क्यों सुलग उठा लद्दाख? पथराव-आगजनी के बाद लाठीचार्ज*

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लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाने की मांग तेज हो गई है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लेह में बुधवार को हिंसक प्रदर्शन हुआ। छात्रों की पुलिस और सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। छात्रों ने भाजपा ऑफिस में आग लगा दी। पुलिस पर पत्थरबाजी की, सीआरपीएफ की गाड़ी में आग लगा दी। उधर, प्रशासन ने लेह में बिना अनुमति रैली, प्रदर्शन पर बैन लगा दिया है।

राज्य का दर्जा देने की मांग

छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा और लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हो रहे बंद और बड़े प्रदर्शन के दौरान लेह में हालात तनावपूर्ण हो गए। ये छात्र पर्यावरणविद सोनम वांगुचक के समर्थन में सकड़ों पर उतरे थे। सोनम वांगचुक बीते 15 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। सोमवार को लेह में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन ने अचानक हिंसक रूप ले लिया। छात्रों और स्थानीय लोगों ने केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूर्ण बंद का आह्वान किया था, लेकिन यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन जल्द ही बेकाबू हो गया।

केंद्र सरकार के साथ प्रस्तावित वार्ता जल्द कराने की मांग

प्रदर्शन केंद्र सरकार के साथ प्रस्तावित वार्ता को जल्द कराने की मांग को लेकर किया जा रहा था। लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच अगली वार्ता 6 अक्तूबर को प्रस्तावित है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि यह वार्ता जल्द कराई जाए और ठोस फैसले लिए जाएं। इस बंद और प्रदर्शन का आह्वान लेह एपेक्स बॉडी की युवा शाखा ने तब किया जब 35 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे 15 में से दो लोगों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। भूख हड़ताल का नेतृत्व पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक कर रहे हैं, जो लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा पर आई हाईकोर्ट समिति रिपोर्ट, सच सामने आने के बाद बीजेपी हमलावर

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बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई थी। मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुआ था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस हिंसा की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले महीने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा में के दौरान हुए हमले हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए थे।हिंसा के समय राज्य की पुलिस मूकदर्शक बनी रही। जांच समिति के मुताबिक हिंसा में तृणमूल नेता शामिल रहे। विधायक के सामने ही घरों में आग लगाई गई। अब भाजपा ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर तथ्य खोज समिति की रिपोर्ट को लेकर टीएमसी सरकार और सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधा है।

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने बुधवार को कहा कि तथ्य-खोजी एसआईटी की रिपोर्ट से हिंदुओं के प्रति सरकार की क्रूरता का पता चला है। हिंसा के दौरान पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने उन पर टीएमसी नेताओं की कार्रवाई की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मुर्शिदाबाद हिंसा पर एसआईटी की रिपोर्ट ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि हिंदुओं को निशाना बनाकर हिंसा की गई थी और इसमें टीएमसी नेता शामिल थे और पुलिस का रवैया हिंसा को रोकने के बजाय टीएमसी नेताओं की कार्रवाई की अनदेखी करने वाला प्रतीत होता है।

सेक्युलरिज्म का नकाब उतर गया- सुधांशु त्रिवेदी

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल हिंसा के मुद्दे पर न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की हिंदुओं के प्रति निर्ममता साफ दिखाई दे रही है। इससे सो कॉल्ड सेक्युलरिज्म का नक़ाब ओढ़े लोगों का नकाब उतर गया है। उन्होंने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट की रिपोर्ट आने के बाद तृणमूल कांग्रेस की हिंदू विरोधी निर्ममता अपने पूरे विद्रवता के रूप में सामने है

मुर्शिदाबाद हिंसा को पहलगाम की तरह बताया

सुधांशु त्रिवेदी ने मुर्शिदाबाद हिंसा को पहलगाम की तरह बताया। उन्होंने कहा, मुर्शिदाबाद से पहलगाम तक हिंदुओं को निशाना बनाकर उनके खिलाफ हिंसा का सिलसिला साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। मुर्शिदाबाद हिंसा में जिस तरह से तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे ममता बनर्जी सरकार की हिंदुओं के प्रति क्रूरता और कट्टरपंथियों के प्रति असीम लगाव का पता चलता है।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य हमला 11 अप्रैल को हुआ था। उस समय स्थानीय पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित थी। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि धुलियान शहर में हमलों को भड़काने में एक स्थानीय पार्षद ने अहम भूमिका निभाई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि हिंसा के दौरान बेतबोना गांव में 113 घर बुरी तरह प्रभावित हुए। इसमें कहा गया कि अधिकांश लोगों ने मालदा में शरण ली थी, लेकिन बेतबोना गांव में पुलिस प्रशासन ने सभी को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, एक आदमी गांव में वापस आया और उसने देखा कि किन घरों पर हमला नहीं हुआ है और फिर बदमाशों ने आकर उन घरों में आग लगा दी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बदमाशों ने पानी का कनेक्शन काट दिया ताकि आग को पानी से न बुझाया जा सके। इसमें कहा गया है, बदमाशों ने घर के सभी कपड़ों को मिट्टी के तेल से जला दिया और घर की महिला के पास तन ढकने के लिए कपड़े नहीं थे। रिपोर्ट में हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की हत्या का जिक्र करते हुए कहा गया है, उन्होंने घर का मुख्य दरवाजा तोड़ दिया और उसके बेटे और उसके पति को ले गए और उनकी पीठ पर कुल्हाड़ी से वार किया। एक आदमी तब तक वहां इंतजार कर रहा था जब तक वे मर नहीं गए।

बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम पर पहले ही लग रहे आरोप

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सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है, जिसमें पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है।वकील विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिका पेश की, जिसके बाद याचिका को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करने की याचिका सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि वक्फ कानून के विरोध में हुई मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कोर्ट इस पर फैसला ले। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कोई आदेश नहीं दिया। बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा, क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को इसे लागू करने का आदेश भेजें? हम पर दूसरों के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी के आरोप लग रहे हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल

बता दें कि हाल ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर कार्यपालिका के काम में दखल देने का आरोप लगाया है। जिस पर खासा विवाद हो रहा है। साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाए थे और सुप्रीम कोर्ट पर सुपर संसद के रूप में काम करने का आरोप लगाया था।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाए थे, जिसमें शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को निर्देश दिया था कि अगर कोई विधेयक संसद या विधानसभा की तरफ से दोबारा पारित किया गया हो, तो तीन महीने के भीतर उसे मंजूरी दी जाए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, हम ऐसी स्थिति नहीं ला सकते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिया जाए। उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति को कोर्ट द्वारा निर्देशित किया जाएगा। राष्ट्रपति भारत की सेना की सर्वोच्च कमांडर हैं और केवल वही संविधान की रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा की शपथ लेते हैं। फिर उन्हें एक निश्चित समय में निर्णय लेने का आदेश कैसे दिया जा सकता है।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए गंभीर आरोप

वहीं इसके कुछ ही दिनों बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार है। निशिकांत दुबे ने इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था, अगर शीर्ष अदालत को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद यूसुफ पठान पर बढ़ा विवाद, क्यों नाखुश है तृणमूल?

