दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल का नया घर मिला, अशोक मित्तल के घर में रहेंगे पूर्व सीएम

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नया ठिकाना मिल गया है. कल यानी शुक्रवार को वो सीएम आवास खाली करेंगे. वह आम आदमी पार्टी के सांसद अशोक मित्तल के घर में रहेंगे. अशोक मित्तल का घर नई दिल्ली विधानसभा में है. सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल अगले एक से दो दिन में अपने नए घर में शिफ्ट हो जाएंगे.

आम आदमी पार्टी के नेताओं, पार्षदों, विधायकों और सांसदों ने केजरीवाल को अपना घर देने की पेशकश की थी. पूरी दिल्ली से जनता ने पूर्व सीएम को अपना घर देने की पेशकश की थी. 17 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपना सरकारी आवास और सभी सुविधाएं छोड़ने का ऐलान कर दिया था.

CM बनने के 10 साल बाद भी दिल्ली में अपना घर नहीं’

दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद ही केजरीवाल ने नए घर की तलाश तेज कर दी थी. आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया था कि पितृ पक्ष के खत्म होने और नवरात्र शुरू होने के बाद केजरीवाल वाल सीएम आवास छोड़ देंगे. वहीं, पिछले दिनों जंतर मंतर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा था कि सीएम बनने के 10 साल बाद भी उनके पास दिल्ली में अपना कोई घर नहीं है. इन 10 साल में मैंने आपके प्यार और आशीर्वाद के अलावा कुछ नहीं कमाया है

17 सितंबर को केजरीवाल ने दिया था CM पद से इस्तीफा

आम आदमी पार्टी (AAP) ने पत्र लिखकर केंद्र सरकार से उन्हें सरकारी आवास अलॉट करने की मांग की थी लेकिन इसको लेकर सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. केजरीवाल 2015 से सिविल लाइंस के फ्लैगस्टाफ रोड स्थित आवास में रह रहे थे, जब वह दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आए थे. इस्तीफा देने से दो दिन पहले केजरीवाल ने कहा था कि दो दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा दे दूंगा. सीएम की कुर्सी पर तब तक नहीं बैठूंगा, जब तक दिल्ली की जनता दोबारा चुनकर ईमानदारी का सर्टिफिकेट नहीं दे देती.

इलाहाबाद हाईकोर्ट भर्ती 2024: 3306 पदों पर आवेदन कल से शुरू, कक्षा 6 से लेकर 12वीं पास तक करें अप्लाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के जिला न्यायालयों में यूपी सिविल कोर्ट स्टाफ सेंट्रलाइज्ड भर्ती 2024-25 के तहत ग्रुप सी और डी के विभिन्न पदों पर भर्तियों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके लिए एप्लीकेशन प्रोसेस 4 अक्टूबर से शुरू होगा. अभ्यर्थी हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट allahabadhighcourt.in के जरिए 24 अक्टूबर तक आवेदन कर सकते हैं. आवेदन ऑनलाइन मोड में ही करना होगा.

इस भर्ती प्रक्रिया के जरिए कुल 3306 पदों को भरा जाना है. इन पदों में स्टेनोग्राफर ग्रेड 3 के 583 पद, जूनियर असिस्टेंट के 1054, ड्राइवर के 30 और ट्यूबवेल ऑपरेटर कम इलेक्ट्रीशियन/ स्वीपर के कुल 1639 पद शामिल हैं.

