सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने रायपुर दक्षिण को दी विकास की सौगात, किया 322 लाख के विकास कार्यों का भूमिपूजन किया

रायपुर-      रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने रविवार को रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में 3 करोड़ 22 लाख रुपए से ज्यादा के विकास कार्यों का भूमिपूजन किया। बृजमोहन अग्रवाल ने मोरेश्वर राव गद्रे वार्ड संतोषी नगर में 122.11 लाख रुपए, शहिद ब्रिगेडियर उस्मान वार्ड, टिकरापारा में 62 लाख रुपए और महामाया वार्ड में 139.21 लाख रुपए के विभिन्न विकास कार्यों का भूमिपूजन किया।

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज हरेली तिहार के अवसर पर भाजपा सरकार का क्षेत्र की जनता को विकास की सौगात है। उन्होंने कहा कि, भाजपा सरकार हमेशा से ही विकास को प्राथमिकता देती है और क्षेत्र की जनता को विभिन्न विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार की योजनाओं और नीतियों का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को समृद्ध और सशक्त बनाना है। जिसके तहत स्कूल भवन, सीसी रोड निर्माण, सामुदायिक भवन आदि का भूमिपूजन किया गया है।

इस अवसर पर उपनेता नगर निगम मनोज वर्मा, पार्षद चन्द्रपाल धनगर, पार्षद सरिता वर्मा, पार्षद मृत्युंजय दुबे, मंडल अध्यक्ष सालिक सिंह ठाकुर, सुभाष तिवारी, राम कृष्ण धीवर समेत पार्टी पदाधिकारी और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

किसानों की खुशहाली और समृद्धि हमारा ध्येय: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर-   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि किसानों की खुशहाली और समृद्धि हमारी सरकार का लक्ष्य है। हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है, यहां की 80 प्रतिशत आबादी का जीवन-यापन कृषि पर निर्भर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेकर खेती-किसानी को समृद्ध बनाने का काम किया है।

मुख्यमंत्री श्री साय आज राजधानी रायपुर स्थित अपने निवास में आयोजित हरेली तिहार कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके पर प्रदेशवासियों को हरेली पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 15 साल डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में सरकार ने किसानों की बेहतरी के लिए काम किया है। किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण जैसी सुविधाएं सुलभ करायी गई। किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी की जा रही है। छत्तीसगढ़ के किसानों को प्रति क्विंटल 3100 रूपए का मूल्य मिल रहा है, जो देश में सर्वाधिक है।

मुख्यमंत्री निवास में हरेली पर्व पर रंगारंग आयोजन हुआ। पूरे परिसर को ग्रामीण परिवेश में सजाया गया था। छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति के पहले पर्व “हरेली” पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपनी धर्मपत्नि कौशल्या देवी साय के साथ गौरी-गणेश पूजा कर भगवान शिव का अभिषेक किया। मुख्यमंत्री ने कृषि कार्य में प्रयुक्त होने वाले नांगर, रापा, कुदाल व कृषि यंत्रों की विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की ख़ुशहाली एवं सुख-समृद्धि की कामना की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर कृषि विभाग द्वारा वहां लगायी गयी उन्नत कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और अनुदान पर 23 किसानों को ट्रेक्टर और हार्वेस्टर की चाबी और अन्य कृषि उपकरण प्रदान किए।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक किरण देव, मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी कौशल्या देवी साय ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय पूरी प्रतिबद्धता और सच्चे मन से प्रदेशवासियों की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं, फलस्वरूप ईश्वर का आशीर्वाद भी मिल रहा है। प्रदेश में अच्छी बारिश हो रही है। उन्होंने कहा कि बीते छह माह में श्री साय के नेतृत्व में किसानों के कल्याण के लिए बडे़ काम किए गए है, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। इस अवसर पर मंत्री टंक राम वर्मा, विधायक लता उसेंडी, मोती लाल साहू, अनुज शर्मा, संपत अग्रवाल, गजेन्द्र यादव, खुशवंत साहेब अन्य जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री निवास में राउत नाचा और गेड़ी धूम