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वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई थी। बीते दिनों हुई हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण है। भाजपा इस हिंसा के लिए लगातार सीएम ममता बनर्जी पर हमलावर है। वहीं, ममता बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के कई नेता भाजपा पर हिंसा को भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर बहरामपुर सीट से सांसद यूसुफ पठान की भी काफी आलोचना हो रही है। दरअसल, सांसद यूसुफ पठान की अनुपस्थिति ने तृणमूल के भीतर नाराजगी पैदा की है। टीएमसी के अंदर ही उनका विरोध हो रहा है।

मुर्शिदाबाद हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई है और 270 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं। वहीं यूसुफ पठान ने हिंसा के समय चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट करके लोगों के गुस्से को बढ़ा दिया है। पठान ने इंस्टाग्राम पर चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट की। उन्होंने लिखा कि आसान दोपहर अच्छी चाय और शांत वातावरण। बस पल का आनंद ले रहा हूं। उनकी इस पोस्ट से हंगामा मच गया। 42 वर्षीय क्रिकेटर से नेता बने पठान विपक्ष के निशाने पर आ गए।

बीजेपी के साथ टीएमसी में भी विरोध

बीजेपी ने मौके को भुनाते हुए सत्तारूढ़ टीएमसी पर तीखा हमला बोला। पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, टीएमसी नेताओं की शह में बंगाल जल रहा है, लेकिन टीएमसी सांसद यूसुफ पठान चाय पीते हुए व्यस्त हैं, जब हिंदू मारे जा रहे हैं। यही टीएमसी का असली चेहरा है।

इस पूरे मामले में बीजेपी जहां सवाल उठा रही है, वहीं टीएमसी के कुछ नेता सीधे पठान के विरोध में उतर आए हैं। टीएमसी नेताओं में गुस्से का आलम यह है कि एक विधायक ने पठान को अगले चुनाव में पार्टी से टिकट न देने की गुजारिश की है।

वह बाहरी हैं और राजनीति में नए हैं- अबू ताहिर

इधर, सत्तारूढ़ पार्टी ने दंगा प्रभावित इलाकों में कई शांति बैठकें की हैं। इन बैठकों में जिले के दो अन्य सांसद- मुर्शिदाबाद के सांसद अबू ताहिर खान और जंगीपुर के सांसद खलीलुर्रहमान और स्थानीय पार्टी के विधायक शामिल हुए। अबू ताहिर ने कहा कि वह (यूसुफ पठान) बाहरी हैं और राजनीति में नए हैं। उन्होंने अब तक दूर रहने का फैसला किया। लेकिन इससे लोगों को गलत संदेश जाता है। हमारे सांसद, विधायक और यहां तक कि बूथ कार्यकर्ता भी लोगों तक पहुंच रहे हैं। अबू ताहिर ने यह भी कहा कि शमशेरगंज में एक शांति बैठक थी। मैं वहां पहुंचने के लिए 100 किलोमीटर तक गया। सांसद खलीलुर्रहमान और कई टीएमसी विधायक भी वहां मौजूद थे। लेकिन वह अनुपस्थित थे। कोई यह नहीं कह सकता कि यह मेरा इलाका नहीं है और ये मेरे लोग नहीं हैं, इसलिए मैं नहीं जाऊंगा।

अगली बार पार्टी का टिकट नहीं देने की अपील

भरतपुर के टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने पठान पर हमला करते हुए कहा कि वह एक प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं, जो गुजरात में रहते हैं। उन्होंने लोगों के वोटों से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा चुनाव में हराया। यह सज्जन अब मतदाताओं के साथ खेल खेल रहे हैं। वह अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। विधायक हुमायूं कबीर ने यह भी कहा कि यूसुफ पठान को सांसद बने हुए लगभग एक साल हो गया है। अगर वह अपना व्यवहार नहीं बदलते हैं और लोगों तक पहुंचने की कोशिश नहीं करते हैं, तो मैं पार्टी के शीर्ष नेताओं से उनकी शिकायत करूंगा। मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करूंगा कि अगली बार उन्हें पार्टी का टिकट न मिले।

अधीर रंजन चौधरी को हराकर सांसद बने पठान

बता दें कि बहरमपुर, मुर्शिदाबाद जिले की तीन लोकसभा सीटों में से एक है। बाकी दो सीटें जंगीपुर और मुर्शिदाबाद भी तृणमूल कांग्रेस के पास हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के टिकट पर अपनी चुनावी शुरुआत करते हुए पठान ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पांच बार के बहरमपुर के सांसद अधीर रंजन चौधरी को 85,022 वोटों से हराकर सबको चौंका दिया था।

बंगाल हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी से भड़का भारत, अल्पसंख्यकों को लेकर दो टूक

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों भड़की हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी को लेकर विदेश मंत्रालय ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश को इस घटना पर कोई टिप्पणी करने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। साथ ही बांग्लादेश को हमारे घरेलू मसलों पर गैर-जरूरी टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, हम पश्चिम बंगाल की घटनाओं के संबंध में बांग्लादेश की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न पर भारत की चिंताओं के साथ तुलना करने का एक छिपा हुआ और कपटपूर्ण प्रयास है, जहां इस तरह के कृत्यों के अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। अनुचित टिप्पणियां करने और सद्गुणों का प्रदर्शन करने के बजाय, बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