ये होनी चाहिए आवेदन की योग्यता

स्टेनोग्राफर पदों के लिए आवेदन करने वाले कैंडिडेट का ग्रेजुएशन पास होने के साथ स्टेनोग्राफर में डिप्लोमा होना चाहिए. वहीं जूनियर असिस्टेंट के लिए 12वीं पास के साथ CCC सर्टिफिकेट होना चाहिए. ड्राइवर और ट्यूबवेल ऑपरेटर कम इलेक्ट्रीशियन पदों के लिए 10वीं पास होना चाहिए. स्वीपर पदों के लिए कैंडिडेट का क्लास 6 पास होना अनिवार्य है. सभी पदों के लिए अभ्यर्थी की उम्र 18 वर्ष से 40 वर्ष क बीच होनी चाहिए. उम्र की गणना 1 जुलाई 2024

एप्लीकेशन फीस

स्टेनोग्राफर पदों के लिए सामान्य और ओबीसी कैटेगरी के लिए अभ्यर्थी को 950 रुपए एप्लीकेशन फीस और बैंक शुल्क जमा करना होगा. वहीं एससी/एसटी वर्ग को 750 रुपए आवेदन शुल्क के साथ बैंक शुल्क देना होगा. सभी पदों के लिए आवेदन शुल्क अलग-अलग हैं. अधिक जानकारी के लिए अभ्यर्थी जारी भर्ती विज्ञापन को चेक कर सकते हैं.

ऐसे करें अप्लाई

हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट allahabadhighcourt.in पर जाएं.

होम पेज पर नीचे दिए गए Recruitment टैब पर क्लिक करें.

अब नोटिफिकेशन को पढ़े और नियमानुसार आवेदन करें.

कैसे होगा चयन?

इन सभी पदों पर चयन लिखित परीक्षा के जरिए किया जाएगा. एग्जाम ओएमआर शीट पर होगा. इसके बाद हिंदी/अंग्रेजी कंप्यूटर टाइप टेस्ट, हिंदी/अंग्रेजी स्टेनोग्राफी टेस्ट और तकनीकी ड्राइविंग टेस्ट होगा.

मणिपुर में हिंसा का तांडव: दो युवकों के अपहरण के बाद प्रदर्शनकारियों ने किया सड़कों पर प्रदर्शन, महिलाएं भी शामिल

मणिपुर पिछले एक साल से हिंसा की आग में जल रहा है. इस बीच राज्य में दो युवकों के अपहरण के विरोध में मैतेई समूह की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने बंद का आह्वान किया, जिसके चलते बुधवार को इंफाल घाटी के पांच जिलों में सामान्य जनजीवन पर काफी प्रभावित हुआ. इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर, काकचिंग और थौबल जिलों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को अवरूद्ध किया जिसकी वजह से दुकानें और अन्य संस्थान बंद रहे

प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर जलाए टायर

पुलिस के मुताबिक इस प्रदर्शन में भारी तादाद में महिलाएं भी शामिल हुईं, जिन्होंने थौबल में मेला मैदान, वांगजिंग, यैरीपोक और खांगबोक में एनएच 102 को जाम कर दिया. इस दौरान महिलाओं ने सड़क पर प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की, वहीं युवाओं ने गाड़ियों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़को टायर जलाए. जेएसी के संयोजक का कहना है कि जब तक अपहरण किए गए दोनों युवक रिहा नहीं हो जाते तब तक ये विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

परीक्षा में शामिल होने जा रहे थे युवक

दरअसल थौबल जिले में पिछले हफ्ते तीन युवकों का कंगपोकपी में अपहरण कर लिया गया था. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि तीनों युवकों को हथियारबंद कुकी उग्रवादियों ने उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वो शनिवार दोपहर इंफाल पश्चिम जिले के न्यू कीथेलमानबी में भर्ती परीक्षा में शामिल होने जा रहे थे. हालांकि सेना ने तलाशी अभियान के दौरान रविवार को एक युवक निंगोमबाम जॉनसन सिंह को बचा लिया, लेकिन दो अन्य युवक – ओइनम थोइथोई सिंह और थोकचोम थोइथोइबा सिंह अभी भी उग्रवादियों के कब्जे में हैं.

