India

Mar 06 2024, 13:52

बंगाल से पीएम मोदी का ममता सरकार पर सीधा प्रहार, बोले-संदेशखाली जो हुआ, उससे देश शर्मसार

#pm_modi_slams_mamata_governmen_on_sandeshkhali_violence

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। पांच दिनों के भीतर पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी का यह दूसरा दौरा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (6 मार्च) उत्तर 24 परगना जिले के बारासात में महिलाओं की रैली को संबोधित किया। भाजपा ने नारी शक्ति वंधन अभिनंदन रैली का आयोजन किया है। पीएम मोदी ने रैली की शुरुआत 'भारत माता की जय, जय मां काली, जय मां दुर्गा, जय मां दुर्गा' नारे के साथ किया।इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में संदेशखाली मामले पर टीएमसी को घेरा।

ममता सरकार पर हमलावर पीएम मोदी ने कहा कि टीएमसी सरकार महिला विरोधी है और बहन-बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती। टीएमसी गुनहगारों को बचाने में लगी है। इस सरकार में राज्य में नारी शक्ति पर अत्याचार हो रहा है। टीएमसी राज में जगह-जगह अत्याचार हो रहे हैं। पीएम मोदी ने आज कहा कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं गुस्से में हैं। संदेशखाली में शुरू हुआ तूफान केवल द्वीप तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पश्चिम बंगाल के हर कोने तक पहुंचेगा। 

ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल सरकार एक "अपराधी" को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है।गुनहगार के लिए ममता सरकार पूरा जोर लगा रही है। ममता सरकार को पहले हाई कोर्ट से झटका लगा और अब सुप्रीम कोर्ट से भा झटका लगा है। ममता सरकार बहन बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती। टीएमसी सरकार महिलाओं का भला नहीं चाहती।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार में एनडीए की वापसी पक्की देखकर, इंडी गठबंधन के सारे नेता बौखला गए हैं। इस इंडी गठबंधन के भ्रष्टाचारी लोग आजकल मेरे परिवार के बारे में पूछ रहे हैं। ये लोग कह रहे हैं कि मोदी का खुद का परिवार ही नहीं हैं, इसलिए मैं परिवारवाद के खिलाफ बात करता हूं।ये घोर परिवारवादी यहां नजर डाल लें। पीएम मोदी ने कहा कि हर देशवासी मोदी को अपना परिवार कह रहा है। देश का हर गरीब मोदी को अपना परिवार कह रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार के काम को देखकर पूरा देश, प.बंगाल और हर माता-बहन कह रही है कि अबकी बार 400 पार, अबकी बार एनडीए सरकार 400 पार। पीएम ने कहा कि पूरा देश ही बीजेपी का परिवार है। ये विशाल कार्यक्रम इस बात का साक्षी है कि बीजेपी कैसे नारी शक्ति को विकसित भारत की शक्ति बना रहा है।

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Mar 06 2024, 13:51

बंगाल से पीएम मोदी का ममता सरकार पर सीधा प्रहार, बोले-संदेशखाली जो हुआ, उससे देश शर्मसार

#pm_modi_slams_mamata_governmen_on_sandeshkhali_violence

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। पांच दिनों के भीतर पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी का यह दूसरा दौरा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (6 मार्च) उत्तर 24 परगना जिले के बारासात में महिलाओं की रैली को संबोधित किया। भाजपा ने नारी शक्ति वंधन अभिनंदन रैली का आयोजन किया है। पीएम मोदी ने रैली की शुरुआत 'भारत माता की जय, जय मां काली, जय मां दुर्गा, जय मां दुर्गा' नारे के साथ किया।इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में संदेशखाली मामले पर टीएमसी को घेरा।

ममता सरकार पर हमलावर पीएम मोदी ने कहा कि टीएमसी सरकार महिला विरोधी है और बहन-बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती। टीएमसी गुनहगारों को बचाने में लगी है। इस सरकार में राज्य में नारी शक्ति पर अत्याचार हो रहा है। टीएमसी राज में जगह-जगह अत्याचार हो रहे हैं। पीएम मोदी ने आज कहा कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं गुस्से में हैं। संदेशखाली में शुरू हुआ तूफान केवल द्वीप तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पश्चिम बंगाल के हर कोने तक पहुंचेगा। 

ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल सरकार एक "अपराधी" को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है।गुनहगार के लिए ममता सरकार पूरा जोर लगा रही है। ममता सरकार को पहले हाई कोर्ट से झटका लगा और अब सुप्रीम कोर्ट से भा झटका लगा है। ममता सरकार बहन बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती। टीएमसी सरकार महिलाओं का भला नहीं चाहती।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार में एनडीए की वापसी पक्की देखकर, इंडी गठबंधन के सारे नेता बौखला गए हैं। इस इंडी गठबंधन के भ्रष्टाचारी लोग आजकल मेरे परिवार के बारे में पूछ रहे हैं। ये लोग कह रहे हैं कि मोदी का खुद का परिवार ही नहीं हैं, इसलिए मैं परिवारवाद के खिलाफ बात करता हूं।ये घोर परिवारवादी यहां नजर डाल लें। पीएम मोदी ने कहा कि हर देशवासी मोदी को अपना परिवार कह रहा है। देश का हर गरीब मोदी को अपना परिवार कह रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार के काम को देखकर पूरा देश, प.बंगाल और हर माता-बहन कह रही है कि अबकी बार 400 पार, अबकी बार एनडीए सरकार 400 पार। पीएम ने कहा कि पूरा देश ही बीजेपी का परिवार है। ये विशाल कार्यक्रम इस बात का साक्षी है कि बीजेपी कैसे नारी शक्ति को विकसित भारत की शक्ति बना रहा है।

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Jan 31 2024, 18:27

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, अज्ञात बंदूकधारियों के हमले में दो की मौत

#manipurviolenceatleastto_die 

मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़कने की खबर है। ताजा हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई है।राज्य में एक ग्रामीण स्वयंसेवक की मौत के बाद हुई फायरिंग के दो और लोग मारे गए, जबकि पांच अन्य घायल हो गए। घायलों में राज्य के एक शीर्ष भाजपा युवा नेता भी शामिल हैं।ताजा हिंसा की घटना जिसमें दो समूहों के बीच हुई।

मंगलवार को करीब 12.30 बजे बेथेल के सामान्य क्षेत्र और सपेरमीना के अंतर्गत लाम्बुंग पहाड़ी में संदिग्ध मौतेई आंतकवादी, स्वयंसेवकों, वीबीआईजी, अरामबाई तेंगगोल्स और सदिग्ध कुकी आतंकवादियों सशस्त्र स्वयंसेवकों, एचबीआईजी गुटों में भारी गोलीबारी हुई। बंदूकधारियों ने लीमाखोंग के पास कदंगबन गांव में प्रवेश किया और 2 लोगों की हत्या कर दी, जबकि पांच अन्य लोग गोली लगने से घायल हो गए।

अंग्रेजी अखबार दि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया कि गोलीबारी मंगलवार (30 जनवरी) दोपहर में शुरू हुई और कई घंटों तक चलती रही। फायरिंग के दौरान मारे गए दोनों लोगों की पहचान 33 साल के नोंगथोम्बम माइकल और 25 साल के मीस्नाम खाबा के तौर पर हुई। दोनों के शव 30 जनवरी की शाम रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज ले जाए गए। 

आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन की मांग

मणिपुर में हिंसा की घटनाओं के बीच राज्य के दस आदिवासी विधायकों, जिनमें सत्तारूढ़ बीजेपी के सात विधायक भी शामिल हैं, ने पीएम नरेंद्र मोदी को भेजे एक ज्ञापन में आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) गठित करने की अपनी मांग दोहराई। प्रधानमंत्री को दिए अपने ज्ञापन में आदिवासी विधायकों ने कहा कि मणिपुर में जारी संघर्ष की स्थिति बद से बदतर हो गई है। मणिपुर के तीन विधायक जिनमें राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र सिंह और सत्तारूढ़ भाजपा के दो विधायक शामिल हैं। इन सभी को कथित तौर पर 24 जनवरी को इंफाल के कांगला किले में अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों द्वारा पीटा गया और मजबूर किया गया।

हिंसा शुरू हुए क़रीब नौ महीने हो गए

मणिपुर में हिंसा शुरू हुए क़रीब नौ महीने हो चले हैं, लेकिन राज्य से लगातार लोगों की मौत की ख़बरें आ रही हैं। पिछले कुछ दिनों में गोलीबारी में सुरक्षाबलों और आम लोगों की जानें गई हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ हिंसा में अब तक 200 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 3000 से अधिक घायल हो चुके हैं। हिंसा में हजारों लोग विस्थापित भी हुए, जबकि राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों के कम से कम 60,000 कर्मियों की तैनाती के बाद भी आठ महीने से अधिक समय से वहां रुक-रुक कर हिंसा की घटनाएं देखने को मिली हैं

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Jan 17 2024, 16:15

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, कुकी उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों के वाहन पर किया, कमांडो की गोली मारकर हत्या

#manipur_violence_again_police_commando_shot_dead

मणिपुर में हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। मणिपुर में कुछ दिनों की शांति के बाद एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। तेंगनोउपल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों के एक वाहन पर बुधवार को हमला कर दिया। इस दौरान उग्रवादियों के साथ सुरक्षा बलों की गोलीबारी हुई। जिसमें, एक पुलिस कमांडो की मौत हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिसकर्मी के गोली लगी थी। फिलहाल इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने बुधवार की सुबह एसबीआई मोरेह के पास स्थित सुरक्षा बलों की एक चौकी को अपना निशाना बनाया है। उन्होंने चौकी पर गोलीबारी की और फिर बम फेंके। इस पर सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग की है। इस दौरान उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच करीब एक घंटे तक जमकर गोलियां चलीं। इस मुठभेड़ में पुलिस के एक कमांडो को गोली लगी, जिससे उनकी मौके पर मौत हो गई है। मृतक की पहचान इंफाल पश्चिम जिले के मालोम निवासी वांगखेम सोमरजीत के रूप में हुई है। इस घटना के बाद सुरक्षा बलों ने पूरे इलाकों को घेर लिया और संदिग्धों की तलाश कर रही है।