भारत को मुस्लिमों पर दिया था ज्ञान

इससे पहले बांग्लादेश ने भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिमों को लेकर बयान दिया है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने नई दिल्ली से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था। बृहस्पतिवार को विदेश सेवा अकादमी में एक प्रेस वार्ता के दौरान आलम ने कहा, हम मुर्शिदाबाद सांप्रदायिक हिंसा में बांग्लादेश को शामिल करने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से खंडन करते हैं। आलम ने कहा कि बांग्लादेश सरकार ने मुसलमानों पर हमलों की निंदा की है, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, हम भारत और पश्चिम बंगाल सरकार से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आग्रह करते हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा में भूमिका

पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में भारत सरकार के वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के बाद इलाकों में पुलिस बल की तैनाती की गई है। अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथियों की संलिप्तता का संकेत मिला है।

“लातों के भूत बातों से नहीं, डंडे से ही मानेंगे” बंगाल हिंसा पर सीएम योगी का बयान


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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बंगाल में हो रहे दंगे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि लातों के भूत बातों से नही मानेंगे,दंगाई डंडे से ही मानेंगे। बता दें कि पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर बवाल मचा हुआ है। मुर्शिदाबाद और 24 परगना जिले में वक्फ बोर्ड के नए कानून को लेकर खूब हिंसा हुई है। घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए हैं।

वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद में जारी हिंसा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरदोई में आयोजित एक कार्यक्रम में ममता सरकार पर निशाना साधा। बंगाल हिंसा पर भी अपनी बात रखते हुए सीएम ने कहा कि आप याद करिए 2017 के पहले के उत्तर प्रदेश को। हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा होता था। इन दंगाईयों का उपचार ही डंडा है। बिना डंडे के ये मानेंगे ही नहीं। 

सीएम योगी ने आगे कहा, बंगाल जल रहा है। वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। दंगाइयों को वह शांतिदूत कहती हैं। सेक्युलरिज्म के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट दे दी गई है। पूरा मुर्शिदाबाद एक सप्ताह से जल रहा है, सरकार मौन है। इस प्रकार की अराजकता पर लगाम लगनी चाहिए।

योगी ने कहा, पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर सब चुप हैं। मुर्शिदाबाद दंगों पर कांग्रेस चुप है। समाजवादी पार्टी मौन है। वे धमकी पर धमकी दे रहे हैं। बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन किया जा रहा है। अगर उन्हें बांग्लादेश पसंद है, तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए। क्यों भारत की धरती पर बोझ बने हुए हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे कौन? खुफिया एजेंसियों के चौंकाने वाले खुलासे


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वक्‍फ संशोधन कानून लागू हो चुका है। वहीं, दूसरी ओर कानून का विरोध भी जारी है। पश्चिम बंगाल में वक्‍फ संशोधन कानून का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले और अन्य जिलों में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए। हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए। असम और त्रिपुरा में भी उग्र प्रदर्शन की खबरें आईं, मगर इन राज्यों में हालात काबू में रहा। देश के अन्य हिस्सों में भी वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन हुए, मगर बंगाल की तरह पलायन की नौबत नहीं आई।

 वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा को लेकर इंटेलिजेंस एजेंसियों को चौंकाने वाले इनपुट मिले हैं। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में फैली हिंसा का पैटर्न साल 2019 में सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों की तरह है। भारतीय जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो इस हिंसा की प्लानिंग लंबे समय से की जा रही थी। पिछले 3 महीनों से इलाके के लोग इस घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी।

बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ

सूत्रों के अनुसार, बंगाल पुलिस को इनपुट मिले हैं कि इस हिंसक प्रदर्शन में बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ है। सूत्रों ने कहा है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) जैसे समूह बांग्लादेश बॉर्डर से लगते इलाकों और सुंदरबन डेल्टा में हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। ये आतंकी संगठन ट्रेनिंग देने के साथ ही प्रोपेगेंडा भी फैला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन अशांति को बढ़ाने के लिए वैश्विक मीडिया का उपयोग कर रहे हैं और दहशत फैलाने के लिए अफ़वाह फैलाने में मदद कर रहे हैं।

विदेशों से हो रही थी फंडिंग

मुर्शिदाबाद हिंसा की प्लानिंग और पूरे खर्च का दारोमदार तुर्की के भरोसे चल रहा था, यहीं से हिंसा को लेकर पूरा फंड दिया जा रहा है। जांच एजेंसियों की मानें तो इस योजना में शामिल हर हमलावर और पत्थरबाजों को लूटपाट के लिए 500 रुपये दिए गए थे। इनकी पिछले 3 महीनों से लगातार ट्रेनिंग चल रही थी। साजिशकर्ताओं ने बंगाल को भी बांग्लादेश बनाने की योजना बनाई थी, जैसे दंगे बांग्लादेश हिंसा में देखने को मिले थे। ठीक वैसे ही यहां भी प्लान था।

सुवेंदु अधिकारी ने भी “बांग्लादेश” पर उठाई अंगुली

भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा (विस) में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे बांग्लादेशी संगठन 'अंसारुल्ला बांग्ला जमात' का हाथ बताते हुए आरोप लगाया कि बंगाल सरकार के मंत्री सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने हिंसा भड़काने का काम किया। सोमवार को विस भवन के गेट पर मीडिया से बातचीत में सुवेंदु ने कहा-'बंगाल में जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें मतदान करने से रोका जाता है। पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के कैडर की तरह काम कर रही है। स्वतंत्र व निष्पक्ष मतदान के लिए अगला विस चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत होना चाहिए। केंद्रीय निर्वाचन आयोग को इसकी सिफारिश करने पर विचार करना चाहिए।

कुणााल घोष का विवादित बयान

इस बीच टीएमसी नेता कुणाल घोष ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें कुछ इनपुट मिल रहे हैं कि इन घटनाओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों के अलावा बीएसएफ और दो-तीन राजनीतिक दल भी शामिल है।

कब शुरू हुई थी मुर्शिदाबाद में हिंसा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 10 अप्रैल से हिंसा जारी है। मुर्शिदाबाद में पहले से ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के करीब 300 जवान तैनात हैं और केंद्र ने व्यवस्था बहाल करने में मदद के लिए केंद्रीय बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात की हैं।

केंद्र सरकार के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग लगा दी, सड़कें जाम कर दीं और रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है।

मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन, अब तक 100 से ज्यादा गिरफ्तार, जानें क्यों बिगड़े हालात