कांग्रेस ने कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल

वहीं कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने इस मुद्दे को लेकर सूबे की सरकार पर निशाना साधा है. प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के मेघचंद्र का कहना है कि युवकों का अपहरण राज्य में कानून व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि हाल ही में सूबे की मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और विधायकों के साथ एक संयुक्त बैठक के दौरान उन्होंने सीएम से संवैधानिक प्रावधानों और देश के कानूनों को लागू करने की गुजारिश की थी. पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि दोनों युवकों को बचाने के लिए उन्होंने सीएम से गृह मंत्री अमित शाह से सहायता मांगने का भी आग्रह किया है.

टीवी स्क्रीन की सुरक्षा,फोन की तरह टीवी में भी लगा सकते है स्क्रीन गार्ड, जाने

घर में छोटे बच्चे हैं तो ये टीवी स्क्रीन प्रोटेक्टर आपके काम की चीज है. अगर आप भारी नुकसान से बचना चाहते हैं तो टीवी की सेफ्टी का इंतजाम पहले से ही कर के रखें. इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ेगा. जैसे आप अपने स्मार्टफोन पर स्क्रीन गार्ड लगवाते हैं उसी तरह टीवी की स्क्रीन पर स्क्रीन ग्लास/गार्ड/प्रोटेक्टर लग जाता है.

इससे आपके टीवी पर स्क्रैच नहीं पड़ते हैं और इसके ऊपर से डस्ट साफ करने में भी आसानी होती है. आप घर बैठे स्क्रीन प्रोटेक्टर ऑर्डर कर सकते हैं अमेजन-फ्लिपकार्ट या दूसरे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ये आपको डिस्काउंट पर सस्ते में मिल जाएंगे. सबसे अच्छी बात ये है कि ये आपको घर बैठे डिलीवर हो जाएंगे.

JBM MART स्क्रीन प्रोटेक्टर

ये स्क्रीन प्रोटेक्टर आपको लगभग हर साइज के टीवी के लिए मिल जाएगा. इसेमं आपको 32 इंच के टीवी से लेकर 75 इंच के टीवी स्क्रीन की प्रोटेक्शन के लिए स्क्रीन प्रोटेक्टर मिल जाएगा. इस आप ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन से 58 प्रतिशत डिस्काउंट के साथ केवल 5,397 रुपये में खरीद सकते हैं. ये क्रिस्टल क्लीयर ट्रांसपेरेंट ग्लास है इसे लगाने से विजिबिलिटी और कलर में कोई फर्क नहीं आता है, आपको जैसे स्क्रीन दिखती थी वैसे ही दिखेगी. इसे बस आपको नॉर्मली इसके साथ आई क्लिप्स के साथ कनेक्ट करना होता है.

ULTRAMAC टीवी स्क्रीन गार्ड

स्क्रीन गार्ड LED/LCD/3D/PLASMA TV सब को सपोर्ट करता है. ये फाइबर ग्लास गार्ड है और कंपनी के दावे के मुताबिक, ये नोन ब्रेकेबल होता है. कंपनी इस पर आपको एक साल की वारंटी भी ऑफर कर रही है. इसमें भी आपको लगभग सभी साइज मिल रहे हैं- e-13 से लेकर 75 इंच की टीवी स्क्रीन को प्रोटेक्ट करने का ऑप्शन मिलता है. आप अपने टीवी के साइज के हिसाब से स्क्रीन गार्ड ऑर्डर करें.

PROMART 55 Inch LED TV Screen Protector

प्रोमार्ट टीवी स्क्रीन प्रोटेक्टर आपको 55 प्रतिशत डिस्काउंट के साथ 5,938 रुपये में मिल रहा है. अगर आप एक साथ पूरे पैसे नहीं दे सकते हैं तो प्लेटफॉर्म आपको नो कॉस्ट ईएमआई का ऑप्शन भी ऑफर कर रहा है. इसके अलावा अगर आप स्क्रीन प्रोटेक्टर को और भी सस्ते में खरीदना चाहते हैं तो सलेक्टेड बैंक क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर 4 हजार रुपये तक का डिस्काउंट हासिल कर सकते हैं.

राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी को दिया जवाब, कहा-अग्निवीर या सैनिकों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे

हरियाणा में अग्निवीरों का मुद्दा काफी बड़ा माना जा रहा है. यही कारण है कि वोटिंग से पहले बीजेपी लगातार अपनी अग्निपथ योजना को समझाने की कोशिश कर रही है. चुनावी रैलियों में इसपर भाजपा ने इस मुद्दे पर जमकर बोला. गांधी जयंती पर इसी मुद्दे को उठाते हुए राजनाथ सिंह ने एक्स पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोला.

उन्होंने लिखा कि कांग्रेस नेता अग्निवीर पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मैं लोगों को यकीन दिलाना चाहता हूं कि अग्निवीर या सैनिक के साथ किसी भी तरीके का अन्याय नहीं होने दिया जायेगा. इतना ही नहीं उन्होंने अग्निवीर पर समझाते हुए लिखा कि भारतीय सेना में नए और जोशीले जवानों की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी. अमेरिका, ब्रिटेन जैसे इन सभी देशों में आर्मी फोर्सेज में शॉर्ट टर्म यानी थोड़े समय के लिए सैनिकों की भर्ती के लिए अलग-अलग प्रोविजन है.

सहमति के बाद हुआ अग्निवीर पर फैसला

राजनाथ सिंह ने आगे लिखा कि भारत में सेनाओं के सभी विंग की सहमति के बाद ये अग्निपथ स्कीम शुरू की गई है. कांग्रेस नेता देशभर में झूठ फैला रहे हैं कि अग्निवीरों को सेवा से हटने के बाद आमदनी के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा. उन्होंने कहा जबकि सच्चाई ये है कि हर अग्निवीर को चार साल के इंगेजमेंट पीरियड के बाद एक वन टाइम सेवा निधि पैकेज भी दिया जाता है जो लगभग 12 लाख के आस-पास है और ये पूरी तरह से इंकम टैक्स फ्री होती है.

इसके साथ ही राजनाथ ने बताया कि कैसे 25 परसेंट के आधार पर उनका चयन होगा. और बाकी बचें अग्निवीरों के लिए हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, असम, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, अरूणाचल प्रदेश, गुजरात और गोवा जैसी कई राज्य सरकारों ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा.

कांग्रेस नेता फैला रहे झूठ- राजनाथ सिंह

कांग्रेस के नेताओं ने पूरे देश में एक बड़ा झूठ बोला है कि सेनाओं में सेवा के दौरान यदि अग्निवीर की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को कुछ नहीं मिलता. खड़ा झूठ बोलने का इससे बड़ा उदाहरण मैंने अपने जीवन में नहीं देखा है. यदि किसी अग्निवीर की एक्टिव मिलेट्री सर्विस में दुर्भाग्य से मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को डेढ़ करोड़ रूपये से ज्यादा रूपए दिये जाने का प्रावधान है.

अग्निवीरों पर दुष्प्रचार कर रही कांग्रेस- राजनाथ

वहीं राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने अग्निवीर योजना को लेकर जिस तरीके से दुष्प्रचार किया है उसे देखते हुए मैं समझता हूं कि यदि आज हिटलर के जमाने का दुष्प्रचार मंत्री गोएबल्स भी होता तो वह भी शरमा जाता. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गांधी जयंती के दिन हर हरियाणावासी और साथ-साथ भारतवासी को मैं भरोसा देता हूं कि किसी भी अग्निवीर या सैनिक के साथ किसी भी तरीके का अन्याय नहीं होने दिया जायेगा.

एक ही परिवार के चार लोगों के शव मिलने से मचा हड़कंप,पुलिस को मिली सुसाइड नोट

महाराष्ट्र के नागपुर जिले में एक ही परिवार के चार लोगों के शव मिलने से हड़कंप मच गया. एक घर में दंपति और उनके दो बेटे अपने घर में मृत पाए गए. पुलिस को आत्महत्या करने का संदेह है. पड़ोसियों ने जब घर में सन्नाटा पसरा देखा तो पुलिस को सूचना दी थी. मौके पर पहुंची पुलिस ने घर का दरवाजा तोड़ा तो सभी के शव फंदे से लटक रहे थे. वहीं मौके से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है.

