खाते में राशि होने के बाद भी बंद चीनी मिल के कर्मियों-मजदूरों के बकाये वेतन-मानदेय का नहीं हो पाया है भुगतान, विभाग और मजदूर संगठन की अपनी-अपनी
डेस्क : बिहार के बंद चीनी मिलों के पांच हजार से अधिक कर्मियों-मजदूरों के वेतन-मानदेय का भुगतान कई वर्ष बीत जाने के बाद नहीं मिल पाया है। कर्मचारी दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। किसी को आठ वर्ष तो किसी को पंद्रह वर्ष बाद भी भुगतान नहीं हो पाया है। जबकि वेतन-मानदेय की 72 करोड़ रुपये से अधिक राशि संबंधित जिलाधिकारियों के खाते में पड़ी है।
दरअसल नब्बे के दशक में सरकार ने घाटे में चल रही पंद्रह चीनी मिलों को बंद करने का निर्णय लिया था। मिलों में स्थायी, सीजनल और कैजुएल, तीन तरह के कर्मचारी काम करते थे। बाद में बंद चीनी मिलों के कर्मियों के लिए एग्जिट सेटलमेंट प्लान की घोषणा की गई। स्थायी कर्मियों को वर्ष 2008, 2015 और 2016 में सेवानिवृत्ति दी गई। इनके भुगतान का कट ऑफ 2015 तय किया गया। वहीं, सीजनल और कैजुएल कर्मचारियों को 1997 तक मानदेय भुगतान के लिए आवेदन करना था।
तीनों तरह के कर्मचारियों को मिलाकर कुल संख्या 15,541 थी। इनके बीच 294 करोड़ 68 लाख रुपये बंटना था। अब तक इनमें से 10,526 कर्मचारियों को 222 करोड़ 28 लाख रुपये दिए जा चुके हैं। शेष 5015 कर्मचारियों को 72 करोड़ 40 लाख रुपये दिया जाना है। वेतन-मानदेय की 72 करोड़ रुपये से अधिक राशि संबंधित जिलाधिकारियों के खाते में पड़ी है। लेकिन उनका भुगतान अबतक नहीं हो पाया है।
विभाग और मजदूर संगठन की अपनी-अपनी दलील
इधर बकाये बेतन-मानदेय के भुगतान नहीं होने के लेकर विभाग और मजदूर संगठन की अपनी-अपनी दलील है। गन्ना उद्योग विभाग का कहना है कि इन कर्मियों से नौ बार आवेदन मांगे जा चुके हैं। अभी अगस्त 2024 में एक बार फिर से आवेदन के लिए विज्ञापन निकाला गया है। इन मिलों के काम कर चुके कर्मियों से दावा करने को कहा गया है। बावजूद कोई दावा आवेदन नहीं आ रहा है।
वहीं, चीनी मिल मजदूरों की लड़ाई लड़ रहे अघ्नु यादव का कहना है कि अधिकारी-कर्मचारी जानबूझकर देरी कर रहे हैं। जब पूरा रिकार्ड विभाग के पास है तो आवेदन मांगने का क्या मतलब।
बहरहाल गन्ना विभाग और मजदूर संगठन के नेताओं की जो भी दलील है इसमें कौन कितना सही और गलत है यह अलग बात है। लेकिन इसका सीधा खामियाजा चीनी में काम किये कर्मचारियों और मजदूर को उठाना पड़ रहा है। उनकी अपनी मेहनत के पैसे ही उन्हें नहीं मिल पा रहे है और उन्हें दर-दर की ठोकरे खानी पड़ रही है।
Sep 12 2024, 12:47