प्रसव कराने के नाम पर किया रांची का जेनेटिक अस्पताल 4 लाख का डिमांड, जमीन बेच कर 2 लाख दिया,

2 लाख और नहीं दे पाने पर नवजात को छोड़ कर माँ को 23 दिनों तक बनाये रखा बंधक, अब रांची हाई कोर्ट ने लिया स्वत सज्ञान


झारखंड डेस्क 

जिस चिकित्सक को धरती का भगवान कहा जाता है. जो बच्चे जब चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा का संकल्प लेते हैं तब उस से यही उम्मीद बांधती है की अपनी सेवा भाव से लोगों का इलाज़ करेंगे और मानवीय आचरण के साथ सेवा भाव रखेंगे. लेकिन आज चिकित्सा ऐसा व्यवसाय बन गया है कि जिसमे मानवता तो छोड़िये दया धर्म सब भूल कर लोगों को इलाज़ के नाम पर लूटने तक का काम कुछ लोग करने लगे हैं. ऐसा हीं एक मामला झारखण्ड के रांची स्थित जेनेटिक अस्पताल का एक मामला आया जहाँ प्रसव में अनाप शनाप बील नहीं चूका पाने के लिए माँ को बंधक बना लिया.और माँ को बच्चे से अलग कर दिया.इस पुरे मामले का शुक्रवार को हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया। जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने स्वास्थ्य 

सचिव को मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। 

सिविल सर्जन को भी अस्पताल के निबंधन की जांच का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।

शुक्रवार को रिम्स से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया कि जेनेटिक अस्पताल ने मरीज के साथ अमानवीय व्यवहार किया है।

 खूंटी के रनिया की सुनीता कुमारी को 28 मई को प्रसव पीड़ा होने के बाद रिम्स रेफर किया गया था पर ऑटो चालक महिला के पति को झांसा देकर उनको जेनेटिक अस्पताल ले गया। जहां बच्चे के जन्म के बाद यह घटना घटी।

जमीन बेचकर दिए दो लाख

अस्पताल प्रबंधन ने साधारण प्रसव कराने के लिए मंगलू से 4 लाख रुपए मांगे। उसने जमीन बेचकर 2 लाख दे दिए। शेष 2 लाख देने में उसने असमर्थता जतायी। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने सुनीता को बंधक बना लिया था। सूचना मिलने पर सीआईडी की टीम ने 27 जून को सुनीता को अस्पताल से मुक्त कराया।

 लम्बे समय तक बच्चे को दूध नहीं पिलाने के कारण मां का दूध सूख गया

23 दिनों के बाद जब सुनीता घर आकर अपने कलेजे के टुकड़े को देखा तो दौड़कर उसे सीने से लगा लिया। उसे अपना दूध पिलाने लगी। पर, मां का दूध सूख चुका था। गांव की महिलाओं ने बताया कि जन्म देने के बाद लंबे समय तक बच्चे को दूध नहीं पिलाने से मां का दूध सूख जाता है। इसके बाद सुनीता रोने लगी।

अस्पताल में बंधक माँ को खाना तक नहीं दिया जाता था

सुनीता बताती हैं कि अस्पताल ने उसे खाना देना भी बंद कर दिया था। बच्चे को पहले बूस्टर समेत और कोई टीका नहीं लगाया गया। बानाबीरा निवासी आशिष साहू ने सुनीता की रिहाई में सराहनीय कार्य किया है। आशिष ने बंधक बनाने की जानकारी सीआईडी के डीआईजी अनुराग गुप्ता को दी थी, जिसके बाद छुड़ाया गया।

सीडब्ल्यूसी ने लिया स्वत संज्ञान

कोर्ट को यह भी बताया गया कि जब अस्पताल प्रबंधन ने महिला के पति को नवजात शिशु के साथ घर भेज दिया तो उसने बकरी का दूध पिलाकर शिशु को जिंदा रखा, जब उसकी पत्नी अस्पताल से मुक्त होकर बीते गुरुवार को घर पहुंची तो करीब 23 दिन के बाद बच्चे ने अपनी मां का दूध पिया। इस मामले में सीडब्ल्यूसी ने भी स्वत संज्ञान लिया है।

