महिला डॉक्टर की हत्या और रेप केस में अनशन पर बैठे डॉक्टर की हालत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ हत्या और रेप के बाद शुरू हुआ धरना प्रदर्शन अभी तक चल रहा है. पीड़िता को इंसाफ दिलाने को लेकर शुरू हुआ आंदोलन अब आमरण अनशन में बदल गया है. जूनियर डॉक्टर अपनी दस सूत्रीय मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं. धरना पर बैठे एक जूनियर डॉक्टर की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें गुरुवार रात अस्पताल में भर्ती कराया गया.

डॉक्टर की पहचान अनिकेत महतो के रूप में हुई है, जो शनिवार शाम से आमरण अनशन पर बैठे डॉक्टरों में से एक हैं. घटना की जानकारी देते हुए सीनियर डॉक्टर सुवर्ण गोस्वामी ने कहा, अनिकेत महतो की तबीयत बिगड़ गई है. उन्हें आरजी कर अस्पताल ले जाया गया और आईसीयू में भर्ती किया गया है.

दो महीने से चल रहा आंदोलन

महतो और अन्य डॉक्टर पिछले दो महीनों से पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. महतो के साथ मौजूद एक अन्य आंदोलनकारी डॉक्टर ने कहा कि उनकी बीपी सामान्य से कम दर पर चल रही है और उनके अन्य स्वास्थ्य मानक भी सामान्य नहीं हैं.

इस घटना के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने चार स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की एक टीम को एस्प्लेनेड क्षेत्र में उस स्थल पर भेजा है, जहां चिकित्सक अनशन पर बैठे हैं ताकि पिछले पांच दिनों से भूख हड़ताल कर रहे सात चिकित्सकों की स्वास्थ्य स्थिति का आकलन किया जा सके.

डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा

महिला डॉक्टर को इंसाफ की मांग को लेकर धरने पर बैठे जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के सीनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देने का ऐलान किया है. बुधवार को आरजी कर अस्पताल के 100 से ज्यादा सीनियर डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा दे दिया.

धीरे-धीरे यह अभियान राज्य के अन्य जिलों तक फैल रहा है. बुधवार को ही नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के 50 सीनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है. राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी ऐसी ही खबरें चल रही हैं. प्रदेश में स्थित सियालदह के एनआरएस मेडिकल कॉलेज, मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज सहित अन्य मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने अपनी मांगें नहीं माने जाने पर सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी है.

मुस्लिम कलाकारों द्वारा बनाया गया केदारनाथ पंडाल: हिंदू-मुस्लिम एकता की अद्वितीय मिसाल

बिहार के बेगूसराय जिले की तंत्र-मंत्र नगरी कही जाने वाली बखरी क्षेत्र इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. बखरी में स्थित मां दुर्गा का मंदिर आस्था के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मंदिर को केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर सजाया गया है. साथ ही इसकी सजावट करने वाले करने वाले सभी कलाकार मुस्लिम है. मुस्लिम कलाकारों के द्वारा इस मंदिर की सजावट करना चर्चा का केंद्र बन गया है.

बखरी में स्थित दुर्गा मंदिर के प्रति लोगों की बहुत ज्यादा आस्था है. मंदिर कितना पुराना है, इस बात की कोई प्रमाणिकता नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर का इतिहास करीब 600 साल पुराना है. लोगों का ऐसा मानना है कि राजा भोज एवं परमार वंश के राजाओं ने इम मंदिर निर्माण करवाया था. उसी दौर से इस मंदिर में पूजा अर्चना की जा रही है. मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं का कहना है कि इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना सदैव पूरी होती है.

