सोनभद्र: पानी की किल्लत से जूझते ग्रामीणों का टूटा धैर्य गांव में 'हर घर नल जल' योजना शुरू करने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन
विकास कुमार अग्रहरि ,सोनभद्र। पानी की गंभीर हो चली समस्या से जूझते हुए आ रहे जिले के बिल्ली-मारकुंडी टोला के खैरटिया ग्राम सेवा समिति के अध्यक्ष शिवदत्त दुबे के नेतृत्व में प्रधानमंत्री हर घर नल जल योजना को गांव में लागू करने के लिए ग्रामीणों द्वारा रविवार को उग्र प्रदर्शन किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने उपेक्षा का आरोप लगाया कहा उनकी समस्याओं से मानों किसी को सरोकार ही नहीं है। शिवदत्त दुबे ने बताया कि आजादी के 77 वर्षों के बाद भी बिल्ली मारकुंडी ग्राम पंचायत का एक बड़ा हिस्सा खैरटिया गांव शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहा है।
ग्राम सभा बिल्ली मारकुंडी के सबसे बड़े टोला खैरटिया, बाड़ी, बगमनवा एवं बिल्ली आंशिक जैसे टोला पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। खैरटिया की आबादी करीब 15000 के पास है लेकिन अभी यहां के लोग भूमिगत जल या टैंकर जल पर निर्भर है। रेणुका नदी के किनारे बसे होने के कारण खैरटीया में बोरिंग भी सफल नहीं है। यहां के भूमिगत जल में फ्लोराइड और आर्सेनिक की अधिक मात्रा होने के कारण भूमिगत जल अत्यंत खतरनाक है। महेश अग्रहरी ने कहा कि वर्तमान में सरकार द्वारा हर घर नल जल योजना के तहत 2024 तक हर ग्रामीण के घर में नल से पानी की सुविधा मुहैया कराने का लक्ष्य रखा जरूर गया है, लेकिन इस योजना में खैरटिया सहित अन्य टोलों को नहीं जोड़ा गया। ग्रामीणों ने मांग किया है कि तत्काल सर्वे करा कर चालू वर्ष में खैरटीया सहित सभी टोला में हर घर नल योजना का लाभ दिया जाए।
चेतावनी दी है कि हर घर नल जल योजना के तहत शुद्ध पेयजल न मिलने तक ग्रामीण शांत नहीं बैठेंगे। प्रदर्शन करने वालों में मुख्य रूप से महेश अग्रहरी, शिवनाथ जायसवाल, फूलचंद, धर्मजीत, मनीष, शेरू चेरो, संगीता भारती, संत कुमार ,विकास भारती ,उमेश शुक्ला ,सतीश तिवारी, संतोष गुप्ता, मंगरु गुप्ता, किरण देवी ,सत्यम जायसवाल , अखिलेश जायसवाल, इंद्रदेव जायसवाल, फूलचंद जायसवाल सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण एवं महिलाएं मौजूद रहे। बताते चलें कि जिले में विस्थापना, प्रदूषण, बेबसी, बेरोजगारी के बीच पानी की समस्या भी गंभीर रूप धारण करती जा रही है। दु:खुद है कि देश की आजादी के बाद भी यहां के लोगों को आज भी पानी की समस्या से जूझते हुए देखा जा सकता है। की टोले, मजरे हैं जहां के लोगों को आज भी पानी की बूंद बूंद को इकट्ठा कर प्यास बुझानी पड़ती है।
Jun 17 2024, 19:13