मणिपुर में फिर हिंसा भड़कने के पीछे दो संदिग्धों की गिरफ्तारी मानी जा रही है। पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उप संभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) सी आनंद की पिछले साल अक्टूबर में की गई हत्या मामले के दो मुख्य संदिग्धों फिलिप खोंगसाई और हेमोखोलाल माते को गिरफ्तार किया था। दोनों ने सुरक्षाकर्मियों के वाहनों पर गोलीबारी की थी जिसके बाद पुलिस ने उनका पीछा किया और उन्हें पकड़ लिया। इसके 48 घंटे के बाद ही कुकी समुदाय से जुड़े संदिग्ध उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों की चौकी पर हमला बोल दिया।

मणिपुर सरकार ने तेंगनोउपल में शांति भंग होने, सार्वजनिक सद्भाव बिगड़ने और मानव जीवन एवं संपत्ति को गंभीर खतरे की आशंका संबंधी जानकारी मिलने के बाद 16 जनवरी को देर रात 12 बजे से पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया था। तेंगनोउपल के जिला मजिस्ट्रेट की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कर्फ्यू कानून-व्यवस्था लागू करने और आवश्यक सेवाओं से जुड़ी सरकारी एजेंसियों पर लागू नहीं होगा।

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Oct 02 2023, 14:18

मणिपुर में किसने फैलाया था 'नफरत' का केरोसिन, कैसे रचा गया पूरा प्रोपेगेंडा ? महीनों बाद ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ लगा बड़ा सबूत, डिटेल में जानिए

मणिपुर में लगभग 3 महीनों तक चले हिंसा और उस पर मची राजनीती को लेकर अब परत-दर-परत खुलासे हो रहे हैं। मणिपुर में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का भी जो नैरेटिव राजनेताओं द्वारा बनाया गया, उसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय साजिशें सामने आ रहीं हैं।

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में फिर से भड़की हिंसा के पीछे खालिस्तानी आतंकवादियों का भी बड़ा हाथ है। खुफिया एजेंसियों को बाकायदा इसके प्रमाण भी मिले हैं, एजेंसियों का दावा है कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद 'अल्पसंख्यक' कुकी समुदाय के एक वरिष्ठ नेता ने आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ बैठक की थी। 3 घंटे चली इस मीटिंग के बाद खालिस्तानी नेटवर्क के माध्यम से करोड़ों रुपए मणिपुर में कुकियों के लिए भेजे गए। इन पैसों का इस्तेमाल कुकियों द्वारा मैतई समुदाय के खिलाफ हिंसा में ही किया जाना था या फिर किया भी जा रहा हो। 

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया स्थित सरे के एक गुरुद्वारे में खालिस्तानी समर्थकों की सभा का एक वीडियो भी लगा है। इसमें मणिपुर के अल्पसंख्यक कुकी अलगाववादी नेता लीन गंग्ते नज़र आ रहा है। गंग्ते नार्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन (NAMTA) यानी नामटा का प्रमुख है। 2 मिनट 20 सेकंड के इस वीडियो में गंग्ते वहां मौजूद लोगों के सामने भाषण दे रहा है।

कनाडा से पनाह मांग रहे कुकी नेता

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गंग्ते ने कनाडा के गुरुद्वारे में खालिस्तानियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला, उसने कहा कि, ''जिस प्रकार आप लोग खालिस्तान की मांग कर रहे है, वैसे ही हम भी अलग मणिपुर के लिए लड़ रहे हैं। सरकार, मणिपुर में हमारे समुदाय के नेताओं को मिटा देना चाहती है, इसलिए उन्हें कनाडा में राजनीतिक शरण दी जाए।'' खालिस्तानियों के सामने भारत विरोधी भाषण में गंग्ते ने आगे कहा कि, ''हमारे समुदाय (कूकी) को भी कनाडा में राजनितिक रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिले।’ इसके बाद गुरुनानक गुरुद्वारा समिति सरे के कार्यक्रम में मौजूद कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने गंग्ते को आगे की रणनीति साथ मिलकर बनाने का आश्वासन दिया।

बता दें कि, कूकी (30 फीसद आबादी) मणिपुर में रहने वाली एक जनजाति है, जिसका राज्य के 90 फीसद पहाड़ी इलाकों पर कब्जा है, वहां मैतई समुदाय जमीन नहीं खरीद सकता और काम धंधा नहीं कर सकता। अधिकतर कूकी मिशनरियों के प्रभाव में आकर ईसाई बन चुके हैं, वहीं मैतई समुदाय (53 फीसद) बहुसंख्यक है, जो वैष्णव धर्म का पालन करता है और राज्य के 10 फीसद मैदान वाले हिस्से में सिमटा हुआ है, उसने मांग की थी कि, उसे भी जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए, ताकि वो भी पहाड़ी इलाकों में जाकर खेती बाड़ी कर सके, क्योंकि 10 फीसद जमीन काफी कम है। इसी बात से कूकी आक्रोशित हैं, हाई कोर्ट ने जब मैतई समुदाय को ST का दर्जा दे दिया, तो कुकियों ने विरोध किया और परिणामस्वरूप हिंसा शुरू हो गई, अब कुकियों को भारत विरोधी तमाम ताकतों से मदद मिल रही है।  

कूकी नेता ने कहा- भारत में अल्पसंख्यक असुरक्षित 

वीडियो में कूकी के अलगाववादी नेता ने मणिपुर (Truth of Manipur Violence) मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा बयान न देने पर भी हमला बोला है। उसने कहा कि, मोदी अमेरिका गए, फ्रांस गए, मिस्र गए, लेकिन उन्होंने मणिपुर मुद्दे पर कुछ नहीं कहा। लीन गंग्ते ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं। बता दें कि, ''अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं'' या ''भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचर हो रहा है'', ये वही जुमले हैं, जो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर विदेश दौरों पर बोलते रहते हैं। यही आरोप पाकिस्तान पूरी दुनिया में घूम-घूमकर भारत पर लगाता रहता है कि, भारत मुस्लिमों (अल्पसंख्यक) पर अत्याचार कर रहा है। खालिस्तानी भी यही कहकर लोगों को भड़काते हैं कि ''भारत में सिखों के साथ भेदभाव हो रहा है।'' आतंकियों के इस नैरेटिव को अनजाने में ही या फिर जानबूझकर सियासी लाभ के लिए, राहुल गांधी आगे बढ़ाते हैं, जब वे ब्रिटेन में जाकर कहते हैं कि, 'भारत में सिखों को दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता है।' इसके कुछ ही दिनों बाद ब्रिटेन में भारतीय दूतावास पर हमला हो जाता है और खालिस्तानी तिरंगे को अपमानित करते हैं। क्या इससे यह समझ में नहीं आता कि, आतंकी, भारतीय नेताओं द्वारा दिए गए राजनितिक बयानों को हथियार बनाकर लोगों को भड़का रहे हैं ? अब ये पूरा रैकेट धीरे-धीरे उजागर हो रहा है कि, मणिपुर में किस तरह आग लगाई गई ? 

उधर, नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में मणिपुर में पहली गिरफ्तारी कर ली है। NIA ने चूराचांदपुर से से कूकी नेता इमीन्लुन गंग्ते को पकड़ा है। गंग्ते पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम है। आरोप है कि आतंकी संगठन चिन-कुकी-मिजो लोगों के लिए अलग राज्य बनाने के लिए भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रच रहे हैं। भारत के खिलाफ इसी युद्ध को कुछ राजनेता यह कहकर अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहे हैं कि, 'भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' हो रहा है। इससे उन अलगाववादियों को ताकत मिल रही है और वो भारत विरोधी अन्तर्राष्ट्रीय ताकतों से मदद लेकर भारत को अस्थिर करने की साजिश रच रहे हैं। 

विदेश मंत्री ने वाशिंगटन में बताया 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का सच :-

'भारत में अल्पसंख्यकों पर जुल्म होता है', बार-बार कही जा रही इस बात पर दुनिया के कुछ देश भरोसा करने लगे हैं और मौका मिलते ही विदेश यात्रा पर पहुंचे भारत सरकार के किसी प्रतिनिधि पर अल्पसंख्यकों से जुड़ा सवाल दाग देते हैं। यही सवाल अमेरिका दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने भी रखा गया। कई बार भारत इन सवालों का जवाब देने में रक्षात्मक हो जाया करता था, लेकिन अब वो आँख में आँख मिलाकर जवाब देता है। विदेश मंत्री ने इसका बेबाकी से उत्तर दिया और दो टूक जवाब देकर अमेरिकी प्रतिनिधि को चुप करा दिया। उन्होंने कहा कि, 'चूंकि आपने भारत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया है, किन्तु यह बताइए कि निष्पक्ष और सुशासन या समाज के संतुलन की कसौटी क्या है? इसकी कसौटी यही होगी कि आप सुविधाओं के मामले में, लाभ के मामले में, पहुंच के मामले में, अधिकारों के मामले में, किसी से भेदभाव करते हैं या नहीं।'

 

विदेश मंत्री ने कहा कि आज, जब आप अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभों को देखते हैं, तो आप देखते हैं आवास के मामले में, आप स्वास्थ्य को देखते हैं, आप भोजन को देखते हैं, आप आर्थिक मदद को देखते हैं, आप शैक्षिक पहुंच को देखते हैं। उन्होंने कहा कि, "मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप मुझे भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव दिखाइए।'' इसके बाद जयशंकर ने वाशिंगटन डीसी से दुनिया को वो सच्चाई बताई, जिसके कारण 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है। उन्होंने कहा कि, "जैसा कि मैंने कहा यह एक वैश्वीकृत दुनिया है। ऐसे लोग होंगे, आपके मन में इसके बारे में फ़िक्र होगी और उनमें से अधिकांश शिकायत सियासी है। मैं आपसे बहुत स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं, क्योंकि हमारे यहां भी वोट बैंक की संस्कृति रही है और ऐसे वर्ग भी हैं, जिनका उनकी नजर में एक निश्चित विशेषाधिकार था।" 