पहले कई अन्य तरह के मामलों में दोषी रहा यह अस्पताल ब्लैकलिस्ट है

बूटी रोड स्थित जेनेटिक अस्पताल प्रबंधन महिला को बंधक बनाने से पहले कई अन्य तरह के मामलों में दोषी पाया जा चुका है। अस्पताल एक साल पहले से ही आयुष्मान योजना से ब्लैक लिस्टेड है। अस्पताल प्रबंधन पर आयुष्मान भारत योजना के तहत 62 मामलों में फर्जी तरीके से क्लेम लेने का मामला था। इसमें जांच में जेनेटिक अस्पताल प्रबंधन को दोषी पाते हुए 1.12 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाते हुए ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था। अस्पताल अब भी ब्लैक लिस्टेड ही है।

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाई कोर्ट से वेल मिलने के बाद जेल से लेकर घर तक पहुँचने के बीच की जानिए घटना-क्रम


झारखण्ड डेस्क 

पिछले 150 दिनों तक बिरसा मुंडा केंद्रीय होटवार जेल में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बंद रहने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें वेल दे दी.झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें 50-50 हजार रुपए के दो निजी मुचलके पर जमानत की सुविधा प्रदान की है। 

जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन के भाई सह सूबे के मंत्री बसंत सोरेन सिविल कोर्ट स्थित पीएमएलए कोर्ट पहुंचे। हेमंत सोरेन की ओर से उनके वकील ने बेल बॉड भरा। जिसमें पहले जमानतदार के रूप में बसंत सोरेन एवं दूसरे जमानतदार के रूप में झामुमो के कुमार सौरव ने हस्ताक्षर किए। वहीं दोनों की पहचानी के रवि वर्मन द्वारा की गई। 

बेल बॉड की प्रकिया अपराह्न तीन बजे तक पूरी होने के बाद हेमंत सोरेन का रिलीज ऑर्डर बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार ले जाया गया। इससे पूर्व बेल बॉड भरने के समय महाधिवक्ता राजीव रंजन भी पीएमएलए कोर्ट पहुंचे और हाईकोर्ट से मिली जमानत के आदेश को मेल करवाया। 

मौके पर अन्य कार्यकर्ता भी मौजूद थे। हेमंत सोरेन को ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। एक फरवरी को अदालत में पेश किया गया था। जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में लेते हुए जेल भेज दिया गया था। तब से वह जेल में ही थे।

भारी संख्या कार्यकर्ता उनके स्वागत के लिए होटवार जेल पहुंचे

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बेल मिलने और जेल से रिहा होने की खबर पर शुक्रवार को करीब 200 की संख्या में झामुमो कार्यकर्ता होटवार जेल पहुंचे। दोपहर तीन बजकर सात मिनट में झामुमो जिला समिति के द्वारा सूचना प्रसारित की गई कि सभी लोग हेमंत सोरेन की रिहाई व स्वागत के लिए जेल पहुंचे। इसके बाद सैकड़ों की संख्या में लोग 3.38 बजे होटवार जेल झंडे बैनर के साथ पहुंचे और नारेबाजी करने लगे।

जानिये कब क्या हुआ..?

31 जनवरी- हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया

4 फरवरी- हेमंत ने गिरफ्तारी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की

28 फरवरी-सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया

15 अप्रैल- ईडी कोर्ट में हेमंत ने जमानत याचिका दायर की

24 अप्रैल- सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत को याचिका दायर की

3 मई- हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को सही बताया, याचिका खारिज की

13 मई- ईडी कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज की

28 जून- हाईकोर्ट ने हेमंत को जमानत प्रदान की

मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी से जुड़े मानहानि केस में राहुल गाँधी की मुश्किलें बढ़ी,रांची के एमपी/ एमएलए कोर्ट ने 6 जुलाई को होना होगा उपस्थित


