झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर का स्वास्थ्य विभाग को अल्टीमेटम,कहा-सात दिन में व्यवस्था सुधारिये नहीं तो होगी कारवाई


झारखंड डेस्क 

झारखंड में सरकारी अस्पतालों की स्थिति किसी से छुपी नही हैं। आज खुद वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर का शासकीय अस्पताल की बदहाली का सामना हो गया। अस्पताल की स्थिति देख वित्त मंत्री भड़क गये और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को जमकर फटकार लगा दी। मामला पलामू के मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की है। वित्त मंत्री ने अस्पताल प्रबंधन को सात दिन का अल्टीमेटम दिया है।

राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर शनिवार को मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पहुंचे, निरीक्षण के दौरान अस्पताल की बदहाली देख वो काफी नाराज हुए। अस्पताल में ना तो साफ सफाई थी और ना ही वार्ड में मरीजों के लिए कोई खास व्यवस्था थी। जिसके बाद वित्त मंत्री ने तीखी नाराजगी जताते हुए अस्पताल प्रबंधन को फटकार लगा दी।

वित्त मंत्री ने कहा कि सात दिन के भीतर अस्पताल की व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिये, अगर अव्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो कड़ी कार्रवाई की जायेगी। मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को सात दिनों के अंदर अस्पताल में व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया। अगर स्थिति नहीं सुधरी तो अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

डॉक्टरों और कर्मचारियों से कहा कि वे यूनिफॉर्म में रहें और नेम प्लेट भी लगाएं। बैठक में मंत्री ने मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को क्षेत्र के लिए काफी मददगार बताया। उन्होंने कहा कि अस्पताल में इलाज के समुचित इंतजाम होने चाहिये। यहां लोग काफी उम्मीद से आते हैं। इलाज में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। साथ ही मंत्री ने एमएमसीएच में आयुष्मान भारत के तहत इलाज के निर्देश दिये।

मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि एमएमसीएच का नया भवन 31 दिसंबर 2025 तक तैयार करने को कहा गया है, जबकि अप्रैल से नए भवन में ओपीडी और इमरजेंसी शुरू करने को कहा गया है। एक सप्ताह में पूरी व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा गया है, एक सप्ताह बाद वे फिर निरीक्षण करेंगे। अगर व्यवस्था नहीं सुधरी तो कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

झारखंड में JSSC की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए खुशखबरी, सरकार जल्द निकालेगी लेखा सहायक की नियुक्ति

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : अगर आप झारखंड में JSSC की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। झारखंड सरकार जेएसएससी द्वारा जल्द ही लेखा सहायक के पदों पर भर्ती की निकलेगी। जिनकी नियुक्ति वित्त विभाग में होगी। कुल 384 पदों पर अभ्यर्थियों की बहाली ली जाएगी। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने झारखंड वित्त अवर लेखा सेवा भर्ती, प्रोन्नति व अन्य सेवा शर्त नियमावली को मंजूरी दे दी है।

राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद वित्त विभाग ने इसका गजट भी तैयार कर ली। वही बता दे कि वित्त विभाग में वरीय लेखा सहायक तथा लेखा अधीक्षक के पद को प्रोन्नति से भरे जायेंगे। वरीय लेखा सहायक का कार्य बल 217 व लेखा अधीक्षक का कार्य बल 70 होगा। 

जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति होगी उन्हें तीन माह का संस्थागत प्रशिक्षण, छह माह का व्यावहारिक प्रशिक्षण और एक माह का अंतिम प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य होगा। प्रोन्नति के लिए विभागीय समिति का गठन होगा।

सख्त कानून के बाद भी झारखंड क्यों नहीं रुक रही रही JSSC परीक्षाओं में धांधली...?

 झारखंड डेस्क

झारखंड: छात्र जब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू करता है तो उसके आंखों में भविष्य के की सपने होते है. कोई IAS-PCS की परीक्षा क्रैक करना चाहता है तो कोई SSC और अन्य भर्ती परीक्षाओं की, मगर जब उन्हीं छात्रों को इन परीक्षाओं में हो रही धांधली का सामना करना पड़ता है तो उनका मनोबल टूट जाता है।कुछ ऐसा ही हो रहा झारखंड के छात्रों के साथ।

 “झारखंड—संभावनाओं और संघर्षों का संगम। एक ऐसा राज्य है जिसने नकल रोकथाम के लिए देश के सबसे सख्त कानून बनाए हैं।लेकिन क्या ये कानून शिक्षा माफियाओं और पेपर लीक के गंभीर संकट को रोकने में सक्षम हैं?”

