कार्तिक आमावश्या पर काली मंदिर में होती है विशेष पूजा- आराधना,तंत्र विद्या प्राप्ति हेतू की जाती है कामना
रामगढ : उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थल झारखंड के रामगढ़ जिला के अंतर्गत रजरप्पा मंदिर में मां छिन्नमस्तिके देवी की पूजा-अर्चना की जाती है. यह मंदिर देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थल के रूप में जाना जाता है. विशेष कर कार्तिक अमावस्या के दिन इस मंदिर का महत्व बहुत अद्भुत माना जाता है. काली पूजा के दिन यहां रात भर मां छिन्नमस्तिके देवी की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन यहां तंत्र मंत्र सिद्धि का विशेष महत्व होता है. जिस कारण साल भर में सिर्फ एक दिन रात भर यह मंदिर खुला रहता है. जहां तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्ति को लेकर विभिन्न हवन कुंडों में तांत्रिक, साधक और श्रद्धालु रात भर हवन, पाठ और जपतप कर यज्ञ करते है. जिससे यहां तांत्रिकों, साधक, हज़ारों की संख्या में देश के विभिन्न कोना से श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है. मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना और हवन करने की कामना की जाती है, सिद्धि प्राप्त कर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. आमावस्य काली पूजा की रात यहां झारखंड के अलावे बिहार, पश्विम बंगाल, ओड़िसा, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश,असम सहित देश भर के विभिन्न राज्यों से पहुंचते है. रजरप्पा में साक्षात विराजमान है शक्तिपीठ देवी मां छिन्नमस्तिके दामोदर-भैरवी संगम स्थल पर शक्तिपीठ देवी मां छिन्नमस्तिके साक्षात विराजमान है. मां छिन्नमस्तिके देवी का जो स्वरूप है, उसमें एक कमल पुष्प पर कामदेव-क्रिया में लीन है. इसके ऊपर मां छिन्नमस्तिके मुंडमाला युक्त खड़ी है. उन्होंने स्वयं के खड़ग से अपना शीश काट लिया हैं उनके एक हाथ में रक्तरंजित खड़ग व दूसरे हाथ में कटा मस्तक, गर्दन से तीन धाराएं निकलती है. इसकी एक धारा स्वयं के शीश के मुंह में तथा दो धाराएं उनके दोनों ओर खड़ी हुई योगनियों के मुंह में प्रविष्ट हो रही है. इसी स्वरूप के कारण मां छिन्नमस्तिके देवी की नाम से जानी जाती है.दिन जितनी चहल-पहल, रात उतनी ही रहस्यमय काली पूजा की रात तांत्रिक और साधक दामोदर - भैरवी संगम स्थल के किनारे और मंदिर प्रक्षेत्र के एकांतवास में भी तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्त करते है. मंदिर प्रक्षेत्र में दिन में जितनी चहल-पहल रहती है. रात उतनी है रहस्यमय होती है. दिन में कई अनजाने चेहरे नजर आते है, तो रात्रि में घने जंगलों के बीच उठती आग की लपटें और धुआं जंगलों और कलकल करती नदियों के बीच से आती अनसुनी आवाजें सुन कर लोगों की रोंगटे खड़े हो जाते है. दस महाविद्या में मां काली का है पहला स्थान रजरप्पा मंदिर के वरिष्ठ पुजारी असीम पंडा ने बताया कि दस महाविद्या में मां काली का पहला स्थान और मां छिन्नमस्तिके देवी का चौथा स्थान है. जिस कारण कार्तिक अमावस्या पर तंत्र मंत्र की देवी महामाया मां काली की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन पूजा-अर्चना करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. तंत्र सिद्धि प्राप्ति के लिए सुप्रसिद्ध जगह है रजरप्पा मंदिर वरिष्ठ पुजारी अजय पंडा ने कहा कि असम के कामाख्या मंदिर के बाद रजरप्पा मंदिर तंत्र साधना के लिए सबसे उपयुक्त मंदिर है. इस दिन निशा रात्रि में पूजा का महत्व काफी बढ़ जाता है. मां छिन्नमस्तिके और मां काली की पूजा-अर्चना करने से लोगों को सुख, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मंदिर न्यास समिति के सचिव शुभाशीष पंडा ने बताया कि काली पूजा को लेकर मंदिर का रंग-रोगन शुरु कर दिया गया है. मंदिर को फूलों और रंग विरंगी आकर्षक विद्युत सज्जा से सजाया गया है . काली पूजा के दिन अहले सुबह से लेकर रात भर मां की पूजा-अर्चना की जायेगी. पुजारी रितेश पंडा ने बताया कि काली पूजा में रजरप्पा मंदिर का वातावरण भक्तिमय हो जाता है. यहां मां छिन्नमस्तिके देवी की पूजा-अर्चना कर विशेष श्रृंगार किया जाता है. रात भर भक्तों के बीच भोग और महाप्रसाद का वितरण किया जाता है. पुजारी लोकेश पंडा ने कहा कि मां छिन्नमस्तिके देवी की पूजा से भक्तों के सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
Oct 27 2024, 20:26