अष्टमी में आती है लाखों की भीड़

बखरी के दुर्गा मंदिर में नवरात्रि की अष्टमी को बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा सहित नेपाल के भक्त दर्शन के लिए आते है. स्थानीय लोगों का मानना है कि जिस जगह आज मंदिर है उस जगह कभी कमला नदी की धारा बहती थी. राजा भोज ने इस मंदिर की स्थापना कमला नदी की धारा को मोड़कर की थी. मंदिर के निर्माण के बाद राजा ने मंदिर में कई मूर्तियां स्थापित की थी, लेकिन आपसी लड़ाई के बाद अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई थी

मुस्लिम कलाकारों ने किया तैयार

स्थानीय लोगों का मानना है कि मूर्ति चोरी हो जाने के बाद देवी मां ने एक स्थानीय पुजारी को सपना देकर मिट्टी की मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना करने के लिए कहा था. वैसे तो रोजाना मंदिर में पूजा करने वालों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि में लाखों की संख्या में भक्त दुर्गा मंदिर पहुंचकर दुर्गा मां के दर्शन करते है. इस बार मंदिर को केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर सजाया गया है, जिसे देखने के लिए लाखों की भीड़ उमड़ रही है. केदारनाथ की तर्ज इसको मुस्लिम कलाकारों ने तैयार किया है.

भाईचारे की मिसाल

देशभर में हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लोग के दिलों में मतभेद पाले हुए है, लेकिन मुस्लिम कलाकारों के द्वारा मंदिर की सजावट करना आपसी भाईचारे की बहुत बड़ी मिसाल है.

दिल्ली में विकास को बढ़ावा: विधायक फंड 10 करोड़ से बढ़ाकर 15 करोड़ किया गया

दिल्ली में सरकार ने विधायकों के अपने इलाके में विकास करने करने के लिए फंड की राशि बढ़ाने का फैसला किया है. गुरुवार को आतिशी सरकार की कैबिनेट बैठक हुई और फैसला लिया गया कि MLA डेवलपमेंट फंड सालाना 10 करोड़ से बढ़ाकर 15 करोड़ कर दिया जाए.

बैठक के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कान्फ्रेंस कर जानकारी देते हुए कहा कि गुरुवार को कैबिनेट की मीटिंग में विधायक फंड से जुड़ा फैसला हुआ है. दिल्ली में विधायक फंड को 10 करोड़ प्रति वर्ष से बढ़ाकर 15 करोड़ प्रति वर्ष कर दिया है. देश में किसी भी राज्य में सबसे ज्यादा विधायक फंड दिल्ली में है.

उन्होंने कहा कि यह राशि अन्य राज्यों की तुलना में तीन गुना अधिक है. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार शहर के लोगों की बेहतरी के लिए काम कर रही है, चाहे वे झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे हों या बंगलों में. दिल्ली विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में होने हैं.

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में इस बार बहुत बारिश हुई थी. सड़कें फुटपाथ और सीवर की समस्या दिखी थी। विधायक मुझसे UD मंत्री के तौर पर मिल रहे थे कि विधायक फंड बढ़ाया जाए। दोनों दलों के विधायक ने ये मांग की थी।

राजस्व घाटे के BJP के आरोपों पर तंज

मंत्री ने कहा कि BJP 22 राज्यों में एक राज्य बता दें कि किसी एक राज्य में हो मुनाफे में सरकार चला रहे हैं. जैसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने 10 साल में चलाई है.

हरियाणा को लेकर पार्टी हित ऊपर रखने के राहुल गांधी के बयान पर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि राहुल गांधी अपनी पार्टी के नेताओं से कुछ भी कहें तो ये उनकी पार्टी का विषय है. उसमें हमारा कोई लेना देना नहीं है.

मुख्यमंत्री आवास सील करने पर कही ये बात

CM आवास सील किए जाने पर CM आतिशी ने कहा कि बंगला बीजेपी को मुबारक. हम सड़क से सरकार चला लेंगे.आतिशी ने कहा कि BJP इसलिए परेशान है, वो हमें चुनाव में तो नहीं हरा पाते हैं. उनकी सरकार नहीं बनती है. विधायक खरीदने की कोशिश करते हैं तब भी नहीं होता है. अगर बीजेपी को CM आवास पर कब्जा करके शांति मिलती है तो मिलने दो. हम बंगले के लिए राजनीति में नहीं आए हैं. अगर जरूरत पड़ी तो सड़क पर रहकर सरकार चला लेंगे.

