लोजपा (आर) सुप्रीमो के बदले सुर को लेकर बीजेपी ने चली ऐसी चाल, फिर मोदी से अपना अटूट रिश्ता बताने लगे चिराग पासवान
डेस्क : लोजपा (आर) के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान का एनडीए में रहते हुए भूमिका विपक्ष जैसी हो गई थी। वे विपक्ष के कई मुद्दों पर सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे थे। कांग्रेस के नेतृत्व में बना इंडिया ब्लाक जातिगत जनगणना की मांग कर रहा है। उनके ही सुर में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी सुर मिलाने लगे। जातिगत जनगणना का समर्थन और अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने की उनकी घोषणा मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ उनका ताजा स्टैंड रहा। इससे पहले आरक्षण पर सरकार के स्टैंड के खिलाफ वे रहे। विपक्ष के भारत बंद का समर्थन किया। लैटरल एंट्री पर भी विपक्ष के सुर में सुर मिलाया। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर भी भाजपा के सहयोगी अन्य दलों से चिराग अलग अंदाज में दिखे। इतना ही नहीं लोजपा (आरवी) के राज्य युवा विंग के अध्यक्ष वेद प्रकाश पांडे ने कहा कि "चिराग एनडीए का सबसे अच्छा सीएम चेहरा है।
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चिराग पासवान सत्ता में भी बने रहना चाहते थे और पीएम मोदी और बीजेपी का विरोध भी करना चाहते थे। चिराग पासवान के इस फार्मूले ने मोदी सरकार को अनकम्फर्टेबल कर दिया था। बीजेपी असहज हो गई और चिराग पासवान पर अंदरूनी तौर पर लगाम लगाने की कोशिशें होने लगीं। ऐसे में बीजेपी ने ऐसी चाल चली कि चिराग को जो 100% स्ट्राइक का भ्रम हो गया था वह दूर हो गया और धरातल पर नजर आने लगे।
बीजेपी ने सबसे पहला चाल चिराग के धूर विरोधी उनके चाचा पारस से नजदीकी बढ़ाने के इसारे से चली। बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल अचानक से पशुपति कुमार पारस से मिलने उनके आवास पहुंच गए। जिसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।
इतना ही नहीं दिलीप जायसवाल से मुलाकात के तुरंत बाद पशुपति कुमार पारस की दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई। इसी बीच यह खबर फैलने लगी कि चिराग पासवान की पार्टी में बगावत हो सकती है और उनके पांच में से तीन सांसद पार्टी छोड़ सकते हैं। इसके साथ ही चिराग के एजुकेशन को लेकर भी सवाल उठने लगे।
आपको बता दें कि लोजपा जब दो फाड़ हुई थी उस वक्त भी लोजपा के 6 सांसद थे। जिनमे से 5 सांसद पशुपति कुमार पारस के साथ चले गए थे और पार्टी दो हिस्सों में बंट गई थी। 5 सांसदों के साथ चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस एनडीए में शामिल होकर केन्द्र में मंत्री बन गए थे और चिराग अकेले रह गए थे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रालोजपा अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस के बीच मुलाकात और चर्चाओ का बाजार गरम होने का असर लोजपा (रा) के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के खेमे में दिखने लगा।
कुछ दिन पहले तक दूसरे राज्यों में स्वतंत्र रूप से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले और बीजेपी की कई नीतियों पर अपना अलग स्टैंड होने की बात करने वाले चिराग अब तालमेल के आधार पर चुनाव लड़ने की बात करने लगे। इतना ही नहीं उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की।
अब फिर चिराग ने कहना शुरू कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका संबंध अटूट है। वे अब भी पीएम मोदी के हनुमान और कम से कम उनके प्रधानमंत्री रहने तक तो इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है।












Sep 06 2024, 18:25
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