बता दें कि, वोट बैंक को अपनी तरफ करने के लिए ही 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है, जो जितनी अधिक ताकत से यह मुद्दा उठता है, अल्पसंख्यकों को लगता है कि, वो उनका शुभचिंतक है और फिर अल्पसंख्यकों का वोट भी वहीं जाता है। भारत के बहुसंख्यक वर्ग के अधिकतर त्योहारों पर निकाली जाने वाली शोभायात्राओं और जुलुस पर अल्पसंख्यकों द्वारा हमला किए जाने की कई ख़बरें आए दिन आप देखते ही होंगे, उसके बाद भी दुनियाभर में यह नैरेटिव फैलाया जाता है कि, भारत में अल्पसंख्यक पीड़ित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में सबसे कम आबादी जैन समुदाय की है, महज 0.4 फीसद, जो कारोबार में काफी आगे हैं, क्या उन्होंने कभी अपने ऊपर अत्याचार होने का दावा किया है या किसी नेता ने उनका मुद्दा उठाया है ? नहीं, क्योंकि वे अल्पसंख्यक तो हैं, लेकिन उनकी आबादी इतनी नहीं कि, वो वोट बैंक बन सकें। जैनियों से भी कम आबादी वाले पारसी और यहूदी, जो अपने देश को छोड़कर कई सालों पहले भारत में शरण लेने आए थे, उन्होंने भी आज तक उत्पीड़न की शिकायत नहीं की, उल्टा वे देश की उन्नति में योगदान दे रहे हैं। एक सिख अल्पसंख्यक हैं, सबसे अधिक भारतीय सेना में उनका योगदान माना जाता है, देशभर में सबसे अधिक लंगर यही अल्पसंख्यक समुदाय चलाता है। फिर 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का नैरेटिव' क्यों ?

ये शिकायतें 90 फीसद एक ही समुदाय की तरफ से आती है, जो अल्पसंख्यकों में सबसे बड़े बहुसंख्यक हैं, लगभग 25 करोड़ आबादी है, वो वोट बैंक भी हैं, एकमुश्त वोट देते हैं, और उनका समर्थन प्राप्त करने के लिए ही राजनेता 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव चलाते हैं। पाकिस्तान भी आतंकियों को भारत पर हमला करने के लिए यही बोलकर भड़काता है कि, भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है और बड़ी संख्या में युवा उसके कहने पर भारत में खून की नदियाँ बहाने के लिए तैयार हो जाते हैं, आतंकी बन जाते हैं। लेकिन, ये नैरेटिव फैला रहे राजनेताओं को भी सोचना चाहिए कि, क्या वे ऐसा करके देशहित का काम कर रहे हैं ? उन्हें कम से कम यह सवाल तो खुद से पूछना चाहिए कि, क्या दुनिया में कोई ऐसा देश है, जहाँ एक धर्म के बहुसंख्यक होने के बावजूद दूसरा धर्म पनप सके ? भारत में हिन्दू बहुसंख्यक होने के बावजूद, जब भगवान महावीर आए, तो एक तबका उनके पीछे चल पड़ा और जैन हो गया, कुछ वर्षों बाद भगवान बुद्ध आए, उनके साथ भी यही हुआ, कई लोग बौद्ध हो गए। फिर गुरु नानक आए, जिन्होंने सिख संप्रदाय की नींव रखी, भारत से निकले ये चारों धर्म आज आपसी प्रेम और सद्भाव से रहते हैं। अगर भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की संस्कृति होती, तो क्या ऐसा हो पाता ? आज भारत से अलग होकर बने पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक (हिन्दू,सिख, ईसाई, बौद्ध) गिनती के रह गए हैं, वहीं, भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों की तादाद बढ़ रही है और वे फल-फूल रहे हैं, यदि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता, तो क्या स्थिति ये होती ?

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Sep 30 2023, 15:06

क्या मणिपुर हिंसा का है कनाडा कनेक्शन? कूकी नेता के पुराने भाषण ने बढ़ा दी सुरक्षा एजेंसियों की चिंता

# manipur_violence_kuki_tribal_leader_speech_in_canada_khalistan_links 

कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में बसे खालिस्तानी समर्थकों ने भारत सरकार का सिर दर्द बढ़ा दिया है। इस बीच भारत-कनाडा के बीच विवाद भी बढ़ गया है। इसी क्रम में अब मणिपुर हिंसा के खालिस्तानी कनेक्शन की खबर मिल रही है। दरअसल कनाडा में मणिपुर के कुकी-जो जनजाति के लोगों के एक समूह और खालिस्तानियों के बीच गठजोड़ की खबरें सामने आई हैं। दरअसल, कनाडा में मौजूद मणिपुर के कुकी-जो जनजाति समूह के एक नेता ने पूर्वोत्तर के राज्य में हो रही हिंसा पर एक भाषण दिया। अगस्त की शुरुआत में यह कार्यक्रम कनाडा के सरे के उसी गुरुद्वारे में आयोजित किया गया था, जिसके प्रमुख और खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की जून में अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी

कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादियों और नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन (एनएएमटीए) के एक सदस्य के बीच बैठक हुई है। एनएएमटीए के कनाडा चैप्टर के अध्यक्ष लियन गैंगटे को खालिस्तानियों के कंट्रोल वाले गुरुद्वारे में बोलने की अनुमति दी गई थी। लियन गैंगटे ने अपने भाषण में भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले की निंदा की और कनाडा से हर संभव मदद मांगी। लियन गैंगटे ने दावा किया कि 'चार मई को एक भीड़ ने मणिपुर स्थित उनके घर पर हमला किया और मेरे पिता को मारने की कोशिश की। वह 80 साल के हैं....भीड़ ने मेरे घर को लूट लिया और उसमें आग लगा दी। मेरे बड़े भाई और उनके परिवार ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। 

गैंगटे ने आरोप लगाया कि 'मणिपुर में तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 120 से ज्यादा हमारे लोग मारे गए हैं और 7000 घरों को लूटने के बाद आग लगा दी गई। सैंकड़ों चर्चों को जला दिया गया है और घाटी में 200 गांवों को तबाह कर दिया गया है।

इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया था। हालांकि भारत और कनाडा के बीच विवाद बढ़ने के बाद उस वीडियो को डिलीट कर दिया गया है। गैंगटे ने ये भी आरोप लगाया कि प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है और मणिपुर पुलिस दंगाईयों को प्रोत्साहित कर रही है। घाटी से हमें (कुकी) भगा दिया गया है। गैंगते ने आरोप लगाया कि भारत में कोई भी अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है फिर चाहे वो मुस्लिम, सिख, ईसाई या कोई भी हो। गैंगते ने कनाडा सरकार से भी इस मामले में मदद की गुहार लगाई।

कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादियों और एनएएमटीए की इस मीटिंग के बाद सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। एजेंसियां इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। मणिपुर सरकार ने भी एनएएमटीए के सोशल मीडिया पोस्ट पर नजर रखना शुरू कर दिया है। मणिपुर के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने एनएएमटीए के वीडियो को देखा है। ये काफी चिंताजनक है, लेकिन हमें इस बात पर विश्वास है कि मणिपुर के हालातों को ध्यान में रखते हुए हमारी खुफिया एजेंसियां इस पर नजर रख रही हैं। हम फिलहाल सामान्य स्थिति और शांति लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस वीडियो पर शुरू में ज्यादा ध्यान नहीं गया, मगर निज्जर के मामले से बढ़े विवाद की वजह से हिंसा और खालिस्तान कनेक्शन पर बात शुरू हो गई है।

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Sep 29 2023, 10:46

मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा, इंफाल घाटी में सीएम के पैतृक आवास पर हमला

#manipur_violence_mob_tries_to_set_fire_to_cm_n_biren_singh_residence

मणिपुर में हालात फिर बिगड़ते दिख रहे हैं. जातीय हिंसा की वजह से पिछले चार महीने से अधिक वक्त से राज्य में अशांति है। गुरुवार की रात हिंसा और उपद्रव ने उस वक़्त नया मोड़ ले लिया जब कुछ लोगों के एक समूह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के हिंगेंग स्थित घर में घुसने की कोशिश की। हालांकि मुख्यमंत्री और उनके परिवार का कोई शख़्स वहां मौजूद नहीं था।पुलिस ने बताया कि भीड़ ने सीएम के परिवार के खाली घर पर हमला करने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा बलों ने भीड़ को रोक लिया। पुलिस ने बताया कि भीड़ को आवासा से सौ मीटर पहले ही रोक दिया गया।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने पुलिस के हवाले से बताया कि इंफाल पूर्व के हिंगिंग इलाके में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे। पुलिस ने बताया कि भीड़ ने एन बीरेन सिंह के पैतृक आवास को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसे विफल कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि भीड़ को आवासा से सौ मीटर पहले ही रोक दिया गया।एक सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक लगभग 500-600 लोगों ने शुरुआत में हमले में शामिल थे। हालांकि रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों ने इस हमले के नाकाम कर दिया। उनका कहना है कि उपद्रवी मकान में घुस पाते इससे पहले ही उन्हें वहां से तितर-बितर कर दिया गया।

इससे पहले भीड़ ने गुरुवार तड़के इंफाल पश्चिम जिले में उपायुक्त कार्यालय में भी जमकर तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने दो चार पहिया वाहनों को आग लगा दी।साथ ही गुरुवार को उग्र भीड़ ने थौबल जिले में बीजेपी मंडल कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।आग लगाने से पहले बीजेपी कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की गई। लोगों ने मंडल कार्यालय के गेट, खिड़कियों को तोड़कर नष्ट कर दिया। इसके साथ ही कार्यालय परिसर में खड़ी एक महिंद्रा स्कॉर्पियो की विंडशील्ड भी तोड़ डाली।

दो मैतेई छात्रों का शव मिलने के बाद फिर भड़की हिंसा

दो मैतेई छात्रों के शव मिलने के बाद एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। ये दोनों छात्र, 20 साल के फिजाम हेमजी और 17 साल की हिजाम लुआनथो इनगाम्बी, जुलाई में बिष्णुपुर के पास से लापता हो गए थे लेकिन मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट बहाल होने के बाद इन दोनों के शवों की तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई। बाद में दोनों के शव चूराचांदपुर के पास लमदान में मिले और ये आशंका जताई गई कि इन्हें अगवा कर उनकी हत्या की गई है।इसके बाद मणिपुर में एक बार फिर हिंसा शुरू हो गई है।