AAP नेता सौरभ भारद्वाज का बड़ा बयान: कांग्रेस नेतृत्व ने हमारे उम्मीदवारों के लिए प्रचार नहीं किया

हरियाणा विधानसभा के नतीजों के बाद कांग्रेस की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. राज्य में हार के बाद अब उसे अपने सहयोगियों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें आम आदमी पार्टी सबसे अधिक मुखर है. हरियाणा के चुनाव में आप चाहती थी कि राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन हो लेकिन कांग्रेस ने मना कर दिया, जिसके कारण आप राज्य में अपना खाता नहीं खोल सकी. इसको लेकर पार्टी नाराज दिख रही है और उसके नेताओं के बयान लगातार आ रहे हैं.

बुधवार को पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कर ने कहा था कि दिल्ली में विधानसभा के चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा. आज दिल्ली के मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमने लोकसभा में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया. हमारे शीर्ष नेता अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार भी किया लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने हमारे उम्मीदवारों के लिए प्रचार नहीं किया जिसके कारण हम एक भी सीट नहीं जीत पाए.

भारद्वाज ने कहा कि हमने कई बार उनसे अपील की कि वे चुनाव प्रचार करें, लेकिन उनके नेताओं का कहना था कि अजय माकन कहेंगे तो प्रचार करेंगे लेकिन अंतिम तक माकन ने प्रचार के लिए नहीं कहा जिसका नतीजा सब के सामने है.

हरियाणा में जिद के कारण हार

हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस की हार पर आप मंत्री ने कहा कि अगर चुनाव गठबंधन में लड़ा गया होता तो नतीजे कुछ और होते. लेकिन कांग्रेस ने अपनी जिद के चलते गठबंधन नहीं किया. हरियाणा में गठबंधन न होने पर कहा कि हम वहां मात्र कुछ सीट मांग रहे थे और समाजवादी पार्टी तो केवल एक सीट मांग रही थी, लेकिन कांग्रेस इसके लिए भी राजी नहीं हुई.

अहीरवाल क्षेत्र में बीजेपी की जीत का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने यहां एक सीट अखिलेश यादव को दे दी होती तो वहां यादव समाज में एक अच्छा संदेश जाता, जिससे इंडिया गठबंधन को फायदा होता.

सहयोगियों को दबाना चाहती है कांग्रेस

कांग्रेस पर अलायंस पार्टनरों को उचित सम्मान न देने का आरोप लगाते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन बनने के बाद जब सभी ने सीट बंटवारे पर चर्चा को कहा तब कांग्रेस ने देरी की. उसे लगा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत के बाद वह सहयोगियों से सीटों के मामले में अच्छी मोलभाव की स्थिति में होगी लेकिन हुआ इसके उलट कांग्रेस चुनाव हार गई.

कांग्रेस पर लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में देरी का आरोप लगाते हुए कहा गया कि इसके कारण चुनाव प्रचार के लिए समय नहीं मिल पाया, जिसके चलते सभी पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ा. इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियां चाहती थीं कि सीटों का बंटवारा हो लेकिन कांग्रेस के कारण यह प्रक्रिया देर से हुई. दिल्ली में गठबंधन के सवाल पर कहा गया कि दिल्ली का तो पता नहीं लेकिन हम राष्ट्रीय स्तर पर चाहते हैं कि इंडिया गठबंधन जारी रहे.

मुख्यमंत्री आतिशी घर के सोफे से चला रहीं सरकार, आवास सील होने के बाद भी नहीं रुकी

दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार और केंद्र सरकार के बीच घमासान तेज हो गया है. मुख्यमंत्री आतिशी के सीएम आवास खाली कराए जाने पर AAP ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि नवरात्रि में एक महिला मुख्यमंत्री का जो सामान उनके घर से फिंकवाया वो भी देख लो और दिल्ली की जनता के लिए उनका समर्पण भी देख लो. वहीं सीएमओ की ओर से कहा गया कि बीजेपी के इशारे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास को जबरन खाली कराया गया है.

आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सीएम आतिशी की कुछ तस्वीरों को शेयर करते हुए कहा, “देख लो भाजपाइयों! तुमने एक चुनी हुई सीएम से उसका दिल्ली की जनता द्वारा दिया हुआ घर तो छीन लिया, लेकिन दिल्ली की जनता के लिए काम करने के जज्बे को कैसे छीनोगे?”

CMO-LG ऑफिस के बीच नई तकरार

उन्होंने आगे कहा, “तुमने नवरात्रि में एक महिला सीएम का जो घर का सामान उनके घर से फिंकवाया वो भी देख लो और दिल्ली की जनता के लिए उनका समर्पण भी देख लो.” साथ में उन्होंने महा अष्टमी की शुभकामनाएं भी दी. संजय सिंह की पोस्ट की गई तस्वीरों में दिख रहा है कि सीएम आतिशी सोफे पर बैठी हैं और किसी फाइल पर दस्तखत कर रही हैं. उनके सामने कार्डबोर्ड के कई डिब्बे रखे हुए हैं जिसमें मुख्यमंत्री का सामान बताया जा रहा है.

इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की ओर से कल बुधवार को जारी बयान में आरोप लगाया गया कि सिविल लाइंस में 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के इशारे पर जबरन खाली कराया गया, क्योंकि एलजी वीके सक्सेना इसे बीजेपी के ही एक नेता को आवंटित करना चाहते हैं.

सीएमओ की ओर से लगाए गए इस आरोप के बाद AAP सरकार और LG ऑफिस के बीच टकराव तेज हो गया है. दोनों के बीच इस टकराव ने एक और मंच तैयार कर दिया है.

यह बंगला CM का आधिकारिक आवास नहीं’

इससे पहले एलजी ऑफिस के सूत्रों ने यह दावा किया कि 6, फ्लैगस्टाफ रोड बंगला मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास नहीं है. साथ ही इसे अब तक मुख्यमंत्री आतिशी को आवंटित नहीं किया गया है. आतिशी ने बिना आवंटन के ही अपना सामान वहां रख दिया था और बाद में खुद ही उसे वहां से हटवा लिया.

इस बंगले का मालिकाना हक लोक निर्माण विभाग (PWD) के पास है. बंगला खाली होने की सूरत में वह बंगले पर कब्जा कर लेता है. इस बंगले का आवंटन वहां रखे सामान की लिस्ट बनाने के बाद ही किया जाता है. LG ऑफिस के सूत्रों का कहना है कि AAP को चिंतित नहीं होना चाहिए. लिस्ट तैयार करने के बाद यह बंगला तुरंत सीएम आतिशी को आवंटित कर दिया जाएगा.

3 दिन पहले सामान के साथ पहुंची थीं आतिशी

इससे पहले अरविंद केजरीवाल की जगह मुख्यमंत्री बनीं आतिशी 3 दिन पहले सोमवार को अपने सामान के साथ उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में स्थित बंगले में आ गईं. यह बंगला 9 साल से अधिक समय तक अरविंद केजरीवाल के पास था, जिन्होंने सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद इसे खाली कर दिया था.

RSS के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रतन टाटा के निधन पर शोक जताते हुए कही ये बात

टाटा समूह के मानद चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर है. पीएम नरेंद्र मोदी समेत देश की दिग्गज हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने भी रतन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि भारत की विकास यात्रा में रतन टाटा का योगदान चिरस्मरणीय रहेगा और उन्होंने उद्योग जगत में कई स्टैंडर्ड भी स्थापित किए.