 केंद्र सरकार ने 2024 में नकल रोकथाम के लिए कठोर विधेयक पेश किया है।इसमें नकल के दोषी पाए जाने पर 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। लेकिन झारखंड ने इससे पहले ही 2023 में नकल रोकथाम कानून लागू किया, जो केंद्र से कहीं अधिक सख्त है। झारखंड के कानून के तहत आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना तय किया गया है।

पहली बार नकल करते पकड़े जाने पर 1 साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना, जबकि दूसरी बार पकड़े जाने पर 3 साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना। ये प्रावधान राज्य लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग और अन्य भर्ती परीक्षाओं पर लागू होते हैं। लेकिन इन कानूनों के बावजूद, झारखंड की परीक्षा प्रणाली विवादों से मुक्त नहीं हो पाई है।

 झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की परीक्षाएं विवादों और घोटालों का पर्याय बन चुकी हैं। 2001 में प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षाओं से ही यह सिलसिला शुरू हो गया था। इन परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे। सीबीआई जांच में पाया गया कि कई उम्मीदवार बिना उत्तर पुस्तिका लिखे चयनित हो गए। तत्कालीन अध्यक्ष और कई अधिकारियों पर गड़बड़ी के आरोप सिद्ध हुए। 12 साल तक चली जांच में 70 लोगों पर चार्जशीट दाखिल हुई। जेपीएससी द्वारा आयोजित लगभग हर परीक्षा किसी न किसी विवाद में फंसी। 21 वर्षों में केवल 13 परीक्षाएं आयोजित हो सकीं, जबकि हर साल परीक्षा होनी चाहिए थी। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) भी विवादों से अछूता नहीं है। हाल ही में आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा (CGL) का पेपर लीक हो गया। यह घटना 28 जनवरी 2024 को तीसरी पाली की परीक्षा के दौरान सामने आई। इस मामले में परीक्षा रद्द कर एसआईटी जांच के आदेश दिए गए। जेएसएससी ने नामकुम थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई, लेकिन छात्र सीबीआई जांच की मांग पर अड़े रहे। यह पहली बार नहीं है। 2022 में भी पॉलिटेक्निक परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, जिसके चलते परीक्षा दोबारा आयोजित करनी पड़ी।

झारखंड की बेटी कल्पना ने जीता ‘बेस्ट मेकअप आर्टिस्ट ऑफ द ईयर 2024’ का, खिताब


यह खिताब नई दिल्ली के रेडिसन ब्लू फाइव स्टार होटल में आयोजित भव्य समारोह में दिया गया।

झा.डेस्क

नई दिल्ली के रेडिसन ब्लू फाइव स्टार होटल में आयोजित भव्य समारोह में दिया गया।

पलामू जिले के मेदिनीनगर शहर के आबादगंज इलाके की रहने वाली कल्पना सिंह को ‘बेस्ट मेकअप आर्टिस्ट ऑफ द ईयर 2024’ के प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

यह सम्मान उन्हें झारखंड राज्य के लिए नई दिल्ली के रेडिसन ब्लू फाइव स्टार होटल में आयोजित भव्य समारोह में दिया गया।

बॉलीवुड अभिनेत्री भाग्यश्री ने कल्पना सिंह को यह सम्मान सौंपा। इस समारोह का आयोजन डीके पेजेंट ने किया था, जिसमें देशभर के जाने-माने मेकअप आर्टिस्ट शामिल हुए।

राज्य के टैलेंट को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने का अवसर

कल्पना सिंह ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपनी मेहनत, रचनात्मकता और परिवार के समर्थन को दिया। 

उन्होंने कहा, “यह पुरस्कार न केवल मेरी सफलता है, बल्कि पूरे झारखंड राज्य के टैलेंट को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने का अवसर है। यह सम्मान प्रदेश के युवाओं को प्रेरित करेगा कि छोटे शहरों से भी बड़े सपने देखे जा सकते हैं और उन्हें कड़ी मेहनत से पूरा किया जा सकता है।”

उनके पति मृत्युंजय कुमार ने बताया कि कल्पना की इस सफलता से पूरे पलामू और झारखंड में खुशी का माहौल है।

लोकसभा और विधान सभा चुनाव में इस बाऱ महिलाओं का वोट प्रतिशत रहा ज्यादा


आयोग के आंकड़ों के अनुसार अब सत्ता की चाभी महिलाओं के हाथ में

 झारखंड डेस्क 

निर्वाचन आयोग ने एक आंकड़ा जारी किया है. जारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव में 64.64 करोड़ मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया और इन मतदाताओं में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक रही.

