अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस, भारत के लिए कौन होगा बेहतर?
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अमेरिका में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए पांच नवंबर को वोटिंग होगी। जिसके लिए कुठ ही घंटे बचे हुए हैं।मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप के बीच है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव का विश्व राजनीति और विभिन्न देशों के साथ उसके संबंधों पर गहरा असर पड़ता है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। अमेरिका और भारत के संबंध मजबूत रहे हैं लेकिन राष्ट्रपति पद पर इस बार किसका कब्जा होता है, इससे इन संबंधों की दिशा बदल सकती है। एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप हैं जो भारत के साथ दोस्ताना संबंधों के पक्षधर हैं और उनकी पीएम मोदी के साथ दोस्ती जगजाहिर है। तो वहीं दूसरी तरफ कमला हैरिस हैं जिनके भारतीय मूल की वजह से भारत के लोग उन्हें ज्यादा करीबी मानते हैं।
हाल के सालों में भारत-अमेरिका के रिश्तों रहे सकारात्मक
अमेरिका के चुनाव नतीजों का भारत समेत पूरी दुनिया पर असर पड़ता है। भारत के लिहाज़ से भी कई चीज़ें हमेशा इस बात पर टिकी होती हैं कि अमेरिका का भारत के लिए रुख़ कैसा है? भारत और अमेरिका के रिश्तों का इतिहास हाल के वर्षों में काफी सकारात्मक रहा है। चाहे डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल हो या वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन का, भारत के साथ संबंध लगातार मजबूत बने रहे हैं। अब अगर चुनाव के बाद व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी होती है तो पीएम मोदी के साथ मजबूत व्यक्तिगत संबंधों का लाभ दोनों देशों को मिल सकता है। अमेरिका और भारत समेत दुनिया के सामने सबसे बड़ा चुनौती चीन से है। इस मोर्चे पर, ट्रंप और बाइडन दोनों की नीतियां चीन को लेकर सख्त और यथार्थवादी रही हैं। लोगों का मानना है कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनती हैं, तो बाइडन की वर्तमान विदेश नीति जारी रह सकती है।
भारत के लिए रिपब्लिकन प्रशासन बेहतर रहा
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों की मानें तो भारत के लिए नीतिगत स्तर पर रिपब्लिकन प्रशासन बेहतर साबित होता आया है। जितने भी बड़े इतिहास बनाने वाले समझौते हुए हैं, वो रिपब्लिकन प्रशासन के दौरान हुए हैं, लेकिन इस बार के उम्मीदवारों की बात करें, तो डोनाल्ड ट्रंप का पीएम मोदी के साथ रिश्ता अपनी जगह है। ट्रंप की व्यापार नीति में संरक्षणवाद इतना हावी है कि इससे भारत के लिए अपनी अपेक्षाओं को पूरा करना मुश्किल हो सकता है। भारत को अब अपना माल जितनी जल्दी हो सके, जितना ज़्यादा हो सके विदेशों में बेचना है उसी से भारत उन्नति कर सकता है। तो उसके रास्ते में ट्रंप का प्रशासन आता है तो बहुत बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है।
आप्रवासन नीति में भी ट्रंप की सख्ती हो सकती है चुनौती
आप्रवासन नीति में भी ट्रंप की सख्ती भारत के हितों को चुनौती देती है। वे खुद को एक ऐसे नेता के रूप में पेश करते हैं जिनसे अन्य देश डरते हैं, लेकिन उनकी अनिश्चितता के कारण भरोसे का मुद्दा भी उठता है।
भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप होगा कम
वहीं, नई दिल्ली स्थित विदेश नीति थिंक टैंक, नेटस्ट्रैट के वरिष्ठ रिसर्च फेलो डॉ. राज कुमार शर्मा की भी राय है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने का मतलब भारत के आंतरिक मामलों में बहुत कम हस्तक्षेप होगा। स्पुतनिक इंडिया से बात करते हुए शर्मा ने कहा, ट्रंप को भारत के आंतरिक मुद्दों जैसे मानवाधिकार की स्थिति और देश में लोकतंत्र की स्थिति की बहुत कम परवाह है। इसकी तुलना में, वर्तमान बाइडन प्रशासन ने भारत में घरेलू मुद्दों के बारे में कुछ हालिया टिप्पणियां की हैं, जो भारत के साथ कभी भी अच्छी नहीं रहीं।
टैरिफ के मुद्दे पर खड़ी कर सकते हैं परेशानी
टैरिफ के मुद्दे पर भी ट्रंप का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। ट्रंप पहले भी टैरिफ के मुद्दे पर भारत की आलोचना कर चुके हैं। इसमें संदेह नहीं है कि अगर ट्रंप जीतते हैं, तो वह बड़ी संख्या में बहुत भारी टैरिफ लगाने का प्रयास करेंगे। वह किस हद तक सफल होंगे यह कांग्रेस के समर्थन पर निर्भर करेगा। राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, ट्रंप ने भारतीय इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क भी बढ़ाया।
कश्मीर को लेकर मुखर रही हैं हैरिस
वहीं, कमला हैरिस की बात करें तो वो आधी भारतीय हैं। उनकी मां तमिलनाडु से थीं और पिता जमैका से थे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हैरिस को भारतीय परंपराओं और भारतीय विश्वदृष्टिकोण की बहुत ज्यादा समझ है। कई मुद्दों पर उनके पिछले बयानों और रुख को देखते हुए, कोई यह नहीं कह सकता कि वह वास्तव में भारत समर्थक हैं। भारत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, तो हैरिस ने कहा, “हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अगर स्थिति की मांग हो तो हस्तक्षेप करने की जरूरत है।'' उन्होंने इशारों-इशारों में यहां तक कह दिया कि अमेरिका, भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने पर विचार कर सकता है।
नुक्ताचीनी की रही है डेमोक्रेट्स की नीतियां
जानकारों का ये भी मानना है कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनती हैं, तो बाइडन की वर्तमान विदेश नीति जारी रह सकती है। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि जब भारत और भारतीय मामलों की बात आती है तो वह हमेशा बाइडन प्रशासन की नीति पर चलती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वर्तमान बाइडन प्रशासन ने भारत में घरेलू मुद्दों के बारे में कुछ टिप्पणियां की हैं - विशेष रूप से मानवाधिकार की स्थिति और लोकतंत्र की स्थिति जैसे विषयों पर। उदाहरण के लिए, बाइडन प्रशासन ने मोदी सरकार पर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव करने का आरोप लगाया है, पिछले जून में वाशिंगटन की अपनी राजकीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इस आरोप का खंडन किया था। लेकिन अभी यह अनिश्चित है कि हैरिस इस नीति का पालन करेंगी या नहीं।
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