कश्मीर के इस जांबाज अधिकारी को बुलाया गया

राज्य में फिर भड़की हिंसा के बीच जम्मू- कश्मीर के श्रीनगर में तैनात एसएसपी राकेश बलवाल को मणिपुर बुलाया गया है। राकेश बलवाल को आतंकियों से निपटने के मामले में विशेषज्ञता है। वर्ष 2012 बैच के इस आईपीएस अधिकारी के मणिपुर पहुंचने पर उन्हें नई पोस्टिंग दी जाएगी। वहीं सीबीआई की एक टीम वर्तमान में इस पूर्वोत्तर राज्य में हुई हत्याओं की जांच कर रही है, जहां पर पिछले करीब 5 महीने से जातीय तनाव चल रहा है।

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Sep 28 2023, 11:39

दो छात्रों की हत्या के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी दफ्तर को लगाई आग

#manipurviolencesituationworsensduetomurderoftwo_students

मणिपुर की राजधानी इंफाल में फिर से हिंसा भड़क गई है। दो युवकों की हत्या की तस्वीरें वायरल होने के बाद यह हिंसा भड़की है।ताजा हिंसा में लोगों की भीड़ ने इंफाल में डीसी (जिलाधिकारी)कार्यालय पर हमला कर दिया। इस दौरान डीसी ऑफिस में तोड़फोड़ की गई और दो चार पहिया वाहनों में आग लगा दी गई।साथ ही थाउबेल जिले में बीजेपी के एक मंडल कार्यालय को जला दिया।

इंफाल घाटी में एक बार फिर प्रदर्शनों का दौर शुरू

लापता स्टूडेंट्स की हत्या के बाद इंफाल घाटी में एक बार फिर प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है। इंफाल घाटी के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने छात्रों की हत्याओं के विरोध में रैलियां निकाली और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की। इस दौरान पुलिस ने तोड़फोड़ पर उतारू भीड़ को कंट्रोल करने के लिए जमकर आंसू गैस के गोले दागे, जिससे घाटी में करीब 50 लोग घायल हो गए। जख्मी होने वाले लोगों में अधिकतर छात्र थे।कई घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

बीजेपी मंडल कार्यालय को लगाई आग

वहीं, दूसरी तरफ गुरुवार को उग्र भीड़ ने थौबल जिले में बीजेपी मंडल कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।आग लगाने से पहले बीजेपी कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की गई। लोगों ने मंडल कार्यालय के गेट, खिड़कियों को तोड़कर नष्ट कर दिया। इसके साथ ही कार्यालय परिसर में खड़ी एक महिंद्रा स्कॉर्पियो की विंडशील्ड भी तोड़ डाली। घटना के वक्त कार्यालय में मौजूद बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी पीटा गया।

जांच के लिए सीबीआई की टीम मणिपुर पहुंची

वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दो युवकों की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया। मणिपुर में अगले छह महीने के लिए अफस्पा बढ़ा दिया गया है। हालांकि घाटी के 19 थानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।सरकार ने हालात पर काबू पाने के लिए 5 दिनों तक इंटरनेट सस्पेंड कर रखा है। साथ ही 29 सितंबर को प्रदेश के तमाम स्कूल बंद रखने की घोषणा की गई है। वहीं हत्या की जांच में मदद के लिए सीबीआई की एक टीम मणिपुर पहुंची है।

6 जुलाई को लापता हो गए थे दोनों छात्र

बता दें कि इम्फाल निवासी छात्रा हिजाम लिनथोइंगामी (17) और छात्र फिजाम हेमजीत (20), 6 जुलाई को अचानक लापता हो गए थे। इसके बाद उनकी आखिरी फोन लोकेशन चुराचांदपुर में पाई गई थी। 2 दिन पहले उनके शव चुराचांदपुर में एक खाई में पड़े मिले। उनकी गोली मारकर हत्या की गई थी। दोनों छात्रों की बर्बर हत्या की घटना सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एक बार फिर से राज्य के मैतेई और कुकी समुदाय में तनाव पसर गया है।

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Aug 29 2023, 10:52

नूंह हिंसा में आतंकी संगठन आईएसआईएस की एंट्री, अपनी 'वॉयस ऑफ खुरासान' मैगजीन के जरिए जिहाद के लिए उकसाया

#haryana_nuh_violence_islamic_state_threat 

हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई की हिंसा में कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) की एंट्री हो गई है। इस्लामिक स्टेट ने अपनी मैगजीन वॉइस ऑफ खुरसान का नया संस्करण जारी किया है। खुरासान नाम के प्रोपगंडा मैगजीन के इस संस्करण में आईएस ने नूंह हिंसा और ज्ञानवापी मस्जिद केस मामले में लेख लिखकर भारत के मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाने की कोशिश की है। इतना ही नहीं, हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज को मैगजीन में धमकाया भी गया है। इसके साथ ही उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया है।।

बजरंग दल और विहिप के लिए कहे गए अपशब्द

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएसआईए ने अपनी मैगजीन वॉइस ऑफ खुरसान के नए संस्करण में भारत के मुसलमानों को उकसाने वाले कई लेख लिखे हैं। इसके ताजा संस्करण में नूंह हिंसा का जिक्र है। इसके अलावा बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के बारे में भी इस मैगजीन में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है।

मैगजीन में बदला लेने की धमकी

इस मैगजीन के कवर पेज पर बुलडोजर का फोटो लगाया गया है, जो नूंह में चलाया गया था। मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी का जिक्र करते हुए मैगजीन में धमकी भी दी गई है। इसमें लिखा गया कि इन लोगों के भड़काऊ वीडियो की वजह से मुसलमानों के 500 घर तोड़े और जलाए गए, जिसका समर्थन हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने भी किया था। इसके आगे मैगजीन में बदला लेने के बारे में कहा गया है।

गौरतलब है कि खुरासान एक प्रोपेगैंडा मैगजीन है। टेलीग्राम समेत विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भारत में सर्कुलेट होने वाली आईएस मैगजीन के कंटेट पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की लगातार नजर भी रहती है।

क्या हुआ ता नूंह में ?

हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई, 2023 को बृजमंडल यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। इस घटना में दो होमगार्ड सहित छह लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा में सैकड़ों लोग घायल हुए थे। घटना के मुताबिक, नूंह में 31 जुलाई को बृजमंडल यात्रा निकाली जा रही थी। इस यात्रा में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे। यात्रा के दौरान कुछ लोगों ने यात्रा पर पथराव कर दिया। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच हिंसा शुरू हो गई।

Purnea

Aug 18 2023, 14:45

12 दिन की शांति के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, गोलीबारी में तीन कुकी नागरिकों की मौत

#manipurviolencethreevillagevolunteers_killed

मणिपुर पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से जल रहा है। राज्य में रूक रूककर हिंसा भड़क जा रही है। पिछले 12 दिनों से घाटी में शांति थी, लेकिन आज शुक्रवार की सुबह एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है। मणिपुर के उखरुल जिले में शुक्रवार सुबह भड़की ताजा हिंसा के दौरान तीन कुकी लोगों की मौत हो गई।बताया जा रहा है कि सुबह करीब 4.30 गांव में उपद्रवियों ने गोलीबारी की जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई है। इस हमले के पीछे मैतेई समुदाय का हाथ बताया जा रह है। फिलहाल पुलिस गोलीबारी करने वालों की पहचान करने में जुटी है।

मणिपुर पुलिस ने बताया कि यह घटना उखरूल जिले से लगभग 47 किलोमीटर दूर स्थित थोवई गांव में सुबह करीब 4.30 बजे हुई, यह कुकी बहुल गांव है। उखरुल के पुलिस अधीक्षक एन वाशुम के मुताबिक, हथियारबंद उपद्रवियों का एक समूह गांव के पूर्व में स्थित पहाड़ियों से गांव के पास आया और ग्राम रक्षकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। घटना में गांव के 3 लोगों की मौत हो गई है। किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

बताया जा रहा है कि मैतेई उपद्रवियों ने सबसे पहले गांव के ड्यूटी पोस्ट पर हमला किया, जहां स्वयंसेवक गांव की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रहे थे। इस गोलीबारी में कुकी स्वयंसेवकों के तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने बचाया है कि जब पुलिस ने सर्च अभियान चलाया तब यहां जंगल के इलाके से 3 शव बरामद हुए हैं। मारे गए लोगों की पहचान जामखोगिन हाओकिप (26), थांगखोकाई हाओकिप (35) और होलेनसोन बाइते (24) के रूप में हुई है।चाकू से इनके शरीर पर निशान बनाए गए हैं, जबकि अंगों को भी काटा गया है।

राज्य में अब तक 190 लोगों की मौत

मैतइ और कुकी समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर शुरू हुई जातीय हिंसा ने धीरे-धीरे पूरे राज्य में हिंसा का स्वरूप ले लिया था, जिसके बाद कई जान चली गई। हिंसा की ताजा घटना के साथ, मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष में कम से कम 190 लोग मारे गए हैं। राज्य में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच व्यापक हिंसा देखी गई है। हिंसा भड़कने के बाद से लगभग 60,000 लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हो गए हैं। राज्य में बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए हैं और केंद्रीय सुरक्षा बलों की भारी उपस्थिति के बावजूद भीड़ ने पुलिस शस्त्रागार लूट लिया और कई घरों में आग लगा दी।

हिंसा की वजह

बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय जनजातीय आरक्षण देने की मांग कर रहा है। इसकी वजह ये है कि मैतई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है लेकिन ये लोग राज्य के सिर्फ 10 प्रतिशत मैदानी इलाके में रहते हैं। वहीं कुकी और नगा समुदाय राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं जो की राज्य का करीब 90 फीसदी है। जमीन सुधार कानून के तहत मैतई समुदाय के लोग पहाड़ों पर जमीन नहीं खरीद सकते, जबकि कुकी और नगा समुदाय पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। यही वजह है, जिसकी वजह से हिंसा शुरू हुई और अब तक इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