नागपुर में हुई इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. पुलिस ने बताया कि मृतकों की पहचान 68 वर्षीय विजय मधुकर पचोरी, 55 वर्षीया मामा, जोकि मधुकर पचोरी की पत्नी थीं और उनके बेटे गणेश और दीपक के रुप में हुई है.

पड़ोसियों ने पुलिस को दी सूचना

घर में सन्नाटा पसरा देख पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी थी. पुलिस ने पहुंचकर घर का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने पर दरवाजे को तोड़ दिया. दरवाजा तोड़ जैसे ही घर के अंदर घुसे तो देखा कि परिवार के चारों लोगों के शव फंदे से लटक रहे थे. पुलिस ने सभी शवों को नीचे उतरवाने के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला है. जिससे ये साफ है कि परिवार के सभी लोगों ने एक मामले में बड़े बेटे के जेल जाने की वजह से आत्महत्या कर ली है.

तनाव में था परिवार

नागपुर ग्रामीण पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि घर में मिले सुसाइड नोट से पता चला है कि धोखाधड़ी के एक मामले में बेटे की गिरफ्तारी के कारण परिवार तनाव में था. पुलिस अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि घर का दरवाजा तोड़ा गया तो परिवार के सभी सदस्य फंदे से लटके हुए पाए गए. जिनकी पहचान की गई है.

पुलिस को मिला सुसाइड नोट

अधिकारियों ने बताया कि मौके से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है. सुसाइड नोट पर परिवार के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस ने आकस्मिक मौत का मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है. उन्होंने बताया कि वहां बरामद एक सुसाइड नोट से पता चलता है कि इस वर्ष की शुरुआत में मध्य प्रदेश के पंढुरना पुलिस थाने में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में बड़े बेटे की गिरफ्तारी के कारण परिवार बहुत तनाव में था.

ओंकारेश्वर की भूतड़ी अमावस्या: नर्मदा में डुबकी लगाने से दूर हो जाती हैं प्रेत-बाधाएं, पहुंचते हैं लाखों भक्त

मध्यप्रदेश की तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में हर साल भूतड़ी अमावस्या के दिन भूतों का मेला लगता है. मान्यता है कि इस दिन नर्मदा में स्नान करने से प्रेत-बाधाएं दूर हो जाती हैं. इस धार्मिक परंपरा के चलते लाखों भक्त यहां आते हैं और नर्मदा में डुबकी लगाते हैं. मान्यता है कि एक ही डुबकी से बुरी आत्माओं से छुटकारा मिल सकता है. आज भूतड़ी अमावस्या के दिन हज़ारों श्रद्धालु ओंकारेश्वर पहुंचे हैं, और देर रात तक डुबकी लगाने का सिलसिला जारी रहता है.

सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. पुलिस और प्रशासन की टीमें घाटों पर तैनात हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके. संगम घाट, नवीन घाट, नागर घाट, ब्रह्मपुरी घाट और गोमुख घाट पर भक्तों की भारी भीड़ जमा है. शाम से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो जाता है, जो देर रात तक चलता रहता है.

तांत्रिक पूजा और झाड़-फूंक का दौर

रात के समय संगम घाट पर झाड़-फूंक और तांत्रिक पूजा का सिलसिला शुरू हो जाता है. यहां वे लोग आते हैं, जो खुद को प्रेत-बाधाओं से पीड़ित मानते हैं. उन्हें नर्मदा में स्नान करवाया जाता है और तांत्रिक विधियों से इलाज किया जाता है. कई श्रद्धालु यह मानते हैं कि इन तांत्रिक विधियों से बुरी आत्माओं का साया हट जाता है.

