चिकित्सा अधीक्षक से मारपीट मामले में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने गठित की जांच कमेटी
राघवेन्द्र सिंह ,मिजार्पुर। चर्चित वेब सीरीज 'मिजार्पुर' भले ही अभी रिलीज नहीं हो पाई है, लेकिन फिल्म का ट्रेलर जिले के मंडलीय अस्पताल में खूब देखने को मिल रहा है। चिकित्सा अधीक्षक के पद के लिए चल रही वर्चस्व की जंग में पूर्व एसआईसी डा. तरूण सिंह ने कथित मैनेजर के साथ मिलकर मंडलीय अस्पताल के वर्तमान चिकत्सा अधीक्षक डा. ए के सिन्हा की पिटाई कर दी।
जानकारी के अनुसार बुधवार को दोपहर बाद आयुक्त की मीटिंग के उपरांत प्रमुख अधीक्षक डा. ए के सिन्हा विभागीय कार्य से मेडिकल कॉलेज गए थे और आॅफिस में बैठकर जरूरी कार्य निपटा रहे थे कि इसी बीच वहां पूर्व एसआईसी डा. तरूण सिंह मंडलीय अस्पताल से निकाले गए कथित मैनेजर अनुज ठाकुर के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंच गए। जहां वर्तमान चिकित्सा अधीक्षक डा. ए के सिन्हा को देखकर खफा हो गए और बातों ही बातों में डा ए के सिन्हा को कई थप्पड़ रसीद कर दिए। मारपीट और शोर शराबा सुनकर मेडिकल कालेज में मौजूद अन्य कर्मचारी इकट्ठा हो गएं और बीच बचाव कर मामले को शांत कराया। जिसके बाद प्रमुख अधीक्षक ने डा. तरूण सिंह व कथित मैनेजर अनुज ठाकुर के विरूद्ध संबंधित थाने में तहरीर देकर कार्यवाही की मांग किया।
मंडलीय अस्पताल में चल रहे विवाद की असली वजह
मंडलीय अस्पताल में लगातार चल रहे विवाद की असल वजह से अभी बहुत से लोग अंजान है, मामला चिकित्सा अधीक्षक की कुर्सी से जुड़ा हुआ है।बताते चले की मंडलीय अस्पताल के पूर्व प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. अरविंद कुमार द्वारा इसी वर्ष 31 जनवरी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर प्रमुख अधीक्षक पद का प्रभार वरिष्ठता क्रमांक के अधार पर वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ ए के सिन्हा को सौंप अनुमोदन तथा स्वीकृति के लिए शासन को भेज दिया गया, किंतु बीच में ही पूर्व प्राचार्य डॉ आर बी कमल ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए लेवल 4 के पद पर लेवल 2 के जूनियर डॉक्टर तरूण सिंह को प्रमुख अधीक्षक का पदभार सौंप दिया।
जिसके बाद से ही काफी विरोध शुरू हो गया था। डा. तरूण सिंह के अधीक्षक बनते ही मंडलीय अस्पताल में अराजकता का माहौल फैल गया जिसके बाद आए दिन विवाद देखने को मिलता रहा। जिसके बाद मीडिया, राजनैतिक दलों, सामाजिक संगठनों द्वारा खुलकर किए जा रहे विरोध के बाद एकबार फिर तत्कालीन प्राचार्य डॉ आर बी कमल ने डाक्टर ए के सिन्हा को प्रमुख अधीक्षक की कमान सौंप दी, लेकिन अगले ही दिन फैसला वापस लेते हुए फिर से डा. तरूण सिंह को आयुष्मान का नोडल अधिकारी बनाकर प्रमुख अधीक्षक का कार्य लिया जाने लगा जिसके बाद तो मामले ने तूल पकड़ लिया और प्राचार्य की मंशा पर भी सावलिया निशान खड़े होने लगे।
जिÞला प्रशासन से लेकर शासन तक से फटकार लगने के बाद चारों तरफ से खुद को घिरा देख किरकिरी से बचने के लिऐ आखिरकार एक बार फिर प्राचार्य को अपना निर्णय बदलना पड़ा और 26 जून को एकबार फिर से डा. ए के सिन्हा को प्रमुख अधीक्षक की जिम्मेदारी दी गईं। हालांकि इस बार मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के तौर पर वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डाक्टर एस के श्रीवस्तव को नियुक्त किया गया। बस यही आदेश पूर्व एसआईसी तरूण सिंह को हजम नहीं हुआ, हालांकि डाक्टर साहब द्वारा शासन सत्ता के करीबी सफेदपोश और मीडिया के कथित दलालों के माध्यम से माहौल बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन दाल नहीं गली, जिसके बाद बौखलाए डॉक्टर ने अपने सीनियर अधिकारी के साथ ही मारपीट शुरू कर दी।
अस्पताल प्रबंधक को लेकर भी खड़े हुए सावलिया निशान, जांच में मैनेजर पद निकला फर्जी
मंडलीय अस्पताल में वर्षों से डेरा जमाए अस्पताल मैनेजर बनकर मलाई काट रहे अनुज ठाकुर की भी जमकर हुईं थू थू, शिकायत की जांच के बाद मैनेजर पद निकला फर्जी। बताते चले की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष व कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर बताया की मंडलीय अस्पताल के मैनेजर पद पर बैठा व्यक्ति फर्जी ढंग से ड्युटी कर अस्पताल में भ्रष्ट्राचार कर लोगों से अवैध वसूली कर रहा है, मंडलीय अस्पताल में ऐसा कोइ पद ही नही सृजित किया गया है, उक्त शिकायत की जांच जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दी जिसके बाद जांच में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पाया कि वाकई में यह पद पुरी तरह से फर्जी है और रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दिया।
जिसके बाद जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने सीएमओ को कार्यवाही का निर्देश दिया। डीएम के निर्देश पर कार्यवाही करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर सीएल वर्मा ने कथित मैनेजर अनुज ठाकुर को तत्काल मंडलीय अस्पताल से कार्यमुक्त कर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यलय से संबद्ध कर दिया, किंतु कथित मैनेजर द्वारा न ही सीएमओ आॅफिस में ड्युटी शुरू किया गया, ना ही परिसर में आवंटित आवास को खाली किया गया। कथित मैनेजर द्वारा एसआईसी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर खुब मलाई काटा गया, महिला अस्पताल के जर्जर भवन के धवस्तीकरण के मामले में ठेकेदार से घूस में आईफोन के साथ लाखों रुपए की वसूली को लेकर दोनों खूब चर्चा में आए थे।
कांग्रेस नेता मनीष दूबे की मेहनत लाई रंग भ्रष्टाचारियों का हुआ अंत
मंडलीय अस्पताल में वर्षों से कुंडली मारकर बैठे फर्जी अस्पताल मैनेजर अनुज ठाकुर और डाक्टर तरूण सिंह के तिलिस्म को आखिरकार पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता मनीष दूबे ने तोड़ ही दिया। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष मनीष दुबे ने भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध लगातार अपनी आवाज को बुलंद रखा और उच्चाधिकारियों को साक्ष्य सहित मामले से अवगत कराया। साथ ही कलेक्ट्रेट में प्रर्दशन कर आंदोलन में जान फूंक दिया। जिसके फलस्वरूप अधिकारियों ने संज्ञान में लेकर मामले की जांच पड़ताल कराई जिसके बाद फर्जी मैनेजर के विरूद्ध कार्यवाही की गई।
Jul 07 2024, 18:01