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Mar 06 2024, 13:52

बंगाल से पीएम मोदी का ममता सरकार पर सीधा प्रहार, बोले-संदेशखाली जो हुआ, उससे देश शर्मसार

#pm_modi_slams_mamata_governmen_on_sandeshkhali_violence

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। पांच दिनों के भीतर पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी का यह दूसरा दौरा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (6 मार्च) उत्तर 24 परगना जिले के बारासात में महिलाओं की रैली को संबोधित किया। भाजपा ने नारी शक्ति वंधन अभिनंदन रैली का आयोजन किया है। पीएम मोदी ने रैली की शुरुआत 'भारत माता की जय, जय मां काली, जय मां दुर्गा, जय मां दुर्गा' नारे के साथ किया।इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में संदेशखाली मामले पर टीएमसी को घेरा।

ममता सरकार पर हमलावर पीएम मोदी ने कहा कि टीएमसी सरकार महिला विरोधी है और बहन-बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती। टीएमसी गुनहगारों को बचाने में लगी है। इस सरकार में राज्य में नारी शक्ति पर अत्याचार हो रहा है। टीएमसी राज में जगह-जगह अत्याचार हो रहे हैं। पीएम मोदी ने आज कहा कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं गुस्से में हैं। संदेशखाली में शुरू हुआ तूफान केवल द्वीप तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पश्चिम बंगाल के हर कोने तक पहुंचेगा। 

ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल सरकार एक "अपराधी" को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है।गुनहगार के लिए ममता सरकार पूरा जोर लगा रही है। ममता सरकार को पहले हाई कोर्ट से झटका लगा और अब सुप्रीम कोर्ट से भा झटका लगा है। ममता सरकार बहन बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती। टीएमसी सरकार महिलाओं का भला नहीं चाहती।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार में एनडीए की वापसी पक्की देखकर, इंडी गठबंधन के सारे नेता बौखला गए हैं। इस इंडी गठबंधन के भ्रष्टाचारी लोग आजकल मेरे परिवार के बारे में पूछ रहे हैं। ये लोग कह रहे हैं कि मोदी का खुद का परिवार ही नहीं हैं, इसलिए मैं परिवारवाद के खिलाफ बात करता हूं।ये घोर परिवारवादी यहां नजर डाल लें। पीएम मोदी ने कहा कि हर देशवासी मोदी को अपना परिवार कह रहा है। देश का हर गरीब मोदी को अपना परिवार कह रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार के काम को देखकर पूरा देश, प.बंगाल और हर माता-बहन कह रही है कि अबकी बार 400 पार, अबकी बार एनडीए सरकार 400 पार। पीएम ने कहा कि पूरा देश ही बीजेपी का परिवार है। ये विशाल कार्यक्रम इस बात का साक्षी है कि बीजेपी कैसे नारी शक्ति को विकसित भारत की शक्ति बना रहा है।

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Mar 06 2024, 13:51

बंगाल से पीएम मोदी का ममता सरकार पर सीधा प्रहार, बोले-संदेशखाली जो हुआ, उससे देश शर्मसार

#pm_modi_slams_mamata_governmen_on_sandeshkhali_violence

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। पांच दिनों के भीतर पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी का यह दूसरा दौरा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (6 मार्च) उत्तर 24 परगना जिले के बारासात में महिलाओं की रैली को संबोधित किया। भाजपा ने नारी शक्ति वंधन अभिनंदन रैली का आयोजन किया है। पीएम मोदी ने रैली की शुरुआत 'भारत माता की जय, जय मां काली, जय मां दुर्गा, जय मां दुर्गा' नारे के साथ किया।इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में संदेशखाली मामले पर टीएमसी को घेरा।

ममता सरकार पर हमलावर पीएम मोदी ने कहा कि टीएमसी सरकार महिला विरोधी है और बहन-बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती। टीएमसी गुनहगारों को बचाने में लगी है। इस सरकार में राज्य में नारी शक्ति पर अत्याचार हो रहा है। टीएमसी राज में जगह-जगह अत्याचार हो रहे हैं। पीएम मोदी ने आज कहा कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं गुस्से में हैं। संदेशखाली में शुरू हुआ तूफान केवल द्वीप तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पश्चिम बंगाल के हर कोने तक पहुंचेगा। 

ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल सरकार एक "अपराधी" को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है।गुनहगार के लिए ममता सरकार पूरा जोर लगा रही है। ममता सरकार को पहले हाई कोर्ट से झटका लगा और अब सुप्रीम कोर्ट से भा झटका लगा है। ममता सरकार बहन बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती। टीएमसी सरकार महिलाओं का भला नहीं चाहती।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार में एनडीए की वापसी पक्की देखकर, इंडी गठबंधन के सारे नेता बौखला गए हैं। इस इंडी गठबंधन के भ्रष्टाचारी लोग आजकल मेरे परिवार के बारे में पूछ रहे हैं। ये लोग कह रहे हैं कि मोदी का खुद का परिवार ही नहीं हैं, इसलिए मैं परिवारवाद के खिलाफ बात करता हूं।ये घोर परिवारवादी यहां नजर डाल लें। पीएम मोदी ने कहा कि हर देशवासी मोदी को अपना परिवार कह रहा है। देश का हर गरीब मोदी को अपना परिवार कह रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार के काम को देखकर पूरा देश, प.बंगाल और हर माता-बहन कह रही है कि अबकी बार 400 पार, अबकी बार एनडीए सरकार 400 पार। पीएम ने कहा कि पूरा देश ही बीजेपी का परिवार है। ये विशाल कार्यक्रम इस बात का साक्षी है कि बीजेपी कैसे नारी शक्ति को विकसित भारत की शक्ति बना रहा है।

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Jan 31 2024, 18:27

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, अज्ञात बंदूकधारियों के हमले में दो की मौत

#manipurviolenceatleastto_die 

मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़कने की खबर है। ताजा हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई है।राज्य में एक ग्रामीण स्वयंसेवक की मौत के बाद हुई फायरिंग के दो और लोग मारे गए, जबकि पांच अन्य घायल हो गए। घायलों में राज्य के एक शीर्ष भाजपा युवा नेता भी शामिल हैं।ताजा हिंसा की घटना जिसमें दो समूहों के बीच हुई।

मंगलवार को करीब 12.30 बजे बेथेल के सामान्य क्षेत्र और सपेरमीना के अंतर्गत लाम्बुंग पहाड़ी में संदिग्ध मौतेई आंतकवादी, स्वयंसेवकों, वीबीआईजी, अरामबाई तेंगगोल्स और सदिग्ध कुकी आतंकवादियों सशस्त्र स्वयंसेवकों, एचबीआईजी गुटों में भारी गोलीबारी हुई। बंदूकधारियों ने लीमाखोंग के पास कदंगबन गांव में प्रवेश किया और 2 लोगों की हत्या कर दी, जबकि पांच अन्य लोग गोली लगने से घायल हो गए।

अंग्रेजी अखबार दि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया कि गोलीबारी मंगलवार (30 जनवरी) दोपहर में शुरू हुई और कई घंटों तक चलती रही। फायरिंग के दौरान मारे गए दोनों लोगों की पहचान 33 साल के नोंगथोम्बम माइकल और 25 साल के मीस्नाम खाबा के तौर पर हुई। दोनों के शव 30 जनवरी की शाम रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज ले जाए गए। 

आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन की मांग

मणिपुर में हिंसा की घटनाओं के बीच राज्य के दस आदिवासी विधायकों, जिनमें सत्तारूढ़ बीजेपी के सात विधायक भी शामिल हैं, ने पीएम नरेंद्र मोदी को भेजे एक ज्ञापन में आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) गठित करने की अपनी मांग दोहराई। प्रधानमंत्री को दिए अपने ज्ञापन में आदिवासी विधायकों ने कहा कि मणिपुर में जारी संघर्ष की स्थिति बद से बदतर हो गई है। मणिपुर के तीन विधायक जिनमें राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र सिंह और सत्तारूढ़ भाजपा के दो विधायक शामिल हैं। इन सभी को कथित तौर पर 24 जनवरी को इंफाल के कांगला किले में अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों द्वारा पीटा गया और मजबूर किया गया।

हिंसा शुरू हुए क़रीब नौ महीने हो गए

मणिपुर में हिंसा शुरू हुए क़रीब नौ महीने हो चले हैं, लेकिन राज्य से लगातार लोगों की मौत की ख़बरें आ रही हैं। पिछले कुछ दिनों में गोलीबारी में सुरक्षाबलों और आम लोगों की जानें गई हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ हिंसा में अब तक 200 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 3000 से अधिक घायल हो चुके हैं। हिंसा में हजारों लोग विस्थापित भी हुए, जबकि राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों के कम से कम 60,000 कर्मियों की तैनाती के बाद भी आठ महीने से अधिक समय से वहां रुक-रुक कर हिंसा की घटनाएं देखने को मिली हैं

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Jan 17 2024, 16:15

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, कुकी उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों के वाहन पर किया, कमांडो की गोली मारकर हत्या

#manipur_violence_again_police_commando_shot_dead

मणिपुर में हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। मणिपुर में कुछ दिनों की शांति के बाद एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। तेंगनोउपल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों के एक वाहन पर बुधवार को हमला कर दिया। इस दौरान उग्रवादियों के साथ सुरक्षा बलों की गोलीबारी हुई। जिसमें, एक पुलिस कमांडो की मौत हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिसकर्मी के गोली लगी थी। फिलहाल इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने बुधवार की सुबह एसबीआई मोरेह के पास स्थित सुरक्षा बलों की एक चौकी को अपना निशाना बनाया है। उन्होंने चौकी पर गोलीबारी की और फिर बम फेंके। इस पर सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग की है। इस दौरान उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच करीब एक घंटे तक जमकर गोलियां चलीं। इस मुठभेड़ में पुलिस के एक कमांडो को गोली लगी, जिससे उनकी मौके पर मौत हो गई है। मृतक की पहचान इंफाल पश्चिम जिले के मालोम निवासी वांगखेम सोमरजीत के रूप में हुई है। इस घटना के बाद सुरक्षा बलों ने पूरे इलाकों को घेर लिया और संदिग्धों की तलाश कर रही है।