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वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ पश्चिम बंगाल में बवाल मचा हुआ है। वक्फ संशोधन बिल को लेकर राज्य के कई स्थानों में प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसके कारण माहौल काफी गर्म है। शुक्रवार को मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और हुगली में विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वैन समेत कई गाड़ियां जलाई और पुलिस पर पत्थरबाजी की। सबसे ज्यादा हिंसा मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में हुई।

यह हिंसा मंगलवार जंगीपुर इलाके में शुरू हुई, जब हजारों लोग विवादास्पद वक्फ कानून को वापस लेने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। इसके बाद शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान यहां फिर हिंसा भड़की और इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। शुक्रवार को इलाके में पथराव और आगजनी की घटना फिर से घटी। इसके बाद हिंसा प्रभावित इलाकों में बीएसएफ की तैनाती की गई है।

अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील

इधर, ममता बनर्जी की सरकार ने सख्ती से पेश आना शुरू कर दिया है। पुलिस ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद अब तक 110 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। उपद्रवियों को तलाशने के लिए अन्य जिलों में भी छापेमारी की जा रही है। संवेदनशील इलाकों में गश्त जारी है। किसी को भी कहीं भी इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है। पुलिस ने लोगों से सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।

भाजपा ने ममता सरकार को घेरा

भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अगर वह स्थिति को संभालने में असमर्थ है, तो उसे केंद्र से मदद मांगनी चाहिए। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'यह विरोध का नतीजा नहीं था, बल्कि हिंसा का एक पूर्व नियोजित हथकंडा था। जिहादी ताकतों का लोकतंत्र और शासन पर हमला था। कुछ लोग अपने प्रभुत्व का दावा करने और हमारे समाज के अन्य समुदायों में भय फैलाने के लिए अराजकता फैलाना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर किया गया। सरकारी अधिकारियों को धमकी दी गई। भय का माहौल बनाया गया। यह सब असहमति की झूठी आड़ में किया गया। ममता बनर्जी सरकार की चुप्पी खतरनाक है। अधिकारी ने कहा कि हिंसा के पीछे जो लोग हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कानून की सख्त धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

नागपुर हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान के घर पर चला बुलडोजर, अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई

#nagpur_violence_fahhim_khan_illegal_construction_will_be_demolished

महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर 17 मार्च को हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान कई पुलिसकर्मी और कई स्थानीय लोग घायल हुए थे। इसी बीच हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान पर महाराष्ट्र सरकार का डंडा चला है। फहीम खान के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई है। नगर निगम अधिकारियों ने सोमवार को फहीम खान के घर के अवैध हिस्से को ध्वस्त कर दिया। दरअसल, नोटिस के बाद भी उसने अवैध ढांचे को नहीं हटाया। जिसके बाद ये कार्रवी की गई है।

नागपुर के संजय बाग कॉलोनी स्थित फहीम के घर का हिस्सा अवैध घोषित किया गया था। नागपुर नगर निगम ने उसे खुद से अवैध निर्माण हटाने के लिए 24 घंटे का समय दिया था, जो आज पूरा हो गया। घर की नाप-नपाई के बाद बुलडोजर से अवैध हिस्से को गिरा दिया गया है। घटना को देखते हुए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले नागपुर नगर निगम ने उसे नोटिस जारी किया था। इसमें कई खामियों और घर के लिए बिल्डिंग प्लान की मंजूरी न होने का हवाला दिया गया था। घर फहीम खान की पत्नी के नाम पर पंजीकृत है।

मास्टर माइंड फहीम पर आरोप है कि उसने लोगों को उकसा कर इस हिंसा को अंजाम दिया था। 17 मार्च को हिंसा तब भड़की, जब यह अफवाह फैली कि छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के दौरान धार्मिक चादर जलाई गई। झड़प के बाद शहर के कई हिस्सों में पथराव और आगजनी हुई, जिसमें पुलिस उपायुक्त स्तर के तीन अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

मुस्लिम भाइयों को जो आंख दिखाएगा उसे छोड़ेंगे नहीं”, औरंगजेब विवाद के बीच अजित पवार का बड़ा बयान

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महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर माहौल गर्म है। औरंगजेब को लेकर जारी विवाद के कारण नागपुर में 17 मार्च हिंसा भड़क गई। इस बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इस इफ्तार पार्टी में अजीत पवार ने मुसलमानों को लेकर बड़ा बयान दिया है। अजित पवार ने मुस्लिम समुदाय को सुरक्षा का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है हमने अभी होली मनाई है, गुड़ी पड़वा और ईद आने वाली है, ये सभी त्यौहार हमें एक साथ मिलकर मनाने हैं क्योंकि एकता ही हमारी असली ताकत है।

पार्टी की ओर से मुंबई के इस्लाम जिमखाना में शुक्रवार को दी गई इफ्तार पार्टी के दौरान अजित पवार ने मुसलमानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आपका भाई अजित पवार आपके साथ है। कहा- जो भी मुस्लिम भाइयों को आंख दिखाएगा, दो समूहों के बीच संघर्ष भड़काकर कानून व्यवस्था को बाधित करेगा और कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करेगा। वह चाहे कोई भी हो, उसे किसी भी हालत में बख्शा या माफ नहीं किया जाएगा।

अजित पवार ने बताया रमजान का महत्व

पवार ने ये भी कहा- रमजान सिर्फ एक धर्म तक सीमित नहीं है। यह हमें एकता और भाईचारे का संदेश देता है। भारत विविधता में एकता का प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज, बाबा साहब अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले और शाहू जी महाराज ने जातियों को एकसाथ लाकर समाज के उत्थान का मार्ग दिखाया। हमें इस विरासत को आगे बढ़ाना है।

नागपुर हिंसा में अब तक 105 गिरफ्तार

अजित पवार का ये बयान उस वक्त आया है जब महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। हिंदू संगठनों ने मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को गिराने की मांग कर रहे हैं। इस विवाद ने तब और तूल पकड़ लिया जब नागपुर, जो आरएसएस का मुख्यालय है, वहां चिटनिस पार्क, महल क्षेत्र में दो समूहों के बीच झड़प हो गई। यह हिंसा कुछ धार्मिक चीज़ों को जलाने की कथित घटना के बाद हुई। इस मामले में शुक्रवार को 14 लोगों को अरेस्ट भी किया गया है। अब तक इस मामले में पकड़े गए लोगों की कुल संख्या 105 हो गई है। हिंसा मामले में 10 किशोर भी हिरासत में लिए गए हैं। 3 नई एफआईआर भी दर्ज की गई हैं।