छत्तीसगढ़ी संगीत, लोकनृत्य, पारंपरिक गड़वा बाजा, राउत नाचा, गेड़ी नृत्य, रहचुली और विभिन्न छत्तीसगढ़ी पकवानों और व्यंजनों के आनंद के साथ मुख्यमंत्री निवास में मौजूद लोग उत्साह के साथ हरेली में शामिल हुए। इस अवसर पर लोक कलाकारों ने राउत नाचा, करमा नृत्य, बस्तरिया नृत्य और गेड़ी चढ़कर नृत्य की प्रस्तुति दी। राउत नाचा के कलाकारों के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी पारंपरिक वेशभूषा धारण कर कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।

मेहमानों के लिए बना छत्तीसगढ़ी पकवान

हरेली त्यौहार के मौके पर मुख्यमंत्री निवास छत्तीसगढ़ व्यंजनों से महक उठा। हरेली तिहार में आने वाले मेहमानों के लिए खास तौर पर ठेठरी, खुरमी, पिड़िया, अनरसा, खाजा, करी लड्डू, मुठिया, गुलगुला भजिया, चीला-फरा, बरा जैसे स्वादिष्ट पकवान बनाए गए थे, जिसका मेहमानों ने लुत्फ उठाया।

छत्तीसगढ़ी पकवान से महक उठा मुख्यमंत्री निवास

रायपुर-     हरेली त्यौहार में छत्तीसगढ़ व्यंजनों से महक उठा है मुख्यमंत्री निवास। आगन्तुकों के त्योहार में स्वागत के लिए खास तौर पर ठेठरी, खुरमी, पीडिया, गुलगुला भजिया, चीला जैसे पकवान बनाए जा रहे हैं।

हरेली तिहार का आरंभ सावन महीने की अमावस्या से होता है। यह त्योहार मानसून के मौसम के आगमन का प्रतीक है, जो खेती के लिए सबसे अनुकूल समय माना जाता है। हरेली का त्यौहार का संबंध कृषि से जुड़ा है इस दिन खेतों में बोनी पूर्ण होने के बाद अच्छी फसल की आस में कृषि यंत्रों की पूजा की जाती है।

हरेली त्यौहार में स्वच्छता का भी महत्व है गांवों में विशेष सफाई और सजावट की जाती है। घरों के आंगनों और खेतों में नीम के पत्तों, आम की पत्तियों और गोबर से अल्पना बनाई जाती है, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ में हरेली का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

गांव में बच्चे त्योहारों को आनंद गेड़ी चढ़कर लेते हैं। बच्चे से लेकर बूढ़े तक गेड़ी दौड़ में शामिल होते हैं। इस दिन खेती-किसानी में सहयोग देने वाले पशुओं विशेष रूप से गाय, बैल की पूजा की भी पूजा की जाती है। घरों में इस दिन छत्तीसगढ़ी पकवान बनाए जाते हैं।

हरेली त्यौहार पर मलखंभ का रोमांचक प्रदर्शन

रायपुर-   मलखंभ के युवाओं ने आज हरेली पर्व पर मुख्यमंत्री निवास में रोमांचक प्रदर्शन कर रहे हैं। मलखंभ शारीरिक फुर्ती के साथ मनोरंजन का भी अनोखा खेल है। जब इन खिलाड़ियों ने अपना जौहर दिखाया तो लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। गौरतलब है कि नारायणपुर के मलखंभ खिलाड़ियों का लोहा पूरे देश ने माना है और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार इसे आगे बढ़ाने के लिए काफी कार्य कर रही है।

हरेली त्यौहार के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री निवास में युवा तथा बुजुर्ग समवेत रूप से राऊत नाचा में हिस्सा ले रहे हैं। दोनों ही पीढ़ियां अपनी परंपरा को बढ़ा रही हैं। राऊत नाचा के लोकगीत हमारे लोक समाज की उत्सव और मनोरंजन के प्रति उसके आकर्षण दिखाते हैं। सरकार इन लोककलाओं को बढ़ावा देकर एवं लोकगीतों को भी सहेजने का काम कर रही है।

