सिपाही बहाली पेपर लीक मामले पूर्व डीजीपी एसके सिंघल का हाथ, अहम सवाल ! ऐसे मामलों पर कैसे लगेगी रोक और कैसे सही अभ्यर्थियों को मिल पायेगी नौकरी
डेस्क : केन्द्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती), बिहार सिपाही बहाली पेपर लीक मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। अबतक पेपर लीक का मुख्य आरोपी संजीव मुखिया को माना जा रहा था, लेकिन इसमें एक ऐसा नाम सामने आया है जिसके बाद सबसे अहम सवाल यह पैदा हो जाता है कि ऐसी स्थिति में कैसे निष्पक्ष तरीके से सही अभ्यर्थियों को नौकरी मिलेगी।
दरअसल जिस अधिकारी के जिम्मे इस परीक्षा को निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने की जिम्मेवारी थी वे इस मामले में शामिल थे। इस मामले की जांच कर रही ईओयू की एसआईटी ने इस मामले में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को दोषी पाया है। ईओयू के एडीजी ने राज्य के डीजीपी को तमाम सबूतों के साथ सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ करने की अनुशंसा की है। एडीजी ने डीजीपी को इस बाबत पत्र भेजा है।
बता दें केन्द्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती), बिहार, पटना के विज्ञापन संख्या-01/2023 जिसमें 21,391 सिपाही के रिक्त पदों की बहाली होनी थी। इसके लिए एक अक्टूबर 2023 को दो पालियों में परीक्षा आयोजित की गयी थी। इसके अतिरिक्त सात अक्टूबर 2023 एवं 15 अक्टूबर 2023 को भी इस परीक्षा का अयोजन होना था।
इस परीक्षा में कुल 18 लाख अभ्यर्थियों ने फार्म भरा था, लेकिन 1 अक्टूबर 2023 को आयोजित परीक्षा की दोनों पालियों में परीक्षा प्रारम्भ होने की निर्धारित अवधि से कई घंटे पूर्व ही, परीक्षा की उत्तर कुजी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल हो गई, जिसके परिणामस्वरूप, दो अक्टूबर 2023 को उक्त परीक्षा को रद्द कर दिया गया तथा सात अक्टूबर 2023 एवं 15 अक्टूबर 2023 को आयोजित होने वाली परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया।
बाद में इस मामले जांच का जिम्मा ईओयू को सौंपा गया था। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने खुलासा किया कि संजीव मुखिया गैंग ने ही सिपाही बहाली का पेपर भी लीक करवाया था। ईओयू की टीम ने इस मामले में ब्लेसिंग सिक्योर प्रिंटिंग से जुड़े लोगों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया और काण्ड संख्या 16/2023 में 26 जून, 2024 को चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर 27 जून, 2024 को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
लेकिन अब इस मामले में ईओयू की एसआईटी ने इस मामले में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को दोषी पाया है। ईओयू के एडीजी ने राज्य के डीजीपी को तमाम सबूतों के साथ सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ करने की अनुशंसा की है। एडीजी ने डीजीपी को इस बाबत पत्र भेजा है।
विशेष जांच दल ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है। उसने पाया है कि पर्षद अध्यक्ष ने लापरवाही के अलावा नियमों एवं मानकों की अनदेखी की। उन्होंने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया, जिसकी वजह से सुनियोजित तरीके से एक संगठित आपराधिक गिरोह ने पेपर लीक किया। हालांकि, एसआईटी ने जांच में पाया कि तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक गतिविधि से संबंधित साक्ष्य नहीं मिले हैं।
जांच एजेंसी का मानना है कि सिंघल के दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के कारण परीक्षा की कड़ी (चेन ऑफ कस्टडी) की गोपनीयता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की गई है। इस कारण पेपर लीक हुआ। इसलिए इनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है।