झारखंड डेस्क

रांची के एमपी/ एमएलए कोर्ट में मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी से जुड़े मानहानि केस में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले में राहुल पर आरोप तय किया जाएगा।

 कोर्ट ने पिछले दिनों आरोप गठन के बिंदु पर सुनवाई के लिए 6 जुलाई की तारीख तय की है। आरोप गठन के दौरान कोर्ट में बयान दर्ज कराने के लिए राहुल गांधी को रांची के एमपी/ एमएलए कोर्ट आना होगा।

अधिवक्ता प्रदीप मोदी द्वारा 23 अप्रैल 2019 को दर्ज मामले को 30 सितंबर 2021 को एमपी/एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था। इसके बाद कोर्ट ने राहुल के खिलाफ समन जारी किया। इस पर राहुल ने अर्जी दाखिल कर उपस्थिति से छूट मांगी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। अब बयान दर्ज कराने के लिए राहुल को अदालत आना होगा।

लालपुर क्षेत्र निवासी अधिवक्ता प्रदीप मोदी ने सिविल कोर्ट रांची में 23 अप्रैल 2019 में शिकायतवाद कराया था। शिकायतकर्ता ने याचिका में कहा था कि राहुल गांधी ने मोदी सरनेम वाले लोगों को लेकर जो टिप्पणी की है उससे पूरा मोदी समाज आहत है। इसलिए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिससे आहत होकर वकील प्रदीप मोदी ने उनके खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था। ऐसा ही एक केस गुजरात में भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने भी किया था, जिसमें राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई थी। सूरत कोर्ट के इस आदेश के बाद राहुल गांधी की सदस्यता छिन गई थी। हालांकि, बाद में ऊपरी अदालत से रोक के बाद उनकी सदस्यता बहाल हो गई थी।

हेमन्त सोरेन जेल से आने के बाद दी अपनी पहली प्रतिक्रिया, यहां देखे उन्होंने क्या कहा...

झारखंड हाई कोर्ट से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत मिलने के बाद जेल से लाने के लिए पहुंची उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और भाई बसंत सोरेन। लगभग 5 महीने जेल में रहने के बाद हेमंत सोरेन आज जमानत पर बाहर निकले और सबसे पहले अपने पिता शिबू सोरेन से आशीर्वाद लेने उनके आवास गए। जहां कार्यकर्ताओं का भी भीड़ जुटने लगी। सभी उन्हें बधाई देने के लिए पहुंच रहे थे। 

पिता के आवास में ही पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने कार्यकर्ताओं का सबसे पहले आभार जताया। कहा कि आप सबको पता चल ही चुका है कि कानूनी रूप से कि मैं अब विगत पांच महिनों के बाद जेल से बाहर आया हूं और इन पांच महीना का जो वक्त था मुझे लगता है इस राज्य के लिए हमारे झारखंडी भाइयों के लिए यहां के मूलवासी आदिवासियों के लिए बहुत ही चिंतनीय महीने रहे हैं। 

उन्होंने न्यायालय के न्याय का आदर और सम्मान किया। वहीं उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज राजनेता, समाजसेवी, लेखक, पत्रकार जैसे लोगो को बड़े सुनियोजित तरीके से उनकी आवाजो को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है। यह भी किसी से छुपा नहीं है।

 एक झूठी और मन ग्रहन्त कहानी गढ़ कर पूरे 5 महीना तक जेल के अंदर रखा गया। इसी प्रकार आप देख रहे होंगे देश के अलग-अलग हिस्सों में कई पत्रकार बंद है। वहीं सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले लोगों की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है,दिल्ली के मुख्यमंत्री भी जेल में बंद है। आज मैं बहुत ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा लेकिन अन्तोगत्वा फिर से राज्य की जनता के बीच में हूं।

 हेमंत सोरेन ने कहा जो लड़ाई और संकल्प हमने लिया है उसको निश्चित रूप से मुकाम तक पहुंचाने का भी काम करेंगे। आज मुझे लगता है एक संदेश है राज्य के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए की किस तरीके से हमारे विरुद्ध षड्यंत्र रचा गया है और जो कानून के आदेश है वह आपके सामने आपको देखने को मिला।

कचहरी चौक पर सीआईडी की महिला डीएसपी से छीन गयी चेन ,विरोध करने पर दिया धक्का


झारखंड डेस्क 

रांची : राजधानी की भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर चेन स्नेचर कब किसे अपना शिकार बना ले, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. 