मोहन भागवत ने अपने बयान में कहा, “देश के सुप्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का निधन सभी देशवासियों के लिए अत्यंत दुःखद है. उनके निधन से देश ने एक अपना अमूल्य रत्न को खो दिया है. भारत की विकास यात्रा में उनका योगदान चिरस्मरणीय रहेगा.” उन्होंने यह भी कहा कि रतन टाट ने उद्योग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कई नई और प्रभावी पहल के साथ ही ढेरों श्रेष्ठ मानकों को स्थापित किया.

अपने काम से वह प्रेरणादायी रहेः भागवत

रतन टाटा के योगदान को याद करते हुए संघ प्रमुख भागवत ने कहा, “समाज के हितों के अनुकूल हर तरह के कामों में उनका निरंतर सहयोग और सहभागिता बनी रही. देश की एकात्मता और सुरक्षा की बात हो या विकास के कोई पहलू हो या फिर अपने यहां कार्यरत कर्मचारियों के हित का मामला हो रतन टाटा अपने विशिष्ट सोच और काम से प्रेरणादायी बने रहे. अनेक ऊचांइयों को छू लेने के बाद भी उनकी सहजता और विनम्रता की शैली हमारे लिए हमेशा अनुकरणीय रहेगी.” उन्होंने कहा कि उनकी पावन स्मृतियों को विनम्र अभिवादन करते हुए हम भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित करते हैं.

वयोवृद्ध उद्योगपति रतन टाटा का कल बुधवार देर रात मुंबई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह 86 साल के थे. पद्म विभूषण रतन टाटा का दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रात साढ़े 11 बजे निधन हो गया.

अंतिम संस्कार में शामिल होंगे अमित शाह

रतन का पार्थिव शरीर आज गुरुवार को सुबह 10 बजे से साढ़े तीन बजे तक दक्षिण मुंबई में नरीमन प्वाइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा.

इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज गुरुवार को रतन टाटा के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे. सूत्रों की ओर से बताया गया कि भारत सरकार की ओर से अमित शाह रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. अमित शाह उद्योगपति के अंतिम संस्कार के लिए इसलिए मुंबई जाएंगे क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल होने लाओस के लिए रवाना हो रहे हैं.

महाराष्ट्र में आज राजकीय शोक

दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार ने रतन टाटा के निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आज राज्य में एक दिन के शोक की घोषणा की. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हवाले से मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने अपने एक बयान में कहा कि महाराष्ट्र में सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्र ध्वज गुरुवार (10 अक्टूबर) को शोक के प्रतीक के रूप में आधा झुका रहेगा. आज कोई मनोरंजन कार्यक्रम नहीं होगा.

रतन टाटा को भारत रत्न देने की मांग: शिवसेना नेता राहुल कनाल ने सीएम एकनाथ शिंदे को लिखा पत्र

शिवसेना शिंदे गुट के नेता और सीएम के करीबी राहुल कनाल ने रतन टाटा को भारत रत्न देने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा कि राज्य सरकार भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के लिए रतन टाटा का नाम प्रस्तावित करे. यह स्वीकृति ही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी

बुधवार रात रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया. मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. आज यानी गुरुवार को शाम 4 बजे मुंबई के वर्ली इलाके में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स हॉल में रखा जाएगा. सुबह 10 बजे दोपहर 3.30 बजे तक लोग उनके पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन कर सकेंगे.

रतन टाटा देश का अभिमान- एकनाथ शिंदे

रतन टाटा के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौर गई है. महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने भी उनके निधन पर शोक जताया है. सीएम शिंदे ने रतन टाटा को देश का अभिमान बताया है. रतन टाटा के निधन पर सीएम शिंदे ने राज्य में एक दिन के शोक की घोषणा की है.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, दिग्गज उद्योगपति, पद्म विभूषण रतन टाटा के सम्मान में आज महाराष्ट्र में एक दिन का शोक मनाया जाएगा. रतन टाटा को श्रद्धांजलि के तौर पर यह राजकीय अंत्येष्टि होगी. इस दौरान राज्य में सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे और कोई भी मनोरंजन या मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा. राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाओस दौरा: आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में लेंगे भाग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लाओस के दो दिवसीय दौरे पर रवाना हो गए हैं.