तात्पर्य है कि कई राज्यों में मतदान परिणाम महिला वोटर के रुझान और उसके मूड के अनुसार प्रभावित हुआ जिसमे झारखंड भी है जहाँ महिला मतदाताओं के कारण माना जा रहा है कि अपार बहुमत के साथ हेमंत सोरेन कि सरकार कि पुन: वापसी हुई.इसके आधार पर कहा जा सकता है कि इस बाऱ की सत्ता की चाभी महिलाओं के हाथ में रहा.

वैसे निर्वाचन आयोग ने कहा है कि महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 65.78 रहा जबकि पुरुष मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 65.55 था. आयोग ने कहा कि इस बार चुनाव लड़ने वाली महिला उम्मीदवारों की संख्या 800 रही जबकि 2019 के चुनावों में यह संख्या 726 थी.

निर्वाचन आयोग ने कहा,‘स्वतः संज्ञान लेकर की गई इस पहल का मकसद जनता का विश्वास बढ़ाना है, जो भारत की चुनावी प्रणाली का आधार है.’ ये आंकड़े इन आरोपों की पृष्ठभूमि में जारी किए गए हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के आंकड़ों में हेराफेरी की गई थी.

ये आंकड़े चार विधानसभा चुनावों – अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम से भी संबंधित हैं. निर्वाचन आयोग ने बताया कि 2019 में 540 की तुलना में कुल 10.52 लाख मतदान केंद्रों में से 40 मतदान केंद्रों या 0.0038 प्रतिशत केंद्रों पर पुनर्मतदान किया गया.

आज है रतन टाटा का जन्म दिवस,जमशेदपुर से है उनका गहरा नाता,3 मार्च को होने वाले टाटा के स्थपना दिवस कार्यक्रम में आते थे यहां

झा. डेस्क 

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन दिवंगत रतन टाटा की जयंती आज मनायी जा रही है. रतन टाटा का जमशेदपुर से विशेष लगाव था. बढ़ती उम्र के बावजूद उन्होंने जमशेदपुर से अपना नाता बरकरार रखा था. यहां हर साल 3 मार्च को होने वाले स्थपना दिवस के कार्यक्रम में उनकी कोशिश होती थी कि वे इसमें जरूर शामिल हों.

 गत वर्ष 3 मार्च को यहां पर आयोजित कार्यक्रम में रतन टाटा को आना था. लेकिन, तबीयत खराब होने के चलते वह यहां पर नहीं आ सके थे. उनकी करियर की शुरुआत भी यहीं से हुई थी. रतन टाटा का निधन नौ अक्तूबर 2024 को हो गया था. उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. इसके बाद वे 1991 से 2012 तक टाटा समूह के चेयरमैन रहे और अंत समय तक टाटा समूह की संचालक संस्था टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन बने रहे.

रतन टाटा को जानें

1937 में रतन टाटा का जन्म सूरत में सुनू और नवल टाटा के घर हुआ था. 1955 में 17 वर्ष की आयु में कॉर्नेल विश्वविद्यालय (इथाका, न्यूयॉर्क, यूएसए) शिक्षा लेने गये तथा सात वर्षों तक वहां रहकर वास्तुकला और इंजीनियरिंग का अध्ययन किया. 

1962 वास्तुकला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसी साल टाटा इंडस्ट्रीज में सहायक के रूप में टाटा समूह में शामिल हुए. बाद में टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी (जिसे अब टाटा मोटर्स कहा जाता है) के जमशेदपुर संयंत्र में छह महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया. 

1963 प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी या टिस्को (जिसे अब टाटा स्टील कहा जाता है) में भेजे गये. 1965 टिस्को के इंजीनियरिंग प्रभाग में तकनीकी अधिकारी नियुक्त हुए. 1969: ऑस्ट्रेलिया में टाटा समूह के निवासी प्रतिनिधि के रूप में काम किया. 1970 भारत लौटे, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में शामिल हुए, जो उस समय एक सॉफ्टवेयर कंपनी थी. 