मणिपुर में फिर हिंसा भड़कने के पीछे दो संदिग्धों की गिरफ्तारी मानी जा रही है। पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उप संभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) सी आनंद की पिछले साल अक्टूबर में की गई हत्या मामले के दो मुख्य संदिग्धों फिलिप खोंगसाई और हेमोखोलाल माते को गिरफ्तार किया था। दोनों ने सुरक्षाकर्मियों के वाहनों पर गोलीबारी की थी जिसके बाद पुलिस ने उनका पीछा किया और उन्हें पकड़ लिया। इसके 48 घंटे के बाद ही कुकी समुदाय से जुड़े संदिग्ध उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों की चौकी पर हमला बोल दिया।

मणिपुर सरकार ने तेंगनोउपल में शांति भंग होने, सार्वजनिक सद्भाव बिगड़ने और मानव जीवन एवं संपत्ति को गंभीर खतरे की आशंका संबंधी जानकारी मिलने के बाद 16 जनवरी को देर रात 12 बजे से पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया था। तेंगनोउपल के जिला मजिस्ट्रेट की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कर्फ्यू कानून-व्यवस्था लागू करने और आवश्यक सेवाओं से जुड़ी सरकारी एजेंसियों पर लागू नहीं होगा।

India

Oct 02 2023, 14:18

मणिपुर में किसने फैलाया था 'नफरत' का केरोसिन, कैसे रचा गया पूरा प्रोपेगेंडा ? महीनों बाद ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ लगा बड़ा सबूत, डिटेल में जानिए

मणिपुर में लगभग 3 महीनों तक चले हिंसा और उस पर मची राजनीती को लेकर अब परत-दर-परत खुलासे हो रहे हैं। मणिपुर में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का भी जो नैरेटिव राजनेताओं द्वारा बनाया गया, उसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय साजिशें सामने आ रहीं हैं।

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में फिर से भड़की हिंसा के पीछे खालिस्तानी आतंकवादियों का भी बड़ा हाथ है। खुफिया एजेंसियों को बाकायदा इसके प्रमाण भी मिले हैं, एजेंसियों का दावा है कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद 'अल्पसंख्यक' कुकी समुदाय के एक वरिष्ठ नेता ने आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ बैठक की थी। 3 घंटे चली इस मीटिंग के बाद खालिस्तानी नेटवर्क के माध्यम से करोड़ों रुपए मणिपुर में कुकियों के लिए भेजे गए। इन पैसों का इस्तेमाल कुकियों द्वारा मैतई समुदाय के खिलाफ हिंसा में ही किया जाना था या फिर किया भी जा रहा हो। 

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया स्थित सरे के एक गुरुद्वारे में खालिस्तानी समर्थकों की सभा का एक वीडियो भी लगा है। इसमें मणिपुर के अल्पसंख्यक कुकी अलगाववादी नेता लीन गंग्ते नज़र आ रहा है। गंग्ते नार्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन (NAMTA) यानी नामटा का प्रमुख है। 2 मिनट 20 सेकंड के इस वीडियो में गंग्ते वहां मौजूद लोगों के सामने भाषण दे रहा है।

कनाडा से पनाह मांग रहे कुकी नेता

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गंग्ते ने कनाडा के गुरुद्वारे में खालिस्तानियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला, उसने कहा कि, ''जिस प्रकार आप लोग खालिस्तान की मांग कर रहे है, वैसे ही हम भी अलग मणिपुर के लिए लड़ रहे हैं। सरकार, मणिपुर में हमारे समुदाय के नेताओं को मिटा देना चाहती है, इसलिए उन्हें कनाडा में राजनीतिक शरण दी जाए।'' खालिस्तानियों के सामने भारत विरोधी भाषण में गंग्ते ने आगे कहा कि, ''हमारे समुदाय (कूकी) को भी कनाडा में राजनितिक रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिले।’ इसके बाद गुरुनानक गुरुद्वारा समिति सरे के कार्यक्रम में मौजूद कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने गंग्ते को आगे की रणनीति साथ मिलकर बनाने का आश्वासन दिया।

बता दें कि, कूकी (30 फीसद आबादी) मणिपुर में रहने वाली एक जनजाति है, जिसका राज्य के 90 फीसद पहाड़ी इलाकों पर कब्जा है, वहां मैतई समुदाय जमीन नहीं खरीद सकता और काम धंधा नहीं कर सकता। अधिकतर कूकी मिशनरियों के प्रभाव में आकर ईसाई बन चुके हैं, वहीं मैतई समुदाय (53 फीसद) बहुसंख्यक है, जो वैष्णव धर्म का पालन करता है और राज्य के 10 फीसद मैदान वाले हिस्से में सिमटा हुआ है, उसने मांग की थी कि, उसे भी जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए, ताकि वो भी पहाड़ी इलाकों में जाकर खेती बाड़ी कर सके, क्योंकि 10 फीसद जमीन काफी कम है। इसी बात से कूकी आक्रोशित हैं, हाई कोर्ट ने जब मैतई समुदाय को ST का दर्जा दे दिया, तो कुकियों ने विरोध किया और परिणामस्वरूप हिंसा शुरू हो गई, अब कुकियों को भारत विरोधी तमाम ताकतों से मदद मिल रही है।  

कूकी नेता ने कहा- भारत में अल्पसंख्यक असुरक्षित 

वीडियो में कूकी के अलगाववादी नेता ने मणिपुर (Truth of Manipur Violence) मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा बयान न देने पर भी हमला बोला है। उसने कहा कि, मोदी अमेरिका गए, फ्रांस गए, मिस्र गए, लेकिन उन्होंने मणिपुर मुद्दे पर कुछ नहीं कहा। लीन गंग्ते ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं। बता दें कि, ''अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं'' या ''भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचर हो रहा है'', ये वही जुमले हैं, जो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर विदेश दौरों पर बोलते रहते हैं। यही आरोप पाकिस्तान पूरी दुनिया में घूम-घूमकर भारत पर लगाता रहता है कि, भारत मुस्लिमों (अल्पसंख्यक) पर अत्याचार कर रहा है। खालिस्तानी भी यही कहकर लोगों को भड़काते हैं कि ''भारत में सिखों के साथ भेदभाव हो रहा है।'' आतंकियों के इस नैरेटिव को अनजाने में ही या फिर जानबूझकर सियासी लाभ के लिए, राहुल गांधी आगे बढ़ाते हैं, जब वे ब्रिटेन में जाकर कहते हैं कि, 'भारत में सिखों को दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता है।' इसके कुछ ही दिनों बाद ब्रिटेन में भारतीय दूतावास पर हमला हो जाता है और खालिस्तानी तिरंगे को अपमानित करते हैं। क्या इससे यह समझ में नहीं आता कि, आतंकी, भारतीय नेताओं द्वारा दिए गए राजनितिक बयानों को हथियार बनाकर लोगों को भड़का रहे हैं ? अब ये पूरा रैकेट धीरे-धीरे उजागर हो रहा है कि, मणिपुर में किस तरह आग लगाई गई ? 

उधर, नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में मणिपुर में पहली गिरफ्तारी कर ली है। NIA ने चूराचांदपुर से से कूकी नेता इमीन्लुन गंग्ते को पकड़ा है। गंग्ते पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम है। आरोप है कि आतंकी संगठन चिन-कुकी-मिजो लोगों के लिए अलग राज्य बनाने के लिए भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रच रहे हैं। भारत के खिलाफ इसी युद्ध को कुछ राजनेता यह कहकर अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहे हैं कि, 'भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' हो रहा है। इससे उन अलगाववादियों को ताकत मिल रही है और वो भारत विरोधी अन्तर्राष्ट्रीय ताकतों से मदद लेकर भारत को अस्थिर करने की साजिश रच रहे हैं। 

विदेश मंत्री ने वाशिंगटन में बताया 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का सच :-

'भारत में अल्पसंख्यकों पर जुल्म होता है', बार-बार कही जा रही इस बात पर दुनिया के कुछ देश भरोसा करने लगे हैं और मौका मिलते ही विदेश यात्रा पर पहुंचे भारत सरकार के किसी प्रतिनिधि पर अल्पसंख्यकों से जुड़ा सवाल दाग देते हैं। यही सवाल अमेरिका दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने भी रखा गया। कई बार भारत इन सवालों का जवाब देने में रक्षात्मक हो जाया करता था, लेकिन अब वो आँख में आँख मिलाकर जवाब देता है। विदेश मंत्री ने इसका बेबाकी से उत्तर दिया और दो टूक जवाब देकर अमेरिकी प्रतिनिधि को चुप करा दिया। उन्होंने कहा कि, 'चूंकि आपने भारत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया है, किन्तु यह बताइए कि निष्पक्ष और सुशासन या समाज के संतुलन की कसौटी क्या है? इसकी कसौटी यही होगी कि आप सुविधाओं के मामले में, लाभ के मामले में, पहुंच के मामले में, अधिकारों के मामले में, किसी से भेदभाव करते हैं या नहीं।'

 

विदेश मंत्री ने कहा कि आज, जब आप अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभों को देखते हैं, तो आप देखते हैं आवास के मामले में, आप स्वास्थ्य को देखते हैं, आप भोजन को देखते हैं, आप आर्थिक मदद को देखते हैं, आप शैक्षिक पहुंच को देखते हैं। उन्होंने कहा कि, "मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप मुझे भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव दिखाइए।'' इसके बाद जयशंकर ने वाशिंगटन डीसी से दुनिया को वो सच्चाई बताई, जिसके कारण 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है। उन्होंने कहा कि, "जैसा कि मैंने कहा यह एक वैश्वीकृत दुनिया है। ऐसे लोग होंगे, आपके मन में इसके बारे में फ़िक्र होगी और उनमें से अधिकांश शिकायत सियासी है। मैं आपसे बहुत स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं, क्योंकि हमारे यहां भी वोट बैंक की संस्कृति रही है और ऐसे वर्ग भी हैं, जिनका उनकी नजर में एक निश्चित विशेषाधिकार था।" 