यहां अपराधी ने एक महिला डीएसपी को अपना शिकार बना लिया. अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे पुलिस अफसरों के साथ भी आपराधिक वारदात करने से नहीं कतरा रहे हैं. बेखौफ अपराधियों ने रांची के अपराध अनुसंधान विभाग में पदस्थापित डीएसपी सरिता मुर्मू के गले से सोने की चेन छीन ली. 

अपराधियों ने बुधवार को इस वारदात को अंजाम दिया. इस संबंध में डीएसपी सरिता मुर्मू ने कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है. थाने में डीएसपी द्वारा दिए गए आवेदन में कहा गया है कि वह शाम को अपने निजी काम से कचहरी चौक गई थीं. रात 8:15 बजे जब वह कचहरी चौक के पास पहुंचीं, 

तो बाइक सवार दो अपराधी वहां पहुंचे और उनके गले से सोने की चेन छीनकर भाग गए. हालांकि जब डीएसपी ने घटना का विरोध किया, तो आरोपियों ने उन्हें धक्का देकर सड़क पर गिरा दिया.

जनता दरबार में उपायुक्त ने सुनी आमजनों की शिकायत, समस्याओं के निष्पादन हेतु अधिकारियों को दिए निर्देश*


धनबाद : उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी सुश्री माधवी मिश्रा ने शुक्रवार को अपने कार्यालय कक्ष में जनता दरबार का आयोजन कर आम-जन की शिकायतों व समस्याओं को सुना।

 उन्होंने संज्ञान में आए सभी मामलों के आवेदन को संबंधित पदाधिकारी को तत्काल निष्पादन के लिए निर्देशित किया।

जनता दरबार में मुख्यतः शिक्षा, जमीन विवाद संबंधी, ऑनलाइन रसीद, आवास, पेंशन, रोजगार, स्वास्थ्य, बकाए वेतन, होम गार्ड नियुक्ति, आर्म लाइसेन्स, सड़क, आय प्रमाण पत्र, वंशावली, छात्रवृत्ति, मुआवजा, वार्ड सदस्य के मानदेय, अबुआ आवास, बंटवारा, जमीन मापी समेत अन्य संबंधित आवेदन आए।

इस दौरान उपायुक्त ने आवेदनों को चिन्हित कर संबंधित अधिकारियों को निष्पादन के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान होगा। इसके लिए अधाकिरियों को निर्देश दिया गया है।

मौके पर प्रभारी पदाधिकारी जन शिकायत कोषांग श्री नियाज अहमद, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री सुनिल कुमार सिंह मौजूद रहें।

युवा संघर्ष मोर्चा जनवादी ने बिजली विभाग की स्मार्ट मीटर के खिलाफ महाप्रबंधक को दिया ज्ञापन

धनबाद :विद्युत विभाग का स्मार्ट मीटर को लेकर उपभोक्ताओं को आ रही परेशानी का शीघ्र निदान निकालने की मांग युवा संघर्ष मोर्चा जनवादी ने विद्युत विभाग धनबाद के महाप्रबंधक से की है। इस आशय का ज्ञापन संगठन के संयोजक उदय प्रताप सिंह व अध्यक्ष दिलीप सिंह के संयुक्त नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने महाप्रबंधक को दी है। 

ज्ञापन में बताया गया है की स्मार्ट मीटर लगवाने के बाद से विद्युत विभाग द्वारा उपभोक्ताओं का बिल बहुत ज्यादा आ रहा है। हर क्षेत्र में लोगों ने इसकी शिकायत की है। बिल इतना अधिक है की आर्थिक रूप से कमजोर लोग इसे भरने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं और आर्थिक रूप से परेशानी झेल रहे हैं। 

