कोलकाता मर्डर केस: सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश, पीड़िता की पहचान की सुरक्षा,सोशल मीडिया पर नाम और फोटो शेयर करने की इजाजत नहीं
कोलकाता आरजी कर अस्पताल रेप एंड मर्डर केस में पीड़िता की पहचान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर अपने आदेश को दोहराया है. कोर्ट ने सोमवार को कहा कि इस मामले में सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म को पीड़िता का नाम और फोटो शेयर करने की इजाजत नहीं है. विकिपीडिया ही नहीं सभी प्लेटफॉर्म पर पीड़िता की तस्वीरों और वीडियो के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है. ये टिप्पणी कोर्ट ने पीड़िता के माता-पिता की उस चिंता पर जाहिर की, जिसमें उन्होंने कहा है कि सोशल मीडिया में बार-बार उसके नाम और तस्वीरों का खुलासा करने वाली क्लिप से परेशान हैं. इन्हें बनाने के लिए AI का इस्तेमाल किया जा रहा है. मामले में अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी.
सुनवाई शुरू होते ही वकील वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता के माता-पिता सोशल मीडिया में बार-बार उसके नाम और तस्वीरों का खुलासा करने वाली क्लिप से परेशान हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही आदेश पारित किया जा चुका है कि आदेश को लागू करना एजेंसियों का काम है. कोर्ट का आदेश सभी प्लेटफॉर्म पर लागू होता है. SG तुषार मेहता ने आश्वासन दिया कि ऐसे प्रकाशनों को हटाने के लिए सोशल मीडिया की निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा.
सीबीआई की जांच में मिले हैं ठोस सुराग
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की जांच में ठोस सुराग मिले हैं. रेप, हत्या और वित्तीय अनियमितताओं दोनों पहलुओं पर बयान दिए हैं. कोर्ट ने 17 सितंबर को कहा था कि वह रेप एंड मर्डर केस में सीबीआई द्वारा दाखिल रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों से परेशान है. मगर, विवरण देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी भी खुलासे से जांच खतरे में पड़ सकती है
22 अगस्त को बंगाल पुलिस को लगाई थी फटकार
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को रेप और हत्या की शिकार महिला डॉक्टर की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी पर राज्य पुलिस को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने इसे बेहद परेशान करने वाला बताया था. कोर्ट ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने को लेकर 10 सदस्यीय एनटीएफ का गठन भी किया था.
Sep 30 2024, 21:34