1971 नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स (जिसे नेल्को के नाम से जाना जाता है) के प्रभारी निदेशक नियुक्त किए गए, जो एक बीमार इलेक्ट्रॉनिक्स उद्यम था. 1974 टाटा संस के बोर्ड में निदेशक के रूप में शामिल हुए. 1975 हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया.

1981 टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष नियुक्त

1981 टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष नियुक्त किए गए; इसे उच्च-प्रौद्योगिकी व्यवसायों के प्रवर्तक में बदलने की प्रक्रिया शुरू की. 1983 टाटा रणनीतिक योजना का मसौदा तैयार किया.

1986-1989 राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. 25 मार्च, 1991जेआरडी टाटा से टाटा संस के अध्यक्ष और टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष का पदभार संभाला. 

1991टाटा समूह का पुनर्गठन ऐसे समय में शुरू किया गया, जब भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण चल रहा था. 2000 के बाद टाटा समूह के विकास और वैश्वीकरण अभियान ने उनके नेतृत्व में गति पकड़ी और नयी सहस्राब्दी में कई हाई-प्रोफाइल टाटा अधिग्रहण हुए, जिनमें टेटली, कोरस, जगुआर लैंड रोवर, ब्रूनर मोंड, जनरल केमिकल इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और देवू शामिल हैं.

2008 में टाटा नैनो को लॉन्च किया

2008 में टाटा नैनो को लॉन्च किया, जो उस अग्रणी छोटी कार परियोजना से उत्पन्न हुई थी, जिसका उन्होंने जोश और दृढ़ संकल्प के साथ मार्गदर्शन और कमान संभाली थी. 2008 में भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

2012 में टाटा संस के मानद अध्यक्ष नियुक्त

2012 में टाटा समूह के साथ 50 साल बिताने के बाद टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटे और टाटा संस के मानद अध्यक्ष नियुक्त किए गए. 2024 में 9 अक्तूबर, 2024 की रात उन्होंने आखिरी सांस ली.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में ये माना कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का कोई सबूत नहीं

झा. डेस्क 

झारखंड समेत देश के किसी भी राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ का कोई सबूत नहीं है। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में ये माना कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या या गतिविधियों की कोई जानकारी गृह मंत्रालय के पास नहीं है। 

झारखंड जनाधिकार महासभा के सदस्य सिराज दत्ता द्वारा आरटीआई करके केंद्र से यह जानकारी मांगी गयी थी कि झारखंड में कितने बांग्लादेशी घुसपैठिये है। सिराज ने 4 अक्टूबर को यह आरटीआई फाइल किया था। तब झारखंड में विधानसभा चुनाव हो रहे थे और भारतीय जनता पार्टी के नेता लगातार अपने विज्ञापनों और चुनाव प्रचार में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठा रहे थे

 वे इसके लिए राज्य की हेमंत सरकार को दोषी बता रहे थे। 

भाजपा राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ से डेमोग्राफी में बदलाव का आरोप आज भी लगाती है।

झारखंड सरकार के छह मंत्रियों के मिले आप्त सचिव, जाने किस मंत्री कौन होंगे आप्त सचिव

झारखंड डेस्क 

रांची : महीने भर के इंतजार के बाद मंत्रियों को आखिरकार अधिकारी मिल गये। इस संबंध में राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिया है। जानकारी के मुताबिक झारखंड सरकार के छह मंत्रियों के आप्त सचिव की नियुक्ति की गई है। जारी आदेश पत्र में कहा गया है कि यह पद पूर्णतः अस्थायी है. इसे कभी भी बिना किसी सूचना के समाप्त किया जा सकता है।

इन मंत्रियों को मिले अधिकारी

जिन मंत्रियों के आप्त सचिव नियुक्त हुए हैं, उसमें ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय, नगर विकास मंत्री सुदिव्य सोनू, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन,चमरा लिंडा, योगेंद्र प्रसाद, व कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की शामिल हैं। मंत्रिमंडल सचिवालय समन्वय विभाग ने इसका आदेश जारी कर दिया है।