क्यों सुलग उठा लद्दाख? पथराव-आगजनी के बाद लाठीचार्ज*

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लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाने की मांग तेज हो गई है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लेह में बुधवार को हिंसक प्रदर्शन हुआ। छात्रों की पुलिस और सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। छात्रों ने भाजपा ऑफिस में आग लगा दी। पुलिस पर पत्थरबाजी की, सीआरपीएफ की गाड़ी में आग लगा दी। उधर, प्रशासन ने लेह में बिना अनुमति रैली, प्रदर्शन पर बैन लगा दिया है।

राज्य का दर्जा देने की मांग

छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा और लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हो रहे बंद और बड़े प्रदर्शन के दौरान लेह में हालात तनावपूर्ण हो गए। ये छात्र पर्यावरणविद सोनम वांगुचक के समर्थन में सकड़ों पर उतरे थे। सोनम वांगचुक बीते 15 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। सोमवार को लेह में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन ने अचानक हिंसक रूप ले लिया। छात्रों और स्थानीय लोगों ने केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूर्ण बंद का आह्वान किया था, लेकिन यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन जल्द ही बेकाबू हो गया।

केंद्र सरकार के साथ प्रस्तावित वार्ता जल्द कराने की मांग

प्रदर्शन केंद्र सरकार के साथ प्रस्तावित वार्ता को जल्द कराने की मांग को लेकर किया जा रहा था। लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच अगली वार्ता 6 अक्तूबर को प्रस्तावित है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि यह वार्ता जल्द कराई जाए और ठोस फैसले लिए जाएं। इस बंद और प्रदर्शन का आह्वान लेह एपेक्स बॉडी की युवा शाखा ने तब किया जब 35 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे 15 में से दो लोगों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। भूख हड़ताल का नेतृत्व पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक कर रहे हैं, जो लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा पर आई हाईकोर्ट समिति रिपोर्ट, सच सामने आने के बाद बीजेपी हमलावर

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बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई थी। मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुआ था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस हिंसा की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले महीने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा में के दौरान हुए हमले हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए थे।हिंसा के समय राज्य की पुलिस मूकदर्शक बनी रही। जांच समिति के मुताबिक हिंसा में तृणमूल नेता शामिल रहे। विधायक के सामने ही घरों में आग लगाई गई। अब भाजपा ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर तथ्य खोज समिति की रिपोर्ट को लेकर टीएमसी सरकार और सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधा है।

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने बुधवार को कहा कि तथ्य-खोजी एसआईटी की रिपोर्ट से हिंदुओं के प्रति सरकार की क्रूरता का पता चला है। हिंसा के दौरान पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने उन पर टीएमसी नेताओं की कार्रवाई की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मुर्शिदाबाद हिंसा पर एसआईटी की रिपोर्ट ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि हिंदुओं को निशाना बनाकर हिंसा की गई थी और इसमें टीएमसी नेता शामिल थे और पुलिस का रवैया हिंसा को रोकने के बजाय टीएमसी नेताओं की कार्रवाई की अनदेखी करने वाला प्रतीत होता है।

सेक्युलरिज्म का नकाब उतर गया- सुधांशु त्रिवेदी

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल हिंसा के मुद्दे पर न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की हिंदुओं के प्रति निर्ममता साफ दिखाई दे रही है। इससे सो कॉल्ड सेक्युलरिज्म का नक़ाब ओढ़े लोगों का नकाब उतर गया है। उन्होंने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट की रिपोर्ट आने के बाद तृणमूल कांग्रेस की हिंदू विरोधी निर्ममता अपने पूरे विद्रवता के रूप में सामने है

मुर्शिदाबाद हिंसा को पहलगाम की तरह बताया

सुधांशु त्रिवेदी ने मुर्शिदाबाद हिंसा को पहलगाम की तरह बताया। उन्होंने कहा, मुर्शिदाबाद से पहलगाम तक हिंदुओं को निशाना बनाकर उनके खिलाफ हिंसा का सिलसिला साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। मुर्शिदाबाद हिंसा में जिस तरह से तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे ममता बनर्जी सरकार की हिंदुओं के प्रति क्रूरता और कट्टरपंथियों के प्रति असीम लगाव का पता चलता है।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य हमला 11 अप्रैल को हुआ था। उस समय स्थानीय पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित थी। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि धुलियान शहर में हमलों को भड़काने में एक स्थानीय पार्षद ने अहम भूमिका निभाई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि हिंसा के दौरान बेतबोना गांव में 113 घर बुरी तरह प्रभावित हुए। इसमें कहा गया कि अधिकांश लोगों ने मालदा में शरण ली थी, लेकिन बेतबोना गांव में पुलिस प्रशासन ने सभी को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, एक आदमी गांव में वापस आया और उसने देखा कि किन घरों पर हमला नहीं हुआ है और फिर बदमाशों ने आकर उन घरों में आग लगा दी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बदमाशों ने पानी का कनेक्शन काट दिया ताकि आग को पानी से न बुझाया जा सके। इसमें कहा गया है, बदमाशों ने घर के सभी कपड़ों को मिट्टी के तेल से जला दिया और घर की महिला के पास तन ढकने के लिए कपड़े नहीं थे। रिपोर्ट में हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की हत्या का जिक्र करते हुए कहा गया है, उन्होंने घर का मुख्य दरवाजा तोड़ दिया और उसके बेटे और उसके पति को ले गए और उनकी पीठ पर कुल्हाड़ी से वार किया। एक आदमी तब तक वहां इंतजार कर रहा था जब तक वे मर नहीं गए।

बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम पर पहले ही लग रहे आरोप

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सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है, जिसमें पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है।वकील विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिका पेश की, जिसके बाद याचिका को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करने की याचिका सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि वक्फ कानून के विरोध में हुई मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कोर्ट इस पर फैसला ले। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कोई आदेश नहीं दिया। बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा, क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को इसे लागू करने का आदेश भेजें? हम पर दूसरों के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी के आरोप लग रहे हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल

बता दें कि हाल ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर कार्यपालिका के काम में दखल देने का आरोप लगाया है। जिस पर खासा विवाद हो रहा है। साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाए थे और सुप्रीम कोर्ट पर सुपर संसद के रूप में काम करने का आरोप लगाया था।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाए थे, जिसमें शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को निर्देश दिया था कि अगर कोई विधेयक संसद या विधानसभा की तरफ से दोबारा पारित किया गया हो, तो तीन महीने के भीतर उसे मंजूरी दी जाए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, हम ऐसी स्थिति नहीं ला सकते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिया जाए। उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति को कोर्ट द्वारा निर्देशित किया जाएगा। राष्ट्रपति भारत की सेना की सर्वोच्च कमांडर हैं और केवल वही संविधान की रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा की शपथ लेते हैं। फिर उन्हें एक निश्चित समय में निर्णय लेने का आदेश कैसे दिया जा सकता है।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए गंभीर आरोप

वहीं इसके कुछ ही दिनों बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार है। निशिकांत दुबे ने इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था, अगर शीर्ष अदालत को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद यूसुफ पठान पर बढ़ा विवाद, क्यों नाखुश है तृणमूल?