ज्ञापन में महाप्रबंधक से मांग की गई है की स्मार्ट मीटर की तकनीकी जांच विशेषज्ञों से करवाया जाए ताकि नियम के अनुसार उचित बिल उठे जिससे उपभोक्ता को गलत बिल से राहत मिल सके। यह भी कहा गया है की विद्युत विभाग स्मार्ट मीटर को दुरुस्त करने का कार्य शीघ्र कराएं तथा इस समस्या को संज्ञान में लेकर उसे तुरंत समाधान किया जाए। साथ ही लो वोल्टेज, बिजली ओवरलोडिंग आदि समस्याओं से निजात मिलने की दिशा में कार्य हो और हर घर तक निर्बाध बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराई जाए।

 ज्ञापन सौंपने वालों में युवा संघर्ष मोर्चा के संस्थापक दिलीप सिंह, संयोजक उदय प्रताप सिंह, पप्पू सिंह, एम सिंह, इरफान अंसारी, कुंदन कुमार तथा सरदार सोनी सिंह शामिल थें।

क्या रिहाई के बाद हेमंत सोरेन अभी पार्टी को मज़बूती देने और अगले विधानसभा कि तैयारी में जुटेंगे..?

हेमंत सोरेन गुरुजी यानी शिबू सोरेन की राह पर चलेंगे. इसका संकेत पिछले दिनों उन्होंने गुरुजी की तरह लुक अपनाकर दे दिया था. गुरुजी की रणनीतियों पर काम करके वे जनप्रिय नेता बनने की कोशिश करेंगे.

 झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट ने शुक्रवार 28 जून को जमानत दे दी. ईडी ने 31 जनवरी की रात को जमीन घोटाला मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था. हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, अब जबकि वे लगभग पांच महीने बाद जेल से बाहर आएंगे तो उनकी भूमिका क्या होगी? ये कुछ बड़े सवाल हैं जिस पर सियासी गलियारी में चर्चा शुरू हो गयी है.

 बमुश्किल चार-पांच महीनों में झारखंड में चुनाव होंगा , इसलिए जब हेमंत सोरेन जेल से बाहर आएंगे तो उनकी भूमिका मुख्य तौर पर पार्टी को मजबूत करने की होगी. वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वापस बैठने की बजाय, पार्टी और संगठन को मजबूती देने के लिए काम करेंगे. जहां तक उम्मीद किया जा रहा है कि हेमंत सोरेन गुरुजी यानी शिबू सोरेन की राह पर चलेंगे. इसका संकेत उन्होंने गुरुजी की तरह लुक अपनाकर दे दिया है. गुरुजी की रणनीतियों पर काम करके वे आम जन के प्रिय नेता बनने की कोशिश करेंगे.

हेमंत सोरेन की उपस्थिति से कार्यकर्ताओं का बढ़ेगा मनोबल

हेमंत सोरेन की रिहाई से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा इसमें कोई दो राय नहीं है. कहीं ना कहीं पार्टी कार्यकर्ता उनकी गिरफ्तारी से निराश थे, उनके अंदर यह भावना थी कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी गलत ढंग से हुई है, अब चूंकि उन्हें जमानत मिल गई है, तो उनके अंदर खुशी होगी. राष्ट्रीय राजनीति पर भी इसका प्रभाव दिखेगा. इंडिया गठबंधन की बैठकों में अब हेमंत खुद जा सकेंगे और पार्टी का पक्ष रख सकेंगे. गठबंधन में उनका कद भी बढ़ेगा, क्योंकि रणनीति तय करने में उनकी भूमिका होगी.

