जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 370 पर बवाल, सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों में हाथापाई, जमकर चले लात-घूंसे
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जम्मू कश्मीर विधानसभा में आज जबरदस्त हंगामा हो गया। विधानसभा सत्र के दौरान गुरुवार को अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर विधायकों के बीच जमकर हाथापाई हुई। सत्ता पक्ष और विपक्षी भाजपा के विधायकों ने एक-दूसरे का कॉलर पकड़ा और धक्कामुक्की की। सदन में हंगामे के बाद पहले विधानसभा की कार्यवाही 20 मिनट फिर कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बारामूला से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद के भाई और लेंगेट से विधायक खुर्शीद अहमद शेख द्वारा अनुच्छेद 370 पर बैनर दिखाए। बैनर पर लिखा था, 'हम अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इस पर आपत्ति जताई। बैनर को देखकर भाजपा के विधायक भड़क गए। भाजपा विधायकों के विरोध का सिलसिला यहीं नहीं थमा। वे सदन के वेल से होते हुए खुर्शीद अहमद शेख के पास पहुंचे और उनके हाथ से बैनर छीन लिया। इस दौरान सज्जाद लोन और वहीद पारा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कुछ अन्य विधायक शेख के समर्थन में भाजपा विधायकों से भिड़ गए। दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई।
हंगामे के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में हंगामा और हाथापाई के बाद सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। सदन स्थगित होने के बाद भी भाजपा सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा। जिसके बाद मार्शलों ने आर एस पठानिया सहित कई भाजपा विधायकों को सदन से बाहर निकाला। जिसके बाद सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
370 के बहाली के प्रस्ताव बीजेपी ने क्या कहा
अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है। वहीं, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पार्टी जम्मू और कश्मीर के अंदर पाकिस्तान के एजेंडे को चला रही है। 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है।
वहीद पारा ने पेश किया प्रस्ताव, पर खारिज
अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव ने तीखी बहस की शुरुआत सोमवार को विधानसभा के उद्घाटन सत्र से ही हो गई थी। पुलवामा का प्रतिनिधित्व करने वाले पीडीपी नेता वहीद पारा ने शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य के दर्जे को बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया। यह कदम 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ उनकी पार्टी के रुख के अनुरूप था।
उमर अब्दुल्ला ने किया खारिज
हालांकि, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रस्ताव को 'प्रतीकात्मक' बताते हुए खारिज कर दिया, यह सुझाव देते हुए कि इसे वास्तविक इरादे से नहीं बल्कि जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि अगर इस मुद्दे को लेकर गंभीरता थी, तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के परामर्श से प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था।
Nov 07 2024, 14:47