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वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई थी। बीते दिनों हुई हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण है। भाजपा इस हिंसा के लिए लगातार सीएम ममता बनर्जी पर हमलावर है। वहीं, ममता बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के कई नेता भाजपा पर हिंसा को भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर बहरामपुर सीट से सांसद यूसुफ पठान की भी काफी आलोचना हो रही है। दरअसल, सांसद यूसुफ पठान की अनुपस्थिति ने तृणमूल के भीतर नाराजगी पैदा की है। टीएमसी के अंदर ही उनका विरोध हो रहा है।

मुर्शिदाबाद हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई है और 270 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं। वहीं यूसुफ पठान ने हिंसा के समय चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट करके लोगों के गुस्से को बढ़ा दिया है। पठान ने इंस्टाग्राम पर चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट की। उन्होंने लिखा कि आसान दोपहर अच्छी चाय और शांत वातावरण। बस पल का आनंद ले रहा हूं। उनकी इस पोस्ट से हंगामा मच गया। 42 वर्षीय क्रिकेटर से नेता बने पठान विपक्ष के निशाने पर आ गए।

बीजेपी के साथ टीएमसी में भी विरोध

बीजेपी ने मौके को भुनाते हुए सत्तारूढ़ टीएमसी पर तीखा हमला बोला। पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, टीएमसी नेताओं की शह में बंगाल जल रहा है, लेकिन टीएमसी सांसद यूसुफ पठान चाय पीते हुए व्यस्त हैं, जब हिंदू मारे जा रहे हैं। यही टीएमसी का असली चेहरा है।

इस पूरे मामले में बीजेपी जहां सवाल उठा रही है, वहीं टीएमसी के कुछ नेता सीधे पठान के विरोध में उतर आए हैं। टीएमसी नेताओं में गुस्से का आलम यह है कि एक विधायक ने पठान को अगले चुनाव में पार्टी से टिकट न देने की गुजारिश की है।

वह बाहरी हैं और राजनीति में नए हैं- अबू ताहिर

इधर, सत्तारूढ़ पार्टी ने दंगा प्रभावित इलाकों में कई शांति बैठकें की हैं। इन बैठकों में जिले के दो अन्य सांसद- मुर्शिदाबाद के सांसद अबू ताहिर खान और जंगीपुर के सांसद खलीलुर्रहमान और स्थानीय पार्टी के विधायक शामिल हुए। अबू ताहिर ने कहा कि वह (यूसुफ पठान) बाहरी हैं और राजनीति में नए हैं। उन्होंने अब तक दूर रहने का फैसला किया। लेकिन इससे लोगों को गलत संदेश जाता है। हमारे सांसद, विधायक और यहां तक कि बूथ कार्यकर्ता भी लोगों तक पहुंच रहे हैं। अबू ताहिर ने यह भी कहा कि शमशेरगंज में एक शांति बैठक थी। मैं वहां पहुंचने के लिए 100 किलोमीटर तक गया। सांसद खलीलुर्रहमान और कई टीएमसी विधायक भी वहां मौजूद थे। लेकिन वह अनुपस्थित थे। कोई यह नहीं कह सकता कि यह मेरा इलाका नहीं है और ये मेरे लोग नहीं हैं, इसलिए मैं नहीं जाऊंगा।

अगली बार पार्टी का टिकट नहीं देने की अपील

भरतपुर के टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने पठान पर हमला करते हुए कहा कि वह एक प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं, जो गुजरात में रहते हैं। उन्होंने लोगों के वोटों से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा चुनाव में हराया। यह सज्जन अब मतदाताओं के साथ खेल खेल रहे हैं। वह अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। विधायक हुमायूं कबीर ने यह भी कहा कि यूसुफ पठान को सांसद बने हुए लगभग एक साल हो गया है। अगर वह अपना व्यवहार नहीं बदलते हैं और लोगों तक पहुंचने की कोशिश नहीं करते हैं, तो मैं पार्टी के शीर्ष नेताओं से उनकी शिकायत करूंगा। मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करूंगा कि अगली बार उन्हें पार्टी का टिकट न मिले।

अधीर रंजन चौधरी को हराकर सांसद बने पठान

बता दें कि बहरमपुर, मुर्शिदाबाद जिले की तीन लोकसभा सीटों में से एक है। बाकी दो सीटें जंगीपुर और मुर्शिदाबाद भी तृणमूल कांग्रेस के पास हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के टिकट पर अपनी चुनावी शुरुआत करते हुए पठान ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पांच बार के बहरमपुर के सांसद अधीर रंजन चौधरी को 85,022 वोटों से हराकर सबको चौंका दिया था।

बंगाल हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी से भड़का भारत, अल्पसंख्यकों को लेकर दो टूक

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों भड़की हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी को लेकर विदेश मंत्रालय ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश को इस घटना पर कोई टिप्पणी करने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। साथ ही बांग्लादेश को हमारे घरेलू मसलों पर गैर-जरूरी टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, हम पश्चिम बंगाल की घटनाओं के संबंध में बांग्लादेश की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न पर भारत की चिंताओं के साथ तुलना करने का एक छिपा हुआ और कपटपूर्ण प्रयास है, जहां इस तरह के कृत्यों के अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। अनुचित टिप्पणियां करने और सद्गुणों का प्रदर्शन करने के बजाय, बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