पीएम मोदी की यह यात्रा खासतौर पर लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्से सिफांडोन के निमंत्रण पर हो रही है. विदेश मंत्रालय के सचिव जयदीप मजूमदार ने इस बात पर जोर दिया कि भारत एशिया से जुड़े सभी नेटवर्क को बहुत अहमियत देता है और यह मीटिंग आसियान रिश्तों के भविष्य की दिशा तय करेगी.

बुधवार को पीएम मोदी की लाओस यात्रा पर एक स्पेशल ब्रीफिंग देते हुए मजूमदार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए लाओ पीडीआर में वियनतियन की यात्रा करेंगे. यह यात्रा 10 और 11 अक्टूबर को होगी. हम आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री की दसवीं मौजूदगी का बहुत सम्मान करते हैं.

शिखर सम्मेलन का महत्व

इस बैठक के महत्व पर जोर देते हुए मजूमदार ने कहा कि इस विशेष शिखर सम्मेलन का महत्व यह होगा कि यह पीएम की एक्ट ईस्ट पॉलिसी की दसवीं वर्षगांठ है. पीएम, आसियान देशों की सरकारों के बाकी हेड्स के साथ समीक्षा करेंगे. भारत और आसियान के बीच रिश्ते आगे बढ़ रहे हैं और वह हमारे रिश्तों को भविष्य में मजबूत करेगा.

द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद

मजूमदार ने आगे कहा कि दोनों शिखर सम्मेलनों से अलग प्रधानमंत्री मोदी के द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है. पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की ओर बढ़ते हुए, जिसमें 10 आसियान देश और आठ पार्टनर जिनमें ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, न्यूजीलैंड, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं. तिमोर-लेस्ते भी समीक्षक के तौर पर पार्टनर होंगे.

2005 से अस्तित्व में नेटवर्क

यह नेटवर्क 2005 से अस्तित्व में है और इसका उद्देश्य क्षेत्र में रणनीतिक विश्वास को कायम करना, शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है. मजूमदार ने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री ने इंडो-पैसिफिक महासागर पहल की घोषणा की. हम इस पर आसियान देशों के साथ मिलकर काम करते हैं, जो तीन आसियान देश इंडोनेशिया, थाईलैंड और सिंगापुर और तीन पूर्वी एशिया पार्टनर अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया और जापान IPOI में हमारे पार्टनर हैं.

बिहार की नालंदा यूनिवर्सिटी

मजूमदार ने यह भी कहा कि बिहार की नालंदा यूनिवर्सिटी का पुनरुद्धार भी पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की पहल है, जिस पर उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार भी एक पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की पहल है. प्रधानमंत्री ने हाल ही में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैमरे का उद्घाटन किया है.

रतन टाटा का जानवरों के प्रति प्रेम: जानें कैसे उन्होंने अपने डॉगी के लिए शाही परिवार का न्यौता ठुकराया

दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन से हर कोई दुख में है. अपनी सादगी के लिए फेमस रतन टाटा को जानवरों से बहुत ज्यादा प्यार था. वो खुद को डॉग लवर मानते थे. उनके दो बेहद अजीज पालतु कुत्ते थे टीटो (जर्मन शेफर्ड) और टैंगो (गोल्डन रिट्रीवर). वो हमेशा उनके साथ ही रहते थे. रतन टाटा ने तो एक बार अपने डॉगी के बीमार पड़ने पर ब्रिटिश का शाही न्यौता तक ठुकरा दिया था. यही नहीं, रतन टाटा ने आवारा जानवरों के लिए वो सब किया है, जिसे जानकर आपका भी यही कहेंगे कि इनके जैसा महान इंसान शायद ही कोई हो.