अजब-गजब मान्यताओं का नजारा

भूतड़ी अमावस्या के मौके पर मध्यप्रदेश के विभिन्न नर्मदा घाटों पर अजीबोगरीब नजारे भी देखने को मिलते हैं. कहीं कथित भूत-प्रेत से छुटकारा पाने के लिए नदियों में स्नान किया जाता है. इस दिन को बुरी आत्माओं को भगाने का विशेष दिन माना जाता है, इसलिए मध्यप्रदेश के नर्मदा घाटों पर भूतों का मेला लगता है.

ओंकारेश्वर में सबसे बड़ा मेला

ओंकारेश्वर के अलावा बड़वाह, नर्मदापुरम, उज्जैन, सिवनी-मालवा सहित अन्य स्थानों पर भी इस दिन मेलों का आयोजन होता है, लेकिन सबसे बड़ा मेला ओंकारेश्वर में लगता है. यहां ओझा-बाबाओं का भी जमावड़ा होता है, जो लोगों को यह बताते हैं कि उनके ऊपर भूत का साया है या नहीं, और फिर इसे हटाने का दावा भी करते हैं.

पान मसाला, गुटखा खाकर सड़कों पर थूकने वालों की तस्वीर अखबार में छपे,नितिन गडकरी

2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर देशभर में स्वच्छता समारोह का आयोजन किया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आज नागपुर महानगरपालिका के स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां उन्होंने लोगों को गांधीगिरी का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि जो लोग पान मसाला, गुटखा खाकर सड़कों पर थूकते हैं, उनकी तस्वीरें लेकर अखबार में छापी जानी चाहिए.

मैं चॉकलेट खाता हूं, लेकिन रैपर घर फेंकता हूं

अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “हमारे देश के लोग बड़े चालाक हैं. चॉकलेट खाते हैं और उसका रैपर सड़कों पर फेंक देते हैं. वही व्यक्ति जब विदेश जाते हैं तो चॉकलेट का रैपर अपनी जेब में रखते हैं और वहां अच्छे व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन यहां सड़कों पर कचरा फेंक देते हैं.” गडकरी ने लोगों को समझाने के लिए खुद का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, “मैं भी आजकल चॉकलेट खाता हूँ, लेकिन चॉकलेट का रैपर घर जाकर फेंकता हूँ. पहले मुझे भी आदत थी कि गाड़ी में खाकर रैपर बाहर फेंक देता था.”

दुनिया सबसे बड़ा जन आंदोलन

देशभर में स्वच्छता अभियान के तहत कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में बच्चों के साथ झाड़ू उठाकर सफाई की. इस अवसर पर पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा और सफल जनआंदोलन बताया. उन्होंने कहा कि विकसित भारत की यात्रा में स्वच्छता का योगदान समृद्धि के मंत्र को मजबूत करेगा. पीएम मोदी ने इस अवसर पर जल संरक्षण और नदियों की सफाई के महत्व पर भी बात की. उन्होंने स्वच्छता का पर्यटन पर सकारात्मक प्रभाव बताते हुए कहा कि देशवासियों को पर्यटन स्थलों, सांस्कृतिक धरोहरों और पवित्र तीर्थ स्थलों की साफ-सफाई बनाए रखनी चाहिए.

आगे उन्होंने कहा मैं उन सभी लोगों को सलाम करता हूँ जिन्होंने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए योगदान दिया है. आज 2 अक्टूबर के दिन मैं कर्तव्यबोध से भरा हुआ हूँ और भावुक भी हूँ. स्वच्छ भारत मिशन के दस साल पूरे हो गए हैं. पीएम मोदी ने लोगों से इस कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर जुड़ने की अपील की.

जन्म के समय बच्चे का वजन क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?, जाने

आपने देखा होगा कि जन्म के समय बच्चे का वजन मांपा जाता है पर कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है. दरअसल, जन्म के समय बच्चे का वजन एक सामान्य वजन जितना होना चाहिए, उससे कम वजन के बच्चों को शारीरिक तौर पर कमजोर माना जाता है और माना जाता है कि उस बच्चे का विकास ठीक से नहीं हो पाया और उसे ज्यादा देखभाल की जरूरत है. ऐसे बच्चे काफी कमजोर होते हैं और उन्हें कई बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है.