भारत को मुस्लिमों पर दिया था ज्ञान

इससे पहले बांग्लादेश ने भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिमों को लेकर बयान दिया है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने नई दिल्ली से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था। बृहस्पतिवार को विदेश सेवा अकादमी में एक प्रेस वार्ता के दौरान आलम ने कहा, हम मुर्शिदाबाद सांप्रदायिक हिंसा में बांग्लादेश को शामिल करने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से खंडन करते हैं। आलम ने कहा कि बांग्लादेश सरकार ने मुसलमानों पर हमलों की निंदा की है, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, हम भारत और पश्चिम बंगाल सरकार से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आग्रह करते हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा में भूमिका

पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में भारत सरकार के वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के बाद इलाकों में पुलिस बल की तैनाती की गई है। अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथियों की संलिप्तता का संकेत मिला है।

“लातों के भूत बातों से नहीं, डंडे से ही मानेंगे” बंगाल हिंसा पर सीएम योगी का बयान


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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बंगाल में हो रहे दंगे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि लातों के भूत बातों से नही मानेंगे,दंगाई डंडे से ही मानेंगे। बता दें कि पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर बवाल मचा हुआ है। मुर्शिदाबाद और 24 परगना जिले में वक्फ बोर्ड के नए कानून को लेकर खूब हिंसा हुई है। घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए हैं।

वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद में जारी हिंसा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरदोई में आयोजित एक कार्यक्रम में ममता सरकार पर निशाना साधा। बंगाल हिंसा पर भी अपनी बात रखते हुए सीएम ने कहा कि आप याद करिए 2017 के पहले के उत्तर प्रदेश को। हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा होता था। इन दंगाईयों का उपचार ही डंडा है। बिना डंडे के ये मानेंगे ही नहीं। 

सीएम योगी ने आगे कहा, बंगाल जल रहा है। वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। दंगाइयों को वह शांतिदूत कहती हैं। सेक्युलरिज्म के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट दे दी गई है। पूरा मुर्शिदाबाद एक सप्ताह से जल रहा है, सरकार मौन है। इस प्रकार की अराजकता पर लगाम लगनी चाहिए।

योगी ने कहा, पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर सब चुप हैं। मुर्शिदाबाद दंगों पर कांग्रेस चुप है। समाजवादी पार्टी मौन है। वे धमकी पर धमकी दे रहे हैं। बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन किया जा रहा है। अगर उन्हें बांग्लादेश पसंद है, तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए। क्यों भारत की धरती पर बोझ बने हुए हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे कौन? खुफिया एजेंसियों के चौंकाने वाले खुलासे


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वक्‍फ संशोधन कानून लागू हो चुका है। वहीं, दूसरी ओर कानून का विरोध भी जारी है। पश्चिम बंगाल में वक्‍फ संशोधन कानून का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले और अन्य जिलों में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए। हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए। असम और त्रिपुरा में भी उग्र प्रदर्शन की खबरें आईं, मगर इन राज्यों में हालात काबू में रहा। देश के अन्य हिस्सों में भी वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन हुए, मगर बंगाल की तरह पलायन की नौबत नहीं आई।

 वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा को लेकर इंटेलिजेंस एजेंसियों को चौंकाने वाले इनपुट मिले हैं। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में फैली हिंसा का पैटर्न साल 2019 में सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों की तरह है। भारतीय जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो इस हिंसा की प्लानिंग लंबे समय से की जा रही थी। पिछले 3 महीनों से इलाके के लोग इस घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी।

बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ

सूत्रों के अनुसार, बंगाल पुलिस को इनपुट मिले हैं कि इस हिंसक प्रदर्शन में बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ है। सूत्रों ने कहा है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) जैसे समूह बांग्लादेश बॉर्डर से लगते इलाकों और सुंदरबन डेल्टा में हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। ये आतंकी संगठन ट्रेनिंग देने के साथ ही प्रोपेगेंडा भी फैला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन अशांति को बढ़ाने के लिए वैश्विक मीडिया का उपयोग कर रहे हैं और दहशत फैलाने के लिए अफ़वाह फैलाने में मदद कर रहे हैं।

विदेशों से हो रही थी फंडिंग

मुर्शिदाबाद हिंसा की प्लानिंग और पूरे खर्च का दारोमदार तुर्की के भरोसे चल रहा था, यहीं से हिंसा को लेकर पूरा फंड दिया जा रहा है। जांच एजेंसियों की मानें तो इस योजना में शामिल हर हमलावर और पत्थरबाजों को लूटपाट के लिए 500 रुपये दिए गए थे। इनकी पिछले 3 महीनों से लगातार ट्रेनिंग चल रही थी। साजिशकर्ताओं ने बंगाल को भी बांग्लादेश बनाने की योजना बनाई थी, जैसे दंगे बांग्लादेश हिंसा में देखने को मिले थे। ठीक वैसे ही यहां भी प्लान था।

सुवेंदु अधिकारी ने भी “बांग्लादेश” पर उठाई अंगुली

भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा (विस) में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे बांग्लादेशी संगठन 'अंसारुल्ला बांग्ला जमात' का हाथ बताते हुए आरोप लगाया कि बंगाल सरकार के मंत्री सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने हिंसा भड़काने का काम किया। सोमवार को विस भवन के गेट पर मीडिया से बातचीत में सुवेंदु ने कहा-'बंगाल में जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें मतदान करने से रोका जाता है। पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के कैडर की तरह काम कर रही है। स्वतंत्र व निष्पक्ष मतदान के लिए अगला विस चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत होना चाहिए। केंद्रीय निर्वाचन आयोग को इसकी सिफारिश करने पर विचार करना चाहिए।

कुणााल घोष का विवादित बयान

इस बीच टीएमसी नेता कुणाल घोष ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें कुछ इनपुट मिल रहे हैं कि इन घटनाओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों के अलावा बीएसएफ और दो-तीन राजनीतिक दल भी शामिल है।

कब शुरू हुई थी मुर्शिदाबाद में हिंसा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 10 अप्रैल से हिंसा जारी है। मुर्शिदाबाद में पहले से ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के करीब 300 जवान तैनात हैं और केंद्र ने व्यवस्था बहाल करने में मदद के लिए केंद्रीय बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात की हैं।

केंद्र सरकार के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग लगा दी, सड़कें जाम कर दीं और रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है।

मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन, अब तक 100 से ज्यादा गिरफ्तार, जानें क्यों बिगड़े हालात