मुख्यमंत्री ने सपरिवार हरेली तिहार में की पूजा-अर्चना, अच्छी फसल और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

रायपुर-     मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने निवास कार्यालय में आज परंपरागत रूप से छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली परिवार व आमजनों संग धूमधाम से मनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने धर्मपत्नी कौशल्या साय एवं परिजनों के साथ विधिवत रूप से तुलसी माता, नांगर, कृषि उपकरणों, गेड़ी की पूजा कर अच्छी फसल, किसानों और प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। छत्तीसगढ़ की परंपराएं और संस्कृति मुख्यमंत्री निवास में पूरी तरह से जीवंत हो उठीं। हरेली, जो कि छत्तीसगढ़ का पहला और सबसे प्रमुख त्यौहार है, इसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सपरिवार और आमजन के साथ धूमधाम से मना रहे हैं।

मुख्यमंत्री निवास को छत्तीसगढ़ी ग्रामीण परिवेश में ढालते हुए, पारंपरिक सजावट और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुरूप सजाया गया है। इस मौके पर आयोजित हो रहे छत्तीसगढ़ी संगीत, लोकनृत्य, पारंपरिक गड़वा बाजा, राउत नाचा और गेड़ी नृत्य का भी विशेष आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर परंपरागत कृषि उपकरणों के स्टॉल उपकरणों से छत्तीसगढ़ के कृषि संस्कृति जीवन्त हो उठी है।

मुख्यमंत्री ने कलाकारों का बढ़ाया उत्साह

राउत नाचा के कलाकारों के आग्रह पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ी पारंपरिक वेशभूषा धारण कर कलाकारों का उत्साह बढ़ाया, जिससे हरेली के इस महोत्सव में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने हरेली पर कृषि औजारों और गेड़ी की पूजा की, प्रदेशवासियों को हरेली तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दीं

रायपुर-  उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने आज राजधानी रायपुर स्थित अपने शासकीय निवास में कृषि औजारों और गेड़ी की पूजा कर परंपरागत रूप से हरेली त्योहार मनाया। उन्होंने पूजा-अर्चना कर अच्छी फसल और किसानों की खुशहाली व समृद्धि की कामना की। उन्होंने हरेली के मौके पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

उप मुख्यमंत्री श्री साव ने अपने निवास पर आयोजित हरेली कार्यक्रम में कलाकारों के साथ नृत्य किया। उन्होंने इस दौरान गेड़ी का भी आनंद लिया। श्री साव ने हरेली पर्व पर प्रदेश को हरा-भरा बनाने और धरती मां के श्रृंगार के लिए 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत लोगों से अपनी मां के सम्मान और स्मृति में पौधा लगाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण के संरक्षण-संवर्धन के साथ ही धरती की सुंदरता भी बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री निवास में बिखरी हरेली तिहार की छटा

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का रायपुर स्थित निवास कार्यालय में धूम-धाम से हरेली तिहार मनाया जा रहा है। निवास परिसर को बड़े ही सुन्दर ढंग से सजाया गया है। यहां मेले-मड़ई जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। पारंपरिक लोक यंत्रों के साथ सुंदर नाचा का आयोजन हो रहा है। पूरे परिसर में उत्सव का माहौल है।मुख्यमंत्री निवास में ग्रामीण परिवेश जीवंत हो उठा है। कहीं सुंदर वस्त्रों में सजे राऊत नाचा कर रहे कलाकारों की रंगत है तो कहीं आदिवासी कलाकार अपने पारंपरिक लोक नृत्य करते नजर आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ का अद्भुत ग्रामीण लैंडस्केप अपनी सम्पूर्ण सांस्कृतिक सुंदरता में यहां दिखायी दे रहा है। अलग अलग तरह की धुनों में छत्तीसगढ़ी संगीत का माधुर्य अपने चरम पर है।