कितना होना चाहिए सामान्य वजन

अपने पूरे समय पर हुए बच्चे का वजन जन्म के समय 2.5 किलो से अधिक होना चाहिए. जो बच्चे 10वें महीने में पैदा होते हैं उनका वजन 3 से 4 किलो तक चला जाता है वही इसके उल्ट जो बच्चे समय से पूर्व यानी कि सातवें या आठवें महीने में होते हैं उनका वजन कई बार सामान्य वजन से भी कम होता है. कई बार महिला को जुड़वा बच्चे होने की स्थिति में भी बच्चों का वजन सामान्य से कम होता है. लेकिन जन्म के समय 2.5 से 3 किलो के बच्चे को स्वस्थ माना जाता है. वही 1.5 किलो से कम के बच्चे को लो बर्थ वेट बेबी कहा जाता है.

जन्म के समय वजन कम होना खतरनाक

जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना ठीक नहीं माना जाता. कई बार किसी अंग के विकसित न होने पर और बच्चे का समय से पूर्व पैदा होने पर वजन कम होता है. ऐसे बच्चों को एक्सट्रा केयर की जरूरत होती है क्योंकि ऐसे बच्चे खुद से दूध पीने की स्थिति में भी नहीं होते. साथ ही कई बार ऐसे बच्चों को सांस लेने में भी परेशानी होती है. ऐसे में इन्हें पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट में सपोर्ट सिस्टम में रखा जाता है. जहां इन्हें मशीनों की मदद से रखा जाता है.

जॉन्डिस की शिकायत

कम वजन वाले बच्चों को सामान्य वजन वाले बच्चों के मुकाबले जॉन्डिस होने का खतरा ज्यादा रहता है. इन बच्चों का शरीर जन्म के समय पीला पड़ जाता है क्योंकि इन बच्चों में बिलीरूबिन की कमी होती है. ऐसे में इन बच्चों को फोटोथेरेपी दी जाती है. ये एक प्रकार का उपचार है जिसमें बच्चे को इनक्यूबेटर में रोशनी के नीचे लिटाया जाता है और उसकी आंखें ढक दी जाती है ताकि तेज रोशनी बच्चे की आंखों पर न पड़े. इसमें रखने के बाद बच्चे का बिलीरूबिन चेक किया जाता है वर्ना बच्चे को कई दिनों तक इस मशीन में रखना पड़ता है.

इंफेक्शन का खतरा

वैसे तो आमतौर पर सभी छोटे बच्चों को इंफेक्शन होने का खतरा होता है लेकिन जिन बच्चों का वजन सामान्य से कम होता है उनकी इम्यूनिटी बेहद कम होने के कारण उनको बार-बार इंफेक्शन होने का डर बना रहता है.

एनीमिया का खतरा

वजन कम होने की वजह से बच्चे को एनीमिया यानी कि खून की कमी की शिकायत भी हो सकती है. इसमें शरीर में आयरन की कमी हो जाती है. एनीमिया बेहद गंभीर स्थिति है ऐसे में कई बार बच्चे को खून भी चढ़ाना पड़ सकता है.

बच्चे का वजन मैंटेन कैसे करें

मां को प्रेगनेंसी के दौरान ही अपने खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए. साथ ही समय-समय पर अल्ट्रासाउंड की मदद से बच्चे का वजन मॉनीटर करते रहना चाहिए ताकि बच्चा स्वस्थ वजन के साथ पैदा हो और सेहतमंद रहे.

सिरदर्द की अनदेखी पड़ी भारी: पूर्व सैनिक को मिली जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती

इंसानी शरीर बहुत ही विचित्र होता है. हल्का-फुल्का दर्द, छोटी-मोटी बीमारी इंसान को लगी ही रहती है. इस वजह से वो लोग मामूली समस्याओं में अस्पताल नहीं जाते.