रतन टाटा ने कुछ समय पहले एक इंटरव्यू में बताया था कि डॉग्स के लिए उनका प्यार हमेशा गहरा रहा है और जब तक वह जीवित हैं तब तक ये सिलसिला जारी रहेगा. उन्होंने कहा था- मैं कुत्तों से बहुत प्यार करता हूं. जब तक जिंदा हूं उनके लिए मेरा प्यार हमेशा ऐसे ही रहेगा.

ठुकराया था शाही परिवार का सम्मान

मशहूर बिजनेसमैन और अभिनेता सुहेल सेठ ने एक इंटरव्यू में बताया- रतन टाटा ने मुझे बताया था कि उनके पालतु डॉगी टैंगो और टीटो में से एक बहुत बीमार पड़ गया था. उस वक्त उन्हें ब्रिटिश शाही परिवार से न्योता मिला था. रतन टाटा को तब वहां सम्मानित करने के लिए बकिंघम पैलेस बुलाया गया था. रतन टाटा वहां जाने ही वाले थे कि पता चला उनका एक डॉगी बीमार पड़ गया है. बस फिर क्या था. रतन टाटा ने ब्रिटेन जाने से साफ इनकार कर दिया. कहा था कि ऐसे समय में मैं अपने डॉगी को अकेला नहीं छोड़ सकता.

जानवरों के लिए अस्पताल खोला

टाटा समूह के जानवरों से लगाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने स्ट्रीट डॉग्स के लिए भोजन, पानी, खिलौने और खेलने का स्थान उपलब्ध कराया है. उन्होंने विभिन्न पशु कल्याण संगठनों, जैसे कि पीपल फॉर एनिमल्स, बॉम्बे एसपीसीए और एनिमल राहत को भी अपना समर्थन दिया. उनका मकसद सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा को दर्शाना था. कुछ दिन पहले ही रतन टाटा ने जानवरों के इलाज के लिए एक छोटा सा अस्पताल भी खोला. इसे टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल नाम दिया गया है. टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल का निर्माण 165 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और यह पांच मंजिला है.

रतन टाटा का एनडी तिवारी को सम्मान: 25 मिनट तक हाथ थामे रहे, एक यादगार पल

किस्सा देहरादून का है. साल था 2010-11. उत्तराखंड सरकार ने मशहूर उद्योगपति रहे रतन टाटा को सम्मानित करने का निर्णय लिया. रमेश पोखरियाल निशंक राज्य के मुख्यमंत्री थे. इस प्रोग्राम का सरकारी स्तर खूब प्रचार भी किया गया और तय तिथि पर रतन टाटा देहरादून आए.

सभागार खचाखच भरा हुआ था. शहर ही नहीं राज्य के अनेक महत्वपूर्ण लोग बुलाए गए थे. नेता, अफसर, समाजसेवी, एक से एक चुने हुए लोगों को सरकार ने बुला रखा था. अगली पंक्ति में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के सीएम रहे पंडित नारायण दत्त तिवारी भी बैठे थे. मंच पर सरकार ने उनके लिए जगह नहीं बनाई थी. सीएम निशंक ने रतन टाटा का स्वागत एयरपोर्ट पर किया और वे एक ही गाड़ी में बैठकर सभागार तक पहुंचे. तत्कालीन राज्यपाल मारग्रेट अल्वा ने रतन टाटा का सभागार के मुख्य द्वार पर स्वागत किया.

रतन टाटा, मारग्रेट अल्वा और निशंक एक साथ सभागार में पहुंचे. ये लोग जैसे ही सभागार में पहुंचे और धीरे-धीरे मंच की ओर आगे बढ़े, सभागार तालियों से गूंज उठा. सब लोग खड़े होकर उस महान विभूति का स्वागत कर रहे थे. इसमें नारायण दत्त तिवारी भी थे. मंच पर पहुंचने से पहले रतन टाटा की नजर अगली ही पंक्ति में बैठे तिवारी पर पड़ी तो वे रुक गए. उन्होंने तिवारी का दोनों हाथ अपने हाथों में लिया और करीब 20-25 मिनट तक दोनों ही लोग खड़े-खड़े बात करते रहे.