पिछले पांच माह से जमीन घोटाले के आरोप में जेल बंद झारखंड के पूर्व सीएम वेल के बाद आज शाम तक जेल से होगें रिहा

झारखंड डेस्क 

रांची :पिछले 5 माह से कथित जमीन घोटाले में जेल में बंद झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को अंततः वेल मिल गयी. संभवत आज शाम तक वे जेल से बाहर आ जायेंगे. कथित जमीन घोटाले में पिछले कई महीनों से वे जेल में बंद थे. इसके कारण उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

 अदालत ने 13 जून को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने शुक्रवार को उन्हें जमानत प्रदान कर दी है। सुनवाई के दौरान ईडी की ओर कहा गया था कि हेमंत सोरेन ने अनधिकृत रूप से बड़गाईं अंचल के 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया है। यह पीएमएलए एक्ट में निहित प्रविधानों के तहत मनी लॉन्ड्रिंग है। ईडी ने कहा था कि हेमंत सोरेन प्रभावशाली व्यक्ति हैं। जमानत मिलने पर जांच को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं। उन्हें जमानत की सुविधा नहीं दी जाए।

हेमंत सोरेन की वकील ने क्या दी दलील?

हेमंत सोरेन की ओर से इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा गया था कि यह मनी लॉन्ड्रिंग नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। केंद्र ईडी का दुरुपयोग कर रहा है। विनोद सिंह के व्हाट्सऐप चैट में जिस 8.86 एकड़ जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की बात कही जा रही है, वह उस जमीन का नहीं है। यह केवल ईडी का अनुमान है।

 सदर थाने में जो मामला दर्ज हुआ है, उसकी जांच बाकी है। ईडी कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया है, इसलिए याचिका दाखिल की गई है।

पिछले 5 महीने से थे जेल में

हेमंत सोरेन पिछले 5 महीनों से जेल में थे। इस बीच उन्हें किसी कार्यक्रम के जाने के लिए कुछ दिनों के लिए जमानत दी गई थी लेकिन इसके बाद फिर वह जेल चले गए थे। हालांकि हाई कोर्ट ने अब उन्हें बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी है। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई थी। 

इससे पहले 10 जून को हुई सुनवाई में हेमंत सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि सोरेन पर रांची के बार्गेन क्षेत्र में 8.86 एकड़ के भूखंड पर कब्जा करने का गलत आरोप लगाया गया है और यह धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपराध नहीं बनता है,

 जिसके लिए सोरेन को हिरासत में लिया गया है। ईडी ने आरोप लगाया है कि भूमि दस्तावेजों में फेरबदल किया गया और सोरेन ने मूल भूस्वामियों को जबरन बेदखल कर दिया।

सिब्बल ने जवाब दिया कि मूल भूस्वामियों ने तब कोई शिकायत नहीं की जब उनकी जमीन कथित तौर पर ली गई तो और न ही अधिकारियों से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि जबरन बेदखली की यह घटना 2009-10 में घटित हुई बतायी जाती है, लेकिन रिपोर्ट 2023 में ही तैयार की गई। सिब्बल ने दलील दी कि यदि सोरेन के खिलाफ सभी आरोप सही भी हों, तो भी यह जबरन बेदखली का एक दीवानी मामला होगा, न कि आपराधिक मामला।

उन्होंने दावा किया कि आपराधिक मामला सोरेन को सलाखों के पीछे रखने के गुप्त उद्देश्य से प्रेरित था। उन्होंने दावा किया कि ईडी ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की और सोरेन को फंसाने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार किए। मूल भूस्वामी राज कुमार पाहन ने पहले ही भूमि को अपने नाम पर बहाल करने के लिए आवेदन कर दिया है, जिस पर कार्रवाई की जा रही है।

झारखण्ड राज्य में है एक ऐसा गांव,जहाँ सबसे ज्यादा हुआ है जुड़वा बच्चों का जन्म,इसके कारण का नहीं है मेडिकल साइंस के पास जवाब