जांच के क्रम में एसके सिंघल से ईओयू की टीम तीन से चार बार पूछताछ कर चुकी है। इस दौरान कई तथ्यों पर उन्हें दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि बहाली परीक्षा की गोपनीयता, विश्वसनीयता, अखंडता और सुरक्षा की पूरी जिम्मेवारी अध्यक्ष की थी।
सिपाही बहाली पेपर लीक मामले में ईओयू की एसआईटी की जांच में कई अहम तथ्य हाथ लगे हैं। जांच के दौरान यह पाया गया कि केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष एसके सिंघल का प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक के सरगना से साठगांठ थी। जिस कौशिक कर से उनकी करीबी है। वह पहले भी यूपीपीएससी की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक करने का मुख्य अभियुक्त है। इसका आपराधिक इतिहास रहा है।
जांच में यह भी बात सामने आई है कि कॉलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कोलकाता गेस्ट हाउस में सिंघल तीन बार रुके थे। ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस लिमिटेड के कार्यालय एवं प्रिंटिंग प्रेस के गेस्ट हाउस में रात्रि विश्राम भी किया था। यहां ये वर्क ऑर्डर, प्रश्न पत्रों के मोडरेशन एवं सिलेबस समेत अन्य कार्यों के लिए गए थे। इस संबंध में सवाल पूछने पर पूर्व डीजीपी एस.के सिंघल ने भ्रामक जानकारी दी।
कॉलटेक्स मल्टीवेंटर कंपनी एक सेल कंपनी है। इसे छापे से लेकर प्रश्न पत्र ढोने तक का ठेका दे दिया गया था। जबकि इसका कार्यालय, प्रिटिंग प्रेस या लॉजिस्टिक नहीं है। कंपनी के सभी निदेशक भी फर्जी हैं। इसके सत्यापन का दायित्व सिंघल ने नहीं निभाया। कंपनी के निदेशक के बारे में भी कोई जांच नहीं कराई।
वहीं पूछताछ में एसके सिंघल ने बताया कि इन्हें पेपर के छापने समेत अन्य गोपनीय कार्यों के आउटसोर्स करने की कोई जानकारी नहीं थी। जबकि नियमानुसार, एकरारनामा के पहले प्रेस की भौतिक स्थिति, कार्यानुभव, कार्य करने की क्षमता, लॉजिस्टिक, मशीनरी समेत अन्य जांच की पूरी जिम्मेदारी अध्यक्ष की थी।
सीए हेमंत ने बताया कि ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस कंपनी के निदेशक कौशिक के लिए वे काफी दिनों से काम करते हैं। उन्होंने ही कॉलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड नामक फर्जी कंपनी खोलने की बात कही थी। इस कंपनी का पता भी कौशिक ने व्हाट्सएप कर भेजा था।
सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने भी इनपर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि सिंघल पूरी तरह से भ्रष्टचार में लिप्त अधिकारी है। डीजीपी पद पर रहते हुए पुलिसकर्मियों के विभागीय करवाई से विभाग से संबंधित ज़िला / रेंज से अनेकों फ़ाईल अपने पास मंगवाकर से आरोपी से खुद डील करते थे। यह डील कभी पुलिस मुख्यालय में होती थी और कभी डेरा पर या वह नहीं रहे तो उनकी पत्नी भी करती थी। उसके बाद उल्टा-पुल्टा साक्ष्य के आधार का आदेश निर्गत किया जाता था। इनके ऊपर जांच होनी चाहिए और जांच पूरी होने के बाद एक्शन लिया जाना चाहिए।
इन सब के बीच सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि अबतक तो किसी भी परीक्षा के पेपर लीक मामले में माफियाओं के हाथ होने की बात सामने आती थी, लेकिन जब वह अधिकारी जिसपर परीक्षा को निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने की जिम्मेवारी होती है वही भ्रष्टाचार में लिप्त हो तो ऐसे ऐसे मामलों पर कैसे लगेगी रोक और कैसे दिन-रात एक कर नौकरी की सपना संजोए युवाओं को उनके मेहनत का फल अभ्यर्थियों को मिल पायेगा।
Sep 19 2024, 19:45