर प्रेजेंटेशन दी गई, लगभग 18 हजार पेज का प्रेजेंटेशन कानून मंत्रालय ने दिया है। इसके बाद कानून मंत्रालय की तरफ से 18 हजार पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट को जेपीसी सदस्यों को सौंपा गई। जेपीसी सदस्यों को एक नीले रंग का सूटकेस मिला।

नई दिल्ली में जेपीसी की मीटिंग खत्म होने के बाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया। जिसमें उनके हाथ में एक नीले रंग का ट्रॉली बैग नजर आ रहा है। उन्होंने लिखा, 'एक देश-एक चुनाव की जेपीसी में हज़ारों पन्ने की रिपोर्ट मिली है। आज ONOE की JPC मीटिंग की पहली मीटिंग हुई।'

बांग्लादेश के साथ भारत के कूटनीतिक में आया तनाव, लेकिन सामरिक रिश्तों पर अब भी मजबूत

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भारत का बांग्लादेश से रिश्ता ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक जुड़ावों से बना है। लेकिन अब इस रिश्ते के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। अगस्त में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन और मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद से दोनों देशों के बीच ऐसा लग रहा है कि अविश्वास बढ़ गया है। बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक रिश्ते भले ही खराब दौर से गुजर रहे हैं। सामरिक रिश्तों पर इसका कोई असर फिलहाल नहीं दिख रहा है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच रिश्ते पहले की तरह मजबूत हैं। भारत और बांग्लादेश की सेना के अधिकारी एक दूसरे के वहां पहले की तरह ट्रेनिंग ले रहे हैं।

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भारतीय सेना का कई मित्र देशों के साथ डिफेंस एक्सचेंज प्रोग्राम है। इसी तरह का एक्सचेंज प्रोग्राम बांग्लादेश के साथ भी है। बांग्लादेश की सेना के अधिकारी भारत के डिफेंस इंस्टीट्यूट्स में अलग अलग तरह के कोर्स करने आते रहे हैं। ऐसे ही प्रोग्राम के तहत विजय दिवस के मौके पर भी बांग्लादेश के सैन्य अधिकारी और मुक्तियोद्धा को कोलकाता आए थे। अब भारतीय सेना के 3 अफसर मिलिट्री एक्स्चेंज कोर्स करने लिए ढाका पहुंच चुके हैं।

अगर हम पिछले 5 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2019-20 में 37 बांग्लादेशी अफसर भारतीय सेना के अलग अलग ट्रेनिंग कोर्स में शामिल हो चुके हैं. इसी तरह से साल 2021-22 में 62, साल 2022-23 में 52, साल 2023-24 में 30 और साल 2024-25 के कैलेंडर वर्ष में 41 बांग्लादेशी सेना के अफसरों को भारत में ट्रेनिंग ले चुके हैं। भारतीय सेना का कैलेंडर ईयर 1 जुलाई से 30 जून तक होता है। अगला बैच के आने में अभी थोड़ा वक्त है। इसी तरह से साल 2021-22 में 3 भारतीय सेना के अफसर भी बांग्लादेश सेना के अलग अलग कोर्स को करने गए। साल 2022-23 में 3, साल 2023-24 में 15और साल साल 2024-25 में 11 भारतीय सैन्य अधिकारियों ने बांग्लादेशी सेना को कोर्स को ज्वाइन किया।

पिछले हफ़्ते ही भारतीय सेना के तीन अधिकारी बांग्लादेश कोर्स करने के लिए रवाना हुए हैं। साथ ही भारतीय सेना के 4 अधिकारी बांग्लादेश के मिलिट्री इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बांग्लादेशी अधिकारियों को कंप्यूटर ट्रेनिंग दे रहे हैं।इस वक्त बांग्लादेश की दो महिला कैडेट्स भी भारत के ओटीए चेन्नै में ट्रेनिंग ले रही हैं।

इससे पहले पिछले हफ्ते भारत से चल रहे तनावों के बीच बांग्लादेश के आर्मी चीफ का बड़ा बयान सामने आया है। सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान ने एक बयान में कहा कि भारत के साथ बांग्लादेश का बेहद खास रिश्ता है। इसलिए उनका देश कभी भारत के खिलाफ नहीं जा सकता। इस दौरान उन्होंने भारत को महत्वपूर्ण पड़ोसी बताया और कहा कि ढाका कई मामलों में नई दिल्ली पर निर्भर है। सेना प्रमुख ने कहा कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अपना इलाज कराने भी भारत जाते हैं और वहां से ढाका बहुत सारा सामान भी आयात करता है। इसलिए बांग्लादेश ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा, जो भारत के रणनीतिक हितों के खिलाफ हो। भारत-बांग्लादेश के बीच लेन-देन से लेकर आपसी हितों को समान महत्व देने का रिश्ता है। इसमें कोई भेदभाव न हो। इसलिए बांग्लादेश को भारत से समान रिश्ते बना कर रखना होगा। यही बांग्लादेश के हित में है।