मुख्यमंत्री निवास में हरेली पर्व के अवसर पर कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी भी लगायी गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इस लोक पर्व के अवसर पर छत्तीसगढ़ के किसानों को उन्नत कृषि यंत्र की सौगात भी देंगे। किसानों को कृषि यंत्रीकरण मिशन के तहत 20 ट्रैक्टर एवं एक हारर्वेस्टर का वितरण भी किया जाएगा। कृषि यंत्रीकरण मिशन के तहत राज्य के 1600 किसानों को ट्रैक्टर दिए जाने का लक्ष्य है। सीमांत, महिला, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कृषकों को ट्रैक्टर 50 प्रतिशत अनुदान पर तथा अन्य वर्ग के कृषकों को 40 प्रतिशत अनुदान पर प्रदाय किया जाएगा।

मुख्यमंत्री निवास में हरेली तिहार पर छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का अनूठा नजारा

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निवास कार्यालय में आज हरेली पर्व पर खेती-किसानी, कला-संस्कृति, खान-पान और वेशभूषा का अनूठा नजारा देखने को मिला। हरेली पर्व में शामिल लोग छत्तीसगढ़िया परिधान पहने लोक संस्कृति के रंग में सरोबार नजर आए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय एवं मंत्रीगण पारंपरिक वेशभूषा में खुमरी पहने हुए थे। छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है जहां हर एक अवसर और कार्यों के लिए विशेष प्रकार के पारंपरिक उपकरणों एवं वस्तुओं का उपयोग किया जाता रहा है। हरेली पर्व के मौके पर मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में इन्हीं पारंपरिक कृषि यंत्रों एवं परिधानों का नजारा देखने को मिला जो छत्तीसगढ़ की समृद्धि संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।

काठा - इस चित्र में सबसे बाएं दो गोलनुमा लकड़ी की संरचना दिख रही है, जिसे काठा कहा जाता है। पुराने समय में जब गांवों में धान मापन के लिए तौल कांटा-बाट का प्रचलन नही था, तब काठा से धान का मापा जाता था। सामान्यतः एक काठा में चार किलो धान आता है। काठा में ही नाप कर पहले मजदूरी के रूप में धान का भुगतान किया जाता था।

खुमरी - सिर के लिए छाया प्रदान करने के लिए बांस की पतली-पतली खपच्ची से बनी, गुलाबी रंग से रंगी और कौड़ियों से सजी घेरेदार संरचना खुमरी कहलाती है। यह प्रायः गाय चराने वाले चरवाहें अपने सिर पर धारण करते हैं। जिससे धूप और बारिश से बचाव होता है। पहले चरवाहा कमरा (रेनकोट) और खुमरी लेकर पशु चराने निकलते है। कमरा जो कि जूट के रेशे से बने ब्लैंकेट नुमा मोटा वस्त्र होता था, जो कि बारिश बचने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

कांसी की डोरी - खुमरी के बगल में डोरी का गोलनुमा गुच्छा कांसी पौधे के तने से बनी डोरी है। यह पहले चारपाई या खटिया में उपयोग होने वाले निवार के रूप में प्रयोग किया जाता है। डोरी बनाने की प्रक्रिया को डोरी आंटना कहा जाता है। बरसात के शुरुआती मौसम के बाद जब खेत के मेड़ों में कांसी पौधे उग आते है, तब उसके तने को काटकर डोरी बनाई जाती है, जो कि चारपाई बुनने के काम आती है।

झांपी - चित्र के सबसे दाएं तरफ ढक्कन युक्त लकड़ी की गोलनुमा बड़ी संरचना झाँपी कहलाती है। यह पुराने जमाने में छत्तीसगढ़ में बैग या पेटी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता था। यह खासकर विवाह के अवसर पर बारात जाने के समय दूल्हे का कपड़ा, श्रृंगार समान, पकवान आदि सामग्रियां रखने का काम आता था। यह बांस की लकड़ी से बनी मजबूत संरचना होती थी, जो कई वर्षों तक खराब या नष्ट नहीं होती है।