झारखंड डेस्क
प्रकृति ने सृष्टि की जिस तरह रचना की है वह अनमोल है. यहाँ लोग जन्म लेते हैं, फिर जीवन जीकर मरते भी हैं. इस जगत में हर महिला का सपना मां बनना होता है। ये उनके लिए एक सुखद एहसास होता है, मगर खुशियों में चार चांद तब लग जाते हैं, जब कुछ महिलाएं  जुड़वां बच्चे को जन्म देते हैं। ऐसी घटना कुछ ही महिलाओं के साथ होती है।

लेकिन झारखंड के देवघर जिले में करौं प्रखंड का बेलकियारी  एक ऐसा गांव है जो बेहद खास बन गया है।

कारण है इस गांव में आए दिन किसी न किसी घर जुड़वा बच्चों की किलकारी गूंजती रहती है। वर्तमान में इस गांव में आधा दर्जन से अधिक जुड़वा बच्चे हैं। इतने जुड़वा बच्चे कैसे हैं और क्यों हैं इस बारे में अब तक कोई कुछ नहीं बता पाया है।

कुछ लोग इसे खान पान का नतीजा बताते हैं, तो कुछ इसे हवा पानी की देन मानते हैं। हालांकि ये सिर्फ अटकलें हैं।

*यहाँ 190 परिवार निवास करता है,जहाँ के अधिकतर लोग करते हैं रसोईये का काम*


इस गांव में करीब 190 परिवार निवास करते हैं। गांव की आबादी लगभग 1300 है। कहने को तो इस गांव की पहचान रसोइयों के लिए होती है।

सालों से विभिन्न आयोजनों के दौरान स्वाद की सुगंध फैलाने वाले इन पुश्तैनी रसोइयों द्वारा बनाए स्वादिष्ट भोजन के स्थानीय गांवों के अलावा धनबाद, झरिया, गिरिडीह समेत बंगाल के लोग भी कायल हैं।

*इन लोगो के यहां हुआ है जुड़वा बच्चे*

गांव के किशोर रवानी व निर्मल रवानी को जुड़वा लड़का-लड़की, संजय यादव, बंशी रवानी व चिरंजीव रवानी को दोनों लड़की एवं राजेश रवानी को दो लड़का है।

जुड़वा लड़की व लड़के के माता-पिता बताते हैं कि जब बच्चे छोटे थे, तो उनको पहचानने में गलती कर देते हैं। माताओं के साथ भी कई बार ऐसा हो जाता है कि एक बच्चे को दूध पिलाने के बाद दूसरे के बजाय फिर पहले को ही दूध पिला देती हैं।

*लोग जुड़वाँ बच्चों को ईश्वर का उपहार मानते हैं*

गांव के कई लोग जुड़वा बच्चे होना ईश्वर के एक विशेष उपहार के रूप में देखते हैं। लोगों का मानना है कि स्थानीय आहार के कारण शायद जुड़वा बच्चों के गर्भधारण की संभावना बढ़ती है, जबकि अन्य लोग सोचते हैं कि यह यहां के हवा या पानी में विशेष तत्व के कारण हो सकता है। हालांकि अभी वैज्ञानिक रूप से कुछ साबित नहीं हुआ है।

*मेडिकल साइंस में जुड़वा बच्चे को दो श्रेणी में किया गया है वर्गीकृत*

चिकित्सक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक डॉ केके सिंह ने बताया कि जुड़वा बच्चे दो प्रकार के होते हैं।

पहला डायजाइगाटिक है, जिसे आम भाषा में भ्रातृ जुड़वा कहते हैं। इसमें पैदा हुए बच्चे दो लड़के व दो लड़कियां व एक लड़का और एक लड़की हो सकते हैं। इनकी आदतें तो काफी कुछ एक जैसी होती हैं, लेकिन शक्ल में थोड़ा अंतर रहता है।

जुड़वा बच्चों का दूसरा प्रकार है मोनोजाइगाटिक। इन्हें आम भाषा में अभिन्न जुड़वा भी कहते हैं। इस प्रक्रिया के तहत जन्म लेने वाले बच्चे हूबहू एक जैसे दिखते हैं। इनके स्वभाव से लेकर इनके लुक तक सब कुछ एक समान रहता है। इनके बीच पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाता है।