पर कई बार ये मामूली समस्याएं ही बड़ा मोड़ ले लेती हैं, जिससे लोगों को कई तरह की तकलीफें हो जाती हैं. ऐसा ही वेल्स के रहने वाले एक पूर्व सैनिक के साथ हुआ. शख्स को अचानक सिर में दर्द हुआ, तो उसे लगा कि वो मामूली दर्द है. पहली बार में डॉक्टर ने भी यही कहा कि उसे माइग्रेन हो सकता है. मगर जब उसकी दोबारा जांच हुई, तो उससे मालूम चला कि उसके पास जीने के लिए सिर्फ 12 से 18 महीने बाकी हैं.

न्यूयॉर्क पोस्ट वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार रॉयल मरीने के पूर्व सैनिक, 42 साल के जेम्स ग्रीनवुड वेल्स में अपनी 31 साल की गर्लफ्रेंड रेशियल जोन्स के साथ रहते हैं और इसी साल मई में एक दिन वो अपने बहन के पति से बातें कर रहे थे, जब अचानक उन्हें चक्कर आने लगे और सिर में दर्द होने लगा. उनकी आंखों के सामने धुंधला नजारा दिखने लगा. 5 जून को वो डॉक्टर के पास गए और जब उन्होंने अपने लक्षणों के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि या तो डिहाइड्रेशन, या फिर आंखों पर जोर पड़ने की वजह से उनके साथ ऐसा हो रहा है. उन्हें आंख का टेस्ट कराने की सलाह भी डॉक्टर ने दे डाली.

डॉक्टर ने बताया माइग्रेन

उनका ब्लड टेस्ट हुआ, ईसीजी हुआ, मगर चिंता की कोई बात नहीं निकली. पर 10 जून को जब वो मैनचेस्टर में थे, तब उनके साथ एक हैरान करने वाली घटना घटी. वो सड़क पर चल रहे थे, अचानक उनके सिर में जोरदार दर्द हुआ, उन्हें लगा कि उनके आसपास की सब चीजें रुक गईं. उसी दिन वो फौरन डॉक्टर के पास गए. डॉक्टर ने कहा कि उन्हें माइग्रेन है, पर उससे पहले उन्हें कभी माइग्रेन नहीं हुआ. उन्हें माइग्रेन की दवा दी गई और 1 हफ्ते बाद दोबारा दिखाने को कहा गया. पर 12 जून की रात उन्हें भयानक दर्द हुआ, जिसकी वजह से उन्हें इमर्जेंसी में अस्पताल में एडमिट होना पड़ा. इसके बाद उनका सीटी स्कैन हुआ, जिससे मालूम चला कि दिमाग के राइट टेंपोरल लोब में अखरोट के आकार का मास बढ़ा हुआ है जो असल में एक ब्रेन ट्यूमर था. ये जानकर वो हैरान हो गए.

शख्स के दिमाग में निकला ट्यूमर

जेम्स की ब्रेन सर्जरी हुई और 28 जून को उनका ब्रेन ट्यूमर निकाला गया. अगस्त में पता चला कि उन्हें चौथे ग्रेड का ग्लियोब्लास्टोमा है जिसे ब्रेन कैंसर का सबसे खतरनाक रूप माना जाता है. इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें 12 महीने से लेकर 18 महीने तक वक्त दिया. 6 हफ्ते के कीमोथेरापी के बाद अब जेम्स इस बात के इंताजर में हैं कि क्या उसका फायदा उन्हें हुआ या नहीं. अगर फायदा होता है तो अक्टूबर के अंत में उनकी इंटेंस कीमोथेरापी चलेगी. अब उनके कुछ दोस्त उनके ऑपरेशन के लिए पैसे जुटा रहे हैं. साथ ही जेम्स का कहना है कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि उनके साथ ऐसा कुछ हो रहा है, ये सब उन्हें सपने जैसा लग रहा है.