कलारी - बांस के डंडे के छोर पर लोहे का नुकीला हुक लगाकर कलारी बनायी जाती है। इसका उपयोग धान मिंजाई के दौरान धान को उलटने-पलटने में होता है।

स्टेट फार्मेसी काउन्सिल से कहा गायब हो गए अनुभव प्रमाण पत्र, जिम्मेदार दे रहे आग में जलाने का हवाला, RTI से खुली पोल

रायपुर-     छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउन्सिल में 4 हजार से ज्यादा पंजीयन अनुभव के आधार पर किए गए है, जिनके अनुभव प्रमाण पत्र कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। कौंसिल में हजारों अवैध पंजीयन दर्ज है। IPA के सदस्यों ने बताया एक व्यक्ति के नाम से दो पंजीयन दर्ज है। चुनाव में दो मतपत्र जारी होते रहे हैं और एक व्यक्ति के दो वोट डाले गए हैं। वहीं अनुभव प्रमाण का कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने पर एमपी कार्यालय में आग लगने का हवाला दिया जा रहा है। सूचना के अधिकार अधिनियम में इसका खुलासा हुआ है।

IPA के सचिव वर्मा ने कहा कि ऐसे फर्जी पंजीयनों को छुपाने अवैध रूप से नियम विरोधी लाइफ टाइम पंजीयन किया गया है ताकि नवीनीकरण के समय गड़बड़ी पकड़ी न जा सके। उन्होंने कहा कि फार्मेसी एक्ट में लाइफ टाइम पंजीयन का कोई प्रावधान ही नहीं है। 30 हजार पंजीयन में से लगभग 4000 पंजीयन लाइफ टाइम किया गया हैं। शासन-प्रशासन को शिकायत करने पर भी जांच एवं कार्रवाई नहीं की जा रही है।

कौंसिल के रजिस्ट्रार बदलते रहे लेकिन किसी ने कार्रवाई की हिम्मत नहीं की। पूर्व सरकार ने जांच समिति बनाई थी लेकिन जांच समिति में अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई, जिनके पास पहले ही ज़्यादा काम हैं नतीजन जांच हो नहीं सकी। फार्मेसी पंजीयन का उपयोग मुख्यतः मेडिकल स्टोर खोलने ड्रग लाइसेंस बनवाने किया जाता है।

मौत के बाद पंजीयन का दुरुपयोग

आजीवन पंजीयन नियम में कही नहीं है लेकिन पंजीयन किया गया है पंजीयन धारी सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है। उसके बाद भी उनकी पंजीयन निरस्त नहीं किया गया है और मौत के बाद उसकी पंजीयन का उपयोग जारी है।

आगजनी की घटना का हवाला देते हुए किया जा रहा गुमराह

IPA के सचिव ने बताया कि अनुभव के आधार पर पंजीयन पहले होता था, जो बंद हो गया है। अनुभव के आधार पर पंजीयन हुआ है तो अनुभव प्रमाण पत्र कहां है। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत हमने जानकारी मांगी तो कहा गया कि इन लोगों का अनुभव प्रमाण पत्र छत्तीसगढ़ में नहीं है। मौखिक तौर पर यह भी कहा गया कि MP में आग लगी थी तो जल गया है। वहां से दस्तावेज़ नहीं दिए गए है। जब MP में सूचना के अधिकार अधिनियम लगाया गया तो वहां से लिखित में बताया गया कि यहां कोई आग नहीं लगी है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

छत्तीसगढ़ स्टेट मेडिकल फ़ार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार अश्वनी गुरदेकर ने कहा अनुभव के आधार पर पहले रजिस्ट्रेशन होता था। अनुभव प्रमाण पत्र नहीं होने की जानकारी मिल रही है तो ये सही नहीं है। इसमें जांच की जाएगी। आगज़नी की घटना को लेकर कहा कि ऐसे तो कहासुनी में हमने भी सुना है कि आग लगी थी लेकिन इसका कोई प्रमाण हमारे पास नहीं है। MP में आग लगी थी या नहीं यह एक बार हम पूछेंगे फिर आगे आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई की जाएगी।