बता दें कि, वोट बैंक को अपनी तरफ करने के लिए ही 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है, जो जितनी अधिक ताकत से यह मुद्दा उठता है, अल्पसंख्यकों को लगता है कि, वो उनका शुभचिंतक है और फिर अल्पसंख्यकों का वोट भी वहीं जाता है। भारत के बहुसंख्यक वर्ग के अधिकतर त्योहारों पर निकाली जाने वाली शोभायात्राओं और जुलुस पर अल्पसंख्यकों द्वारा हमला किए जाने की कई ख़बरें आए दिन आप देखते ही होंगे, उसके बाद भी दुनियाभर में यह नैरेटिव फैलाया जाता है कि, भारत में अल्पसंख्यक पीड़ित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में सबसे कम आबादी जैन समुदाय की है, महज 0.4 फीसद, जो कारोबार में काफी आगे हैं, क्या उन्होंने कभी अपने ऊपर अत्याचार होने का दावा किया है या किसी नेता ने उनका मुद्दा उठाया है ? नहीं, क्योंकि वे अल्पसंख्यक तो हैं, लेकिन उनकी आबादी इतनी नहीं कि, वो वोट बैंक बन सकें। जैनियों से भी कम आबादी वाले पारसी और यहूदी, जो अपने देश को छोड़कर कई सालों पहले भारत में शरण लेने आए थे, उन्होंने भी आज तक उत्पीड़न की शिकायत नहीं की, उल्टा वे देश की उन्नति में योगदान दे रहे हैं। एक सिख अल्पसंख्यक हैं, सबसे अधिक भारतीय सेना में उनका योगदान माना जाता है, देशभर में सबसे अधिक लंगर यही अल्पसंख्यक समुदाय चलाता है। फिर 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का नैरेटिव' क्यों ?

ये शिकायतें 90 फीसद एक ही समुदाय की तरफ से आती है, जो अल्पसंख्यकों में सबसे बड़े बहुसंख्यक हैं, लगभग 25 करोड़ आबादी है, वो वोट बैंक भी हैं, एकमुश्त वोट देते हैं, और उनका समर्थन प्राप्त करने के लिए ही राजनेता 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव चलाते हैं। पाकिस्तान भी आतंकियों को भारत पर हमला करने के लिए यही बोलकर भड़काता है कि, भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है और बड़ी संख्या में युवा उसके कहने पर भारत में खून की नदियाँ बहाने के लिए तैयार हो जाते हैं, आतंकी बन जाते हैं। लेकिन, ये नैरेटिव फैला रहे राजनेताओं को भी सोचना चाहिए कि, क्या वे ऐसा करके देशहित का काम कर रहे हैं ? उन्हें कम से कम यह सवाल तो खुद से पूछना चाहिए कि, क्या दुनिया में कोई ऐसा देश है, जहाँ एक धर्म के बहुसंख्यक होने के बावजूद दूसरा धर्म पनप सके ? भारत में हिन्दू बहुसंख्यक होने के बावजूद, जब भगवान महावीर आए, तो एक तबका उनके पीछे चल पड़ा और जैन हो गया, कुछ वर्षों बाद भगवान बुद्ध आए, उनके साथ भी यही हुआ, कई लोग बौद्ध हो गए। फिर गुरु नानक आए, जिन्होंने सिख संप्रदाय की नींव रखी, भारत से निकले ये चारों धर्म आज आपसी प्रेम और सद्भाव से रहते हैं। अगर भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की संस्कृति होती, तो क्या ऐसा हो पाता ? आज भारत से अलग होकर बने पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक (हिन्दू,सिख, ईसाई, बौद्ध) गिनती के रह गए हैं, वहीं, भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों की तादाद बढ़ रही है और वे फल-फूल रहे हैं, यदि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता, तो क्या स्थिति ये होती ?

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Sep 30 2023, 15:06

क्या मणिपुर हिंसा का है कनाडा कनेक्शन? कूकी नेता के पुराने भाषण ने बढ़ा दी सुरक्षा एजेंसियों की चिंता

# manipur_violence_kuki_tribal_leader_speech_in_canada_khalistan_links 

कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में बसे खालिस्तानी समर्थकों ने भारत सरकार का सिर दर्द बढ़ा दिया है। इस बीच भारत-कनाडा के बीच विवाद भी बढ़ गया है। इसी क्रम में अब मणिपुर हिंसा के खालिस्तानी कनेक्शन की खबर मिल रही है। दरअसल कनाडा में मणिपुर के कुकी-जो जनजाति के लोगों के एक समूह और खालिस्तानियों के बीच गठजोड़ की खबरें सामने आई हैं। दरअसल, कनाडा में मौजूद मणिपुर के कुकी-जो जनजाति समूह के एक नेता ने पूर्वोत्तर के राज्य में हो रही हिंसा पर एक भाषण दिया। अगस्त की शुरुआत में यह कार्यक्रम कनाडा के सरे के उसी गुरुद्वारे में आयोजित किया गया था, जिसके प्रमुख और खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की जून में अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी

कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादियों और नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन (एनएएमटीए) के एक सदस्य के बीच बैठक हुई है। एनएएमटीए के कनाडा चैप्टर के अध्यक्ष लियन गैंगटे को खालिस्तानियों के कंट्रोल वाले गुरुद्वारे में बोलने की अनुमति दी गई थी। लियन गैंगटे ने अपने भाषण में भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले की निंदा की और कनाडा से हर संभव मदद मांगी। लियन गैंगटे ने दावा किया कि 'चार मई को एक भीड़ ने मणिपुर स्थित उनके घर पर हमला किया और मेरे पिता को मारने की कोशिश की। वह 80 साल के हैं....भीड़ ने मेरे घर को लूट लिया और उसमें आग लगा दी। मेरे बड़े भाई और उनके परिवार ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। 

गैंगटे ने आरोप लगाया कि 'मणिपुर में तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 120 से ज्यादा हमारे लोग मारे गए हैं और 7000 घरों को लूटने के बाद आग लगा दी गई। सैंकड़ों चर्चों को जला दिया गया है और घाटी में 200 गांवों को तबाह कर दिया गया है।

इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया था। हालांकि भारत और कनाडा के बीच विवाद बढ़ने के बाद उस वीडियो को डिलीट कर दिया गया है। गैंगटे ने ये भी आरोप लगाया कि प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है और मणिपुर पुलिस दंगाईयों को प्रोत्साहित कर रही है। घाटी से हमें (कुकी) भगा दिया गया है। गैंगते ने आरोप लगाया कि भारत में कोई भी अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है फिर चाहे वो मुस्लिम, सिख, ईसाई या कोई भी हो। गैंगते ने कनाडा सरकार से भी इस मामले में मदद की गुहार लगाई।

कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादियों और एनएएमटीए की इस मीटिंग के बाद सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। एजेंसियां इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। मणिपुर सरकार ने भी एनएएमटीए के सोशल मीडिया पोस्ट पर नजर रखना शुरू कर दिया है। मणिपुर के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने एनएएमटीए के वीडियो को देखा है। ये काफी चिंताजनक है, लेकिन हमें इस बात पर विश्वास है कि मणिपुर के हालातों को ध्यान में रखते हुए हमारी खुफिया एजेंसियां इस पर नजर रख रही हैं। हम फिलहाल सामान्य स्थिति और शांति लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस वीडियो पर शुरू में ज्यादा ध्यान नहीं गया, मगर निज्जर के मामले से बढ़े विवाद की वजह से हिंसा और खालिस्तान कनेक्शन पर बात शुरू हो गई है।

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Sep 29 2023, 10:46

मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा, इंफाल घाटी में सीएम के पैतृक आवास पर हमला

#manipur_violence_mob_tries_to_set_fire_to_cm_n_biren_singh_residence

मणिपुर में हालात फिर बिगड़ते दिख रहे हैं. जातीय हिंसा की वजह से पिछले चार महीने से अधिक वक्त से राज्य में अशांति है। गुरुवार की रात हिंसा और उपद्रव ने उस वक़्त नया मोड़ ले लिया जब कुछ लोगों के एक समूह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के हिंगेंग स्थित घर में घुसने की कोशिश की। हालांकि मुख्यमंत्री और उनके परिवार का कोई शख़्स वहां मौजूद नहीं था।पुलिस ने बताया कि भीड़ ने सीएम के परिवार के खाली घर पर हमला करने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा बलों ने भीड़ को रोक लिया। पुलिस ने बताया कि भीड़ को आवासा से सौ मीटर पहले ही रोक दिया गया।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने पुलिस के हवाले से बताया कि इंफाल पूर्व के हिंगिंग इलाके में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे। पुलिस ने बताया कि भीड़ ने एन बीरेन सिंह के पैतृक आवास को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसे विफल कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि भीड़ को आवासा से सौ मीटर पहले ही रोक दिया गया।एक सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक लगभग 500-600 लोगों ने शुरुआत में हमले में शामिल थे। हालांकि रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों ने इस हमले के नाकाम कर दिया। उनका कहना है कि उपद्रवी मकान में घुस पाते इससे पहले ही उन्हें वहां से तितर-बितर कर दिया गया।

इससे पहले भीड़ ने गुरुवार तड़के इंफाल पश्चिम जिले में उपायुक्त कार्यालय में भी जमकर तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने दो चार पहिया वाहनों को आग लगा दी।साथ ही गुरुवार को उग्र भीड़ ने थौबल जिले में बीजेपी मंडल कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।आग लगाने से पहले बीजेपी कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की गई। लोगों ने मंडल कार्यालय के गेट, खिड़कियों को तोड़कर नष्ट कर दिया। इसके साथ ही कार्यालय परिसर में खड़ी एक महिंद्रा स्कॉर्पियो की विंडशील्ड भी तोड़ डाली।

दो मैतेई छात्रों का शव मिलने के बाद फिर भड़की हिंसा

दो मैतेई छात्रों के शव मिलने के बाद एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। ये दोनों छात्र, 20 साल के फिजाम हेमजी और 17 साल की हिजाम लुआनथो इनगाम्बी, जुलाई में बिष्णुपुर के पास से लापता हो गए थे लेकिन मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट बहाल होने के बाद इन दोनों के शवों की तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई। बाद में दोनों के शव चूराचांदपुर के पास लमदान में मिले और ये आशंका जताई गई कि इन्हें अगवा कर उनकी हत्या की गई है।इसके बाद मणिपुर में एक बार फिर हिंसा शुरू हो गई है।