कौन किस मंत्री के अधिकारी बने

ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय के निज सचिव राज्य सेवा के अधिकारी संदीप दुबे को बनाया गया है। वहीं राज्य सेवा के अधिकारी अनुराग लकड़ा को कैबिनेट मंत्री चमरा लिंडा का निजी सचिव नियुक्त किया गया है। उसी तरह से विनय प्रकाश तिग्गा को नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू का निजी सचिव, अजय कुमार सिन्हा को शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का निजी सचिव नियुक्त किया गया है। वहीं मांडर बीडीओ मनोरंजन कुमार को कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की का निजी सचिव नियुक्त किया गया है।

 वहीं कपिल कुमार को पेयजल मंत्री योगेंद्र प्रसाद का निजी सचिव नियुक्त किया गया है। उन्हें सरकारी कोटे से निजी सचिव नियुक्त किया गया है, जबकि उमेश कुमार को बाह्य कोटे से निजी सचिव नियुक्त किया गया है।

मंईयां सम्मान योजना की राशि के लिए करना होगा और इंतजार, जानें वजह


झारखंड डेस्क 

रांची। मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की राशि के लिए महिलाओं को अभी और इंतजार करना होगा। इसे लेकर आयोजित कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की गई है।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ० मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर, 2024 को नई दिल्‍ली स्थित एम्‍स में हो गया है। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में भारत सरकार द्वारा 26 दिसंबर, 2024 से 1 जनवरी, 2025 तक सात दिवसीय राजकीय शोक मनाने का निर्णय लिया गया है।

झारखंड सरकार द्वारा भी सात दिनों के राजकीय शोक का निर्णय लिया गया है। उक्त अवधि में झारखंड के उन सभी भवनों, जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते हैं, पर राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे एवं किसी भी प्रकार के राजकीय समारोह का आयोजन नहीं किया जायेगा।

राजकीय शोक के मद्देनजर 28 दिसंबर, 2024 को नामकुम के खोजाटोली में आयोजित होनेवाले राज्यस्तरीय झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना कार्यक्रम भी स्थगित किया गया है। इस दिन मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन महिलाओं के खाते में राशि डालने वाले थे।

यूं ही किसी को भी उठाकर जेपीएससी अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बिठा दिया जायेगा: नेहा तिर्की (मंत्री झारखंड सरकार )


झा. डेस्क 

जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति में हो रही देरी पर हेमंत कैबिनेट की मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने बड़ा बयान दिया है.झारखंड सरकार में कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि यूं ही किसी को भी उठाकर जेपीएससी अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बिठा दिया जायेगा. इतने बड़े पद पर किसी जिम्मेदार व्यक्ति को बिठाना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर काफी गंभीर हैं. वह चाहते हैं कि इस पद पर कोई जिम्मेदार और ईमानदार व्यक्ति ही बैठे.

उन्होंने कहा कि इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने के लिए संबंधित अधिकारी का बैकग्राउंड खंगालना पड़ता है. मुख्यमंत्री इसी काम में लगे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने हम मंत्रियों को भी आप्त सचिव की नियुक्ति तक में बैकग्राउंड डिटेल ठीक से खंगालने का निर्देश दिया है.

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार युवाओं को लेकर गंभीर है. जल्द ही ठोस फैसला होगा.

22 अगस्त से ही खाली है जेपीएससी अध्यक्ष का पद

गौरतलब है कि जेपीएससी अध्यक्ष का पद 5 माह से खाली है. 22 अगस्त 2024 को ही तात्कालीन चेयरपर्सन डॉ. नीलिमा केरकेट्टा सेवानिवृत्त हो गयी थीं. तब से इस पद पर किसी को नियुक्त नहीं किया गया.

जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति में विलंब होने से 11वीं-13वीं जेपीएससी सिविल सेवा, सीडीपीओ, फूड सेफ्टी ऑफिसर, फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर सहित करीब 1700 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया लंबित है.

इनमें जेपीएससी सिविल सेवा और सीडीपीओ की मुख्य परीक्षा ली जा चुकी है लेकिन रिजल्ट जारी नहीं किया गया.

झारखंड हाईकोर्ट ने 11 दिसंबर को ही दिया था आदेश

पवन कुमार शर्मा नाम के अभ्यर्थी ने जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति में हो रहे विलंब की शिकायत करते हुए झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली थी.

11 दिसंबर को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएन पाठक की बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति अविलंब की जाए. हाईकोर्ट ने कहा था कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का सवाल है. झारखंड लोक कल्याणकारी राज्य है.यहां स्पष्ट जनादेश वाली सरकार का गठन हो चुका है. ऐसे में देरी ठीक नहीं.