कैमरे तब तक उन्हीं पर फोकस किए हुए थे. सीएम निशंक, गवर्नर अल्वा भी चाहकर भी मंच पर नहीं जा पा रहे थे. दोनों ही लोग रतन टाटा के साथ ही खड़े रहे.

खड़े रह गए राज्यपाल और मुख्यमंत्री

प्रोग्राम तय समय से देर हो रहा था. आगे का शेड्यूल बिगड़ने की संभावना को देखते हुए सीएम ने टाटा से मंच की ओर बढ़ने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने लगभग अनसुना कर दिया और तिवारी से बातचीत में मशगूल रहे. चूंकि टाटा, तिवारी, निशंक और मारग्रेट अल्वा खड़े रहे तो सभागार में मौजूद ज्यादातर लोग भी खड़े ही रहे. अगली सुबह यह खबर अखबारों की सुर्खियां बनी.

प्रोटोकॉल तोड़कर रिश्तों को दी तवज्जो

एनडी तिवारी कांग्रेस सरकार में उद्योग, वित्त समेत अनेक मंत्रालयों में लंबे समय तक कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके थे. उत्तर प्रदेश के सीएम के रूप में भी उनका प्रभाव था ही. 20-25 मिनट की इस मुलाकात में दोनों ही हस्तियों के रिश्तों में गर्माहट की जानकारी साफ-साफ देखी गयी. यह तब और महत्वपूर्ण हो जाता है, जब एनडी तिवारी के पास कोई भी पद नहीं था. वे अनेक विवादों से गुजर रहे थे.

आंध्र प्रदेश के गवर्नर के रूप में उन पर आरोप लगे तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. फिर उनकी पत्नी और बेटे को लेकर भी मामला कोर्ट में चल रहा था. इसके बावजूद रतन टाटा का प्रोटोकाल तोड़कर इतना समय खड़े रहना और उनसे बातचीत में खो जाने को रिश्ते में प्रगाढ़ता का पक्का सुबूत माना जा सकता है.

विपक्ष ने भी माना योगदान

उत्तराखंड के सीएम बनने पर उन्होंने अपने पुराने रिश्तों का इस्तेमाल करके राज्य में उद्योगों की शुरुआत करवाई. आज उद्योग से जुड़ी जितनी भी बड़ी इकाइयां इस राज्य में हैं, उसमें तिवारी के योगदान को विपक्षी भी मानते हैं. उनके पहले और बाद में जितने भी सीएम हुए किसी का देश में वह प्रभाव नहीं रहा है, जो तिवारी का था. आज जब रतन टाटा ने दुनिया को अलविदा कहा तो बरबस यह आँखों देखी मुझे भी याद आ गई क्योंकि मैं तिवारी के साथ ही बैठा था.

इस मौके पर रतन टाटा ने अपने भाषण में भी एनडी तिवारी को भरपूर सम्मान दिया. खुले मंच से उन्होंने सरकारी लाल फ़ीताशाही को विकास में सबसे बड़ा रोड़ा कहा. करप्शन से जुड़े कुछ किस्से भी सुनाए. इस तरह मंच से लेकर मंच के नीचे तक बिना किसी पद पर रहे एनडी तिवारी ने महफ़िल लूट ली और लोग उनके बारे में कई दिन तक चर्चा करते रहे.

अगर टाटा केवल मिलते और मंच पर चले जाते तो शायद वह घटना रेखांकित नहीं हो पाती लेकिन 20-25 मिनट तक हाथ में हाथ पकड़ना रिश्तों की मजबूती का स्पष्ट उदाहरण था. और यह भी कि दोनों ही लोग एक-दूसरे का समुचित सम्मान भी करते देखे गए. आज इस तरह के रिश्तों में गिरावट देखी जा रही है. टाटा का एनडी तिवारी के प्रति उठाया गया कदम उनके बड़प्पन, सदाशयी, विनम्र होने का पक्का सुबूत था.