कश्मीर के इस जांबाज अधिकारी को बुलाया गया

राज्य में फिर भड़की हिंसा के बीच जम्मू- कश्मीर के श्रीनगर में तैनात एसएसपी राकेश बलवाल को मणिपुर बुलाया गया है। राकेश बलवाल को आतंकियों से निपटने के मामले में विशेषज्ञता है। वर्ष 2012 बैच के इस आईपीएस अधिकारी के मणिपुर पहुंचने पर उन्हें नई पोस्टिंग दी जाएगी। वहीं सीबीआई की एक टीम वर्तमान में इस पूर्वोत्तर राज्य में हुई हत्याओं की जांच कर रही है, जहां पर पिछले करीब 5 महीने से जातीय तनाव चल रहा है।

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Sep 28 2023, 11:39

दो छात्रों की हत्या के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी दफ्तर को लगाई आग

#manipurviolencesituationworsensduetomurderoftwo_students

मणिपुर की राजधानी इंफाल में फिर से हिंसा भड़क गई है। दो युवकों की हत्या की तस्वीरें वायरल होने के बाद यह हिंसा भड़की है।ताजा हिंसा में लोगों की भीड़ ने इंफाल में डीसी (जिलाधिकारी)कार्यालय पर हमला कर दिया। इस दौरान डीसी ऑफिस में तोड़फोड़ की गई और दो चार पहिया वाहनों में आग लगा दी गई।साथ ही थाउबेल जिले में बीजेपी के एक मंडल कार्यालय को जला दिया।

इंफाल घाटी में एक बार फिर प्रदर्शनों का दौर शुरू

लापता स्टूडेंट्स की हत्या के बाद इंफाल घाटी में एक बार फिर प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है। इंफाल घाटी के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने छात्रों की हत्याओं के विरोध में रैलियां निकाली और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की। इस दौरान पुलिस ने तोड़फोड़ पर उतारू भीड़ को कंट्रोल करने के लिए जमकर आंसू गैस के गोले दागे, जिससे घाटी में करीब 50 लोग घायल हो गए। जख्मी होने वाले लोगों में अधिकतर छात्र थे।कई घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

बीजेपी मंडल कार्यालय को लगाई आग

वहीं, दूसरी तरफ गुरुवार को उग्र भीड़ ने थौबल जिले में बीजेपी मंडल कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।आग लगाने से पहले बीजेपी कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की गई। लोगों ने मंडल कार्यालय के गेट, खिड़कियों को तोड़कर नष्ट कर दिया। इसके साथ ही कार्यालय परिसर में खड़ी एक महिंद्रा स्कॉर्पियो की विंडशील्ड भी तोड़ डाली। घटना के वक्त कार्यालय में मौजूद बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी पीटा गया।

जांच के लिए सीबीआई की टीम मणिपुर पहुंची

वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दो युवकों की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया। मणिपुर में अगले छह महीने के लिए अफस्पा बढ़ा दिया गया है। हालांकि घाटी के 19 थानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।सरकार ने हालात पर काबू पाने के लिए 5 दिनों तक इंटरनेट सस्पेंड कर रखा है। साथ ही 29 सितंबर को प्रदेश के तमाम स्कूल बंद रखने की घोषणा की गई है। वहीं हत्या की जांच में मदद के लिए सीबीआई की एक टीम मणिपुर पहुंची है।

6 जुलाई को लापता हो गए थे दोनों छात्र

बता दें कि इम्फाल निवासी छात्रा हिजाम लिनथोइंगामी (17) और छात्र फिजाम हेमजीत (20), 6 जुलाई को अचानक लापता हो गए थे। इसके बाद उनकी आखिरी फोन लोकेशन चुराचांदपुर में पाई गई थी। 2 दिन पहले उनके शव चुराचांदपुर में एक खाई में पड़े मिले। उनकी गोली मारकर हत्या की गई थी। दोनों छात्रों की बर्बर हत्या की घटना सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एक बार फिर से राज्य के मैतेई और कुकी समुदाय में तनाव पसर गया है।

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Aug 29 2023, 10:52

नूंह हिंसा में आतंकी संगठन आईएसआईएस की एंट्री, अपनी 'वॉयस ऑफ खुरासान' मैगजीन के जरिए जिहाद के लिए उकसाया

#haryana_nuh_violence_islamic_state_threat 

हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई की हिंसा में कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) की एंट्री हो गई है। इस्लामिक स्टेट ने अपनी मैगजीन वॉइस ऑफ खुरसान का नया संस्करण जारी किया है। खुरासान नाम के प्रोपगंडा मैगजीन के इस संस्करण में आईएस ने नूंह हिंसा और ज्ञानवापी मस्जिद केस मामले में लेख लिखकर भारत के मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाने की कोशिश की है। इतना ही नहीं, हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज को मैगजीन में धमकाया भी गया है। इसके साथ ही उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया है।।

बजरंग दल और विहिप के लिए कहे गए अपशब्द

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएसआईए ने अपनी मैगजीन वॉइस ऑफ खुरसान के नए संस्करण में भारत के मुसलमानों को उकसाने वाले कई लेख लिखे हैं। इसके ताजा संस्करण में नूंह हिंसा का जिक्र है। इसके अलावा बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के बारे में भी इस मैगजीन में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है।

मैगजीन में बदला लेने की धमकी

इस मैगजीन के कवर पेज पर बुलडोजर का फोटो लगाया गया है, जो नूंह में चलाया गया था। मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी का जिक्र करते हुए मैगजीन में धमकी भी दी गई है। इसमें लिखा गया कि इन लोगों के भड़काऊ वीडियो की वजह से मुसलमानों के 500 घर तोड़े और जलाए गए, जिसका समर्थन हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने भी किया था। इसके आगे मैगजीन में बदला लेने के बारे में कहा गया है।

गौरतलब है कि खुरासान एक प्रोपेगैंडा मैगजीन है। टेलीग्राम समेत विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भारत में सर्कुलेट होने वाली आईएस मैगजीन के कंटेट पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की लगातार नजर भी रहती है।

क्या हुआ ता नूंह में ?

हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई, 2023 को बृजमंडल यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। इस घटना में दो होमगार्ड सहित छह लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा में सैकड़ों लोग घायल हुए थे। घटना के मुताबिक, नूंह में 31 जुलाई को बृजमंडल यात्रा निकाली जा रही थी। इस यात्रा में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे। यात्रा के दौरान कुछ लोगों ने यात्रा पर पथराव कर दिया। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच हिंसा शुरू हो गई।

Purnea

Aug 18 2023, 14:45

12 दिन की शांति के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, गोलीबारी में तीन कुकी नागरिकों की मौत

#manipurviolencethreevillagevolunteers_killed

मणिपुर पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से जल रहा है। राज्य में रूक रूककर हिंसा भड़क जा रही है। पिछले 12 दिनों से घाटी में शांति थी, लेकिन आज शुक्रवार की सुबह एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है। मणिपुर के उखरुल जिले में शुक्रवार सुबह भड़की ताजा हिंसा के दौरान तीन कुकी लोगों की मौत हो गई।बताया जा रहा है कि सुबह करीब 4.30 गांव में उपद्रवियों ने गोलीबारी की जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई है। इस हमले के पीछे मैतेई समुदाय का हाथ बताया जा रह है। फिलहाल पुलिस गोलीबारी करने वालों की पहचान करने में जुटी है।

मणिपुर पुलिस ने बताया कि यह घटना उखरूल जिले से लगभग 47 किलोमीटर दूर स्थित थोवई गांव में सुबह करीब 4.30 बजे हुई, यह कुकी बहुल गांव है। उखरुल के पुलिस अधीक्षक एन वाशुम के मुताबिक, हथियारबंद उपद्रवियों का एक समूह गांव के पूर्व में स्थित पहाड़ियों से गांव के पास आया और ग्राम रक्षकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। घटना में गांव के 3 लोगों की मौत हो गई है। किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

बताया जा रहा है कि मैतेई उपद्रवियों ने सबसे पहले गांव के ड्यूटी पोस्ट पर हमला किया, जहां स्वयंसेवक गांव की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रहे थे। इस गोलीबारी में कुकी स्वयंसेवकों के तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने बचाया है कि जब पुलिस ने सर्च अभियान चलाया तब यहां जंगल के इलाके से 3 शव बरामद हुए हैं। मारे गए लोगों की पहचान जामखोगिन हाओकिप (26), थांगखोकाई हाओकिप (35) और होलेनसोन बाइते (24) के रूप में हुई है।चाकू से इनके शरीर पर निशान बनाए गए हैं, जबकि अंगों को भी काटा गया है।

राज्य में अब तक 190 लोगों की मौत

मैतइ और कुकी समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर शुरू हुई जातीय हिंसा ने धीरे-धीरे पूरे राज्य में हिंसा का स्वरूप ले लिया था, जिसके बाद कई जान चली गई। हिंसा की ताजा घटना के साथ, मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष में कम से कम 190 लोग मारे गए हैं। राज्य में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच व्यापक हिंसा देखी गई है। हिंसा भड़कने के बाद से लगभग 60,000 लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हो गए हैं। राज्य में बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए हैं और केंद्रीय सुरक्षा बलों की भारी उपस्थिति के बावजूद भीड़ ने पुलिस शस्त्रागार लूट लिया और कई घरों में आग लगा दी।

हिंसा की वजह

बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय जनजातीय आरक्षण देने की मांग कर रहा है। इसकी वजह ये है कि मैतई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है लेकिन ये लोग राज्य के सिर्फ 10 प्रतिशत मैदानी इलाके में रहते हैं। वहीं कुकी और नगा समुदाय राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं जो की राज्य का करीब 90 फीसदी है। जमीन सुधार कानून के तहत मैतई समुदाय के लोग पहाड़ों पर जमीन नहीं खरीद सकते, जबकि कुकी और नगा समुदाय पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। यही वजह है, जिसकी वजह से हिंसा शुरू हुई और अब तक इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।