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वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ पश्चिम बंगाल में बवाल मचा हुआ है। वक्फ संशोधन बिल को लेकर राज्य के कई स्थानों में प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसके कारण माहौल काफी गर्म है। शुक्रवार को मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और हुगली में विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वैन समेत कई गाड़ियां जलाई और पुलिस पर पत्थरबाजी की। सबसे ज्यादा हिंसा मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में हुई।

यह हिंसा मंगलवार जंगीपुर इलाके में शुरू हुई, जब हजारों लोग विवादास्पद वक्फ कानून को वापस लेने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। इसके बाद शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान यहां फिर हिंसा भड़की और इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। शुक्रवार को इलाके में पथराव और आगजनी की घटना फिर से घटी। इसके बाद हिंसा प्रभावित इलाकों में बीएसएफ की तैनाती की गई है।

अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील

इधर, ममता बनर्जी की सरकार ने सख्ती से पेश आना शुरू कर दिया है। पुलिस ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद अब तक 110 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। उपद्रवियों को तलाशने के लिए अन्य जिलों में भी छापेमारी की जा रही है। संवेदनशील इलाकों में गश्त जारी है। किसी को भी कहीं भी इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है। पुलिस ने लोगों से सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।

भाजपा ने ममता सरकार को घेरा

भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अगर वह स्थिति को संभालने में असमर्थ है, तो उसे केंद्र से मदद मांगनी चाहिए। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'यह विरोध का नतीजा नहीं था, बल्कि हिंसा का एक पूर्व नियोजित हथकंडा था। जिहादी ताकतों का लोकतंत्र और शासन पर हमला था। कुछ लोग अपने प्रभुत्व का दावा करने और हमारे समाज के अन्य समुदायों में भय फैलाने के लिए अराजकता फैलाना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर किया गया। सरकारी अधिकारियों को धमकी दी गई। भय का माहौल बनाया गया। यह सब असहमति की झूठी आड़ में किया गया। ममता बनर्जी सरकार की चुप्पी खतरनाक है। अधिकारी ने कहा कि हिंसा के पीछे जो लोग हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कानून की सख्त धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

नागपुर हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान के घर पर चला बुलडोजर, अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई

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महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर 17 मार्च को हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान कई पुलिसकर्मी और कई स्थानीय लोग घायल हुए थे। इसी बीच हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान पर महाराष्ट्र सरकार का डंडा चला है। फहीम खान के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई है। नगर निगम अधिकारियों ने सोमवार को फहीम खान के घर के अवैध हिस्से को ध्वस्त कर दिया। दरअसल, नोटिस के बाद भी उसने अवैध ढांचे को नहीं हटाया। जिसके बाद ये कार्रवी की गई है।

नागपुर के संजय बाग कॉलोनी स्थित फहीम के घर का हिस्सा अवैध घोषित किया गया था। नागपुर नगर निगम ने उसे खुद से अवैध निर्माण हटाने के लिए 24 घंटे का समय दिया था, जो आज पूरा हो गया। घर की नाप-नपाई के बाद बुलडोजर से अवैध हिस्से को गिरा दिया गया है। घटना को देखते हुए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले नागपुर नगर निगम ने उसे नोटिस जारी किया था। इसमें कई खामियों और घर के लिए बिल्डिंग प्लान की मंजूरी न होने का हवाला दिया गया था। घर फहीम खान की पत्नी के नाम पर पंजीकृत है।

मास्टर माइंड फहीम पर आरोप है कि उसने लोगों को उकसा कर इस हिंसा को अंजाम दिया था। 17 मार्च को हिंसा तब भड़की, जब यह अफवाह फैली कि छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के दौरान धार्मिक चादर जलाई गई। झड़प के बाद शहर के कई हिस्सों में पथराव और आगजनी हुई, जिसमें पुलिस उपायुक्त स्तर के तीन अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

मुस्लिम भाइयों को जो आंख दिखाएगा उसे छोड़ेंगे नहीं”, औरंगजेब विवाद के बीच अजित पवार का बड़ा बयान

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महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर माहौल गर्म है। औरंगजेब को लेकर जारी विवाद के कारण नागपुर में 17 मार्च हिंसा भड़क गई। इस बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इस इफ्तार पार्टी में अजीत पवार ने मुसलमानों को लेकर बड़ा बयान दिया है। अजित पवार ने मुस्लिम समुदाय को सुरक्षा का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है हमने अभी होली मनाई है, गुड़ी पड़वा और ईद आने वाली है, ये सभी त्यौहार हमें एक साथ मिलकर मनाने हैं क्योंकि एकता ही हमारी असली ताकत है।

पार्टी की ओर से मुंबई के इस्लाम जिमखाना में शुक्रवार को दी गई इफ्तार पार्टी के दौरान अजित पवार ने मुसलमानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आपका भाई अजित पवार आपके साथ है। कहा- जो भी मुस्लिम भाइयों को आंख दिखाएगा, दो समूहों के बीच संघर्ष भड़काकर कानून व्यवस्था को बाधित करेगा और कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करेगा। वह चाहे कोई भी हो, उसे किसी भी हालत में बख्शा या माफ नहीं किया जाएगा।

अजित पवार ने बताया रमजान का महत्व

पवार ने ये भी कहा- रमजान सिर्फ एक धर्म तक सीमित नहीं है। यह हमें एकता और भाईचारे का संदेश देता है। भारत विविधता में एकता का प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज, बाबा साहब अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले और शाहू जी महाराज ने जातियों को एकसाथ लाकर समाज के उत्थान का मार्ग दिखाया। हमें इस विरासत को आगे बढ़ाना है।

नागपुर हिंसा में अब तक 105 गिरफ्तार

अजित पवार का ये बयान उस वक्त आया है जब महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। हिंदू संगठनों ने मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को गिराने की मांग कर रहे हैं। इस विवाद ने तब और तूल पकड़ लिया जब नागपुर, जो आरएसएस का मुख्यालय है, वहां चिटनिस पार्क, महल क्षेत्र में दो समूहों के बीच झड़प हो गई। यह हिंसा कुछ धार्मिक चीज़ों को जलाने की कथित घटना के बाद हुई। इस मामले में शुक्रवार को 14 लोगों को अरेस्ट भी किया गया है। अब तक इस मामले में पकड़े गए लोगों की कुल संख्या 105 हो गई है। हिंसा मामले में 10 किशोर भी हिरासत में लिए गए हैं। 3 नई एफआईआर भी दर्ज की गई हैं।