पंजीयन निरस्त किया जाएगा

छत्तीसगढ़ स्टेट फ़ार्मेसी काउंसिल के वाइस प्रेसीडेंट राहुल तिवारी का कहना है मुद्दा गम्भीर है और इस मुद्दे को काउंसिल की बैठक में उठाया गया था। लगभग छह हज़ार लोगों का लाइफ़टाइम पंजीयन कराया हुआ है, जिनकी कोई जानकारी नहीं है। अब हम इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पता लगा रहे हैं कि कितने लोग जीवित है कितने लोग नहीं है, जीवित हैं तो आगे नियमानुसार कार्रवाई होगी अगर जीवित नहीं है तो उनका पंजीयन निरस्त किया जाएगा।

कम में फायदा नहीं ज्यादा में नुकसान

बीमारियों में जो दवा खाते हैं वो फार्मासिस्ट की ओर से दी जाती है। अगर हम कम डोज लेते हैं तो बीमारी पर दवा असर नहीं करती और ज्यादा डोज लेते हैं तो कई तरह के रिएक्शन का शिकार होते हैं जान भी जा सकती है।

गाइडलाइन बनाकर तुरंत शुरू करें – डॉ राकेश गुप्ता

इस मामले में काउंसिल के सदस्य डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि फार्मेसी काउंसिल और मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट और डॉक्टरों की संख्या हमेशा भ्रम की स्थिति रही है. राज्य बनने के बाद लगातार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ही हुई है. वास्तव में प्रैक्टिस कर रहे फार्मासिस्ट और डॉक्टरों की सही संख्या का अनुमान नवीनीकरण न होने से हमेशा संदेह के दायरे में है. कभी-कभी सर्टिफिकेट की मान्यता भी संदेह के घेरे में आती रही है. नवीनीकरण होने से सही संख्या और सर्टिफिकेट में योग्यता की सत्यता प्रमाणित हो सकेगी. इसे शासन के स्तर पर गाइडलाइन बनाकर तुरंत शुरू किया जाना चाहिए.

आपत्तियों के निराकरण किए बिना अधिसूचना जारी, परिसीमन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर

बिलासपुर- बिलासपुर नगर निगम के परिसीमन के लिए जारी अधिसूचना के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि आपत्तियों का निराकरण किए बिना अधिसूचना जारी कर दी गई। इसमें कई तरह की अनियमितताएं है, इसलिए परिसीमन रद्द कर पूर्व प्रक्रिया अनुसार निगम चुनाव कराए जाएं।

बिलासपुर के पूर्व कांग्रेसी विधायक शैलेश पांडेय और कांग्रेस के चार ब्लॉक अध्यक्ष विनोद साहू, मोती थारवानी, जावेद मेमन, अरविंद शुक्ला ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। याचिका में बताया गया है कि इससे बिलासपुर शहर की जनता को परेशानी का सामना करना पड़ेगा और उनके पते बदल जाएंगे। इससे राशन कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड और अन्य आवश्यक दस्तावेज को बदलने की जरूरत पड़ेगी। यह परिसीमन बिना किसी जरूरत के किया जा रहा है।

शासन की ओर से पूरे प्रदेश में परिसीमन के लिए दिशा निर्देश जून में दिए गए। बिलासपुर में कांग्रेस कमेटी ने इसका विरोध किया, क्योंकि बिना जरूरत के परिसीमन करना उचित नहीं था। इसके बाद भी शासन ने हड़बड़ी में दावा आपत्तियों को दरकिनार कर अधिसूचना जारी कर दी। याचिका में अधिसूचना पर रोक और पूर्व के परिसीमन के आधार पर ही आगामी निगम चुनाव कराने की मांग की गई है।