फाइलेरिया से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने खाएं दवा-डॉ सुरेश
कुशीनगर/गोरखपुर। फाइलेरिया जिसे हाथीपांव भी कहते हैं, एक लाइलाज बीमारी है। क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी से बचाव के लिए साल में एक बार पांच साल तक लगातार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान दवा का सेवन जरूरी है।
यह दवा कुछ खाने के बाद ही स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने खानी है । दस अगस्त से दो सितम्बर तक स्वास्थ्य विभाग की दो सदस्यों की टीम घर घर जाएगी और दवा खिलाएगी। सभी लोगों से अपील है कि वह दवा का सेवन जरूर करें।
यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुरेश पटारिया ने सीएमओ कार्यालय सभागार में बुधवार को कहीं। वह स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ, पीसीआई और सीफार संस्था के प्रतिनिधिगण ने भी तकनीकी जानकारियां साझा कीं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले की करीब 37.64 लाख की आबादी को 3698 टीम दवा खिलाएंगी। यह टीम प्रत्येक सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और शुक्रवार को घर घर जाकर दवा खिलाएंगी। टीम में एक आशा कार्यकर्ता और एक पुरुष सदस्य होगा । जो लोग घर न रहने के कारण दवा का सेवन नहीं कर पाते हैं वह पुरुष सदस्य से सम्पर्क कर दवा का सेवन कर सकेंगे। आशा कार्यकर्ता का घर भी दवा के डिपो की तरह कार्य करेगा। डॉ पटारिया ने अपील की कि संचार के सभी माध्यमों से इस अभियान के बारे में व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि लोगों को यह संदेश देने की आवश्यकता है कि दवा का सेवन टीम के सामने ही करना है। दवा लेकर रखना नहीं है। टीम को ही दवा का सही डोज पता होता है, इसलिए टीम के सामने दवा का सेवन करना अधिक सुरक्षित होता है। दवा अलग अलग आयु वर्ग के अनुसार निर्धारित मात्रा में खिलाई जाती है। इसे खाली पेट नहीं खाना है।
जिला मलेरिया अधिकारी संजीव कुमार सिंह ने बताया कि एक बार फाइलेरिया हो जाने पर यह पूरी तरह से ठीक नहीं होता है। मच्छरों से बचाव के साथ साथ साल में एक बार दवा का सेवन ही इस बीमारी से बचने का सबसे श्रेष्ठ उपाय है। दवा का सेवन एक वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को करना है। एक से दो वर्ष तक के बच्चे सिर्फ पेट से कीड़े निकालने की दवा खाएंगे, जबकि दो वर्ष से अधिक उम्र के लोग दोनों दवाएं खाएंगे। यह दवा केवल गर्भवती और बिस्तर पकड़ चुके अति गंभीर बीमार लोगों को नहीं खिलाई जाती है । दवा खाने के बाद कुछ लोगों को हल्की मितली, चक्कर आना और सिरदर्द जैसे लक्षण आ सकते हैं जो स्वतः ठीक हो जाते हैं। ऐसा तब होता है जबकि संबंधित व्यक्ति के शरीर में पहले से माइक्रोफाइलेरिया मौजूद हों। यह लक्षण आना अच्छा संकेत हैं और ऐसा होना इस बात की पहचान है कि व्यक्ति का शरीर फाइलेरिया के परजीवियों से मुक्त हो रहा है।
इस मौके पर सहायक मलेरिया अधिकारी एमएन शुक्ला, नितीन नायर, विजय कुमार गिरी, पाथ से डॉ नीरज किशोर पांडेय, प्रशांत गुप्ता, राशिद खान, पीसीआई से अनुराधा, शक्ति पांडेय और डब्ल्यूएचओ से डॉ नित्यानंद व सीफार संस्था के प्रतिनिधिगण मौजूद रहे।
पर्याप्त मात्रा में है दवा
सीएमओ ने बताया कि जिले में अभियान के लिए पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध है। अभियान का पर्यवेक्षण 695 लोग करेंगे । अभियान के दौरान दोनों प्रकार की दवाओं का सेवन साथ साथ करना है। इस बीमारी का संक्रमण होने के बाद लक्षण आने में पांच से पंद्रह साल तक का समय लग जाता है, इसलिए दवा का सेवन ही सुरक्षाचक्र का निर्माण करता है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में हाथ, पैर, स्तन में सूजन और अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) शामिल है।
Aug 08 2024, 17:34